Davinder Singh Rana
ShareChat
click to see wallet page
@rana_g
rana_g
Davinder Singh Rana
@rana_g
आई लव शेयरचैट
🌞 *~ श्री गणेशाय नम:~*🌞 🚩 *~ हर हर महादेव~*🚩 🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 🌺 *दिनांक - 09 अक्टूबर 2025* 🌺 *दिन - गुरूवार* 🌺 *विक्रम संवत 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2081)* 🌺 *शक संवत -1947* 🌺 *अयन - दक्षिणायन* 🌺 *ऋतु - शरद ॠतु* 🌺 *मास - कार्तिक (गुजरात- महाराष्ट्र आश्विन* 🌺 *पक्ष - कृष्ण* 🌺 *तिथि - तृतीया रात्रि 10:54 तक तत्पश्चात चतुर्थी* 🌺 *नक्षत्र - भरणी रात्रि 08:02 तक तत्पश्चात कृत्तिका* 🌺 *योग - वज्र रात्रि 09:32 तक तत्पश्चात सिद्धि* 🌺 *राहुकाल - दोपहर 01:54 से शाम 03:23 तक* 🌺 *सूर्योदय - 06:33* 🌺 *सूर्यास्त - 06:18* 👉 *दिशाशूल - दक्षिण दिशा मे* 🚩 *व्रत पर्व विवरण -* 💥 *विशेष - तृतीया को पर्वल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)* 🌞~*वैदिक पंचांग* ~🌞 🌞~*राणा जी खेड़ांवाली*~🌞 🌷 *कार्तिक में दीपदान* 🌷 👉🏻 *गताअंक से आगे .....* 🔥 *दीपदान कहाँ करें* 🔥 🙏🏻 *पद्मपुराण के अनुसार* 🌷 *तेनेष्टं क्रतुभिः सर्वैः कृतं तीर्थावगाहनम्। दीपदानं कृतं येन कार्तिके केशवाग्रतः।।* ➡ *जिसने कार्तिक में भगवान् केशव के समक्ष दीपदान किया है, उसने सम्पूर्ण यज्ञों का अनुष्ठान कर लिया और समस्त तीर्थों में गोता लगा लिया।* 🙏🏻 *ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है जो कार्तिक में श्रीहरि को घी का दीप देता है, वह जितने पल दीपक जलता है, उतने वर्षों तक हरिधाम में आनन्द भोगता है। फिर अपनी योनि में आकर विष्णुभक्ति पाता है; महाधनवान नेत्र की ज्योति से युक्त तथा दीप्तिमान होता है।* 🙏🏻 *स्कन्दपुराण माहेश्वरखण्ड- केदारखण्ड के अनुसार* 🌷 *ये दीपमालां कुर्वंति कार्तिक्यां श्रद्धयान्विताः॥* *यावत्कालं प्रज्वलंति दीपास्ते लिंगमग्रतः॥* *तावद्युगसहस्राणि दाता स्वर्गे महीयते॥* ➡ *जो कार्तिक मास की रात्रि में श्रद्धापूर्वक शिवजी के समीप दीपमाला समर्पित करता है, उसके चढ़ाये गए वे दीप शिवलिंग के सामने जितने समय तक जलते हैं, उतने हजार युगों तक दाता स्वर्गलोक में प्रतिष्ठित होता है।* 🙏🏻 *लिंगपुराण के अनुसार* 🌷 *कार्तिके मासि यो दद्याद्धृतदीपं शिवाग्रतः।।* *संपूज्यमानं वा पश्येद्विधिना परमेश्वरम्।।* 👉🏻 *शेष कल...* 🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞 🌷 *व्यतिपात योग* 🌷 ➡️ *10 अक्टूबर 2025 शुक्रवार को शाम 05:41 से 11 अक्टूबर दोपहर 02:07 तक व्यतिपात योग है।* 🙏🏻 *व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका १ लाख गुना फल मिलता है।* 🙏🏻 *वाराह पुराण में ये बात आती है व्यतिपात योग की।* 🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞 🌷 *विघ्नों और मुसीबते दूर करने के लिए* 🌷 👉 *10 अक्टूबर 2025 शुक्रवार को संकष्ट चतुर्थी है (चन्द्रोदय रात्रि 08:33)* 🙏🏻 *शिव पुराण में आता हैं कि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी ( पूनम के बाद की ) के दिन सुबह में गणपतिजी का पूजन करें और रात को चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य दें और ये मंत्र बोलें :* 🌷 *ॐ गं गणपते नमः ।* 🌷 *ॐ सोमाय नमः ।* 🙏🏻 🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞 🌷 *कोई कष्ट हो तो* 🌷 🙏🏻 *हमारे जीवन में बहुत समस्याएँ आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं ।, कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या | ऐसे लोग शिवपुराण में बताया हुआ एक प्रयोग कर सकते हैं कि, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (मतलब पुर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) आती है | उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों |* 👉🏻 *छः मंत्र इस प्रकार हैं –* 🌷 *ॐ सुमुखाय नम: : सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे ।* 🌷 *ॐ दुर्मुखाय नम: : मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है तो… भैरव देख दुष्ट घबराये ।* 🌷 *ॐ मोदाय नम: : मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले । उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें ।* 🌷 *ॐ प्रमोदाय नम: : प्रमोदाय; दूसरों को भी आनंदित करते हैं । भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता है, आलसी । आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती है । और जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी स्थायी होती है ।* 🌷 *ॐ अविघ्नाय नम:* 🌷 *ॐ विघ्नकरत्र्येय नम:* *📖राणा जी खेड़ांवाली🚩* 🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞 🙏🍀🌷🌻🌺🌸🌹🍁 *जिनका आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनाएं बधाई और शुभ आशीष* 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 आपका जन्मदिन: 9 अक्टूबर अंक ज्योतिष का सबसे आखरी मूलांक है नौ। आपके जन्मदिन की संख्या भी नौ है। यह मूलांक भूमि पुत्र मंगल के अधिकार में रहता है। आप बेहद साहसी हैं। आपके स्वभाव में एक विशेष प्रकार की तीव्रता पाई जाती है। आप सही मायनो में उत्साह और साहस के प्रतीक हैं। मंगल ग्रहों में सेनापति माना जाता है। अत: आप में स्वाभाविक रूप से नेतृत्त्व की क्षमता पाई जाती है। लेकिन आपको बुद्धिमान नहीं माना जा सकता। मंगल के मूलांक वाले चालाक और चंचल भी होते हैं। आपको लड़ाई-झगड़ों में भी विशेष आनंद आता है। आपको विचित्र साहसिक व्यक्ति कहा जा सकता है। आपके लिए खास शुभ दिनांक : 9, 18, 27 शुभ अंक : 1, 2, 5, 9, 27, 72 शुभ वर्ष : 2027, 2036, 2045 ईष्टदेव : हनुमान जी, मां दुर्गा। शुभ रंग : लाल, केसरिया, पीला आपकी जन्मतिथि के अनुसार भविष्यफल करियर: नौकरी में आ रही बाधा दूर होगी। अपनी शक्ति का सदुपयोग कर प्रगति की और अग्रसर होंगे। परिवार : पारिवारिक विवाद सुलझेंगे। मित्रों स्वजनों का सहयोग मिलने से प्रसन्नता रहेगी। महत्वपूर्ण कार्य: आज कई योजनाओं में सफलता मिलेगी। अधिकार क्षेत्र में वृद्धि संभव है। राजनैतिक व्यक्ति सफलता का स्वाद चख सकते हैं। स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। *दैनिक राशिफल 🚩* मेष (Aries) स्वभाव: उत्साही राशि स्वामी: मंगल शुभ रंग: लाल आज का दिन आपके लिए कामकाज के मामले में बढ़िया रहने वाला है। नौकरी को लेकर परेशान चल रहे लोगों को कोई बेहतर अवसर हाथ लगेगा। आप भविष्य को लेकर कोई बड़ा इन्वेस्टमेंट करने की सोचेंगे। आप अपने घर-परिवार में जिम्मेदारियां से बिल्कुल पीछे न हटे। ससुराल पक्ष के किसी व्यक्ति से आपकी खटपट हो सकती है। माताजी आपको आज कुछ पारिवारिक मामलों को लेकर बातचीत करेंगे, जिनको लेकर आप कोई बेहतर सलाह दें, तो ही बेहतर रहने वाला है। वृषभ (Taurus) स्वभाव: धैर्यवान राशि स्वामी: शुक्र शुभ रंग: हरा आज का दिन आपके लिए ठीक-ठाक रहने वाला है। नौकरी में अधिकारियों को आपकी दी गई सलाह आपको पसंद आएगी, लेकिन परिवार में किसी सदस्य की ओर से आपको कोई निराशाजनक सूचना सुनने को मिल सकती है। आपको अपनी आर्थिक स्थिति को लेकर एहतियात बरतनी होगी। आपकी सेहत नरम-गरम रहेगी। आप अपनी आय-व्यय में भी संतुलन बनाकर चलेंगे, तो आपके लिए बेहतर रहेगा। मिथुन (Gemini) स्वभाव: जिज्ञासु राशि स्वामी: बुध शुभ रंग: सफेद आज का दिन आपके लिए मिश्रित रूप से फलदायक रहने वाला है। छोटे बच्चों के साथ आप कुछ समय मौज-मस्ती करने में व्यतीत करेंगे। आपको अपने लंबे समय से रुके हुए कामों को पूरा करने के भी प्रयासों में तेजी लानी होगी। आपको कामों को लेकर व्यस्तता बनी रहेगी, जिससे जीवनसाथी आपसे नाराज हो सकते हैं। आप संतान के करियर को लेकर कोई निर्णय बहुत ही सोच विचारकर लें। कर्क (Cancer) स्वभाव: भावुक राशि स्वामी: चंद्र शुभ रंग: आसमानी आज आपको अपने कामों को लेकर योजना बनाकर चलना होगा और आप बुद्धि और विवेक से कोई निर्णय लेंगे, तो आपके लिए बेहतर रहेगा। पारिवारिक संपत्ति से जुड़ा यदि कोई विवाद था, तो वह भी दूर होता दिख रहा है। वरिष्ठ सदस्यों का आपको पूरा सहयोग मिलेगा। विभिन्न क्षेत्रों में आप अच्छा प्रदर्शन करेंगे। आपकी भौतिक सुख सुविधाओं में वृद्धि होगी। आज आपको अपने मन में किसी बात को लेकर संशय नहीं रखना है। सिंह राशि (Leo) स्वभाव: आत्मविश्वासी राशि स्वामी: सूर्य शुभ रंग: ग्रे आज का दिन आपके लिए शांतिपूर्ण रहने वाला है। आप अपनी ऊर्जा को सही कामों में लगाएं, तो आपके लिए बेहतर रहेगा। आपकी किसी व्यक्ति से कहासुनी हो सकती है। आप अपने मन में नकारात्मक विचारों को न रखें और जरूरत के हिसाब से खर्च करें। किसी प्रॉपर्टी की डील यदि अटकी हुई थी, तो उसके भी फाइनल होने की संभावना है। आप मौज-मस्ती के मूड में रहेंगे। पिताजी आपको कोई जिम्मेदारी दे सकते हैं। कन्या (Virgo) स्वभाव: मेहनती राशि स्वामी: बुध शुभ रंग: हरा आज आप किसी जोखिम भरे काम में हाथ ना डालें, नहीं तो आपका कोई नुकसान होने की संभावना है। राजनीति में कार्यरत लोगों के कामों की सराहना होगी और उन्हें किसी सम्मान से भी नवाजा जा सकता है। आपके चारों ओर का वातावरण खुशनुमा रहेगा और आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। आप अपने अनावश्यक खर्चो को भी कंट्रोल करने की पूरी कोशिश करेंगे। प्रेम जीवन जी रहे लोगों के लिए आज का दिन अच्छा रहने वाला है, उनकी साथी से बॉन्डिंग अच्छी रहेगी। तुला (Libra) स्वभाव: संतुलित राशि स्वामी: शुक्र शुभ रंग: पीला आज का दिन आपके लिए लाभदायक रहने वाला है। नौकरी की तलाश में लगे लोगों को कोई अच्छा अवसर हाथ लगेगा। आपके प्रभाव और प्रताप में वृद्धि होगी। वाहनों के प्रयोग से आप सावधानी बरतें और आपको अपनी संतान की कोई बात बुरी लग सकती है, लेकिन फिर भी आप उनसे कुछ नहीं कहेंगे। कुछ नए संपर्कों से आपको लाभ मिलेगा। आपको सेहत के प्रति थोड़ा एहतियात बरतनी होगी। वृश्चिक (Scorpio) स्वभाव: रहस्यमय राशि स्वामी: मंगल शुभ रंग: गुलाबी आज का दिन आपके लिए मेहनत से काम करने के लिए रहेगा। आप अपने शौक मौज की चीजों को भी पूरा करने की पूरी कोशिश करेंगे। जीवनसाथी की भावनाओं का आपको सम्मान करना होगा। आप अपने परिवार में कुछ महत्वपूर्ण निर्णयों को शांति से निपटाने की कोशिश करें। आपको किसी पुराने मित्र से लंबे समय बाद मिलकर खुशी होगी। आप अपने बेवजह के खर्चों को कंट्रोल करके चलेंगे, तो आपके लिए बेहतर रहेगा। माता-पिता के आशीर्वाद से आपका कोई रुका हुआ काम पूरा होगा। धनु (Sagittarius) स्वभाव: दयालु राशि स्वामी: गुरु शुभ रंग: ग्रे आज आप अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें। जीवनसाथी के साथ आप कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे। घूमने-फिरने के दौरान आपको कोई महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी। जो विद्यार्थी विदेश जाकर शिक्षा ग्रहण करना चाहते हैं, उन्हें कोई अच्छा अवसर हाथ लगेगा। आप किसी बचत की योजना में धन लगाएंगे। किसी सदस्य के विवाह में आ रही बाधा भी दूर होगी और आप यदि किसी काम को लेकर कोई लोन आदि लेने की सोच रहे थे, तो वह भी आपको मिल जाएगा। मकर (Capricorn) स्वभाव: अनुशासित राशि स्वामी: शनि शुभ रंग: लाल आज का दिन आपके लिए असमंजस भरा रहने वाला है। नौकरी में कार्यरत लोगों को भी कुछ तनाव बना रहेगा। आप कोई फैसला जल्दबाजी में न लें, नहीं तो बाद में आपको उसके लिए पछतावा होगा। संतान आपसे किसी चीज की फरमाइश कर सकती है, जिसे आप पूरा अवश्य करेंगे। सरकारी नौकरी की तैयारी में लगे लोगों को थोड़ा सावधान रहना होगा। आपको अपने भाई-बहनों से किसी पैतृक संपत्ति को लेकर कहासुनी हो सकती है। कुंभ ( Aquarius) स्वभाव: मानवतावादी राशि स्वामी: शनि शुभ रंग: गोल्डन आज का दिन आपके लिए बाकी दिनों की तुलना में बेहतर रहने वाला है। परिवार में बड़े सदस्य आपको काम को लेकर कोई सलाह दे सकते हैं। आप कार्यक्षेत्र में किसी बड़ी जिम्मेदारी के मिलने से थोड़ा परेशान हो सकते हैं। आपको अपनी किसी पुरानी गलती से सबक लेना होगा। आपको घर-परिवार में किसी नए मेहमान का आगमन हो सकता है। आपको अपने पारिवारिक रिश्तों में एकजुटता बनाए रखनी होंगी। आप कहीं पिकनिक आदि पर जाने की योजना बना सकते हैं। मीन (Pisces) स्वभाव: संवेदनशील राशि स्वामी: बृहस्पति शुभ रंग: आसमानी आज आपको किसी दूसरे के मामले में बेवजह बोलने से बचना होगा। किसी धार्मिक आयोजन में आपको सम्मिलित होने का मौका मिलेगा। विद्यार्थी भी शिक्षा से संबंधित समस्याओं को लेकर अपने गुरुजनों से बातचीत कर सकते हैं। आप अपने रुके हुए कामों को लेकर थोड़ा परेशान रहेंगे, जिसके लिए भागदौड़ भी अधिक रहेगी, लेकिन आपको वाहनों का प्रयोग सावधान रहकर करना होगा और किसी से गुस्से में कोई बातचीत ना करें। राणा जी खेड़ांवाली🚩 #🕉️सनातन धर्म🚩 #श्री हरि #आज का राशिफल / पंचाग ☀
🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺 *********|| जय श्री राधे ||********* 🌺🙏 *महर्षि पाराशर पंचांग* 🙏🌺 🙏🌺🙏 *अथ पंचांगम्* 🙏🌺🙏 *********ll जय श्री राधे ll********* 🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺 *दिनाँक:-09/10/2025,गुरुवार* तृतीया, कृष्ण पक्ष, कार्तिक """"""""""""""""""""""""""""""""""""""(समाप्ति काल) तिथि------------ तृतीया 22:53:50. तक पक्ष-------------------------- कृष्ण नक्षत्र------------ भरणी 20:01:39 योग--------------- वज्र 21:31:22 करण----------- वणिज 12:36:57 करण-------- विष्टि भद्र 22:53:50 वार------------------------ गुरूवार माह------------------------ कार्तिक चन्द्र राशि------- मेष 25:22:25 चन्द्र राशि------------------ वृषभ सूर्य राशि------------------ कन्या रितु--------------------------- शरद आयन------------------ दक्षिणायण संवत्सर------------------- विश्वावसु संवत्सर (उत्तर)-------------- सिद्धार्थी विक्रम संवत---------------- 2082 गुजराती संवत-------------- 2081 शक संवत------------------ 1947 कलि संवत------------------ 5126 वृन्दावन सूर्योदय---------------- 06:17:06 सूर्यास्त----------------- 17:55:19 दिन काल-------------- 11:38:13 रात्री काल-------------- 12:22:18 चंद्रास्त----------------- 08:30:37 चंद्रोदय----------------- 19:22:47 लग्न---- कन्या 21°46' , 171°46' सूर्य नक्षत्र--------------------- हस्त चन्द्र नक्षत्र------------------- भरणी नक्षत्र पाया------------------- स्वर्ण *🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩* लू---- भरणी 09:22:02 ले---- भरणी 14:41:35 लो---- भरणी 20:01:39 अ---- कृत्तिका 25:22:25 *💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮* ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद ============================ सूर्य= कन्या 21°49 , हस्त 4 ठ चन्द्र= मेष 18°30 , भरणी 2 लू बुध = तुला 09°52 ' स्वाति 1 रू शु क्र= सिंह 29°05, उoफाo, 1 टू मंगल= तुला 17°30 ' स्वाति 4 ता गुरु=मिथुन 29°30 पुनर्वसु, 3 हा शनि=मीन 03°18 ' पूo भा o , 4 दी राहू=(व) कुम्भ 22°30 पू o भा o, 1 से केतु= (व) सिंह 22°30 पूoफा o 3 टी ============================ *🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 🚩💮🚩* राहू काल 13:33 - 15:01 अशुभ यम घंटा 06:17 - 07:44 अशुभ गुली काल 09:12 - 10:39 अशुभ अभिजित 11:43 - 12:29 शुभ दूर मुहूर्त 10:10 - 10:56 अशुभ दूर मुहूर्त 14:49 - 15:36 अशुभ वर्ज्यम 07:14 - 08:39 अशुभ प्रदोष 17:55 - 20:26 शुभ 💮चोघडिया, दिन शुभ 06:17 - 07:44 शुभ रोग 07:44 - 09:12 अशुभ उद्वेग 09:12 - 10:39 अशुभ चर 10:39 12:06 शुभ लाभ 12:06 - 13:33 शुभ अमृत 13:33 15:01 शुभ काल 15:01 16:28 अशुभ शुभ 16:28 - 17:55 शुभ 🚩चोघडिया, रात अमृत 17:55 - 19:28 शुभ चर 19:28 21:01 शुभ रोग 21:01 - 22:34 अशुभ काल 22:34 24:06* अशुभ लाभ 24:06* - 25:39* शुभ उद्वेग 25:39* - 27:12* अशुभ शुभ 27:12* - 28:45* शुभ अमृत 28:45* - 30:18* शुभ 💮होरा, दिन बृहस्पति 06:17 -07:15 मंगल 07:15- 08:13 सूर्य 08:13- 09:12 शुक्र 09:12 -10:10 बुध 10:10 -11:08 चन्द्र 11:08- 12:06 शनि 12:06 -13:04 बृहस्पति 13:04 -14:03 मंगल 14:03 -15:01 सूर्य 15:01 -15:59 शुक्र 15:59 -16:57 बुध 16:57 -17:55 🚩होरा, रात चन्द्र 17:55 -18:57 शनि 18:57 -19:59 बृहस्पति 19:59 -21:01 मंगल 21:01- 22:03 सूर्य 22:03 -23:05 शुक्र 23:05 -24:06 बुध 24:06-25:08 चन्द्र 25:08-26:10 शनि 26:10-27:12 बृहस्पति 27:12-28:14 मंगल 28:14-29:16 सूर्य 29:16-30:18 *🚩उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩* कन्या > 04:42 से 06:58 तक तुला > 06:58 से 09:14 तक वृश्चिक > 09:14 से 11:30 तक धनु > 11:30 से 13:38 तक मकर > 13:38 से 15:18 तक कुम्भ > 15:18 से 16:50 तक मीन > 16:50 से 18:20 तक मेष > 18:20 से 19:50 तक वृषभ > 19:50 से 21:44 तक मिथुन > 21:44 से 00:12 तक कर्क > 00:12 से 02:24 तक सिंह > 02:24 से 04:32 तक ======================= *🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार* (लगभग-वास्तविक समय के समीप) दिल्ली +10मिनट--------- जोधपुर -6 मिनट जयपुर +5 मिनट------ अहमदाबाद-8 मिनट कोटा +5 मिनट------------ मुंबई-7 मिनट लखनऊ +25 मिनट--------बीकानेर-5 मिनट कोलकाता +54-----जैसलमेर -15 मिनट *नोट*-- दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार । शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥ रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार । अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥ अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें । उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें । शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें । लाभ में व्यापार करें । रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें । काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है । अमृत में सभी शुभ कार्य करें । *💮दिशा शूल ज्ञान-------------दक्षिण* परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा बेसन के लड्डू खाके यात्रा कर सकते है l इस मंत्र का उच्चारण करें-: *शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l* *भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll* *🚩 अग्नि वास ज्ञान -:* *यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,* *चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।* *दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,* *नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्* *नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।* 15 + 3 + 5 + 1 = 24 ÷ 4 = 0 शेष पृथ्वी लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l *🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩* सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है मंगल ग्रह मुखहुति *💮 शिव वास एवं फल -:* 18 + 18 + 5 = 41 ÷ 7 = 6 शेष क्रीड़ायां = शोक, दुःख कारक *🚩भद्रा वास एवं फल -:* *स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।* *मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।* दोपहर 1238 से रात्री 22:54 तक स्वर्ग लोक = शुभ कारक *💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮* *दशरथ ललिता व्रत *विश्व डाक दिवस *गुरु रामदास जयंती *💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮* वाचा शौचं च मनसः शौचमिन्द्रियनिग्रहः । सर्वभूते दया शौचमेतच्छौचं परार्थिनाम् ।। ।।चाo नीo।। यदि आप दिव्यता चाहते है तो आपके वाचा, मन और इन्द्रियों में शुद्धता होनी चाहिए. उसी प्रकार आपके ह्रदय में करुणा होनी चाहिए. *🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩* गीता -: सांख्ययोग - अo-2 अव्यक्तादीनि भूतानि व्यक्तमध्यानि भारत। अव्यक्तनिधनान्येव तत्र का परिदेवना॥ हे अर्जुन! सम्पूर्ण प्राणी जन्म से पहले अप्रकट थे और मरने के बाद भी अप्रकट हो जाने वाले हैं, केवल बीच में ही प्रकट हैं, फिर ऐसी स्थिति में क्या शोक करना है? ।।।28।। *💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮* देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके। नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।। विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे। जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।। 🐏मेष कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। पार्टी व पिकनिक का कार्यक्रम बन सकता है। कोई मांगलिक कार्य में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद प्राप्त होगा। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा। परिवार में प्रसन्नता रहेगी। जल्दबाजी से हानि संभव है। शरीर कष्ट से बचें। 🐂वृष मित्रों के साथ समय अच्छा व्यतीत होगा। नौकरी में कार्यभार रहेगा। आय में निश्चितता रहेगी। दूसरे से अधिक अपेक्षा करेंगे। जल्दबाजी से काम में बाधा उत्पन्न होगी। दौड़धूप अधिक रहेगी। बुरी सूचना मिल सकती है, धैर्य रखें। बनते कामों में देरी होगी। चिंता तथा तनाव रहेंगे। 👫मिथुन भूमि, भवन, दुकान, शोरूम व फैक्टरी इत्यादि की खरीद-फरोख्त हो सकती है। बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। विवाद को बढ़ावा न दें। कुसंगति से बचें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। धन प्राप्ति सुगम होगी। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। 🦀कर्क किसी धार्मिक स्थल की यात्रा की आयोजन हो सकती है। सत्संग का लाभ मिलेगा। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। घर-बाहर सुख-शांति रहेगी। किसी प्रभावशाली व्यक्ति का मार्गदर्शन सहायता प्राप्त होगी। धन प्राप्ति में बाधाएं दूर होंगी। ऐश्वर्य के साधनों पर बड़ा व्यय हो सकता है। 🐅सिंह जल्दबाजी से काम बिगड़ेंगे तथा समस्या बढ़ सकती है। विरोध होगा। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। बाहर जाने की योजना बनेगी। किसी वरिष्ठ व्यक्ति का सहयोग कार्य में आसानी देगा। घर-बाहर सुख-शांति बने रहेंगे। नौकरी में चैन रहेगा। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। 🙍‍♀️कन्या व्यापार ठीक चलेगा। लोगों से अधिक अपेक्षा न करें। चोट व दुर्घटना से हानि संभव है। लापरवाही न करें। किसी व्यक्ति से व्यर्थ विवाद हो सकता है। मानसिक क्लेश होगा। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। आय में कमी हो सकती है। ⚖️तुला कार्यस्थल पर परिवर्तन संभव है। योजना फलीभूत होगी। कारोबार में वृद्धि पर विचार हो सकता है। नौकरी में अधिकारीगण प्रसन्न रहेंगे। मातहतों का सहयोग मिलेगा। पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। व्यापार में मनोनुकूल लाभ होगा। उत्साह व प्रसन्नता रहेगी। स्वास्थ्‍य उत्तम रहेगा। शुभ समय। 🦂वृश्चिक परिवार तथा मित्रों के साथ कोई मनोरंजक यात्रा का आयोजन हो सकता है। रुका हुआ पैसा मिलने का योग है। मित्रों के सहयोग से कार्य पूर्ण होंगे। नया कार्य प्रारंभ करने की योजना बनेगी। नौकरी में उच्चाधिकारी की प्रशंसा प्राप्त होगी। समय अनुकूल है। आलस्य त्यागकर प्रयास करें। 🏹धनु पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। आवश्यक वस्तु गुम हो सकती है। विवाद को बढ़ावा न दें। किसी व्यक्ति के उकसाने में न आएं। कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय भावना में बहकर न करें। बुद्धि का प्रयोग लाभ में वृद्धि करेगा। आय बनी रहेगी। थकान महसूस होगी। 🐊मकर नवीन वस्त्राभूषण की प्राप्ति पर व्यय होगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। भाइयों का सहयोग प्राप्त होगा। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। नए मित्र बनेंगे। नया उपक्रम प्रारंभ करने की योजना बन सकती है। व्यवसाय लाभदायक रहेगा। शुभ समय। 🍯कुंभ घर में मेहमानों का आगमन होगा। व्यय होगा। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। बड़ा काम करने का मन बनेगा। परिवार का सहयोग मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी। बुद्धि का प्रयोग करें। लाभ बढ़ेगा। मित्रों के साथ अच्छा समय बीतेगा। दूर से सुखद सूचना मिल सकती है। 🐟मीन मेहनत का फल मिलेगा। सामाजिक कार्य करने में रुचि रहेगी। मान-सम्मान मिलेगा। कारोबार मनोनुकूल लाभ देगा। किसी प्रभावशाली व्यक्ति से परिचय बढ़ेगा। शारीरिक कष्ट संभव है। अज्ञात भय सताएगा। चिंता तथा तनाव रहेंगे। किसी मनोरंजक यात्रा की योजना बनेगी। बुरे लोगों से दूर रहें। 🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏 🌺🌺🌺🌺🙏🌺🌺🌺🌺 #🕉️सनातन धर्म🚩 #आज का राशिफल / पंचाग ☀
ॐश्री हरिहरो विजयतेतरामॐ 🌼श्री गणेशाय नम:🌼 📖आज का पञ्चाङ्ग📖 🌸गुरुवार, ०९ अक्टूबर २०२५🌸 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 सूर्योदय: 🌞 ०६:२७ सूर्यास्त: ☀ ०६:०१ चन्द्रोदय: 🌝 १९:१५ चन्द्रास्त: 🌜०८:३३ अयन 🌘 दक्षिणायणे (उत्तरगोलीय) ऋतु: 🏔️ शरद शक सम्वत: 👉 १९४७ (विश्वावसु) विक्रम सम्वत: 👉 २०८२ (सिद्धार्थी) मास 👉 कार्तिक पक्ष 👉 कृष्ण तिथि 👉 तृतीया (२२:५४ से चतुर्थी) नक्षत्र 👉 भरणी (२०:०२ से कृत्तिका) योग 👉 वज्र (२१:३२ से सिद्धि) प्रथम करण 👉 वणिज (१२:३७ तक) द्वितीय करण 👉 विष्टि (२२:५४ तक) 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ ॥ गोचर ग्रहा: ॥ 🌖🌗🌖🌗 सूर्य 🌟 कन्या चंद्र 🌟 वृष (२५:२३ से) मंगल 🌟 तुला (उदित, पूर्व, मार्गी) बुध 🌟 तुला (उदय, पूर्व, मार्गी) गुरु 🌟 मिथुन (उदित, पूर्व, मार्गी) शुक्र 🌟 कन्या (उदित, पश्चिम, मार्गी) शनि 🌟 मीन (उदय, पूर्व, वक्री) राहु 🌟 कुम्भ केतु 🌟 सिंह 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ शुभाशुभ मुहूर्त विचार ⏳⏲⏳⏲⏳⏲⏳ 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४१ से १२:२७ अमृत काल 👉 १५:४७ से १७:१२ विजय मुहूर्त 👉 १४:०० से १४:४७ गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:५३ से १८:१८ सायाह्न सन्ध्या 👉 १७:५३ से १९:०७ निशिता मुहूर्त 👉 २३:३९ से २४:२९ राहुकाल 👉 १३:३१ से १४:५८ राहुवास 👉 दक्षिण यमगण्ड 👉 ०६:१५ से ०७:४२ दुर्मुहूर्त 👉 १०:०७ से १०:५४ होमाहुति 👉 मंगल दिशा शूल 👉 दक्षिण अग्निवास 👉 पृथ्वी (२२:५४ तक) भद्रावास 👉 स्वर्ग (१२:३७ से २२:५४) चन्द्र वास 👉 पूर्व (दक्षिण २५:२३ से) शिववास 👉 क्रीड़ा में (२२:५४ से कैलाश पर) 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ ☄चौघड़िया विचार☄ 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ ॥ दिन का चौघड़िया ॥ १ - शुभ २ - रोग ३ - उद्वेग ४ - चर ५ - लाभ ६ - अमृत ७ - काल ८ - शुभ ॥रात्रि का चौघड़िया॥ १ - अमृत २ - चर ३ - रोग ४ - काल ५ - लाभ ६ - उद्वेग ७ - शुभ ८ - अमृत नोट👉 दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ शुभ यात्रा दिशा 🚌🚈🚗⛵🛫 दक्षिण-पूर्व (दही का सेवन कर यात्रा करें) 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ तिथि विशेष 🗓📆🗓📆 〰️〰️〰️〰️ शुक्र कन्या मे १०:४७ से आदि। राणा जी खेड़ांवाली🚩 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ आज २०:०२ तक जन्मे शिशुओ का नाम भरणी नक्षत्र के द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (लू, ले, लो) तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम कृतिका नक्षत्र के प्रथम एवं द्वितीय चरण अनुसार क्रमशः (अ, ई) नामाक्षर से रखना शास्त्र सम्मत है। 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ उदय-लग्न मुहूर्त कन्या - २८:३८ से ०६:५६ तुला - ०६:५६ से ०९:१७ वृश्चिक - ०९:१७ से ११:३६ धनु - ११:३६ से १३:४० मकर - १३:४० से १५:२१ कुम्भ - १५:२१ से १६:४७ मीन - १६:४७ से १८:१० मेष - १८:१० से १९:४४ वृषभ - १९:४४ से २१:३९ मिथुन - २१:३९ से २३:५४ कर्क - २३:५४ से २६:१५+ सिंह - २६:१५+ से २८:३४+ 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ पञ्चक रहित मुहूर्त रज पञ्चक - ०६:१५ से ०६:५६ शुभ मुहूर्त - ०६:५६ से ०९:१७ चोर पञ्चक - ०९:१७ से ११:३६ शुभ मुहूर्त - ११:३६ से १३:४० रोग पञ्चक - १३:४० से १५:२१ शुभ मुहूर्त - १५:२१ से १६:४७ मृत्यु पञ्चक - १६:४७ से १८:१० रोग पञ्चक - १८:१० से १९:४४ शुभ मुहूर्त - १९:४४ से २०:०२ मृत्यु पञ्चक - २०:०२ से २१:३९ अग्नि पञ्चक - २१:३९ से २२:५४ शुभ मुहूर्त - २२:५४ से २३:५४ रज पञ्चक - २३:५४ से २६:१५+ शुभ मुहूर्त - २६:१५+ से २८:३४+ चोर पञ्चक - २८:३४+ से ३०:१५+ 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ आज का राशिफल 🐐🐂💏💮🐅👩 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ) आज दिन भर आप विपरीत लिंगीय आकर्षण में बंधे रहेंगे। अपने काम को छोड़ अनर्गल प्रवृतियों में समय और धन बर्बाद करने से घर और समाज मे सम्मान खो सकते है। कार्य क्षेत्र पर कार्य करते समय ध्यान कही और ही रहेगा धन लाभ के प्रसंग अकस्मात बनेंगे लेकिन लापरवाह रहने के कारण हाथ से निकलने की संभावना है। सहकर्मियो पर नाजायज दबाव और हुकुम ना चलाया अन्यथा अकेले रह जाएंगे। धन की आमद होगी लेकिन खर्च निकालने के लिए भी कम पड़ेगी। भाई बहन का अधिक बोलना अखरेगा फिर भी धैर्य बनाये रखें आपके हित की बात की करेंगे। किसी की चुगलखोरी के शिकार बनेंगे। आज अनैतिक साधनों से लाभ आसानी से मिलेगा फिर भी इनसे बचना ही बेहतर रहेगा। संध्या के समय शारीरिक क्षमता में कमी आएगी फिर भी मौज शौक से पीछे नही हटेंगे। वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो) आज का दिन भी आपके लिये हानिकर रहेगा। जिस कार्य को करने का मन बनाएंगे उसमे पहले धन का अभाव फिर सहयोग की कमी बाधक बनेगी। व्यवसायी वर्ग आज संग्रह करने से बचे अन्यथा धन फसने के प्रबल योग है। सार्वजनिक क्षेत्र पर तो आपकी छवि धनवान जैसी बनेगी लेकिन अंदर से स्थिति इसके विपरीत रहेगी उधारी को लेकर किसी से किया वादा पूरा ना करने पर अपमानित होना पड़ेगा। जल्दबाजी में कोई भी जोखिम वाला कार्य ना करें अन्यथा लेने के देने पड़ जाएंगे। लंबी यात्रा, अग्नि और मशीनरी से सावधानी बरतें दुर्घटना हो सकती है। संध्या के समय बौद्धिक परिश्रम करने पर थोड़ा बहुत धन मिल जाएगा। घर मे किसी का जिद्दी व्यवहार क्रोध दिलाएगा शांत रहने का प्रयास करें वरना बिना बात सरदर्दी बढ़ेगी। स्वसन तंत्र में खराबी आएगी। मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा) आज के दिन बुद्धि विवेक की कमी रहने पर भी आपका व्यक्तित्त्व निखरा हुआ रहेगा। सार्वजनिक क्षेत्र से सम्मान के साथ भविष्य में लाभ के द्वार भी खुलेंगे। कार्य क्षेत्र पर लापरवाही करेंगे जिससे कोई पुराना स्नेह संबंध खराब हो सकता है। व्यवसायी वर्ग और नौकरी पेशा जातक शारीरिक परिश्रम की जगह आज दिमागी कसरत कर लाभ कमाएंगे लेकिन जिस लाभ के हकदार है उतना नही हो पाने पर निराशा भी होगी। स्वभाव में अकड़ रहने पर भी परिजनों से अच्छी पटेगी घर के सदस्य अपने निजी स्वार्थ के लिये आपकी गलतियों को अनदेखा करेंगे जिससे स्वभाव की उद्दंडता बढ़ेगी इसपर नियंत्रण रखें। आज हाथ पैरों में शिथिलता और जननेन्द्रिय संबंधित शिकायत से परेशानी होगी। यात्रा की योजना निरस्त होगी। कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो) आज का दिन पिछले कुछ दिनों से बेहतर रहेगा किसी मनोकामना पूर्ति ना होने का दुख आज भी रह सकता है। धर्य हीनता के बाद भी दिन सुख संतोष जनक ही रहेगा। दिन के आरम्भ से मध्यान तक दैनिक कार्यो में व्यस्त रहेंगे इसके बाद कार्य क्षेत्र से कोई शुभ समाचार मिलेगा। आज आप जो भी कार्य करेंगे उसे बिना किसी सहयोग के पूर्ण कर लेंगे पठन पाठन संबंधित एवं सौंदर्य-साज सज्जा संबंधित कार्य से विशेष लाभ की उम्मीद है। धन की आमद अल्प मात्रा में लेकिन कई बार होने से दिन भर का कोटा पूर्ण कर लेंगे। नौकरी वालो के लिये मध्यान तक का समय ठीक रहेगा इसके बाद कार्यो में उलझन बढ़ेगी। घर के छोटे छोटे खर्च परेशान करेंगे। अग्नि से कष्ट एवं पेट से उपर के भाग में कष्ट हो सकता है। सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे) आज के दिन आप सभी क्षेत्रों से ज्यादा ही उम्मीद लगाए रहेंगे परन्तु सफलता कुछ एक मे ही मिल सकेगी। सरकारी कार्य भी आज कुछ कमी रहने से अपूर्ण रह सकते है । नौकरी-व्यवसाय में कार्य विलम्ब से आरंभ करने के कारण पूर्ण होने में भी विलम्ब होगा। आर्थिक दृष्टिकोण से कुछ ना कुछ कमी बनी रहेगी धन की कमी रहने से महत्त्वपूर्ण कार्य की योजना बनी बनाई रह जायेगी। संध्या के समय से स्थिति सुधरेगी लाभ की संभावना बनेगी परन्तु समय की कमी भी रहने से लाभ सीमित रहेगा। पिता को छोड़ अन्य पारिवारिक जन का सहयोग मिलने पर भी मानसिक उद्वेग रहेगा। चर्म रोग खुजली अथवा अग्नि से जलने के भय है। कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो) आज भी मध्यान तक शारीरिक रूप से शिथिलता बनी रहेगी इस कारण कुछ आवश्यक कार्य आगे के लिये निरस्त करने पड़ेंगे वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह निर्णय उपयुक्त ही रहेगा। मध्यान के बाद परिस्थिति में सुधार आने लगेगा लेकिन स्वभाव में जल्दबाजी रहने के कारण कुछ कार्य बिना सोचे करेंगे जिससे कार्य बनने की जगह ज्यादा उलझ जाएंगे। धन की आमद आवश्यकता से कम ही रहेगी आवश्यक खर्च संचित धन से करने पड़ेंगे। आज आपको परिजनों की कोई पुरानी सलाह ना मानने की ग्लानि भी होगी। संध्या के समय पति पत्नी के बीच कहाँ सुनी हो सकती है। संताने आज्ञाकारी रहेंगी लेकिन कोई गुप्त बात खुलने के कारण इनके प्रति हीन भावना बनेगी। पिता अथवा पैतृक कार्यो में लाचारी दिखेगी। तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते) आज का दिन आपके लिए सुख-समृद्धि दायक रहेगा। आज आपका स्वभाव अत्यंत आराम तालाब रहेगा जल्दी से किसी कार्य मे परिश्रम नही करेंगे फिर भी पूर्व में की गई मेहनत का फल आज अवश्य धन अथवा अन्य लाभो के रूप में मिलेगा। जमीन संबंधित एवं भागीदारी के कार्यो से हानि हो सकती है इसके विपरीत कला से जुड़े लोगों को लाभ होगा। थोक अथवा शेयर के कारोबारी निवेश का भरपूर लाभ ले सकेंगे। आपका सार्वजिक जीवन ठाठ बाट वाला रहेगा। किसी भी कार्य मे खर्च करने से पीछे नही हटेंगे इससे बीच मे थोड़ी आर्थिक विषमताएं भी आ सकती है। रहन-सहन में आडम्बर की झलक दिखेगी। गृहस्थ सुख आज उत्तम रहेगा परिजनो से पूर्ण स्नेह मिलेगा। प्रमेह अथवा चेहरे संबंधित समस्या रहेगी। वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू) आज आपका दिमाग इधर उधर की बातों में ज्यादा रहेगा। अपने काम छोड़ पराई समस्यों में उलझेगे बिना मांगे सलाह देना बाद में भारी पड़ जायेगा इसका ध्यान रहे। स्वभाव दिन भर मनमौजी रहेगा जो मन मे आएगा करेंगे किसी के टोकने पर नाराज हो जाएंगे। कार्य क्षेत्र पर आज दिन भर उदासीनता रहेगी भाग दौड़ के बाद भी परिणाम निराशाजनक ही मिलेंगे खर्च निकालने के लिये किसी से उधार लेने की नौबत आ सकती है। भाई बंधुओ से गलतफलमी के कारण बहस होगी शांत रहे उन्हें अपनी गलती का अहसास अपने आप हो जाएगा। आज भागीदारी की योजना बनेगी लेकिन पुराने पैतृक कार्यो में कोई भागीदार ना बनाये अन्यथा बाद में पछताना पड़ेगा। घर मे छूट पुट नोकझोंक लगी रहेगी। सेहत संध्या से विपरीत होगी छाती में संक्रमण हो सकता है। धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे) आज का दिन आपके लिए मिश्रित फलदायी रहेगा। स्वभाव से विनोदी रहेंगे व्यस्तता से समय निकाल कुछ समय के लिये प्रियजनों के साथ मसखरी करेंगे। लेकिन कार्य के समय लापरवाही करना पसंद नही करेंगे आज धार्मिक भावनाएं भी बढ़ने से मानसिक रूप से राहत अनुभव करेंगे मन मे अवश्य उथल पुथल लगी रहेगी फिर भी जाहिर नही होने देंगे। कार्य क्षेत्र पर मेहनत तो करेंगे परन्तु लाभ उचित मात्रा में नही हो सकेगा। कुछ महत्त्वपूर्ण विषयो को लेकर किसी प्रतिद्वन्दी से समझौता करना पड़ सकता है। धन लाभ मध्यान बाद थोड़े अंतराल पर होता रहेगा परन्तु खर्च की तुलना में पर्याप्त नही होगा। गृहस्थ में कुछ ना कुछ उलझनों के बाद भी स्थिति सामान्य बनी रहेगी। नाक-कान-गले संबंधित रोग हो सकते है। मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी) आज आप मानसिक रूप से शांत रहने का प्रयास करेंगे लेकिन मध्यान और संध्या बाद के समय किसी न किसी से विवाद होने की संभावना है। आपकी वाणी और व्यवहार से किसी का अहित ना हो इसका ध्यान आज विशेष रूप से रखें। विरोधी पक्ष आज प्रबल रहेगा मध्यान तक स्वयं को किसी न किसी कार्य मे लगाये रखें इससे मन मे अनर्गल विचार नही आएंगे। दोपहर के बाद स्थिती सुधरने से कार्यो के प्रति गंभीरता आएगी लेकिन कार्य क्षेत्र पर भी ज्यादा व्यवसाय नही मिलेगा। आय व्यय बराबर रहने और खर्च पर जबरदस्ती नियंत्रण करने से आर्थिक संतुलन बना रहेगा। संध्या बाद फिर से पुरानी बातों को याद कर कलह के प्रसंग बनेंगे। आज परिजनों की अप्रिय बात को अनसुनी करें। सन्तानो का परीक्षा में खराब प्रदर्शन चिंता बढ़ाएगा। स्वास्थ्य बना रहेगा। कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा) आज दिन आर्थिक दृष्टिकोण से सुधार वाला रहेगा फिर भी धन को लेकर आज आप संतुष्ट नही रहेंगे। जिस भी कार्य से लाभ होगा उसमे कुछ न कुछ कमी ही रहेगी ज्यादा पाने के लालच में जितना मिलना है उसमें भी कमी आ सकती है। व्यवसाय में आज किसी को भूलकर भी उधार ना दें अन्यथा वापसी में परेशानी आ सकती है। भाई बंधुओ से पैतृक कार्य अथवा किसी अन्य पुराने कार्य को लेकर अनबन होने की संभावना है निर्णय लेने मे जल्दबाजी ना करें अन्य लोगो के विचार सुनने के बाद ही अपना पक्ष रखें इससे समाधान शीघ्र हो सकता है। भागीदारी के कार्य विशेष कर जमीन संबंधित कार्य मे विवाद हो सकता है आज इनको टालना ही बेहतर रहेगा। सर दर्द अपच की शिकायत हो सकती है। मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची) आज आपका संतोषि स्वभाव विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य बनाये रखेगा। सोचे हुए कार्य ना बनने पर कुछ समय के लिये क्रोध आएगा फिर भी किसी का मीठा व्यवहार मिलेने से शांत हो जाएंगे। महिला वर्ग आज जितना मील उसी में संतोष करे अन्यथा स्वयंजन को दुख हो सकता है। काम-धंधे में कोई बड़ी चूक होने की संभावना है यहां भी किसी स्वजन का सहयोग बड़ी हानि होने से बचा लेगा। घर मे आज मातृ शक्ति का बोलबाला रहेगा इनसे बनाकर रखने में ही भलाई है अन्यथा दिन शांति से नही बिता पाएंगे। भाई बंधुओ से ईर्ष्या युक्त संबंध रहेंगे एक दूसरे की बात काटने पर तीखी बहस हो सकती है। माता का सुख उत्तम रहेगा अपनी बात आसानी से मनवा लेंगे। सेहत में आकस्मिक गिरावट आएगी सतर्क रहें। राणा जी खेड़ांवाली🚩 #🕉️सनातन धर्म🚩 #श्री हरि
ॐश्री हरिहरो विजयतेतरामॐ 🌼श्री गणेशाय नम:🌼 📖आज का पञ्चाङ्ग📖 🌸गुरुवार, ०९ अक्टूबर २०२५🌸 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 सूर्योदय: 🌞 ०६:२७ सूर्यास्त: ☀ ०६:०१ चन्द्रोदय: 🌝 १९:१५ चन्द्रास्त: 🌜०८:३३ अयन 🌘 दक्षिणायणे (उत्तरगोलीय) ऋतु: 🏔️ शरद शक सम्वत: 👉 १९४७ (विश्वावसु) विक्रम सम्वत: 👉 २०८२ (सिद्धार्थी) मास 👉 कार्तिक पक्ष 👉 कृष्ण तिथि 👉 तृतीया (२२:५४ से चतुर्थी) नक्षत्र 👉 भरणी (२०:०२ से कृत्तिका) योग 👉 वज्र (२१:३२ से सिद्धि) प्रथम करण 👉 वणिज (१२:३७ तक) द्वितीय करण 👉 विष्टि (२२:५४ तक) 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ ॥ गोचर ग्रहा: ॥ 🌖🌗🌖🌗 सूर्य 🌟 कन्या चंद्र 🌟 वृष (२५:२३ से) मंगल 🌟 तुला (उदित, पूर्व, मार्गी) बुध 🌟 तुला (उदय, पूर्व, मार्गी) गुरु 🌟 मिथुन (उदित, पूर्व, मार्गी) शुक्र 🌟 कन्या (उदित, पश्चिम, मार्गी) शनि 🌟 मीन (उदय, पूर्व, वक्री) राहु 🌟 कुम्भ केतु 🌟 सिंह 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ शुभाशुभ मुहूर्त विचार ⏳⏲⏳⏲⏳⏲⏳ 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४१ से १२:२७ अमृत काल 👉 १५:४७ से १७:१२ विजय मुहूर्त 👉 १४:०० से १४:४७ गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:५३ से १८:१८ सायाह्न सन्ध्या 👉 १७:५३ से १९:०७ निशिता मुहूर्त 👉 २३:३९ से २४:२९ राहुकाल 👉 १३:३१ से १४:५८ राहुवास 👉 दक्षिण यमगण्ड 👉 ०६:१५ से ०७:४२ दुर्मुहूर्त 👉 १०:०७ से १०:५४ होमाहुति 👉 मंगल दिशा शूल 👉 दक्षिण अग्निवास 👉 पृथ्वी (२२:५४ तक) भद्रावास 👉 स्वर्ग (१२:३७ से २२:५४) चन्द्र वास 👉 पूर्व (दक्षिण २५:२३ से) शिववास 👉 क्रीड़ा में (२२:५४ से कैलाश पर) 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ ☄चौघड़िया विचार☄ 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ ॥ दिन का चौघड़िया ॥ १ - शुभ २ - रोग ३ - उद्वेग ४ - चर ५ - लाभ ६ - अमृत ७ - काल ८ - शुभ ॥रात्रि का चौघड़िया॥ १ - अमृत २ - चर ३ - रोग ४ - काल ५ - लाभ ६ - उद्वेग ७ - शुभ ८ - अमृत नोट👉 दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ शुभ यात्रा दिशा 🚌🚈🚗⛵🛫 दक्षिण-पूर्व (दही का सेवन कर यात्रा करें) 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ तिथि विशेष 🗓📆🗓📆 〰️〰️〰️〰️ शुक्र कन्या मे १०:४७ से आदि। राणा जी खेड़ांवाली🚩 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ आज २०:०२ तक जन्मे शिशुओ का नाम भरणी नक्षत्र के द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (लू, ले, लो) तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम कृतिका नक्षत्र के प्रथम एवं द्वितीय चरण अनुसार क्रमशः (अ, ई) नामाक्षर से रखना शास्त्र सम्मत है। 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ उदय-लग्न मुहूर्त कन्या - २८:३८ से ०६:५६ तुला - ०६:५६ से ०९:१७ वृश्चिक - ०९:१७ से ११:३६ धनु - ११:३६ से १३:४० मकर - १३:४० से १५:२१ कुम्भ - १५:२१ से १६:४७ मीन - १६:४७ से १८:१० मेष - १८:१० से १९:४४ वृषभ - १९:४४ से २१:३९ मिथुन - २१:३९ से २३:५४ कर्क - २३:५४ से २६:१५+ सिंह - २६:१५+ से २८:३४+ 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ पञ्चक रहित मुहूर्त रज पञ्चक - ०६:१५ से ०६:५६ शुभ मुहूर्त - ०६:५६ से ०९:१७ चोर पञ्चक - ०९:१७ से ११:३६ शुभ मुहूर्त - ११:३६ से १३:४० रोग पञ्चक - १३:४० से १५:२१ शुभ मुहूर्त - १५:२१ से १६:४७ मृत्यु पञ्चक - १६:४७ से १८:१० रोग पञ्चक - १८:१० से १९:४४ शुभ मुहूर्त - १९:४४ से २०:०२ मृत्यु पञ्चक - २०:०२ से २१:३९ अग्नि पञ्चक - २१:३९ से २२:५४ शुभ मुहूर्त - २२:५४ से २३:५४ रज पञ्चक - २३:५४ से २६:१५+ शुभ मुहूर्त - २६:१५+ से २८:३४+ चोर पञ्चक - २८:३४+ से ३०:१५+ 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ आज का राशिफल 🐐🐂💏💮🐅👩 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ) आज दिन भर आप विपरीत लिंगीय आकर्षण में बंधे रहेंगे। अपने काम को छोड़ अनर्गल प्रवृतियों में समय और धन बर्बाद करने से घर और समाज मे सम्मान खो सकते है। कार्य क्षेत्र पर कार्य करते समय ध्यान कही और ही रहेगा धन लाभ के प्रसंग अकस्मात बनेंगे लेकिन लापरवाह रहने के कारण हाथ से निकलने की संभावना है। सहकर्मियो पर नाजायज दबाव और हुकुम ना चलाया अन्यथा अकेले रह जाएंगे। धन की आमद होगी लेकिन खर्च निकालने के लिए भी कम पड़ेगी। भाई बहन का अधिक बोलना अखरेगा फिर भी धैर्य बनाये रखें आपके हित की बात की करेंगे। किसी की चुगलखोरी के शिकार बनेंगे। आज अनैतिक साधनों से लाभ आसानी से मिलेगा फिर भी इनसे बचना ही बेहतर रहेगा। संध्या के समय शारीरिक क्षमता में कमी आएगी फिर भी मौज शौक से पीछे नही हटेंगे। वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो) आज का दिन भी आपके लिये हानिकर रहेगा। जिस कार्य को करने का मन बनाएंगे उसमे पहले धन का अभाव फिर सहयोग की कमी बाधक बनेगी। व्यवसायी वर्ग आज संग्रह करने से बचे अन्यथा धन फसने के प्रबल योग है। सार्वजनिक क्षेत्र पर तो आपकी छवि धनवान जैसी बनेगी लेकिन अंदर से स्थिति इसके विपरीत रहेगी उधारी को लेकर किसी से किया वादा पूरा ना करने पर अपमानित होना पड़ेगा। जल्दबाजी में कोई भी जोखिम वाला कार्य ना करें अन्यथा लेने के देने पड़ जाएंगे। लंबी यात्रा, अग्नि और मशीनरी से सावधानी बरतें दुर्घटना हो सकती है। संध्या के समय बौद्धिक परिश्रम करने पर थोड़ा बहुत धन मिल जाएगा। घर मे किसी का जिद्दी व्यवहार क्रोध दिलाएगा शांत रहने का प्रयास करें वरना बिना बात सरदर्दी बढ़ेगी। स्वसन तंत्र में खराबी आएगी। मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा) आज के दिन बुद्धि विवेक की कमी रहने पर भी आपका व्यक्तित्त्व निखरा हुआ रहेगा। सार्वजनिक क्षेत्र से सम्मान के साथ भविष्य में लाभ के द्वार भी खुलेंगे। कार्य क्षेत्र पर लापरवाही करेंगे जिससे कोई पुराना स्नेह संबंध खराब हो सकता है। व्यवसायी वर्ग और नौकरी पेशा जातक शारीरिक परिश्रम की जगह आज दिमागी कसरत कर लाभ कमाएंगे लेकिन जिस लाभ के हकदार है उतना नही हो पाने पर निराशा भी होगी। स्वभाव में अकड़ रहने पर भी परिजनों से अच्छी पटेगी घर के सदस्य अपने निजी स्वार्थ के लिये आपकी गलतियों को अनदेखा करेंगे जिससे स्वभाव की उद्दंडता बढ़ेगी इसपर नियंत्रण रखें। आज हाथ पैरों में शिथिलता और जननेन्द्रिय संबंधित शिकायत से परेशानी होगी। यात्रा की योजना निरस्त होगी। कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो) आज का दिन पिछले कुछ दिनों से बेहतर रहेगा किसी मनोकामना पूर्ति ना होने का दुख आज भी रह सकता है। धर्य हीनता के बाद भी दिन सुख संतोष जनक ही रहेगा। दिन के आरम्भ से मध्यान तक दैनिक कार्यो में व्यस्त रहेंगे इसके बाद कार्य क्षेत्र से कोई शुभ समाचार मिलेगा। आज आप जो भी कार्य करेंगे उसे बिना किसी सहयोग के पूर्ण कर लेंगे पठन पाठन संबंधित एवं सौंदर्य-साज सज्जा संबंधित कार्य से विशेष लाभ की उम्मीद है। धन की आमद अल्प मात्रा में लेकिन कई बार होने से दिन भर का कोटा पूर्ण कर लेंगे। नौकरी वालो के लिये मध्यान तक का समय ठीक रहेगा इसके बाद कार्यो में उलझन बढ़ेगी। घर के छोटे छोटे खर्च परेशान करेंगे। अग्नि से कष्ट एवं पेट से उपर के भाग में कष्ट हो सकता है। सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे) आज के दिन आप सभी क्षेत्रों से ज्यादा ही उम्मीद लगाए रहेंगे परन्तु सफलता कुछ एक मे ही मिल सकेगी। सरकारी कार्य भी आज कुछ कमी रहने से अपूर्ण रह सकते है । नौकरी-व्यवसाय में कार्य विलम्ब से आरंभ करने के कारण पूर्ण होने में भी विलम्ब होगा। आर्थिक दृष्टिकोण से कुछ ना कुछ कमी बनी रहेगी धन की कमी रहने से महत्त्वपूर्ण कार्य की योजना बनी बनाई रह जायेगी। संध्या के समय से स्थिति सुधरेगी लाभ की संभावना बनेगी परन्तु समय की कमी भी रहने से लाभ सीमित रहेगा। पिता को छोड़ अन्य पारिवारिक जन का सहयोग मिलने पर भी मानसिक उद्वेग रहेगा। चर्म रोग खुजली अथवा अग्नि से जलने के भय है। कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो) आज भी मध्यान तक शारीरिक रूप से शिथिलता बनी रहेगी इस कारण कुछ आवश्यक कार्य आगे के लिये निरस्त करने पड़ेंगे वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह निर्णय उपयुक्त ही रहेगा। मध्यान के बाद परिस्थिति में सुधार आने लगेगा लेकिन स्वभाव में जल्दबाजी रहने के कारण कुछ कार्य बिना सोचे करेंगे जिससे कार्य बनने की जगह ज्यादा उलझ जाएंगे। धन की आमद आवश्यकता से कम ही रहेगी आवश्यक खर्च संचित धन से करने पड़ेंगे। आज आपको परिजनों की कोई पुरानी सलाह ना मानने की ग्लानि भी होगी। संध्या के समय पति पत्नी के बीच कहाँ सुनी हो सकती है। संताने आज्ञाकारी रहेंगी लेकिन कोई गुप्त बात खुलने के कारण इनके प्रति हीन भावना बनेगी। पिता अथवा पैतृक कार्यो में लाचारी दिखेगी। तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते) आज का दिन आपके लिए सुख-समृद्धि दायक रहेगा। आज आपका स्वभाव अत्यंत आराम तालाब रहेगा जल्दी से किसी कार्य मे परिश्रम नही करेंगे फिर भी पूर्व में की गई मेहनत का फल आज अवश्य धन अथवा अन्य लाभो के रूप में मिलेगा। जमीन संबंधित एवं भागीदारी के कार्यो से हानि हो सकती है इसके विपरीत कला से जुड़े लोगों को लाभ होगा। थोक अथवा शेयर के कारोबारी निवेश का भरपूर लाभ ले सकेंगे। आपका सार्वजिक जीवन ठाठ बाट वाला रहेगा। किसी भी कार्य मे खर्च करने से पीछे नही हटेंगे इससे बीच मे थोड़ी आर्थिक विषमताएं भी आ सकती है। रहन-सहन में आडम्बर की झलक दिखेगी। गृहस्थ सुख आज उत्तम रहेगा परिजनो से पूर्ण स्नेह मिलेगा। प्रमेह अथवा चेहरे संबंधित समस्या रहेगी। वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू) आज आपका दिमाग इधर उधर की बातों में ज्यादा रहेगा। अपने काम छोड़ पराई समस्यों में उलझेगे बिना मांगे सलाह देना बाद में भारी पड़ जायेगा इसका ध्यान रहे। स्वभाव दिन भर मनमौजी रहेगा जो मन मे आएगा करेंगे किसी के टोकने पर नाराज हो जाएंगे। कार्य क्षेत्र पर आज दिन भर उदासीनता रहेगी भाग दौड़ के बाद भी परिणाम निराशाजनक ही मिलेंगे खर्च निकालने के लिये किसी से उधार लेने की नौबत आ सकती है। भाई बंधुओ से गलतफलमी के कारण बहस होगी शांत रहे उन्हें अपनी गलती का अहसास अपने आप हो जाएगा। आज भागीदारी की योजना बनेगी लेकिन पुराने पैतृक कार्यो में कोई भागीदार ना बनाये अन्यथा बाद में पछताना पड़ेगा। घर मे छूट पुट नोकझोंक लगी रहेगी। सेहत संध्या से विपरीत होगी छाती में संक्रमण हो सकता है। धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे) आज का दिन आपके लिए मिश्रित फलदायी रहेगा। स्वभाव से विनोदी रहेंगे व्यस्तता से समय निकाल कुछ समय के लिये प्रियजनों के साथ मसखरी करेंगे। लेकिन कार्य के समय लापरवाही करना पसंद नही करेंगे आज धार्मिक भावनाएं भी बढ़ने से मानसिक रूप से राहत अनुभव करेंगे मन मे अवश्य उथल पुथल लगी रहेगी फिर भी जाहिर नही होने देंगे। कार्य क्षेत्र पर मेहनत तो करेंगे परन्तु लाभ उचित मात्रा में नही हो सकेगा। कुछ महत्त्वपूर्ण विषयो को लेकर किसी प्रतिद्वन्दी से समझौता करना पड़ सकता है। धन लाभ मध्यान बाद थोड़े अंतराल पर होता रहेगा परन्तु खर्च की तुलना में पर्याप्त नही होगा। गृहस्थ में कुछ ना कुछ उलझनों के बाद भी स्थिति सामान्य बनी रहेगी। नाक-कान-गले संबंधित रोग हो सकते है। मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी) आज आप मानसिक रूप से शांत रहने का प्रयास करेंगे लेकिन मध्यान और संध्या बाद के समय किसी न किसी से विवाद होने की संभावना है। आपकी वाणी और व्यवहार से किसी का अहित ना हो इसका ध्यान आज विशेष रूप से रखें। विरोधी पक्ष आज प्रबल रहेगा मध्यान तक स्वयं को किसी न किसी कार्य मे लगाये रखें इससे मन मे अनर्गल विचार नही आएंगे। दोपहर के बाद स्थिती सुधरने से कार्यो के प्रति गंभीरता आएगी लेकिन कार्य क्षेत्र पर भी ज्यादा व्यवसाय नही मिलेगा। आय व्यय बराबर रहने और खर्च पर जबरदस्ती नियंत्रण करने से आर्थिक संतुलन बना रहेगा। संध्या बाद फिर से पुरानी बातों को याद कर कलह के प्रसंग बनेंगे। आज परिजनों की अप्रिय बात को अनसुनी करें। सन्तानो का परीक्षा में खराब प्रदर्शन चिंता बढ़ाएगा। स्वास्थ्य बना रहेगा। कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा) आज दिन आर्थिक दृष्टिकोण से सुधार वाला रहेगा फिर भी धन को लेकर आज आप संतुष्ट नही रहेंगे। जिस भी कार्य से लाभ होगा उसमे कुछ न कुछ कमी ही रहेगी ज्यादा पाने के लालच में जितना मिलना है उसमें भी कमी आ सकती है। व्यवसाय में आज किसी को भूलकर भी उधार ना दें अन्यथा वापसी में परेशानी आ सकती है। भाई बंधुओ से पैतृक कार्य अथवा किसी अन्य पुराने कार्य को लेकर अनबन होने की संभावना है निर्णय लेने मे जल्दबाजी ना करें अन्य लोगो के विचार सुनने के बाद ही अपना पक्ष रखें इससे समाधान शीघ्र हो सकता है। भागीदारी के कार्य विशेष कर जमीन संबंधित कार्य मे विवाद हो सकता है आज इनको टालना ही बेहतर रहेगा। सर दर्द अपच की शिकायत हो सकती है। मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची) आज आपका संतोषि स्वभाव विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य बनाये रखेगा। सोचे हुए कार्य ना बनने पर कुछ समय के लिये क्रोध आएगा फिर भी किसी का मीठा व्यवहार मिलेने से शांत हो जाएंगे। महिला वर्ग आज जितना मील उसी में संतोष करे अन्यथा स्वयंजन को दुख हो सकता है। काम-धंधे में कोई बड़ी चूक होने की संभावना है यहां भी किसी स्वजन का सहयोग बड़ी हानि होने से बचा लेगा। घर मे आज मातृ शक्ति का बोलबाला रहेगा इनसे बनाकर रखने में ही भलाई है अन्यथा दिन शांति से नही बिता पाएंगे। भाई बंधुओ से ईर्ष्या युक्त संबंध रहेंगे एक दूसरे की बात काटने पर तीखी बहस हो सकती है। माता का सुख उत्तम रहेगा अपनी बात आसानी से मनवा लेंगे। सेहत में आकस्मिक गिरावट आएगी सतर्क रहें। राणा जी खेड़ांवाली🚩 #🕉️सनातन धर्म🚩 #🌙आज का पंचांग🌞
. *कार्तिक माहात्म्य* *अध्याय–04* 🎄🎄🎄🎄🎄🎄🎄🎄🎄🎄🎄🎄 नारदजी ने कहा–‘ऐसा कहकर भगवान विष्णु मछली का रूप धारण कर के आकाश से जल में गिरे। उस समय विन्ध्याचल पर्वत पर तप कर रहे महर्षि कश्यप अपनी अंजलि में जल लेकर खड़े थे। भगवान उनकी अंजलि में जा गिरे। महर्षि कश्यप ने दया कर के उसे अपने कमण्डल में रख लिया। मछली के थोड़ा बड़ा होने पर महर्षि कश्यप ने उसे कुएँ में डाल दिया। जब वह मछली कुएँ में भी न समा सकी तो उन्होंने उसे तालाब में डाल दिया, जब वह तालाब में भी न आ सकी तो उन्होंने उसे समुद्र में डाल दिया। वह मछली वहाँ भी बढ़ने लगी फिर मत्स्यरूपी भगवान विष्णु ने इस शंखासुर का वध किया और शंखासुर को हाथ में लेकर बद्रीवन में आ गये, वहाँ उन्होंने सम्पूर्ण ऋषियों को बुलाकर इस प्रकार आदेश दिया। भगवान् विष्णु ने कहा–‘मुनीश्वरों! तुम जल के भीतर बिखरे हुए वेदमन्त्रों की खोज करो और जितनी जल्दी हो सके, उन्हें सागर के जल से बाहर निकाल आओ तब तक मैं देवताओं के साथ प्रयाग में ठहरता हूँ।’ तब उन तपोबल सम्पन्न महर्षियों ने यज्ञ और बीजों सहित सम्पूर्ण वेद मन्त्रों का उद्धार किया। उनमें से जितने मन्त्र जिस ऋषि ने उपलब्ध किए वही उन बीज मन्त्रों का उस दिन से ऋषि माना जाना लगा। तदनन्तर सब ऋषि एकत्र होकर प्रयाग में गये, वहाँ उन्होंने ब्रह्माजी सहित भगवान विष्णु को उपलब्ध हुए सभी वेद मन्त्र समर्पित कर दिए। सब वेदों को पाकर ब्रह्माजी बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने देवताओं और ऋषियों के साथ प्रयाग में अश्वमेघ यज्ञ किया। यज्ञ समाप्त होने पर सब देवताओं ने भगवान से निवेदन किया। देवताओं ने कहा–‘देवाधिदेव जगन्नाथ! इस स्थान पर ब्रह्माजी ने खोये हुए वेदों को पुन: प्राप्त किया है और हमने भी यहाँ आपके प्रसाद से यज्ञभाग पाये हैं। अत: यह स्थान पृथ्वी पर सबसे श्रेष्ठ, पुण्य की वृद्धि करने वाला एवं भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाला हो। साथ ही यह समय भी महापुण्यमय और ब्रह्मघाती आदि महापापियों की भी शुद्धि करने वाला हो तथा तह स्थान यहाँ दिये हुए दान को अक्षय बना देने वाला भी हो, यह वर दीजिए।’ भगवान् विष्णु बोले–‘देवताओं! तुमने जो कुछ कहा है, वह मुझे स्वीकार है, तुम्हारी इच्छा पूर्ण हो। आज से यह स्थान ब्रह्मक्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध होगा, सूर्यवंश में उत्पन्न राजा भगीरथ यहाँ गंगा को ले आयेंगे और वह यहाँ सूर्यकन्या यमुना से मिलेगी। ब्रह्माजी और तुम सब देवता मेरे साथ यहाँ निवास करो। आज से यह तीर्थ तीर्थराज के नाम से विख्यात होगा। तीर्थराज के दर्शन से तत्काल सब पाप नष्ट हो जायेंगे। जब सूर्य मकर राशि में स्थित होंगे उस समय यहाँ स्नान करने वाले मनुष्यों के सब पापों का यह तीर्थ नाश करेगा। यह काल भी मनुष्यों के लिए सदा महान पुण्य फल देने वाला होगा। माघ में सूर्य के मकर राशि में स्थित होने पर यहाँ स्नान करने से सालोक्य आदि फल प्राप्त होंगे।’ नारदजी ने कहा–‘देवाधिदेव भगवान विष्णु देवताओं से ऐसा कहकर ब्रह्माजी के साथ वहीं अन्तर्धान हो गये। तत्पश्चात इन्द्रादि देवता भी अपने अंश से प्रयाग में रहते हुए वहाँ से अन्तर्धान हो गये। जो मनुष्य कार्तिक में तुलसीजी की जड़ के समीप श्रीहरि का पूजन करता है वह इस लोक में सम्पूर्ण भोगों का उपभोग कर के अन्त में वैकुण्ठ धाम को जाता है।’ ॥जय जय श्री हरि॥ ॥ राणा जी खेड़ांवाली॥ #🕉️सनातन धर्म🚩 #श्री हरि
*‼️🚩 श्रीसीतारामचन्द्राभ्यां नमः 🚩‼️* *श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण किष्किंधाकाण्ड* *📖 ( दूसरा- सर्ग) 📖* *✍️सुग्रीव तथा वानरोंकी आशङ्का, हनुमान्जीद्वारा उसका निवारण तथा सुग्रीवका हनुमान्जीको श्रीराम-लक्ष्मणके पास उनका भेद लेनेके लिये भेजना* ======================= महात्मा श्रीराम और लक्ष्मण दोनों भाइयोंको श्रेष्ठ आयुध धारण किये वीर वेशमें आते देख (ऋष्यमूक पर्वतपर बैठे हुए) सुग्रीवके मनमें बड़ी शङ्का हुई॥१॥ वे उद्विग्नचित्त होकर चारों दिशाओंकी ओर देखने लगे। उस समय वानरशिरोमणि सुग्रीव किसी एक स्थानपर स्थिर न रह सके॥२॥ महाबली श्रीराम और लक्ष्मणको देखते हुए सुग्रीव अपने मनको स्थिर न रख सके। उस समय अत्यन्त भयभीत हुए उन वानरराजका चित्त बहुत दुःखी हो गया॥३॥ सुग्रीव धर्मात्मा थे—उन्हें राजधर्मका ज्ञान था। उन्होंने मन्त्रियोंके साथ विचारकर अपनी दुर्बलता और शत्रुपक्षकी प्रबलताका निश्चय किया। तत्पश्चात् वे समस्त वानरोंके साथ अत्यन्त उद्विग्न हो उठे॥४॥ वानरराज सुग्रीवके हृदयमें बड़ा उद्वेग हो गया था। वे श्रीराम और लक्ष्मणकी ओर देखते हुए अपने मन्त्रियोंसे इस प्रकार बोले—॥५॥ 'निश्चय ही ये दोनों वीर वालीके भेजे हुए ही इस दुर्गम वनमें विचरते हुए यहाँ आये हैं। इन्होंने छलसे चीर वस्त्र धारण कर लिये हैं, जिससे हम इन्हें पहचान न सकें॥६॥ उधर सुग्रीवके सहायक दूसरे-दूसरे वानरोंने जब उन महाधनुर्धर श्रीराम और लक्ष्मणको देखा, तब वे उस पर्वततटसे भागकर दूसरे उत्तम शिखरपर जा पहुँचे॥७॥ वे यूथपति वानर शीघ्रतापूर्वक जाकर यूथपतियोंके सरदार वानरशिरोमणि सुग्रीवको चारों ओरसे घेरकर उनके पास खड़े हो गये॥८॥ इस तरह एक पर्वतसे दूसरे पर्वतपर उछलते-कूदते और अपने वेगसे उन पर्वत-शिखरोंको प्रकम्पित करते हुए वे समस्त महाबली वानर एक मार्गपर आ गये। उन सबने उछल-कूदकर उस समय वहाँ दुर्गम स्थानोंमें स्थित हुए पुष्पशोभित बहुसंख्यक वृक्षोंको तोड़ डाला था॥९-१०॥ उस बेलामें चारों ओरसे उस महान् पर्वतपर उछलकर आते हुए वे श्रेष्ठ वानर वहाँ रहनेवाले मृगों, बिलावों तथा व्याघ्रोंको भयभीत करते हुए जा रहे थे॥११॥ इस प्रकार सुग्रीवके सभी सचिव पर्वतराज ऋष्यमूकपर आ पहुँचे और एकाग्रचित्त हो उन वानरराजसे मिलकर उनके सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गये॥१२॥ तदनन्तर वालीसे बुराईकी आशङ्का करके सुग्रीवको भयभीत देख बातचीत करनेमें कुशल हनुमान्‌जी बोले—॥१३॥ 'आप सब लोग वालीके कारण होनेवाली इस भारी घबराहटको छोड़ दीजिये। यह मलय नामक श्रेष्ठ पर्वत है। यहाँ वालीसे कोई भय नहीं है॥१४॥ 'वानरशिरोमणे! जिससे उद्विग्नचित्त होकर आप भागे हैं, उस क्रूर दिखायी देनेवाले निर्दय वालीको मैं यहाँ नहीं देखता हूँ॥१५॥ सौम्य! आपको अपने जिस पापाचारी बड़े भाईसे भय प्राप्त हुआ है, वह दुष्टात्मा वाली यहाँ नहीं आ सकता; अतः मुझे आपके भयका कोई कारण नहीं दिखायी देता॥१६॥ 'आश्चर्य है कि इस समय आपने अपनी वानरोचित चपलताको ही प्रकट किया है। वानरप्रवर! आपका चित्त चञ्चल है। इसलिये आप अपनेको विचार-मार्गपर स्थिर नहीं रख पाते हैं॥१७॥ 'बुद्धि और विज्ञानसे सम्पन्न होकर आप दूसरोंकी चेष्टाओंके द्वारा उनका मनोभाव समझें और उसीके अनुसार सभी आवश्यक कार्य करें; क्योंकि जो राजा बुद्धि-बलका आश्रय नहीं लेता, वह सम्पूर्ण प्रजापर शासन नहीं कर सकता'॥१८॥ हनुमान्जीके मुखसे निकले हुए इन सभी श्रेष्ठ वचनोंको सुनकर सुग्रीवने उनसे बहुत ही उत्तम बात कही—॥१९॥ 'इन दोनों वीरोंकी भुजाएँ लंबी और नेत्र बड़े-बड़े हैं। ये धनुष, बाण और तलवार धारण किये देवकुमारोंके समान शोभा पा रहे हैं। इन दोनोंको देखकर किसके मनमें भयका संचार न होगा॥२०॥ 'मेरे मनमें संदेह है कि ये दोनों श्रेष्ठ पुरुष वालीके ही भेजे हुए हैं; क्योंकि राजाओंके बहुत-से मित्र होते हैं। अतः उनपर विश्वास करना उचित नहीं है॥२१॥ 'प्राणिमात्रको छद्मवेषमें विचरनेवाले शत्रुओंको विशेषरूपसे पहचाननेकी चेष्टा करनी चाहिये; क्योंकि वे दूसरोंपर अपना विश्वास जमा लेते हैं, परंतु स्वयं किसीका विश्वास नहीं करते और अवसर पाते ही उन विश्वासी पुरुषोंपर ही प्रहार कर बैठते हैं॥२२॥ 'वाली इन सब कार्योंमें बड़ा कुशल है। राजालोग बहुदर्शी होते हैं—वञ्चनाके अनेक उपाय जानते हैं, इसीलिये शत्रुओंका विध्वंस कर डालते हैं। ऐसे शत्रुभूत राजाओंको प्राकृत वेशभूषावाले मनुष्यों (गुप्तचरों) द्वारा जाननेका प्रयत्न करना चाहिये॥२३॥ 'अतः कपिश्रेष्ठ! तुम भी एक साधारण पुरुषकी भाँति यहाँसे जाओ और उनकी चेष्टाओंसे, रूपसे तथा बातचीतके तौर-तरीकोंसे उन दोनोंका यथार्थ परिचय प्राप्त करो॥२४॥ उनके मनोभावोंको समझो। यदि वे प्रसन्नचित जान पड़ें तो बारंबार मेरी प्रशंसा करके तथा मेरे अभिप्रायको सूचित करनेवाली चेष्टाओंद्वारा मेरे प्रति उनका विश्वास उत्पन्न करो॥२५॥ 'वानरशिरोमणे! तुम मेरी ही ओर मुँह करके खड़ा होना और उन धनुर्धर वीरोंसे इस वनमें प्रवेश करनेका कारण पूछना॥२६॥ 'यदि उनका हृदय शुद्ध जान पड़े तो भी तरह-तरहकी बातों और आकृतिके द्वारा यह जाननेकी विशेष चेष्टा करनी चाहिये कि वे दोनों कोई दुर्भावना लेकर तो नहीं आये हैं॥२७॥ वानरराज सुग्रीवके इस प्रकार आदेश देनेपर पवनकुमार हनुमान्‌जीने उस स्थानपर जानेका विचार किया, जहाँ श्रीराम और लक्ष्मण विद्यमान थे॥२८॥ अत्यन्त डरे हुए दुर्जय वानर सुग्रीवके उस वचनका आदर करके 'बहुत अच्छा कहकर' महानुभाव हनुमान्जी जहाँ अत्यन्त बलशाली श्रीराम और लक्ष्मण थे, उस स्थानके लिये तत्काल चल दिये॥२९॥ *इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके किष्किन्धाकाण्डमें दूसरा सर्ग पूरा हुआ॥२॥* *राणा जी खेड़ांवाली🚩* *🚩 जय जय श्री सीताराम 🚩* 🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷 #🎶जय श्री राम🚩 #🕉️सनातन धर्म🚩 #🙏रामायण🕉 #🙏श्री राम भक्त हनुमान🚩
*कमर दर्द, हड्डी कमजोर... बस एक कटोरी दूध में ये चीज डालकर शाम को खा लें, फौलादी हो जाएगा शरीर* 🪵🪵🪵🪵🪵🪵🪵🪵🪵🪵🪵🪵 कमर दर्द, हड्डियों की कमजोरी और थकान अक्सर कैल्शियम, विटामिन D और प्रोटीन की कमी के कारण होती है। अगर रोजाना शाम को दूध में एक खास चीज मिलाकर पीया जाए तो हड्डियां मजबूत होंगी और शरीर में जबरदस्त ताकत आएगी। 🥄 क्या डालें दूध में? अंजीर (सूखा या ताज़ा) अंजीर कैल्शियम, फॉस्फोरस और मैग्नीशियम से भरपूर होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाता है। इसमें मौजूद फाइबर और मिनरल्स शरीर को लंबे समय तक एक्टिव और एनर्जेटिक रखते हैं। 🍵 बनाने का तरीका 1 कप गर्म दूध लें। उसमें 2–3 सूखे अंजीर डालकर 5–10 मिनट भिगो दें। नरम होने पर चम्मच से खाएं और दूध पी लें। 🌟 फायदे हड्डियां और जोड़ों को मजबूत बनाए – कैल्शियम और मैग्नीशियम से हड्डियों का घनत्व बढ़ता है। कमर दर्द में राहत – मसल्स और बोन को पोषण देता है। थकान दूर करे – नैचुरल शुगर और मिनरल्स से एनर्जी बढ़ती है। ब्लड सर्कुलेशन सुधारे – आयरन से खून की कमी पूरी करता है। पाचन में मददगार – फाइबर कब्ज से बचाता है। राणा जी खेड़ांवाली🚩 #🕉️सनातन धर्म🚩 #🌿आयुर्वेद #💁🏻‍♀️घरेलू नुस्खे
. *कार्तिक की कहानियाँ* *पोस्ट–01* *विनायक जी की कथा* 🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴 एक गाँव में माँ-बेटी रहती थीं। एक दिन बेटी अपनी माँ से कहने लगी–‘गाँव के सब लोग गणेश मेला देखने जा रहे हैं, मैं भी मेला देखने जाऊँगी।’ माँ ने कहा–‘वहाँ बहुत भीड़ होगी कहीं गिर जाओगी तो चोट लगेगी।’ लड़की ने माँ की बात नहीं सुनी और मेला देखने चल पड़ी। माँ ने जाने से पहले बेटी को दो लड्डू दिए और एक घण्टी में पानी दिया। माँ ने कहा–‘एक लड्डू तो गणेशजी को खिला देना और थोड़ा पानी पिला देना। दूसरा लड्डू तुम खा लेना और बचा पानी भी पी लेना।’ लड़की मेले में चली गई। मेला खत्म होने पर सभी गाँव वाले वापिस आ गए लेकिन लड़की वापिस नहीं आई। लड़की मेले में गणेश जी के पास बैठ गई और कहने लगी–‘एक लड्डू और पानी गणेशजी तुम्हारे लिए और एक लड्डू और बाकी बचा पानी मेरे लिए। इस तरह कहते-कहते सारी रात बीत गई। गणेशजी सोचने लगे–‘अगर मैने यह एक लड्डू और पानी नहीं पीया तो यह अपने घर नहीं जाएगी।’ यह सोचकर गणेशजी एक लड़के के वेश में आए और उससे एक लड्डू लेकर खा लिया और साथ ही थोड़ा पानी भी पी लिया फिर वह कहने लगे। गणेशजी बोले–‘माँगो तुम क्या माँगती हो ?’ लड़की मन में सोचने लगी–‘क्या माँगू ? अन्न माँगू या धन माँगू या अपने लिए अच्छा वर माँगू या खेत माँगू या महल माँग लूँ।’ वह मन में सोच रही थी तो गणेश जी उसके मन की बात को जान गए। गणेशजी लड़की से बोले–‘तुम अपने घर जाओ और तुमने जो भी मन में सोचा है वह सब तुम्हें मिलेगा।’ लड़की घर पहुँची तो माँ पूछने लगी। माँ ने पूछा–‘इतनी देर कैसे हो गई ?’ बेटी ने कहा–‘आपने जैसा कहा था मैंने वैसा ही किया है। लड़की ने सारी बात बता दी।’ देखते-ही-देखते जो भी लड़की ने सोचा था वह सब कुछ हो गया। हे ! गणेशजी महाराज जैसा आपने उन माँ-बेटी की सुनी है वैसे ही सबकी सुनना। ॐ श्रीगणेशाय् नमः राणा जी खेड़ांवाली🚩 #🌸 जय श्री कृष्ण😇 #🎶जय श्री राम🚩 #🕉️सनातन धर्म🚩 #श्री हरि
*पंचाध्यायी–महारासलीला* *पोस्ट–04* 🎍🎍🎍🎍🎍🎍🎍🎍🎍🎍🎍🎍 *भगवान् का प्रकट होकर गोपियों को सान्त्वना देना* भगवान की प्यारी गोपियाँ विरह के आवेश में इस प्रकार भाँति-भाँति से गाने और प्रलाप करने लगीं। अपने कृष्ण-प्यारे के दर्शन की लालसा से वे अपने को रोक न सकीं, करुणाजनक सुमधुर स्वर से फूट-फूटकर रोने लगीं। ठीक उसी समय उनके बीचो बीच भगवान श्रीकृष्ण प्रकट हो गये। उनका मुख कमल मन्द-मन्द मुस्कान से खिला हुआ था। गले में वनमाला थी, पीताम्बर धारण किये हुए थे। उनका यह रूप क्या था, सबके मन को मथ डालने वाले कामदेव के मन को भी मथने वाला था। कोटि-कोटि कामों से भी सुन्दर परम मनोहर प्राणवल्लभ श्यामसुन्दर को आया देख गोपियों के नेत्र प्रेम और आनन्द से खिल उठे। वे सब-की-सब एक ही साथ इस प्रकार उठ खड़ी हुईं, मानो प्राणहीन शरीर में दिव्य प्राणों का संचार हो गया हो, शरीर के एक-एक अंग में नवीन चेतना, नूतन स्फूर्ति आ गयी हो। एक गोपी ने बड़े प्रेम और आनन्द से श्रीकृष्ण के करकमल को अपने दोनों हाथों में ले लिया और वह धीरे-धीरे उसे सहलाने लगी। दूसरी गोपी ने उनके चन्दन चर्चित भुजदण्ड को अपने कंधे पर रख लिय। तीसरी सुन्दरी ने भगवान का चबाया हुआ पान अपने हाथों में ले लिया। चौथी गोपी, जिसके हृदय में भगवान के विरह से बड़ी जलन हो रही थी, बैठ गयी और उनके चरणकमलों को अपने वक्षःस्थल पर रख लिया। पाँचवी गोपी प्रणय कोप से विह्वल होकर, भौंहें चढ़ाकर, दाँतों से होठ दबाकर अपने कटाक्ष-बाणों से बींधती हुई उनकी और ताकने लगी। छठी गोपी अपने निर्निमेष नयनों से उनके मुखकमल का मकरन्द-रस पान करने लगी। सातवीं गोपी नेत्रों के मार्ग से भगवान को अपने हृदय में ले गयी और फिर उसने आँखें बंद कर लीं। अब मन-ही-मन भगवान का आलिंगन करने से उसका शरीर पुलकित हो गया। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने उन व्रजसुन्दरियों को साथ लेकर यमुना जी के पुलिन में प्रवेश किया। उस समय खिले हुए कुन्द और मन्दार के पुष्पों की सुरभि लेकर बड़ी ही शीतल और सुगन्धित मन्द-मन्द वायु चल रही थी और उसकी महक से मतवाले होकर भौंरे इधर-उधर मँडरा रहे थे। शरत पूर्णिमा के चन्द्रमा की चाँदनी अपनी निराली ही छटा दिखला रही थी। उसके कारण रात्रि के अन्धकार का तो कहीं पता ही न था, सर्वत्र आनन्द-मंगल का ही साम्राज्य छाया था। वह पुलिन क्या था, यमुना जी ने स्वयं अपनी लहरों के हाथों भगवान की लीला के लिये सुकोमल बालुका का रंगमंच बना रखा था। भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन से गोपियों के हृदय में इतने आनन्द और इतने रस का उल्लास हुआ कि उनके हृदय की सारी आधि-व्याधि मिट गयी। अब उन्होंने अपने वक्षःस्थल पर लगी हुई रोली-केसर से चिह्नित ओढ़नी को अपने परम प्यारे सुहृद श्रीकृष्ण के विराजने के लिये बिछा दिया। बड़े-बड़े योगेश्वरों अपने योगसाधन से पवित्र किये हुए हृदय में जिनके लिये आसन की कल्पना करते रहते हैं, किन्तु फिर भी अपने हृदय-सिंहासन पर बिठा नहीं पाते, वही सर्वशक्तिमान भगवान यमुना जी की रेती में गोपियों की ओढ़नी पर बैठ गये। सहस्र-सहस्र गोपियों के बीच में उनसे पूजित होकर भगवान बड़े ही शोभायमान हो रहे थे। गोपियों ने अपनी मन्द-मन्द मुसकान, विलासपूर्ण चितवन और तिरछी भौंहों से उनका सम्मान किया। किसी ने उनके चरणकमलों को अपनी गोद में रख लिया, तो किसी ने उनके करकमलों को। वे उनके संस्पर्श का आनन्द लेती हुई कभी-कभी कह उठती थीं, 'कितना सुकुमार है, कितना मधुर है। इसके बाद श्रीकृष्ण के छिप जाने से मन-ही-मन तनिक रूठकर उनके मुँह से ही उनका दोष स्वीकार कराने के लिये वे कहने लगीं–‘नटनागर! कुछ लोग तो ऐसे होते हैं, जो प्रेम करने वालों से ही प्रेम करते हैं और कुछ लोग प्रेम न करने वालों से भी प्रेम करते हैं। परन्तु कोई-कोई दोनों से ही प्रेम नहीं करते। प्यारे! इन तीनों में तुम्हें कौन-सा अच्छा लगता है ? ’ भगवान श्रीकृष्ण ने कहा–‘मेरी प्रिय सखियों! जो प्रेम करने पर प्रेम करते हैं, उनका तो सारा उद्योग स्वार्थ को लेकर है। लेन-देन मात्र है। न तो उनमें सौहार्द है और न तो धर्म। उनका प्रेम केवल स्वार्थ के लिये ही है; इसके अतिरिक्त उनका और कोई प्रयोजन नहीं है। सुन्दरियों! जो लोग प्रेम न करने वाले से भी प्रेम करते हैं, जैसे स्वभाव से ही करुणाशील सज्जन और माता-पिता, उनका हृदय सौहार्द से, हितैषिता से भरा रहता है और सच पूछो, तो उनके व्यवहार में निश्छल सत्य एवं पूर्ण धर्म भी है। कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो प्रेम करने वालों से भी प्रेम नहीं करते, न प्रेम करने वालों का तो उनके सामने कोई प्रश्न नहीं है। ऐसे लोग चार प्रकार के होते हैं। एक तो वे, जो अपने स्वरूप में ही मस्त रहते हैं, जिनकी दृष्टि में कभी द्वैत भासता ही नहीं। दूसरे वे, जिन्हें द्वैत तो भासता है, परन्तु जो कृतकृत्य हो चुके हैं; उनका किसी से कोई प्रयोजन ही नहीं है। तीसरे वे हैं, जो जानते ही नहीं कि हमसे कौन प्रेम करता है; और चौथे वे हैं, जो जान-बूझकर अपना हित करने वाले परोपकारी गुरुतुल्य लोगों से भी द्रोह करते हैं, उनको सताना चाहते है। गोपियों! मैं तो प्रेम करने-वालों से भी प्रेम का वैसा व्यवहार नहीं करता, जैसा करना चाहिये। मैं ऐसा केवल इसलिये करता हूँ कि उनकी चित्तवृति और भी मुझमें लगे, निरन्तर लगी ही रहे। जैसे निर्धन पुरुष को कभी बहुत-सा धन मिल जाय और फिर खो जाय तो उसका हृदय खोये हुए धन की चिन्ता से भर जाता है, वैसे ही मैं भी मिल-मिलकर छिप-छिप जाता हूँ। गोपियों! इसमें सन्देह नहीं कि तुम लोगों ने मेरे लिये लोक-मर्यादा, वेदमार्ग और अपने सगे-सम्बन्धियों को भी छोड़ दिया है। ऐसी स्थिति में तुम्हारी मनोवृत्ति और कहीं न जाय, अपने सौन्दर्य और सुहाग की चिन्ता न करने लगे, मुझमे ही लगी रहे, इसलिये परोक्ष रूप से तुम लोगों से प्रेम करता हुआ ही मैं छिप गया था। इसलिये तुम लोग मेरे प्रेम में दोष मत निकालो। तुम सब मेरी प्यारी और मैं तुम्हारा प्यारा हूँ। मेरी प्यारी गोपियों! तुमने मेरे लिये घर-गृहस्थी की उन बेड़ियों को तोड़ डाला है। मैं जन्म-जन्म के लिये तुम्हारा ऋणी हूँ। तुम अपने सौम्य स्वभाव से, प्रेम से मुझे उऋण सकती हो। परन्तु मैं तो तुम्हारा ऋणी ही हूँ। ॥जय जय श्री राधे॥ ॥ राणा जी खेड़ांवाली॥ #🕉️सनातन धर्म🚩 #🌸 जय श्री कृष्ण😇
*श्रीमद्वाल्मीकीय–रामायण* *पोस्ट–568* 🧿🧿🧿🧿🧿🧿🧿🧿🧿🧿🧿🧿 *(उत्तरकाण्ड–सर्ग-027)* 🏹🏹🏹🏹🏹🏹🏹🏹🏹🏹🏹🏹 *आज की कथा में:–सेना सहित रावण का इन्द्रलोक पर आक्रमण, इन्द्र की भगवान् विष्णु से सहायता के लिये प्रार्थना, भविष्य में रावण वध की प्रतिज्ञा करके विष्णु का इन्द्र को लौटाना, देवताओं और राक्षसों का युद्ध तथा वसु के द्वारा सुमाली का वध* कैलास पर्वत को पार करके महातेजस्वी दशमुख रावण सेना और सवारियों के साथ इन्द्रलोक में जा पहुँचा। सब ओर से आती हुई राक्षस सेना का कोलाहल देवलोक में ऐसा जान पड़ता था, मानो महासागर के मथे जाने का शब्द प्रकट हो रहा हो। रावण का आगमन सुनकर इन्द्र अपने आसन से उठ गये और अपने पास आये हुए समस्त देवताओं से बोले। उन्होंने आदित्यों, वसुओं, रुद्रों, साध्यों तथा मरुद्गणों से भी कहा। इन्द्र बोले–‘तुम सब लोग दुरात्मा रावण के साथ युद्ध करने के लिये तैयार हो जाओ।’ इन्द्र के ऐसा कहने पर युद्ध में उन्हीं के समान पराक्रम प्रकट करने वाले महाबली देवता कवच आदि धारण करके युद्ध के लिये उत्सुक हो गये। देवराज इन्द्र को रावण से भय हो गया था। अतः वे दुःखी हो भगवान् विष्णु के पास आये और इस प्रकार बोले–‘विष्णुदेव! मैं राक्षस रावण के लिये क्या करूँ ? अहो ! वह अत्यन्त बलशाली निशाचर मेरे साथ युद्ध करने के लिये आ रहा है। वह केवल ब्रह्माजी के वरदान के कारण प्रबल हो गया है; दूसरे किसी हेतु से नहीं। कमलयोनि ब्रह्माजी ने जो वर दे दिया है, उसे सत्य करना हम सब लोगों का काम है। अत: जैसे पहले आपके बल का आश्रय लेकर मैंने नमुचि, वृत्रासुर, बलि, नरक और शम्बर आदि असुरों को दग्ध कर डाला है, उसी प्रकार इस समय भी इस असुर का अन्त हो जाय, ऐसा कोई उपाय आप ही कीजिये। मधुसूदन! आप देवताओं के भी देवता एवं ईश्वर हैं। इस चराचर त्रिभुवन में आपके सिवा दूसरा कोई ऐसा नहीं हैं, जो हम देवताओं को सहारा दे सके। आप ही हमारे परम आश्रय हैं। आप पद्मनाभ हैं–आप ही के नाभिकमल से जगत् की उत्पत्ति हुई है। आप ही सनातनदेव श्रीमान् नारायण हैं। आपने ही इन तीनों लोकों को स्थापित किया है और आपने ही मुझे देवराज इन्द्र बनाया है। भगवन्! आपने ही स्थावर-जङ्गम प्राणियों सहित इस समस्त त्रिलोकी की सृष्टि की है और प्रलयकाल में सम्पूर्ण भूत आपमें ही प्रवेश करते हैं। इसलिये देवदेव! आप ही मुझे कोई ऐसा अमोघ उपाय बताइये, जिससे मेरी विजय हो। क्या आप स्वयं चक्र और तलवार लेकर रावण से युद्ध करेंगे ? इन्द्र के ऐसा कहने पर भगवान् नारायणदेव बोले– भगवान् विष्णु ने कहा–‘देवराज! तुम्हें भय नहीं करना चाहिये। मेरी बात सुनो। पहली बात तो यह है इस दुष्टात्मा रावण को सम्पूर्ण देवता और असुर मिलकर भी न तो मार सकते हैं और न परास्त ही कर सकते हैं; क्योंकि वरदान पाने के कारण यह इस समय दुर्जय हो गया है। अपने पुत्र के साथ आया हुआ यह उत्कट बलशाली राक्षस सब प्रकार से महान् पराक्रम प्रकट करेगा। यह बात मुझे अपनी स्वाभाविक ज्ञानदृष्टि से दिखायी दे रही है। सुरेश्वर! दूसरी बात जो मुझे कहनी है, इस प्रकार है–तुम जो मुझसे कह रहे थे कि ‘आप ही उसके साथ युद्ध कीजिये’ उसके उत्तर में निवेदन है कि मैं इस समय युद्धस्थल में राक्षस रावण का सामना करने के लिये नहीं जाऊँगा। मुझ विष्णु का यह स्वभाव है कि मैं संग्राम में शत्रु का वध किये बिना पीछे नहीं लौटता; परन्तु इस समय रावण वरदान से सुरक्षित है, इसलिये उसकी ओर से मेरी इस विजय-सम्बन्धिनी इच्छा की पूर्ति होनी कठिन है। परन्तु देवेन्द्र! शतक्रतो! मैं तुम्हारे समीप इस बात की प्रतिज्ञा करता हूँ कि समय आने पर मैं ही इस राक्षस की मृत्यु का कारण बनूँगा। मैं ही रावण को उसके अग्रगामी सैनिकों सहित माऊँगा और देवताओं को आनन्दित करूँगा; परन्तु यह तभी होगा जब मैं जान लूँगा कि इसकी मृत्यु का समय आ पहुँचा है। देवराज! ये सब बातें मैंने तुम्हें ठीक-ठीक बता दीं। महाबलशाली शचीवल्लभ ! इस समय तो तुम्हीं देवताओं सहित जाकर उस राक्षस के साथ निर्भय हो युद्ध करो।’ तदनन्तर रुद्र, आदित्य, वसु, मरुद्गुण और अश्विनीकुमार आदि देवता युद्ध के लिये तैयार होकर तुरन्त अमरावतीपुरी से बाहर निकले और राक्षसों का सामना करने के लिये आगे बढ़े। इसी बीच रात बीतते-बीतते सब ओर से युद्ध के लिये उद्यत हुई रावण की सेना का महान् कोलाहल सुनायी देने लगा। वे महापराक्रमी राक्षस सैनिक सबेरे जागने पर एक-दूसरे की ओर देखते हुए बड़े हर्ष और उत्साह के साथ युद्ध के लिये ही आगे बढ़ने लगे। तदनन्तर युद्ध के मुहाने पर राक्षसों की उस अनन्त एवं विशाल सेना को देखकर देवताओं की सेना में बड़ा क्षोभ हुआ। फिर तो देवताओं का दानवों और राक्षसों के साथ भयंकर युद्ध छिड़ गया। भयंकर कोलाहल होने लगा और दोनों ओर से नाना प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों की बौछार आरम्भ हो गयी। इसी समय रावण के मन्त्री शूरवीर राक्षस, जो बड़े भयंकर दिखायी देते थे, युद्ध के लिये आगे बढ़ आये। मारीच, प्रहस्त, महापार्श्व, महोदर, अकम्पन निकुम्भ, शुक, शारण, संह्राद, धूमकेतु, महादंष्ट्र, घटोदर, जम्बुमाली, महाह्राद, विरूपाक्ष, सुप्तन्न, यज्ञकोप, दुर्मुख, दूषण, खर, त्रिशिरा, करवीराक्ष, सूर्यशत्रु, महाकाय, अतिकाय, देवान्तक तथा नरान्तक इन सभी महापराक्रमी राक्षसों से घिरे हुए महाबली सुमाली ने, जो रावण का नाना था, देवताओं की सेना में प्रवेश किया। उसने कुपित हो नाना प्रकार के पैने अस्त्र-शस्त्रों द्वारा समस्त देवताओं को उसी तरह मार भगाया, जैसे वायु बादलों को छिन्न-भिन्न कर देती है। श्रीराम ! निशाचरों की मार खाकर देवताओं की वह सेना सिंह द्वारा खदेड़े गये मृगों की भाँति सम्पूर्ण दिशाओं में भाग चली। इसी समय वसुओं में से आठवें वसुने, जिनका नाम सावित्र है, समराङ्गण में प्रवेश किया। वे नाना प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित एवं उत्साहित सैनिकों से घिरे हुए थे। उन्होंने शत्रुसेनाओं को संत्रस्त करते हुए रणभूमि में पदार्पण किया। इनके सिवा अदिति के दो महापराक्रमी पुत्र त्वष्टा और पूपाने अपनी सेना के साथ एक ही समय युद्धस्थल में प्रवेश किया, वे दोनों वीर निर्भय थे। फिर तो देवताओं का राक्षसों के साथ घोर युद्ध होने लगा। युद्ध से पीछे न हटने वाले राक्षसों की बढ़ती हुई कीर्ति देख-सुनकर देवता उनके प्रति बहुत कुपित थे। तत्पश्चात् समस्त राक्षस समरभूमि में खड़े हुए लाखों देवताओं को नाना प्रकार के घोर अस्त्र-शस्त्रों द्वारा मारने लगे। इसी तरह देवता भी महान् बल-पराक्रम से सम्पन्न घोर राक्षसों को समराङ्गण में चमकीले अस्त्र-शस्त्रों से मार- मारकर यमलोक भेजने लगे। श्रीराम ! इसी बीच में सुमाली नामक राक्षस ने कुपित होकर नाना प्रकार के आयुधों द्वारा देवसेना पर आक्रमण किया। उसने अत्यन्त क्रोध से भरकर बादलों को छिन्न-भिन्न कर देने वाली वायु के समान अपने भाँति-भाँति के तीखे अस्त्र-शस्त्रों द्वारा समस्त देवसेना को तितरबितर कर दिया। उसके महान् बाणों और भयंकर शूलों एवं प्रासों की वर्षा से मारे जाते हुए सभी देवता युद्धक्षेत्र में संगठित होकर खड़े न रह सके। सुमाली द्वारा देवताओं के भगाये जाने पर आठवें वसु सावित्र को बड़ा क्रोध हुआ। वे अपनी रथ सेनाओं के साथ आकर उस प्रहार करने वाले निशाचर के सामने खड़े हो गये। महातेजस्वी सावित्र ने युद्धस्थल में अपने पराक्रम द्वारा सुमाली को आगे बढ़ने से रोक दिया। सुमाली और वसु दोनों में से कोई भी युद्ध से पीछे हटने वाला नहीं था; अत: उन दोनों में महान् एवं रोमाञ्चकारी युद्ध छिड़ गया। तदनन्तर महात्मा वसु ने अपने विशाल बाणों द्वारा सुमाली के सर्प जुते हुए रथ को क्षणभर में तोड़-फोड़कर गिरा दिया। युद्धस्थल में सैकड़ों बाणों से छिदे हुए सुमाली के रथ को नष्ट करके वसु ने उस निशाचर के वध के लिये कालदण्ड के समान एक भयंकर गदा हाथ में ली, जिसका अग्रभाग अग्नि के समान प्रज्वलित हो रहा था। उसे लेकर सावित्र ने सुमाली के मस्तक पर दे मारा। उसके ऊपर गिरती हुई वह गदा उल्का के समान चमक उठी, मानो इन्द्र के द्वारा छोड़ी गयी विशाल अशनि भारी गडगडाहट के साथ किसी पर्वत के शिखर पर गिर रही हो। उसकी चोट लगते ही समराङ्गण में सुमाली का काम तमाम हो गया। न उसकी हड्डी का पता लगा, न मस्तक का और न कहीं उसका मांस ही दिखायी दिया। वह सब कुछ उस गदा की आग से भस्म हो गया। युद्ध में सुमाली को मारा गया देख वे सब राक्षस एक-दूसरों को पुकारते हुए एक साथ चारों ओर भाग खड़े हुए। वसु के द्वारा खदेड़े जाने वाले वे राक्षस समरभूमि में खड़े न रह सके। इस प्रकार श्रीवाल्मीकि निर्मित आर्ष रामायण आदि काव्य के उत्तरकाण्ड में सत्ताईसवाँ सर्ग पूरा हुआ॥२७॥ राणा जी खेड़ांवाली🚩 ॐश्रीसीतारामचन्द्राभ्यां नमः🚩 #🕉️सनातन धर्म🚩 #🙏श्री राम भक्त हनुमान🚩 #🙏रामायण🕉 #🎶जय श्री राम🚩 #श्री हरि