ગોવિંદજી ઠાકોર
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ગોવિંદજી ઠાકોર
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सत् कैवल परमात्मा
શુભ સવાર ના સત્ કૈવલ પરમાત્મા. #📝આધ્યાત્મિક ગુરૂ પરમગુરૂ શ્રીમંત કરુણાસાગર.
📝આધ્યાત્મિક ગુરૂ - सत्ू कैवल साहेब अमत ?C[ अद्वैता द्वैत नर्र्वेद चिंतामणी ग्रंथ व्याकरण भाषा और प्राकृत भाषाको अंगः२३ तिनेहु। जिनके करीत समोह सकल अरथ, व्याकरण नाम आगमके जेह़ी नरप चक्रवति , समटी जिने कीनेहुI२६ अनुवादः _B पहले केचक्रवर्ती राजा नेविभिन्नबोली जाने वाली प्राकृत भाषारओंको एकत्रित करके उ्न्हे अर्थपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया, जिसे व्याकरण कहा जाता है। ?CIIC: पूर्वकाल में देश के चक्रवर्ती राजा हुए जिर्न्होने विद्वान " भाषाविर्दोंकेमाध्यम से अलग ्अलग वोली जाने वाली प्राकृत भाषाओंको एकत्रित किया और उसर्में शर्ब्दोंका शासन स्थापित किया। किसी वाक्य में स्वर, व्यंजन , प्रत्यय आदिके अंतर्संबंधों केव्यवस्थित विश्लेषण कोव्याकरण कहते हैं। कैवल परमात्मा I Govindji सत्ू कैवल साहेब अमत ?C[ अद्वैता द्वैत नर्र्वेद चिंतामणी ग्रंथ व्याकरण भाषा और प्राकृत भाषाको अंगः२३ तिनेहु। जिनके करीत समोह सकल अरथ, व्याकरण नाम आगमके जेह़ी नरप चक्रवति , समटी जिने कीनेहुI२६ अनुवादः _B पहले केचक्रवर्ती राजा नेविभिन्नबोली जाने वाली प्राकृत भाषारओंको एकत्रित करके उ्न्हे अर्थपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया, जिसे व्याकरण कहा जाता है। ?CIIC: पूर्वकाल में देश के चक्रवर्ती राजा हुए जिर्न्होने विद्वान " भाषाविर्दोंकेमाध्यम से अलग ्अलग वोली जाने वाली प्राकृत भाषाओंको एकत्रित किया और उसर्में शर्ब्दोंका शासन स्थापित किया। किसी वाक्य में स्वर, व्यंजन , प्रत्यय आदिके अंतर्संबंधों केव्यवस्थित विश्लेषण कोव्याकरण कहते हैं। कैवल परमात्मा I Govindji - ShareChat
શુભ સવાર ના સત્ કૈવલ સાહેબ. #📝આધ્યાત્મિક ગુરૂપરમગુરૂ શ્રીમંત કરુણાસાગર.
📝આધ્યાત્મિક ગુરૂ - कष सक्रत C्वरज कर्पेश केवन क्ता त्वे दम्ामि ]] धर्म चलेहुंः तेही भव फेरंन अंत लहोतो, सुधर्म धर्मकलपतरु कारन कणके, फळकरतारफलेहु॰ `]१००० भावार्थः QQQQaaia3 %tnusaHieనacgudaaడ(శ్శిమ్మాu 234,512013ef21scu4R8 dscuae2leead| थे%sताकदिडछे.डडेवानीभतादाक्ुथीछेछेछ्ढााकदी haqalelualzuisrl eer-daqar-eleu-idl uRRRRElడడsagIRIB सतू कैवल साहेब शुभष प्रभात आपका दिचरघपलमय रहे। Vouinji कष सक्रत C्वरज कर्पेश केवन क्ता त्वे दम्ामि ]] धर्म चलेहुंः तेही भव फेरंन अंत लहोतो, सुधर्म धर्मकलपतरु कारन कणके, फळकरतारफलेहु॰ `]१००० भावार्थः QQQQaaia3 %tnusaHieనacgudaaడ(శ్శిమ్మాu 234,512013ef21scu4R8 dscuae2leead| थे%sताकदिडछे.डडेवानीभतादाक्ुथीछेछेछ्ढााकदी haqalelualzuisrl eer-daqar-eleu-idl uRRRRElడడsagIRIB सतू कैवल साहेब शुभष प्रभात आपका दिचरघपलमय रहे। Vouinji - ShareChat
શુભ સવાર સત્ કૈવલ પરમાત્મા. #📝આધ્યાત્મિક ગુરૂ પરમગુરૂ શ્રીમંત કરુણાસાગર.
📝આધ્યાત્મિક ગુરૂ - कैवल साहेब Gr अमत सव अद्वैता द्वैत नर्र्वेद चिंतामणि ग्रंथ व्याकरण भाषा और प्राकृत भाषाको अंगः ९ ிளனி देश देश भिन्न भिन्नके। प्रथम वाणी प्राकृतही , बाबॅज, पण प्राकृत तेही तीनके।।२५ फरक फरक ६अनुवादः पहली प्राचीन प्राकृत बोली , जो हरदेशकी भाषा हे। बस बोलने केतरीके में अंतर अलग हे। लेकिन यह उनकी प्राकृत भाषा हे। ?CIIC: प्राचीन कालर्में मनुर्ष्योने सबसे पहले आपसरमें बातचीत शुरूकी, जो मूल प्राचीन प्राकृत भाषा है। जिसर्में प्रत्येक देश।क्षेत्रकी अपनी अलग भाषा होती है। बोलने केतरीके मेंभी अंतरहोता है। लेकिनवेजो बोलते हैं उसे उस देशकी प्राकृत भाषा कहते हैं। GGడECtIGu Gowirji कैवल साहेब Gr अमत सव अद्वैता द्वैत नर्र्वेद चिंतामणि ग्रंथ व्याकरण भाषा और प्राकृत भाषाको अंगः ९ ிளனி देश देश भिन्न भिन्नके। प्रथम वाणी प्राकृतही , बाबॅज, पण प्राकृत तेही तीनके।।२५ फरक फरक ६अनुवादः पहली प्राचीन प्राकृत बोली , जो हरदेशकी भाषा हे। बस बोलने केतरीके में अंतर अलग हे। लेकिन यह उनकी प्राकृत भाषा हे। ?CIIC: प्राचीन कालर्में मनुर्ष्योने सबसे पहले आपसरमें बातचीत शुरूकी, जो मूल प्राचीन प्राकृत भाषा है। जिसर्में प्रत्येक देश।क्षेत्रकी अपनी अलग भाषा होती है। बोलने केतरीके मेंभी अंतरहोता है। लेकिनवेजो बोलते हैं उसे उस देशकी प्राकृत भाषा कहते हैं। GGడECtIGu Gowirji - ShareChat
શુભ સવાર ના સત્ કૈવલ સાહેબ. #📝આધ્યાત્મિક ગુરૂ પરમગુરૂ શ્રીમંત કરુણાસાગર.
📝આધ્યાત્મિક ગુરૂ - आध सक्रत स्वरज् करू्पेश कैवन कर्त ्त्व नृमामि `० अधीकउरकरतारधरेबीन, सांम्रथसाह्ायनकरही; साहाय विनातोसकल समोवड, स्चनालगृभक्फ्यडी०००९०० ६आावार्थ+ @alailleiaes] Gursgqelwugtela lsdHGeuetlsaa urrul-l8 s2lalsaiau-JGzuiczggusaad(8et? धाशघादखिड्तीशभर्थधाघीनीढभनैशषखायुथ्र्या्दाथुशीद@ि कुकीश्षड्दनानीशडाथवघरयाथयाळयादा ्ााळवकवा@व எஞஒபிgூபிஅஞூலிலமஅஸீஞூிலி @anastdgsuctaauss aCECTECIEESRSIEIHE सतू कैवल साहेब ೩೫ gouc ತ[ufಳಣಣ[] ر O Govindt आध सक्रत स्वरज् करू्पेश कैवन कर्त ्त्व नृमामि `० अधीकउरकरतारधरेबीन, सांम्रथसाह्ायनकरही; साहाय विनातोसकल समोवड, स्चनालगृभक्फ्यडी०००९०० ६आावार्थ+ @alailleiaes] Gursgqelwugtela lsdHGeuetlsaa urrul-l8 s2lalsaiau-JGzuiczggusaad(8et? धाशघादखिड्तीशभर्थधाघीनीढभनैशषखायुथ्र्या्दाथुशीद@ि कुकीश्षड्दनानीशडाथवघरयाथयाळयादा ्ााळवकवा@व எஞஒபிgூபிஅஞூலிலமஅஸீஞூிலி @anastdgsuctaauss aCECTECIEESRSIEIHE सतू कैवल साहेब ೩೫ gouc ತ[ufಳಣಣ[] ر O Govindt - ShareChat
શુભ સવાર ના સત્ કૈવલ પરમાત્મા. #📝આધ્યાત્મિક ગુરૂ પરમગુરૂ શ્રીમંત કરુણાસાગર.
📝આધ્યાત્મિક ગુરૂ - सत् कैवल साहेब अमृत ज्ास अद्वेता द्वैत नरर्वेद चिंतामणि ग्रंथ व्याकरण भाषा और प्राकृत भाषाको अंगः२३ पीछेहु। प्ण परथम प्राकृत परभाषीत , व्याकरण व्रणीत तीनके करीत करामॅल कह हीत , नरणीत न्याय जस जेहुI।२४ ६अनुवादः लेकिन सबसे पहले जिस भाषाका लोगों पर प्रभाव पड़ा , वह थी प्राकृत भाषा | फिरव्याकरण कावर्णनकिया गया। मैँने उसकी युक्तिर्योंका निष्पक्ष मूल्यांकन किया हे ओरउसे सबसे उपयुक्त तरीके से बताया हे। 477ک? लेकिन पहले प्राकृत भाषा , जौ दैनिकव्यवहारमैं सुविधा के लिएप्रचलित हो गई है, प्रयोग में आई[ उसके बाद, उस भाषा केविद्वत्तापूर्ण प्रयोग को ध्यान में रखते हुए ; उसका व्याकरण बाद में लागू किया अर्थात् व्याकरण बाद में गढ़ा गया। कुवेरस्वामी II ने इस विषय पर युक्तिका निष्पक्ष मूल्यांकन किया है और उसे यथायोग्य प्रस्तुत किया है। सढू कैबल परयात्या सत् कैवल साहेब अमृत ज्ास अद्वेता द्वैत नरर्वेद चिंतामणि ग्रंथ व्याकरण भाषा और प्राकृत भाषाको अंगः२३ पीछेहु। प्ण परथम प्राकृत परभाषीत , व्याकरण व्रणीत तीनके करीत करामॅल कह हीत , नरणीत न्याय जस जेहुI।२४ ६अनुवादः लेकिन सबसे पहले जिस भाषाका लोगों पर प्रभाव पड़ा , वह थी प्राकृत भाषा | फिरव्याकरण कावर्णनकिया गया। मैँने उसकी युक्तिर्योंका निष्पक्ष मूल्यांकन किया हे ओरउसे सबसे उपयुक्त तरीके से बताया हे। 477ک? लेकिन पहले प्राकृत भाषा , जौ दैनिकव्यवहारमैं सुविधा के लिएप्रचलित हो गई है, प्रयोग में आई[ उसके बाद, उस भाषा केविद्वत्तापूर्ण प्रयोग को ध्यान में रखते हुए ; उसका व्याकरण बाद में लागू किया अर्थात् व्याकरण बाद में गढ़ा गया। कुवेरस्वामी II ने इस विषय पर युक्तिका निष्पक्ष मूल्यांकन किया है और उसे यथायोग्य प्रस्तुत किया है। सढू कैबल परयात्या - ShareChat
શુભ સવાર ના સત્ કૈવલ સાહેબ. #📝આધ્યાત્મિક ગુરૂ પરમગુરૂ શ્રીમંત કરુણાસાગર.
📝આધ્યાત્મિક ગુરૂ - ll आध सक्रत स्वराज करूणेश कैवल कतॉ त्वं नमामी Il சeதி பகி வ&கி: வரஅிகடுசரிதிளeிa  அஅித கிDIGா @aalekricia: 28/ @ಪೌಿಹ 8 cla- dulGeifcrglasRaur-eoladuleidza] +421 Eaiailael s ecicriad.8e14a4za1] %uio8q8cuidguuus?8 s u2adauezaia  <জ্ডিইটঃশএডণীনণথীী cpu23 elid 5321311312 GqScவேபடுஏ gtRLGT आपका दिन मंगलमय हो। ح Govindji ll आध सक्रत स्वराज करूणेश कैवल कतॉ त्वं नमामी Il சeதி பகி வ&கி: வரஅிகடுசரிதிளeிa  அஅித கிDIGா @aalekricia: 28/ @ಪೌಿಹ 8 cla- dulGeifcrglasRaur-eoladuleidza] +421 Eaiailael s ecicriad.8e14a4za1] %uio8q8cuidguuus?8 s u2adauezaia  <জ্ডিইটঃশএডণীনণথীী cpu23 elid 5321311312 GqScவேபடுஏ gtRLGT आपका दिन मंगलमय हो। ح Govindji - ShareChat
શુભ સવાર ના સત્ કૈવલ પરમાત્મા. #📝આધ્યાત્મિક ગુરૂ પરમગુરૂ શ્રીમંત કરુણાસાગર.
📝આધ્યાત્મિક ગુરૂ - सत् कैवल साहेब अमत सव अद्वेता द्वेत नर्र्वेद चिंतामणी ग्रंथ और प्राकृत भाषाको अंगः९ व्याकरण भाषा तिनके लेई परमाण प्रतिदिन , धरीत उरीत अनुरावु | तीनमे दढ धीरज मजबूत कर, पाकृत धरीत अभावुँ२३ ঔন্তবান: इसे प्रमाण मानकरमनुर्ष्योंने अपने हृदय र्में श्रद्धा औरप्रेम का संचारकिया , साथही धेर्यको भी सुदृढ़किया ओर प्रकृति के प्रति अनासक्तिका भावविकसितकिया। {HR: इस तथ्यके बारेर्मेकि धार्मिक विद्वार्नों ने संस्कृत को ईश्वरकी भाषा बताया है, संसारके अज्ञानी लोर्गो ने उनके उपदे्शों परहृदय से विश्वास करके संस्कृत के प्रति विशेष प्रेम उत्पन्न करलिया है, और इसी कारण उर्न्होने उसमें दृढ़ता और धैर्यपूर्वक अपना स्थान बनालिया हैे, तथा प्राकृत भाषा के प्रति अरुचि उत्पन्नकरली हे। सत् कैवल परमात्मा Govindji सत् कैवल साहेब अमत सव अद्वेता द्वेत नर्र्वेद चिंतामणी ग्रंथ और प्राकृत भाषाको अंगः९ व्याकरण भाषा तिनके लेई परमाण प्रतिदिन , धरीत उरीत अनुरावु | तीनमे दढ धीरज मजबूत कर, पाकृत धरीत अभावुँ२३ ঔন্তবান: इसे प्रमाण मानकरमनुर्ष्योंने अपने हृदय र्में श्रद्धा औरप्रेम का संचारकिया , साथही धेर्यको भी सुदृढ़किया ओर प्रकृति के प्रति अनासक्तिका भावविकसितकिया। {HR: इस तथ्यके बारेर्मेकि धार्मिक विद्वार्नों ने संस्कृत को ईश्वरकी भाषा बताया है, संसारके अज्ञानी लोर्गो ने उनके उपदे्शों परहृदय से विश्वास करके संस्कृत के प्रति विशेष प्रेम उत्पन्न करलिया है, और इसी कारण उर्न्होने उसमें दृढ़ता और धैर्यपूर्वक अपना स्थान बनालिया हैे, तथा प्राकृत भाषा के प्रति अरुचि उत्पन्नकरली हे। सत् कैवल परमात्मा Govindji - ShareChat
શુભ સવાર ના સત્ કૈવલ સાહેબ. #📝આધ્યાત્મિક ગુરૂ પરમગુરૂ શ્રીમંત કરુણાસાગર.
📝આધ્યાત્મિક ગુરૂ - ०] क्षष सकत सरज कर्पेश केवल कता व्वे दृभाभि ]] भीन्नवीनाआपनोकरीकरता , लेवत नही उर धरहीः जबतेनीजपनीउरधखावंन धर्म समरहीः I७० ಸಳೆ भावार्थ४- @@a Qleeie Rleia323| 58 ஞிவிஸூஸீaீஆழி Qa இபs்லி G2iu[2ಾ[s22[ಗ96 433&36304} 980 a2ottడెuoattogidaeట शडीशुद्ेर्ध्त्रुीवर्ढन्शापो . -पु२भख्रु३श्ीभत S२P२I२२ सनू केवल स्ाहेब शुश््राप्रभात आपका दिन आर्नदित हो। Govindji| ०] क्षष सकत सरज कर्पेश केवल कता व्वे दृभाभि ]] भीन्नवीनाआपनोकरीकरता , लेवत नही उर धरहीः जबतेनीजपनीउरधखावंन धर्म समरहीः I७० ಸಳೆ भावार्थ४- @@a Qleeie Rleia323| 58 ஞிவிஸூஸீaீஆழி Qa இபs்லி G2iu[2ಾ[s22[ಗ96 433&36304} 980 a2ottడెuoattogidaeట शडीशुद्ेर्ध्त्रुीवर्ढन्शापो . -पु२भख्रु३श्ीभत S२P२I२२ सनू केवल स्ाहेब शुश््राप्रभात आपका दिन आर्नदित हो। Govindji| - ShareChat
શુભ સવાર ના સત્ કૈવલ પરમાત્મા. #📝આધ્યાત્મિક ગુરૂ પરમગુરૂ શ્રીમંત કરુણાસાગર.
📝આધ્યાત્મિક ગુરૂ - सतू कैवल साहेब अमत सव अद्वैता द्वैत नर्खेद चिंतामणी ग्रंथ औरप्राकृत भाषाको अंग:९ व्याकरण भाषा वचन विरोध करन कतॉ बीच, तिव्र त्याग विलियनके। देयी परतीत संस्कृतकी सद, सुर भाषण किलियनके I१२२ = अनुवादः कर्ता-भाव केकारण उ्न्होने तीव्रत्याग नहींकिया औरवचर्नों काविरोध किया। फिरभी, वे संस्कृत को देवताओंकी भाषा कहकर उसर्मे सच्ची आस्थालाते हैं। {HR: सनकादिकों औरकर्ता केबीचकी भावना और आरती केकारण ब्रह्माजी केमुख से निकले उपदेश सनकादिकों केतीव्र वैराग्यको परास्त नर्हींकर सके। अतः सनकादिकों ने ब्रह्माजी के वचनों काविरोधकिया औरचले गए। फिरभी, आचार्योंने संस्कृतको देवताओंकी भाषा ।वाणी।कहकर, उसर्मे सच्ची श्रद्धा उत्पन्न करते हुए, संसारको शिक्षाप्रद वचन कहे। सत् कैवल परमात्मा Goindit सतू कैवल साहेब अमत सव अद्वैता द्वैत नर्खेद चिंतामणी ग्रंथ औरप्राकृत भाषाको अंग:९ व्याकरण भाषा वचन विरोध करन कतॉ बीच, तिव्र त्याग विलियनके। देयी परतीत संस्कृतकी सद, सुर भाषण किलियनके I१२२ = अनुवादः कर्ता-भाव केकारण उ्न्होने तीव्रत्याग नहींकिया औरवचर्नों काविरोध किया। फिरभी, वे संस्कृत को देवताओंकी भाषा कहकर उसर्मे सच्ची आस्थालाते हैं। {HR: सनकादिकों औरकर्ता केबीचकी भावना और आरती केकारण ब्रह्माजी केमुख से निकले उपदेश सनकादिकों केतीव्र वैराग्यको परास्त नर्हींकर सके। अतः सनकादिकों ने ब्रह्माजी के वचनों काविरोधकिया औरचले गए। फिरभी, आचार्योंने संस्कृतको देवताओंकी भाषा ।वाणी।कहकर, उसर्मे सच्ची श्रद्धा उत्पन्न करते हुए, संसारको शिक्षाप्रद वचन कहे। सत् कैवल परमात्मा Goindit - ShareChat
શુભ સવાર ના સત્ કૈવલ સાહેબ. #📝આધ્યાત્મિક ગુરૂ પરમગુરૂ શ્રીમંત કરુણાસાગર.
📝આધ્યાત્મિક ગુરૂ - क०षथ सक्रत स्वराज कर्पेश केवल कर्ता र्त्व दृभामि ]] M औरसकलसबजीवजिंततन धसमैफरकजनाइ व्यौभवसैती भींनलगे नही धर्मविना तुमताइ 0३० Qe aecgaeea 8 %2k1-1904ui-1eis2-1ege%g88IRIDo% @Ragud@కaeudిsRg-al Uagaeea S3SR सतू कैवल स्गाहेव शुकष प्रभात आपका दिनर्ंगलमय रहे। Govindji क०षथ सक्रत स्वराज कर्पेश केवल कर्ता र्त्व दृभामि ]] M औरसकलसबजीवजिंततन धसमैफरकजनाइ व्यौभवसैती भींनलगे नही धर्मविना तुमताइ 0३० Qe aecgaeea 8 %2k1-1904ui-1eis2-1ege%g88IRIDo% @Ragud@కaeudిsRg-al Uagaeea S3SR सतू कैवल स्गाहेव शुकष प्रभात आपका दिनर्ंगलमय रहे। Govindji - ShareChat