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#आज जिनकी पुण्यतिथि है
आज जिनकी पुण्यतिथि है - पुण्यतिथि है आज जिनकी श्रद्धासुमन टीची कुदी हेमंत स्वतवता सनानी +00795: हेमत कुमार मुखोपाप्याप  गायक २६ सितवर १९८९ n ட [ 6 लक्ष्मण किरलोस्कर उद्योगपति 26 মিনণয 1956  अर्जुन सेनगुप्ता अर्थशास्य २६ सितबर२०१० पुण्यतिथि है आज जिनकी श्रद्धासुमन टीची कुदी हेमंत स्वतवता सनानी +00795: हेमत कुमार मुखोपाप्याप  गायक २६ सितवर १९८९ n ட [ 6 लक्ष्मण किरलोस्कर उद्योगपति 26 মিনণয 1956  अर्जुन सेनगुप्ता अर्थशास्य २६ सितबर२०१० - ShareChat
#बलिदान दिवस #शहीद दिवस #🇮🇳 देशभक्ति #🙏🏻माँ तुझे सलाम #आज जिनकी पुण्यतिथि है
बलिदान दिवस - मींधू कुम्हार Raipur Chhattisgarh लमकेनी ग्राम जिला धमतरी में श्री भैरा के घर सन् १९१२ में जन्मे मींधू कुम्हार ने मात्र आयु में रूद्री नवागांव के जंगल १८ वर्ष की सत्याग्रह  में हिस्सा लिया था। धमतरी के प्रमुख नेता नारायण राव मेघावाले नत्थूजी जगताप, बाबू छोटे लाल श्रीवास्तव आदि के आव्हान पर रूद्री के आसपास के वन ग्रामों में रहने वाले लोग सैकड़ों की संख्या में २१ सितम्बर सन् १९३० को रूद्री जंगल में एकत्र होने लगे जहां वे वन कानूनों का सांकेतिक उल्लंघन कर जंगल सत्याग्रह को अंजाम दे रहे थे। मींधू सत्याग्रह करने का प्रशिक्षण भी धमतरी के सत्याग्रह आश्रम से प्राप्त कर चुके थे। वे आंदोलन की घोषणा होते ही गांधी टोपी पहनकर तिरंगा हाथ में लेकर अपने साथियों के साथ रूद्री पहुंचे जहां पुलिस ने धारा १४४ लगा दी थी | सत्याग्रहियों को घोड़े से कुचलने , डंडे और चाबुक से कपड़े उतरवा कर नंगी पीठ पर डी.एस.पी॰ ने पुलिस को दे मारने का हुक्म सत्याग्रहियों ने मिंधू कुम्हार के रखा था। साथ सखाराम, रतनूराम यादव आदि ने हंसिए से घास काटनी शुरू की और उनके ऊपर गोली   चलाने का आदेश दिया गया। वे इंकलाब जिंदाबाद और वंदेमातरम के नारे लगा रहे थे। गोलीबारी में तीनों को गोली लगी। सत्याग्रही उन्हें खाट पर डालकर धमतरी और फिर रायपुर लाए। मिंधू और सखाराम को बांह में और को पांव में गोली लगी रतनु थी। मिंधू को बचाया नहीं जा सका। वे २५ सितम्बर सन् १९३० को शहीद हो गए। उनका पार्थिव शरीर भी परिवार को नहीं दिया गया और कारावास में ही उनका पुलिस ने उन अंतिम संस्कार किया गया। पर देश द्रोह की लगाई थी। वे धमतरी  &RI के पहले शहीद थे और मात्र १८ वर्ष की आयु में शहीद हुए थे। मींधू कुम्हार Raipur Chhattisgarh लमकेनी ग्राम जिला धमतरी में श्री भैरा के घर सन् १९१२ में जन्मे मींधू कुम्हार ने मात्र आयु में रूद्री नवागांव के जंगल १८ वर्ष की सत्याग्रह  में हिस्सा लिया था। धमतरी के प्रमुख नेता नारायण राव मेघावाले नत्थूजी जगताप, बाबू छोटे लाल श्रीवास्तव आदि के आव्हान पर रूद्री के आसपास के वन ग्रामों में रहने वाले लोग सैकड़ों की संख्या में २१ सितम्बर सन् १९३० को रूद्री जंगल में एकत्र होने लगे जहां वे वन कानूनों का सांकेतिक उल्लंघन कर जंगल सत्याग्रह को अंजाम दे रहे थे। मींधू सत्याग्रह करने का प्रशिक्षण भी धमतरी के सत्याग्रह आश्रम से प्राप्त कर चुके थे। वे आंदोलन की घोषणा होते ही गांधी टोपी पहनकर तिरंगा हाथ में लेकर अपने साथियों के साथ रूद्री पहुंचे जहां पुलिस ने धारा १४४ लगा दी थी | सत्याग्रहियों को घोड़े से कुचलने , डंडे और चाबुक से कपड़े उतरवा कर नंगी पीठ पर डी.एस.पी॰ ने पुलिस को दे मारने का हुक्म सत्याग्रहियों ने मिंधू कुम्हार के रखा था। साथ सखाराम, रतनूराम यादव आदि ने हंसिए से घास काटनी शुरू की और उनके ऊपर गोली   चलाने का आदेश दिया गया। वे इंकलाब जिंदाबाद और वंदेमातरम के नारे लगा रहे थे। गोलीबारी में तीनों को गोली लगी। सत्याग्रही उन्हें खाट पर डालकर धमतरी और फिर रायपुर लाए। मिंधू और सखाराम को बांह में और को पांव में गोली लगी रतनु थी। मिंधू को बचाया नहीं जा सका। वे २५ सितम्बर सन् १९३० को शहीद हो गए। उनका पार्थिव शरीर भी परिवार को नहीं दिया गया और कारावास में ही उनका पुलिस ने उन अंतिम संस्कार किया गया। पर देश द्रोह की लगाई थी। वे धमतरी  &RI के पहले शहीद थे और मात्र १८ वर्ष की आयु में शहीद हुए थे। - ShareChat
#आज जिनकी जयन्ती है #आज जिनकी जयंती है
आज जिनकी जयन्ती है - पं दीनदयाल उपाध्याय जन्म २५ सितंबर१ ९१६ हमारे राष्ट्रीयता का आधार भारत माता ह सिर्फ भारत नही, इसमें মিদ্ মানা থল্ড ৪৫া লীতিয় নী মাবন মান্ন एक जमीन का टुकड़ा जायेगा बनकर रह एकात्म मानववाद के प्रणेता नमन पं दीनदयाल उपाध्याय जन्म २५ सितंबर१ ९१६ हमारे राष्ट्रीयता का आधार भारत माता ह सिर्फ भारत नही, इसमें মিদ্ মানা থল্ড ৪৫া লীতিয় নী মাবন মান্ন एक जमीन का टुकड़ा जायेगा बनकर रह एकात्म मानववाद के प्रणेता नमन - ShareChat
#आज जिनकी पुण्यतिथि है
आज जिनकी पुण्यतिथि है - । पुण्यतिथि है श्रद्धासुमन आज जिनकी ' எண்மு एसपी बालासूबमण्यम م {4e _30   {04 .989 C Tnalm?uox 25Mn 200  + = aa 45 { । पुण्यतिथि है श्रद्धासुमन आज जिनकी ' எண்மு एसपी बालासूबमण्यम م {4e _30   {04 .989 C Tnalm?uox 25Mn 200  + = aa 45 { - ShareChat
#बलिदान दिवस #शहीद दिवस #🇮🇳 देशभक्ति #इतिहास स्मृति #आज जिनकी पुण्यतिथि है
बलिदान दिवस - जिसमें लल्लू सिंह बागी, कालिया पाल सिजहरा , जगन्नाथ यादव उदनापुर, मुन्ना %off सिंह हरचंदपुर, दीनदयाल उदनापुर, ठकुरी ` सिंह हरचंदपुर, सिजहरा , बलवान पाल बाबूराम शिवहरे जखेला,बिन्दा जखेला और अन्य 2 लोगों समेत ११ लोग शहीद हो गए. लल्लू सिंह को २४ घाव लगे थे। शहीदों को TT #লিমত্ব্ব ' में नवाबी भून दिए थे gನನ ११ देशभक्त २५ सितंबर १९४७ जिसमें लल्लू सिंह बागी, कालिया पाल सिजहरा , जगन्नाथ यादव उदनापुर, मुन्ना %off सिंह हरचंदपुर, दीनदयाल उदनापुर, ठकुरी ` सिंह हरचंदपुर, सिजहरा , बलवान पाल बाबूराम शिवहरे जखेला,बिन्दा जखेला और अन्य 2 लोगों समेत ११ लोग शहीद हो गए. लल्लू सिंह को २४ घाव लगे थे। शहीदों को TT #লিমত্ব্ব ' में नवाबी भून दिए थे gನನ ११ देशभक्त २५ सितंबर १९४७ - ShareChat
#शहीद दिवस #बलिदान दिवस #🇮🇳 देशभक्ति #इतिहास स्मृति #आज जिनकी पुण्यतिथि है
शहीद दिवस - २५ सितंबर, १९४५ की वो रात जब देश गहरी नींद सो रहा था तब ब्रिटिश सरकार जलियांवाला बाग नरसंहार की तरह एक ओर नरसंहार को अंजाम दे रही थी। तात्कालिक भारतीय नेता जो बाद में भारत सरकार के सर्वेसर्वा बने इस नरसंहार पर मौन बने रहे और तात्कालिक शिक्षाविदो ने तो इस नरसंहार को इतिहास से ही गायब कर दिया। पश्चिम बंगाल का नीलगंज इलाका जहां ब्रिटिश आर्मी कैंप में आजाद हिंद फौज के सैनिकों को बेदर्दी से कत्ल कर दिया गया।२५ सितंबर, १९४५ की रात ब्रिटिश आर्मी ने आजाद हिंद फौज के तकरीबन २ ३०० सैनिकों पर मशीनगन चलाकर उन्हें मार डाला था। ब्रिटिश आर्मी की पूर्वी कमान के मेजर ೫ಗ ಕಥ हत्याकांड की जांच की था। उन्होंने पुष्टि ने इस जनरल 6 ओएमडी लिखा कि हत्याकांड तो हुआ है, लेकिन शव कहां हैं। जीएस इंडियन नेशनल आर्मी के कर्नल ढिल्लन ने अपने एक पत्र में इस हत्याकांड का जिक्र करते हुए लिखा था कि उस रात २ ३०० सैनिकों को मार डाला गया था। अब वहां पर केंद्रीय जूट संस्थान बना है। स्थानीय लोग २५ सितंबर को जब देने आते हैं, तो उन्हें संस्थान के भीतर नहीं जाने दिया 4614 श्रद्धांजलि नीलगंज के लोग संस्थान के गेट के बाहर ही अपने शहीदों तश्रद्धमांजब्लै दे जाता। देकर लौट जाते हैं। को दिए नौआई नदी में फेंक থ থান:- उत्तर २४ परगना स्थित नीलगंज ( बैरकपुर) में आजादी से पहले साहेब बागान था और आर्मी कैंप के साथ यहां ब्रिटिश आर्मी के अफसर भी रहते थे। सितंबर १९४५ में यहां बड़ी संख्या में युद्धबंदी लाए गए। ये सभी आजाद हिंद फौज के सदस्य थे, जिन्हें इंफाल, तत्कालीन बर्मा, नागालैंड और कई जगहों से पकड़ कर लाया गया था। २५ सितंबर की उस काली रात को दूसरी यहां जलियांवाला बाग से कई गुना बड़े हत्याकांड को अंजाम दिया गया। आर्मी कैंप से लेकर नौआई नदी तक खून ही खून बिखरा पड़ा था। कहा नदी में फेंक जाता है कि ब्रिटिश आर्मी ने सैनिकों के अधिकांश शवों को इसी दिया था। 3 शहीद आजाद भगत सिंह ब्रिगेड समाज सुधार समिति. २५ सितंबर, १९४५ की वो रात जब देश गहरी नींद सो रहा था तब ब्रिटिश सरकार जलियांवाला बाग नरसंहार की तरह एक ओर नरसंहार को अंजाम दे रही थी। तात्कालिक भारतीय नेता जो बाद में भारत सरकार के सर्वेसर्वा बने इस नरसंहार पर मौन बने रहे और तात्कालिक शिक्षाविदो ने तो इस नरसंहार को इतिहास से ही गायब कर दिया। पश्चिम बंगाल का नीलगंज इलाका जहां ब्रिटिश आर्मी कैंप में आजाद हिंद फौज के सैनिकों को बेदर्दी से कत्ल कर दिया गया।२५ सितंबर, १९४५ की रात ब्रिटिश आर्मी ने आजाद हिंद फौज के तकरीबन २ ३०० सैनिकों पर मशीनगन चलाकर उन्हें मार डाला था। ब्रिटिश आर्मी की पूर्वी कमान के मेजर ೫ಗ ಕಥ हत्याकांड की जांच की था। उन्होंने पुष्टि ने इस जनरल 6 ओएमडी लिखा कि हत्याकांड तो हुआ है, लेकिन शव कहां हैं। जीएस इंडियन नेशनल आर्मी के कर्नल ढिल्लन ने अपने एक पत्र में इस हत्याकांड का जिक्र करते हुए लिखा था कि उस रात २ ३०० सैनिकों को मार डाला गया था। अब वहां पर केंद्रीय जूट संस्थान बना है। स्थानीय लोग २५ सितंबर को जब देने आते हैं, तो उन्हें संस्थान के भीतर नहीं जाने दिया 4614 श्रद्धांजलि नीलगंज के लोग संस्थान के गेट के बाहर ही अपने शहीदों तश्रद्धमांजब्लै दे जाता। देकर लौट जाते हैं। को दिए नौआई नदी में फेंक থ থান:- उत्तर २४ परगना स्थित नीलगंज ( बैरकपुर) में आजादी से पहले साहेब बागान था और आर्मी कैंप के साथ यहां ब्रिटिश आर्मी के अफसर भी रहते थे। सितंबर १९४५ में यहां बड़ी संख्या में युद्धबंदी लाए गए। ये सभी आजाद हिंद फौज के सदस्य थे, जिन्हें इंफाल, तत्कालीन बर्मा, नागालैंड और कई जगहों से पकड़ कर लाया गया था। २५ सितंबर की उस काली रात को दूसरी यहां जलियांवाला बाग से कई गुना बड़े हत्याकांड को अंजाम दिया गया। आर्मी कैंप से लेकर नौआई नदी तक खून ही खून बिखरा पड़ा था। कहा नदी में फेंक जाता है कि ब्रिटिश आर्मी ने सैनिकों के अधिकांश शवों को इसी दिया था। 3 शहीद आजाद भगत सिंह ब्रिगेड समाज सुधार समिति. - ShareChat
#आज जिनकी पुण्यतिथि है
आज जिनकी पुण्यतिथि है - आज जिनकी पुण्य तिथि है श्रद्धासमन 6 0 (ು  (ೆ ಲ  999 FATHER OF INDIAN REMOTE Idl conduco SENSING మ ] { nucle 1 [0 97 Mndrr is Leatlership    24 Sept 2002 Died Rala Ramanna caud ~ e GimnHue م     4্ামন {4 29 सुरेश अंगड़ी  रेल राज्य मंत्री  कोरोना से देहांत  २४ सितंबर २०२० 24 202 आज जिनकी पुण्य तिथि है श्रद्धासमन 6 0 (ು  (ೆ ಲ  999 FATHER OF INDIAN REMOTE Idl conduco SENSING మ ] { nucle 1 [0 97 Mndrr is Leatlership    24 Sept 2002 Died Rala Ramanna caud ~ e GimnHue م     4্ামন {4 29 सुरेश अंगड़ी  रेल राज्य मंत्री  कोरोना से देहांत  २४ सितंबर २०२० 24 202 - ShareChat
#बलिदान दिवस #शहीद दिवस #🇮🇳 देशभक्ति #🙏🏻माँ तुझे सलाम #आज जिनकी पुण्यतिथि है
बलिदान दिवस - पर आजादी तो चरखे ने दिलाई? जिनका बलिदान दिवस है शतन्शत नमन आज चटगांव विद्रोह की अमर सेनानी प्रीतिलता वादेदर मां भारती की वीर बेटी তিমন সান 21 a ಹ आयु में २४ মিননয १९३२ को अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। पर आजादी तो चरखे ने दिलाई? जिनका बलिदान दिवस है शतन्शत नमन आज चटगांव विद्रोह की अमर सेनानी प्रीतिलता वादेदर मां भारती की वीर बेटी তিমন সান 21 a ಹ आयु में २४ মিননয १९३२ को अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। - ShareChat
#बलिदान दिवस #शहीद दिवस #🇮🇳 देशभक्ति #🙏🏻माँ तुझे सलाम #आज जिनकी पुण्यतिथि है
बलिदान दिवस - भारतीय वीरों की शौर्य गाथा प्रयम विश्व पुद्ध की जिसमे अप्रेजो की ओर से जोपपुर रियासत  सेना ने भी हिस्सा लिपा। इतिहास मे इस लड़ाई को हाडफा की लडाई के नाम सेजाना जाता ह।हाइफा की लड़ाई २३ सितवर  इस्राइल के पाठ्यक्रम १९१८ को लड़ी गपी। डस लड़्ाई मै राजपूताने की सेना का नेतृत्व  जोपपुर रिपासत के सेनापति " मेणर सिह न किपा उनका  48 7u7 यह युद्ध जन्म वर्तमान पाली जिले के देवली गोव मे रावणा राजपूत परिवार  मे हुआ था। अग्रेजो ने जोधपुर रिपासत की सेना को हाडफा पर  नोपपुर  करने के आदेश दिए गए। आदेश मिलते ही dTగ कम्णा रियासत के सेनापति दलपत सिह ने अपनी सेना को दुश्मन पर ट्रट  पड़्ने के लिए निरदेश दिया। जिसके बाद पह् राजस्थानी रणबाकुरो  ९०० सैनिक की रोना दुश्मन को खत्म करने ओर हाडफा पर करजा करने के  लिए आगे की ओर बढी। लेकिन तभी ओप्रेजो को यह मालूम चला  २३ सितंबर १९१८ दुश्मन के पास बद्रूके ओर मशीन गन 6 गवकि जोधपुर  रियासत की सेना पोड्ी पर तलवार ओरभालो से लडने चाली पी। इसी वजह से अग्रेजो ने जोधपुर रियासत की सेना चापस लोटने के आदेश दिया। लेकिन जोधपुर रियासत के सेनापति दलपत सिह ने प्रथम विश्व युद्ध भारत कहा की हमारे यहा चापस लोटने का कोई रिवाज नही ह। हम  इजरायल की आजादी में अहम  ओर भूमिका  रणबीकुरे जो रण भूमि मै उतरने के बाद यातो जीत हासिल करत  पा फिर चीरगति को प्राप्त हो जाते ६।  द्ूसरी  निभाने वाले हाइफा हीरो  ओरपह सेना को दुश्मन पर विजय प्राप्त करने के लिए बदूके, तोपों ओर मशीन गन  सिंहजी मेजर के सामने अपने छाती अडाकर अपनी परम्परागत पुद्घ शेली से दलपत बढ़ी बहादुरी के लद़् रही शी। ढस लद्दारई मै नोपपुर की सेना वे  चलिदान दिवस पर भावपूर्ण श्रद्धाजलि| करीब नो सो सोनिक वीरगति को प्राप्त ढए। पुद्ध का परिणाम ने पुरे विश्व मे कही  एक अमर इतिहास लिख डाला। जो आज तक नहीं देखने को मिला था। चयुकी पह पुद्घ दुनिया के मात्र ऐसा पुढ् थानो की तलवारो ओर बदूर्को के चीच हुआ। लेकिन अतत # विजपश्री राठीद्ो भिली ओीर उन्होने ढाइफा पर कढ्जा कर लिपा  भारतीय वीरों की शौर्य गाथा प्रयम विश्व पुद्ध की जिसमे अप्रेजो की ओर से जोपपुर रियासत  सेना ने भी हिस्सा लिपा। इतिहास मे इस लड़ाई को हाडफा की लडाई के नाम सेजाना जाता ह।हाइफा की लड़ाई २३ सितवर  इस्राइल के पाठ्यक्रम १९१८ को लड़ी गपी। डस लड़्ाई मै राजपूताने की सेना का नेतृत्व  जोपपुर रिपासत के सेनापति " मेणर सिह न किपा उनका  48 7u7 यह युद्ध जन्म वर्तमान पाली जिले के देवली गोव मे रावणा राजपूत परिवार  मे हुआ था। अग्रेजो ने जोधपुर रिपासत की सेना को हाडफा पर  नोपपुर  करने के आदेश दिए गए। आदेश मिलते ही dTగ कम्णा रियासत के सेनापति दलपत सिह ने अपनी सेना को दुश्मन पर ट्रट  पड़्ने के लिए निरदेश दिया। जिसके बाद पह् राजस्थानी रणबाकुरो  ९०० सैनिक की रोना दुश्मन को खत्म करने ओर हाडफा पर करजा करने के  लिए आगे की ओर बढी। लेकिन तभी ओप्रेजो को यह मालूम चला  २३ सितंबर १९१८ दुश्मन के पास बद्रूके ओर मशीन गन 6 गवकि जोधपुर  रियासत की सेना पोड्ी पर तलवार ओरभालो से लडने चाली पी। इसी वजह से अग्रेजो ने जोधपुर रियासत की सेना चापस लोटने के आदेश दिया। लेकिन जोधपुर रियासत के सेनापति दलपत सिह ने प्रथम विश्व युद्ध भारत कहा की हमारे यहा चापस लोटने का कोई रिवाज नही ह। हम  इजरायल की आजादी में अहम  ओर भूमिका  रणबीकुरे जो रण भूमि मै उतरने के बाद यातो जीत हासिल करत  पा फिर चीरगति को प्राप्त हो जाते ६।  द्ूसरी  निभाने वाले हाइफा हीरो  ओरपह सेना को दुश्मन पर विजय प्राप्त करने के लिए बदूके, तोपों ओर मशीन गन  सिंहजी मेजर के सामने अपने छाती अडाकर अपनी परम्परागत पुद्घ शेली से दलपत बढ़ी बहादुरी के लद़् रही शी। ढस लद्दारई मै नोपपुर की सेना वे  चलिदान दिवस पर भावपूर्ण श्रद्धाजलि| करीब नो सो सोनिक वीरगति को प्राप्त ढए। पुद्ध का परिणाम ने पुरे विश्व मे कही  एक अमर इतिहास लिख डाला। जो आज तक नहीं देखने को मिला था। चयुकी पह पुद्घ दुनिया के मात्र ऐसा पुढ् थानो की तलवारो ओर बदूर्को के चीच हुआ। लेकिन अतत # विजपश्री राठीद्ो भिली ओीर उन्होने ढाइफा पर कढ्जा कर लिपा - ShareChat
#आज जिनकी पुण्यतिथि है
आज जिनकी पुण्यतिथि है - पुण्यतिथि है श्रद्धासुमन সাত তিনব্ধী எனசச   சானிி { { सत्यनासयण शा् आयुर्वेदज्ञ  राषट्रपति के निजि चिकित्सक २३ सितवर ]९६९ 6 ~ + 00 09771 a 9 a a a n { फकी 4041 { a अरबिदो केशिष्य मंगेश नंदकर्ण 23 মিনণয 2007 = 23C720   و 0se पुण्यतिथि है श्रद्धासुमन সাত তিনব্ধী எனசச   சானிி { { सत्यनासयण शा् आयुर्वेदज्ञ  राषट्रपति के निजि चिकित्सक २३ सितवर ]९६९ 6 ~ + 00 09771 a 9 a a a n { फकी 4041 { a अरबिदो केशिष्य मंगेश नंदकर्ण 23 মিনণয 2007 = 23C720   و 0se - ShareChat