Shashikant Dwivedi
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हम ब्रह्मचारिणी माता की कथा ... Devi Brahmacharini : देवी ब्रह्मचारिणी की ... ब्रह्मचारिणी माता की कथा के अनुसार, भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती ने घोर तपस्या की थी, जिसके कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया। अपनी तपस्या के दौरान उन्होंने हजारों वर्ष केवल फल-फूल खाए, फिर कुछ सौ वर्ष शाक-भाजी पर बिताए, और अंत में कई हजार वर्षों तक निर्जल रहकर टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और फिर उनका भी त्याग कर दिया, जिसके कारण उनका नाम अपर्णा पड़ा। इस कठिन तपस्या से उनका शरीर क्षीण हो गया, लेकिन उनकी तपस्या के बल से देवता, ऋषि-मुनि सभी ने प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया कि उनकी मनोकामनाएं पूरी होंगी और शिवजी उन्हें पति रूप में प्राप्त होंगे। कथा का विस्तार जन्म और तप का संकल्प: पूर्व जन्म में, ब्रह्मचारिणी देवी का जन्म हिमालय पर्वत पर मैनावती के गर्भ से हुआ था, और उनका नाम पार्वती था। युवावस्था में, उन्होंने देवऋषि नारद के उपदेश पर भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या करने का निर्णय लिया। कठोर तपस्या का क्रम: उन्होंने हजारों वर्ष केवल फल और फूल खाकर तपस्या की। इसके बाद, उन्होंने सौ वर्ष तक जमीन पर रहकर केवल शाक-भाजी खाकर गुजारा किया। इसके बाद उन्होंने कई हजार वर्षों तक वर्षा, धूप और कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे तप किया। उन्होंने तीन हजार वर्षों तक केवल गिरे हुए सूखे बिल्व पत्र खाए और निरंतर भगवान शिव की आराधना की। अंततः, उन्होंने पत्ते खाना भी छोड़ दिया और कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रहकर तपस्या की। नामकरण: पत्तों को खाना छोड़ने के बाद ही उनका नाम 'अपर्णा' पड़ा। हजारों वर्षों तक कठिन तपस्या करने के कारण ही उन्हें ब्रह्मचारिणी या तपश्चारिणी के नाम से जाना गया। देवी का शरीर क्षीण होना: घोर तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया था। देवताओं और ऋषियों की प्रतिक्रिया: देवी की इस अभूतपूर्व और कठोर तपस्या से देवता, ऋषि, सिद्धगण और मुनि अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने देवी को प्रणाम करके वरदान दिया कि आज तक किसी ने इस तरह की तपस्या नहीं की है और उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होगी। कथा का सार और महत्व मां ब्रह्मचारिणी की कथा यह सिखाती है कि जीवन के कठिन संघर्षों और मुश्किलों में भी अपने मन को विचलित नहीं होने देना चाहिए। उनकी आराधना करने से भक्तों को संयम, बल, सात्विकता, आत्मविश्वास और वैराग्य की प्राप्ति होती है। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से भक्त को सर्वत्र सिद्धि और विजय प्राप्त होती है, तथा जीवन की कई परेशानियां भी समाप्त हो जाती हैं। #🙏🙏 jai mata di 🙏🙏🤘✨🌼🌹🌹🌷💮💐happy navrati #maa durga #durga
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मंत्र जाप: मां शैलपुत्री के मंत्र "ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः" का जाप करें। भोग: मां शैलपुत्री को भोग लगाएं और प्रसाद के रूप में वितरित करें। #🌺 माता शैल पुत्री #शैल पुत्री माँ 🙏🌺🌷 #माँ शैल पुत्री 🌺🌸🙏 #जय मां शैल पुत्री देवी
🌺 माता शैल पुत्री - मां शैलपुत्री वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्षकृतशेखराम्। शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।| @EJi abplivecom मां शैलपुत्री वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्षकृतशेखराम्। शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।| @EJi abplivecom - ShareChat
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https://sharechat.com/post/XvlbWqJ?d=n&ui=nw3RXPd&e1=c #साल का पहला चंद्र ग्रहण #चंद्र ग्रहण
साल का पहला चंद्र ग्रहण - ShareChat Archana Bhatt jo सितंबर चंद्रग्रहण; साल की सबसे खतरनाक 7 चाँद! रात लाल इस दिन पूर्णिमा की रात चंद्र ग्रहण (Blood Moon ) Fl पितृ पक्ष का आरंभ भी इसी दिन से हो रहा है। साथ ही चंद्रग्रहण 9 बजे ५८ मिनट पर शुरू होगा। ग्रहण रात्रि 1 बजे २६ मिनट पर समाप्त होगा। ब्लड मून (लाल चंद्रमा रात) ११ से १२ बजे २२ मिनर " तक दिखाई देगा। [ು करें और क्या न करें? c a % १ घंटे पहले सूतक काल लगने के कारण शाम के सभय दीपक (दिया-बत्ती) नहीं करना है। सूर्यास्त के बाद भोजन न करें। { घर से बाहर निकलने से बचें। किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य को न करें। रात के समय चंद्रमा का दर्शन बिल्कुल न करें। काले वस्त्र पहनने से बचें। विवादों और झगड़ों से दूर रहें। क्या करना चाहिए? जितना हो सके मंत्र जाप और ध्यान करें। दान-पुण्य अवश्य करें। अपने ईष्ट देव और पितरों का स्मरण करें। परिवार को भी सुरक्षित और शांत रहने की सलाह दें। अपने दोस्तों ओर परिवारजन को शेयर करें। ShareChat Archana Bhatt jo सितंबर चंद्रग्रहण; साल की सबसे खतरनाक 7 चाँद! रात लाल इस दिन पूर्णिमा की रात चंद्र ग्रहण (Blood Moon ) Fl पितृ पक्ष का आरंभ भी इसी दिन से हो रहा है। साथ ही चंद्रग्रहण 9 बजे ५८ मिनट पर शुरू होगा। ग्रहण रात्रि 1 बजे २६ मिनट पर समाप्त होगा। ब्लड मून (लाल चंद्रमा रात) ११ से १२ बजे २२ मिनर तक दिखाई देगा। [ು करें और क्या न करें? c a % १ घंटे पहले सूतक काल लगने के कारण शाम के सभय दीपक (दिया-बत्ती) नहीं करना है। सूर्यास्त के बाद भोजन न करें। { घर से बाहर निकलने से बचें। किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य को न करें। रात के समय चंद्रमा का दर्शन बिल्कुल न करें। काले वस्त्र पहनने से बचें। विवादों और झगड़ों से दूर रहें। क्या करना चाहिए? जितना हो सके मंत्र जाप और ध्यान करें। दान-पुण्य अवश्य करें। अपने ईष्ट देव और पितरों का स्मरण करें। परिवार को भी सुरक्षित और शांत रहने की सलाह दें। अपने दोस्तों ओर परिवारजन को शेयर करें। - ShareChat
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