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#सत_भक्ति_संदेश ##santrampalji maharaj #🙏🏻आध्यात्मिकता😇 #🙏गुरु महिमा😇
सत_भक्ति_संदेश - ( बतूल Slr बिन उपदेश अचम्भ है, fqa 8 क्यों TmT | भक्ति बिना कहाँ ठौर है, ये नर नाहीं पाषाण परमात्मा कबीर जी कह रहे हैं कि॰हे भोले भावार्थः- मानव! मुझे आश्चर्य है कि बिना गुरू से दीक्षा लिए किस आशा को लेकर जीवित है। नतो शरीर तेरा है, फिर सम्पत्ति आपकी कैसे है ? यह भी त्यागकर जाएगा जगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज Satlok Ashram Betull @Satlok-Ashram-Betul @SatlokBetul_ ( बतूल Slr बिन उपदेश अचम्भ है, fqa 8 क्यों TmT | भक्ति बिना कहाँ ठौर है, ये नर नाहीं पाषाण परमात्मा कबीर जी कह रहे हैं कि॰हे भोले भावार्थः- मानव! मुझे आश्चर्य है कि बिना गुरू से दीक्षा लिए किस आशा को लेकर जीवित है। नतो शरीर तेरा है, फिर सम्पत्ति आपकी कैसे है ? यह भी त्यागकर जाएगा जगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज Satlok Ashram Betull @Satlok-Ashram-Betul @SatlokBetul_ - ShareChat
क्या तन मांजता रे, एक दिन माटी में मिल जाना।।🥺🥹 ##santrampalji maharaj #🙏🏻आध्यात्मिकता😇 #सत_भक्ति_संदेश #🙏गुरु महिमा😇
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#सत_भक्ति_संदेश #🙏🏻आध्यात्मिकता😇 ##santrampalji maharaj
सत_भक्ति_संदेश - ढत मवित 1 संदेश క్డీ जीमाइए, पीछे भोजन भोग। সথম মন কী ऐसे पाप को टालिये , कटे नित्य का रोग।। यढ़ि आपके घर पर कोई संत ( भक्त ) आ जाए तो पहले उसको भोजन कराना चाहिए, पीछे आप भोजन खाना चाहिए। इस प्रकार अपने सिर पर नित्य आने वाले कष्ट को टालना चाहिए। तत्वदर्शी संत रामपालजी महाराज SANT RAMPAL Ji SPIRITUAL LEADER SUPREMEGOD ORG @SAINTRAMPALJIM SAINT RAHPAL J MAHARAJ ढत मवित 1 संदेश క్డీ जीमाइए, पीछे भोजन भोग। সথম মন কী ऐसे पाप को टालिये , कटे नित्य का रोग।। यढ़ि आपके घर पर कोई संत ( भक्त ) आ जाए तो पहले उसको भोजन कराना चाहिए, पीछे आप भोजन खाना चाहिए। इस प्रकार अपने सिर पर नित्य आने वाले कष्ट को टालना चाहिए। तत्वदर्शी संत रामपालजी महाराज SANT RAMPAL Ji SPIRITUAL LEADER SUPREMEGOD ORG @SAINTRAMPALJIM SAINT RAHPAL J MAHARAJ - ShareChat
#सत_भक्ति_संदेश ##santrampalji maharaj #🙏🏻आध्यात्मिकता😇
सत_भक्ति_संदेश - मौक्ष पूर्ण उ्सी को कहते हें जिसकी प्राप्ति के पश्चात् पुनः जन्म न हो। जन्म - मरण का चक्र सदा के लिए समाप्त हा जाए। बंदीछोड़ सतगुरू रामपाल जी महाराज SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Ji X @SAINTRAMPALJIM  SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL JI MAHARA] मौक्ष पूर्ण उ्सी को कहते हें जिसकी प्राप्ति के पश्चात् पुनः जन्म न हो। जन्म - मरण का चक्र सदा के लिए समाप्त हा जाए। बंदीछोड़ सतगुरू रामपाल जी महाराज SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Ji X @SAINTRAMPALJIM  SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL JI MAHARA] - ShareChat
##godmorningwednesday ##सत_भक्ति_संदेश ##santrampalji maharaj 👏🤲 जीवन का लक्ष्य।।
#godmorningwednesday - जीवन I लक्ष्य किसी भी प्राणी की जीवन यात्रा जन्म से ही प्रारंभ होती है परन्तु उसका अंतिम लक्ष्य ( मंजिल ) मोक्ष प्राप्त करना ही होता है, जिसकी सही विधि सिर्फ तत्वदर्शी संत ही बताते हैं । संत रामपाल जी महाराज SupremeGodorg Satlok Ashram BETUL जीवन I लक्ष्य किसी भी प्राणी की जीवन यात्रा जन्म से ही प्रारंभ होती है परन्तु उसका अंतिम लक्ष्य ( मंजिल ) मोक्ष प्राप्त करना ही होता है, जिसकी सही विधि सिर्फ तत्वदर्शी संत ही बताते हैं । संत रामपाल जी महाराज SupremeGodorg Satlok Ashram BETUL - ShareChat
##godmorningwednesday #सत_भक्ति_संदेश 👏🍁 परमात्मा के चोर.... 🤲😢
#godmorningwednesday - rochi परमात्मा के चोर जो धन परमात्मा ने मानव को ढिया है, उसर्में ढने जो ढान नहीँ करते और न अच्छा आचरण करते हैं, वे परमाल्मा के चोर हैं जो जोडने की धुन रमें मारे - मारे फिरते हैं। माया जगतगुल तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज www SupremeGodorg  SatlokAshramKUK Satlok Ashram Kurukshetra rochi परमात्मा के चोर जो धन परमात्मा ने मानव को ढिया है, उसर्में ढने जो ढान नहीँ करते और न अच्छा आचरण करते हैं, वे परमाल्मा के चोर हैं जो जोडने की धुन रमें मारे - मारे फिरते हैं। माया जगतगुल तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज www SupremeGodorg  SatlokAshramKUK Satlok Ashram Kurukshetra - ShareChat
#यथार्थ_गीता_ज्ञान Sant Rampal Ji Maharaj #🙏🏻आध्यात्मिकता😇
🙏🏻आध्यात्मिकता😇 - संत रामपाल जी महाराज द्वारा गीता के रहर्स्यों का खुलासा श्रीमद्भगवत गीता अध्याय १५ श्लोक १६ १७ में तीन पुरूष (प्रभु) कहे हैं। गीता अध्याय १५ श्लोक 16 # में दो पुरूष कहा है कि इस लोक प्रसिद्घ हैं : क्षर पुरूष तथा अक्षर पुरूष। ये दोनों प्रभु तथा इनके नाशवान हैं आत्मा तो सबकी अन्तर्गत सर्व प्राणी अमर है। गीता अध्याय १५ श्लोक १७ में कहा है कि उत्तम पुरूष अर्थात् पुरूषोत्तम तो कोई अन्य ही है॰ जिसे परमात्मा कहा गया हैजो तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण पोषण करता है॰ वह वास्तव में अविनाशी है। अविनाशी   परमात्मा ক্রী জনকাঠী $ fu ப6 4fda ज्ञान   गंगा | पुस्तक संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal Ji Maharaj App Download कीजिये व निःशुल्क निःशुल्क नामदीक्षा पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र : *91 7496801823 Coogs Play संत रामपाल जी महाराज द्वारा गीता के रहर्स्यों का खुलासा श्रीमद्भगवत गीता अध्याय १५ श्लोक १६ १७ में तीन पुरूष (प्रभु) कहे हैं। गीता अध्याय १५ श्लोक 16 # में दो पुरूष कहा है कि इस लोक प्रसिद्घ हैं : क्षर पुरूष तथा अक्षर पुरूष। ये दोनों प्रभु तथा इनके नाशवान हैं आत्मा तो सबकी अन्तर्गत सर्व प्राणी अमर है। गीता अध्याय १५ श्लोक १७ में कहा है कि उत्तम पुरूष अर्थात् पुरूषोत्तम तो कोई अन्य ही है॰ जिसे परमात्मा कहा गया हैजो तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण पोषण करता है॰ वह वास्तव में अविनाशी है। अविनाशी   परमात्मा ক্রী জনকাঠী $ fu ப6 4fda ज्ञान   गंगा | पुस्तक संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal Ji Maharaj App Download कीजिये व निःशुल्क निःशुल्क नामदीक्षा पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र : *91 7496801823 Coogs Play - ShareChat
#यथार्थ_गीता_ज्ञान Sant Rampal Ji Maharaj ##santrampalji maharaj
#santrampalji maharaj - गीता शा२ दिववता  पितवताः पतृन गीता अध्याय 9 श्लोक २५ में श्राद्ध মুলানি; মালি भतच्याः याान्त मद्याजनः    आप माम | २५ గగాాా గాTగా = 1 व पिंड आदि कर्मकांड को गलत टेवताओको  সা9 চান ৪ #urrl: कहा है। मार्कण्डेय पुराण में भी पृजनवाल 1 3111 )  =7177 ননসণা  दवान म्द्ाजिनः  प्रमाण है कि वेदों में पितर पूजा भूत T ಕr ಸ u ಗ करनवाल ।पतराका  সুপক্ধা पितृवताः  पूजा यानि श्राद्ध कर्म को अविद्या यानि पजनेवाले  সণি पितरको होते ह का कार्य बताया है। मूर्खों চান = T7ilmu7 ٧٧ ٠ যান ঘূনকোঁ পূতননাল गतच्याः பFI 15-7 न्तानि ~Ha ~ संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal Ji Maharaj App Download कीजिये व निःशुल्क নি:থুল্ক नामदीक्षा +91 7496801823 पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र : Google Play गीता शा२ दिववता  पितवताः पतृन गीता अध्याय 9 श्लोक २५ में श्राद्ध মুলানি; মালি भतच्याः याान्त मद्याजनः    आप माम | २५ గగాాా గాTగా = 1 व पिंड आदि कर्मकांड को गलत टेवताओको  সা9 চান ৪ #urrl: कहा है। मार्कण्डेय पुराण में भी पृजनवाल 1 3111 )  =7177 ননসণা  दवान म्द्ाजिनः  प्रमाण है कि वेदों में पितर पूजा भूत T ಕr ಸ u ಗ करनवाल ।पतराका  সুপক্ধা पितृवताः  पूजा यानि श्राद्ध कर्म को अविद्या यानि पजनेवाले  সণি पितरको होते ह का कार्य बताया है। मूर्खों চান = T7ilmu7 ٧٧ ٠ যান ঘূনকোঁ পূতননাল गतच्याः பFI 15-7 न्तानि ~Ha ~ संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal Ji Maharaj App Download कीजिये व निःशुल्क নি:থুল্ক नामदीक्षा +91 7496801823 पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र : Google Play - ShareChat
#गीता_जयंती_पर_असली_गीतासार Tattvadarshi Sant Rampal Ji ##santrampalji maharaj #सत_भक्ति_संदेश
#santrampalji maharaj - ४्गीता ज्ञान श्री कृष्ण ने নম্ভরী 99 @ के मैदान में पवित्र गीता जी का कुरुक्षेत्र जब समय अध्याय ११ श्लोक ३२ में মুনান ज्ञान पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु कह रहा है कि अर्जुन मैं बढा हुआ काल हूँ। अब सर्व लोकों को खाने के लिए प्रकट हुआ हू। जरा सोचें कि श्री कृष्ण जी तो पहले से ही श्री अर्जुन जी के साथ थे। यदि पवित्र गीता जी के ज्ञान को श्री कृष्ण जी बोल रहे होते तो यह नहीं कहते कि अब प्रवृत्त हुआ हूँ। जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी सहाराज संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal ji Maharaj [?57 नामदीक्षा व निःशुल्क App Download c15u पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र : 917496801823 CFy ४्गीता ज्ञान श्री कृष्ण ने নম্ভরী 99 @ के मैदान में पवित्र गीता जी का कुरुक्षेत्र जब समय अध्याय ११ श्लोक ३२ में মুনান ज्ञान पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु कह रहा है कि अर्जुन मैं बढा हुआ काल हूँ। अब सर्व लोकों को खाने के लिए प्रकट हुआ हू। जरा सोचें कि श्री कृष्ण जी तो पहले से ही श्री अर्जुन जी के साथ थे। यदि पवित्र गीता जी के ज्ञान को श्री कृष्ण जी बोल रहे होते तो यह नहीं कहते कि अब प्रवृत्त हुआ हूँ। जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी सहाराज संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal ji Maharaj [?57 नामदीक्षा व निःशुल्क App Download c15u पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र : 917496801823 CFy - ShareChat
#गीता_जयंती_पर_असली_गीतासार Tattvadarshi Sant Rampal Ji #सत_भक्ति_संदेश #🙏🏻आध्यात्मिकता😇 ##santrampalji maharaj
सत_भक्ति_संदेश - गीता के रहस्यों का महाखुलासा अन्थ गीता अनुवाद कर्ताओं ने शब्द का अर्थ आना किथा है 'd51' 70 जो अनुचित है शब्द का अर्थ जाना , 'সস' आदि होता है। चला जान अध्याय १८ का श्लोक ६६ सर्वधर्मान् , परित्यज्य , माम् , एकम् , शरणम् , व्रज, अहम् , त्वा, सर्वपापेभ्यः, मोक्षयिष्यामि , मा, शुचःIl६६११ मेरी ( सर्वधर्मान् ) सम्पूर्ण (माम् ) मुझ में (परित्यज्य ) पूजाओंको तू केवल ( एकम् ) एक उस अद्वितीय अर्थात् যেখবং पूर्ण परमात्मा की (शरणम् ) शरणमें (व्रज ) जा। ((अहम् ) मैं (त्वा ) तुझे ( सर्वपापेभ्यः ) सम्पूर्ण पापोंसे (मोक्षयिष्यामि ) छुड़वा दूँगा तू (मा ,शुचः ) शोक मत कर। निःशुल्क पायें  पवित्र पुस्तक अपना नाम , पूरा पत्ता भेजें गगा ज्ञान +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER X SANT RAMPAL Jl SUpREMEGODORG @SAINTRAMPALJIM SAINT RAMPAL JI MAHARAI गीता के रहस्यों का महाखुलासा अन्थ गीता अनुवाद कर्ताओं ने शब्द का अर्थ आना किथा है 'd51' 70 जो अनुचित है शब्द का अर्थ जाना , 'সস' आदि होता है। चला जान अध्याय १८ का श्लोक ६६ सर्वधर्मान् , परित्यज्य , माम् , एकम् , शरणम् , व्रज, अहम् , त्वा, सर्वपापेभ्यः, मोक्षयिष्यामि , मा, शुचःIl६६११ मेरी ( सर्वधर्मान् ) सम्पूर्ण (माम् ) मुझ में (परित्यज्य ) पूजाओंको तू केवल ( एकम् ) एक उस अद्वितीय अर्थात् যেখবং पूर्ण परमात्मा की (शरणम् ) शरणमें (व्रज ) जा। ((अहम् ) मैं (त्वा ) तुझे ( सर्वपापेभ्यः ) सम्पूर्ण पापोंसे (मोक्षयिष्यामि ) छुड़वा दूँगा तू (मा ,शुचः ) शोक मत कर। निःशुल्क पायें  पवित्र पुस्तक अपना नाम , पूरा पत्ता भेजें गगा ज्ञान +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER X SANT RAMPAL Jl SUpREMEGODORG @SAINTRAMPALJIM SAINT RAMPAL JI MAHARAI - ShareChat