Davinder Singh Rana
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🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺 *********|| जय श्री राधे ||********* 🌺🙏 *महर्षि पाराशर पंचांग* 🙏🌺 🙏🌺🙏 *अथ पंचांगम्* 🙏🌺🙏 *********ll जय श्री राधे ll********* 🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺 *दिनाँक:-07/12/2025,रविवार* तृतीया, कृष्ण पक्ष, पौष """""""""""""""""""""""""""""""""""""(समाप्ति काल) तिथि------------ तृतीया 18:24:18. तक पक्ष-------------------------- कृष्ण नक्षत्र----------- पुनर्वसु 28:10:46 योग-------------- शुक्ल 20:06:19 करण----------- वणिज 07:50:26 करण-------- विष्टि भद्र 18:24:18 करण--------------- बव 29:08:00 वार------------------------- रविवार माह--------------------------- पौष चन्द्र राशि---- मिथुन 22:37:33 चन्द्र राशि------------------- कर्क सूर्य राशि------------------ वृश्चिक रितु---------------------------हेमंत आयन------------------ दक्षिणायण संवत्सर------------------- विश्वावसु संवत्सर (उत्तर) --------------सिद्धार्थी विक्रम संवत---------------- 2082 गुजराती संवत-------------- 2082 शक संवत------------------ 1947 कलि संवत------------------ 5126 वृन्दावन सूर्योदय---------------- 06:58:07 सूर्यास्त----------------- 17:23:19 दिन काल-------------- 10:25:12 रात्री काल-------------- 13:35:30 चंद्रास्त----------------- 09:27:50 चंद्रोदय----------------- 19:55:48 लग्न----वृश्चिक 20°58' , 230°58' सूर्य नक्षत्र-------------------- ज्येष्ठा चन्द्र नक्षत्र------------------ पुनर्वसु नक्षत्र पाया------------------- लोहा *🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩* के---- पुनर्वसु 11:38:37 को---- पुनर्वसु 17:06:52 हा---- पुनर्वसु 22:37:33 ही---- पुनर्वसु 28:10:46 *💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮* ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद ============================ सूर्य= वृश्चिक 20°49 , ज्येष्ठा 2 या चन्द्र= मिथुन 20°30 , पुनर्वसु 1 के बुध = वृश्चिक 00°52 ' विशाखा 4 तो शु क्र= वृश्चिक 13°05, अनुराधा , 4 ने मंगल= वृश्चिक 29°30 ' ज्येष्ठा 4 यू गुरु= कर्क 29°50 पुनर्वसु, 3 हा शनि=मीन 01°03 ' पूo भा o , 4 दी राहू=(व) कुम्भ 19°20 पू o भा o, 4 सू केतु= (व) सिंह 19°20 पूoफा o 2 टा ============================ *🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 🚩💮🚩* राहू काल 16:05 - 17:23 अशुभ यम घंटा 12:11 - 13:29 अशुभ गुली काल 14:47 - 16:05 अशुभ अभिजित 11:50 - 12:32 शुभ दूर मुहूर्त 15:59 - 16:42 अशुभ वर्ज्यम 17:07 - 18:35 अशुभ प्रदोष 17:23 - 20:09 शुभ 💮चोघडिया, दिन उद्वेग 06:58 - 08:16 अशुभ चर 08:16 - 09:34 शुभ लाभ 09:34 10:53 शुभ अमृत 10:53 12:11 शुभ काल 12:11 13:29 अशुभ शुभ 13:29 14:47 शुभ रोग 14:47 - 16:05 अशुभ उद्वेग 16:05 - 17:23 अशुभ 🚩चोघडिया, रात शुभ 17:23 - 19:05 शुभ अमृत 19:05 - 20:47 शुभ चर 20:47 - 22:29 शुभ रोग 22:29 - 24:11* अशुभ काल 24:11*25:53* अशुभ लाभ 25:53* - 27:35* शुभ उद्वेग 27:35* - 29:17* अशुभ शुभ 29:17* - 30:59* शुभ 💮होरा, दिन सूर्य 06:58- 07:50 शुक्र 07:50- 08:42 बुध 08:42- 09:34 चन्द्र 09:34- 10:27 शनि 10:27 -11:19 बृहस्पति 11:19 -12:11 मंगल 12:11 -13:03 सूर्य 13:03- 13:55 शुक्र 13:55- 14:47 बुध 14:47- 15:39 चन्द्र 15:39- 16:31 शनि 16:31- 17:23 🚩होरा, रात बृहस्पति 17:23- 18:31 मंगल 18:31 -19:39 सूर्य 19:39- 20:47 शुक्र 20:47 -21:55 बुध 21:55 -23:03 चन्द्र 23:03 -24:11 शनि 24:11-25:19 बृहस्पति 25:19-26:27 मंगल 26:27-27:35 सूर्य 27:35-28:43 शुक्र 28:43-29:51 बुध 29:51-30:59 *🚩उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩* वृश्चिक > 05:20 से 08:40 तक धनु > 08:40 से 09:50 तक मकर > 09:50 से 11:22 तक कुम्भ > 11:22 से 12:56 तक मीन > 12:56 से 14:32 तक मेष > 14:32 से 16:02 तक वृषभ > 16:02 से 17:56 तक मिथुन > 17:56 से 20:26 तक कर्क > 20:26 से 22:32 तक सिंह > 22:32 से 00:42 तक कन्या > 00:42 से 03:12 तक तुला > 03:12 से 05:14 तक ======================= *🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार* (लगभग-वास्तविक समय के समीप) दिल्ली +10मिनट--------- जोधपुर -6 मिनट जयपुर +5 मिनट------ अहमदाबाद-8 मिनट कोटा +5 मिनट------------ मुंबई-7 मिनट लखनऊ +25 मिनट--------बीकानेर-5 मिनट कोलकाता +54-----जैसलमेर -15 मिनट *नोट*-- दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार । शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥ रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार । अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥ अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें । उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें । शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें । लाभ में व्यापार करें । रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें । काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है । अमृत में सभी शुभ कार्य करें । *💮दिशा शूल ज्ञान------------- पश्चिम* परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौंजी खाके यात्रा कर सकते है l इस मंत्र का उच्चारण करें-: *शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l* *भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll* *🚩 अग्नि वास ज्ञान -:* *यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,* *चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।* *दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,* *नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्* *नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।* 15 + 3 + 1 + 1 = 20 ÷ 4 = 0 शेष पृथ्वी लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l *🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩* सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है मंगल ग्रह मुखहुति *💮 शिव वास एवं फल -:* 18 + 18 + 5 = 41 ÷ 7 = 6 शेष क्रीड़ायां = शोक ,दुःख कारक *🚩भद्रा वास एवं फल -:* *स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।* *मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।* प्रात: 7:55 से 18:27 तक स्वर्ग लोक = शुभ कारक *💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮* *चतुर्थी व्रत चंद्रोदय रात्रि 19:57 *सर्वार्थ सिद्धि योग 28:11 से *💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮* न दुर्जनः साधुदशामुपैति बहुप्रकारैरपि शिक्ष्यमाणः । आमूलसिक्तः पयसाघृतेन न निम्बवृक्षौमधुरत्वमेति ।। ।।चाo नीo।। एक दुष्ट व्यक्ति में कभी पवित्रता उदीत नहीं हो सकती उसे चाहे जैसे समझा लो. नीम का वृक्ष कभी मीठा नहीं हो सकता आप चाहे उसकी शिखा से मूल तक घी और शक्कर छिड़क दे. *🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩* गीता -: कर्मयोग अo-3 यस्त्वात्मरतिरेव स्यादात्मतृप्तश्च मानवः। आत्मन्येव च सन्तुष्टस्तस्य कार्यं न विद्यते॥ परन्तु जो मनुष्य आत्मा में ही रमण करने वाला और आत्मा में ही तृप्त तथा आत्मा में ही सन्तुष्ट हो, उसके लिए कोई कर्तव्य नहीं है ॥17॥ *💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮* देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके। नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।। विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे। जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।। 🐏मेष अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। नौकरी में अधिकार बढ़ेंगे। व्यावसायिक समस्या का हल निकलेगा। नई योजना में लाभ की संभावना है। घर में मांगलिक आयोजन हो सकते हैं। जीवनसाथी से संबंध घनिष्ठ होंगे। रोजगार मिलेगा। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। 🐂वृष शुभ समाचार प्राप्त होंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। मान बढ़ेगा। स्वजनों से मेल-मिलाप होगा। नौकरी में ऐच्छिक पदोन्नति की संभावना है। पुराने मित्र व संबंधियों से मुलाकात होगी। किसी की आलोचना न करें। खानपान का ध्यान रखें। आर्थिक संपन्नता बढ़ेगी। 👫मिथुन गीत-संगीत में रुचि बढ़ेगी। आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। पुराना रोग उभर सकता है। शोक समाचार मिल सकता है। भागदौड़ रहेगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। अधूरे कामों में गति आएगी। व्यावसायिक गोपनीयता भंग न करें। 🦀कर्क घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। धनलाभ होगा। व्यापार-व्यवसाय में उन्नति के योग हैं। वाणी पर संयम आवश्यक है। जीवनसाथी से मदद मिलेगी। सामाजिक यश-सम्मान बढ़ेगा। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। यात्रा सफल रहेगी। प्रयास सफल रहेंगे। वाणी पर नियंत्रण रखें। 🐅सिंह परिवार के सहयोग से दिन उत्साहपूर्ण व्यतीत होगा। योजनानुसार कार्य करने से लाभ की संभावना है। आर्थिक सुदृढ़ता रहेगी। धनार्जन होगा। संतान के स्वास्थ्य पर ध्यान दें। बेचैनी दूर होगी। वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। कोर्ट व कचहरी में अनुकूलता रहेगी। 🙎‍♀️कन्या नए अनुबंध होंगे। नई योजना बनेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रसन्नता रहेगी। कार्य में व्यय की अधिकता रहेगी। दांपत्य जीवन में भावनात्मक समस्याएँ रह सकती हैं। व्यापार में नए अनुबंध आज नहीं करें। राजमान प्राप्त होगा। ⚖️तुला व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रसन्नता रहेगी। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। पारिवारिक उन्नति होगी। सुखद यात्रा के योग बनेंगे। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। स्वविवेक से कार्य करना लाभप्रद रहेगा। 🦂वृश्चिक लाभ के अवसर मिलेंगे। प्रसन्नता रहेगी। कुछ मानसिक अंतर्द्वंद्व पैदा होंगे। पारिवारिक उलझनों के कारण मानसिक कष्ट रहेगा। पूजा-पाठ में मन लगेगा। कोर्ट व कचहरी के काम निबटेंगे। धैर्य एवं संयम रखकर काम करना होगा। यात्रा आज न करें। 🏹धनु भूमि व भवन संबंधी योजना बनेगी। बेरोजगारी दूर होगी। लाभ होगा। मान-प्रतिष्ठा में कमी आएगी। कामकाज में बाधाएं आ सकती हैं। कर्मचारियों पर व्यर्थ संदेह न करें। आर्थिक लाभ मिलने से एक्स्ट्रा खर्च उठा पाएंगे। शत्रु सक्रिय रहेंगे। स्वास्थ्य कमजोर होगा। 🐊मकर कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। राजकीय कार्य में परिवर्तन के योग बनेंगे। आलस्य का परित्याग करें। आपके कामों की लोग प्रशंसा करेंगे। व्यापार लाभप्रद रहेगा। नई कार्ययोजना के योग प्रबल हैं। ऐश्वर्य पर व्यय होगा। स्वास्थ्‍य कमजोर रहेगा। विवाद को बढ़ावा न दें। 🍯कुंभ व्यावसायिक यात्रा मनोनुकूल रहेगी। कानूनी मामले सुधरेंगे। धन का प्रबंध करने में कठिनाई आ सकती है। आहार की अनियमितता से बचें। व्यापार, नौकरी में उन्नति होगी। लेन-देन में सावधानी रखें। बकाया वसूली के प्रयास सफल रखें। 🐟मीन व्यापार-व्यवसाय सामान्य रहेगा। दूरदर्शिता एवं बुद्धि चातुर्य से कठिनाइयां दूर होंगी। राज्य तथा व्यवसाय में सफलता मिलने के योग हैं। पठन-पाठन में रुचि बढ़ेगी। पुराना रोग उभर सकता है। चोट व दुर्घटना से बचें। वस्तुएं संभालकर रखें। बाकी सामान्य रहेगा। 🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏 🌺🌺🌺🌺🙏🌺🌺🌺🌺 #🕉️सनातन धर्म🚩 #श्री हरि #आज का राशिफल / पंचाग ☀
ॐश्री हरिहरो विजयतेतरामॐ 🌼श्री गणेशाय नम:🌼 📖आज का पञ्चाङ्ग📖 🌸रविवार, ०७ दिसम्बर २०२५🌸 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 सूर्योदय: 🌞 ०७:०७ सूर्यास्त: ☀ ०५:२९ चन्द्रोदय: 🌝 १९:४७ चन्द्रास्त: 🌜०९:३२ अयन 🌘 दक्षिणायणे (दक्षिण गोले) ऋतु: 🌳 हेमन्त शक सम्वत: 👉 १९४७ (विश्वावसु) विक्रम सम्वत: 👉 २०८२ (सिद्धार्थी) मास 👉 पौष पक्ष 👉 कृष्ण तिथि 👉 तृतीया (१८:२४ से चतुर्थी) नक्षत्र 👉 पुनर्वसु (२८:११ से पुष्य) योग 👉 शुक्ल (२०:०७ से ब्रह्म) प्रथम करण 👉 वणिज (०७:५० तक) द्वितीय करण 👉 विष्टि (१८:२४ तक) 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ ॥ गोचर ग्रहा: ॥ 🌖🌗🌖🌗 सूर्य 🌟 वृश्चिक चंद्र 🌟 कर्क (२२:३७ से) मंगल 🌟 धनु (अस्त, पश्चिम , मार्गी) बुध 🌟 वृश्चिक (उदित, पूर्व, मार्गी ) गुरु 🌟 मिथुन (उदित, पूर्व, वक्री) शुक्र 🌟 वृश्चिक (उदित, पश्चिम, मार्गी) शनि 🌟 मीन (उदय, पूर्व, मार्गी) राहु 🌟 कुम्भ केतु 🌟 सिंह 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ शुभाशुभ मुहूर्त विचार ⏳⏲⏳⏲⏳⏲⏳ 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४८ से १२:२९ अमृत काल 👉 २५:५९ से २७:२७ रवि पुष्य योग 👉 २८:११ से ३१:०१ सर्वार्थ सिद्धि योग 👉 २८:११ से ३१:०१ विजय मुहूर्त 👉 १३:५१ से १४:३२ गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:१४ से १७:४२ सायाह्न सन्ध्या 👉 १७:१७ से १८:३९ निशिता मुहूर्त 👉 २३:४१ से २४:३६ राहुकाल 👉 १६:०० से १७:१७ राहुवास 👉 उत्तर यमगण्ड 👉 १२:०८ से १३:२५ दुर्मुहूर्त 👉 १५:५५ से १६:३६ होमाहुति 👉 मंगल दिशाशूल 👉 पश्चिम अग्निवास 👉 पृथ्वी (१८:२४ तक) भद्रावास 👉 स्वर्ग (०७:५० से १८:२४) चन्द्र वास 👉 पश्चिम (उत्तर २२:३८ से) शिववास 👉 क्रीड़ा में (१८:२४ से कैलाश पर) 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ ☄चौघड़िया विचार☄ 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ ॥ दिन का चौघड़िया ॥ १ - उद्वेग २ - चर ३ - लाभ ४ - अमृत ५ - काल ६ - शुभ ७ - रोग ८ - उद्वेग ॥रात्रि का चौघड़िया॥ १ - शुभ २ - अमृत ३ - चर ४ - रोग ५ - काल ६ - लाभ ७ - उद्वेग ८ - शुभ नोट👉 दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ शुभ यात्रा दिशा 🚌🚈🚗⛵🛫 उत्तर-पश्चिम (पान का सेवन कर यात्रा करें) 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ तिथि विशेष 🗓📆🗓📆 〰️〰️〰️〰️ संकष्ट चतुर्थी, मंगल धनु में २०:१५ से आदि। राणा जी खेड़ांवाली🚩 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ आज २८:११ तक जन्मे शिशुओ का नाम पुनर्वसु नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (के, को, ह, ही) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम पुष्य नक्षत्र के प्रथम चरण अनुसार क्रमशः (हू) नामाक्षर से रखना शास्त्र सम्मत है। 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ उदय-लग्न मुहूर्त वृश्चिक - २९:२५ से ०७:४४ धनु - ०७:४४ से ०९:४८ मकर - ०९:४८ से ११:२९ कुम्भ - ११:२९ से १२:५५ मीन - १२:५५ से १४:१८ मेष - १४:१८ से १५:५२ वृषभ - १५:५२ से १७:४७ मिथुन - १७:४७ से २०:०२ कर्क - २०:०२ से २२:२३ सिंह - २२:२३ से २४:४२+ कन्या - २४:४२+ से २७:००+ तुला - २७:००+ से २९:२१+ 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ पञ्चक रहित मुहूर्त शुभ मुहूर्त - ०७:०० से ०७:४४ रोग पञ्चक - ०७:४४ से ०९:४८ शुभ मुहूर्त - ०९:४८ से ११:२९ मृत्यु पञ्चक - ११:२९ से १२:५५ अग्नि पञ्चक - १२:५५ से १४:१८ शुभ मुहूर्त - १४:१८ से १५:५२ मृत्यु पञ्चक - १५:५२ से १७:४७ अग्नि पञ्चक - १७:४७ से १८:२४ शुभ मुहूर्त - १८:२४ से २०:०२ रज पञ्चक - २०:०२ से २२:२३ शुभ मुहूर्त - २२:२३ से २४:४२+ चोर पञ्चक - २४:४२+ से २७:००+ शुभ मुहूर्त - २७:००+ से २८:११+ रोग पञ्चक - २८:११+ से २९:२१+ शुभ मुहूर्त - २९:२१+ से ३१:०१+ 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ आज का राशिफल 🐐🐂💏💮🐅👩 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ) आज का दिन आपके लिये कामना पूर्ति वाला रहेगा। स्वयंजन एवं सहकर्मियों से विवेकी व्यवहार रखें अन्यथा इच्छाओं पर पानी फेरते समय नही लगाएंगे। व्यवसायी वर्ग को आज आकस्मिक धन मिलने की सम्भवना है लेकिन पहले दिमागी कसरत भी करनी पड़ेगी इससे घबराए ना धन और सम्मान दोनो मिलेंगे। नौकरी पेशाओ को भी आज अतिरिक्त आय बनाने के अवसर मिलेंगे लेकिन ज्यादा प्रलोभन में ना पढ़ें अन्यथा हानि के साथ किसी से कहा सुनी भी हो सकती है। सहकर्मियो का पूरा ख्याल रखेंगे आज आपसे प्रसन्न रहेंगे जिससे कार्य समय पर पूर्ण कर लेंगे। घर की स्थिति सुख दायक रहेगी परिजनों का स्नेह मिलने से थकान भूल जाएंगे। आरोग्य भी बना रहेगा। वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो) आज के दिन आपकी दिनचर्या पिछले दिनों की अपेक्षा बेहतर रहेगी। दिन के आरंभ में कार्यो के गलत दिशा लेने से गुस्सा आएगा लेकिन स्वतः ही ठीक हो जाएंगे। कई दिनों से जिस कार्य मे लगे है उसकी सफलता के नजदीक पहुचने से उत्साहित होंगे परन्तु आज पूर्ण सफलता संदिग्ध ही रहेगी निष्ठा से लगे रहे निकट भविष्य में धन और सम्मान दोनो मिलने वाले है। नौकरी पेशाओ पर अधिकारियों का भरोसा बढ़ने से अपनी अनैतिक मांगे मनवाने की तिकडम लगाएंगे परिस्थिति अनुसार इसमे आज नही तो कल सफलता मिल जाएगी। आज धन की आमद होते होते कई व्यवधान आएंगे फिर भी खर्च लायक मिल जाएगी। परिवार में मौसमी बीमारी के प्रकोप के कारण परिजन दैनिक कार्यो के लिये एक दूसरे पर आश्रित रहेंगे जिससे थोड़ी अव्यवस्था फैलेगी। मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा) आज का दिन सुख शांति दायक रहेगा दिन के पूर्वार्ध से ही मजाकिया व्यवहार से घर का वातावरण खुशनुमा बनाएंगे लेकिन बोलने में शब्दों का चयन ठीक ना होने से किसी से नाराजगी भी हो सकती है। कार्य व्यवसाय में आज परिश्रम अधिक करना पड़ेगा फिर भी उसके अनुकूल लाभ नही मिलने से थोड़ी निराशा होगी लेकिन विवेक भी रहने से आगे के लिये अधिक बेहतर करने का प्रयास करेंगे। आज की गई मेहनत खाली नही जाएगी आज नहीं तो कल अवश्य ही धन लाभ होगा। जोखिम वाले कार्यो में निवेश करने से ना डरे भविष्य में अधिक होकर ही मिलेगा। संध्या के समय मन अनैतिक कार्यो में भटकेगा व्यसन पर खर्च होगा। सेहत में भी रात्रि के समय कमी आएगी। कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो) आज के दिन आपको प्रत्येक कार्य मे सावधानी बरतें की आवश्यकता हैं। पूर्व में बनाई योजना अथवा गतिशील कार्यो में नुकसान होने की प्रबल संभावना है। आज पहले अधूरे कार्यो को पूर्ण करें उसके बाद ही नया कार्य आरंभ करें अन्यथा दोनो ही अधूरे रहने से लोगो की खरी-खोटी सुनने को मिलेगी साथ ही धन लाभ की कामना पर भी पानी फिर जाएगा। नौकरी पेशाओ को अतिरिक्त कार्य मिलने से बेमन से करने पर बड़ी गलती होने की संभावना है इसमे सुधार कर लेंगे पर अतिरिक्त परिश्रम करना पड़ेगा। धन की आमद कम व्यर्थ के खर्च या हानि होने से आर्थिक संतुलन नही बन पाएगा। घर का माहौल आपके विपरीत व्यवहार से उदासीन बनेगा। सेहत भी कुछ विकार युक्त रहेगी। सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे) आज का दिन भी आपके लिये लाभदायक रहने वाला है दिन के आरंभ में घर मे किसी से व्यर्थ की बात पर उलझेंगे लेकिन मध्यान के बाद स्वभाव में गंभीरता आएगी फिर भी सहकर्मी आपसे व्यवहार करने में संकोच करेंगे जिससे कार्य क्षेत्र पर आपसी तालमेल की कमी रहेगी। कार्य व्यवसाय में आज सोची गई योजना संध्या तक ही फलीभूत होगी पर धन लाभ आज पुरानी योजना अथवा संग्रह से ही होगा। सामाजिक क्षेत्र पर ठाट बाट का जीवन सामान्य वर्ग से दूरी बनाएगा लेकिन आज आप दिखावे में ही रहना अधिक पसंद करेंगे। घर के सदस्य भी मतलब से आपका समर्थन करेंगे पर बुजुर्ग वर्ग से किसी बात को लेकर ठनेगी। लंबी यात्रा की योजना बनेगी निकट भविष्य में इसपर खर्च भी करना पड़ेगा। संध्या बाद शरीर दुखने की शिकायत होगी। कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो) आज के दिन आपको व्यवसाय से आर्थिक लाभ पाने के लिये बड़ी जोड़ तोड़ करनी पड़ेगी फिर भी आशाजनक ना होने से मन मे नकारत्मक भाव आएंगे। धन की कमी रहने पर भी आपकी जीवनशैली धनाढ्यों जैसी रहेगी सार्वजनिक क्षेत्र पर आडंबर युक्त दिनचर्या के कारण मान सम्मान मिलेगा। आज किसी दो पक्षो के झगड़े को सुलझाने के लिये मध्यस्थता करनी पड़ेगी इससे बचने का प्रयास करें अति आवश्यक होने पर पक्षपात से बचे अन्यथा बैठे बिठाये दुश्मनी होगी। मध्यान के समय कार्य क्षेत्र पर व्यवसाय मंदा रहेगा फिर भी किसी वादे के पूरे होने पर बैठे बिठाये धन लाभ हो जाएगा। घर मे सुख शांति रहेगी बड़े परिजन आपकी प्रसंशा करेंगे। स्वास्थ्य में कुछ नरमी रहेगी लेकिन अनदेखी करेंगे। तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते) आज के दिन आप किसी मुसीबत से बचने के लिये धर्म का सहारा लेंगे मन मे आध्यात्मिक भाव रहेंगे लेकिन स्वार्थ सिद्धि मात्र ही। पूजा पाठ तंत्र टोटको पर दिन का कुछ समय और धन खर्च होगा लेकिन मन मे अज्ञात भय रहने से मानसिक शांति नही मिल पाएगी। कार्य क्षेत्र पर लेन देन को लेकर किसी से उलझने की संभावना है व्यवसाय की गति आज धीमी रहेगी जहां लाभ की संभावना होगी वहां सहयोग की कमी रहेगी। लोग आपको आश्वासन देंगे पर वक्त पड़ने पर अपनी बात से पलट जाएंगे। गृहस्थ में भी आज उतार चढ़ाव लगा रहेगा स्त्री संताने जिस कार्य को करने से बचना चाहिये उसे कर घर के बड़ो को नाराज करेंगे। सेहत ठीक रहेगी फिर भी घरेलू कार्यो में अरुचि दिखाएंगे। वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू) आज का दिन प्रतिकूल रहेगा पूर्व में बरती लापरवाही के कारण सेहत में विकार आने से प्रातः काल से ही अनमने से रहेंगे कार्य करने का मन करेगा लेकिन उत्साह की कमी हर कार्य मे विलंब कराएगी। नौकरी पेशाओ को आज अधिक कष्ट होगा सहकर्मियो से मतभेद के कारण सहयोग नही मिलेगा स्वयं ही सभी कार्य करने पड़ेंगे अवकाश भी ले सकते है। व्यवसायी वर्ग मध्यान तक थोड़ा बहुत लाभ कमा लेंगे लेकिन इसके बाद सेहत का साथ ना मिलने से अधिकांश कार्य अधूरे रह जाएंगे। धन की आमद रुक रुक कर होने से थोड़ी राहत में रहेंगे। घर मे आज किसी न किसी के बीमार रहने से दवाओं का खर्च बढ़ेगा घर मे भी अव्यवस्था पनपेगी। धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे) आज का दिन आपके लिए शानदार रहेगा आज आपकी मानसिकता सुखोपभोग की वस्तुओं के संग्रह की रहेगी इसपर खर्च भी करेंगे लेकिन भविष्य को ध्यान में रखकर ही चले। कार्य व्यवसाय से दिन के आरंभ में ज्यादा आशा नही रहेगी लेकिन मध्यान के आस-पास आकस्मिक लाभ होने से मन मे लोभ आएगा। व्यवसायी वर्ग व्यवसाय में निवेश करेंगे निकट भविष्य में लाभदायक रहेगा पर आज धन की आमद सामान्य से भी कम ही रहेगी। नौकरी करने वाले कार्य क्षेत्र पर अपनी प्रशंसा कराने के चक्कर मे मूर्खता का परिचय देने पर हास्य के पात्र बन सकते है स्वाभाविक कार्य करें यही आपके लिये ठीक रहेगा। घर के कुछ सदस्य किसी महंगी वस्तु को पाने की जिद करेंगे जबकि कुछ इसके विरोध में रहेंगे जिससे वातावरण थोड़ी देर के लिये अशांत बनेगा। आरोग्य बना रहेगा। मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी) आज आपके मन मे काफी उलझने रहेंगी कार्य क्षेत्र और घर मे तालमेल बैठाना प्राथमिकता रहेगी एक काम को करने पर दूसरे में विलंब होगा फिर भी मध्यान तक स्थिति को संभाल लेंगे। धन एवं व्यवसाय को लेकर मध्यान तक चिंतित रहेंगे बौखलाहट में कुछ उटपटांग हरकत करने से बचे अन्यथा बाद में स्वयं के लिये नई मुसीबत बढ़ाएंगे। संध्या के आस पास किसी की सहायता से जरूरत की पूर्ति हो जाएगी। घर के बुजुर्ग सामने से बुराई करेंगे जिससे संबंधों में कड़वाहट आ सकती है लेकिन आपके पीछे से आपकी बड़ाई ही करेंगे इसका ध्यान भी रखें। परिस्थिति के अनुसार स्वयं को ढाल लेने से स्त्री संतानों को लेकर आज जरूर संतोष होगा। यात्रा की योजना बनेगी आज की जगह कल करना बेहतर रहेगा। सर्दी जुखाम की शिकायत हो सकती है। कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा) आज के दिन आप अपने बुद्धि चातुर्य से हर जगह सम्मान पाएंगे मेहनत भी आज अन्य दिनों की तुलना में अधिक करनी पड़ेगी लेकिन बीच-बीच मे प्रसंशा मिलने से अखरेगा नही। आर्थिक लाभ को लेकर दिन के आरंभ से कयास लगाएंगे मध्यान से रुक रुक कर होने की संभावना है पर मन अधिक पाने की लालसा में शांत नही रहेगा। व्यावसायिक कारणों से छोटी बड़ी यात्रा भी हो सकती है इससे भी कुछ न कुछ लाभ ही होगा। सहकर्मी अपना मतलब साधने के लिये आपसे मीठा व्यवहार करेंगे लेकिन किसी के आगे ज्यादा समर्पित भी ना हो अन्यथा अपने काम मे देरी होगी। घरेलू वातावरण अन्य दिनों की तुलना में शांत नजर आएगा लेकिन महिलाओ के मन मे अंदर ही अंदर उथल पुथल चलेगी। सेहत मध्यान तक ठीक रहेगी इसके बाद कमर दर्द या जोड़ो में दर्द की शिकायत होगी। मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची) आज के दिन अपने काम से काम रखना बेहतर रहेगा। दिन भर क्रोध और कलह के प्रसंग बनते रहेंगे। कार्य क्षेत्र पर आज परिश्रम अधिक करना पड़ेगा फिर भी लोगो को आपका काम पसंद नही आएगा लोग अपना काम छोड़ आपके कार्य मे टांग अडायेंगे जिससे पहले से ही परेशान दिमाग और ज्यादा चिड़चिड़ा होगा। अधिकारी वर्ग भी बात-बात पर मीन मेख निकालेंगे। धन लाभ के लिये भी आज दिन विषम रहेगा छोटी मोटी आय बनाने के लिये भी तरसना पड़ेगा। घर मे भी आज किसी न किसी से कहा सुनी होगी महिलाए शकि मिजाज रहने पर बात बात में खोट देखेंगी बेतुकी बातो से बचे अन्यथा बाद में पछताना पड़ेगा। सेहत भी आज नरम-गर्म रहेगी। राणा जी खेड़ांवाली🚩 #🕉️सनातन धर्म🚩 #श्री हरि #आज का राशिफल / पंचाग ☀
*श्रीहनुमान_चरित_४२* *|| श्रीरामाश्वमेधकेअश्वके साथ ||* ( ३ ) *|| महामुनि आरण्यकसे मिलन ||* 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩 वायुवंशोद्भव हनुमान शत्रुघ्नकी अक्षौहिणी सेनाके साथ भी उनकी रक्षाके लिये सतत सावधान रहते थे। अश्वके पीछे-पीछे विशाल सशस्त्र वाहिनी परमपावनी नर्मदाके तटपर पहुँची। वहाँ तपस्वी ऋषियोंका समुदाय निवास करता था। वहीं नर्मदाके तटपर पलाशके पत्तोंसे बनी एक पुरानी पर्णशाला थी। उसे नर्मदाका जल स्पर्श कर रहा था। उसमें भगवान् श्रीरामके ध्यानपरायण महामुनि आरण्यक निवास करते थे। हनुमान, पुष्कल और अपने नीतिकुशल मन्त्री सुमतिके साथ श्रीरामानुजने उनके चरणोंमें प्रणाम किया। महर्षिने जब उन्हें यज्ञाश्वके रक्षकके रूपमें देखा तो वे भगवान् श्रीरामकी भुवनमङ्गलकारिणी मनोहर लीला-कथा सुनाते हुए कहने लगे— 'स्थिर ऐश्वर्यपदको देनेवाले एकमात्र रमानाथ भगवान् श्रीरघुवीरजी ही हैं। जो लोग उन भगवान्‌को छोड़कर दूसरेकी पूजा करते हैं, वे मूर्ख हैं। जो स्मरण करनेमात्रसे मनुष्योंके पहाड़-जैसे पापोंका भी नाश कर डालते हैं, उन भगवान्‌को छोड़कर मूढ़ मनुष्य योग, याग और व्रत आदिके द्वारा क्लेश उठाते हैं। सकाम पुरुष अथवा निष्काम योगी भी जिनका अपने हृदयमें चिन्तन करते हैं तथा जो मनुष्योंको मोक्ष प्रदान करनेवाले हैं, वे भगवान् श्रीराम स्मरण करनेमात्रसे सारे पापोंको दूर कर देते हैं।'* *मूढो लोको हरिं त्यक्त्वा करोत्यन्यं समर्चनम् । रघुवीरं रमानाथं स्थिरैश्वर्यपदप्रदम् ॥ यो नरैः स्मृतमात्रोऽसौ हरते पापपर्वतम् । तं मुक्त्वा क्लिश्यते मूढो योगयागव्रतादिभिः ॥ सकामैर्योगिभिर्वापि चिन्त्यते कामवर्जितैः । अपवर्गप्रदं नृणां स्मृतमात्राखिलाघहम् ॥ प० पु०, पा० खं० ३५|३१-३२, ३४ फिर महामुनिने महर्षि लोमशका उपदेश सुनाते हुए आगे कहा— 'एक ही देवता हैं— श्रीराम, एक ही व्रत है— उनका पूजन, एक ही मन्त्र है— उनका नाम तथा एक ही शास्त्र है— उनकी स्तुति। अतः तुम सब प्रकारसे परम मनोहर श्रीरामचन्द्रजीका भजन करो, इससे तुम्हारे लिये यह महान् संसार-सागर गौके खुरके समान तुच्छ हो जायगा।'† † एको देवो रामचन्द्रो व्रतमेकं तदर्चनम् । मन्त्रोऽप्येकश्च तन्नाम शास्त्रं तद्ध्येव तत्स्तुतिः ॥ तस्मात्सर्वात्मना रामचन्द्रं भज मनोहरम् । यथा गोष्पदवत्तुच्छो भवेत्संसारसागरः ॥ प० पु०, पा० खं० ३५|५१-५२ अपने परमाराध्य परम प्रभु श्रीरामका माहात्म्य सुनकर समीरात्मज मन-ही-मन पुलकित हो रहे थे, उनका हृदय आनन्दसे परिपूर्ण हो गया था और नेत्र प्रेमाश्रुओंसे भर गये थे। जब महामुनि आरण्यक भगवान् श्रीरामकी लीला-कथा सुनाने लगे तो उनके नेत्र बरसने लगे और जबतक श्रीराम-लीलाका वर्णन होता रहा, उनके नेत्रोंसे अनवरत अश्रुपात होता ही रहा। परमपावन श्रीरामकी भवतापतारिणी एवं मुनिमनोहारिणी मधुर कथाका वर्णन कर लेनेके उपरान्त जब महर्षि आरण्यकको ज्ञात हुआ कि मेरे आराध्यदेव भगवान् श्रीरामने ही अश्वमेध यज्ञकी दीक्षा ली है और मेरे आश्रमपर उनके अनुज शत्रुघ्नसहित उनका ही अश्व आया है, तब तो उनका मन-मयूर नृत्य कर उठा और जब उन्हें यह विदित हुआ कि संसार-भयनाशन, अनन्तमङ्गल, श्रीरामपरायण महावीर हनुमान मेरे सम्मुख हाथ जोड़े खड़े हैं, तब वे जोरसे बोल उठे— 'आज मेरी जननीका जन्मदान सफल हो गया। आज मेरा ध्यान, जप, तप और अग्निहोत्र सब सफल हो गया।' दूसरे ही क्षण वयोवृद्ध महामुनि आरण्यकने श्रीरामप्राण हनुमानजीको अपने हृदयसे सटा लिया। हनुमानजीने भी स्नेहातिरेकसे उन्हें अपने अङ्कमें भर लिया। उस समय महामुनिके नेत्रोंसे आँसू बह रहे थे। उनकी वाणी अवरुद्ध हो गयी, किंतु उनके आनन्दकी सीमा न थी। यही दशा हनुमानजीकी भी थी। महामुनि आरण्यक और हनुमान — जैसे प्रेमके दो विग्रह परस्पर आलिङ्गनबद्ध हो गये थे। दोनोंके हृदयसे प्रेमकी धारा फूटकर बह रही थी। दोनों ही आनन्दामृतमें डूबकर शिथिल एवं चित्रलिखित-से प्रतीत हो रहे थे। जगत्कारण श्रीरामकी प्रीतिसे दोनोंके हृदय पूर्ण थे। अतएव दोनों ही बैठकर भगवान् श्रीरामके मधुर-मनोहर लीला-गुण-गानमें तन्मय हो गये। ||जय सिया राम|| ||राणा जी खेड़ांवाली|| #🕉️सनातन धर्म🚩 #🙏श्री राम भक्त हनुमान🚩
*महादेव_२* *|| अर्धनारीश्वर शिव ||* 🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱🔱 सृष्टिके प्रारम्भमें जब ब्रह्माजीद्वारा रची गयी मानसिक सृष्टि विस्तार न पा सकी, तब ब्रह्माजीको बहुत दुःख हुआ। उसी समय आकाशवाणी हुई 'ब्रह्मन् ! अब मैथुनी सृष्टि करो।' आकाशवाणी सुनकर ब्रह्माजीने मैथुनी सृष्टि रचनेका निश्चय तो कर लिया, किंतु उस समयतक नारियोंकी उत्पत्ति न होनेके कारण वे अपने निश्चयमें सफल नहीं हो सके। तब ब्रह्माजीने सोचा कि परमेश्वर शिवकी कृपाके बिना मैथुनी सृष्टि नहीं हो सकती। अतः वे उन्हें प्रसन्न करनेके लिये कठोर तप करने लगे। बहुत दिनोंतक ब्रह्माजी अपने हृदयमें प्रेमपूर्वक महेश्वर शिवका ध्यान करते रहे। उनके तीव्र तपसे प्रसन्न होकर भगवान् उमा-महेश्वरने उन्हें अर्धनारीश्वर-रूपमें दर्शन दिया। देवाधिदेव भगवान् शिवके उस दिव्य स्वरूपको देखकर ब्रह्माजी अभिभूत हो उठे और उन्होंने दण्डकी भाँति भूमिपर लेटकर उस अलौकिक विग्रहको प्रणाम किया। महेश्वर शिवने कहा— 'पुत्र ब्रह्मा ! मुझे तुम्हारा मनोरथ ज्ञात हो गया है। तुमने प्रजाओंकी वृद्धिके लिये जो कठिन तप किया है; उससे मैं परम प्रसन्न हूँ। मैं तुम्हारी इच्छा अवश्य पूरी करूँगा।' ऐसा कहकर शिवजीने अपने शरीरके आधे भागसे उमादेवीको अलग कर दिया। तदनन्तर परमेश्वर शिवके अर्धाङ्गसे अलग हुई उन पराशक्तिको साष्टांग प्रणाम करके ब्रह्माजी इस प्रकार कहने लगे— 'शिवे ! सृष्टिके प्रारम्भमें आपके पति देवाधिदेव शम्भुने मेरी रचना की थी। भगवति ! उन्हींके आदेशसे मैंने देवता आदि समस्त प्रजाओंकी मानसिक सृष्टि की। परंतु अनेक प्रयासोंके बाद भी उनकी वृद्धि करनेमें मैं असफल रहा हूँ। अतः अब स्त्री-पुरुषके समागमसे मैं प्रजाओंको उत्पन्न कर सृष्टिका विस्तार करना चाहता हूँ, किंतु अभीतक नारी-कुलका प्राकट्य नहीं हुआ है और नारी-कुलकी सृष्टि करना मेरी शक्तिके बाहर है। देवि ! आप सम्पूर्ण सृष्टि तथा शक्तियोंकी उद्गमस्थली हैं। इसलिये हे मातेश्वरी, आप मुझे नारी-कुलकी सृष्टि करनेकी शक्ति प्रदान करें। मैं आपसे एक और विनती करता हूँ कि चराचर जगत्‌की वृद्धिके लिये आप मेरे पुत्र दक्षकी पुत्रीके रूपमें जन्म लेनेकी भी कृपा करें।' ब्रह्माकी प्रार्थना सुनकर परमेश्वरी शिवाने 'तथास्तु'— ऐसा ही होगा— कहा और ब्रह्माको उन्होंने नारी-कुलकी सृष्टि करनेकी शक्ति प्रदान की। इसके लिये उन्होंने अपनी भौंहोंके मध्यभागसे अपने ही समान कान्तिमती एक शक्ति प्रकट की। उसे देखकर देवदेवेश्वर शिवने हँसते हुए कहा— 'देवि ! ब्रह्माने तपस्याद्वारा तुम्हारी आराधना की है। अब तुम उनपर प्रसन्न हो जाओ और उनका मनोरथ पूर्ण करो।' परमेश्वर शिवकी इस आज्ञाको शिरोधार्य करके वह शक्ति ब्रह्माजीकी प्रार्थनाके अनुसार दक्षकी पुत्री हो गयी। इस प्रकार ब्रह्माजीको अनुपम शक्ति देकर देवी शिवा महादेवजीके शरीरमें प्रविष्ट हो गयीं। फिर महादेवजी भी अन्तर्धान हो गये। तभीसे इस लोकमें मैथुनी सृष्टि चल पड़ी। सफल मनोरथ होकर ब्रह्माजी भी परमेश्वर शिवका स्मरण करते हुए निर्विघ्नरूपसे सृष्टि-विस्तार करने लगे। इस प्रकार शिव और शक्ति एक-दूसरेसे अभिन्न तथा सृष्टिके आदिकारण हैं। जैसे पुष्पमें गन्ध, चन्द्रमें चन्द्रिका, सूर्यमें प्रभा नित्य और स्वभाव-सिद्ध है, उसी प्रकार शिवमें शक्ति भी स्वभाव-सिद्ध है। शिवमें इकार ही शक्ति है। शिव कूटस्थ तत्त्व है और शक्ति परिणामी तत्त्व। शिव अजन्मा आत्मा है और शक्ति जगत्में नाम-रूपके द्वारा व्यक्त सत्ता। यही अर्धनारीश्वर शिवका रहस्य है। हर हर महादेव राणा जी खेड़ांवाली🚩 #🕉️सनातन धर्म🚩 #हर हर महादेव
*॥ नल - दमयन्ती कथा ॥* *भाग - 3* ☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️ देवर्षि नारद और पर्वत के द्वारा देवताओ को भी दमयन्ती के स्वयंवर का समाचार मिल गया , इंद्र आदि सभी लोकपाल अपनी मंडली और वाहनों सहित विदर्भ देश के लिए रवाना हुये । राजा नल का चित्त पहले से ही दमयन्ती पर आसक्त हो चुका था, उन्होंने दमयन्ती स्वयंमवर में सम्मिलित होने लिए विदर्भ देश की यात्रा की । देवताओ ने स्वर्ग से उतरते समय देख लिया कि कामदेव के समान सुन्दर राजा नल दमयन्ती स्वयंवर के लिए जा रहे हैं । नल की सूर्य के समान काँती और लोकोत्तर रूप- सम्पत्ति से देवता भी चकित हो गये । उन्होंने पहचान लिया कि ये राजा नल है । उन्होंने अपने विमानों को आकाश में खड़ा कर दिया और नीचे उतर कर नल से कहा - " राजेंद्र नल ! आप बड़े सत्यव्रती है ; आप हमारी सहायता करने के लिये हमारे दूत बन जाइये ।" राजा नल ने प्रतिज्ञा कर ली और कहा - "करूँगा" ! फिर पूछा की आप लोग कौन है ? और मुझे दूत बनाकर कौन सा काम लेना चाहते हैं ।" इंद्र ने कहा - "हम लोग देवता है ! मैं इंद्र हूँ और ये अग्नि, वरुण और यम है । हम लोग दमयन्ती के लिये यहाँ आये है ; आप हमारे दूत बनकर दमयन्ती के पास जाइये और कहिये कि इंद्र, वरुण, अग्नि और यम देवता गण यहाँ स्वयंवर में पधार कर तुमसे विवाह करने के इच्छुक है । इनमे से तुम चाहे जिस देवता को पति रूप में वर्ण करलो । देवराज इंद्र की बात सुनकर राजा नल ने कहा कि - "देवराज ! वहाँ आप लोगो के और मेरे जाने का प्रयोजन एक ही है । इसलिये आप दूत बनाकर मुझे वहाँ भेजे, यह उचित नहीँ है ; जिसकी किसी स्त्री को पत्नी रूप में पाने की इच्छा हो चुकी हो, वह भला उसको कैसे छोड़ सकता है ? आप लोग कृप्या इस विषय में मुझे क्षमा करें ।" "कथं तु जात संकल्प: स्त्रीयमुत्सर्जते पुमान । प्रामर्थमिद्रशं वक्तु तत क्षमन्तु महेश्वरा: ॥ देवताओ ने नल से कहा - राजा नल ! तुम पहले हम लोगो से प्रतिज्ञा कर चुके हो कि मैं तुम्हारा काम करूँगा, अब प्रतिज्ञा मत तोड़ो ? अविलम्ब वहां चले जाओ ।" राजा नल ने कहा - " वहां राजमहल में निरन्तर कड़ा पहरा रहता है, मैं कैसे जा सकूँगा ?" । इंद्र ने कहा - " जाओ, तुम वहाँ जा सकोगे ।" देवराज इंद्र की आज्ञा से नल राजमहल में बेरोक - टोक प्रवेश करके दमयन्ती के पास पहुच गये । दमयन्ती और सखियाँ भी देखकर अवाक रह गयीं और लज्जित होकर कुछ बोल न सकी । दमयन्ती अपने आप को सँभालकर राजा नल से कहा - "वीर ! आप देखने में बड़े सुन्दर और निर्दोष जान पड़ते हो । पहले अपना परिचय बताओ । कि तुन यहाँ किस उद्देश्य से आये हो और द्वारपालों ने तुम्हे रोका क्यों नहीँ ? उनसे तनिक भी चूक हो जानेपर मेरे पिता महाराज उन्हें कड़ा दण्ड देते है ।" राजा नल ने कहा - " कल्याणी ! मैं राजा नल हूँ । लोकपालों का दूत बनकर तुम्हारे पास आया हूँ । सुन्दरी ! देवराज इंद्र, अग्नि, वरुण और यम ये चारों देवता तुमसे विवाह करना चाहते हैं । तुम इनमे से किसी एक देवता को अपने पति रूप में वर्ण करलो । यही संदेश लेकर मै तुम्हारेबपस आया हूँ, उन देवताओं के प्रभाव से ही जब महल में प्रवेश करने लगा, तब मुझे कोई देख न सका । मैंने देवताओ का संदेश तुम्हें कह दिया । अब तुम्हारी जोनिच्छ हो करो ।" क्रमशः राणा जी खेड़ांवाली🚩 #🕉️सनातन धर्म🚩
*मित्रो आप ने चार वेदों के नाम सुने होंगे,अठारह पुराणों के बारे में भी आप जानते होंगे,लेकिन छह शास्त्र कौन से है, आप में से बहुत से लोग नही जानते होंगे,आज हम आपको इन्हीं छह शास्त्रों के बारे में बतायेंगे!!!!!!!* 🎍🎍🎍🎍🎍🎍🎍🎍🎍🎍🎍🎍 छह शास्त्र - छह शास्त्र अग्रलिखित छह दर्शन के नाम से जाने जाते हैं,जिन्हें षठदर्शनभी कहते हैं। छह शास्त्रों के नाम इस प्रकार हैं : - न्याय शास्त्र,वैशेषिक शास्त्र,सांख्य शास्त्र,योग शास्त्र,मीमांसा शास्त्र,वेदांत शास्त्र। 1 न्याय दर्शन : - महर्षि गौतम रचित इस दर्शन में पदार्थों के तत्वज्ञान से मोक्ष प्राप्ति का वर्णन है। पदार्थों के तत्वज्ञान से मिथ्या ज्ञान की निवृत्ति होती है। फिर अशुभ कर्मो में प्रवृत्त न होना, मोह से मुक्ति एवं दुखों से निवृत्ति होती है। इसमें परमात्मा को सृष्टिकर्ता, निराकार, सर्वव्यापक और जीवात्मा को शरीर से अलग एवं प्रकृति को अचेतन तथा सृष्टि का उपादान कारण माना गया है और स्पष्ट रूप से त्रैतवाद का प्रतिपादन किया गया है। इसके अलावा इसमें न्याय की परिभाषा के अनुसार न्याय करने की पद्धति तथा उसमें जय-पराजय के कारणों का स्पष्ट निर्देश दिया गया है। 2 वैशेषिक दर्शन : - महर्षि कणाद रचित इस दर्शन में धर्म के सच्चे स्वरूप का वर्णन किया गया है। इसमें सांसारिक उन्नति तथा निश्श्रेय सिद्धि के साधन को धर्म माना गया है। अत: मानव के कल्याण हेतु धर्म का अनुष्ठान करना परमावश्यक होता है। इस दर्शन में द्रव्य, गुण, कर्म, सामान्य विशेष और समवाय इन छ: पदाथों के साधम्र्य तथा वैधम्र्य के तत्वाधान से मोक्ष प्राप्ति मानी जाती है। साधम्र्य तथा वैधम्र्य ज्ञान की एक विशेष पद्धति है, जिसको जाने बिना भ्रांतियों का निराकरण करसंभव नहीं है। इसके अनुसार चार पैर होने से गाय-भैंस एक नहीं हो सकते। उसी प्रकार जीव और ब्रह्म दोनों ही चेतन हैं। किंतु इस साधम्र्य से दोनों एक नहीं हो सकते। साथ ही यह दर्शन वेदों को, ईश्वरोक्त होने को परम प्रमाण मानता है। 3 सांख्य दर्शन : - इस दर्शन के रचयिता महर्षि कपिल हैं। इसमें सत्कार्यवाद के आधार पर इस सृष्टि का उपादान कारण प्रकृति को माना गया है। इसका प्रमुख सिद्धांत है कि अभाव से भाव या असत से सत की उत्पत्ति कदापि संभव नहीं है। सत कारणों से ही सत कार्यो की उत्पत्ति हो सकती है। सांख्य दर्शन प्रकृति से सृष्टि रचना और संहार के क्रम को विशेष रूप से मानता है। साथ ही इसमें प्रकृति के परम सूक्ष्म कारण तथा उसके सहित ख्ब् कार्य पदाथों का स्पष्ट वर्णन किया गया है। पुरुष ख्भ् वां तत्व माना गया है, जो प्रकृति का विकार नहीं है। इस प्रकार प्रकृति समस्त कार्य पदाथो का कारण तो है, परंतु प्रकृति का कारण कोई नहीं है, क्योंकि उसकी शाश्वत सत्ता है। पुरुष चेतन तत्व है, तो प्रकृति अचेतन। पुरुष प्रकृति का भोक्ता है, जबकि प्रकृति स्वयं भोक्ती नहीं है। 4 योग दर्शन : - इस दर्शन के रचयिता महर्षि पतंजलि हैं। इसमें ईश्वर, जीवात्मा और प्रकृति का स्पष्ट रूप से वर्णन किया गया है। इसके अलावा योग क्या है, जीव के बंधन का कारण क्या है? चित्त की वृत्तियां कौन सी हैं? इसके नियंत्रण के क्या उपाय हैं इत्यादि यौगिक क्रियाओं का विस्तृत वर्णन किया गया है। इस सिद्धांत के अनुसार परमात्मा का ध्यान आंतरिक होता है। जब तक हमारी इंद्रियां बहिर्गामी हैं, तब तक ध्यान कदापि संभव नहीं है। इसके अनुसार परमात्मा के मुख्य नाम ओ३म् का जाप न करके अन्य नामों से परमात्मा की स्तुति और उपासना अपूर्ण ही है। 5 मीमांसा दर्शन : - इस दर्शन में वैदिक यज्ञों में मंत्रों का विनियोग तथा यज्ञों की प्रक्रियाओं का वर्णन किया गया है। इस दर्शन के रचयिता महर्षि जैमिनि हैं। यदि योग दर्शन अंत: करण शुçद्ध का उपाय बताता है, तो मीमांसा दर्शन मानव के पारिवारिक जीवन से राष्ट्रीय जीवन तक के कत्तüव्यों और अकत्तüव्यों का वर्णन करता है, जिससे समस्त राष्ट्र की उन्नति हो सके। जिस प्रकार संपूर्ण कर्मकांड मंत्रों के विनियोग पर आधारित हैं, उसी प्रकार मीमांसा दर्शन भी मंत्रों के विनियोग और उसके विधान का समर्थन करता है। धर्म के लिए महर्षि जैमिनि ने वेद को भी परम प्रमाण माना है। उनके अनुसार यज्ञों में मंत्रों के विनियोग, श्रुति, वाक्य, प्रकरण, स्थान एवं समाख्या को मौलिक आधार माना जाता है। 6 वेदांत दर्शन : - वेदांत का अर्थ है वेदों का अंतिम सिद्धांत। महर्षि व्यास द्वारा रचित ब्रह्मसूत्र इस दर्शन का मूल ग्रन्थ है। इस दर्शन को उत्तर मीमांसा भी कहते हैं। इस दर्शन के अनुसार ब्रह्म जगत का कर्ता-धर्ता व संहार कर्ता होने से जगत का निमित्त कारण है। उपादान अथवा अभिन्न कारण नहीं। ब्रह्म सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान, आनंदमय, नित्य, अनादि, अनंतादि गुण विशिष्ट शाश्वत सत्ता है। साथ ही जन्म मरण आदि क्लेशों से रहित और निराकार भी है। इस दर्शन के प्रथम सूत्र `अथातो ब्रह्म जिज्ञासा´ से ही स्पष्ट होता है कि जिसे जानने की इच्छा है, वह ब्रह्म से भिन्न है, अन्यथा स्वयं को ही जानने की इच्छा कैसे हो सकती है। और यह सर्वविदित है कि जीवात्मा हमेशा से ही अपने दुखों से मुक्ति का उपाय करती रही है। परंतु ब्रह्म का गुण इससे भिन्न है। राणा जी खेड़ांवाली🚩 #🕉️सनातन धर्म🚩 #श्री हरि
*अग्नि पुराण* ☀☀☀☀☀☀☀☀☀☀☀☀ 'अग्नि पुराण' को भारतीय जीवन का विश्वकोश कहा जा सकता है पुराणों के पांचों लक्षणों- सर्ग, प्रतिसर्ग, राजवंश, मन्वन्तर और वंशानुचरित आदि का वर्णन भी इस पुराण में प्राप्त होता है। किन्तु इसे यहाँ संक्षेप रूप में दिया गया है। इस पुराण का शेष कलेवर दैनिक जीवन की उपयोगी शिक्षाओं से ओतप्रोत है। 'अग्नि पुराण' में शरीर और आत्मा के स्वरूप को अलग-अलग समझाया गया है। इन्द्रियों को यंत्र मात्र माना गया है और देह के अंगों को 'आत्मा' नहीं माना गया है। पुराणकार' आत्मा' को हृदय में स्थित मानता है। ब्रह्म से आकाश, आकाश से वायु, वायु से अग्नि, अग्नि से जल और जल से पृथ्वी होती है। इसके बाद सूक्ष्म शरीर और फिर स्थूल शरीर होता है। 'अग्नि पुराण' ज्ञान मार्ग को ही सत्य स्वीकार करता है। उसका कहना है कि ज्ञान से ही 'ब्रह्म की प्राप्ति सम्भव है, कर्मकाण्ड से नहीं। ब्रह्म की परम ज्योति है जो मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार से भिन्न है। जरा, मरण, शोक, मोह, भूख-प्यास तथा स्वप्न-सुषुप्ति आदि से रहित है। इस पुराण में 'भगवान' का प्रयोग विष्णु के लिए किया गया है। क्योंकि उसमें 'भ' से भर्त्ता के गुण विद्यमान हैं और 'ग' से गमन अर्थात प्रगति अथवा सृजनकर्त्ता का बोध होता है। विष्णु को सृष्टि का पालनकर्त्ता और श्रीवृद्धि का देवता माना गया है। 'भग' का पूरा अर्थ ऐश्वर्य, श्री, वीर्य, शक्ति, ज्ञान, वैराग्य और यश होता है जो कि विष्णु में निहित है। 'वान' का प्रयोग प्रत्यय के रूप में हुआ है, जिसका अर्थ धारण करने वाला अथवा चलाने वाला होता है। अर्थात जो सृजनकर्ता पालन करता हो, श्रीवृद्धि करने वाला हो, यश और ऐश्वर्य देने वाला हो; वह 'भगवान' है। विष्णु में ये सभी गुण विद्यमान हैं। 'अग्नि पुराण' ने मन की गति को ब्रह्म में लीन होना ही 'योग' माना है। जीवन का अन्तिम लक्ष्य आत्मा और परमात्मा का संयोग ही होना चाहिए। इसी प्रकार वर्णाश्रम धर्म की व्याख्या भी इस पुराण में बहुत अच्छी तरह की गई है। ब्रह्मचारी को हिंसा और निन्दा से दूर रहना चाहिए। गृहस्थाश्रम के सहारे ही अन्य तीन आश्रम अपना जीवन-निर्वाह करते हैं। इसलिए गृहस्थाश्रम सभी आश्रमों में श्रेष्ठ है। वर्ण की दृष्टि से किसी के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। वर्ण कर्म से बने हैं, जन्म से नहीं। समता की भावना इस पुराण में देव पूजा में समता की भावना धारण करने पर बल दिया गया है और अपराध का प्रायश्चित्त सच्चे मन से करने पर ज़ोर दिया गया है। स्त्रियों के प्रति उदार दृष्टिकोण अपनाते हुए पुराणकार कहता है- नष्टे मृते प्रव्रजिते क्लीवे च पतिते पतौ। पंचत्स्वापस्तु नारीणां पतिरन्यों विधीयते ॥[2] अर्थात पति के नष्ट हो जाने पर, मर जाने पर, सन्न्यास ग्रहण कर लेने पर, नपुंसक होने पर अथवा पतित होने पर इन पांच अवस्थाओं में स्त्री को दूसरा पति कर लेना चाहिए। इसी प्रकार यदि किसी स्त्री के साथ कोई व्यक्ति बलात्कार कर बैठता है तो उस स्त्री को अगले रजोदर्शन तक त्याज्य मानना चाहिए। रजस्वला हो जाने के उपरान्त वह पुन: शुद्ध हो जाती है। ऐसा मानकर उसे स्वीकार कर लेना चाहिए। राजधर्म की व्याख्या करते हुए पुराणकार कहता है कि राजा को प्रजा की रक्षा उसी प्रकार करनी चाहिए, जिस प्रकार कोई गर्भिणी-स्त्री अपने गर्भ में पल रहे बच्चे की करती है। चिकित्सा शास्त्र की व्याख्या में पुराण कहता है कि समस्त रोग अत्यधिक भोजन ग्रहण करने से होते हैं या बिलकुल भी भोजन न करने से। इसलिए सदैव सन्तुलित आहार लेना चाहिए। अधिकांशत: जड़ी-बूटियों द्वारा ही इसमें रोगों के शमन का उपचार बताया गया है। 'अग्नि पुराण' में भूगोल सम्बन्धी ज्ञान, व्रत-उपवास-तीर्थों का ज्ञान, दान-दक्षिणा आदि का महत्त्व, वास्तु-शास्त्र और ज्योतिष आदि का वर्णन अन्य पुराणों की ही भांति है। वस्तुत: तत्कालीन समाज की आवश्यकताओं के अनुसार ही इसमें नित्य जीवन की उपयोगी जानकारी दी गई है। इस पुराण में व्रतों का काफ़ी विस्तृत वर्णन प्राप्त होता है। व्रतों की सूची तिथि, वार, मास, ऋतु आदि के अनुसार अलग-अलग बनाई गई है। पुराणकार ने व्रतों को जीवन के विकास का पथ माना है। अन्य पुराणों में व्रतों को दान-दक्षिणा का साधना-मात्र मानकर मोह द्वारा उत्पन्न आकांक्षाओं की पूर्ति का माध्यम बताया गया है। लेकिन 'अग्नि पुराण' में व्रतों को जीवन के उत्थान के लिए संकल्प का स्परूप माना गया है। साथ ही व्रत-उपवास के समय जीवन में अत्यन्त सादगी और धार्मिक आचार-विचार का पालन करने पर भी बल दिया गया है। 'अग्नि पुराण' में स्वप्न विचार और शकुन-अपशकुन पर भी विचार किया गया है। पुरुष और स्त्री के लक्षणों की चर्चा इस पुराण का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण अंश है। सर्पों के बारे में भी विस्तृत जानकारी इस पुराण में उपलब्ध होती है। मन्त्र शक्ति का महत्त्व भी इसमें स्वीकार किया गया है। अग्नि देवाय नम: राणा जी खेड़ांवाली🚩 #🕉️सनातन धर्म🚩 #श्री हरि
*श्रीमद्भागवत माहात्म्य* *अध्याय एक* *भक्ति नारद समागम* 🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱 ।। ॐ नमो: भगवते वासुदेवायः ।। सच्चिदानन्दस्वरूप भगवान् श्रीकृष्णको हम नमस्कार करते हैं, जो जगत्‌की उत्पत्ति, स्थिति और विनाशके हेतु तथा आध्यात्मिक, आधिदैविक और आधिभौतिक — तीनों प्रकारके तापोंका नाश करनेवाले हैं ⁠।⁠।⁠ 1 ।⁠। जिस समय श्रीशुकदेवजीका यज्ञोपवीत-संस्कार भी नहीं हुआ था तथा लौकिक-वैदिक कर्मोंके अनुष्ठानका अवसर भी नहीं आया था, तभी उन्हें अकेले ही संन्यास लेनेके लिये घरसे जाते देखकर उनके पिता व्यासजी विरहसे कातर होकर पुकारने लगे—‘बेटा! बेटा! तुम कहाँ जा रहे हो?’ उस समय वृक्षोंने तन्मय होनेके कारण श्रीशुकदेवजीकी ओरसे उत्तर दिया था⁠। ऐसे सर्वभूत-हृदयस्वरूप श्रीशुकदेवमुनिको मैं नमस्कार करता हूँ⁠।⁠। 2 ⁠।⁠। एक बार भगवत्कथामृतका रसास्वादन करनेमें कुशल मुनिवर शौनकजीने नैमिषारण्य क्षेत्रमें विराजमान महामति सूतजीको नमस्कार करके उनसे पूछा ⁠।⁠।⁠ 3 ।⁠। शौनकजी बोले — सूतजी! आपका ज्ञान अज्ञानान्धकारको नष्ट करनेके लिये करोड़ों सूर्योंके समान है⁠। आप हमारे कानोंके लिये रसायन—अमृत-स्वरूप सारगर्भित कथा कहिये ⁠।⁠।⁠ 4 ⁠।⁠। भक्ति, ज्ञान और वैराग्यसे प्राप्त होनेवाले महान् विवेककी वृद्धि किस प्रकार होती है तथा वैष्णवलोग किस तरह इस माया-मोहसे अपना पीछा छुड़ाते हैं? ⁠।⁠।⁠ 5 ⁠।⁠। इस घोर कलि-कालमें जीव प्रायः आसुरी स्वभावके हो गये हैं, विविध क्लेशोंसे आक्रान्त इन जीवोंको शुद्ध (दैवीशक्तिसम्पन्न) बनानेका सर्वश्रेष्ठ उपाय क्या है? ⁠।⁠।⁠ 6 ।⁠। सूतजी! आप हमें कोई ऐसा शाश्वत साधन बताइये जो सबसे अधिक कल्याणकारी तथा पवित्र करने वालों में भी पवित्र हो; तथा जो भगवान् श्रीकृष्णकी प्राप्ति करा दे ⁠।⁠।⁠ 7 ।⁠। चिन्तामणि केवल लौकिक सुख दे सकती है और कल्पवृक्ष अधिक-से-अधिक स्वर्गीय सम्पत्ति दे सकता है; परन्तु गुरुदेव प्रसन्न होकर भगवान्‌का योगिदुर्लभ नित्य वैकुण्ठधाम दे देते हैं ⁠।⁠।⁠ 8 ।⁠। हरि ॐ नमो नारायण राणा जी खेड़ांवाली🚩 #🕉️सनातन धर्म🚩 #🌸 जय श्री कृष्ण😇
*श्रीमद्भागवत माहात्म्य* *अध्याय एक* *भक्ति नारद समागम* 🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴 सूतजीने कहा — शौनकजी! तुम्हारे हृदयमें भगवान्‌का प्रेम है; इसलिये मैं विचारकर तुम्हें सम्पूर्ण सिद्धान्तोंका निष्कर्ष सुनाता हूँ, जो जन्म-मृत्युके भयका नाश कर देता है ⁠।⁠।⁠ 9 ⁠।⁠। जो भक्तिके प्रवाहको बढ़ाता है और भगवान् श्रीकृष्णकी प्रसन्नता का प्रधान कारण है, मैं तुम्हें वह साधन बतलाता हूँ; उसे सावधान होकर सुनो ⁠।⁠।⁠ 10 ⁠।⁠। श्रीशुकदेवजीने कलियुगमें जीवों के काल रूपी सर्पके मुखका ग्रास होनेके त्रासका आत्यन्तिक नाश करनेके लिये श्रीमद्भागवतशास्त्रका प्रवचन किया है ⁠।⁠।⁠ 11 ⁠।⁠। मनकी शुद्धिके लिये इससे बढ़कर कोई साधन नहीं है⁠। जब मनुष्यके जन्म-जन्मान्तरका पुण्य उदय होता है, तभी उसे इस भागवतशास्त्रकी प्राप्ति होती है ⁠।⁠।⁠ 12 ।⁠। जब शुकदेवजी राजा परीक्षित्‌को यह कथा सुनाने के लिये सभामें विराजमान हुए, तब देवतालोग उनके पास अमृतका कलश लेकर आये ⁠।⁠।⁠ 13 ⁠।⁠। देवता अपना काम बनाने में बड़े कुशल होते हैं; अतः यहाँ भी सबने शुकदेव मुनि को नमस्कार करके कहा; ‘आप यह अमृत लेकर बदले में हमें कथामृतका दान दीजिये ⁠।⁠।⁠ 14 ⁠।⁠। इस प्रकार परस्पर विनिमय (अदला-बदली) हो जानेपर राजा परीक्षित् अमृत का पान करें और हम सब श्रीमद्भागवतरूप अमृत का पान करेंगे’ ।⁠।⁠ 15 ⁠।⁠। इस संसारमें कहाँ काँच और कहाँ महामूल्य मणि तथा कहाँ सुधा और कहाँ कथा? श्रीशुकदेवजीने (यह सोचकर) उस समय देवताओं की हँसी उड़ा दी ⁠।⁠।⁠ 16 ⁠।⁠। उन्हें भक्तिशून्य (कथाका अनधिकारी) जान कर कथामृतका दान नहीं किया⁠। इस प्रकार यह श्रीमद्भागवतकी कथा देवताओं को भी दुर्लभ है ⁠।⁠।⁠ 17 ⁠।⁠।श्रीमद्भागवत गीता प्रेस हरि ॐ नमो नारायण राणा जी खेड़ांवाली🚩 #🕉️सनातन धर्म🚩 #🌸 जय श्री कृष्ण😇
🌞 *~ श्री गणेशाय नम:~*🌞 🚩 *~ हर हर महादेव~*🚩 🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 🌺 *दिनांक - 07 दिसम्बर 2025* 🌺 *दिन - रविवार* 🌺*विक्रम संवत 2082* 🌺 *शक संवत -1947* 🌺 *अयन - दक्षिणायन* 🌺 *ऋतु - हेमंत ॠतु* 🌺 *मास - पौष (गुजरात-महाराष्ट्र)मार्गशीर्ष* 🌺 *पक्ष - कृष्ण* 🌺 *तिथि - तृतीया शाम 06:24 तक तत्पश्चात चतुर्थी* 🌺 *नक्षत्र - पुनर्वसु 08 दिसंबर प्रातः 04:11 तक तत्पश्चात पुष्य* 🌺 *योग - शुक्ल रात्रि 08:07 तक तत्पश्चात ब्रह्म* 🌺 *राहुकाल - शाम 04:35 से शाम 05:57 तक* 🌺 *सूर्योदय - 07:04* 🌺 *सूर्यास्त - 05:55* 👉 *दिशाशूल - पश्चिम दिशा मे* 🚩 *व्रत पर्व विवरण- संकष्ट चतुर्थी (चंद्रोदय: रात्रि 08:15)* 💥 *विशेष - तृतीया को पर्वल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)* 🌞~*वैदिक पंचांग* ~🌞 🌞 *~ राणा जी खेड़ांवाली~*🌞 🌷 *कोई कष्ट हो तो* 🌷 ➡️ *07 दिसंबर 2025 रविवार को संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रोदय रात्रि 08:15)* 🙏🏻 *हमारे जीवन में बहुत समस्याएँ आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं ।, कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या | ऐसे लोग शिवपुराण में बताया हुआ एक प्रयोग कर सकते हैं कि, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (मतलब पुर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) आती है | उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों |* 👉🏻 *छः मंत्र इस प्रकार हैं –* 🌷 *ॐ सुमुखाय नम: : सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे ।* 🌷 *ॐ दुर्मुखाय नम: : मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है तो… भैरव देख दुष्ट घबराये ।* 🌷 *ॐ मोदाय नम: : मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले । उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें ।* 🌷 *ॐ प्रमोदाय नम: : प्रमोदाय; दूसरों को भी आनंदित करते हैं । भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता है, आलसी । आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती है । और जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी स्थायी होती है ।* 🌷 *ॐ अविघ्नाय नम:* 🌷 *ॐ विघ्नकरत्र्येय नम:* 🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞 🌷 *कैसे बदले दुर्भाग्य को सौभाग्य में* 🌷 ➡️ *08 दिसंबर 2025 को प्रातः 04:11 से सूर्योदय तक रविपुष्यामृत योग है।* 🌳 *बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें |* 🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞 🌷 *रविपुष्यामृत योग* 🌷 🙏🏻 *‘शिव पुराण’ में पुष्य नक्षत्र को भगवान शिव की विभूति बताया गया है | पुष्य नक्षत्र के प्रभाव से अनिष्ट-से-अनिष्टकर दोष भी समाप्त और निष्फल-से हो जाते हैं, वे हमारे लिए पुष्य नक्षत्र के पूरक बनकर अनुकूल फलदायी हो जाते हैं | ‘सर्वसिद्धिकर: पुष्य: |’ इस शास्त्रवचन के अनुसार पुष्य नक्षत्र सर्वसिद्धिकर है | पुष्य नक्षत्र में किये गए श्राद्ध से पितरों को अक्षय तृप्ति होती है तथा कर्ता को धन, पुत्रादि की प्राप्ति होती है |* 🙏🏻 *इस योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है परंतु पुष्य में विवाह व उससे संबधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं | (शिव पुराण, विद्येश्वर संहिताः अध्याय 10)* 📖 *राणा जी खेड़ांवाली🚩* 🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞 🙏🏻🌷💐🌸🌼🌹🍀🌺💐🙏🏻 #🕉️सनातन धर्म🚩 #श्री हरि #आज का राशिफल / पंचाग ☀