Laxman Dawani
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212 212 212 212 ज़िन्दगी ढल गई अजनबी के लिये उम्र भर हम जिये बस उसी के लिये मयकदा ही मेरा बस ठिकाना बना आते है हम यहाँ ख़ुदकुशी के लिये मयकदा साकी तेरा सलामत रहे और क्या चाहिये मयकशी के लिये ठुकराया हमें सब ने धोखा दे कर हम तरसते रहे हर किसी के लिये प्यासे थे प्यासे ही रह गये हम यहाँ अश्क ही मझे मिले तिश्नगी के लिये प्यार दौलत पे भारी न हुआ कभी खा म खाँ मरते रहे सादगी के लिये सर झुका ही रहा सजदे में उनके ही इम्तहाँ था मेरा बन्दगी के लिये ( एल,डी, ) #📜मेरी कलम से✒️ #✒ शायरी #💝 शायराना इश्क़ #शायरी #📚कविता-कहानी संग्रह
📜मेरी कलम से✒️ - T பர்ப 1+=' పర ఖా FrI 51+ సౌ िकाना दना मयचाना यस "atargr ತತ TFh చI సగా मयकदा साकातेत सलागत रई सीरययाचातिच मयनशाकेलिच S ೯i T ಕuuಫz F TTi 1 ಈ FFF+ F1೯೯ Td ನai UIR बक = गझमिले तिनणा कालिग +5554~175 1+41 #r  Fa  n aaನ 112rru 2   ,aದ T பர்ப 1+=' పర ఖా FrI 51+ సౌ िकाना दना मयचाना यस "atargr ತತ TFh చI సగా मयकदा साकातेत सलागत रई सीरययाचातिच मयनशाकेलिच S ೯i T ಕuuಫz F TTi 1 ಈ FFF+ F1೯೯ Td ನai UIR बक = गझमिले तिनणा कालिग +5554~175 1+41 #r  Fa  n aaನ 112rru 2   ,aದ - ShareChat
212 212 212 2 अपने चहरे से पर्दा हटा दो दर्द - ऐ - दिल कि मेरे दवा दो जल रहे दिल मे अरमान मेरे पहलू में तुम बिठा कर बुझा दो बे असर हो रहीं हर दुआएँ हाथ अपने उठा कर दुआ दो बुझ रहे अब चिरागे मुहब्बत ज़िन्द हाथो से अपने बना दो हर तरह ज़िन्दगी ने सताया तुम गले अपने मुझे लगा दो चुने थे फूल काँटे मिले है फूल फिर मोहब्बत के खिला दो ( लक्ष्मण दावानी ✍ ) 30/6/2017 #📚कविता-कहानी संग्रह #शायरी #💝 शायराना इश्क़ #✒ शायरी #📜मेरी कलम से✒️
📚कविता-कहानी संग्रह - हाथ अपने उठा कर दुआ दो चहरे से॰  पर्दा ৪মা নী अपने दर्द - ऐ - दिल   कि मेरे दवा दो अरमान मेरे दिल मे ভল পঙ্লূ   বুস নিঠা ব্রং ব্রুহসা নী दुआएँ 1 < बे असर ೯ TT हाथ अपने 36T గగా క3IT గౌ T # %e रहे 3Iq ఇా मुहब्बत अपने बना दो ज़िन्दगी ने ल हुम तरह सताया गले अपने   मुझे लगा दो खिलोा दै ব্রুন   থ काँटे फल फूल फिर मोहब्बत के ( লঃসত নানানী % ) हाथ अपने उठा कर दुआ दो चहरे से॰  पर्दा ৪মা নী अपने दर्द - ऐ - दिल   कि मेरे दवा दो अरमान मेरे दिल मे ভল পঙ্লূ   বুস নিঠা ব্রং ব্রুহসা নী दुआएँ 1 < बे असर ೯ TT हाथ अपने 36T గగా క3IT గౌ T # %e रहे 3Iq ఇా मुहब्बत अपने बना दो ज़िन्दगी ने ल हुम तरह सताया गले अपने   मुझे लगा दो खिलोा दै ব্রুন   থ काँटे फल फूल फिर मोहब्बत के ( লঃসত নানানী % ) - ShareChat
221 2121 1221 212 समझा न दर्दे दिल तो बताना फिजूल है गैरो को दिल मे अपने बसाना फिजूल है इक तुम्हे देखने को आये बज्म में तेरी आना गुनाह है तो मनाना फिजूल है जो माने ही न इश्के मुहब्बत वफ़ा-ए-दिल उनके लिये ये आँसू बहाना फिजूल है पाबंदे वफ़ा हूँ अब में सफाई नही दूंगा ये फलसफा वफ़ा का सिखाना फिजूल है इल्जाम तो लगा रहे जज्बात पर मेरे अब जख्म तुम्हे दिलके दिखाना फिजूल है खुद में समा के अंधेरे जीता रहा हूँ मै अब दीप मोहब्बत के जलाना फिजूल है ( लक्ष्मण दावानी ✍ ) 30/6/2017 #📜मेरी कलम से✒️ #✒ शायरी #💝 शायराना इश्क़ #शायरी #📚कविता-कहानी संग्रह
📜मेरी कलम से✒️ - 3'8 अब जख्म दिलके दिखाना फिजूल है फिजूल समझा न दर्दे दिल तो बताना है फिजूल गैरो को दिलमे अपने बसाना इक तुम्हे देखने को आये बज्म  में तेरी फिजूल নী মনানা है 8 3T TI೯ जो माने ही न इश्के मुहब्बत वफ़ा ए दिल 374 फिजूल 344 24 4 है बहाना हूँ अबमें सफाई नही पाबंदे वफ़ा ؟ ಗತ್ಠ೯' ये फलसफा वफ़ा का सिखाना जज्बात पर मेरे எI <8 इल्जाम तो फिजूल अब जख्म तुम्हे दिलके दिखाना है में समा के अंधेरे जीता रहा हूँ मै फिजूल अब दीप मोहब्बत के जलाना है ( लक्ष्मण दावानी 3'8 अब जख्म दिलके दिखाना फिजूल है फिजूल समझा न दर्दे दिल तो बताना है फिजूल गैरो को दिलमे अपने बसाना इक तुम्हे देखने को आये बज्म  में तेरी फिजूल নী মনানা है 8 3T TI೯ जो माने ही न इश्के मुहब्बत वफ़ा ए दिल 374 फिजूल 344 24 4 है बहाना हूँ अबमें सफाई नही पाबंदे वफ़ा ؟ ಗತ್ಠ೯' ये फलसफा वफ़ा का सिखाना जज्बात पर मेरे எI <8 इल्जाम तो फिजूल अब जख्म तुम्हे दिलके दिखाना है में समा के अंधेरे जीता रहा हूँ मै फिजूल अब दीप मोहब्बत के जलाना है ( लक्ष्मण दावानी - ShareChat
212 212 212 212 मेरे गम का तु साथी हुआ तो नही दर्दे दिल की बना तू दवा तो नही वक्त की बात करता रहा तू सदा वक्त नादाँ किसी का सगा तो नही रूह तेरी तरसती रही मिलने को रूह ने रूह को भी छुआ तो नही दिल के आकाश पर चाँद बनके रहे ज़िन्दगी मेरी रोशन किया तो नही जीने के बस तरीके सिखाते रहे ज़िन्दगी साथ मेरे जिया तो नही अश्क आंखों से तन्हा बहाते रहे तुमने अपना सहारा दिया तो नही ( लक्ष्मण दावानी ✍ ) 29/6/2017 #📚कविता-कहानी संग्रह #शायरी #💝 शायराना इश्क़ #✒ शायरी #📜मेरी कलम से✒️
📚कविता-कहानी संग्रह - Iவ# ज़िन्दर्ग नो नही थी हुआ तो नही दर्दे दवा तो नही   drh ता रहा तू सदा कासगा तो नही drh रूह तेरी तरसती रही मिलने को छुआ तो नही ने रूह ग 6 0 दिल के आरकोशःपर चाँद बनके रहे ज़ ज़िन्दगी मेरी रशन किया तो नही जीने के बस तरीके सिखाते रहे ल fi साथ मेरे जिया तो नही अश्क आंखों से त्हा 78 बहाते अपना सहारा दिया तो नही নুসন ( লঃসতা ননানী Iவ# ज़िन्दर्ग नो नही थी हुआ तो नही दर्दे दवा तो नही   drh ता रहा तू सदा कासगा तो नही drh रूह तेरी तरसती रही मिलने को छुआ तो नही ने रूह ग 6 0 दिल के आरकोशःपर चाँद बनके रहे ज़ ज़िन्दगी मेरी रशन किया तो नही जीने के बस तरीके सिखाते रहे ल fi साथ मेरे जिया तो नही अश्क आंखों से त्हा 78 बहाते अपना सहारा दिया तो नही নুসন ( লঃসতা ননানী - ShareChat
212 212 212 212 कैद है इश्क इसके सिवा कुछ नही जो फंसा इस में उसकी दवा कुछ नही ला इलाजे मुहब्बत के होते है गम बे असर है दवा ओ दुआ कुछ नही हमने भी कर के देख ली मुहब्बत यहाँ इक जफ़ा के सिवा तो मिला कुछ नही वो नफ़स बन के नस नस में मेरी बसा धड़कनों के सिवा ओ बचा कुछ नही हर दुआ बे असर लौट आई मेरी दर से खुदा के भी तो हुआ कुछ नही दर्द दिल को मिले अश्क आंखों में है मोहब्बत के नशे सा नशा कुछ नही ( लक्ष्मण दावानी ✍ ) 29/6/2017 #📜मेरी कलम से✒️ #✒ शायरी #💝 शायराना इश्क़ #शायरी #📚कविता-कहानी संग्रह
📜मेरी कलम से✒️ - दर से खुदा के भी 53I[ कुछ नही कैद सिवा कुछ नही ೯ ೯೯ उसकी दवा कुछ नही ज फसा इस के होते है गम লা লাত ঘুচলন आ कुछ नही बे असर ओ సంౌ हमने भी कर के देख ली मुहब्बत यहाँ इक जफ़ा के सिवा तो मिला कुछ नही वो नमस बन के नस नस में मेरी बसा कुछ नही 31 qa धडव लौट आई मेरी हर [ हुआकुछ नही दर से खुदा केभीते दिल को मिले अश्क आखों में है हब्बत के नशे सा नशा ऋछ नही ( लक्ष्मण दावानी दर से खुदा के भी 53I[ कुछ नही कैद सिवा कुछ नही ೯ ೯೯ उसकी दवा कुछ नही ज फसा इस के होते है गम লা লাত ঘুচলন आ कुछ नही बे असर ओ సంౌ हमने भी कर के देख ली मुहब्बत यहाँ इक जफ़ा के सिवा तो मिला कुछ नही वो नमस बन के नस नस में मेरी बसा कुछ नही 31 qa धडव लौट आई मेरी हर [ हुआकुछ नही दर से खुदा केभीते दिल को मिले अश्क आखों में है हब्बत के नशे सा नशा ऋछ नही ( लक्ष्मण दावानी - ShareChat
2122 1212 22/112 इश्के व्यापार हम नही करते जाओ तकरार हम नही करते बैठे है झूठे हर तरफ ग्राहक सब पे एतबार हम नही करते आँखों कारिश्ता खाब से ही है आंखे अब चार हम नही करते साँसे भी तुम पे हम लुटा देते आज इंतज़ार हम नही करते ज़िन्दगी तेरे नाम कर दी थी इस से इन्कार हम नही करते हो लबो पर दुआएँ जिनके भी उन पे ही वार हम नही करते ( लक्ष्मण दावानी ✍ ) 27/6/2017 #📚कविता-कहानी संग्रह #शायरी #💝 शायराना इश्क़ #✒ शायरी #📜मेरी कलम से✒️
📚कविता-कहानी संग्रह - उन पे ही वार हम नही करते इश्के व्यापार हम नही करते जाओ तकरार हम नही करते बैठे है झूठे हरतरफ ग्राहक एतबार हम नही करते Hq4 आँखों कारिश्ता खाब से ही है आंखे अब चार हम नही करते साँसे भी लुटा सकते थे 374 ग आज इंतज़ार हम नही करते ज़िन्दगी तेरे नाम कर दीथी ज़ इस से इन्कार हम नही करते ल हो लबो पर दुआएँ जिनके भी उन पे ही वार हम नही करते ( लक्ष्मण दावानी उन पे ही वार हम नही करते इश्के व्यापार हम नही करते जाओ तकरार हम नही करते बैठे है झूठे हरतरफ ग्राहक एतबार हम नही करते Hq4 आँखों कारिश्ता खाब से ही है आंखे अब चार हम नही करते साँसे भी लुटा सकते थे 374 ग आज इंतज़ार हम नही करते ज़िन्दगी तेरे नाम कर दीथी ज़ इस से इन्कार हम नही करते ल हो लबो पर दुआएँ जिनके भी उन पे ही वार हम नही करते ( लक्ष्मण दावानी - ShareChat
2122 1212 22/112 अपने गम की ये आँधियाँ दे दो शोख नज़रो की बिजलियाँ दे दो में तरसता रहा सदा जिनको फिर वही मुझ को मस्तियाँ दे दो वो लचकता बदन अदाओं से रस भरे लब की शोखियाँ दे दो चाँद तारे बिछा दूँ कदमो में अपने दिल की तो मर्जियाँ दे दो सब खताएँ भुला के मेरी तुम जो हुई हम से गलतियाँ दे दो सब मुरादें करेगा पूरी वो रब ने माँगी है अर्जियाँ दे दो ( लक्ष्मण दावानी ✍ ) 28/6/2017 #📜मेरी कलम से✒️ #✒ शायरी #💝 शायराना इश्क़ #शायरी #📚कविता-कहानी संग्रह
📜मेरी कलम से✒️ - जो हुई हम से गलतियाँ दे दो अप & गम की॰ये आँधियाँ दे दो शोख नज़रों को बिजलियाँ दे दो रहा सदा जिनको तरसता झे मस्तियाँ दे दो फिर वही چ ai अदा প্রগঘকনা ஏ रम भरे लब की शोखियाँ दे चाद तारे बिछा दूँ कदमो में अपने दिल कीःतो मर्जियाँ दे दो खताएँ भुला के मेरी तुम 7 गलतियाँ दे दो हुई हम [ पूरी a करेगा मुरादें {  रब ने माँगी है अर्जियाँ दे लक्ष्मण दाचा जो हुई हम से गलतियाँ दे दो अप & गम की॰ये आँधियाँ दे दो शोख नज़रों को बिजलियाँ दे दो रहा सदा जिनको तरसता झे मस्तियाँ दे दो फिर वही چ ai अदा প্রগঘকনা ஏ रम भरे लब की शोखियाँ दे चाद तारे बिछा दूँ कदमो में अपने दिल कीःतो मर्जियाँ दे दो खताएँ भुला के मेरी तुम 7 गलतियाँ दे दो हुई हम [ पूरी a करेगा मुरादें {  रब ने माँगी है अर्जियाँ दे लक्ष्मण दाचा - ShareChat
212 212 212 212 खिलबते - खास की रात होती रहे लज्जते - वस्ल की बात होती रहे तन सेतन का मिलन हो न पाए भले प्यार की बस ये बरसात होती रहे ज़िन्दगी में न हो हिज्र- ए- गम कभी आरजू है , मुलाकात होती रहे जंग ओ इश्क में सब है जायज यहाँ दुश्मनो पर ये आघात होती रहे दिल मे हो बहारें जुबाँ पर ग़ज़ल ओ जहाँ की खिलाफात होती रहे सिलसिला बसयूं चलता रहे उम्रभर उस खुदा की करामात होती रहे ( लक्ष्मण दावानी ✍ ) 27/6/2017 #📚कविता-कहानी संग्रह #शायरी #💝 शायराना इश्क़ #✒ शायरी #📜मेरी कलम से✒️
📚कविता-कहानी संग्रह - आरजू है मुलाकात কীনী ২৪ खास की रात होती रहे खिलबते बात होती रहे वस्ल  की लज्जते तन सेतन का मिलन हो न पाए भले प्यार की बसये बरसात होती रहे ज़िन्दगी में न हो हिज्र- ए॰ गम कभी मुलाकात   होती रहे 8 आरज ् जंग ओ इश्क में सब है जायजू यहाँ ತ9l ये आघात होती रहे पर ज़ दिल मे हो बहारें gqi पर 20 ओ जिहाँ की खिलाफात होती रहे ल सिलसिला बूसयूं चलता रहे उम्रभर उस खुदा की करामात होल रहे ( लक्ष्मण दावानी आरजू है मुलाकात কীনী ২৪ खास की रात होती रहे खिलबते बात होती रहे वस्ल  की लज्जते तन सेतन का मिलन हो न पाए भले प्यार की बसये बरसात होती रहे ज़िन्दगी में न हो हिज्र- ए॰ गम कभी मुलाकात   होती रहे 8 आरज ् जंग ओ इश्क में सब है जायजू यहाँ ತ9l ये आघात होती रहे पर ज़ दिल मे हो बहारें gqi पर 20 ओ जिहाँ की खिलाफात होती रहे ल सिलसिला बूसयूं चलता रहे उम्रभर उस खुदा की करामात होल रहे ( लक्ष्मण दावानी - ShareChat
1212 1122 1212 22/112 है हमको अब भी तेरा इंतजार आ जाओ पुकारती है तुम्हे ये बहार आ जाओ बदल गई है सदी , वक़्त भी बदल चुका बदल सका न जोवो मेरा प्यार आ जाओ किराये का न समझ , तुम कुटीर को मेरी है बोझ दिल पे मेरे जो उतार आ जाओ निशाने पर है लगा तीर दिल पे ये तेरा हुऐ है तीरे नजर के शिकार आ जाओ सताते क्यूँ हो मुहब्बत में अपने तुम यारा कदम कदम पेकी ये जांनिसार आजाओ समाये हो नफ़स बन के मेरे नस नस में कभी लहू की मेरे सुन पुकार आ जाओ कभी समझ न सकेतुम मेरी मुहब्बत को कभी तो कर ले मुझपे ऐतबार आ जाओ ( लक्ष्मण दावानी ✍ ) 23/6/2017 #📜मेरी कलम से✒️ #✒ शायरी #💝 शायराना इश्क़ #शायरी #📚कविता-कहानी संग्रह
📜मेरी कलम से✒️ - कभी लहू की मेरे सुन पुकार आ जाओ है हमको अब भी तेरा इंतजार आ जाओ 46 पुकारती है  तुम्हे आ जाओ ये बहार बदल गई है सदी वक़्त भी बदल चुका बदल सका न जोवो मेरा प्यार आ जाओ को मेरी किराये का न समझ , तुम कुटीर है बोझ दिल पेमेरेजो उतार आ जाओ निशाने परहै लगा तीर दिल पेये तेरा ग तीरे नजरके शिकार आ जाओ हुऐ है सताते क्यूँ हो मुहब्बत में अपने तुम यारा कदम कदम पेकी ये जांनिसार आजाओ ज़ समाये होनफ़स बन के मेरे नस नस में कभी सुन पुकार आ जाओ लहू की मेरे ल कभी समझ न सकेतुम मेरी मुहब्बत को कभी तो कर ले मुझपे ऐतबार आ जाओ ( लक्ष्मण दावानी कभी लहू की मेरे सुन पुकार आ जाओ है हमको अब भी तेरा इंतजार आ जाओ 46 पुकारती है  तुम्हे आ जाओ ये बहार बदल गई है सदी वक़्त भी बदल चुका बदल सका न जोवो मेरा प्यार आ जाओ को मेरी किराये का न समझ , तुम कुटीर है बोझ दिल पेमेरेजो उतार आ जाओ निशाने परहै लगा तीर दिल पेये तेरा ग तीरे नजरके शिकार आ जाओ हुऐ है सताते क्यूँ हो मुहब्बत में अपने तुम यारा कदम कदम पेकी ये जांनिसार आजाओ ज़ समाये होनफ़स बन के मेरे नस नस में कभी सुन पुकार आ जाओ लहू की मेरे ल कभी समझ न सकेतुम मेरी मुहब्बत को कभी तो कर ले मुझपे ऐतबार आ जाओ ( लक्ष्मण दावानी - ShareChat
2122 1212 22/112 बज्म में तेरी आ नही सकता गीत उल्फत के गा नही सकता आरजू कर ली चाँद की मैंने जानता हूँ कि पा नही सकता खिल उठे जिस महकसे घरआँगन फूल मैं घर वो ला नही सकता भोग छप्पन सजे थे थालों में बद नसीबी कि खा नही सकता रास आती नही तेरी महफ़िल पर यूँ भी तो मैं जा नही सकता सब तमन्नाएँ जल रही दिल मे खोल कर दिल दिखा नही सकता ( लक्ष्मण दावानी ✍ ) 25/6/2017 #📚कविता-कहानी संग्रह #शायरी #💝 शायराना इश्क़ #✒ शायरी #📜मेरी कलम से✒️
📚कविता-कहानी संग्रह - फूल घर मे वो ला नही सकता  # 31 नही सकता बण्म गीत उल्फत के गा नही सकता आरजू   कर ली चाँद की मैंने कि पा नही ٤ जानता सकता खिलरहा जिस महकसे घरआँगन फूल घरमे॰वो ला नही सकता ग छप्पन सजे थे थालों में भोग बद नसीबी किखा नही सकता ؟٢ तेरी महफ़िल মী रास 3 नही सकता 5 खसवा वरःजा ल जल रही दिल मे सब तष दिखा नही सकता खोल कर 0 क्ष्मण दावानी फूल घर मे वो ला नही सकता  # 31 नही सकता बण्म गीत उल्फत के गा नही सकता आरजू   कर ली चाँद की मैंने कि पा नही ٤ जानता सकता खिलरहा जिस महकसे घरआँगन फूल घरमे॰वो ला नही सकता ग छप्पन सजे थे थालों में भोग बद नसीबी किखा नही सकता ؟٢ तेरी महफ़िल মী रास 3 नही सकता 5 खसवा वरःजा ल जल रही दिल मे सब तष दिखा नही सकता खोल कर 0 क्ष्मण दावानी - ShareChat