26/11 मुम्बई आतंकवादी हमले की वर्षगांठ
26/11 Attack Anniversary मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमले को याद कर आज भी रूह कांप उठती है। इस हमले में सिलसिलेवार बम धमाकों में 164 लोग मारे गए थे और 300 से अधिक घायल हुए थे। इस हमले का हर तथ्य 10 प्वाइंट में जानें...भारत के इतिहास के सबसे काले दिनों में से एक 26/11 को आतंकवादियों ने अब तक के सबसे क्रूर आतंकी हमलों को अंजाम दिया था। इस हमले में लश्कर-ए-तैयबा के दस आतंकवादियों ने मुंबई में प्रवेश कर चार दिनों तक गोलीबारी और सिलसिलेवार बम विस्फोट किए थे। इस हमले में 164 लोग मारे गए थे और 300 से अधिक घायल हो गए। इस हमले के पीछे आतंकियों के कई मकसद थे, जिसका खुलासा समय-समय पर होता आया है। 26/11 मुंबई हमले को लेकर यह है तथ्य वर्ष 2008 में 26/11 के हमले में भाग लेने वाले आतंकवादी पाकिस्तान से भेजे गए थे और काफी प्रशिक्षित थे। ये सभी भारत में प्रवेश करने के लिए समुद्री मार्ग से आए थे। उनका मुख्य मकसद आतंक फैलाना और कुछ प्रमुख आतंकवादियों को कंधार अपहरण मामले से छुड़वाना था।मुंबई आतंकी हमले की योजना कई महीने पहले ही बना ली गई थी। इस हमले में शामिल आतंकवादियों ने भारत-बांग्लादेश सीमा से खरीदे गए तीन सिम कार्ड का इस्तेमाल किया था। ऐसी भी रिपोर्टें थीं कि एक सिम कार्ड अमेरिकी राज्य न्यू जर्सी में खरीदा गया था। इसके बाद योजनाबद्ध तरीके से 21 नवंबर 2008 को दस आतंकी नाव में पाकिस्तान से गुजरात के रास्ते भारत आए थे। अपने रास्ते में, उन्होंने चार मछुआरों को भी मार डाला था और नाव के कप्तान को भारत में एंट्री दिलवाने की धमकी दी। 26 नवंबर 2008 को आतंकवादियों ने कप्तान को मार डाला और स्पीडबोट में कोलाबा की ओर बढ़ गए। यहां बता दें कि आतंकी मुंबई में दाखिल होने से पहले एलएसजी, कोकीन और स्टेरॉयड का सेवन करते थे ताकि वे ज्यादा देर तक सक्रिय रह सकें।आतंकियों ने इसके बाद मुंबई में दाखिल होते ही ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट और नरीमन हाउस में धावा बोल दिया। ताज होटल में लगभग छह विस्फोट हुए और इसमें कई लोग मारे गए। आतंकियों ने 4 दिनों तक लोगों को बंधक भी बनाए रखा था और उनमें से कई लोगों को अंधाधुंध गोलीबारी में मार दिया था। मुंबई में अलग-अलग जगहों पर किए गए इस आतंकी हमले में लगभग 64 लोग मारे गए थे और 600 से अधिक लोग इसमें घायल हुए थे। इस हमले में सभी आतंकवादी मारे गए लेकिन मोहम्मद अजमल आमिर कसाब जिंदा पकड़ा गया। जिसे यरवदा जेल में 21 नवंबर 2012 को फांसी दी गई थी। #शत शत नमन
विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस
प्रतिवर्ष '26 नवम्बर' को मनाया जाता है। यह दिवस पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने एवं लोगों को जागरूक करने के सन्दर्भ में सकारात्मक कदम उठाने के लिए मनाते हैं। यह दिवस 'संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम' (यूएनईपी) के द्वारा आयोजित किया जाता है। पिछले करीब तीन दशकों से ऐसा महसूस किया जा रहा है कि वैश्विक स्तर पर वर्तमान में सबसे बड़ी समस्या पर्यावरण से जुड़ी हुई है। इस सन्दर्भ में ध्यान देने वाली बात है कि करीब दस वैश्विक पर्यावरण संधियाँ और करीब सौ के आस-पास क्षेत्रीय और द्विपक्षीय वार्ताएं एवं समझौते संपन्न किये गाये हैं। ये सभी सम्मलेन रिओ डी जेनेरियो में किये गए। पृथ्वी सम्मलेन जो कि 1992 के संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण और विकास कार्यक्रम के आलोक में किये गए हैं। रिओ डी जेनेरियो में किया गया सम्मलेन अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण से जुड़े सम्मेलनों एवं नीतियों के सन्दर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण विन्दु था। साधारण तौर पर सोचे तो पर्यावरण से तात्पर्य हमारे चारो ओर के वातावरण और उसमे निहित तत्वो और उसमे रहने वाले प्राणियों से है। हम अपने चारो ओर उपस्थित वायु, भूमि, जल, पशु पक्षी, पेड़ पौधे आदि को अपने पर्यावरण मे शामिल करते है। जिस तरह हम अपने पर्यावरण से प्रभावित होते हैं, उसी प्रकार हमारा पर्यावरण भी हमारे द्वारा किए गए कृत्यो से प्रभावित होता है। जैसे लकड़ी के लिए काटे गए पेड़ो से जंगल समाप्त हो रहे है और जंगलो के समाप्त होने से इसमे रहने वाले जीवो के जीवन पर भी असर पड रहा है। जीवो की कुछ जातीय तो विलुप्त हो गयी और कुछ विलुप्त होने की कगार पर है। वैसे तो ऐसी कोई तेज़ तकनीक नहीं है, जिससे कि पर्यावरण प्रदूषण पर तुरंत काबू पाया जा सके। परंतु मनुष्य अपने छोटे-छोटे प्रयासो से इस समस्या को कम जरूर कर सकता है। यहा हम कुछ बाते बताना चाहेंगे जिनका खयाल रखकर शायद पर्यावरण प्रदूषण पर काबू पाया जा सकता है। विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस
प्रतिवर्ष '26 नवम्बर' को मनाया जाता है। यह दिवस पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने एवं लोगों को जागरूक करने के सन्दर्भ में सकारात्मक कदम उठाने के लिए मनाते हैं। यह दिवस 'संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम' (यूएनईपी) के द्वारा आयोजित किया जाता है। पिछले करीब तीन दशकों से ऐसा महसूस किया जा रहा है कि वैश्विक स्तर पर वर्तमान में सबसे बड़ी समस्या पर्यावरण से जुड़ी हुई है। इस सन्दर्भ में ध्यान देने वाली बात है कि करीब दस वैश्विक पर्यावरण संधियाँ और करीब सौ के आस-पास क्षेत्रीय और द्विपक्षीय वार्ताएं एवं समझौते संपन्न किये गाये हैं। ये सभी सम्मलेन रिओ डी जेनेरियो में किये गए। पृथ्वी सम्मलेन जो कि 1992 के संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण और विकास कार्यक्रम के आलोक में किये गए हैं। रिओ डी जेनेरियो में किया गया सम्मलेन अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण से जुड़े सम्मेलनों एवं नीतियों के सन्दर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण विन्दु था। साधारण तौर पर सोचे तो पर्यावरण से तात्पर्य हमारे चारो ओर के वातावरण और उसमे निहित तत्वो और उसमे रहने वाले प्राणियों से है। हम अपने चारो ओर उपस्थित वायु, भूमि, जल, पशु पक्षी, पेड़ पौधे आदि को अपने पर्यावरण मे शामिल करते है। जिस तरह हम अपने पर्यावरण से प्रभावित होते हैं, उसी प्रकार हमारा पर्यावरण भी हमारे द्वारा किए गए कृत्यो से प्रभावित होता है। जैसे लकड़ी के लिए काटे गए पेड़ो से जंगल समाप्त हो रहे है और जंगलो के समाप्त होने से इसमे रहने वाले जीवो के जीवन पर भी असर पड रहा है। जीवो की कुछ जातीय तो विलुप्त हो गयी और कुछ विलुप्त होने की कगार पर है। वैसे तो ऐसी कोई तेज़ तकनीक नहीं है, जिससे कि पर्यावरण प्रदूषण पर तुरंत काबू पाया जा सके। परंतु मनुष्य अपने छोटे-छोटे प्रयासो से इस समस्या को कम जरूर कर सकता है। यहा हम कुछ बाते बताना चाहेंगे जिनका खयाल रखकर शायद पर्यावरण प्रदूषण पर काबू पाया जा सकता है। #जागरूकता दिवस
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस
भारत में साल 2014 से भारत के श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन की जयंती (जिन्हें मिल्कमैन भी कहा जाता है) के जन्मदिन 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी), इंडियन डेयरी एसोसिएशन (आईडीए) सहित देश के सभी डेयरी मजरों द्वारा 22 राज्य स्तरीय दुग्ध संघों के साथ मिलकर घोषित किया गया था।
आज दुनिया वर्गीज कुरियन को 'मिल्कमैन' के नाम से याद करती है। भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया था। इसके अलावा उन्हें फ्रांस के कृषि मंत्रालय ने ऑर्डर ऑफ एग्रीकल्चर मेरिट से भी नवाजा। उन्हें रेमन मैग्सेसे अवार्ड भी मिला। • वर्गीज कुरियन का जन्म 26 नवंबर 1921 को कोझिकोड, केरल में हुआ था। वे एक प्रसिद्ध भारतीय सामाजिक उद्यमी थे और आज भी दुनिया के सबसे बड़े कृषि विकास कार्यक्रम 'ऑपरेशन फ्लड' के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्हें भारत में 'श्वेत क्रांति के जनक' के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने करीब 30 संस्थानों की स्थापना की जो विभिन्न किसानों और श्रमिकों द्वारा चलाए जाते हैं. कुरियन ने अमूल ब्रांड की स्थापना एवं सफलता में अहम भूमिका निभाई.11 #शत शत नमन
राष्ट्रीय कानून दिवस संविधान दिवस
संविधान दिवस (26 नवम्बर) भारत गणराज्य का संविधान 26 नवम्बर 1949 को बनकर तैयार हुआ था। संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के 125वें जयंती वर्ष के रूप में 26 नवम्बर 2015 को पहली बार भारत सरकार द्वारा संविधान दिवस सम्पूर्ण भारत में मनाया गया तथा 26 नवम्बर 2015 से प्रत्येक वर्ष सम्पूर्ण भारत में संविधान दिवस मनाया जा रहा है। इससे पहले इसे राष्ट्रिय कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था। संविधान सभा ने भारत के संविधान को 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में 26 नवम्बर 1949 को पूरा कर राष्ट्र को समर्पित किया। गणतंत्र भारत में 26 जनवरी 1950 से संविधान अमल में लाया गया। आंबेडकरवादी और बौद्ध लोगों द्वारा कई दशकों पूर्व से ‘संविधान दिवस’ मनाया जाता है। डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के इस महान योगदान के रूप में भारत सरकार द्वारा पहली बार 26 नवम्बर 2015 को "संविधान दिवस" मनाया गया तथा 26 नवम्बर 2015 से प्रत्येक वर्ष सम्पूर्ण भारत में संविधान दिवस मनाया जा रहा है। 26 नवंबर का दिन संविधान के महत्व का प्रसार करने और डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के विचारों और अवधारणाओं का प्रसार करने के लिए चुना गया था। इस दिन संविधान निर्माण समिति के वरिष्ठ सदस्य डॉ सर हरीसिंह गौर का जन्मदिवस भी होता है। संविधान बनाने वालों में प्रमुख रहे डॉ. आंबेडकर ने राज्य सभा में 2 सितंबर 1953 को उस बहस के दौरान यादगार शब्द कहे थे, जब देश के गवर्नर की शक्तियों को लेकर वो खुद संविधान में संशोधन के पक्षधर थे. उन शब्दों को याद कीजिए :"लोग कहते हैं कि मैंने संविधान बनाया है, लेकिन मैं पहला व्यक्ति होउंगा जो इसे जलाने को तैयार होगा. मुझे लगता है कि यह हर व्यक्ति के लिए अनुकूल नहीं है. लेकिन, जो भी है अगर लोग इसे अपनाए रखना चाहें तो उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि बहुमत के साथ अल्पसंख्यक भी होते हैं और आप यह कहकर अल्पसंख्यकों की आवाज़ नहीं दबा सकते कि 'आपकी आवाज़ को तवज्जो देने से लोकतंत्र को नुकसान होता है'. मुझे कहना है कि अल्पसंख्यकों को नुकसान पहुंचाने से सबसे बड़ा नुकसान होता है." #शुभ कामनाएँ 🙏













