#karwachauth #sharechat ##santrampalji maharaj ##spritual knowledge 🙏 #spritual
संत गरीबदास जी कृत अमरग्रन्थ के अध्याय अथ मूल ज्ञान की वाणी 62 में कहा गया है:
गरीब, प्रथम अन्न जल संयम राखै, योग युक्त सब सतगुरू भाखै।
अर्थात अन्न तथा जल को सीमित खावै, न अधिक और न ही कम, यह शास्त्र अनुकूल भक्ति साधना है। इसी का समर्थन गीता अध्याय 6 श्लोक 16 करता है जिसमें कहा है कि ये भक्ति न ही अत्यधिक खाने वाले की और न बिल्कुल न खाने वाले अर्थात् व्रत रखने वाले की सिद्ध होती है।#karwachauth #trending #🙏गुरु महिमा😇 ##spritual knowledge 🙏 #kabirisgod
कबीर साखी के अध्याय अथ आनदेव के अंग की वाणी 4 व 5 में कबीर साहेब ने करवा चौथ के विषय में कहा है:
राम नाम को छाड़ि कै, करै आन की आस।
कहै कबीर ता दास का, होवे नरक में वास।।
राम नाम को छाड़ि कै, राखै करवा चौथ।
सो तो होगी सूकरी, तिन्हें राम सो कौथ।।
#karwachauth #sharechat #trends ##spritual knowledge 🙏 #🙏🏻 भक्ति संदेश 😇
शास्त्र विरुद्ध क्रिया का कोई लाभ नहीं
करवा चौथ व्रत का किसी भी सद्ग्रंथ में प्रमाण नहीं है जिससे गीता अध्याय 16 श्लोक 23, 24 के अनुसार, शास्त्र विरुद्ध मनमाना आचरण करने से कोई लाभ नहीं होता। इसलिए हमें शास्त्र अनुकूल भक्ति करनी चाहिए।
अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढ़ें अनमोल पुस्तक ज्ञान गंगा।#bhakti gyaan ganga ##spritual knowledge 🙏 #karwachauth #sharechat #trending
करवा चौथ व्रत हो या कोई अन्य व्रत इसके करने से लाभ के स्थान पर हानि होती है। जिसका स्पष्ट प्रमाण हाथरस तुलसीदास कृत घट रामायण के पृष्ठ 242 में दिया गया है। जिसमें लोमस ऋषि ने कहा है:
सहस बरस एकादसि कीन्हा। अंत जनम माखी कौ लीन्हा।।
अरु पुनि बरत तीज को कीन्हा। कूकर जनम ताहि से लीन्हा।।
और चतुरथी बरत बखाना। ता से जन्म भैंस का जाना।।
और बरत करै झार बनाई। पुनि मुक्ती हम ने नहिं पाई।।#trending #kabir is real god #latest news #Kabir is God #bhakti gyaan ganga
संत गरीबदास जी कृत अमरग्रन्थ के अध्याय पारख के अंग की वाणी नं. 1052 व 1054 में लिखा है:
करैं एकादशी संजम सोई, करवा चौथ गदहरी होई।
आठैं सातैं करैं कंदूरी, सो तो जन्म धारें सूरी।।
कहे जो करूवा चौथि कहानी, तास गदहरी निश्चय जानी।
अर्थात जो करवा चौथ का व्रत रखते हैं या उसकी कथा सुनाते हैं वे गधा बनते हैं।
#karwachauth #trending #latest ##spritual knowledge 🙏 #spritual
संत गरीबदास जी कृत अमरग्रन्थ के अध्याय अथ मूल ज्ञान की वाणी 62 में कहा गया है:
गरीब, प्रथम अन्न जल संयम राखै, योग युक्त सब सतगुरू भाखै।
अर्थात अन्न तथा जल को सीमित खावै, न अधिक और न ही कम, यह शास्त्र अनुकूल भक्ति साधना है। इसी का समर्थन गीता अध्याय 6 श्लोक 16 करता है जिसमें कहा है कि ये भक्ति न ही अत्यधिक खाने वाले की और न बिल्कुल न खाने वाले अर्थात् व्रत रखने वाले की सिद्ध होती है।#trending #latest #news #kabir is real god #karwachauth
संत गरीबदास जी कृत अमरग्रन्थ के अध्याय पारख के अंग की वाणी नं. 1052 व 1054 में लिखा है:
करैं एकादशी संजम सोई, करवा चौथ गदहरी होई।
आठैं सातैं करैं कंदूरी, सो तो जन्म धारें सूरी।।
कहे जो करूवा चौथि कहानी, तास गदहरी निश्चय जानी।
अर्थात जो करवा चौथ का व्रत रखते हैं या उसकी कथा सुनाते हैं वे गधा बनते हैं।
#trending #karwachauth #sharechat #latest #news
कबीर साखी के अध्याय अथ आनदेव के अंग की वाणी 4 व 5 में कबीर साहेब ने करवा चौथ के विषय में कहा है:
राम नाम को छाड़ि कै, करै आन की आस।
कहै कबीर ता दास का, होवे नरक में वास।।
राम नाम को छाड़ि कै, राखै करवा चौथ।
सो तो होगी सूकरी, तिन्हें राम सो कौथ।।
#karwachauth #true #latest #geeta gyan #gyaan ki baate
संत गरीबदास जी कृत अमरग्रन्थ के अध्याय पारख के अंग की वाणी नं. 1052 व 1054 में लिखा है:
करैं एकादशी संजम सोई, करवा चौथ गदहरी होई।
आठैं सातैं करैं कंदूरी, सो तो जन्म धारें सूरी।।
कहे जो करूवा चौथि कहानी, तास गदहरी निश्चय जानी।
अर्थात जो करवा चौथ का व्रत रखते हैं या उसकी कथा सुनाते हैं वे गधा बनते हैं।
##karwachauth #santrampal mahraj ji #sharechat #trending #news