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हिन्दू संस्कृति और अध्यात्म की जानकारियाँ
#सुविचार एवं अनमोल वचन
सुविचार एवं अनमोल वचन - ओम नमो नारायणाय !! !! भक्ति भक्त भगवंत गुरु चतुर नाम बपु एक इनके पद बंदन किएँ नासत बिघ्न अनेक का मार्ग बताने वाले संत गुरु॰, (२) भजनीय 'भगवान् , १) भक्ति (३) भजन करनेवाले 'भक्त' तथा (४) संतों के उपदेश के अनुसार किन्तु भगवदाकार वृत्ति भक्ति' है | नाम से चार हैं, भक्त की तत्त्वतः एक ही हैं अर्थात इनमे से किसी एक का भी आश्रय लेने मात्र से भगवान की प्राप्ति हो जाती है ओम नमो नारायणाय !! !! भक्ति भक्त भगवंत गुरु चतुर नाम बपु एक इनके पद बंदन किएँ नासत बिघ्न अनेक का मार्ग बताने वाले संत गुरु॰, (२) भजनीय 'भगवान् , १) भक्ति (३) भजन करनेवाले 'भक्त' तथा (४) संतों के उपदेश के अनुसार किन्तु भगवदाकार वृत्ति भक्ति' है | नाम से चार हैं, भक्त की तत्त्वतः एक ही हैं अर्थात इनमे से किसी एक का भी आश्रय लेने मात्र से भगवान की प्राप्ति हो जाती है - ShareChat
#शुभ मुहूर्त #पूजन विधि
शुभ मुहूर्त - 17-11-25 सोम प्रदोष व्रत HHHR सोमवार के दिन जब त्रयोदशी तिथि लगती है तो इसे सोम प्रदोष कहते हैं हर माह कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों ही त्रयोदशी तिथि को है। प्रदोष व्रत भक्त के भाग्य को जगाने वाला है॰ इस व्रत रखा जाता को रखने से कुंडली में चंद्र की स्थिति भी मजबूत होती है। 17-11-25 सोम प्रदोष व्रत HHHR सोमवार के दिन जब त्रयोदशी तिथि लगती है तो इसे सोम प्रदोष कहते हैं हर माह कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों ही त्रयोदशी तिथि को है। प्रदोष व्रत भक्त के भाग्य को जगाने वाला है॰ इस व्रत रखा जाता को रखने से कुंडली में चंद्र की स्थिति भी मजबूत होती है। - ShareChat
#पूजन विधि
पूजन विधि - ShareChat
#शुभ मुहूर्त
शुभ मुहूर्त - सोम प्रदोष व्रत १७वाँ नवम्बर २०२५ Monday सोमवार करते हुये भगवान शिव नन्दी पर सवारी सोम प्रदोष सोम कृष्ण प्रदोष व्रत सोमवार, नवम्बर १७, २०२५ प्रदोष पूजा मुहूर्त - १७:०९ से १९:४७ अवधि - ०२ घण्टे ३८ मिनट्स प्रदोष समय - १७:०९ 19:47 Iিন বা त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ নবদ্বয 16, 2025 ক্া 28:47+ ব্রত त्रयोदशी तिथि समाप्त नवम्बर १८, २०२५ को ०७:१२ बजे सोम प्रदोष व्रत १७वाँ नवम्बर २०२५ Monday सोमवार करते हुये भगवान शिव नन्दी पर सवारी सोम प्रदोष सोम कृष्ण प्रदोष व्रत सोमवार, नवम्बर १७, २०२५ प्रदोष पूजा मुहूर्त - १७:०९ से १९:४७ अवधि - ०२ घण्टे ३८ मिनट्स प्रदोष समय - १७:०९ 19:47 Iিন বা त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ নবদ্বয 16, 2025 ক্া 28:47+ ব্রত त्रयोदशी तिथि समाप्त नवम्बर १८, २०२५ को ०७:१२ बजे - ShareChat
#शुभ मुहूर्त #पूजन विधि
शुभ मुहूर्त - 17-11-25 मण्डला पूजा प्रारम्भ सोमवार दक्षिण भारत के राज्य केरल में सबरीमाला अय्यप्पा स्वामी मंदिर है, ये प्राचीन मंदिर दुनिया के बड़े तीर्थों में एक माना जाता है। स्वामी अय्यप्पा का एक नाम हरिहरपुत्र भी है हरि के मोहनी रूप को ही अय्यप्पा की मां कहा गया है और भगवान शिव हर रूप में अयप्पा स्वामी के पिता हैं। मंडला पूजा केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला अयप्पा मंदिर में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इस पूजा के माध्यम से भगवान अयप्पा கிதப से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मंडला पूजा ४१ दिनों की अवधि है जो मलयालम महीने वृश्चिकम के पहले दिन से शुरू होकर धनु माह के ग्यारहवें दिन तक चलती है। इस वर्ष यह ४१ दिनों का कठोर व्रत १७ नवम्बर से शुरू होगा। यह पूजा भगवान अयप्पा के भक्तों द्वारा की जाने वाली ४१ दिवसीय तपस्या, जिसे मंडला कलम के नाम से जाना जाता है। मंडला पूजा का कई पुराणों में वर्णित है, इस पूजा को करने से व्यक्ति का भाग्य महत्व सकारात्मक रूप से बदल सकता है। 17-11-25 मण्डला पूजा प्रारम्भ सोमवार दक्षिण भारत के राज्य केरल में सबरीमाला अय्यप्पा स्वामी मंदिर है, ये प्राचीन मंदिर दुनिया के बड़े तीर्थों में एक माना जाता है। स्वामी अय्यप्पा का एक नाम हरिहरपुत्र भी है हरि के मोहनी रूप को ही अय्यप्पा की मां कहा गया है और भगवान शिव हर रूप में अयप्पा स्वामी के पिता हैं। मंडला पूजा केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला अयप्पा मंदिर में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इस पूजा के माध्यम से भगवान अयप्पा கிதப से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मंडला पूजा ४१ दिनों की अवधि है जो मलयालम महीने वृश्चिकम के पहले दिन से शुरू होकर धनु माह के ग्यारहवें दिन तक चलती है। इस वर्ष यह ४१ दिनों का कठोर व्रत १७ नवम्बर से शुरू होगा। यह पूजा भगवान अयप्पा के भक्तों द्वारा की जाने वाली ४१ दिवसीय तपस्या, जिसे मंडला कलम के नाम से जाना जाता है। मंडला पूजा का कई पुराणों में वर्णित है, इस पूजा को करने से व्यक्ति का भाग्य महत्व सकारात्मक रूप से बदल सकता है। - ShareChat
#शुभ मुहूर्त
शुभ मुहूर्त - मण्डलाकाल प्रारम्भ १७वाँ नवम्बर २०२५ Monday सोमवार भगवान अय्यप्पा मण्डलाकाल प्रारम्भ समय मण्डला पूजा प्रारम्भ सोमवार, नवम्बर १७ , २०२५ को मण्डला पूजा शनिवार, दिसम्बर २७ , २०२५ को मण्डलाकाल प्रारम्भ १७वाँ नवम्बर २०२५ Monday सोमवार भगवान अय्यप्पा मण्डलाकाल प्रारम्भ समय मण्डला पूजा प्रारम्भ सोमवार, नवम्बर १७ , २०२५ को मण्डला पूजा शनिवार, दिसम्बर २७ , २०२५ को - ShareChat
#व्रत एवं त्योहार
व्रत एवं त्योहार - मण्डलाकाल प्रारम्भ २०२५ में धनु " मासम के ११ वें अथवा १२ वें मण्डला पूजा सबरीमाला अय्यप्पा मन्दिर दिवस पर मनायी जाती है। मण्डला पूजा भगवान अय्यप्पा के भक्तों द्वारा की जाने वाली ४१ दिवसीय लम्बी तपस्या का अन्तिम दिवस है। यह व्रत मण्डला पूजा से ४१ दिन पूर्व आरम्भ होता है। अतः मलयालम कैलेण्डर के अनुसार यह व्रत वृश्चिकम मासम के प्रथम दिवस से आरम्भ होता है। विलक्कु  यह दोनों सबरीमाला अय्यप्पा मन्दिर के मण्डला पूजा तथा मकर सर्वाधिक लोकप्रिय आयोजन हैं। इन उत्सवों के समय सबरीमाला ्मा अधिकांश दिनों तक भक्तों के लिये खुला रखा जाता है। मण्डलाकाल प्रारम्भ २०२५ में धनु " मासम के ११ वें अथवा १२ वें मण्डला पूजा सबरीमाला अय्यप्पा मन्दिर दिवस पर मनायी जाती है। मण्डला पूजा भगवान अय्यप्पा के भक्तों द्वारा की जाने वाली ४१ दिवसीय लम्बी तपस्या का अन्तिम दिवस है। यह व्रत मण्डला पूजा से ४१ दिन पूर्व आरम्भ होता है। अतः मलयालम कैलेण्डर के अनुसार यह व्रत वृश्चिकम मासम के प्रथम दिवस से आरम्भ होता है। विलक्कु  यह दोनों सबरीमाला अय्यप्पा मन्दिर के मण्डला पूजा तथा मकर सर्वाधिक लोकप्रिय आयोजन हैं। इन उत्सवों के समय सबरीमाला ्मा अधिकांश दिनों तक भक्तों के लिये खुला रखा जाता है। - ShareChat
#शुभ मुहूर्त
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#शुभ मुहूर्त
शुभ मुहूर्त - १३, मार्गशीर्ष Panchang] कृष्ण पक्ष, त्रयोदशी 17 २०८२ कालयुक्त, विक्रम सम्वत नवम्बर २०२५ सोमवार वाराणसी भारत मण्डला पूजा प्रारम्भ सोम प्रदोष व्रत आडल योग, विडाल योग रहित मुहूर्त एवं उदय-लग्न पञ्चक आज के दिन के लिए उदय लग्न मुहूर्त आज के दिन के लिए पञ्चक रहित मुहूर्त m   वृश्चिक - नवम्बर १६ को ३०:१६+ बजे से 08:३३ 39 387-06:16 708:33 X থনু - 08:33  08:33 ম 10:38 राग पञ्चक 10:38 [ 9TW7శగ్గగ - 10.38 712.23 10:38 স 12:23 मकर १   कुम्भ - १२:२३ से १३:५४ 12:23 13:54 मृत्यु पञ्चक )( #7-13:54715:22 13:54 15:22 पञ्चक १०   मेष - १५ः२२ से १७:०० शुभ 15:22 717:00 मुहूर्त - 8 {94-17:00#18:57 17:00 18:57 पञ्चक 18:57 21:11 1 #97- 18:57 पञ्चक 21:11 शुभ मुहूर्त - २१:११ 23:29 ७  कर्क - २१:११ 23.29 25:43+ 23.29 0 86-23:29 रज पञ्चक 25:43+ शुभ मुहूर्त - २५:४३+ 1) 27:56+ कन्या - २५:४३+ 27:56+ चोर पञ्चक - २७:५६+ 29:01+ २ तुला - २७:५६+ 30:12+ शुभ मुहूर्त - २९:०१+ 30.124 पञ्चक - ३०:१२+ 30.174 १३, मार्गशीर्ष Panchang] कृष्ण पक्ष, त्रयोदशी 17 २०८२ कालयुक्त, विक्रम सम्वत नवम्बर २०२५ सोमवार वाराणसी भारत मण्डला पूजा प्रारम्भ सोम प्रदोष व्रत आडल योग, विडाल योग रहित मुहूर्त एवं उदय-लग्न पञ्चक आज के दिन के लिए उदय लग्न मुहूर्त आज के दिन के लिए पञ्चक रहित मुहूर्त m   वृश्चिक - नवम्बर १६ को ३०:१६+ बजे से 08:३३ 39 387-06:16 708:33 X থনু - 08:33  08:33 ম 10:38 राग पञ्चक 10:38 [ 9TW7శగ్గగ - 10.38 712.23 10:38 স 12:23 मकर १   कुम्भ - १२:२३ से १३:५४ 12:23 13:54 मृत्यु पञ्चक )( #7-13:54715:22 13:54 15:22 पञ्चक १०   मेष - १५ः२२ से १७:०० शुभ 15:22 717:00 मुहूर्त - 8 {94-17:00#18:57 17:00 18:57 पञ्चक 18:57 21:11 1 #97- 18:57 पञ्चक 21:11 शुभ मुहूर्त - २१:११ 23:29 ७  कर्क - २१:११ 23.29 25:43+ 23.29 0 86-23:29 रज पञ्चक 25:43+ शुभ मुहूर्त - २५:४३+ 1) 27:56+ कन्या - २५:४३+ 27:56+ चोर पञ्चक - २७:५६+ 29:01+ २ तुला - २७:५६+ 30:12+ शुभ मुहूर्त - २९:०१+ 30.124 पञ्चक - ३०:१२+ 30.174 - ShareChat
#सुविचार एवं अनमोल वचन
सुविचार एवं अनमोल वचन - ओम नमो नाशयणाय !! सुमति सब कें उर रहहीं , कुमति पुरान निगम अस कहहीं , नाथ तहँ संपति नाना, जहाँ ٩ तहँ बिपति निदाना जहाँ कुमति विभीषण जी रावण से कहते है कि हे नाथ! पुराण और वेद ऐसा कहते हैं कि सुबुद्धि अच्छी बुद्धि) और कुबुद्धि खोटी बुद्धि सबके हृदय में रहती है॰ जहाँ सुबुद्धि है, वहाँ नाना प्रकार की संपदाएँ (सुख की स्थिति) रहती हैं और जहाँ कुबुद्धि है वहाँ परिणाम में विपत्ति (दुःख) अर्थात अच्छाई और 8, रहती बुराई सबके अंदर रहती है परन्तु यह यह हम पर है कि हम किसे अधिक महत्व देते है अगर हम को महत्व बुराई देंगे तो हमारा पतन ही होगा और अगर हम अच्छाई की ओर बढ़ेंगे तो सब प्रकार से मंगल ही मंगल है ओम नमो नाशयणाय !! सुमति सब कें उर रहहीं , कुमति पुरान निगम अस कहहीं , नाथ तहँ संपति नाना, जहाँ ٩ तहँ बिपति निदाना जहाँ कुमति विभीषण जी रावण से कहते है कि हे नाथ! पुराण और वेद ऐसा कहते हैं कि सुबुद्धि अच्छी बुद्धि) और कुबुद्धि खोटी बुद्धि सबके हृदय में रहती है॰ जहाँ सुबुद्धि है, वहाँ नाना प्रकार की संपदाएँ (सुख की स्थिति) रहती हैं और जहाँ कुबुद्धि है वहाँ परिणाम में विपत्ति (दुःख) अर्थात अच्छाई और 8, रहती बुराई सबके अंदर रहती है परन्तु यह यह हम पर है कि हम किसे अधिक महत्व देते है अगर हम को महत्व बुराई देंगे तो हमारा पतन ही होगा और अगर हम अच्छाई की ओर बढ़ेंगे तो सब प्रकार से मंगल ही मंगल है - ShareChat