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#☝अनमोल ज्ञान #❤️जीवन की सीख #👌 अच्छी सोच👍 #🌸 सत्य वचन #👉 लोगों के लिए सीख👈
☝अनमोल ज्ञान - "श्री सदगुरुदेवाय नमः नासमझी की लम्बी श्रृंखला का पहला एपिसोड है - लोभ और लिप्सा। गुजराता तो सरलता से भी हो सकता है। इसके लिए पर्याप्त श्रम समर्थन होना चाहिए। पशु-पक्षियों को पेट भरने के लिए दिन भर भागन्दौड़ करना शामिल है। मनुष्य के कई फुट लंबे हाथ और बुद्धि से परिपूर्ण मस्तिष्क मिल - जुलकर एक फुटे पेट को सरलता व सहजता से भर सकता है फिर मानवीय गरिमा को गिराकर धन उपार्जन करना कहां का तर्कसंगत है? बाबूलाल बाबूलाल . "श्री सदगुरुदेवाय नमः नासमझी की लम्बी श्रृंखला का पहला एपिसोड है - लोभ और लिप्सा। गुजराता तो सरलता से भी हो सकता है। इसके लिए पर्याप्त श्रम समर्थन होना चाहिए। पशु-पक्षियों को पेट भरने के लिए दिन भर भागन्दौड़ करना शामिल है। मनुष्य के कई फुट लंबे हाथ और बुद्धि से परिपूर्ण मस्तिष्क मिल - जुलकर एक फुटे पेट को सरलता व सहजता से भर सकता है फिर मानवीय गरिमा को गिराकर धन उपार्जन करना कहां का तर्कसंगत है? बाबूलाल बाबूलाल . - ShareChat
#👉 लोगों के लिए सीख👈 #🌸 सत्य वचन #❤️जीवन की सीख #👌 अच्छी सोच👍 #☝अनमोल ज्ञान
👉 लोगों के लिए सीख👈 - सदगुरुदेवाय नमः " "श्री ऊंची दीवार उठाने के लिए जगह-्जगह से मिट्टी उठाने के लिए मिट्टी खोदनी पडती है। ऐसे ही एक को अमीरी भोगने के लिए असंख्यों को गरीब जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करना पड़ता है। बाबूलाल बाबूलाल . सदगुरुदेवाय नमः " "श्री ऊंची दीवार उठाने के लिए जगह-्जगह से मिट्टी उठाने के लिए मिट्टी खोदनी पडती है। ऐसे ही एक को अमीरी भोगने के लिए असंख्यों को गरीब जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करना पड़ता है। बाबूलाल बाबूलाल . - ShareChat
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☝अनमोल ज्ञान - ٠ ٥ ٠ सदगुरुदेवाय नमः "श्री संपूर्ण विग्रह क्लेश कलह युद्ध केवल अहं का पोषण और महत्व का तोषणं करने के लिए ही है। काल के प्रवाह को दृष्टिगत देखते हुए उस सिद्धांत में आत्मविश्लेषण किंया जाए तो शांति इसी क्षण अभी उपलब्ध हो सकती है। ননুেললে নালুলল ٠ ٥ ٠ सदगुरुदेवाय नमः "श्री संपूर्ण विग्रह क्लेश कलह युद्ध केवल अहं का पोषण और महत्व का तोषणं करने के लिए ही है। काल के प्रवाह को दृष्टिगत देखते हुए उस सिद्धांत में आत्मविश्लेषण किंया जाए तो शांति इसी क्षण अभी उपलब्ध हो सकती है। ননুেললে নালুলল - ShareChat
#👉 लोगों के लिए सीख👈 #👌 अच्छी सोच👍 #❤️जीवन की सीख #🌸 सत्य वचन #☝अनमोल ज्ञान
👉 लोगों के लिए सीख👈 - सदगुरुदेवाय नमः " "श्री हमारा जीवन भी समुद्र के समान है जिसे मथने पर हमारे हाथ टूटे हुए प्रेम की पुलकण - आन्तरिक उल्लास तीन रत्न प्राप्त हुए। पहला है- दूसरा है - सत्य रूपी ज्ञान की गहन शोध प्राप्ति का கி आधार सहज जिज्ञासा और तीसरा है-पीडित मानव समुदाय के प्रति कोटेशन असहनीय स्तर की करुणा का सौंदर्य। इन तीन दिव्य र्नों के रूप में हमें जीवन -साधना से जो अमृत कण हाथ लगे हैं उनसे हम सारी वसुधा को धन्य बना सकते हैं। बाबूलाल बाबूलाल . सदगुरुदेवाय नमः " "श्री हमारा जीवन भी समुद्र के समान है जिसे मथने पर हमारे हाथ टूटे हुए प्रेम की पुलकण - आन्तरिक उल्लास तीन रत्न प्राप्त हुए। पहला है- दूसरा है - सत्य रूपी ज्ञान की गहन शोध प्राप्ति का கி आधार सहज जिज्ञासा और तीसरा है-पीडित मानव समुदाय के प्रति कोटेशन असहनीय स्तर की करुणा का सौंदर्य। इन तीन दिव्य र्नों के रूप में हमें जीवन -साधना से जो अमृत कण हाथ लगे हैं उनसे हम सारी वसुधा को धन्य बना सकते हैं। बाबूलाल बाबूलाल . - ShareChat
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👉 लोगों के लिए सीख👈 - सदगुरुदेवाय नमः " "श्री चिरस्मरणीय बात यह है कि हमें व्यवहारिक क्षेत्र से अपने सभी दोषों का निर्धारण करना है। दोषों के मिटने पर ही मनुष्य की जागृति और दिव्यता के अवतरण का आरंभ होता है। मानव से ही दिव्यता की प्राप्ति संभव है, असुंदरता और पशुता से यह संभव नहीं है। उच्चतम ध्येय यही होना चाहिए कि हम अपने व्यवहार में सद्रुणों का विकास करें। हमें अपने जीवन में सद्रुगों की आवश्यकता है। सद्रुणों के विकास से ही जीवन सुंदर होता है। यदि किसी क्रोध में आगे वृद्धि है तो हमें क्षमा करें सद्गुणों की वृद्धि में वृद्धि करें। यदि आप में दोषऱ्हीन्दोष हैं तो हमें क्षमा करें। सद्रुणों की वृद्धि से ही जीवन निःस्वार्थ प्रेममय और पवित्र तथा सुंदर बनता है। बाबलाल बाबलाल . सदगुरुदेवाय नमः " "श्री चिरस्मरणीय बात यह है कि हमें व्यवहारिक क्षेत्र से अपने सभी दोषों का निर्धारण करना है। दोषों के मिटने पर ही मनुष्य की जागृति और दिव्यता के अवतरण का आरंभ होता है। मानव से ही दिव्यता की प्राप्ति संभव है, असुंदरता और पशुता से यह संभव नहीं है। उच्चतम ध्येय यही होना चाहिए कि हम अपने व्यवहार में सद्रुणों का विकास करें। हमें अपने जीवन में सद्रुगों की आवश्यकता है। सद्रुणों के विकास से ही जीवन सुंदर होता है। यदि किसी क्रोध में आगे वृद्धि है तो हमें क्षमा करें सद्गुणों की वृद्धि में वृद्धि करें। यदि आप में दोषऱ्हीन्दोष हैं तो हमें क्षमा करें। सद्रुणों की वृद्धि से ही जीवन निःस्वार्थ प्रेममय और पवित्र तथा सुंदर बनता है। बाबलाल बाबलाल . - ShareChat
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☝अनमोल ज्ञान - सदगुरुदेवाय नमः " "श्री परिवार के आनंद के लिए गहनता से जुडाव की आवश्यकता है और इसे वे ही उपलब्ध करा सकते हैंजो स्वयं उदार सहृदय और सेवा भावना से जुडे हैं। परिवार में शास्त्रीय का सृजन केवल आध्यात्मिकता का आदर्श ही हो सकता है। जब तक यह वातावरण  तथ्य लोगों के अंतःकरण में प्रतिष्ठित नहीं होगाा तब तक घरों में आनंद और उल्लास की कमी खलती रहेगी। ননললে নানললে . सदगुरुदेवाय नमः " "श्री परिवार के आनंद के लिए गहनता से जुडाव की आवश्यकता है और इसे वे ही उपलब्ध करा सकते हैंजो स्वयं उदार सहृदय और सेवा भावना से जुडे हैं। परिवार में शास्त्रीय का सृजन केवल आध्यात्मिकता का आदर्श ही हो सकता है। जब तक यह वातावरण  तथ्य लोगों के अंतःकरण में प्रतिष्ठित नहीं होगाा तब तक घरों में आनंद और उल्लास की कमी खलती रहेगी। ননললে নানললে . - ShareChat
#👉 लोगों के लिए सीख👈 #🌸 सत्य वचन #👌 अच्छी सोच👍 #❤️जीवन की सीख #☝अनमोल ज्ञान
👉 लोगों के लिए सीख👈 - सदगुरूदेवाय नमः ' "g0 मानव -्जीवन का प्रत्येक क्षेत्र आज कांटो से परिपूर्ण एवं बाधाओं से भरा हुआ है।जो आधार हमें प्रगति और उत्साह में सहायक सिद्ध होने चाहिए थे वे ही हमें शोक संताप दुखों में वृद्धि कर रहे हैं। शरीर समाज विक्षुब्ध धन जंजाल शिक्षा अनुपयुक्त किसी भी दिशा में रुग्ण मन अशांत  परिवार उद्विग्न दृष्टिपात करे सर्वत्र झीलें और विभीषिकाएं दिखती हैं। मान लीजिए सुख-्शांति के सारे आधार उलटे कर दुख दैनिक कारण बन गये हैं। इसका एकमात्र कारण अध्यात्म की दृष्टि है। आध्यात्मिक मानव जीवन का प्राण है उसे जिस क्षेत्र से भी तिरस्कृत किया जाएगा उसी में विपन्नता उत्पन्न हो जाएगी। जल के बिना मछली पकडना संभव नहीं है मानव शांति भी अध्यात्म के बिना जीवित नहीं रह सकती। आज की शमशान जैसी सर्वभौह जलन का एकमात्र कारण यही है। নানুলাল ননুললে सदगुरूदेवाय नमः ' "g0 मानव -्जीवन का प्रत्येक क्षेत्र आज कांटो से परिपूर्ण एवं बाधाओं से भरा हुआ है।जो आधार हमें प्रगति और उत्साह में सहायक सिद्ध होने चाहिए थे वे ही हमें शोक संताप दुखों में वृद्धि कर रहे हैं। शरीर समाज विक्षुब्ध धन जंजाल शिक्षा अनुपयुक्त किसी भी दिशा में रुग्ण मन अशांत  परिवार उद्विग्न दृष्टिपात करे सर्वत्र झीलें और विभीषिकाएं दिखती हैं। मान लीजिए सुख-्शांति के सारे आधार उलटे कर दुख दैनिक कारण बन गये हैं। इसका एकमात्र कारण अध्यात्म की दृष्टि है। आध्यात्मिक मानव जीवन का प्राण है उसे जिस क्षेत्र से भी तिरस्कृत किया जाएगा उसी में विपन्नता उत्पन्न हो जाएगी। जल के बिना मछली पकडना संभव नहीं है मानव शांति भी अध्यात्म के बिना जीवित नहीं रह सकती। आज की शमशान जैसी सर्वभौह जलन का एकमात्र कारण यही है। নানুলাল ননুললে - ShareChat
#☝अनमोल ज्ञान #👌 अच्छी सोच👍 #🌸 सत्य वचन #❤️जीवन की सीख #👉 लोगों के लिए सीख👈
☝अनमोल ज्ञान - "श्री सदगुरुदेवाय नमः' अपने आपको परिस्थितियों के अनुकूल ढालने की यह सामंजस्य पूर्ण स्थिति मनुष्य भी विकसित करले तो आज वह कॉमेडी का दास नहीं बल्कि कॉमेडी ड्रममा करने में सक्षम होता। यदि हम अपने दृष्टिकोण में अब भी यह बदलाव करलें तो भविष्य में अपने जीवन को उन्नति सफल और सुरक्षित बना सकते हैं। बाबूलाल बाबूलाल . "श्री सदगुरुदेवाय नमः' अपने आपको परिस्थितियों के अनुकूल ढालने की यह सामंजस्य पूर्ण स्थिति मनुष्य भी विकसित करले तो आज वह कॉमेडी का दास नहीं बल्कि कॉमेडी ड्रममा करने में सक्षम होता। यदि हम अपने दृष्टिकोण में अब भी यह बदलाव करलें तो भविष्य में अपने जीवन को उन्नति सफल और सुरक्षित बना सकते हैं। बाबूलाल बाबूलाल . - ShareChat
#👉 लोगों के लिए सीख👈 #❤️जीवन की सीख #👌 अच्छी सोच👍 #🌸 सत्य वचन #☝अनमोल ज्ञान
👉 लोगों के लिए सीख👈 - सदगुरुदेवाय नमः " "श्री मित्रो।प्रभू ने मनुष्य को इसलिए इस आनंदमयी रचना में नहीं भेजा कि हम युद्ध में भाग लें शोषण दंड, दुख दरिद्रता और वेदना में बांझट रक्त की होली खेलें। हम बज्चों का यह राक्षसी अत्याचार कुकर्म दर्शन कर परमपिता भगवान को बहुत मनः क्लेश होता है। मूलतः यह उल्टी चाल छोड़कर दूसरों की सुख सुविधा का भरपूर ध्यान रखना चाहिए। भगवान को मनाने की सबसे सीधी चाल यह है कि हर व्यक्तिको मुझे नहीं चाहिए आप लीजिए की निःस्वार्थ रीति को ग्रहण करें। इस नीति की शिक्षा को स्वयं अपने जीवन में उतारें और पड़ोसियों को  भी दें। जहां तक संभव हो प्रेम न्याय भ्रातू भाव का यह दिव्य संदेश भेजा जाना चाहिए। सार्वजनिक सुख की भागीदारी सुखी भविष्य की आशा और आत्मनिर्भरता लाना चाहिए। बाबूलाल बाबूलाल . सदगुरुदेवाय नमः " "श्री मित्रो।प्रभू ने मनुष्य को इसलिए इस आनंदमयी रचना में नहीं भेजा कि हम युद्ध में भाग लें शोषण दंड, दुख दरिद्रता और वेदना में बांझट रक्त की होली खेलें। हम बज्चों का यह राक्षसी अत्याचार कुकर्म दर्शन कर परमपिता भगवान को बहुत मनः क्लेश होता है। मूलतः यह उल्टी चाल छोड़कर दूसरों की सुख सुविधा का भरपूर ध्यान रखना चाहिए। भगवान को मनाने की सबसे सीधी चाल यह है कि हर व्यक्तिको मुझे नहीं चाहिए आप लीजिए की निःस्वार्थ रीति को ग्रहण करें। इस नीति की शिक्षा को स्वयं अपने जीवन में उतारें और पड़ोसियों को  भी दें। जहां तक संभव हो प्रेम न्याय भ्रातू भाव का यह दिव्य संदेश भेजा जाना चाहिए। सार्वजनिक सुख की भागीदारी सुखी भविष्य की आशा और आत्मनिर्भरता लाना चाहिए। बाबूलाल बाबूलाल . - ShareChat
#☝अनमोल ज्ञान #👌 अच्छी सोच👍 #❤️जीवन की सीख #🌸 सत्य वचन #👉 लोगों के लिए सीख👈
☝अनमोल ज्ञान - सदगुरुदेवाय नमः " "9[ प्रेम-्भाव की प्राप्ति न कहावत से होती है न उपदेशों से। उसकी प्राप्ति का धन और संपत्ति से भी कोई संबंध नहीं और न ही मान और पद प्रतिष्ठा से ही संभव हो सकती है। शक्ति और सत्ता से भी प्रेम-्भाव की सिद्धि नहीं हो सकती। जबकि लोग कोरियोग्राफर स्टूडियो द्वारा ही प्रेम -्भाव पाने पढ़कर लेखक के प्रति उपदेश सुनकर वक्ता के प्रति   कुछपाने की काप्रयास करते हैं। पुस्तकें आशा में धनी के प्रति. शक्ति और वैभव देखकर विशिष्ट के प्रति जो आकर्षण का अनुभव होता है वह प्रेम नहीं होता। वह होता हैल प्रभाव लोभ और भय। बाबूलाल बाबूलाल . सदगुरुदेवाय नमः " "9[ प्रेम-्भाव की प्राप्ति न कहावत से होती है न उपदेशों से। उसकी प्राप्ति का धन और संपत्ति से भी कोई संबंध नहीं और न ही मान और पद प्रतिष्ठा से ही संभव हो सकती है। शक्ति और सत्ता से भी प्रेम-्भाव की सिद्धि नहीं हो सकती। जबकि लोग कोरियोग्राफर स्टूडियो द्वारा ही प्रेम -्भाव पाने पढ़कर लेखक के प्रति उपदेश सुनकर वक्ता के प्रति   कुछपाने की काप्रयास करते हैं। पुस्तकें आशा में धनी के प्रति. शक्ति और वैभव देखकर विशिष्ट के प्रति जो आकर्षण का अनुभव होता है वह प्रेम नहीं होता। वह होता हैल प्रभाव लोभ और भय। बाबूलाल बाबूलाल . - ShareChat