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#🙏आध्यात्मिक गुरु🙏 #🙏गुरु महिमा😇 #☝अनमोल ज्ञान #🧘सदगुरु जी🙏 #🙏🏻आध्यात्मिकता😇
🙏आध्यात्मिक गुरु🙏 - प्रेम ही परमात्मा के दरबार में नाही JAY BABA SWAMI गुरू और दोपक कोई जाति और भ्रांति।  और नाही कोई खी पुरुष सही।  प्रेम के दरबारमें कोई लिंगभेद नाही  ।श्वतसही। जाने 9 एक छोटा दीपक अघेरे कमर में जल रहा था। तू इतना छोटा हे, वया अघरे  কিমী ল ওমম পূচ্ভা को खतम कर पाऐगा? ' दीपक मुस्कूराया ओर बोला - शायद मैं पूरा अघेरा नहीं मिटा पाऊ, पर जहा खडा हूँ वहॉ उजाला जूरूर कर दूँगा.  अपनी ऑत्मा जितनी प्रसत्न होगी ओशो कहते है॰ ध्यान करने वाला न तो कोई पुरुष है सीखः गुरु भी दीपक की तरह होते हे, जो और न ही कोई महिला , क्यौंकि ध्यान का आपके शरीर से वह उतनी ही सशक्त होगी पूरे संसार का अज्ञाान तो नहीं मिटा पाते॰ पर हमे  कोई लेना देना नहीं हैः न ही इसका आपके दिमाग से कोई प्रज्य बाबास्वामी हमारे रास्ते पर राशोनी जरूरदिखा देते हे। गुरुदेचकजत्मसदश लेना देना हे। ध्यान में, आप सरल और विशुद्ध चेतना होते हे। और चेतना न तो पुरुष हे और न ही स्त्री। अहोभाव  टेन्शन () ی करना चह स्वभाव होता ی अपने जीवन मे भले ही टेन्शन नहोवे दुसरों के जीवन का टेन्शन खोज करके ही समाधानपाते है । गुरूकृपा नकारात्मक विचार " करने वालों কী সমনি (২) a से सदैव दूरही रहे अन्यथा उनके जैसा और विचारों काप्रभाव अपने विचारों पर कोई भी पड सकता हैं। (3) সংাক সাখক্ষ স সংন स्वीकार [ು खजाना बहुत होती हैं। करनेकीशक्ती नही हे। बाबा स्वामी प्रेम ही परमात्मा के दरबार में नाही JAY BABA SWAMI गुरू और दोपक कोई जाति और भ्रांति।  और नाही कोई खी पुरुष सही।  प्रेम के दरबारमें कोई लिंगभेद नाही  ।श्वतसही। जाने 9 एक छोटा दीपक अघेरे कमर में जल रहा था। तू इतना छोटा हे, वया अघरे  কিমী ল ওমম পূচ্ভা को खतम कर पाऐगा? ' दीपक मुस्कूराया ओर बोला - शायद मैं पूरा अघेरा नहीं मिटा पाऊ, पर जहा खडा हूँ वहॉ उजाला जूरूर कर दूँगा.  अपनी ऑत्मा जितनी प्रसत्न होगी ओशो कहते है॰ ध्यान करने वाला न तो कोई पुरुष है सीखः गुरु भी दीपक की तरह होते हे, जो और न ही कोई महिला , क्यौंकि ध्यान का आपके शरीर से वह उतनी ही सशक्त होगी पूरे संसार का अज्ञाान तो नहीं मिटा पाते॰ पर हमे  कोई लेना देना नहीं हैः न ही इसका आपके दिमाग से कोई प्रज्य बाबास्वामी हमारे रास्ते पर राशोनी जरूरदिखा देते हे। गुरुदेचकजत्मसदश लेना देना हे। ध्यान में, आप सरल और विशुद्ध चेतना होते हे। और चेतना न तो पुरुष हे और न ही स्त्री। अहोभाव  टेन्शन () ی करना चह स्वभाव होता ی अपने जीवन मे भले ही टेन्शन नहोवे दुसरों के जीवन का टेन्शन खोज करके ही समाधानपाते है । गुरूकृपा नकारात्मक विचार " करने वालों কী সমনি (২) a से सदैव दूरही रहे अन्यथा उनके जैसा और विचारों काप्रभाव अपने विचारों पर कोई भी पड सकता हैं। (3) সংাক সাখক্ষ স সংন स्वीकार [ು खजाना बहुत होती हैं। करनेकीशक्ती नही हे। बाबा स्वामी - ShareChat
#🙏🏻आध्यात्मिकता😇 #🙏आध्यात्मिक गुरु🙏 #🙏गुरु महिमा😇 #🧘सदगुरु जी🙏 #☝अनमोल ज्ञान
🙏🏻आध्यात्मिकता😇 - समर्पण कमजोरी नहीं, बल्कि गहन शक्ति का प्रतीक स्वयं को जानना हो.. तो थम जा , जहाँ हो। है, क्योंकि यह हमें अनावश्यक बोझों को छोड़ने और अधिक संतुलित व सामंजस्यपूर्ण जीवन अपनाने की देता है। अनुमति श्री जी १५.११ २०२५ 9 (  आध्यात्मिक यात्रा के अनजान रास्तों पे आप गुमराह  नहीं होगे , आखिर में मंजिल मिल ही जाएगी  की आध्यात्मिक यात्रा अगर आप शुरू नहीं कर पाए तो আানন जीवन भर गुमराह ही रहोगे  ~~धर्मेश शाह हमारी सारी समस्याएं बाहरी नहीं , भीतरी हैं समर्पण कमजोरी नहीं, बल्कि गहन शक्ति का प्रतीक स्वयं को जानना हो.. तो थम जा , जहाँ हो। है, क्योंकि यह हमें अनावश्यक बोझों को छोड़ने और अधिक संतुलित व सामंजस्यपूर्ण जीवन अपनाने की देता है। अनुमति श्री जी १५.११ २०२५ 9 (  आध्यात्मिक यात्रा के अनजान रास्तों पे आप गुमराह  नहीं होगे , आखिर में मंजिल मिल ही जाएगी  की आध्यात्मिक यात्रा अगर आप शुरू नहीं कर पाए तो আানন जीवन भर गुमराह ही रहोगे  ~~धर्मेश शाह हमारी सारी समस्याएं बाहरी नहीं , भीतरी हैं - ShareChat
#🧘सदगुरु जी🙏 #🙏गुरु महिमा😇 #🙏आध्यात्मिक गुरु🙏 #🙏🏻आध्यात्मिकता😇
🧘सदगुरु जी🙏 - बाबा का होना ही काफी है 0 / 5 1 6 बाबा आपकी सभी परेशानी जल्द दूर करेंगे shirdi sa uhaam बाबा का होना ही काफी है 0 / 5 1 6 बाबा आपकी सभी परेशानी जल्द दूर करेंगे shirdi sa uhaam - ShareChat
#🙏गुरु महिमा😇 #🧘सदगुरु जी🙏 #🙏आध्यात्मिक गुरु🙏 #☝अनमोल ज्ञान #🙏🏻आध्यात्मिकता😇
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🙏🏻आध्यात्मिकता😇 - Gwactaltva Shrce Shtvkrupanand Swam Gutaltva Shree Shivkrupanand Swami [ a ٥٥٢٥  3260 3260 15/11|25 15.11.2025 Saturday Saturday ও-ামনT Soul  67 ச57 4 showing us always keep OL dreams 01 nor there which &7 in reality লম $াশ whar never 7 happens atall নালন ৭ লম মভা 0 6ತ 8 Baba Swami ಯc 15.11.2025 2923' |" 15 ~ [ [ [ n 6 { [ [ ~ a ~ { [ Gwactaltva Shrce Shtvkrupanand Swam Gutaltva Shree Shivkrupanand Swami [ a ٥٥٢٥  3260 3260 15/11|25 15.11.2025 Saturday Saturday ও-ামনT Soul  67 ச57 4 showing us always keep OL dreams 01 nor there which &7 in reality লম $াশ whar never 7 happens atall নালন ৭ লম মভা 0 6ತ 8 Baba Swami ಯc 15.11.2025 2923' |" 15 ~ [ [ [ n 6 { [ [ ~ a ~ { [ - ShareChat
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🙏🏻आध्यात्मिकता😇 - संसार छोडन को कर्यानही कहते ६२ ही ससार नही छोड़ रहाहतो परा सन्यासी ٥٣ Loe al 013? mMi Ti3al* TR ಗ gmHT ೯11 १ष हीन की आकांक्षा से भरेही चयः तुक पखाला कोभी पराजित कसा ६४ तुहार तयाकथित महात्मा अपनेको परगाल्ा सभज्यादा बुद्विमान मान रहा ह। पखाला अभी हंसता हजगीगी पक्षियन उड्ता हजभी फला a भी पहाडा न उठता ह 41 ~1 आी ~[9 Oc  तासगबसता हःअशीरशी नय बच्च पदा होत हः पखात्मा 3u-ri mRl खीलनाय ने कहा हेकि जवभी कोड नया बच्चा पदा 46 I  eilsoareeiava எ तग्म थका नही ! ता तून फिरएकनया आदमी बनाया ! तेरी जशा अपरपारह। अनत ह तेरी आशा | आदमी कितना ही गलत करे आदमी कितना ही गलत हा जाए लेकिन तू हःकि जदनी गढ चला जाता ह। तू करता ७६ पूकाता कल l0 जी्तन, कत पूके ता परसा, नगर जीतग। आज नहीं   गनुष्य जसा हीोना चाहिए वैसा होगा। तेरा पढ भरासा ! की शरद्वा परात्मा परभला खा गईहा आदमी पसाला की शद्व आदयी परनही खी गईही पखाला की नद्धा अपूर्व हतुहार पतिः इसीतिएता तुमजी रहेढी तुम्हारी श्वास चल रही ह। उसका राग ಕ3i7 mammad {TTi कर रहे हो२ उसने तु्हे चाहा ह उसकी चाहत तुम पररोज दरसती ह सुदहःसाझ चाहे तुम देखो॰ चाहे तुमन देखो। सूरज की राशना म बरसती 6 हवाआ क द्याका म वरसती 6 की गंथ म बरसती 6 के प्रन रम बरसती @ उसकी ननुथ्य पास रोज आती हःतुम चाहे पन्यवाद दी यन WCI (d6r' दोः उसका राग नुगर ह। परगात्मा तुम्हार प्रेम म ह। परगात्म जपनी सृरिकेप्रेननीहा नही तोउन वृक्षा को कोन हरा ख्खे 57 ac rriior ೊr7 SRu2n-uama उड? आरइन पक्षिया क कठा म कीन गाए४ OsHo पराला का राग तुमस @ ओरतुम विराग की गात कर रहेही४ तुनभी डतने ही रागसे उसके पति भरजाजो। (ಘ ೆ  [  जो आदमी यहतय कररहा हेरस्वर्ग हयानही?नरक ह पा नही? प्रश्न पूछते ह३ हयानही? आत्मामखेकेचाद पुनर्जन्म बचती हः्या नही२? बचती हतो कहा जाती ह४ मोक्ष हःतो कहां ह२ ये सब प्रश्न पूछ र्हे ह। ओरएक भी कोई प्रश्न नही पूछता कि मैं कौन हू? बड़ी हैरानी की बात है! सारे मुल्क में घूमता हूं॰ इधर लाखों लोगों से संपर्क हुआ हे॰ एक भी आदमी ने अब तक नहीं पूछा हः कि॰रमें कोन हूं॰ इसके लिए कोई सोच विचार मुझसे नहीं पूछा गया अभी तक कि॰में कोन हूं। करू। एकप्रश्ष मुझसे हःकि भगवान क्या हः स्वर्ग क्या ह२ नरक यहःतो लोग पूछते  लेकिन ह२ आकाशः पातालःन मालूम क्या॰क्या पूछते ew कोई यह नहीं पूछना कि॰रमै कौन हू२ शायद हसें यहः खयाल हःकि हस अपने को तो जानते ही हें॰ उसको क्या पूछना ! जिसको नहीं जानते , उसको पूछें। लेकिन सचाई यह हे कि हम अपने को सबसे कम जानते हें॰ बिलकुल ' भी नहीं जानते। ओरजो खुदको न जानता हो चह च्या जान सकेगा? ओर ऐसा मनुष्य जो खुद से अपरिचित अनजान , चहः बना लेगा भगवानों को॰ मंदिरों को॰ मस्जिदों को। वे खतरे के अड्े हो जाएंगे , ओर कुछभीन होगा | इसलिए मेने कहाः मनुष्य के द्वारा निर्मित सभी भगवान झूठे ह। हां, मनुष्य खुद को जान ले तो खुद के द्वारा वह जान सकेगा सारे जगत मेजो च्याप्त हःउसे | एक ताला खुल जाए संसार छोडन को कर्यानही कहते ६२ ही ससार नही छोड़ रहाहतो परा सन्यासी ٥٣ Loe al 013? mMi Ti3al* TR ಗ gmHT ೯11 १ष हीन की आकांक्षा से भरेही चयः तुक पखाला कोभी पराजित कसा ६४ तुहार तयाकथित महात्मा अपनेको परगाल्ा सभज्यादा बुद्विमान मान रहा ह। पखाला अभी हंसता हजगीगी पक्षियन उड्ता हजभी फला a भी पहाडा न उठता ह 41 ~1 आी ~[9 Oc  तासगबसता हःअशीरशी नय बच्च पदा होत हः पखात्मा 3u-ri mRl खीलनाय ने कहा हेकि जवभी कोड नया बच्चा पदा 46 I  eilsoareeiava எ तग्म थका नही ! ता तून फिरएकनया आदमी बनाया ! तेरी जशा अपरपारह। अनत ह तेरी आशा | आदमी कितना ही गलत करे आदमी कितना ही गलत हा जाए लेकिन तू हःकि जदनी गढ चला जाता ह। तू करता ७६ पूकाता कल l0 जी्तन, कत पूके ता परसा, नगर जीतग। आज नहीं   गनुष्य जसा हीोना चाहिए वैसा होगा। तेरा पढ भरासा ! की शरद्वा परात्मा परभला खा गईहा आदमी पसाला की शद्व आदयी परनही खी गईही पखाला की नद्धा अपूर्व हतुहार पतिः इसीतिएता तुमजी रहेढी तुम्हारी श्वास चल रही ह। उसका राग ಕ3i7 mammad {TTi कर रहे हो२ उसने तु्हे चाहा ह उसकी चाहत तुम पररोज दरसती ह सुदहःसाझ चाहे तुम देखो॰ चाहे तुमन देखो। सूरज की राशना म बरसती 6 हवाआ क द्याका म वरसती 6 की गंथ म बरसती 6 के प्रन रम बरसती @ उसकी ननुथ्य पास रोज आती हःतुम चाहे पन्यवाद दी यन WCI (d6r' दोः उसका राग नुगर ह। परगात्मा तुम्हार प्रेम म ह। परगात्म जपनी सृरिकेप्रेननीहा नही तोउन वृक्षा को कोन हरा ख्खे 57 ac rriior ೊr7 SRu2n-uama उड? आरइन पक्षिया क कठा म कीन गाए४ OsHo पराला का राग तुमस @ ओरतुम विराग की गात कर रहेही४ तुनभी डतने ही रागसे उसके पति भरजाजो। (ಘ ೆ  [  जो आदमी यहतय कररहा हेरस्वर्ग हयानही?नरक ह पा नही? प्रश्न पूछते ह३ हयानही? आत्मामखेकेचाद पुनर्जन्म बचती हः्या नही२? बचती हतो कहा जाती ह४ मोक्ष हःतो कहां ह२ ये सब प्रश्न पूछ र्हे ह। ओरएक भी कोई प्रश्न नही पूछता कि मैं कौन हू? बड़ी हैरानी की बात है! सारे मुल्क में घूमता हूं॰ इधर लाखों लोगों से संपर्क हुआ हे॰ एक भी आदमी ने अब तक नहीं पूछा हः कि॰रमें कोन हूं॰ इसके लिए कोई सोच विचार मुझसे नहीं पूछा गया अभी तक कि॰में कोन हूं। करू। एकप्रश्ष मुझसे हःकि भगवान क्या हः स्वर्ग क्या ह२ नरक यहःतो लोग पूछते  लेकिन ह२ आकाशः पातालःन मालूम क्या॰क्या पूछते ew कोई यह नहीं पूछना कि॰रमै कौन हू२ शायद हसें यहः खयाल हःकि हस अपने को तो जानते ही हें॰ उसको क्या पूछना ! जिसको नहीं जानते , उसको पूछें। लेकिन सचाई यह हे कि हम अपने को सबसे कम जानते हें॰ बिलकुल ' भी नहीं जानते। ओरजो खुदको न जानता हो चह च्या जान सकेगा? ओर ऐसा मनुष्य जो खुद से अपरिचित अनजान , चहः बना लेगा भगवानों को॰ मंदिरों को॰ मस्जिदों को। वे खतरे के अड्े हो जाएंगे , ओर कुछभीन होगा | इसलिए मेने कहाः मनुष्य के द्वारा निर्मित सभी भगवान झूठे ह। हां, मनुष्य खुद को जान ले तो खुद के द्वारा वह जान सकेगा सारे जगत मेजो च्याप्त हःउसे | एक ताला खुल जाए - ShareChat
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🙏🏻आध्यात्मिकता😇 - नोव्हेंबर 14 जीवनातला सर्वात खरा आणि बालदेनाच्या सर्वात सुंदर काळ म्हणजे बालपण! खूप खूप शुभेच्छा नोव्हेंबर 14 जीवनातला सर्वात खरा आणि बालदेनाच्या सर्वात सुंदर काळ म्हणजे बालपण! खूप खूप शुभेच्छा - ShareChat
#🙏🏻आध्यात्मिकता😇 #☝अनमोल ज्ञान #🙏आध्यात्मिक गुरु🙏 #🙏गुरु महिमा😇 #🧘सदगुरु जी🙏
🙏🏻आध्यात्मिकता😇 - रोना क्यों जब में हुँ तो कैसा गम da साई बाबा कार्य की सम्पन्नता लिए परिश्रम ಹ करना आवश्यक है shirdi 0a अहँकारी व्यक्ति कभी क्षमा नहीं माँग ٧٩ ٨ सकता , कमजोर व्यक्ति कभी क्षमा नहीं कर सकता..० ! क्षमा माँगना नम्र गुण है, और क्षमा करना व्यक्तिक ಝFurrui En शक्तिशाली व्यक्ति का गुण है..!! की कृपा अपरम्पार है बस कभी बाबा सबका मालिक एक आज़माना मत झावतपावीतीपन णात खिचड़ी अगर " रसोईघर" में पके तो बीमार व्यक्ति के लिए औषधि का खोेवते कुतवाहै पतपतीप काम करती हैं "लेकिन" Wroliinll खिचड़ी "दिमाग " में पके तो 3uR अच्छेनभले इंसान को बीमार कर देती जयश्री साईनाथ रोना क्यों जब में हुँ तो कैसा गम da साई बाबा कार्य की सम्पन्नता लिए परिश्रम ಹ करना आवश्यक है shirdi 0a अहँकारी व्यक्ति कभी क्षमा नहीं माँग ٧٩ ٨ सकता , कमजोर व्यक्ति कभी क्षमा नहीं कर सकता..० ! क्षमा माँगना नम्र गुण है, और क्षमा करना व्यक्तिक ಝFurrui En शक्तिशाली व्यक्ति का गुण है..!! की कृपा अपरम्पार है बस कभी बाबा सबका मालिक एक आज़माना मत झावतपावीतीपन णात खिचड़ी अगर " रसोईघर" में पके तो बीमार व्यक्ति के लिए औषधि का खोेवते कुतवाहै पतपतीप काम करती हैं "लेकिन" Wroliinll खिचड़ी "दिमाग " में पके तो 3uR अच्छेनभले इंसान को बीमार कर देती जयश्री साईनाथ - ShareChat
#🙏🏻आध्यात्मिकता😇 #☝अनमोल ज्ञान #🙏आध्यात्मिक गुरु🙏 #🧘सदगुरु जी🙏 #🙏गुरु महिमा😇
🙏🏻आध्यात्मिकता😇 - गुरूदेव के आत्म संदेश  राजस्थान सामूहिक ध्यान १६ नवचर ध्यान " की अवस्था मे सूब्रह १०३३० से (२८) पहुंचने पर  सहस्त्रार चक्र पर सहस्र कमल खील गये यह महसूस 5 होता हैं। 9 (२९) " ध्यान " की अवस्था मे चक्र पर पहुंचने पर = सहस्त्रार 9 अच्छी आत्माएँही सदैव अपने असीम शांती का अनुभव होता  थितफो पयिग्न फरने फे लिए जागरकता की आयर्यकता होती ६ गलती को स्वीकार करती है जो जागलकता आती H447#/ आत्माभी a 64 इसलिए जीवन मे जागरुक आत्माओं की सामूहिफता मे रहिए  और गलती को पहचान कर याकी सय ऐसे हीहो जाएगा। Vaul  2 mraulra (३०) " ध्यान " की उच्च अवस्था  क्षमा भी माँगती ह४ क्षमा' सदैव ही अधिकार के साथ कर्तव्य तो मे ही साधक सहस्त्रार चक्र तक  माँगना एक आत्मा के प्रगति की आते ही हैं! अब आपका नियमित   पहुंच पाता हैं।  बाबा स्वाम करना कर्तव्य हो गया है। नियमित पहचान है। ।बाबा स्वामी जी) सभी कर्तव्य हो सेंटर पर n {ು परमात्मा को जीवन में पाना है॰ यह लिए पदाधिकारी जो भी व्यवस्था के किए अथिकृत हैं, उनका सम्मान 0 एक प्रकार का आत्मा का असमाधान भी कर्तव्य हा गया। आश्रम में जाने पर आश्रम की व्यवस्था में अनुशासन है। और यह असमाधान ही मनुष्य को रखके , नियमों का पालन कर वहाँ की कहीं भी स्थिरता नहीं दे पाता है। और करना कर्तव्य हो व्यवस्थारमें सहयोग गया। अधिकार और कर्तव्य एक ही मोक्ष की स्थिति प्राप्त करने पर, भैंने सिक्के के दो पहलू होते हैं। आश्रम में परमात्मा को पा लिया' यह एक प्रकार या सेंटर पर सकारात्मक वातावरण अपने दोष दिखना, अपने आपके रखना भी कर्तव्य होता है। सभी जगह का समाधान आत्मा को प्राप्त हा जाता दिखना, बहुत अच्छी आत्मा पाप है। की स्थिति है। कमजोर आत्मा को न कभी अपने दोष दिखते है और न पाप दिख सकते हैं। -श्री शिवकृपानंद स्वामीजी आध्यात्मिक यात्रा के अनजान रास्तों पे आप गुमराह आखिर में मंजिल मिल ही नर्ही होगे जाएगी (बाबा स्वामी जी) आध्यात्मिक यात्रा अगर आप शुरू नहीं कर पाए तो हिमालय का समर्पण योग - भाग जीवन भर गुमराह ही रहोगे  गुरूदेव के आत्म संदेश  राजस्थान सामूहिक ध्यान १६ नवचर ध्यान " की अवस्था मे सूब्रह १०३३० से (२८) पहुंचने पर  सहस्त्रार चक्र पर सहस्र कमल खील गये यह महसूस 5 होता हैं। 9 (२९) " ध्यान " की अवस्था मे चक्र पर पहुंचने पर = सहस्त्रार 9 अच्छी आत्माएँही सदैव अपने असीम शांती का अनुभव होता  थितफो पयिग्न फरने फे लिए जागरकता की आयर्यकता होती ६ गलती को स्वीकार करती है जो जागलकता आती H447#/ आत्माभी a 64 इसलिए जीवन मे जागरुक आत्माओं की सामूहिफता मे रहिए  और गलती को पहचान कर याकी सय ऐसे हीहो जाएगा। Vaul  2 mraulra (३०) " ध्यान " की उच्च अवस्था  क्षमा भी माँगती ह४ क्षमा' सदैव ही अधिकार के साथ कर्तव्य तो मे ही साधक सहस्त्रार चक्र तक  माँगना एक आत्मा के प्रगति की आते ही हैं! अब आपका नियमित   पहुंच पाता हैं।  बाबा स्वाम करना कर्तव्य हो गया है। नियमित पहचान है। ।बाबा स्वामी जी) सभी कर्तव्य हो सेंटर पर n {ು परमात्मा को जीवन में पाना है॰ यह लिए पदाधिकारी जो भी व्यवस्था के किए अथिकृत हैं, उनका सम्मान 0 एक प्रकार का आत्मा का असमाधान भी कर्तव्य हा गया। आश्रम में जाने पर आश्रम की व्यवस्था में अनुशासन है। और यह असमाधान ही मनुष्य को रखके , नियमों का पालन कर वहाँ की कहीं भी स्थिरता नहीं दे पाता है। और करना कर्तव्य हो व्यवस्थारमें सहयोग गया। अधिकार और कर्तव्य एक ही मोक्ष की स्थिति प्राप्त करने पर, भैंने सिक्के के दो पहलू होते हैं। आश्रम में परमात्मा को पा लिया' यह एक प्रकार या सेंटर पर सकारात्मक वातावरण अपने दोष दिखना, अपने आपके रखना भी कर्तव्य होता है। सभी जगह का समाधान आत्मा को प्राप्त हा जाता दिखना, बहुत अच्छी आत्मा पाप है। की स्थिति है। कमजोर आत्मा को न कभी अपने दोष दिखते है और न पाप दिख सकते हैं। -श्री शिवकृपानंद स्वामीजी आध्यात्मिक यात्रा के अनजान रास्तों पे आप गुमराह आखिर में मंजिल मिल ही नर्ही होगे जाएगी (बाबा स्वामी जी) आध्यात्मिक यात्रा अगर आप शुरू नहीं कर पाए तो हिमालय का समर्पण योग - भाग जीवन भर गुमराह ही रहोगे - ShareChat
#🙏🏻आध्यात्मिकता😇 #☝अनमोल ज्ञान #🙏आध्यात्मिक गुरु🙏 #🙏गुरु महिमा😇 #🧘सदगुरु जी🙏
🙏🏻आध्यात्मिकता😇 - बालक बनो, अबोध बनो अहंकार आध्यात्मिक यात्रा की সনম নভী নাখা El a Childrens 14th November Day बालक बनो, अबोध बनो अहंकार आध्यात्मिक यात्रा की সনম নভী নাখা El a Childrens 14th November Day - ShareChat