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मोक्षदा एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं
भगवान विष्णु आपके जीवन में शांति, प्रेम और सौभाग्य की वर्षा करें
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निहारत निहारत श्याम को नैना गये खोय....
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दासी मैं तुम्हारी सांवरे
कछु ओर ना भावै मोय
जीवन के सब रस फीके लागें एक श्याम रस अति प्यारो
अरी लाडली चलो चले कुंजन
जहाँ रमण करे साजन साँवरो...
बालकृष्ण का🕉️शिव-भक्ति रहस्य✨
गोकुल की धरती उस सुबह अत्यंत शांत थी। सूर्योदय की हल्की लालिमा यमुना के जल पर सुनहरी रेखाएँ खींच रही थी। नंदबाबा के आँगन में सब तरफ हँसी-खुशी थी, पर उस दिन कोई कृष्ण को ढूँढ नहीं पा रहा था। यशोदा इधर-उधर ताकतीं, गोपियाँ पूछतीं—पर नटखट बालक कहीं दिख ही नहीं रहा था।
उधर, वृंदावन के एक छोटे, एकांत उपवन में पाँच वर्ष के नन्हे कृष्ण कुछ ढूँढ़ते-ढूँढ़ते पहुँचे थे। वहीं रेत के बीच प्रकट था एक छोटा-सा शिवलिंग—प्रकृति में विलीन, शांत, उज्ज्वल।
कृष्ण की आँखों में अद्भुत चमक थी। वे धीरे से उसके पास गए, दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम किया, और मिट्टी से छोटे-छोटे फूल बनाकर शिवलिंग पर चढ़ाने लगे। कोई दिखाने के लिए नहीं, कोई दिखावा नहीं—बस बालकृष्ण की निष्कपट, निर्मल भक्ति।
अचानक, उपवन में शीतल पवन बहने लगी और वातावरण में अलौकिक सुगंध फैल गई। मानो स्वयं महादेव उस नन्हे बालक की भक्ति से प्रसन्न हो उठे हों।
भोलेनाथ का दिव्य स्वर आकाश में गूँजा—
“वत्स कृष्ण, तेरी इस बाल भक्ति से मैं अत्यंत प्रसन्न हूँ। तू स्वयं संपूर्ण जगत का पालनहार है, फिर भी तूने प्रेम से मुझे पूजा—यही सच्ची भक्ति है।”
कृष्ण ने हँसकर उत्तर दिया—
“बाबा भोले, मैं सबका हूँ, और आप मेरे हैं। संसार में प्रेम और सरलता ही सबसे बड़ा पूजन है।”
उस पवन से वृक्ष झूम उठे, और शिवलिंग पर स्वयं बिल्वपत्र और पुष्प प्रकट हो गए—यह देखकर वन की चिड़ियाँ आनंद से गाने लगीं।
इसी बीच यशोदा और गोपियाँ कृष्ण को खोजते हुए वहाँ पहुँचीं और विस्मित रह गईं—
नन्हा गोपाल मिट्टी से बने छोटे फूल शिवलिंग पर रख रहा था, उसका चेहरा तेज से दमक रहा था।
यशोदा के नेत्र भर आए।
“लला, तू यहाँ क्या कर रहा है?”
कृष्ण मुस्कुराए—
“मैया, मैं अपने भोले बाबा को फूल चढ़ा रहा हूँ। वो भी तो हमारे रक्षक हैं।”
उस दिन यशोदा ने पहली बार अपने लल्ला के भीतर दिव्यता की गहराई को अनुभव किया।
✨ कथा का संदेश (शिक्षा) ✨
सच्ची पूजा बड़े कर्मों में नहीं, निर्मल भाव में निहित है।
ईश्वर उन हृदयों में वास करते हैं जहाँ सरलता, प्रेम और निष्कपटता हो।
नन्हा कृष्ण हमें सिखाता है कि भक्ति उम्र नहीं देखती, केवल मन की पवित्रता देखती है।
शिव और कृष्ण—दोनों एक ही दिव्य शक्ति के दो रूप—भक्तों के प्रेम से हमेशा प्रसन्न होते हैं।
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जाग गये हो तो ठाकुरजी के चरणों में
श्री राधे राधे नाम की हाजरी लगाते जाये
आपका दिन शुभ हो
🙏🙏🌼🌺🌼 राधे राधे 🌼🌺🌼🙏🙏 #🌸 जय श्री कृष्ण😇 #🙏गुरु महिमा😇 #🤗जया किशोरी जी🕉️ #🌺राधा कृष्ण💞 #😊कृष्ण कथाएं




