विश्व पर्यटन दिवस
विश्व पर्यटन दिवस 27 सितंबर को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत वर्ष 1980 में संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन के द्वारा हुई इस तिथि के चुनाव का मुख्य कारण यह था कि वर्ष 1970 में UNWTO की कानून को स्वीकारा गया था। इस मूर्ति को स्वीकारना वैश्विक पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयास हेतु मील के पत्थर के रूप में देखा जाता है एवं इस दिवस को मनाने का उद्देश्य विश्व में इस बात को प्रसारित तथा जागरूकता फैलाने के लिए हैं कि किस प्रकार पर्यटन वैश्विक रूप से, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक तथा आर्थिक मूल्यों को बढ़ाने में तथा आपसी समझ बढ़ाने में सहायता कर सकता है।
इस्तांबुल टर्की में अक्टूबर 1997 को बारहवीं UNWTO महासभा ने यह फैसला लिया कि प्रत्येक वर्ष संगठन के किसी एक देश को हम विश्व पर्यटन दिवस मनाने के लिए सहयोगी रख सकते हैं इसी परिकल्पना में विश्व पर्यटन दिवस वर्ष 2006 में यूरोप में 2007 में साउथ एशिया में 2008 में अमेरिका में 2009 में अफ्रीका में तथा 2011 में मध्य पूर्व क्षेत्र यह देशों में मनाया गया। वर्ष 2013 में इस कार्यक्रम का विषय पर्यटन और पानी, हमारे साझे भविष्य की रक्षा था और 2014 में पर्यटन और सामुदायिक विकास।
द लेट इग्नेशियस अमदुवा अतिगबी नामक एक नाइजीरिया के राष्ट्र ने यह विचार दिया कि प्रत्येक वर्ष 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाए और वर्ष 2009 में उनके अभूतपूर्व योगदान को देखते हुए इसे सहर्ष स्वीकार भी कर लिया गया। #शुभ कामनाएँ 🙏
शरद नवरात्रि स्कन्दा माता
पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वालीं स्कंदमाता। नवरात्रि में पांचवें दिन इस देवी की पूजा-अर्चना की जाती है। कहते हैं कि इनकी कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है।
स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से अभिहित किया गया है। इनके विग्रह में भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं।शास्त्रों में मां स्कंदमाता की आराधना का काफी महत्व बताया गया है। इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। भक्त को मोक्ष मिलता है, सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है। ऐस में मन को एकाग्र रखकर और पवित्र रखकर इस देवी की आराधना करने वाले साधक या भक्त को भवसागर पार करने में कठिनाई नहीं आती है। इसके अलावा स्कंदमाता की कृपा से संतान के इच्छुक दंपत्ति को संतान सुख प्राप्त हो सकता है। माँ स्कंदमाता की उपासना से भक्त की समस्त इच्छाएँ पूर्ण हो जाती हैं।
सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज एवं कांति से संपन्न हो जाता है। एक अलौकिक प्रभामंडल अदृश्य भाव से सदैव उसके चतुर्दिक् परिव्याप्त रहता है। यह प्रभामंडल प्रतिक्षण उसके योगक्षेम का निर्वहन करता रहता है। #शुभ कामनाएँ 🙏