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तेरे जैसा यार कहा
प्रेम कभी सिर्फ़ व्यक्ति तक सीमित नहीं रहता, वह धीरे-धीरे विस्तार लेता है और अनंत की ओर बढ़ता है। जब हृदय सच में प्रेम करना सीखता है, तो वह चेहरे, रूप, आदतों या परिस्थितियों पर नहीं रुकता — वह आत्मा को देखने लगता है। और जब आत्मा दिखने लगती है, तो उसमें परमात्मा की उपस्थिती महसूस होने लगती है — क्योंकि प्रेम का अंतिम सत्य यही है कि प्रेम किसी इंसान से नहीं, उसमें बसे ईश्वर से होता है। इसलिए सच्चा प्रेम हमेशा ऊपर उठाता है, वो मोह नहीं — साधना होता है, जहाँ प्रिय व्यक्ति माध्यम है और परमात्मा अंतिम गंतव्य। “जिस प्रेम में ईश्वर न दिखे, वह बस आकर्षण है — प्रेम नहीं।” सुप्रभात🙏🏻 आप सभी का दिन मंगलमय हो 🙏🏻🌺 hप्रेम कभी सिर्फ़ व्यक्ति तक सीमित नहीं रहता, वह धीरे-धीरे विस्तार लेता है और अनंत की ओर बढ़ता है। जब हृदय सच में प्रेम करना सीखता है, तो वह चेहरे, रूप, आदतों या परिस्थितियों पर नहीं रुकता — वह आत्मा को देखने लगता है। और जब आत्मा दिखने लगती है, तो उसमें परमात्मा की उपस्थिती महसूस होने लगती है — क्योंकि प्रेम का अंतिम सत्य यही है कि प्रेम किसी इंसान से नहीं, उसमें बसे ईश्वर से होता है। इसलिए सच्चा प्रेम हमेशा ऊपर उठाता है, वो मोह नहीं — साधना होता है, जहाँ प्रिय व्यक्ति माध्यम है और परमात्मा अंतिम गंतव्य। “जिस प्रेम में ईश्वर न दिखे, वह बस आकर्षण है — प्रेम नहीं।” सुप्रभात🙏🏻 आप सभी का दिन मंगलमय हो 🙏🏻🌺 #📓 हिंदी साहित्य #विजय पाल #💞Heart touching शायरी✍️ ##️⃣DilShayarana💘 #📖 कविता और कोट्स✒️
📓 हिंदी साहित्य - एजिससे प्रेम हो, उसमें परमात्मा की उपस्थिति महसूस हो ~ यही प्रेम की परिभाषा है। क्योकि.. प्रेम महज एक भावना ही नहीं ~- अपितु परमात्मा तक पहुँचने का मार्ग है। " fbllmai stree एजिससे प्रेम हो, उसमें परमात्मा की उपस्थिति महसूस हो ~ यही प्रेम की परिभाषा है। क्योकि.. प्रेम महज एक भावना ही नहीं ~- अपितु परमात्मा तक पहुँचने का मार्ग है। " fbllmai stree - ShareChat
कई बार हम अपनी परेशानी का कारण दुनिया को बना देते हैं— लोगों को, हालातों को, समय को। हमें लगता है कि दुख बाहर से आया है, और समाधान भी बाहर ही मिलेगा। पर सच तो यह है कि दुनिया सिर्फ वही छूती है, जहाँ मन पहले से दर्द में हो। कभी ठहरकर अपने भीतर देखो— दर्द वहीं जन्म लेता है जहाँ अपेक्षाएँ, तुलना और नियंत्रण की इच्छा हो। जब हम जीवन को वैसा स्वीकार नहीं कर पाते जैसा वह सामने आता है, तभी भीतर संघर्ष उठता है। और वह संघर्ष ही दुख का असली स्वरूप है। मन बदल जाए तो दुख भी बदल जाता है। विचार शुद्ध हो जाएँ, तो वही परिस्थिति कम कष्ट देने लगती है। क्योंकि जीवन वही है— बस देखने की दृष्टि बदलती है। और दृष्टि का परिवर्तन ही शांति की शुरुआत है। तो आज से संसार को दोष देना छोड़ दीजिए। जीवन को विरोध से नहीं, समझ से देखिए। जब मन शांत होता है, तो हर मुश्किल हल्की लगती है, और हर घाव सीख में बदल जाता है। यही मन का परिवर्तन है… और यही दुखों का अंत। 💛✨ सुप्रभात🙏🏻 आप सभी का दिन मंगलमय #🙏गीता ज्ञान🛕 #📓 हिंदी साहित्य #🙏कर्म क्या है❓ #विजय पाल
🙏गीता ज्ञान🛕 - "दुनिया नहीं बदलनी... बस दृष्टि बदलनी है। " ९मन शांत हो जाए तो जीवन स्वयं सुंदर लगने लगता है। " அர. ६जहाँ स्वीकार है, वहीं शांति है। " विचारों में बसता है। " "दुख बाहर नहीं. fbllmai stree "दुनिया नहीं बदलनी... बस दृष्टि बदलनी है। " ९मन शांत हो जाए तो जीवन स्वयं सुंदर लगने लगता है। " அர. ६जहाँ स्वीकार है, वहीं शांति है। " विचारों में बसता है। " "दुख बाहर नहीं. fbllmai stree - ShareChat
मेरे माधव कहते हैं __ जिंदगी में कभी भी यह मत सोचो कि कौन, कब, कैसे, कहां,बदल गया बस इतना देखों कि वो तुम्हे सिखाकर क्या गया पीड़ाएं केवल दुःख ही नहीं देती ज्ञान भी देती है..!! राधे-राधे...🌸🌸 💛❤️______________🩷🩵___________🧡💚 #📓 हिंदी साहित्य #विजय पाल #🙏कर्म क्या है❓ #🙏🏻आध्यात्मिकता😇 #🙏गीता ज्ञान🛕
📓 हिंदी साहित्य - मेरे माधव कहते हैं जिंदगी में कभी भी यह मत सोचो कि कौन, कब, कैसे , कहां,बदल गया बस इतना देखों किवो तुम्हे सिखाकर क्या गया पीड़ाएं केवल दुःख ही नहीं देती ज्ञान भी देती है..!! राधे राधे. शुभ गीता जयंती गीता मे चोत्तमं गृहम्।। गीतामहात्म्यम् Pसरकृत | resanskrit com वराहपुराण  विष्णु कहते हैं - गीता मेरा परम धाम है। भगवान मेरे माधव कहते हैं जिंदगी में कभी भी यह मत सोचो कि कौन, कब, कैसे , कहां,बदल गया बस इतना देखों किवो तुम्हे सिखाकर क्या गया पीड़ाएं केवल दुःख ही नहीं देती ज्ञान भी देती है..!! राधे राधे. शुभ गीता जयंती गीता मे चोत्तमं गृहम्।। गीतामहात्म्यम् Pसरकृत | resanskrit com वराहपुराण  विष्णु कहते हैं - गीता मेरा परम धाम है। भगवान - ShareChat
#विजय पाल #📓 हिंदी साहित्य #📖 कविता और कोट्स✒️ #💞Heart touching शायरी✍️ ##️⃣DilShayarana💘
विजय पाल - मैं देखता हूँ उसे ऐसे- जैसे देखता है बुरा वक़्त अच्छे वक़्त को जैसे देखते हैं कृष्ण, मीरा सी भक्त को जैसे कोई चिकित्सक धमनियों में बहते रक्त को। 84 तम्हारी अनुपस्थिति  My book "तुम्हारी अनुपस्थिति" now available on amazon linkisin comment मैं देखता हूँ उसे ऐसे- जैसे देखता है बुरा वक़्त अच्छे वक़्त को जैसे देखते हैं कृष्ण, मीरा सी भक्त को जैसे कोई चिकित्सक धमनियों में बहते रक्त को। 84 तम्हारी अनुपस्थिति  My book "तुम्हारी अनुपस्थिति" now available on amazon linkisin comment - ShareChat
किसी के मरने पर हँसना, हमारी गिरावट नहीं… हमारी इंसानियत का अंतिम संस्कार है #✍मेरे पसंदीदा लेखक #📓 हिंदी साहित्य #विजय पाल #📖 कविता और कोट्स✒️ #✍️ साहित्य एवं शायरी
✍मेरे पसंदीदा लेखक - किसी के मरने पर हँसना, हमारी गिरावट नहीं... हमारी इंसानियत का अंतिम संस्कार है। सानिया मिर्ज़ा लोक पंक्तियाँ Panktiyan Manch Lok किसी के मरने पर हँसना, हमारी गिरावट नहीं... हमारी इंसानियत का अंतिम संस्कार है। सानिया मिर्ज़ा लोक पंक्तियाँ Panktiyan Manch Lok - ShareChat
#मन_की_शांति #असुरक्षा #संदेह यदि एक पुरूष तुम्हें सुरक्षा नहीं दे पा रहा या तुम्हारे मन में बार बार शक वाली भावना को पैदा कर रहा तो तुम गलत रिश्तें में बंधी हो, क्योंकि तुम्हारा अंतर्मन इस बात को चीख चीख कर कह रहा है। अकेले रह जाओ पर गलत रिश्तें में मत बंधों, जहां ईमानदारी नहीं, सत्यनिष्ठा नहीं। #विजय पाल #📓 हिंदी साहित्य #✍मेरे पसंदीदा लेखक #📖 कविता और कोट्स✒️ #✍️ साहित्य एवं शायरी
विजय पाल - मन का शांत होना कितना जरूरी है, लोग इसे समझ ही नहीं पाते, खासकर महिलाएं.. यदि आप किसी ऐसे पुरूष के साथ जीवनसाथी के रूप में रह रही हैं जहां आपके मन में बार -्बार संदेह और असुरक्षा का भाव है,तो आप एक गलत रिश्तें में बंधी है क्योंकि जहां रिश्तें आ रहा मजबूत और परिपक्व होते हैं वहां संदेह और असुरक्षा का होता है न कि और बढ़ता है। इससे आप अपनी देह में भाव ख़त्म कार्टिसोल हार्मोन अर्थात स्ट्रेस के हार्मोन्स को बढ़ाती है और अपने दैनिक जीवन के काम को भी सहजता से नहीं कर पाती, को मुक्त कीजिए।  424 इसलिए ऐसे रिश्तों Life With] Geerisha मन का शांत होना कितना जरूरी है, लोग इसे समझ ही नहीं पाते, खासकर महिलाएं.. यदि आप किसी ऐसे पुरूष के साथ जीवनसाथी के रूप में रह रही हैं जहां आपके मन में बार -्बार संदेह और असुरक्षा का भाव है,तो आप एक गलत रिश्तें में बंधी है क्योंकि जहां रिश्तें आ रहा मजबूत और परिपक्व होते हैं वहां संदेह और असुरक्षा का होता है न कि और बढ़ता है। इससे आप अपनी देह में भाव ख़त्म कार्टिसोल हार्मोन अर्थात स्ट्रेस के हार्मोन्स को बढ़ाती है और अपने दैनिक जीवन के काम को भी सहजता से नहीं कर पाती, को मुक्त कीजिए।  424 इसलिए ऐसे रिश्तों Life With] Geerisha - ShareChat
संबंध हमेशा शब्दों से नहीं बनते, वो एक अदृश्य धागे से बंधते हैं — जो हृदय से निकलकर हृदय तक पहुँचता है। जिसे देखा नहीं जा सकता, पर महसूस किया जा सकता है… जहाँ कोई दिखावा नहीं, बस अपनापन होता है। जो संबंध हृदय से निभाए जाते हैं, वे समय से परे हो जाते हैं। उम्र बीत जाती है, लोग बदल जाते हैं, पर वह एहसास नहीं मिटता — क्योंकि सच्चे रिश्ते देह के नहीं, आत्मा के स्पर्श से बने होते हैं। रिश्तों में स्थायित्व शब्दों की चमक से नहीं आता, बल्कि उन खामोशियों से आता है, जहाँ दो दिल बिना बोले एक-दूसरे को समझ लेते हैं। वहीं प्रेम अपनी सबसे सच्ची भाषा बोलता है। और सच कहूँ — जीवन कितना भी लंबा क्यों न हो, मन कभी सच्चे रिश्तों से भरता नहीं। क्योंकि हर संबंध, हमारे भीतर कुछ छोड़ जाता है — एक सीख, एक अनछुआ स्पर्श, या फिर कोई अधूरा एहसास। इसलिए संबंधों को निभाइए… वादों से नहीं, भावों से। क्योंकि अंत में जो टिकता है, वो शब्द नहीं — हृदय की निष्ठा होती है। 💫 #📓 हिंदी साहित्य #📖 कविता और कोट्स✒️ #विजय पाल #✍मेरे पसंदीदा लेखक #✍️ साहित्य एवं शायरी
📓 हिंदी साहित्य - "रिश्ते वादों से नहीं, हृदय की ##78.. सच्चाई नहीं उम्र बीत जाती है, पर सच्चे संबंध कभी aai" पुराने fbll mai stree "रिश्ते वादों से नहीं, हृदय की ##78.. सच्चाई नहीं उम्र बीत जाती है, पर सच्चे संबंध कभी aai" पुराने fbll mai stree - ShareChat
हम अक्सर रामायण में सीताजी को एक सहने वाली स्त्री के रूप में देखते हैं। लेकिन सच यह है कि सीता भारतीय इतिहास की सबसे साहसी, सबसे निर्णायक और सबसे आत्मसम्मानी स्त्रियों में से एक थीं। उन्होंने जीवन की हर कठिनाई में “अपने निर्णय स्वयं लिए।” कभी डरकर नहीं, कभी दबकर नहीं, कभी टूटकर नहीं। अगर हम आज सीताजी की तरह निर्णय लें, तो हमारी ज़िंदगी कैसी दिखेगी? 1. जब दुनिया कहे—मत करो और दिल कहे—यही सही है…. सीताजी के पास महल था, सुरक्षा थी, आराम था। फिर भी उन्होंने जंगल का रास्ता चुना क्योंकि दिल ने कहा-यही सही है। आज की ज़िंदगी में इसका मतलब क्या है? जिस काम में आपका दिल लगे, वही करो । दुनिया क्या कहेगी—इस डर से जीवन न रोकना। अपनी राह खुद चुनना, चाहे रास्ता मुश्किल क्यों न हो। सीताजी सिखाती हैं—अपना निर्णय खुद लो, डर के आधार पर मत लो। 2. जब आपको खतरा दिखे और आप बोलना चाहो, तो बोलो । स्वर्ण-मृग के समय सीताजी ने रामजी को स्पष्ट कहा—यह ठीक नहीं है, मत जाइए। खतरा हो सकता है । यानि: गलत चीज़ देखकर चुप नहीं रहना—रिश्तों में, दोस्तियों में, काम में— जैसे ही आपको खतरा दिखे, बोल देना। अपने परिवार को सही दिशा दिखाना। सीताजी सिखाती हैं—मृदु रहो, पर डरकर नहीं रहो । 3. जब लोग आपकी नीयत पर सवाल उठाएँ…. अग्निपरीक्षा में सीताजी ने किसी से बहस नहीं की। उन्होंने कहा कि मेरी सच्चाई मैं खुद जानती हूँ और वही काफी है। आज इसका क्या अर्थ है? लोगों को हर बार सफाई देना ज़रूरी नहीं। आपकी नीयत साफ़ है—बस वही पर्याप्त है। अपनी गरिमा खुद तय करो। सीताजी कहती हैं—अपने मूल्य खुद तय करो, दुनिया को यह अधिकार नहीं दो । 4. जब समाज आपकी पहचान पर उँगली उठाए…. जब सीताजी पर फिर आरोप लगे, वे किसी पर चिल्लाई नहीं। उन्होंने तय किया-जहाँ सम्मान नहीं, वहाँ मैं नहीं रहूँगी। यानि: उन रिश्तों से निकल जाना, जहाँ आपको इज़्ज़त नहीं मिलती। उन लोगों से दूरी बना लेना जो बार-बार आपकी गरिमा पर चोट करते हैं। अपनी मानसिक शांति को प्राथमिकता देना। सीताजी सिखाती हैं—जहाँ सम्मान नहीं, वहाँ ठहरना नहीं। 5. जब जीवन आपको कठिन चुनाव करने पर मजबूर करे…. सीताजी ने जीवन के हर मोड़ पर सबसे कठिन रास्ता चुना—पर सही रास्ता चुना। आज हम क्या कर सकते हैं? आसान लेकिन गलत काम छोड़ देना। कठिन लेकिन सही बात पर टिक जाना। हर फैसले में अपनी आत्मा की आवाज़ सुनना। सीताजी कहती हैं—कठिन निर्णय ही चरित्र बनाते हैं। आज की स्त्री और आज का पुरुष भी दोनों के भीतर ‘सीता’ का साहस चाहिए। सीताजी सिर्फ इतिहास नहीं हैं। वे एक फ़्रेमवर्क हैं कि जीवन में कैसे निर्णय लिए जाते हैं: दिल से, सत्य से, सम्मान से और स्वयं की गरिमा से। अगर आज हम अपनी रोज़ की ज़िंदगी में सीताजी की तरह निर्णय लेना शुरू कर दें— तो हमारी ज़िंदगी, हमारे रिश्ते, हमारा करियर—सब बदल सकता है। क्योंकि अंत में— सीता स्त्री नहीं थीं, सीता निर्णय थीं।” #📖 कविता और कोट्स✒️ #📓 हिंदी साहित्य #विजय पाल #✍️ साहित्य एवं शायरी #✍मेरे पसंदीदा लेखक
📖 कविता और कोट्स✒️ - रामायण के जीवन सूत्र #४५ आज की स्त्री सीताजी से क्या सीख सकती है... रामायण के जीवन सूत्र #४५ आज की स्त्री सीताजी से क्या सीख सकती है... - ShareChat
एक हल्की सी परवाह रिश्ते को बरकरार रखती हैं अपनी पसंद को इतना प्यार और सम्मान दो की उसे किसी और की जरूरत ना पड़े मुक्ति 💞 #📓 हिंदी साहित्य #विजय पाल #✍️ साहित्य एवं शायरी ##️⃣DilShayarana💘 #📖 कविता और कोट्स✒️
📓 हिंदी साहित्य - एक हल्की सी परवाह रिश्ते को बरकरार रखती हैं अपनी पसंद को इतना प्यार और सम्मान दो की उसे किसी और की जरूरत ना पडे़ मुक्ति एक हल्की सी परवाह रिश्ते को बरकरार रखती हैं अपनी पसंद को इतना प्यार और सम्मान दो की उसे किसी और की जरूरत ना पडे़ मुक्ति - ShareChat
वो चाहता है.... उसका जैसा मन करे, ज़ब मन करे, जितना मन करे वो मेरा दिल दुखाये! बदले में मैं उससे जरा भी शिकायत ना करूं! माना कि सहने की छमता मुझमें उससे अधिक है इसका मतलब ये तो नहीं..... कि मैं उफ़ तक ना करूं !! #विजय पाल #📓 हिंदी साहित्य #📗प्रेरक पुस्तकें📘 #💔दर्द भरी कहानियां #✍️ साहित्य एवं शायरी
विजय पाल - वो तुम्हें तुम्हारी मनः स्थिति के साथ संभाल नहीं पाएंगे ये कमी उनमें है ये बात भी वो मान नहीं पाएंगे सारी कमियों के साथ हर वक़्त तुम ही गलत हो तुम ऐसी तुम वैसी कहकर और तुम्हारी तरफ 1 ऊँगली हमेशा ही अपनी तरफ 4 बड़ी घमंड के साथ वो उठाए रखेंगे ! ! प्रियांशी वो तुम्हें तुम्हारी मनः स्थिति के साथ संभाल नहीं पाएंगे ये कमी उनमें है ये बात भी वो मान नहीं पाएंगे सारी कमियों के साथ हर वक़्त तुम ही गलत हो तुम ऐसी तुम वैसी कहकर और तुम्हारी तरफ 1 ऊँगली हमेशा ही अपनी तरफ 4 बड़ी घमंड के साथ वो उठाए रखेंगे ! ! प्रियांशी - ShareChat