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*🌹जिंदगी का सबक🌹* 🙏🙏🙏 *जीवन के 20 साल हवा की तरह उड़ गए । फिर शुरू हुई नोकरी की खोज । ये नहीं वो, दूर नहीं पास । ऐसा करते करते 2 3 नोकरियाँ छोड़ते एक तय हुई। थोड़ी स्थिरता की शुरुआत हुई।* *फिर हाथ आया पहली तनख्वाह का चेक। वह बैंक में जमा हुआ और शुरू हुआ अकाउंट में जमा होने वाले शून्यों का अंतहीन खेल। 2- 3 वर्ष और निकल गए। बैंक में थोड़े और शून्य बढ़ गए। उम्र 25 हो गयी।* *और फिर विवाह हो गया। जीवन की राम कहानी शुरू हो गयी। शुरू के एक 2 साल गुलाबी, सपनीले गुजरे । हाथो में हाथ डालकर घूमना फिरना, रंग बिरंगे सपने। पर ये दिन जल्दी ही उड़ गए।* *और फिर बच्चे के आने ही आहट हुई। वर्ष भर में पालना झूलने लगा। अब सारा ध्यान बच्चे पर केन्द्रित हो गया। उठना बैठना खाना पीना लाड दुलार ।* *समय कैसे फटाफट निकल गया, पता ही नहीं चला।* *इस बीच कब मेरा हाथ उसके हाथ से निकल गया, बाते करना घूमना फिरना कब बंद हो गया दोनों को पता ही न चला।* *बच्चा बड़ा होता गया। वो बच्चे में व्यस्त हो गयी, मैं अपने काम में । घर और गाडी की क़िस्त, बच्चे की जिम्मेदारी, शिक्षा और भविष्य की सुविधा और साथ ही बैंक में शुन्य बढाने की चिंता। उसने भी अपने आप काम में पूरी तरह झोंक दिया और मेने भी* *इतने में मैं 35 का हो गया। घर, गाडी, बैंक में शुन्य, परिवार सब है फिर भी कुछ कमी है ? पर वो है क्या समझ नहीं आया। उसकी चिड चिड बढती गयी, मैं उदासीन होने लगा।* *इस बीच दिन बीतते गए। समय गुजरता गया। बच्चा बड़ा होता गया। उसका खुद का संसार तैयार होता गया। कब 10वि आई और चली गयी पता ही नहीं चला। तब तक दोनों ही चालीस बयालीस के हो गए। बैंक में शुन्य बढ़ता ही गया।* *एक नितांत एकांत क्षण में मुझे वो गुजरे दिन याद आये और मौका देख कर उस से कहा " अरे जरा यहाँ आओ, पास बैठो। चलो हाथ में हाथ डालकर कही घूम के आते हैं।"* *उसने अजीब नजरो से मुझे देखा और कहा कि "तुम्हे कुछ भी सूझता है यहाँ ढेर सारा काम पड़ा है तुम्हे बातो की सूझ रही है ।"* *कमर में पल्लू खोंस वो निकल गयी।* *तो फिर आया पैंतालिसवा साल, आँखों पर चश्मा लग गया, बाल काला रंग छोड़ने लगे, दिमाग में कुछ उलझने शुरू हो गयी।* *बेटा उधर कॉलेज में था, इधर बैंक में शुन्य बढ़ रहे थे। देखते ही देखते उसका कॉलेज ख़त्म। वह अपने पैरो पे खड़ा हो गया। उसके पंख फूटे और उड़ गया परदेश।* *उसके बालो का काला रंग भी उड़ने लगा। कभी कभी दिमाग साथ छोड़ने लगा। उसे चश्मा भी लग गया। मैं खुद बुढा हो गया। वो भी उमरदराज लगने लगी।* *दोनों पचपन से साठ की और बढ़ने लगे। बैंक के शून्यों की कोई खबर नहीं। बाहर आने जाने के कार्यक्रम बंद होने लगे। *अब तो गोली दवाइयों के दिन और समय निश्चित होने लगे। बच्चे बड़े होंगे तब हम साथ रहेंगे सोच कर लिया गया घर अब बोझ लगने लगा। बच्चे कब वापिस आयेंगे यही सोचते सोचते बाकी के दिन गुजरने लगे।* *एक दिन यूँ ही सोफे पे बेठा ठंडी हवा का आनंद ले रहा था। वो दिया बाती कर रही थी। तभी फोन की घंटी बजी। लपक के फोन उठाया। दूसरी तरफ बेटा था। जिसने कहा कि उसने शादी कर ली और अब परदेश में ही रहेगा।* *उसने ये भी कहा कि पिताजी आपके बैंक के शून्यों को किसी वृद्धाश्रम में दे देना। और आप भी वही रह लेना। कुछ और ओपचारिक बाते कह कर बेटे ने फोन रख दिया।* *मैं पुन: सोफे पर आकर बेठ गया। उसकी भी दिया बाती ख़त्म होने को आई थी। मैंने उसे आवाज दी "चलो आज फिर हाथो में हाथ लेके बात करते हैं "* *वो तुरंत बोली " अभी आई"।* *मुझे विश्वास नहीं हुआ। चेहरा ख़ुशी से चमक उठा।आँखे भर आई। आँखों से आंसू गिरने लगे और गाल भीग गए । अचानक आँखों की चमक फीकी पड़ गयी और मैं निस्तेज हो गया। हमेशा के लिए !!* *उसने शेष पूजा की और मेरे पास आके बैठ गयी "बोलो क्या बोल रहे थे?"* *लेकिन मेने कुछ नहीं कहा। उसने मेरे शरीर को छू कर देखा। शरीर बिलकुल ठंडा पड गया था। मैं उसकी और एकटक देख रहा था।* *क्षण भर को वो शून्य हो गयी।* *" क्या करू ? "* *उसे कुछ समझ में नहीं आया। लेकिन एक दो मिनट में ही वो चेतन्य हो गयी। धीरे से उठी पूजा घर में गयी। एक अगरबत्ती की। इश्वर को प्रणाम किया। और फिर से आके सोफे पे बैठ गयी। *मेरा ठंडा हाथ अपने हाथो में लिया और बोली* *"चलो कहाँ घुमने चलना है तुम्हे ? क्या बातें करनी हैं तुम्हे ?" बोलो !!* *ऐसा कहते हुए उसकी आँखे भर आई !!......* *वो एकटक मुझे देखती रही। आँखों से अश्रु धारा बह निकली। मेरा सर उसके कंधो पर गिर गया। ठंडी हवा का झोंका अब भी चल रहा था।* *क्या ये ही जिन्दगी है ? नहीं ??* *सब अपना नसीब साथ लेके आते हैं इसलिए कुछ समय अपने लिए भी निकालो । जीवन अपना है तो जीने के तरीके भी अपने रखो। शुरुआत आज से करो। क्यूंकि कल कभी नहीं आएगा।.....* *मंगलमय प्रभात* *प्रणाम* #💔पुराना प्यार 💔 #😇 जीवन की प्रेरणादायी सीख #❤️Love You ज़िंदगी ❤️ #👍 सफलता के मंत्र ✔️ #👌 अच्छी सोच👍
💔पुराना प्यार 💔 - happ4 Choughtt 1 Tej Gyn इंसान का सबसे अच्छा दोस्त और आलोचक वह स्वयं है। की राय में दूसरों ঔন: उलझने से पहले अपने भीतर की सच्ची शक्ति को जानकर उसकी आवाज़़ सुनें। happ4 Choughtt 1 Tej Gyn इंसान का सबसे अच्छा दोस्त और आलोचक वह स्वयं है। की राय में दूसरों ঔন: उलझने से पहले अपने भीतर की सच्ची शक्ति को जानकर उसकी आवाज़़ सुनें। - ShareChat
हम जैसे भी हैं तुम्हारे ही है, !!महादेव!! और अपने गुणों अवगुणों सहित तुम्हारे चरणों में समर्पित है .... जय जय श्री त्र्यंबकेश्वर महादेव 🚩🚩🌿🌿🪷🌿🌿🙏🙏 #🌞 Good Morning🌞 #🔱हर हर महादेव #🌸 जय श्री कृष्ण😇 #शुभ सोमवार #🛕बाबा केदारनाथ📿
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*🌹वस्तु का मूल्य🌹* 🙏🙏🙏 *एक गांव में एक बूढ़ा व्यक्ति रहता था जो वस्तुओं के उपयोग के मामले में बहुत कंजूस था।उन्हें बचा बचा कर उपयोग किया करता था। उसके पास एक चांदी का पात्र था, जिसे वह बहुत संभाल कर रखता था क्योंकि वह उसकी सबसे मूल्यवान वस्तु थी। उसने सोचा हुआ था कि कभी किसी विशेष व्यक्ति के आने पर उसे भोजन कराने के लिए उस पात्र को उपयोग करेगा।* *एक बार उसके यहां एक संत भोजन पर आए। उसका विचार था कि संत को उस चांदी के पात्र में भोजन परोसेंगे।भोजन का समय आते आते उसका विचार बदल गया। "मेरा पात्र बहुत कीमती है, एक गांव-गांव भटकने के वाले साधू के लिए उसे क्या निकालना!" किसी राजसी व्यक्ति के आने पर यह पात्र इस्तेमाल करूंगा।* *कुछ दिनों बाद उसके घर राजा का मंत्री भोजन पर आया। पहले उसके मन में विचार आया कि मंत्री को चांदी के पात्र में भोजन कराएंगे लेकिन तुरन्त उसने विचार बदल दिया। "यह तो राजा का मंत्री है, जब राजा स्वयं मेरे घर भोजन करने आएंगे तब कीमती पात्र निकाल लूंगा"।* *कुछ समय और बीता। एक दिन राजा स्वयं उस के घर भोजन के लिए पधारे। वह राजा अभी कुछ समय पूर्व ही अपने पड़ोसी राजा से युद्ध में हार गए थे और उनके राज्य के कुछ हिस्से पर पड़ोसी राजा ने कब्जा कर लिया था। भोजन परोसते समय बूढ़े व्यक्ति को विचार आया कि अभी-अभी हुई पराजय के कारण राजा का गौरव कम हो गया है। इस कीमती पात्र में तो किसी गौरवशाली व्यक्ति को ही भोजन कराऊंगा।इस तरह उसका पात्र बिना उपयोग के पड़ा रहा।* *कुछ समय उपरांत बूढ़े व्यक्ति की मृत्यु हो गई। मृत्यु उपरांत एक दिन उसके बेटे को वह पात्र दिखाई दिया जो कि रखे रखे काला पड़ चुका था। उसने वह पात्र अपनी पत्नी को दिखाया पूछा, इसका क्या करें ? वह चांदी का पात्र इतना काला पड़ चुका था कि पहचान में नहीं आ रहा था कि यह चांदी का हो सकता है। उसकी पत्नी मुंह बनाते हुए बोली, "कितना गंदा पात्र है, इसे कुत्ते के भोजन देने के लिए निकाल दो"। उस दिन के बाद से उनका पालतू कुत्ता उस चांदी के बर्तन में भोजन करने लगा।* *जिस पात्र को बूढ़े व्यक्ति ने जीवन भर किसी विशेष व्यक्ति के लिए संभाल कर रखा था, अंततः उसकी यह गत हुई।* *शिक्षा : कोई वस्तु कितनी भी मूल्यवान क्यों ना हो, उसका मूल्य तभी है जब वह उपयोग में लाई जाए। बिना उपयोग के बेकार पड़ी कीमती से कीमती वस्तु का भी कोई मूल्य नहीं। इसलिए अपने पास जो भी वस्तुऐं हों उसका यथा समय उपयोग अवश्य करना चाहिए।* *प्रेरणास्पद कथाएं हेतु जुड़े रहे.., व्हाट्सएप ग्रुप* *मंगलमय प्रभात* *स्नेह वंदन* *प्रणाम* #😇 जीवन की प्रेरणादायी सीख #👍 सफलता के मंत्र ✔️ #✍ आदर्श कोट्स #👌 अच्छी सोच👍 #👌 आत्मविश्वास
😇 जीवन की प्रेरणादायी सीख - happy| Choughcr  The Le] ৬van  लिए जब हम किसी के सद्भावना रखते हैं लिए ब्रह्मांड भी हमारे नई संभावनाएँ खोलता है। करुणा का यह चक्र हमेशा सक्रिय रहकर, हमें आंतरिक शक्ति प्रदान करता है। happy| Choughcr  The Le] ৬van  लिए जब हम किसी के सद्भावना रखते हैं लिए ब्रह्मांड भी हमारे नई संभावनाएँ खोलता है। करुणा का यह चक्र हमेशा सक्रिय रहकर, हमें आंतरिक शक्ति प्रदान करता है। - ShareChat
🌺 *ॐ घृणि सूर्य भाष्कराय नमः*🌺 *"उदिता सूर्य: ताम्र: ताम्रमेवास्तिमेव च*!! *सम्पत्तौ विपत्तौ च महत्ताम एक रूपताम"*!! 🙏 *सूर्यदेवजी उदय और अस्त के समय ताम्र वर्ण के होते हैं ठीक उसी प्रकार महान व्यक्ति संपत्ति और विपत्ति के समय एक ही भाव में रहते हैं*।। 🌺 *आपका दिन शुभ हो*🌺 #🌸 जय श्री कृष्ण😇 #🔱हर हर महादेव #🌞 Good Morning🌞 #शुभ रविवार #🌅सूर्य देव🙏
🌸 जय श्री कृष्ण😇 - प्वगवानसूर्यदेवताक्हवैहे= अगरजीवन में उजाला चाहिए तीपहलेधपधीतरका्थयकार जिलानासीखो।" গঁঠ চষ্লুফনিব্রাত্রী লং; Raeh Saum प्वगवानसूर्यदेवताक्हवैहे= अगरजीवन में उजाला चाहिए तीपहलेधपधीतरका्थयकार जिलानासीखो।" গঁঠ চষ্লুফনিব্রাত্রী লং; Raeh Saum - ShareChat
*🌹समय सीमा🌹* 🙏🙏🙏 *एक धन सम्पन्न व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ रहता था। पर कालचक्र के प्रभाव से धीरे धीरे वह कंगाल हो गया।* *उस की पत्नी ने कहा कि सम्पन्नता के दिनों में तो राजा के यहाँ आपका अच्छा आना जाना था। क्या विपन्नता में वे हमारी मदद नहीं करेंगे जैसे श्रीकृष्ण ने सुदामा की की थी!* *पत्नी के कहने से वह भी सुदामा की तरह राजा के पास गया। द्वारपाल ने राजा को संदेश दिया कि एक निर्धन व्यक्ति आपसे मिलना चाहता है और स्वयं को आपका मित्र बताता है।* *राजा भी श्रीकृष्ण की तरह मित्र का नाम सुनते ही दौड़े चले आए और मित्र को इस हाल में देखकर द्रवित होकर बोले कि मित्र बताओ, मैं तुम्हारी क्या सहायता कर सकता हूँ?* *मित्र ने सकुचाते हुए अपना हाल कह सुनाया।* *चलो, मै तुम्हें अपने रत्नों के खजाने में ले चलता हूँ। वहां से जी भरकर अपनी जेब में रत्न भर कर ले जाना। पर तुम्हें केवल 3 घंटे का समय ही मिलेगा। यदि उससे अधिक समय लोगे तो तुम्हें खाली हाथ बाहर आना पड़ेगा।* *ठीक है, चलो। व्यक्ति ने कहा और राजा के साथ चल पड़ा।* *वह व्यक्ति रत्नों का भंडार और उनसे निकलने वाले प्रकाश की चकाचौंध देखकर हैरान हो गया। पर समय सीमा को देखते हुए उसने भरपूर रत्न अपनी जेब में भर लिए। जब वह बाहर आने लगा तो उसने देखा कि दरवाजे के पास रत्नों से बने छोटे छोटे खिलौने रखे थे जो बटन दबाने पर तरह तरह के खेल दिखाते थे। उसने सोचा कि अभी तो समय बाकी है, क्यों न थोड़ी देर इनसे खेल लिया जाए?* *पर यह क्या? वह तो खिलौनों के साथ खेलने में इतना मग्न हो गया कि समय का भान ही नहीं रहा।* *उसी समय घंटी बजी जो समय सीमा समाप्त होने का संकेत था और वह निराश होकर खाली हाथ ही बाहर आ गया।* *राजा ने कहा- मित्र, निराश होने की आवश्यकता नहीं है। चलो, मैं तुम्हें अपने स्वर्ण के खजाने में ले चलता हूँ। वहां से जी भरकर सोना अपने थैले में भर कर ले जाना। पर समय सीमा का ध्यान रखना।* *ठीक है, चलो। व्यक्ति ने कहा और राजा के साथ चल पड़ा।* *उसने देखा कि वह कक्ष भी सुनहरे प्रकाश से जगमगा रहा था। उसने शीघ्रता से अपने थैले में सोना भरना प्रारम्भ कर दिया। तभी उसकी नजर एक घोड़े पर पड़ी जिसे सोने की काठी से सजाया गया था।* *अरे! यह तो वही घोड़ा है जिस पर बैठ कर मैं राजा साहब के साथ घूमने जाया करता था।* *वह उस घोड़े के निकट गया, उस पर हाथ फिराया और कुछ समय के लिए उस पर सवारी करने की इच्छा से उस पर बैठ गया।* *पर यह क्या? समय सीमा समाप्त हो गई और वह अभी तक सवारी का आनन्द ही ले रहा था।* *उसी समय घंटी बजी जो समय सीमा समाप्त होने का संकेत था और वह घोर निराश होकर खाली हाथ ही बाहर आ गया।* *राजा ने कहा- मित्र, निराश होने की आवश्यकता नहीं है। चलो, मैं तुम्हें अपने रजत के खजाने में ले चलता हूँ। वहां से जी भरकर चाँदी अपने ढोल में भर कर ले जाना। पर समय सीमा का ध्यान अवश्य रखना।* *ठीक है, चलो। व्यक्ति ने कहा और राजा के साथ चल पड़ा।* *उसने देखा कि वह कक्ष भी चाँदी की धवल आभा से शोभायमान था।* *उसने अपने ढोल में चाँदी भरनी आरम्भ कर दी।* *इस बार उसने तय किया कि वह समय सीमा से पहले कक्ष से बाहर आ जाएगा। पर समय तो अभी बहुत बाकी था। दरवाजे के पास चाँदी से बना एक छल्ला टंगा हुआ था। साथ ही एक नोटिस लिखा हुआ था कि इसे छूने पर उलझने का डर है। यदि उलझ भी जाओ तो दोनों हाथों से सुलझाने की चेष्टा बिल्कुल न करना।* *उसने सोचा कि ऐसी उलझने वाली बात तो कोई दिखाई नहीं देती।* *बहुत कीमती होगा तभी बचाव के लिए लिख दिया होगा। देखते हैं कि क्या माजरा है!* *बस! फिर क्या था। हाथ लगाते ही वह तो ऐसा उलझा कि पहले तो एक हाथ से सुलझाने की कोशिश करता रहा। जब सफलता न मिली तो दोनों हाथों से सुलझाने लगा।* *पर सुलझा न सका और उसी समय घंटी बजी जो समय सीमा समाप्त होने का संकेत था और वह निराश होकर खाली हाथ ही बाहर आ गया।* *राजा ने कहा- मित्र*, *कोई बात नहीं*। *निराश होने की आवश्यकता नहीं है। अभी तांबे का खजाना बाकी है।* *चलो, मैं तुम्हें अपने तांबे के खजाने में ले चलता हूँ। वहां से जी भरकर तांबा अपने बोरे में भर कर ले जाना। पर समय सीमा का ध्यान रखना।* *ठीक है,चलो। व्यक्ति ने कहा और राजा के साथ चल पड़ा।* *जाते हुए वह यही सोच रहा था कि मैं तो जेब में रत्न भरने आया था और बोरे में तांबा भरने की नौबत आ गई। थोड़े तांबे से तो काम नहीं चलेगा। उसने कई बोरे तांबे के भर लिए।* *लेकिन भरते भरते उसकी कमर दुखने लगी लेकिन फिर भी वह काम में लगा रहा। विवश होकर उसने आसपास सहायता के लिए देखा।* *एक पलंग बिछा हुआ दिखाई दिया। उस पर सुस्ताने के लिए थोड़ी देर लेटा तो नींद आ गई और अंत में वहाँ से भी खाली हाथ बाहर निकाल दिया गया।* *मोरल ऑफ़ द स्टोरी* *क्या इसी प्रकार हम भी अपने जीवन में अपने साथ कुछ नहीं ले जा पाएंगे? बचपन खिलौनों के साथ खेलने में, जवानी विवाह के आकर्षण में और गृहस्थी की उलझन में बिता दी। बुढ़ापे में जब कमर दुखने लगी तो पलंग के सिवा कुछ दिखा नहीं।* *और* *समय सीमा समाप्त होने की घंटी बजने वाली है....* *ऐसी ही प्रेरणास्पद कथायें संस्कारित कहानियां पढ़ने के लिये जुड़े रहे* *मंगलमय प्रभात* *स्नेह वंदन* *प्रणाम* #💔पुराना प्यार 💔 #👍 सफलता के मंत्र ✔️ #❤️Love You ज़िंदगी ❤️ #👌 आत्मविश्वास #☝अनमोल ज्ञान
💔पुराना प्यार 💔 - happ4 Choughtr  Tr TriOyn' लिए जब हम किसी के सद्भावना रखते हैं ब्रह्मांड भी हमारे लिए नई संभावनाएँ खोलता है। करुणा का यह चक्र हमेशा सक्रिय रहकर, हमें आंतरिक शक्ति प्रदान करता है। happ4 Choughtr  Tr TriOyn' लिए जब हम किसी के सद्भावना रखते हैं ब्रह्मांड भी हमारे लिए नई संभावनाएँ खोलता है। करुणा का यह चक्र हमेशा सक्रिय रहकर, हमें आंतरिक शक्ति प्रदान करता है। - ShareChat
🙏ॐ शं शनैश्चराय नमः🙏 आपका आज का दिवस शुभ एवं मंगलमय हो, भगवान सूर्यदेव के पुत्र परम बलशाली भगवान शनिदेव महाराज एवम् श्री हनुमानजी आपकी समस्त कामनाओं की पूर्ति करें और हम सभी का सदा कल्याण करें.. जय शनिदेव जय हनुमान 🌺🌸💐🌹🙏 #🌞 Good Morning🌞 #🌸 जय श्री कृष्ण😇 #🔱हर हर महादेव #शुभ शनिवार #✋भगवान भैरव🌸
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ॐ मां लक्ष्मी नमः श्री लक्ष्मी नारायण नमः ॐ श्रीं हरिंग श्री कमले कमलालए प्रसिद्द प्रसिद्द श्रीं ह्रिं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नमः शुभ शुक्रवार 🚩🚩🌺🌺🪷🌺🌺🙏🙏 #🔱हर हर महादेव #🌸 जय श्री कृष्ण😇 #🌞 Good Morning🌞 #महालक्ष्मी #🙏माँ लक्ष्मी महामंत्र🌺
🔱हर हर महादेव - 11:34 0 Vo) .ill 63% 0 You ೧ 28, November 11.56 AM 28.11.2025 ऊँ माँ लक्ष्मी नमः Read more Reply 11:34 0 Vo) .ill 63% 0 You ೧ 28, November 11.56 AM 28.11.2025 ऊँ माँ लक्ष्मी नमः Read more Reply - ShareChat
🌹शब्दों की चोट और नाम का चमत्कार🌹 🙏🙏🙏 स्वामी विवेकानंद अपने प्रभावपूर्ण प्रवचन में “भगवान के नाम की महिमा” समझा रहे थे और श्रोता भावविभोर होकर सुन रहे थे, तभी भीड़ में से एक व्यक्ति अचानक खड़ा हो गया। वह अपने को बड़ा तर्कशील मानता था। उसने कहा—“स्वामी जी, नाम, शब्द—इन सब में क्या रखा है? इन्हें कह देने से क्या लाभ?” स्वामी जी ने शांत भाव से उसे समझाया कि शब्द मात्र ध्वनि नहीं, शक्ति होते हैं, पर वह व्यक्ति हर बात पर कुतर्क किए जा रहा था। अंत में स्वामी जी ने उसे देखकर मुस्कुराते हुए कहा—“तुम मूर्ख हो, नासमझ हो, बेवकूफ हो… ऐसे कुतर्क केवल नालायक लोग ही करते हैं।” यह सुनते ही वह तथाकथित तर्कशील व्यक्ति भड़क उठा। बोला—“स्वामी जी! आप जैसे महान संन्यासी के मुख से ऐसे वचन शोभा नहीं देते। आपके शब्दों से मुझे गहरी चोट पहुँची है!” उसकी बात सुनकर स्वामी जी ज़ोर से हँस दिए। पूरी सभा आश्चर्य में पड़ गई—ये कैसा हास्य? स्वामी जी ने गंभीरता से कहा—“बंधु! मैं तो केवल शब्द बोल रहा था। आपने स्वयं ही कहा था न—‘शब्दों में क्या रखा है’? मैंने कोई पत्थर तो नहीं मारा, फिर इतनी चोट कैसी?” उसका क्रोध पल भर में शांत हो गया। उसे अपनी भूल समझ में आ गई। वह हाथ जोड़कर बोला—“स्वामी जी, मुझे आपको बीच में रोकना नहीं चाहिए था। अब समझ आया कि शब्दों में कितनी शक्ति होती है।” सभा में बैठे सभी लोग भी सकपका गए—अभी-अभी उन्होंने शब्दों की वास्तविक ताकत देखी थी। अपशब्द मनुष्य को जला सकते हैं और स्नेहभरे शब्द अमृत बनकर मन को शीतल कर सकते हैं। यही तो स्वामी जी समझा रहे थे कि जब एक कठोर शब्द किसी को तड़पा सकता है, तो भक्ति का नाम, प्रेम का शब्द, ईश्वर का स्मरण क्यों नहीं हृदय को ऊँचा कर सकता? शब्द वह दीपक है जो चाहे तो भीतर के अंधकार—क्रोध, अहंकार, भ्रम—सबको उजागर कर बाहर निकाल दे, और चाहे तो भक्ति का प्रकाश भीतर प्रज्वलित कर दे। शक्ति शब्द में है, पर दिशा देने वाला मनुष्य स्वयं है—कौन से शब्दों को अपनाना है: वे जो भीतर आग जलाएँ, या वे जो आत्मा में शांति और श्रद्धा भर दें। इसलिए स्वामी जी ने कहा था—“नाम में सब कुछ है,” क्योंकि शब्द केवल बोला हुआ उच्चारण नहीं, मन की तरंग, हृदय की ऊर्जा और आत्मा की पुकार होते हैं—चाहे वह प्रेम जगाएँ या विकार। अन्ततः पूरा विधान यही है कि वाणी मनुष्य का सबसे बड़ा हथियार भी है और सबसे शुभ वरदान भी—वह चाहकर किसी को गिरा सकता है, और चाहकर किसी को उबार सकता है। शिक्षा: अपशब्द मन को घायल कर देते हैं, इसलिए वाणी पर नियंत्रण ही सबसे बड़ा सद्गुण है। प्रेम, भक्ति और सद्भाव से भरे शब्द हर हृदय में प्रकाश जगा देते हैं। मंगलमय प्रभात प्रणाम #👍 सफलता के मंत्र ✔️ #❤️Love You ज़िंदगी ❤️ #😇 जीवन की प्रेरणादायी सीख #☝अनमोल ज्ञान #👍मोटिवेशनल कोट्स✌
👍 सफलता के मंत्र ✔️ - n वर्तमान में रहना क्यों जरूरी है जो बर्तमान में जीते हैं उनके मस्तिष्क ्में विचारों का कोलाहल नहीं होता। उनका जीवन लगभग खाली स्लेट की तरह होता है। जिस परबे उज्ज्चल भविष्य की रचना लिख सकते हैं। n वर्तमान में रहना क्यों जरूरी है जो बर्तमान में जीते हैं उनके मस्तिष्क ्में विचारों का कोलाहल नहीं होता। उनका जीवन लगभग खाली स्लेट की तरह होता है। जिस परबे उज्ज्चल भविष्य की रचना लिख सकते हैं। - ShareChat
*अंतरात्मा के अंधकार को प्रकाश के सन्मुख करने वाली माँ, सरस्वतीजी की चरण वंदना*॥ आपका दिन शुभ हो*🙏🌺🙏 #🌞 Good Morning🌞 #🌸 जय श्री कृष्ण😇 #🔱हर हर महादेव #शुभ शुक्रवार #🙏माँ लक्ष्मी महामंत्र🌺
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🌹तलाक🌹 🙏🙏🙏 कल रात एक ऐसा वाकया हुआ जिसने मेरी ज़िन्दगी के कई पहलुओं को छू लिया. करीब 7 बजे होंगे, शाम को मोबाइल बजा । उठाया तो उधर से रोने की आवाज... मैंने शांत कराया और पूछा कि भाभीजी आखिर हुआ क्या ? उधर से आवाज़ आई.. आप कहाँ हैं??? और कितनी देर में आ सकते हैं ? मैंने कहा:- "आप परेशानी बताइये"। और "भाई साहब कहाँ हैं...?माताजी किधर हैं..?" "आखिर हुआ क्या...?" लेकिन उधर से केवल एक रट कि "आप आ जाइए", मैंने आश्वाशन दिया कि कम से कम एक घंटा पहुंचने में लगेगा. जैसे तैसे पूरी घबड़ाहट में पहुँचा;देखा तो भाई साहब [हमारे मित्र जो जज हैं] सामने बैठे हुए हैं;भाभीजी रोना चीखना कर रही हैं 12 साल का बेटा भी परेशान है; 9 साल की बेटी भी कुछ नहीं कह पा रही है। मैंने भाई साहब से पूछा कि "आखिर क्या बात है" "भाई साहब कोई जवाब नहीं दे रहे थे ". फिर भाभी जी ने कहा ये देखिये तलाक के पेपर, ये कोर्ट से तैयार करा के लाये हैं, मुझे तलाक देना चाहते हैं, मैंने पूछा - ये कैसे हो सकता है???. इतनी अच्छी फैमिली है. 2 बच्चे हैं. सब कुछ सेटल्ड है."प्रथम दृष्टि में मुझे लगा ये मजाक है".लेकिन मैंने बच्चों से पूछा दादी किधर है,बच्चों ने बताया पापा ने उन्हें 3 दिन पहले नोएडा के वृद्धाश्रम में शिफ्ट कर दिया है.मैंने घर के नौकर से कहा। मुझे और भाई साहब को चाय पिलाओ; कुछ देर में चाय आई. भाई साहब को बहुत कोशिशें कीं चाय पिलाने की. लेकिन उन्होंने नहीं पी और कुछ ही देर में वो एक "मासूम बच्चे की तरह फूटफूट कर रोने लगे "बोले मैंने 3 दिन से कुछ भी नहीं खाया है. मैं अपनी 61 साल की माँ को कुछ लोगों के हवाले करके आया हूँ. पिछले साल से मेरे घर में उनके लिए इतनी मुसीबतें हो गईं कि पत्नी (भाभीजी) ने कसम खा ली. कि "मैं माँ जी का ध्यान नहीं रख सकती"ना तो ये उनसे बात करती थी और ना ही मेरे बच्चे बात करते थे. रोज़ मेरे कोर्ट से आने के बाद माँ खूब रोती थी. नौकर तक भी अपनी मनमानी से व्यवहार करते थे माँ ने 10 दिन पहले बोल दिया.. बेटा तू मुझे ओल्ड ऐज होम में शिफ्ट कर दे.मैंने बहुत कोशिशें कीं पूरी फैमिली को समझाने की, लेकिन किसी ने माँ से सीधे मुँह बात नहीं की.जब मैं 2 साल का था तब पापा की मृत्यु हो गई थी दूसरों के घरों में काम करके "मुझे पढ़ाया. मुझे इस काबिल बनाया कि आज मैं जज हूँ". लोग बताते हैं माँ कभी दूसरों के घरों में काम करते वक़्त भी मुझे अकेला नहीं छोड़ती थीं.उस माँ को मैं ओल्ड ऐज होम में शिफ्ट करके आया हूँ. पिछले 3 दिनों से मैं अपनी माँ के एक-एक दुःख को याद करके तड़प रहा हूँ,जो उसने केवल मेरे लिए उठाये। मुझे आज भी याद है जब.. "मैं 10th की परीक्षा में अपीयर होने वाला था. माँ मेरे साथ रात रात भर बैठी रहती". एक बार माँ को बहुत फीवर हुआ मैं तभी स्कूल से आया था. उसका शरीर गर्म था, तप रहा था. मैंने कहा माँ तुझे फीवर है हँसते हुए बोली अभी खाना बना रही थी इसलिए गर्म है. लोगों से उधार माँग कर मुझे दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी तक पढ़ाया. मुझे ट्यूशन तक नहीं पढ़ाने देती थीं कि कहीं मेरा टाइम ख़राब ना हो जाए. कहते-कहते रोने लगे..और बोले--"जब ऐसी माँ के हम नहीं हो सके तो हम अपने बीबी और बच्चों के क्या होंगे". हम जिनके शरीर के टुकड़े हैं,आज हम उनको ऐसे लोगों के हवाले कर आये, "जो उनकी आदत, उनकी बीमारी, उनके बारे में कुछ भी नहीं जानते",जब मैं ऐसी माँ के लिए कुछ नहीं कर सकता तो "मैं किसी और के लिए भला क्या कर सकता हूँ". आज़ादी अगर इतनी प्यारी है और माँ इतनी बोझ लग रही हैं, तो मैं पूरी आज़ादी देना चाहता हूँ जब मैं बिना बाप के पल गया तो ये बच्चे भी पल जाएंगे. इसीलिए मैं तलाक देना चाहता हूँ। सारी प्रॉपर्टी इन लोगों के हवाले करके उस ओल्ड ऐज होम में रहूँगा. कम से कम मैं माँ के साथ रह तो सकता हूँ। और अगर इतना सब कुछ कर के "माँ आश्रम में रहने के लिए मजबूर है", तो एक दिन मुझे भी आखिर जाना ही पड़ेगा. माँ के साथ रहते-रहते आदत भी हो जायेगी. माँ की तरह तकलीफ तो नहीं होगी. जितना बोलते उससे भी ज्यादा रो रहे थे. बातें करते करते रात के 12:30 हो गए। मैंने भाभीजी के चेहरे को देखा. उनके भाव भी प्रायश्चित्त और ग्लानि से भरे हुए थे; मैंने ड्राईवर से कहा अभी हम लोग नोएडा जाएंगे। भाभीजी और बच्चे हम सारे लोग नोएडा पहुँचे. बहुत ज़्यादा रिक्वेस्ट करने पर गेट खुला. भाई साहब ने उस गेटकीपर के पैर पकड़ लिए, बोले मेरी माँ है, मैं उसको लेने आया हूँ,चौकीदार ने कहा क्या करते हो साहब,भाई साहब ने कहा मैं जज हूँ, उस चौकीदार ने कहा:-"जहाँ सारे सबूत सामने हैं तब तो आप अपनी माँ के साथ न्याय नहीं कर पाये,औरों के साथ क्या न्याय करते होंगे साहब"। इतना कहकर हम लोगों को वहीं रोककर वह अन्दर चला गया.अन्दर से एक महिला आई जो वार्डन थी. उसने बड़े कातर शब्दों में कहा:-"2 बजे रात को आप लोग ले जाके कहीं मार दें, तो मैं अपने ईश्वर को क्या जबाब दूंगी..?" मैंने सिस्टर से कहा आप विश्वास करिये. ये लोग बहुत बड़े पश्चाताप में जी रहे हैं. अंत में किसी तरह उनके कमरे में ले गईं. कमरे में जो दृश्य था, उसको कहने की स्थिति में मैं नहीं हूँ. केवल एक फ़ोटो जिसमें पूरी फैमिली है और वो भी माँ जी के बगल में, जैसे किसी बच्चे को सुला रखा है.मुझे देखीं तो उनको लगा कि बात न खुल जाए लेकिन जब मैंने कहा हम लोग आप को लेने आये हैं, तो पूरी फैमिली एक दूसरे को पकड़ कर रोने लगी आसपास के कमरों में और भी बुजुर्ग थे सब लोग जाग कर बाहर तक ही आ गए. उनकी भी आँखें नम थीं कुछ समय के बाद चलने की तैयारी हुई. पूरे आश्रम के लोग बाहर तक आये. किसी तरह हम लोग आश्रम के लोगों को छोड़ पाये. सब लोग इस आशा से देख रहे थे कि शायद उनको भी कोई लेने आए, रास्ते भर बच्चे और भाभी जी तो शान्त रहे....... लेकिन भाई साहब और माताजी एक दूसरे की भावनाओं को अपने पुराने रिश्ते पर बिठा रहे थे.घर आते-आते करीब 3:45 हो गया. भाभीजी भी अपनी ख़ुशी की चाबी कहाँ है; ये समझ गई थी मैं भी चल दिया. लेकिन रास्ते भर वो सारी बातें और दृश्य घूमते रहे. "माँ केवल माँ है" उसको मरने से पहले ना मारें. माँ हमारी ताकत है उसे बेसहारा न होने दें , अगर वह कमज़ोर हो गई तो हमारी संस्कृति की "रीढ़ कमज़ोर" हो जाएगी , बिना रीढ़ का समाज कैसा होता है किसी से छुपा नहीं अगर आपकी परिचित परिवार में ऐसी कोई समस्या हो तो उसको ये जरूर पढ़ायें, बात को प्रभावी ढंग से समझायें , कुछ भी करें लेकिन हमारी जननी को बेसहारा बेघर न होने दें, अगर माँ की आँख से आँसू गिर गए तो "ये क़र्ज़ कई जन्मों तक रहेगा", यकीन मानना सब होगा तुम्हारे पास पर "सुकून नहीं होगा" , सुकून सिर्फ माँ के आँचल में होता है उस आँचल को बिखरने मत देना। मंगलमय प्रभात प्रणाम #💔पुराना प्यार 💔 #😇 जीवन की प्रेरणादायी सीख #❤️Love You ज़िंदगी ❤️ #👍 सफलता के मंत्र ✔️ #✍️ जीवन में बदलाव
💔पुराना प्यार 💔 - hapgu Tl Te Gya गुरु एक ऐसे विराम हैं, जहाँ ज्ञान ठहरता है और अहंकार मिटता है। वे हमें केवल सत्य का ज्ञान ही नहीं देते बल्कि उसका अनुभव करना भी सिखाते हैं। hapgu Tl Te Gya गुरु एक ऐसे विराम हैं, जहाँ ज्ञान ठहरता है और अहंकार मिटता है। वे हमें केवल सत्य का ज्ञान ही नहीं देते बल्कि उसका अनुभव करना भी सिखाते हैं। - ShareChat