Shyamnandan Kumar
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#📗प्रेरक पुस्तकें📘 #✍मेरे पसंदीदा लेखक #📚कविता-कहानी संग्रह #✍प्रेमचंद की कहानियां #❤️जीवन की सीख
📗प्रेरक पुस्तकें📘 - रोआवल उनके ह उनके हँसावल ह हे नवसिखिया के प्यार सिखावल ह उनके जब धनी गुलजार भइल जिनगी अइली मारे खातिर नज़र बेकरार भइल जिनगी सिहरल यादन से उनका तन q पहिला बार भरसक बेमार भइल जिनगी मन के कवनो कोना मे कहीं ना कहीं प्रित  के दिया 37 जरावल ೯ रोआवल ह हँसावल उनके उनके ह हे नवसिखिया के प्यार सिखावल ह उनके रोआवल उनके ह उनके हँसावल ह हे नवसिखिया के प्यार सिखावल ह उनके जब धनी गुलजार भइल जिनगी अइली मारे खातिर नज़र बेकरार भइल जिनगी सिहरल यादन से उनका तन q पहिला बार भरसक बेमार भइल जिनगी मन के कवनो कोना मे कहीं ना कहीं प्रित  के दिया 37 जरावल ೯ रोआवल ह हँसावल उनके उनके ह हे नवसिखिया के प्यार सिखावल ह उनके - ShareChat
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✍प्रेमचंद की कहानियां - चलीं ना आज कुछ नाया कइल जाव बिलकुल ना जाया कइल जाव সময दोसरा ला नेह-्छोह अब ढ़ेरे बा भइल आज तनी खुद पर दाया कइल जाव हर जगहा पड़त बा, नफ़रत के छिंटा मिल के मुहब्बत के छाया कइल जाव कपट से केहू के, का बिगाड़ लेब  रउवा द्वेष से ढ़ेर दूर आपन काया कइल जाव सगरी रिश्ता बाटे, बस सांस के बले केकर आपन होखे के दावा कइल जाव टूट जाई,फूट जाई,हाथ से सब छूट जाई बाटे आपन का, कि देखावा   कइल जाव चलीं ना आज कुछ नाया कइल जाव बिलकुल ना जाया कइल जाव সময दोसरा ला नेह-्छोह अब ढ़ेरे बा भइल आज तनी खुद पर दाया कइल जाव हर जगहा पड़त बा, नफ़रत के छिंटा मिल के मुहब्बत के छाया कइल जाव कपट से केहू के, का बिगाड़ लेब  रउवा द्वेष से ढ़ेर दूर आपन काया कइल जाव सगरी रिश्ता बाटे, बस सांस के बले केकर आपन होखे के दावा कइल जाव टूट जाई,फूट जाई,हाथ से सब छूट जाई बाटे आपन का, कि देखावा   कइल जाव - ShareChat
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✍मेरे पसंदीदा लेखक - ये #इंसा है केवल चमन देखता है, सरेराह बेपर्दा #तन देखता है। #पुजारी हुआ जा रहा है, हवस का #कली में भी कमसिन बदन देखता है। जलालत की #हद से गिरा इतना नीचे, कि मय्यत पे बेहतर #कफन देखता है। भरी है दिमागों में क्या #गंदगी सी, ना माँ-बाप #भाई_ बहन देखता है। की ख्वाहिश में #रिश्ते _ भुलाकर, बुलंदी मुकद्दर का अपने #वजन देखता है। ख़ुदी में हुआ #चूर इतना, कहें क्या, पड़ोसी के #घर को ' रहन' देखता है। नहीं "तेज" का #खौफ़ रखता , तूफानों नहीं वक्त की ये #चुभन देखता है। #दुश्मनों सा, हर इक शख्स इसको लगे फ़िजाओं में भी ये #जलन देखता है। हवस की #हनक का हुनर इसमें उम्दा, जमाने को #खुद_ सा_ नगन देखता है। ये #इंसा है केवल चमन देखता है, सरेराह बेपर्दा #तन देखता है। #पुजारी हुआ जा रहा है, हवस का #कली में भी कमसिन बदन देखता है। जलालत की #हद से गिरा इतना नीचे, कि मय्यत पे बेहतर #कफन देखता है। भरी है दिमागों में क्या #गंदगी सी, ना माँ-बाप #भाई_ बहन देखता है। की ख्वाहिश में #रिश्ते _ भुलाकर, बुलंदी मुकद्दर का अपने #वजन देखता है। ख़ुदी में हुआ #चूर इतना, कहें क्या, पड़ोसी के #घर को ' रहन' देखता है। नहीं "तेज" का #खौफ़ रखता , तूफानों नहीं वक्त की ये #चुभन देखता है। #दुश्मनों सा, हर इक शख्स इसको लगे फ़िजाओं में भी ये #जलन देखता है। हवस की #हनक का हुनर इसमें उम्दा, जमाने को #खुद_ सा_ नगन देखता है। - ShareChat
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📗प्रेरक पुस्तकें📘 - टेन्शन बा, फ़िक़िर बा, झमेला बहुत बा. बडका शहर में आदमी अकेला बहुत बा. ना प्रेम, ना स्नेह,न क़ेहु से कौनो लगाव, अईसे देखे में तड लोग के मेला बहुत बा . ना चैन , ना सुकून , ना मन में बा शांति, कहे के सुख के रेला बहुत बा. সুনিখা  अंदर से ढूँढ लीं सब लोग मिली ख़ाली , झूठमूठ के देखावा के खेला बहुत बा. ईहा तरस जाला कान सुने के मीठ बोली, "नूरैन" शहर के ज़ुबान में करेला बहुत बा. टेन्शन बा, फ़िक़िर बा, झमेला बहुत बा. बडका शहर में आदमी अकेला बहुत बा. ना प्रेम, ना स्नेह,न क़ेहु से कौनो लगाव, अईसे देखे में तड लोग के मेला बहुत बा . ना चैन , ना सुकून , ना मन में बा शांति, कहे के सुख के रेला बहुत बा. সুনিখা  अंदर से ढूँढ लीं सब लोग मिली ख़ाली , झूठमूठ के देखावा के खेला बहुत बा. ईहा तरस जाला कान सुने के मीठ बोली, "नूरैन" शहर के ज़ुबान में करेला बहुत बा. - ShareChat
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❤️जीवन की सीख - छोडड मर्दे दुसरा के आसा अपने जाघर पर जंग करड आज नाही त कल मिट जाई मुश्किल मे ना आंखीया नम करड मेहनत करबड सब मिल जाई कर्म के फल तोहार लगे आई राखड भरोसा खुद पे कौंनो बात के गम करड ना आज नाही त कल मिट जाई मुश्किल में ना आखीया नम करड छोड़ड मर्दे दुसरा के आसा अपने जाघर पर जंग करड छोडड मर्दे दुसरा के आसा अपने जाघर पर जंग करड आज नाही त कल मिट जाई मुश्किल मे ना आंखीया नम करड मेहनत करबड सब मिल जाई कर्म के फल तोहार लगे आई राखड भरोसा खुद पे कौंनो बात के गम करड ना आज नाही त कल मिट जाई मुश्किल में ना आखीया नम करड छोड़ड मर्दे दुसरा के आसा अपने जाघर पर जंग करड - ShareChat
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✍प्रेमचंद की कहानियां - इश्क़ मुहब्बत इकरार बदल जाता छन्ने मे बरिसों के प्यार बदल जाता सहेज के राखीं जी सियासत आपन चौबीस घंटा मे सरकार बदल जाता नुकसान के खाली अंदेशा मात्र से कानूनी करार बदल कइल जाता घर तड सोझा से उहे रहे आपन बीच के आँगन दीवार बदल जाता देखीं अपना हई कचहरी के लीला जहाँ असली हक़दार बदल जाता भरपेट खाके 4 3 रउवा हमरा समय पर रंगा सियार बदल जाता इश्क़ मुहब्बत इकरार बदल जाता छन्ने मे बरिसों के प्यार बदल जाता सहेज के राखीं जी सियासत आपन चौबीस घंटा मे सरकार बदल जाता नुकसान के खाली अंदेशा मात्र से कानूनी करार बदल कइल जाता घर तड सोझा से उहे रहे आपन बीच के आँगन दीवार बदल जाता देखीं अपना हई कचहरी के लीला जहाँ असली हक़दार बदल जाता भरपेट खाके 4 3 रउवा हमरा समय पर रंगा सियार बदल जाता - ShareChat
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📗प्रेरक पुस्तकें📘 - अपने में आपना से बटा जाईल जाव.. ! ! धर्म के नाम पे चलअ कटा जाईल जाव.. ! ! सियासत के बा सबे मोहरा आपन आपन.. ! ! इससे पहिले की इंसानियत भुला जाईल जाव.. ! ! पिए  कहीं आदमी के आदमी खून எ.!! आपन हस्ती अपने से मिटा जाईल जाव.. ! ! मरे के त बावे, सबे के एक दिन यार.. ! ! दाग दामन से अपना हटा जाईल जाव.. ! ! त हर दिल में पल रहल बा ज़िया.. ! ! Tra बनके प्यार ऊहे दिल में समा जाईल जाव.. ! ! अपने में आपना से बटा जाईल जाव.. ! ! धर्म के नाम पे चलअ कटा जाईल जाव.. ! ! सियासत के बा सबे मोहरा आपन आपन.. ! ! इससे पहिले की इंसानियत भुला जाईल जाव.. ! ! पिए  कहीं आदमी के आदमी खून எ.!! आपन हस्ती अपने से मिटा जाईल जाव.. ! ! मरे के त बावे, सबे के एक दिन यार.. ! ! दाग दामन से अपना हटा जाईल जाव.. ! ! त हर दिल में पल रहल बा ज़िया.. ! ! Tra बनके प्यार ऊहे दिल में समा जाईल जाव.. ! ! - ShareChat
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✍प्रेमचंद की कहानियां - ೫೯  जियरा के पास र ह ता। कहां केहू खुद में बेसास र ह ता। सब उठि गइल जब से देवाल अंगना में, पीपल पुरनका उदास र ह ता। कहे के सब केहू अपने बा लेकिन, मनवा में नेह के बनवास र ह ता। महुराए के खातिर त नइखे मुहूरत, हंसे खातिर खाली खरवास र ह ता। ऊपर से अदमी हो जाता पबीतर, अन्दरवा त कूस कंजास र ह ता। कुछु न मिलल समुंदर किनारे, अंजुरी भर पानी के तलाश र ह ता। ೫೯  जियरा के पास र ह ता। कहां केहू खुद में बेसास र ह ता। सब उठि गइल जब से देवाल अंगना में, पीपल पुरनका उदास र ह ता। कहे के सब केहू अपने बा लेकिन, मनवा में नेह के बनवास र ह ता। महुराए के खातिर त नइखे मुहूरत, हंसे खातिर खाली खरवास र ह ता। ऊपर से अदमी हो जाता पबीतर, अन्दरवा त कूस कंजास र ह ता। कुछु न मिलल समुंदर किनारे, अंजुरी भर पानी के तलाश र ह ता। - ShareChat
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📗प्रेरक पुस्तकें📘 - इश्क़ मुहब्बत इकरार बदल जाता छन्ने मे बरिसों के प्यार बदल जाता सहेज के राखीं जी सियासत आपन चौबीस घंटा मे सरकार बदल जाता नुकसान के खाली अंदेशा मात्र से करार बदल ক্ানুনী कइल जाता घर तड सोझा से उहे रहे आपन बीच के आँगन दीवार बदल जाता देखीं अपना हई कचहरी के लीला जहाँ असली हक़दार बदल जाता 4 3 भरपेट खाके रउवा हमरा समय पर रंगा सियार बदल जाता इश्क़ मुहब्बत इकरार बदल जाता छन्ने मे बरिसों के प्यार बदल जाता सहेज के राखीं जी सियासत आपन चौबीस घंटा मे सरकार बदल जाता नुकसान के खाली अंदेशा मात्र से करार बदल ক্ানুনী कइल जाता घर तड सोझा से उहे रहे आपन बीच के आँगन दीवार बदल जाता देखीं अपना हई कचहरी के लीला जहाँ असली हक़दार बदल जाता 4 3 भरपेट खाके रउवा हमरा समय पर रंगा सियार बदल जाता - ShareChat
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📚कविता-कहानी संग्रह - दउरत ्दउरत जिनिगी भार हो गइल, भोरहीं में देखिलड अन्हार हो गइल। केकरा के मीत कहीं , केकरा के दुश्मन, बदरी में सभे अनचिन्हार हो गइल। पुरवा के झोंका में गदराइल महुआ, अचके में पछुआ बयार हो गइल। दरिया में कागज के नाव चलि रहल, गड़ही के पानी मँझधार हो गइल। रेत के महल हहास बन्हले बा, तुमड़ी के भागि, ऊ सितार हो गइल। कतना उठान भइल दुनिया के, प्रेम आउर कविता जेवनार हो गइल। दउरत ्दउरत जिनिगी भार हो गइल, भोरहीं में देखिलड अन्हार हो गइल। केकरा के मीत कहीं , केकरा के दुश्मन, बदरी में सभे अनचिन्हार हो गइल। पुरवा के झोंका में गदराइल महुआ, अचके में पछुआ बयार हो गइल। दरिया में कागज के नाव चलि रहल, गड़ही के पानी मँझधार हो गइल। रेत के महल हहास बन्हले बा, तुमड़ी के भागि, ऊ सितार हो गइल। कतना उठान भइल दुनिया के, प्रेम आउर कविता जेवनार हो गइल। - ShareChat