*🌹ज्ञानचंद की लाल टोपी🌹
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*ज्ञानचंद नामक एक जिज्ञासु भक्त था।वह सदैव प्रभुभक्ति में लीन रहता था।रोज सुबह उठकर पूजा- पाठ, ध्यान-भजन करने का उसका नियम था।उसके बाद वह दुकान में काम करने जाता।*
*दोपहर के भोजन के समय वह दुकान बंद कर देता और फिर दुकान नहीं खोलता था,बाकी के समय में वह साधु-संतों को भोजन करवाता, गरीबों की सेवा करता, साधु-संग एवं दान-पुण्य करता।व्यापार में जो भी मिलता उसी में संतोष रखकर प्रभुप्रीति के लिए जीवन बिताता था।*
*उसके ऐसे व्यवहार से लोगों को आश्चर्य होता और लोग उसे पागल समझते।*
*लोग कहतेः "यह तो महामूर्ख है। कमाये हुए सभी पैसों को दान में लुटा देता है। फिर दुकान भी थोड़ी देर के लिए ही खोलता है। सुबह का कमाई करने का समय भी पूजा-पाठ में गँवा देता है। यह पागल ही तो है।"*
*एक बार गाँव के नगरसेठ ने उसे अपने पास बुलाया। उसने एक लाल टोपी बनायी थी।*
*नगरसेठ ने वह टोपी ज्ञानचंद को देते हुए कहा"यह टोपी मूर्खों के लिए है।तेरे जैसा महान् मूर्ख मैंने अभी तक नहीं देखा, इसलिए यह टोपी तुझे पहनने के लिए देता हूँ। इसके बाद यदि कोई तेरे से भी ज्यादा बड़ा मूर्ख दिखे तो तू उसे पहनने के लिए दे देना।*
*ज्ञानचंद शांति से वह टोपी लेकर घर वापस आ गया।एक दिन वह नगर सेठ खूब बीमार पड़ा। ज्ञानचंद उससे मिलने गया और उसकी तबीयत और हालचाल पूछे।*
*नगरसेठ ने कहा - "भाई ! अब तो जाने की तैयारी कर रहा हूँ।"*
*ज्ञानचंद ने पूछाः "कहाँ जाने की तैयारी कर रहे हो? वहाँ आपसे पहले किसी व्यक्ति को सब तैयारी करने के लिए भेजा कि नहीं? आपके साथ आपकी स्त्री, पुत्र,धन,गाड़ी,बंगला वगैरह जायेगा कि नहीं?*
*"भाई ! वहाँ कौन साथ आयेगा? कोई भी साथ नहीं आने वाला है। अकेले ही जाना है।कुटुंब-परिवार, धन-दौलत,महल-गाड़ियाँ सब यहीं पर छोड़कर जाना है।*
*आत्मा-परमात्मा के सिवाय किसी का साथ नहीं रहने वाला है। सेठ के इन शब्दों को सुनकर ज्ञानचंद ने खुद को दी गयी वह लाल टोपी नगरसेठ को वापस देते हुए कहाः "यह लाल टोपी अब आप ही इसे पहनो।"*
*नगरसेठः "क्यों?"*
*ज्ञानचंदः "मुझसे ज्यादा मूर्ख तो आप हैं।जब आपको पता था कि पूरी संपत्ति, मकान, दुकान दुनियादारी आपके साथ नही जाने वाले तब भी आप जीवन भर इसी लालच में लगे रहे और आवश्यकताओं की पूर्ति होने के बाद भी आप और कमाई करने के स्वार्थ में लगे रहे शारीरिक भौतिक इच्छा पूर्तियों में लगे रहे और सद्कर्म नही किये, जरूरतमंदों की सेवा नही की, ईश्वर की भक्ति नही की भजन नही किया, दान नही किया धर्मिक कार्य नही किये धर्म का प्रचार नही किया परलोक जाने की आपने कुछ भी तैयारी नही की अब आप खुद समझ जाइये की सबसे बड़ा मूर्ख कौन है।*
*मंगलमय प्रभात*
*प्रणाम* #❤️Love You ज़िंदगी ❤️ #😇 जीवन की प्रेरणादायी सीख #👫 हमारी ज़िन्दगी #👍 सफलता के मंत्र ✔️ #💔पुराना प्यार 💔
शांतिपूर्ण जीवन के लिए यह
स्वीकार करना परम आवश्यक
है कि जो कुछ भी इस समय
आपके पास है, वहीं सर्वोत्तम
है...
ॐ श्री सूर्यदेवय नमः
🙏🌹🌷🌸💐🌺 #🌸 जय श्री कृष्ण😇 #🌞 Good Morning🌞 #🔱हर हर महादेव #शुभ रविवार #🌅सूर्य देव🙏
🌹पाँच मिनट की डायरी – किस्मत बदलने का आख़िरी अवसर🌹
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राघव एक साधारण इंसान था—न नौकरी में खास तरक्की, न घर में कोई बड़ा सुख-सुविधा। मगर हाँ, शिकायतों की एक लंबी सूची जरूर थी। उसे लगता था कि दुनिया में हर अच्छी चीज उसके पड़ोसी, उसके दोस्तों और उसके रिश्तेदारों के पास ही क्यों जाती है, और वह हमेशा खाली हाथ क्यों रह जाता है।
एक शाम वह बाज़ार से लौट रहा था। ठंडी हवा चल रही थी और रास्ता सुनसान था। तभी उसने देखा—सफेद दाढ़ी वाला, तेज़ चमकती आँखों वाला एक वृद्ध व्यक्ति रास्ते के किनारे बैठा हुआ था। उससे पहले कि राघव कुछ समझ पाता, उस वृद्ध ने धीमी आवाज़ में कहा—
"वत्स, थोड़ा पानी मिलेगा?"
राघव के पास पानी की बोतल थी। बिना सोचे-समझे उसने आगे बढ़कर वृद्ध को पानी दे दिया। वृद्ध ने संतोष से पानी पिया और फिर मुस्कुराए। उनकी मुस्कान में एक अजीब रहस्य था।
"वत्स, क्या तुम जानते हो मैं कौन हूँ?"
राघव ने सिर हिलाया।
वृद्ध ने कहा,
"मैं यम हूँ… आज तुम्हारे प्राण लेने आया था। पर तुमने मेरी प्यास बुझाई, इसलिए मैं तुम्हें अपनी किस्मत बदलने का एक मौका देता हूँ।"
राघव के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। यमराज ने अपने थैले से एक पुरानी सी डायरी निकाली।
"यह डायरी तुम्हारे भविष्य का लेखा है। तुम्हारे पास केवल पाँच मिनट हैं। जो भी तुम इसमें लिखोगे—वही सच हो जाएगा। सोच-समझकर लिखना।"
राघव के हाथ काँपने लगे।
जैसे ही उसने डायरी खोली, पहला पृष्ठ देखकर उसका मन खट्टा हो गया।
“तुम्हारे पड़ोसी की लॉटरी निकलने वाली है।”
वह जल उठा। बिना सोचे उसने तुरंत लिख दिया—
“पड़ोसी की लॉटरी न निकले।”
पृष्ठ पलटा।
“तुम्हारा दोस्त चुनाव जीतने वाला है।”
बस, राघव के भीतर का ईर्ष्यालु मन जाग उठा।
उसने फिर लिख दिया—
“वह चुनाव हार जाए।”
एक-एक पन्ना पलटता गया, और हर पन्ने पर किसी न किसी के अच्छे भाग्य की कहानी थी—कोई नौकरी पाने वाला था, कोई व्यापार में सफल होने वाला था, कोई विदेश जाने वाला था।
राघव के कानों में जैसे एक ही बात गूँज रही थी—
“क्यों सबकी किस्मत चमके? मेरी क्यों नहीं?”
वह हर पन्ने पर दूसरों का भाग्य बदलता गया—एक-एक करके सबका भविष्य बिगाड़ता गया।
उसे याद ही न रहा कि उसके पास केवल पाँच मिनट हैं।
न उसे ये समझ आया कि दूसरों को रोकने से उसकी मंज़िल आगे नहीं आएगी।
आख़िरकार वह पन्ना आया…
जिस पर ऊपर लिखा था:
“यहां तुम्हारी किस्मत लिखना है।”
राघव का दिल तेज़ी से धड़कने लगा।
उसने पेन उठाया ही था कि अचानक—
यमराज ने डायरी उसके हाथ से खींच ली।
राघव घबरा गया, “अरे… अभी तो मैं… मेरे पाँच मिनट तो—”
यमराज शांत स्वर में बोले—
“वत्स, तुम्हारे पाँच मिनट पूरे हो चुके हैं।”
राघव के हाथ सुन्न पड़ गए।
“लेकिन… मैंने तो अपना भाग्य अभी तक लिखा ही नहीं…”
यमराज ने गहरी साँस ली और बोले-तुमने अपना पूरा समय दूसरों का बुरा लिखने में व्यतीत कर दिया।
जो व्यक्ति अपने जीवन का अवसर दूसरों को गिराने में लगा देता है—
वह स्वयं कभी ऊपर नहीं उठ पाता।
आज तुम्हारे प्राण भले ही मैं ले जाऊँ… पर तुम्हारी कहानी हर उस व्यक्ति के लिए सीख है जो ईर्ष्या में अंधा हो जाता है।”
राघव के चेहरे पर पश्चाताप की रेखाएँ उभर आईं।
जीवन भर वह दूसरों की तरक्की देखकर जलता रहा।
और अब, अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण पाँच मिनट भी उसने उसी आग में जला दिए।
यमराज उठे और चलते-चलते बोले—“सच्ची शक्ति वही है जो दूसरों के भले में लगे,
और सच्चा सौभाग्य वही पाता है जो दूसरों के भाग्य पर खुश होना जानता है।”
जैसे-जैसे यमराज दूर जाते गए, राघव समझ गया था—ईर्ष्या का कोई अंत नहीं। लेकिन अच्छाई की एक छोटी-सी चिंगारी भी जीवन बदल सकती है।
शिक्षा
"ईश्वर हमें अवसर देता है, पर उसे सही दिशा देना हमारा काम है।"
"दूसरों को रोककर कोई आगे नहीं बढ़ता।"
"जो दूसरों का भला चाहता है, उसका जीवन स्वयं उजाला बन जाता है।"
मंगलमय प्रभात
प्रणाम #👍 सफलता के मंत्र ✔️ #💔पुराना प्यार 💔 #😇 जीवन की प्रेरणादायी सीख #❤️Love You ज़िंदगी ❤️ #🏡मेरी जीवन शैली
एक समय में एक काम करिए, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दे और बाकी सब कुछ भूल जाइए।इसका मतलब है कि हमें किसी भी काम को पूरी मेहनत और लगन से करना चाहिए, और उस काम में अपनी पूरी आत्मा डाल देनी चाहिए।मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती, धर्म करने से पाप नहीं रहता, मौन रहने से कलह नहीं होता।इसका मतलब है कि मेहनत करने से गरीबी दूर होती है*
🙏जय श्री बजरंगबली जय श्री शनिदेव 🕉️🕉️🕉️ #🔱हर हर महादेव #🌞 Good Morning🌞 #🌸 जय श्री कृष्ण😇 #शुभ शनिवार #शनिदेव
*🌹वस्तु का मूल्य🌹*
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*एक गांव में एक बूढ़ा व्यक्ति रहता था जो वस्तुओं के उपयोग के मामले में बहुत कंजूस था।उन्हें बचा बचा कर उपयोग किया करता था। उसके पास एक चांदी का पात्र था, जिसे वह बहुत संभाल कर रखता था क्योंकि वह उसकी सबसे मूल्यवान वस्तु थी। उसने सोचा हुआ था कि कभी किसी विशेष व्यक्ति के आने पर उसे भोजन कराने के लिए उस पात्र को उपयोग करेगा।*
*एक बार उसके यहां एक संत भोजन पर आए। उसका विचार था कि संत को उस चांदी के पात्र में भोजन परोसेंगे।भोजन का समय आते आते उसका विचार बदल गया। "मेरा पात्र बहुत कीमती है, एक गांव-गांव भटकने के वाले साधू के लिए उसे क्या निकालना!" किसी राजसी व्यक्ति के आने पर यह पात्र इस्तेमाल करूंगा।*
*कुछ दिनों बाद उसके घर राजा का मंत्री भोजन पर आया। पहले उसके मन में विचार आया कि मंत्री को चांदी के पात्र में भोजन कराएंगे लेकिन तुरन्त उसने विचार बदल दिया। "यह तो राजा का मंत्री है, जब राजा स्वयं मेरे घर भोजन करने आएंगे तब कीमती पात्र निकाल लूंगा"।*
*कुछ समय और बीता। एक दिन राजा स्वयं उस के घर भोजन के लिए पधारे। वह राजा अभी कुछ समय पूर्व ही अपने पड़ोसी राजा से युद्ध में हार गए थे और उनके राज्य के कुछ हिस्से पर पड़ोसी राजा ने कब्जा कर लिया था। भोजन परोसते समय बूढ़े व्यक्ति को विचार आया कि अभी-अभी हुई पराजय के कारण राजा का गौरव कम हो गया है। इस कीमती पात्र में तो किसी गौरवशाली व्यक्ति को ही भोजन कराऊंगा।इस तरह उसका पात्र बिना उपयोग के पड़ा रहा।*
*कुछ समय उपरांत बूढ़े व्यक्ति की मृत्यु हो गई। मृत्यु उपरांत एक दिन उसके बेटे को वह पात्र दिखाई दिया जो कि रखे रखे काला पड़ चुका था। उसने वह पात्र अपनी पत्नी को दिखाया पूछा, इसका क्या करें ? वह चांदी का पात्र इतना काला पड़ चुका था कि पहचान में नहीं आ रहा था कि यह चांदी का हो सकता है। उसकी पत्नी मुंह बनाते हुए बोली, "कितना गंदा पात्र है, इसे कुत्ते के भोजन देने के लिए निकाल दो"। उस दिन के बाद से उनका पालतू कुत्ता उस चांदी के बर्तन में भोजन करने लगा।*
*जिस पात्र को बूढ़े व्यक्ति ने जीवन भर किसी विशेष व्यक्ति के लिए संभाल कर रखा था, अंततः उसकी यह गत हुई।*
*शिक्षा : कोई वस्तु कितनी भी मूल्यवान क्यों ना हो, उसका मूल्य तभी है जब वह उपयोग में लाई जाए। बिना उपयोग के बेकार पड़ी कीमती से कीमती वस्तु का भी कोई मूल्य नहीं। इसलिए अपने पास जो भी वस्तुऐं हों उसका यथा समय उपयोग अवश्य करना चाहिए।*
*प्रेरणास्पद कथाएं हेतु जुड़े रहे.., व्हाट्सएप ग्रुप*
*मंगलमय प्रभात*
*स्नेह वंदन*
*प्रणाम* #✍️ जीवन में बदलाव #👍 सफलता के मंत्र ✔️ #❤️Love You ज़िंदगी ❤️ #❤️जीवन की सीख #💔पुराना प्यार 💔
*चराचर जगत की स्वामिनी,
हरिप्रिया ! आपके सतत्
शरणागत हूँ*॥
🙏*आपका दिन शुभ और मंगलमय हो*🙏 #🌸 जय श्री कृष्ण😇 #🌞 Good Morning🌞 #🔱हर हर महादेव #शुभ शुक्रवार #🙏 माँ वैष्णो देवी
*🌹राजा के साथ सम्बन्ध🌹*
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*सुदूर प्रदेश के नयासर गांव में एक चौधरी जी रहते थे। चौधरी जी ने एक दुकानदार के पास पाँच सौ रुपये हिपाजत से संभाल कर रखने के लिये रख दिये... उन्होंने सोचा कि जब बच्ची की शादी होगी, तो पैसा ले लेंगे, थोड़े सालों के बाद जब बच्ची सयानी हो गयी, तो चौधरी जी उस दुकानदार के पास गये और अपने पैसे मांगे तो दुकानदार ने नकार दिया कि आपने कब हमें पैसा दिया था। उसने चौधरी जी से कहा कि क्या हमने कुछ लिखकर दिया है?*
*चौधरी जी इस हरकत से परेशान हो गये और चिन्ता में डूब गये।*
*थोड़े दिन के बाद उन्हें याद आया कि क्यों न राजा से इस बारे में शिकायत कर दें। ताकि वह कुछ फैसला कर दें एवं मेरा पैसा कन्या के विवाह के लिए मिल जाये। वह राजा के पास पहुँचे तथा अपनी फरियाद सुनाई...। राजा ने कहा...। कल हमारी सवारी निकलेगी तुम उस लालाजी की दुकान के पास खड़े रहना।*
*राजा की सवारी निकली...। सभी लोगों ने फूलमालाएँ पहनायीं, किसी ने आरती उतारी।*
*चौधरी जी लालाजी की दुकान के पास खड़े थे। राजा ने कहा - चौधरी जी! आप यहाँ कैसे? आप तो हमारे गुरु हैं? आइये इस बग्घी में बैठ जाइये, लालाजी यह सब देख रहे थे, उन्होंने आरती उतारी, सवारी आगे बढ़ गयी।*
*थोड़ी दूर चलने के बाद राजा ने चौधरी जी को उतार दिया और कहा कि चौधरी जी हमने आपका काम कर दिया। अब आगे आपका भाग्य।*
*उधर लालाजी यह सब देखकर हैरान थे कि चौधरी जी की तो राजा से अच्छी साँठ-गाँठ है। कहीं वह हमारा कबाड़ा न करा दें।*
*लालाजी ने अपने मुनीम को चौधरी जी को ढूँढ़कर लाने को कहा...। चौधरी जी एक पेड़ के नीचे बैठकर कुछ विचार कर रहे थे, मुनीम जी आदर के साथ उन्हें अपने साथ ले गये|*
*लालाजी ने प्रणाम किया और बोले - चौधरी जी! हमने काफी श्रम किया तथा पुराने खाते को देखा...तो पाया कि हमारे खाते में आपका पाँच सौ रुपये जमा है।*
*चौधरी जी दस साल में ब्याज के बारह हजार रुपये हो गये, चौधरी जी आपकी बेटी हमारी बेटी है...अत: एक हजार रुपये आप हमारी तरफ से ले जाइये तथा उसे लड़की की शादी में लगा देना।*
*इस प्रकार लालाजी ने चौधरी जी को तेरह हजार रुपये देकर प्रेम के साथ विदा किया...जब मात्र एक राजा के साथ सम्बंध होने भर से विपदा दूर हो जाती है तो...।*
*हम सब भी अगर इस दुनिया के राजा,भगवान् से अगर अपना सम्बन्ध जोड़ लें...। तो आपकी कोई समस्या, कठिनाई या फिर आपके साथ अन्याय का कोई प्रश्न ही उत्पन्न नही होगा।*
*मंगलमय प्रभात*
*प्रणाम* #❤️जीवन की सीख #💔पुराना प्यार 💔 #😇 जीवन की प्रेरणादायी सीख #👫 हमारी ज़िन्दगी #👍 सफलता के मंत्र ✔️
प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी
रूप में श्रेष्ठ होता है...
इसलिए आपकी श्रेष्ठता को
हृदय से नमस्कार करता हूं....
ॐ श्री लक्ष्मी नारायण
🚩🚩🌻🌻🪷🌻🌻🙏🙏 #🔱हर हर महादेव #🌞 Good Morning🌞 #🌸 जय श्री कृष्ण😇 #शुभ गुरुवार #👏भगवान विष्णु की अद्भुत लीला😇
🌹जमाना🌹
🙏🙏🙏
वो ज़माना और था
कि जब पड़ोसियों के आधे बर्तन हमारे घर और हमारे बर्तन उनके घर मे होते थे।
वो ज़माना और था ..😌
कि जब पड़ोस के घर बेटी पीहर आती थी तो सारे मौहल्ले में रौनक होती थी।
कि जब गेंहूँ साफ करना किटी पार्टी सा हुआ करता था ,
कि जब ब्याह में मेहमानों को ठहराने के लिए होटल नहीं लिए जाते थे,
पड़ोसियों के घर उनके बिस्तर लगाए जाते थे।
वो ज़माना और था...😌
कि जब छतों पर किसके पापड़ और आलू चिप्स सूख रहें है बताना मुश्किल था।
कि जब हर रोज़ दरवाजे पर लगा लेटर बॉक्स टटोला जाता था।
कि जब डाकिये का अपने घर की तरफ रुख मन मे उत्सुकता भर देता था ।
वो ज़माना और था...😌
कि जब रिश्तेदारों का आना,
घर को त्योहार सा कर जाता था।
कि जब आठ मकान आगे रहने वाली माताजी हर तीसरे दिन तोरई भेज देती थीं,
और हमारा बचपन कहता था , कुछ अच्छा नहीं उगा सकती थीं ये।
वो ज़माना और था...😌
कि जब मौहल्ले के सारे बच्चे हर शाम हमारे घर ॐ जय जगदीश हरे गाते .......
और फिर हम उनके घर णमोकार मंत्र गाते ।
कि जब बच्चे के हर जन्मदिन पर महिलाएं बधाईयाँ गाती थीं......और बच्चा गले मे फूलों की माला लटकाए अपने को शहंशाह समझता था।
कि जब भुआ और मामा जाते समय जबरन हमारे हाथों में पैसे पकड़ाते थे,
और बड़े आपस मे मना करने और देने की बहस में एक दूसरे को अपनी सौगन्ध दिया करते थे।
वो ज़माना और था ...😌
कि जब शादियों में स्कूल के लिए खरीदे काले नए चमचमाते जूते पहनना किसी शान से कम नहीं हुआ करता था।
कि जब छुट्टियों में हिल स्टेशन नहीं मामा के घर जाया करते थे....और अगले साल तक के लिए यादों का पिटारा भर के लाते थे।
कि जब स्कूलों में शिक्षक हमारे गुण नहीं हमारी कमियां बताया करते थे।
वो ज़माना और था..😌
कि जब शादी के निमंत्रण के साथ पीले चावल आया करते थे।
कि जब बिना हाथ धोये मटकी छूने की इज़ाज़त नहीं थी।
वो ज़माना और था....😌
कि जब गर्मियों की शामों को छतों पर छिड़काव करना जरूरी हुआ करता था।
कि जब सर्दियों की गुनगुनी धूप में स्वेटर बुने जाते थे और हर सलाई पर नया किस्सा सुनाया जाता था।
कि जब रात में नाख़ून काटना मना था.....जब संध्या समय झाड़ू लगाना बुरा था ।
वो ज़माना और था.....😌
कि जब बच्चे की आँख में काजल और माथे पे नज़र का टीका जरूरी था।
कि जब रातों को दादी नानी की कहानी हुआ करती थी ।
कि जब कजिन नहीं सभी भाई बहन हुआ करते थे ।
वो ज़माना और था....😌
कि जब डीजे नहीं , ढोलक पर थाप लगा करती थी,
कि जब गले सुरीले होना जरूरी नहीं था, दिल खोल कर बन्ने बन्नी गाये जाते थे।
कि जब शादी में एक दिन का महिला संगीत नहीं होता था आठ दस दिन तक गीत गाये जाते थे।
वो ज़माना और था...😌
कि जब बिना AC रेल का लंबा सफर पूड़ी, आलू और अचार के साथ बेहद सुहाना लगता था।
वो ज़माना और था..😌
कि जब चंद खट्टे बेरों के स्वाद के आगे कटीली झाड़ियों की चुभन भूल जाए करते थे।
वो ज़माना और था....😌
कि जब सबके घर अपने लगते थे......बिना घंटी बजाए बेतकल्लुफी से किसी भी पड़ौसी के घर घुस जाया करते थे।
वो ज़माना और था..😌
कि जब पेड़ों की शाखें हमारा बोझ उठाने को बैचेन हुआ करती थी।
कि जब एक लकड़ी से पहिये को लंबी दूरी तक संतुलित करना विजयी मुस्कान देता था।
कि जब गिल्ली डंडा, चंगा पो, सतोलिया और कंचे दोस्ती के पुल हुआ करते थे।
वो ज़माना और था...😌
कि जब हम डॉक्टर को दिखाने कम जाते थे डॉक्टर हमारे घर आते थे,
डॉक्टर साहब का बैग उठाकर उन्हें छोड़ कर आना तहज़ीब हुआ करती थी ।
कि जब इमली और कैरी खट्टी नहीं मीठी लगा करती थी।
वो ज़माना और था...😌
कि जब बड़े भाई बहनों के छोटे हुए कपड़े ख़ज़ाने से लगते थे।
कि जब लू भरी दोपहरी में नंगे पाँव गलियां नापा करते थे।
कि जब कुल्फी वाले की घंटी पर मीलों की दौड़ मंज़ूर थी ।
वो ज़माना और था😌
कि जब मोबाइल नहीं धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सरिता और कादम्बिनी के साथ दिन फिसलते जाते थे।
कि जब TV नहीं प्रेमचंद के उपन्यास हमें कहानियाँ सुनाते थे।
वो ज़माना और था😌
कि जब मुल्तानी मिट्टी से बालों को रेशमी बनाया जाता था ।
कि जब दस पैसे की चूरन की गोलियां ज़िंदगी मे नया जायका घोला करती थी ।
कि जब पीतल के बर्तनों में दाल उबाली जाती थी।
कि जब चटनी सिल पर पीसी जाती थी।
वो ज़माना और था,
वो ज़माना वाकई कुछ और था।
💕💕💕 #👫 हमारी ज़िन्दगी #❤️जीवन की सीख #👍 सफलता के मंत्र ✔️ #❤️Love You ज़िंदगी ❤️ #💔पुराना प्यार 💔
*सदा भवानी दाहिनी सन्मुख
रहें गणेश*॥
*तीन देव रक्षा करें व्रह्मा विष्णु
महेश*॥
🙏*आपका दिन शुभ और मंगलमय हो*🙏 #🌸 जय श्री कृष्ण😇 #🌞 Good Morning🌞 #🔱हर हर महादेव #श्री गणेशजी #📝गणपति भक्ति स्टेटस🌺













