writer Manoj 🖋️🖋️
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@poet483824328
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ज्यादा झुक गए इसलिए टूट गए।
#💓 दिल के अल्फ़ाज़ #✍️ साहित्य एवं शायरी
💓 दिल के अल्फ़ाज़ - रिश्तों तो आज भी अनमोल ही हैं , बस कोई रिश्तेदार दलाल न निकले ।। रिश्तों तो आज भी अनमोल ही हैं , बस कोई रिश्तेदार दलाल न निकले ।। - ShareChat
#✍️ साहित्य एवं शायरी #📓 हिंदी साहित्य
✍️ साहित्य एवं शायरी - सच बोलना तो दूर आजकल लोग सच सुनना भी पसंद नहीं करते है !!! सच बोलना तो दूर आजकल लोग सच सुनना भी पसंद नहीं करते है !!! - ShareChat
#📓 हिंदी साहित्य #✍️ साहित्य एवं शायरी
📓 हिंदी साहित्य - बगावत हमेशा ईमानदार और स्वाभिमानी लोग करते हैं, चापलूसी और चालाक लोग तो तलवे चाट कर काम निकालते हैं। बगावत हमेशा ईमानदार और स्वाभिमानी लोग करते हैं, चापलूसी और चालाक लोग तो तलवे चाट कर काम निकालते हैं। - ShareChat
#✍️ साहित्य एवं शायरी #💓 दिल के अल्फ़ाज़
✍️ साहित्य एवं शायरी - तलाश कीजिये सुकून की, ये ज़िन्दगी के मसले कभी हल नहीं होंगे.. | तलाश कीजिये सुकून की, ये ज़िन्दगी के मसले कभी हल नहीं होंगे.. | - ShareChat
#✍️ साहित्य एवं शायरी #📓 हिंदी साहित्य
✍️ साहित्य एवं शायरी - थक जाओ तो रफ्तार धीमी कर लेना, पर रुकना नहीं | थक जाओ तो रफ्तार धीमी कर लेना, पर रुकना नहीं | - ShareChat
#✍️ अनसुनी शायरी #✍️ साहित्य एवं शायरी
✍️ अनसुनी शायरी - बदनाम हो रहे हैं मुहब्बत में देखिए है प्यार दुश्मनों के निशाने पे आज-्कल মনীত बदनाम हो रहे हैं मुहब्बत में देखिए है प्यार दुश्मनों के निशाने पे आज-्कल মনীত - ShareChat
#✍प्रेमचंद की कहानियां
✍प्रेमचंद की कहानियां - प्रैमचैद 0 अभिव्येजना विपत्ति से बढ़कर अनुभव सिखाने वाला कोई विद्यालय आज तक नही खुला | प्रैमचैद 0 अभिव्येजना विपत्ति से बढ़कर अनुभव सिखाने वाला कोई विद्यालय आज तक नही खुला | - ShareChat
#✍प्रेमचंद की कहानियां
✍प्रेमचंद की कहानियां - अपमान को निगल তন] चरित्र-पतन की अंतिम सीमा है  !! apr kksheel Ho "मुंशी प्रेमचंद अपमान को निगल তন] चरित्र-पतन की अंतिम सीमा है  !! apr kksheel Ho "मुंशी प्रेमचंद - ShareChat
#📖 कविता और कोट्स✒️ #✍️ साहित्य एवं शायरी
📖 कविता और कोट्स✒️ - নবা থা ঠায়া मैं जिंदगी के हादसों से तंग आ गया ৯ী ক Tলী ম সাত নং নযা ওসা যমা करता नहीं यकीन जो कहता कोई मुझे मैं आज देखकर जो तेरा रंग आ गया अपना नहीं है कोई ক লান ম समझने आगे समझ में कैसे जिएं ढंग आ गया तन्हा निकल के घर से बहुत दूर तक चला पर दिल में कोई थाजो मेरे संग आ गया समझो मनोज घाव नहीं ठीक हो अगर कहते हैं काटने का समय अंग आ गया -मनोज कुमार महता बिरला पुर (পঞ্খিস লশাল) নবা থা ঠায়া मैं जिंदगी के हादसों से तंग आ गया ৯ী ক Tলী ম সাত নং নযা ওসা যমা करता नहीं यकीन जो कहता कोई मुझे मैं आज देखकर जो तेरा रंग आ गया अपना नहीं है कोई ক লান ম समझने आगे समझ में कैसे जिएं ढंग आ गया तन्हा निकल के घर से बहुत दूर तक चला पर दिल में कोई थाजो मेरे संग आ गया समझो मनोज घाव नहीं ठीक हो अगर कहते हैं काटने का समय अंग आ गया -मनोज कुमार महता बिरला पुर (পঞ্খিস লশাল) - ShareChat
#✍️ अनसुनी शायरी #✍️ साहित्य एवं शायरी #💓 दिल के अल्फ़ाज़
✍️ अनसुनी शायरी - बेसहारों को सहारा दिजिए कब कहा है चाद तारा दिजिए मनोज बेसहारों को सहारा दिजिए कब कहा है चाद तारा दिजिए मनोज - ShareChat