#premanand Maharaj #shree prema nand Maharaj Ji 🌹🙏
"जो कहा नहीं गया, वही सबसे ज़्यादा असर कर गया।"
प्रिय महाराज।
आपको जानने के लिए शायद किसी पाठशाला की ज़रूरत नहीं थी,
आपके लिए बस एक वीडियो क्लिप ही काफी थी। एक खामोश बैठा आदमी, जिसकी आँखों में शांति थी,जिसके चेहरे पर कुछ भी कहे बिना सब कुछ कह देने वाली एक मुस्कान थी।
आपने न प्रवचन दिया, न धमकी दी, न पाप गिनाए, न पुण्य बेचे,
बस इतना कहा - “भगवान से प्रेम करो, बाक़ी सब छोड़ दो।”
और हम जैसे लोग, जो ज़िंदगी से थककर आध्यात्म की दहलीज़ पर आकर खड़े थे, उन्होंने पहली बार धर्म में डर नहीं, अपनापन देखा।
महाराज, जब हम आपके सामने बैठे लोगों को सिर झुकाते देखते हैं,
तो लगता है वो आपकी पूजा नहीं कर रहे - वो शायद अपने ही जीवन का बोझ आपके चरणों में रख रहे हैं। आपके पास कोई डिग्री नहीं,
कोई संस्था नहीं, कोई पद नहीं, लेकिन न जाने क्यों - आपके सामने बैठकर हर कोई खुद को छोटा महसूस करता है, छोटा… लेकिन हल्का।
जैसे कोई आदमी जो बरसों से अपने पिता से न मिला हो, अचानक सामने खड़े उस पिता की गोद में सिर रख दे।
कभी आपने कहा, "हमको कुछ नहीं चाहिए बाबूजी, बस भगवान का नाम चाहिए।" और उसी पल, मैंने किसी धन-दौलत वाले बाबा की दुकान से लौटते भक्तों की भीड़ को याद किया - जो नोट चढ़ाते हैं, आशीर्वाद ख़रीदते हैं, और फिर भी खाली लौटते हैं। आपके यहां तो लोग सिर झुकाते हैं और लौटते हैं भरे हुए - जैसे मंदिर नहीं, माँ का घर हो।
महाराज, आप वृंदावन में रहते हैं - जहाँ राधा की आह भी पूजा जाता है और कृष्ण की हँसी भी। शायद इसलिए, आपकी भाषा में कभी वाणी की गरिमा से ज़्यादा, मौन की गरिमा दिखाई देती है।
आप कबीर नहीं हैं, लेकिन आपके मौन में वही अकुलाहट है,
जो कबीर ने तब महसूस की थी जब उन्होंने कहा होगा- "साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सरीख..."
आप किसी धर्म विशेष की दीवारों में नहीं बँधे, आपने किसी ग्रंथ का झंडा नहीं उठाया। फिर भी आप वेदों से ज़्यादा ज्ञानी लगे, पुराणों से ज़्यादा प्रामाणिक। जब एक माँ ने आपके सामने कहा - "महाराज, मेरा बेटा नहीं रहा" तो आपने सिर्फ़ इतना कहा - “भगवान बचा के रखे आपको।”
आपका चेहरा उस वक़्त किसी संत का नहीं, एक बेटे का चेहरा था -
जो माँ की पीड़ा को अपने आँचल में बाँध रहा था।
महाराज, आपने युवाओं को भाग्य का पाठ नहीं पढ़ाया, बल्कि उन्हें धैर्य सिखाया। आपने कहा - "भगवान से बात करो, Instagram से नहीं।"
और पहली बार हम जैसे लड़कों को लगा कि कोई बाबा हमें डाँट नहीं रहा - बस रास्ता दिखा रहा है।
आप जैसे संत विरले होते हैं महाराज, जो मंच पर नहीं,भीड़ के बीच बैठते हैं। जो चिल्लाते नहीं,सुनते हैं। जो चमत्कार नहीं करते, मुस्कराते हैं -
और वही मुस्कान लाखों टूटे हुए लोगों का इलाज बन जाती है
आपका होना कोई तांत्रिक आकर्षण नहीं है, आपका होनाएक ईश्वर की तरह शांत है - जैसे कोई झील, जिसमें कोई बच्चा अपने चेहरे की तलाश कर रहा हो।
महाराज,मैं कोई बड़ा भक्त नहीं, कोई शिष्य नहीं, बस एक ऐसा आदमी हूँ जो अपने जीवन की,एक बहुत अंधेरी रात में आपकी एक वीडियो क्लिप से टकरा गया था। उस दिन से लेकर आज तक, मैंने धर्म को किताबों में नहीं, आपके मौन में ढूँढा है।
एक साधारण आत्मा।
. ##कौशिक-राज़... ✍️