Davinder Singh Rana
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*अमरूद खाएं रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर के पेशेंट के लिए भी फायदेमंद, जानें 7 बड़े लाभ* 🪵🪵🪵🪵🪵🪵🪵🪵🪵🪵🪵🪵 रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करे अमरूद में विटामिन C की मात्रा संतरे से भी ज्यादा होती है, जो इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाकर इंफेक्शन से बचाती है। डायबिटीज कंट्रोल करे इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम और फाइबर ज्यादा होता है, जो ब्लड शुगर लेवल को स्थिर रखने में मदद करता है। ब्लड प्रेशर संतुलित रखे पोटैशियम से भरपूर अमरूद हाई बीपी को कंट्रोल करने में मदद करता है और दिल की सेहत के लिए अच्छा है। पाचन शक्ति में सुधार : इसमें मौजूद फाइबर कब्ज, गैस और अपच को कम करता है। वजन घटाने में मददगार : कम कैलोरी और ज्यादा फाइबर के कारण यह लंबे समय तक पेट भरा रखता है, जिससे ओवरईटिंग से बचाव होता है। स्किन के लिए बेस्ट : एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन C झुर्रियों को कम करते हैं और त्वचा को ग्लोइंग बनाते हैं। दिल की सेहत के लिए अच्छा : अमरूद में लाइकोपीन और पोटैशियम हार्ट डिजीज के खतरे को कम करने में मदद करते हैं। राणा जी खेड़ांवाली🚩 #🕉️सनातन धर्म🚩 #💁🏻‍♀️घरेलू नुस्खे #🌿आयुर्वेद
ॐश्री हरिहरो विजयतेतरामॐ 🌼श्री गणेशाय नम:🌼 📖आज का पञ्चाङ्ग📖 🌸शनिवार, ११ अक्टूबर २०२५🌸 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 सूर्योदय: 🌞 ०६:२८ सूर्यास्त: ☀ ०५:५९ चन्द्रोदय: 🌝 २१:०१ चन्द्रास्त: 🌜११:०० अयन 🌘 दक्षिणायणे (उत्तरगोलीय) ऋतु: 🏔️ शरद शक सम्वत: 👉 १९४७ (विश्वावसु) विक्रम सम्वत: 👉 २०८२ (सिद्धार्थी) मास 👉 कार्तिक पक्ष 👉 कृष्ण तिथि 👉 पञ्चमी (१६:४३ से षष्ठी) नक्षत्र 👉 रोहिणी (१५:२० से मृगशिरा) योग 👉 व्यतीपात (१४:०७ से वरीयान) प्रथम करण 👉 तैतिल (१६:४३ तक) द्वितीय करण 👉 गर (२७:२६ तक) 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ ॥ गोचर ग्रहा: ॥ 🌖🌗🌖🌗 सूर्य 🌟 कन्या चंद्र 🌟 मिथुन (२६:२३ से) मंगल 🌟 तुला (उदित, पूर्व, मार्गी) बुध 🌟 तुला (उदय, पूर्व, मार्गी) गुरु 🌟 मिथुन (उदित, पूर्व, मार्गी) शुक्र 🌟 कन्या (उदित, पश्चिम, मार्गी) शनि 🌟 मीन (उदय, पूर्व, वक्री) राहु 🌟 कुम्भ केतु 🌟 सिंह 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ शुभाशुभ मुहूर्त विचार ⏳⏲⏳⏲⏳⏲⏳ 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४० से १२:२६ अमृत काल 👉 १२:२५ से १३:५२ सर्वार्थ सिद्धि योग 👉 ०६:१६ से १५:२० अमृत सिद्धि योग 👉 ०६:१६ से १५:२० विजय मुहूर्त 👉 १३:५९ से १४:४५ गोधूलि मुहूर्त 👉 १७:५० से १८:१५ सायाह्न सन्ध्या 👉 १७:५० से १९:०५ निशिता मुहूर्त 👉 २३:३९ से २४:२८ राहुकाल 👉 ०९:१० से १०:३६ राहुवास 👉 पूर्व यमगण्ड 👉 १३:३० से १४:५७ दुर्मुहूर्त 👉 ०६:१६ से ०७:०२ होमाहुति 👉 मंगल (१५:२० से गुरु) दिशा शूल 👉 पूर्व नक्षत्र शूल 👉 पश्चिम (१५:२० तक) अग्निवास 👉 पृथ्वी (१६:४३ तक) चन्द्र वास 👉 दक्षिण (पश्चिम २६:२४ से) शिववास 👉 नन्दी पर (१६:४३ से भोजन में) 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ ☄चौघड़िया विचार☄ 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ ॥ दिन का चौघड़िया ॥ १ - काल २ - शुभ ३ - रोग ४ - उद्वेग ५ - चर ६ - लाभ ७ - अमृत ८ - काल ॥रात्रि का चौघड़िया॥ १ - लाभ २ - उद्वेग ३ - शुभ ४ - अमृत ५ - चर ६ - रोग ७ - काल ८ - लाभ नोट👉 दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ शुभ यात्रा दिशा 🚌🚈🚗⛵🛫 पश्चिम-दक्षिण (वायविंडिंग अथवा तिल मिश्रित चावल का सेवन कर यात्रा करें) 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ तिथि विशेष 🗓📆🗓📆 〰️〰️〰️〰️ पदम प्रभु जन्म (जैन), विवाहादि मुहूर्त मकर-कन्या ल० (दोपहर ०२:०५ से अंतरात्रि ०६:२० तक), व्यवसाय आरम्भ मुहूर्त दोपहर ०२:०७ से ०४:३४ तक आदि। राणा जी खेड़ांवाली🚩 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ आज जन्मे शिशुओं का नामकरण 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ आज १५:२० तक जन्मे शिशुओ का नाम रोहिणी नक्षत्र के तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (वी, वू) तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम मृगशिरा नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण अनुसार क्रमशः (वे, वो, क) नामाक्षर से रखना शास्त्र सम्मत है। 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ उदय-लग्न मुहूर्त कन्या - २८:३० से ०६:४८ तुला - ०६:४८ से ०९:०९ वृश्चिक - ०९:०९ से ११:२८ धनु - ११:२८ से १३:३२ मकर - १३:३२ से १५:१३ कुम्भ - १५:१३ से १६:३९ मीन - १६:३९ से १८:०२ मेष - १८:०२ से १९:३६ वृषभ - १९:३६ से २१:३१ मिथुन - २१:३१ से २३:४६ कर्क - २३:४६ से २६:०७+ सिंह - २६:०७+ से २८:२६+ 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ पञ्चक रहित मुहूर्त मृत्यु पञ्चक - ०६:१६ से ०६:४८ अग्नि पञ्चक - ०६:४८ से ०९:०९ शुभ मुहूर्त - ०९:०९ से ११:२८ रज पञ्चक - ११:२८ से १३:३२ शुभ मुहूर्त - १३:३२ से १५:१३ चोर पञ्चक - १५:१३ से १५:२० शुभ मुहूर्त - १५:२० से १६:३९ रोग पञ्चक - १६:३९ से १६:४३ शुभ मुहूर्त - १६:४३ से १८:०२ शुभ मुहूर्त - १८:०२ से १९:३६ रोग पञ्चक - १९:३६ से २१:३१ शुभ मुहूर्त - २१:३१ से २३:४६ मृत्यु पञ्चक - २३:४६ से २६:०७+ अग्नि पञ्चक - २६:०७+ से २८:२६+ शुभ मुहूर्त - २८:२६+ से ३०:१७+ 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ आज का राशिफल 🐐🐂💏💮🐅👩 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ) आज के दिन आपको लगभग सभी कार्यो के विपरीत फल मिलेंगे। आर्थिक उलझने बढ़ने से मन बेचैन रहेगा। अधिक प्रयास करने पर थोड़ा बहुत धन लाभ हो सकेगा। उधार की लेनदेन आज भूल कर भी ना करें अन्यथा बाद में पछतावा होगा। व्यवसायी वर्ग भी पुराने उधार को लेकर चिंतित रहेंगे। घर एवं बाहर आज किसी से ज्यादा सहयोग की उम्मीद ना रखें सीमित साधनो से ही काम चलाना पड़ेगा। आज घर मे भी किसी ना किसी कारण से कष्ट बना रहेगा। महिलाये दिखावे की भावना से ग्रस्त रहेंगी थोड़ा करने पर भी बड़ा चढ़ा कर पेश करेंगी। मामूली बात पर कलह हो सकती है। धैर्य से दिन व्यतीत करें। दुसरो की गलती पर भी विरोध करने से बचें। वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो) आज के दिन आपके स्वभाव में चंचलता अधिक रहेगी। आप जहां भी जाएंगे वहां का वातावरण विनोदी स्वभाव से हल्का बनाएंगे परन्तु ध्यान रहे मर्यादा पार करने से आज किसी से झगड़ा अथवा संबंध विच्छेद भी हो सकता है। कार्य व्यवसाय आज कम रुचि लेने से भगवान भरोसे ही चलेगा फिर भी आकस्मिक लाभ के समाचार रोमांचित करेंगे। पुराने लिए निर्णय से हानि भी अकस्मात ही होगी फिर भी आज के दिन व्यय की अपेक्षा धन की आमद ज्यादा ही रहेगी। बाहर घूमने यात्रा पर्यटन खाने पीने में ज्यादा रुचि लेंगे इन पर खर्च भी आवश्यकता से अधिक करेंगे। महिलाये जिद्दी स्वभाव रहने से स्वयं के साथ अन्य लोगो को भी परेशानी में डालेंगी। मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा) आपके लिये आज का दिन प्रतिकूल रहेगा। आज आपके लिए निर्णय गलत साबित होंगे व्यवसायी भी कार्यो में क्षति होने से परेशान रहेंगे। दिन के आरंभ में लाभदायक समाचार मिलेंगे परन्तु अंत समय मे लाभ हानि में बदलने से निराशा होगी। आर्थिक व्यवहार भी आज सोच समझ कर ही करें धन लंबे समय के लिए फंस सकता है। सरकारी कार्यो में उलझने बढ़ेंगी जिससे धन एवं समय व्यर्थ होगा। सार्वजनिक क्षेत्र पर अपमान हो सकता है। घर मे भी आप किसी की चुगली के शिकार बन सकते है। दिन का अधिकांश समय मानसिक अशांति कराएगा। शारीरिक दर्द की समस्या से कष्ट बढ़ेगा। घर के बुजुर्गो एवं आस पडोसियो से मतभेद रहेंगे। कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो) आज का दिन काफी उठा पटक वाला रहेगा फिर भी आध्यात्मिकता में रुचि मानसिक रूप से विचलित नही होने देगी। आज व्यावसायिक योजनाओं में अचानक बदलाव करना पड़ेगा। दिन के आरंभ में कार्यो की गति धीमी रहेगी समय पर वादा पूरा ना करने से व्यावसायिक संबंध खराब हो सकते है। नौकरी वाले आज कार्यो के प्रति नीरसत दिखाएंगे जिससे नौकरी पर खतरा हों सकता है। किसी भी कार्य को लेकर ठोस निर्णय नही ले पाएंगे परन्तु जिस भी कार्य में निवेश करेंगे उसमे विलंभ से ही सही सफल अवश्य होंगे धन लाभ भी आवश्यकता अनुसार हों ही जायेगा लेकिन संध्या पश्चात धन संबंधित कार्य उलझ सकते है। परिजन आपके टरकाने वाले व्यवहार से दुखी रहेंगे। सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे) आज का दिन शुभ फलदायी रहेगा। प्रातः काल किसी योजना के पूर्ण होने से धन आगम होगा। आज दिनचर्या व्यवस्थित रहेगी कार्य भी समय से पूर्ण होंगे लेकिन यात्रा का मन बनने से आवश्यक कार्य मे बदलाव करना पड़ेगा। आर्थिक रूप से दिन शुभ रहेगा परन्तु हाथ खुला होने से ज्यादा देर टिकेगा नही। उधारी के व्यवहार ज्यादा ना बढ़ाएं अन्यथा उलझने बढ़ेंगी। सामाजिक सम्बन्ध आज दिखावा मात्र ही रहेंगे। परिवार में सुख शान्ति की अनुभूति होगी लेकिन महिला वर्ग का स्वभाव अचानक बदल सकता है सतर्क रहें। गृहस्थ में शान्ती बनाये रखने के लिए परिजनों की आवश्यकता पूर्ति करनी पड़ेगी। धार्मिक कार्यो में भी खर्च करेंगे। रक्त-पित्त विकार हो सकता है। कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो) आज का दिन आपके लिए मंगलकारी रहेगा। आज आपके अंदर परोपकार की भावना रहेगी जिसके बदले में आपको सम्मान एवं भाग्योन्नति मिलेगी। व्यवसायी वर्ग कार्यो को लेकर आरम्भ में आशंकित रहंगे लेकिन धीरे-धीरे लाभ की स्थिति बनने लगेगी। नौकरी पेशा जातको को अतिरिक्त आय के साधन बनेंगे। आज घर के सदस्यों का मार्गदर्शन भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा बड़े बुजुर्गों के साथ कुछ समय अवश्य बिताएं। भाई-बंधुओ से आपसी लेन देन को लेकर बहस हो सकती है। किसी समारोह में सम्मिलित होने के लिए दिनचार्य में परिवर्तन करना पड़ सकता है। सेहत सामान्य रहेगी कुछ समय के लिए मानसिक उग्रता के कारण सर दर्द रहेगा। तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते) आज के दिन आप मानसिक रूप से किसी बड़े कार्य अथवा परिश्रम वाले कार्य को करने की हालत में नही रहेंगे। आज जिस काम को करने का मन बनाएंगे उसमे कोई ना कोई टांग अड़ाएगा दिग्भ्रमित करने वाले भी आज कई मिलेंगे जिससे कार्य हानि होने की संभावना है। दिनचार्य संघर्षमय होते हुए भी आज आप लापरवाही अधिक करेंगे काम के लोग अथवा सही मार्गदर्शक आपको गलत लगेंगे इसके उलट गलत राय देने वालो पर आप मेहरबान रहेंगे। परन्तु मध्यान के बाद स्थिति कुछ सुधरेगी अपनी गलतियों से थोड़ी शिक्षा लेंगे फिर भी अपने मन की ही सुनेंगे। थोड़ा बहुत धन लाभ होने से खर्च चलते रहेंगे। घर मे टालमटोल के रवैये के चलते तकरार हो सकती है। वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू) आज आपके समस्त कार्य निर्बाधित रूप से चलते रहेंगे। कार्य व्यवसाय से आर्थिक लाभ भी रुक रुक कर होने से धन संबंधित परेशानियां कुछ हद तक सुलझेंगी। दोपहर के बाद किसी गुप्त चिंता के कारण मन व्याकुल रहेगा लेकिन जल्द ही इस समस्या से भी छुटकारा पा लेंगे। नौकरी पेशा महिलाये आज कार्य क्षेत्र पर किसी बात से नाराज रहेंगी लेकिन घर को सुंदर बनाने में सहयोग करेंगी शारीरिक दर्द के कारण थोड़ी असहजता भी रहेगी फिर भी घरेलू कार्य समय पर पूर्ण कर सकेंगी। आस-पड़ोसियों से सम्बन्धो में सुधार आएगा। संताने मनमानी करेंगी जिससे क्रोध आएगा। उधार के व्यवहार में आज कमी आने से राहत मिलेगी। घर के बुजुर्ग लाभ दिलाएंगे। धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे) आज धन की प्राप्ति जितनी सुगम रहेगी खर्च भी उतनीं ही जल्दी हो जाएगा। मितव्ययता बरतने पर भी खर्चो पर नियंत्रण नही रहेगा आकस्मिक खर्च आर्थिक उलझन बनाएंगे। व्यवसाय में विस्तार की योजना बनाएंगे परन्तु आज निवेश ना करें धन फंसने की संभावना अधिक है। नौकरी वाले जातक कार्यो की अधिकता से परेशान रहेंगे। आर्थिक लाभ दिन भर होता रहेगा अगर खर्च पर नियंत्रण रख सके तो यह धन आने वाले समय मे अतिउपयोगी सिद्ध होगा। घर के बुजुर्ग अथवा अधिकारी वर्ग से उचित मार्ग दर्शन मिलेगा फिर भी स्वभाव में जल्दबाजी के कारण इसका लाभ कम ही उठा पाएंगे। महिलाये आज अधिक उपयोगी सिद्ध होंगी। मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी) आपका आज का दिन थोड़ा उठापटक वाला रहेगा। प्रातः काल के समय किसी के मनमाने रवैये के कारण परेशान रह सकते है। परन्तु आर्थिक दृष्टिकोण से आज का दिन शुभ रहेगा। व्यवसाय में कई दिनों से रुके पैसे वापस मिलने से शान्ति मिलेगी। शेयर आदी में निवेश आज ना करें उधार भी ना लें नाही किसी को दें। घर एवं बाहर के लोग भी आपकी बौद्धिक क्षमता की प्रशंशा करेंगे। लेकिन घर का वातावरण किसी गलतफहमी के कारण खराब होने की संभावना है आवश्यकता पड़ने पर ही किसी की बातों का जवाब दें अन्यथा मौन बनाये रखें व्यर्थ कलह से बचेंगे। महिलाये शुभ समाचार मिलने से प्रसन्न होंगी परन्तु किसी अन्य कारण से मानसिक उद्देग बनेगा। कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा) आज के दिन आपकी वाणी का तीखा पन व्यर्थ के झड़े मोल लेगा। मन भी काम की बातों को छोड़ इधर-उधर ज्यादा भटकेगा। आज के दिन प्रत्येक कार्यो में सावधान रहने की आवश्यकता है। धन के पीछे भागने की प्रवृति पर आज लगाम लगाकर रखे अन्यथा धन के साथ-साथ मान हानि भी होगी। दोपहर से पहले के भाग में पुराने कार्य पूर्ण होने से थोड़ा बहुत धन मिलने से दैनिक खर्च निकल जाएंगे। इसके बाद का समय प्रतिकूल बनता जाएगा। कार्य व्यवसाय में प्रतिस्पर्धी हर प्रकार से आपके कार्यो में व्यवधान डालने का प्रयास करेंगे। परिजनों से भी मामूली बात पर झगड़ा होगा। वाणी एवं व्यवहार से संयम बरतें। सेहत में गिरावट आने से दवाओं का सहारा लेना पड़ेगा। मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची) आज के दिन से आप कुछ विशेष उम्मीद नही लगाएंगे फिर भी आज कुछ ऐसा होगा जिसकी आपने कल्पना ही नही की। आर्थिक दृष्टिकोण से भी दिन आशा से अधिक लाभदायक रहेगा लेकिन व्यवसायी वर्ग उधार के व्यवहार से बचने का विशेष ध्यान रखें आज उधार दिया धन निश्चित ही फंसेगा इसके विपरीत किसी से लिये उधार चुकाना आज शुभ रहेगा। नौकरी पेशा जातक अधिकारियों से बात मनवाने के लिए कुछ गलत तरीके अपनाएगे जिस वजह से वाद विवाद की संभावना है। धन को लेकर आज आप अधिक लालची बनेंगे। पारिवारिक आवश्यकताओं की पूर्ति में भी कटौती करेंगे जिससे महिला अथवा संतानो की नाराजगी झेलनी पड़ेगी। राणा जी खेड़ांवाली🚩 #🕉️सनातन धर्म🚩 #श्री हरि #आज का राशिफल / पंचाग ☀
🌞 *~ श्री गणेशाय नम:~*🌞 🚩 *~ हर हर महादेव~*🚩 🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 🌺 *दिनांक - 11 अक्टूबर 2025* 🌺 *दिन - शनिवार* 🌺 *विक्रम संवत 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2081)* 🌺 *शक संवत -1947* 🌺 *अयन - दक्षिणायन* 🌺 *ऋतु - शरद ॠतु* 🌺 *मास - कार्तिक (गुजरात-महाराष्ट्र आश्विन* 🌺 *पक्ष - कृष्ण* 🌺 *तिथि - पंचमी शाम 04:43 तक तत्पश्चात षष्ठी* 🌺 *नक्षत्र - रोहिणी शाम 03:20 तक तत्पश्चात मृगशिरा* 🌺 *योग - व्यतीपात दोपहर 02:07 तक तत्पश्चात वरीयान* 🌺 *राहुकाल - सुबह 09:29 से सुबह 10:57 तक* 🌺 *सूर्योदय - 06:33* 🌺 *सूर्यास्त - 06:16* 👉 *दिशाशूल - पूर्व दिशा मे* 🚩 *व्रत पर्व विवरण -* 💥 *विशेष -पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)* 🌞~*वैदिक पंचांग* ~🌞 🌞 *~ राणा जी खेड़ांवाली~*🌞 🌷 *घातक रोगों से मुक्ति पाने का उपाय* 🌷 👉🏻 *12 अक्टूबर 2025 रविवार को (दोपहर 02:16 से 13 अक्टूबर सूर्योदय तक) रविवारी सप्तमी है।* 🙏🏻 *रविवार सप्तमी के दिन बिना नमक का भोजन करें। बड़ दादा के १०८ फेरे लें । सूर्य भगवान का पूजन करें, अर्घ्य दें व भोग दिखाएँ, दान करें । तिल के तेल का दिया सूर्य भगवान को दिखाएँ ये मंत्र बोलें :-* 🌷 *"जपा कुसुम संकाशं काश्य पेयम महा द्युतिम । तमो अरिम सर्व पापघ्नं प्रणतोस्मी दिवाकर ।।"* 💥 *नोट : घर में कोई बीमार रहता हो या घातक बीमारी हो तो परिवार का सदस्य ये विधि करें तो बीमारी दूर होगी ।* 🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞 🌷 *मंत्र जप एवं शुभ संकल्प हेतु विशेष तिथि* 🙏🏻 *सोमवती अमावस्या, रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी, बुधवारी अष्टमी – ये चार तिथियाँ सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी हैं।* 🌷 *इनमें किया गया जप-ध्यान, स्नान , दान व श्राद्ध अक्षय होता है।* 🙏🏻 *(शिव पुराण, विद्येश्वर संहिताः अध्याया (10)* 🌞~*वैदिक पंचांग* ~🌞 🌷 *कार्तिक मास* 🌷 ➡ *07 अक्टूबर, मंगलवार से कार्तिक व्रत-स्नान प्रारंभ ।* 💥 *विशेष ~ गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार 22 अक्टूबर, बुधवार से कार्तिक मास प्रारंभ ।* 🙏🏻 *महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 106 के अनुसार “कार्तिकं तु नरो मासं यः कुर्यादेकभोजनम्। शूरश्च बहुभार्यश्च कीर्तिमांश्चैव जायते।।” जो मनुष्य कार्तिक मास में एक समय भोजन करता है, वह शूरबीर, अनेक भार्याओं से संयुक्त और कीर्तिमान होता है।* 💥 *कार्तिक में बैंगन और करेला खाना मना बताया गया है .?* 🙏🏻 *महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 66 जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में अन्न का दान करता है, वह दुर्गम संकट से पार हो जाता है और मरकर अक्षय सुख का भागी होता है ।* 🙏🏻 *शिवपुराण के अनुसार कार्तिक में गुड़ का दान करने से मधुर भोजन की प्राप्ति होती है*। 🌷 *स्कंदपुराण वैष्णवखंड के अनुसार- ‘मासानां कार्तिकः श्रेष्ठो देवानां मधुसूदनः। तीर्थ नारायणाख्यं हि त्रितयं दुर्लभं कलौ।’* ➡ *अर्थात मासों में कार्तिक, देवताओं में भगवान विष्णु और तीर्थों में नारायण तीर्थ बद्रिकाश्रम श्रेष्ठ है। ये तीनों कलियुग में अत्यंत दुर्लभ हैं।* 🌷 *स्कंदपुराण वैष्णवखंड के अनुसार- ‘न कार्तिसमो मासो न कृतेन समं युगम्‌। न वेदसदृशं शास्त्रं न तीर्थ गंगया समम्‌।’* ➡ *अर्थात कार्तिक के समान दूसरा कोई मास नहीं, सतयुगके समान कोई युग नहीं, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं और गंगाजीके समान कोई तीर्थ नहीं है।* 🙏🏻 *भगवान श्री कृष्ण को वनस्पतियों में तुलसी, पुण्य क्षेत्रों में द्वारिकापुरी, तिथियों में एकादशी और महिनों में कार्तिक विशेष प्रिय है- कृष्णप्रियो हि कार्तिक:, कार्तिक: कृष्णवल्लभ:। इसलिए कार्तिक मास को अत्यंत पवित्र और पुण्यदायक माना गया है।* 📖 *राणा जी खेड़ांवाली🚩* 🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞 🙏🍀🌷🌻🌺🌸🌹🍁🙏 #🕉️सनातन धर्म🚩 #श्री हरि #आज का राशिफल / पंचाग ☀
🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺 *********|| जय श्री राधे ||********* 🌺🙏 *महर्षि पाराशर पंचांग* 🙏🌺 🙏🌺🙏 *अथ पंचांगम्* 🙏🌺🙏 *********ll जय श्री राधे ll********* 🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺 *दिनाँक:-11/10/2025,शनिवार* पंचमी, कृष्ण पक्ष, कार्तिक """"""""""""""""""""""""""""""""""""(समाप्ति काल) तिथि-‐---------- पंचमी 16:42:52. तक पक्ष---------------------‐---- कृष्ण नक्षत्र-‐--------- रोहिणी 15:19:02 योग----------- व्यतिपत 14:05:59 करण------------- तैतुल 16:42:52 करण--------------- गर 27:25:35 वार------------------------ शनिवार माह----------------------- कार्तिक चन्द्र राशि------ वृषभ 26:23:26 चन्द्र राशि------------------ मिथुन सूर्य राशि------------------ कन्या रितु--------------------------- शरद आयन------------------ दक्षिणायण संवत्सर------‐------------ विश्वावसु संवत्सर (उत्तर) --------------सिद्धार्थी विक्रम संवत-----------------2082 गुजराती संवत-------------- 2081 शक संवत------------------ 1947 कलि संवत------‐---------- 5126 वृन्दावन सूर्योदय---------------- 06:18:09 सूर्यास्त----------------- 17:53:11 दिन काल-------------- 11:35:01 रात्री काल-------------- 12:25:30 चंद्रास्त----------------- 10:54:28 चंद्रोदय----------------- 21:11:32 लग्न---- कन्या 23°45' , 173°45' सूर्य नक्षत्र-------------------- चित्रा चन्द्र नक्षत्र------------------ रोहिणी नक्षत्र पाया------------------- लोहा *🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩* वी---- रोहिणी 09:49:31 वु---- रोहिणी 15:19:02 वे---- मृगशिरा 20:50:18 वो---- मृगशिरा 26:23:26 *💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮* ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद ============================ सूर्य= कन्या 23°49 , चित्रा 1 पे चन्द्र= वृषभ 17°30 , रोहिणी 3 वी बुध = तुला 12°52 ' स्वाति 2 रे शु क्र= कन्या 02°05, उoफाo, 2 टो मंगल= तुला 18°30 ' स्वाति 4 ता गुरु=मिथुन 29°30 पुनर्वसु, 3 हा शनि=मीन 02°58 ' पूo भा o , 4 दी राहू=(व) कुम्भ 22°20 पू o भा o, 1 से केतु= (व) सिंह 22°20 पूoफा o 3 टी ============================ *🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 🚩💮🚩* राहू काल 09:12 - 10:39 अशुभ यम घंटा 13:33 - 14:59 अशुभ गुली काल 06:18 - 07:45 अशुभ अभिजित 11:43 - 12:29 शुभ दूर मुहूर्त 07:51 - 08:37 अशुभ वर्ज्यम 08:00 - 09:28 अशुभ प्रदोष 17:53 - 20:25 शुभ 💮चोघडिया, दिन काल 06:18 07:45 अशुभ शुभ 07:45 - 09:12 शुभ रोग 09:12 - 10:39 अशुभ उद्वेग 10:39 - 12:06 अशुभ चर 12:06 13:33 शुभ लाभ 13:33 14:59 शुभ अमृत 14:59 16:26 शुभ काल 16:26 17:53 अशुभ 💮चोघडिया, रात लाभ 17:53 - 19:26 शुभ उद्वेग 19:26 - 20:59 अशुभ शुभ 20:59 - 22:33 शुभ अमृत 22:33 - 24:06* शुभ चर 24:06*-25:39* शुभ रोग 25:39* - 27:12* अशुभ काल 27:12*28:46* अशुभ लाभ 28:46* - 30:19* शुभ 💮होरा, दिन शनि 06:18- 07:16 बृहस्पति 07:16- 08:14 मंगल 08:14- 09:12 सूर्य 09:12- 10:10 शुक्र 10:10- 11:08 बुध 11:08 ‐12:06 चन्द्र 12:06- 13:04 शनि 13:04 -14:02 बृहस्पति 14:02- 14:59 मंगल 14:59 -15:57 सूर्य 15:57‐ 16:55 शुक्र 16:55 -17:53 🚩होरा, रात बुध 17:53 -18:55 चन्द्र 18:55 -19:57 शनि 19:57 -20:59 बृहस्पति 20:59 -22:02 मंगल 22:02 -23:04 सूर्य 23:04- 24:06 शुक्र 24:06-25:08 बुध 25:08‐26:10 चन्द्र 26:10‐27:12 शनि 27:12-28:14 बृहस्पति 28:14-29:17 मंगल 29:17-30:19 *🚩उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩* कन्या > 04:34 से 06:50 तक तुला > 06:50 से 09:06 तक वृश्चिक > 09:06 से 11:22 तक धनु > 11:22 से 13:30 तक मकर > 13:30 से 15:10 तक कुम्भ > 15:10 से 16:42 तक मीन > 16:42 से 18:12 तक मेष > 18:12 से 19:42 तक वृषभ > 19:42 से 21:36 तक मिथुन > 21:36 से 00:04 तक कर्क > 00:04 से 02:16 तक सिंह > 02:16 से 04:24 तक ======================= *🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार* (लगभग-वास्तविक समय के समीप) दिल्ली +10मिनट--------- जोधपुर -6 मिनट जयपुर +5 मिनट------ अहमदाबाद-8 मिनट कोटा +5 मिनट------------ मुंबई-7 मिनट लखनऊ +25 मिनट--------बीकानेर-5 मिनट कोलकाता +54-----जैसलमेर -15 मिनट *नोट*-- दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार । शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥ रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार । अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥ अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें । उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें । शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें । लाभ में व्यापार करें । रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें । काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है । अमृत में सभी शुभ कार्य करें । *💮दिशा शूल ज्ञान-------------पूर्व* परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l इस मंत्र का उच्चारण करें-: *शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l* *भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll* *🚩 अग्नि वास ज्ञान -:* *यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,* *चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।* *दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,* *नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्* *नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।* 15 + 5 + 7 + 1 = 28 ÷ 4 = 0 शेष पृथ्वी लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l *🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩* सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है मंगल ग्रह मुखहुति *💮 शिव वास एवं फल -:* 20 + 20 + 5 = 45 ÷ 7 = 3 शेष वृषभारूढ़ = शुभ कारक *🚩भद्रा वास एवं फल -:* *स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।* *मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।* *💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮* *सर्वार्थ, अमृत सिद्धि योग 15:19 तक *💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮* अधमा धनमिइच्छन्ति धनं मानं च मध्यमाः । उत्तमा मानमिच्छन्ति मानो हि महतां धनम् ।। ।।चाo नीo।। नीच वर्ग के लोग दौलत चाहते है, मध्यम वर्ग के दौलत और इज्जत, लेकिन उच्च वर्ग के लोग सम्मान चाहते है क्यों की सम्मान ही उच्च लोगो की असली दौलत है. *🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩* गीता -: सांख्ययोग - अo-2 आश्चर्यवत्पश्यति कश्चिदेन- माश्चर्यवद्वदति तथैव चान्यः। आश्चर्यवच्चैनमन्यः श्रृणोति श्रुत्वाप्येनं वेद न चैव कश्चित्‌॥ कोई एक महापुरुष ही इस आत्मा को आश्चर्य की भाँति देखता है और वैसे ही दूसरा कोई महापुरुष ही इसके तत्व का आश्चर्य की भाँति वर्णन करता है तथा दूसरा कोई अधिकारी पुरुष ही इसे आश्चर्य की भाँति सुनता है और कोई-कोई तो सुनकर भी इसको नहीं जानता ।।29।। *💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮* देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके। नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।। विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे। जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।। 🐏मेष शारीरिक कष्ट संभव है। अनहोनी की आशंका रहेगी। घर में अतिथियों का आगमन होगा। दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। आराम का वक्त मिलेगा। घर-परिवार में प्रसन्नता तथा संतुष्टि से जीवन निर्वाह होगा। आय में वृद्धि होगी। 🐂वृष परीक्षा, प्रतियोगिता व साक्षात्कार आदि में सफलता मिलेगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ के योग हैं। सट्टे व लॉटरी से दूर रहें। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल चलेगा। निवेश आदि शुभ फल देंगे। भाग्य का साथ रहेगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। जल्दबाजी न करें। 👫मिथुन पुराना रोग उभर सकता है। वाहन, मशीनरी व अग्नि आदि के प्रयोग में सावधानी रखें। किसी व्यक्ति विशेष से विवाद हो सकता है। मान घटेगा। किसी भी अपरिचित की बातों में न आएं। जल्दबाजी न करें। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। विवेक से कार्य करें। धनार्जन होगा। 🦀कर्क यात्रा लाभदायक रहेगी। बकाया लेनदारी वसूल होगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। रोजगार में वृद्धि होगी। शत्रु सक्रिय रहेंगे। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल चलेगा। धन प्राप्ति सुगम होगी। भाग्य का साथ रहेगा। निवेशादि शुभ फल देगा। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। 🐅सिंह नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। नए कार्य मिल सकते हैं। सामाजिक कार्य करने का मन बनेगा। मान-सम्मान प्राप्त होगा। आय में वृद्धि होगी। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। भाग्य का साथ मिलेगा। घर-परिवार की चिंता रहेगी। प्रतिद्वंद्वी शांत रहेंगे। जल्दबाजी न करें। 🙎कन्या दुष्टजनों से दूर बनाएं। धार्मिक कार्य, पूजा-पाठ-दान इत्यादि में खर्च होगा। कोर्ट व कचहरी तथा सरकारी कार्यालयों में रुके कार्य मनोनुकूल रहेंगे। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड इत्यादि में लाभ होगा। शारीरिक कष्ट के योग हैं, सावधानी रखें। ⚖तुला पुराना रोग परेशानी का कारण बन सकता है। वाहन, मशीनरी व अग्नि आदि के प्रयोग में सावधानी रखें। किसी विशेष व्यक्ति से अकारण विवाद हो सकता है। आशंका-कुशंका के चलते निर्णय लेने की क्षमता घटेगी। महत्वपूर्ण निर्णय लेने में जल्दबाजी न करें। धनार्जन होगा। 🦂वृश्चिक शत्रु नतमस्तक होंगे। आराम का वक्त प्राप्त होगा। चैन की सांस ले पाएंगे। थकान व कमजोरी रह सकती है। लेन-देन में सावधानी रखें। धन प्राप्ति सुगम होगी। निवेश शुभ फल देगा। कारोबार में वृद्धि होगी। वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। प्रमाद न करें। 🏹धनु प्रेम-प्रसंग में जल्दबाजी न करें। अज्ञात भय रहेगा। शारीरिक कष्ट संभव है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। भूमि व भवन संबंधी खरीद-फरोख्त की योजना बनेगी। कोई कारोबारी बड़ा सौदा हो सकता है। बेरोजगारी दूर होगी। 🐊मकर विद्यार्थी वर्ग अपने कार्य में सफलता प्राप्त करेगा। अध्ययन संबंधी बाधा दूर होगी। किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। मित्रों के साथ समय अच्छा व्यतीत होगा। आय के साधनों में वृद्धि होगी। प्रसन्नता रहेगी। 🍯कुंभ पुराना रोग उभर सकता है। बेवजह विवाद की स्थिति निर्मित होगी। दु:खद समाचार प्राप्त हो सकता है। नकारात्मकता रहेगी। भागदौड़ अधिक होगी। दुविधा रहेगी। जोखिम बिलकुल नहीं लें। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी। समय नेष्ट है। 🐟मीन थोड़े प्रयास से काम बनेंगे। कार्य की प्रशंसा होगी। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। धनलाभ के अवसर हाथ आएंगे। मान-सम्मान प्राप्त होगा। मित्रों का सहयोग कर पाएंगे। उत्साव व एकाग्रता में वृद्धि होगी। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल रहेगा। शुभ समय। 🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏 🌺🌺🌺🌺🙏🌺🌺🌺🌺 #🕉️सनातन धर्म🚩 #श्री हरि #आज का राशिफल / पंचाग ☀
*‼️🚩 श्रीसीतारामचन्द्राभ्यां नमः 🚩‼️* *श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण किष्किंधाकाण्ड* *📖 ( छठवां- सर्ग) 📖* *✍️सुग्रीवका श्रीरामको सीताजीके आभूषण दिखाना तथा श्रीरामका शोक एवं रोषपूर्ण वचन* ======================= सुग्रीवने पुनः प्रसन्नतापूर्वक रघुकुलनन्दन श्रीरामचन्द्रजीसे कहा—'श्रीराम! मेरे मन्त्रियोंमें श्रेष्ठ सचिव ये हनुमान्‌जी आपके विषयमें वह सारा वृत्तान्त बता चुके हैं, जिसके कारण आपको इस निर्जन वनमें आना पड़ा है॥१½॥ 'अपने भाई लक्ष्मणके साथ जब आप वनमें निवास करते थे, उस समय राक्षस रावणने आपकी पत्नी मिथिलेशकुमारी जनकनन्दिनी सीताको हर लिया। उस वेलामें आप उनसे अलग थे और बुद्धिमान् लक्ष्मण भी उन्हें अकेली छोड़‌कर चले गये थे। राक्षस इसी अवसरकी प्रतीक्षामें था। उसने गीध जटायुका वध करके रोती हुई सीताका अपहरण किया है। इस प्रकार उस राक्षसने आपको पत्नी-वियोगके कष्टमें डाल दिया है॥२-४॥ 'परंतु इस पत्नी-वियोगके दुःखसे आप शीघ्र ही मुक्त हो जायँगे। मैं राक्षसद्वारा हरी गयी वेद वाणी के समान आपकी पत्नी को वापस ला दूँगा॥५॥ 'शत्रुदमन श्रीराम! आपकी भार्या सीता पातालमें हों या आकाशमें, मैं उन्हें ढूँढ़ लाकर आपकी सेवामें समर्पित कर दूँगा॥६॥ 'रघुनन्दन! आप मेरी इस बातको सत्य मानें। महाबाहो! आपकी पत्नी जहर मिलाये हुए भोजनकी भाँति दूसरोंके लिये अग्राह्य है। इन्द्रसहित सम्पूर्ण देवता और असुर भी उन्हें पचा नहीं सकते। आप शोक त्याग दीजिये। मैं आपकी प्राणवल्लभाको अवश्य ला दूँगा॥७॥ 'एक दिन मैंने देखा, भयंकर कर्म करनेवाला कोई राक्षस किसी स्त्रीको लिये जा रहा है। मैं अनुमानसे समझता हूँ, वे मिथिलेशकुमारी सीता ही रही होंगी, इसमें संशय नहीं है; क्योंकि वे टूटे हुए स्वरमें 'हा राम! हा राम! हा लक्ष्मण! पुकारती हुई रो रही थीं तथा रावणकी गोदमें नागराजकी वधू (नागिन) की भाँति छटपटाती हुई प्रकाशित हो रही थीं॥८-१०॥ 'चार मन्त्रियोंसहित पाँचवाँ मैं इस शैल-शिखरपर बैठा हुआ था। मुझे देखकर देवी सीताने अपनी चादर और कई सुन्दर आभूषण ऊपरसे गिराये॥११॥ 'रघुनन्दन! वे सब वस्तुएँ हमलोगोंने लेकर रख ली हैं। मैं अभी उन्हें लाता हूँ, आप उन्हें पहचान सकते हैं'॥१२॥ तब श्रीरामने यह प्रिय संवाद सुनानेवाले सुग्रीवसे कहा—'सखे! शीघ्र ले आओ, क्यों विलम्ब करते हो?'॥१३॥ उनके ऐसा कहनेपर सुग्रीव शीघ्र ही श्रीरामचन्द्रजीका प्रिय करनेकी इच्छासे पर्वतकी एक गहन गुफामें गये और चादर तथा वे आभूषण लेकर निकल आये। बाहर आकर वानरराजने 'लीजिये, यह देखिये' ऐसा कहकर श्रीरामको वे सारे आभूषण दिखाये॥१४-१५॥ उन वस्त्र और सुन्दर आभूषणोंको लेकर श्रीरामचन्द्रजी कुहासेसे ढके हुए चन्द्रमाकी भाँति आँसुओंसे अवरुद्ध हो गये॥१६॥ सीताके स्नेहवश बहते हुए आँसुओंसे उनका मुख और वक्षःस्थल भीगने लगे। वे 'हा प्रिये!' ऐसा कहकर रोने लगे और धैर्य छोड़कर पृथ्वीपर गिर पड़े॥१७॥ उन उत्तम आभूषणोंको बारम्बार हृदयसे लगाकर वे बिलमें बैठे हुए रोषमें भरे सर्पकी भाँति जोर-जोरसे साँस लेने लगे॥१८॥ उनके आँसुओंका वेग रुकता ही नहीं था। अपने पास खड़े हुए सुमित्राकुमार लक्ष्मणकी ओर देखकर श्रीराम दीनभावसे विलाप करते हुए बोले—॥१९॥ 'लक्ष्मण! देखो, राक्षसके द्वारा हरी जाती हुई विदेहनन्दिनी सीताने यह चादर और ये गहने अपने शरीरसे उतारकर पृथ्वीपर डाल दिये थे॥२०॥ 'निशाचरके द्वारा अपहृत होती हुई सीताके द्वारा त्यागे गये ये आभूषण निश्चय ही घासवाली भूमिपर गिरे होंगे; क्योंकि इनका रूप ज्यों-का-त्यों दिखायी देता है—ये टूटे-फूटे नहीं हैं'॥२१॥ श्रीरामके ऐसा कहनेपर लक्ष्मण बोले—'भैया! मैं इन बाजूबंदोंको तो नहीं जानता और न इन कुण्डलोंको ही समझ पाता हूँ कि किसके हैं; परंतु प्रतिदिन भाभीके चरणोंमें प्रणाम करनेके कारण मैं इन दोनों नूपुरोंको अवश्य पहचानता हूँ'॥२२½॥ तब श्रीरघुनाथजी सुग्रीवसे इस प्रकार बोले—'सुग्रीव! तुमने तो देखा है, वह भयंकर रूपधारी राक्षस मेरी प्राणप्यारी सीताको किस दिशाकी ओर ले गया है, यह बताओ॥२३-२४॥ 'मुझे महान् संकट देनेवाला वह राक्षस कहाँ रहता है? मैं केवल उसीके अपराधके कारण समस्त राक्षसोंका विनाश कर डालूँगा॥२५॥ 'उस राक्षसने मैथिलीका अपहरण करके मेरा रोष बढ़ाकर निश्चय ही अपने जीवनका अन्त करनेके लिये मौतका दरवाजा खोल दिया है॥२६॥ 'वानरराज! जिस निशाचरने मुझे धोखेमें डालकर मेरा अपमान करके मेरी प्रियतमाका वनसे अपहरण किया है, वह मेरा घोर शत्रु है। तुम उसका पता बताओं। मैं अभी उसे यमराजके पास पहुँचाता हूँ'॥२७॥ *इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके किष्किन्धाकाण्डमें छठा सर्ग पूरा हुआ॥६॥* *🚩राणा जी खेड़ांवाली🚩* *🚩 जय जय श्री सीताराम 🚩* 🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷🪷 #🕉️सनातन धर्म🚩 #🙏रामायण🕉 #🙏श्री राम भक्त हनुमान🚩 #🎶जय श्री राम🚩
*आनन्दरामायणम्* *श्रीसीतापतये नमः* *श्रीवाल्मीकि महामुनि कृत शतकोटि रामचरितान्तर्गतं ('ज्योत्स्ना' हृया भाषा टीकयाऽटीकितम्)* *(सारकाण्डम्) नवम सर्गः* 🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀 *(राम का दण्डकवन में प्रवेश)...(दिन 66)* 🏹🏹🏹🏹🏹🏹🏹🏹🏹🏹🏹🏹 तिसपर जब हनुमान्‌ ने अपने को अमर बतलाया तो भी बात को सच न मानकर रावण ने फिर से कहा कि सच-सच बतला ।। १८१ ॥ तब मारुति मन में विचारने लगे कि अग्नि मेरे पिता के मित्र हैं। इसलिये मुझे डरने की कोई बात नहीं है ।। १८२ ॥ इसलिए अपनी पूछ जलवाकर मैं लङ्का को ही जला डालूँगा। यह विचारकर सभा में स्थित रावण से हनुमान्‌ ने कहा- ।। १८३ ।। मेरी पूछ अग्नि से जल सकती है, यह पक्की बात है। यह सुनकर रावण ने अपने नौकरों को बुलाकर आज्ञा दी कि प्रयत्नपूर्वक इसकी पूछ जलाकर इसे नगरभर में घुमाकर दिखला दो। जिससे कि समस्त शत्रुओं को मेरा डर लगने लगे। नौकरों ने भी वैसा ही किया और शीघ्र ही राक्षसों ने सन तथा वस्त्रों को तेल में भिगोकर पूंछ पर लपेट दिया। वस्त्र जब कुछ कम पड़ गये, तब वाजार के गोदामों से कपड़े चुराकर घर के वस्त्र लाकर और रावण की आज्ञा से उन्हों से लंका-के नर-नारियों के वस्त्र छीनकर हनुमान्‌ को पौंछ में लपेटा। ऐसा करके उन्होंने सारे नगर के लोगों को नंगा कर दिया। तथापि जब पूंछ नहीं ढकी तो शय्या के मण्डप (मशहरी), कंचुकियों के चोंगे, पुरवासियों तथा राजा के महलों के बस्त्र लाकर लपेट दिये। तिसपर भी जब पूरा नहीं पड़ा तो सभासदों तथा राजा के वस्त्र लाकर काट दिये गये। ध्वजाएँ तथा पताकाएँ ला-लाकर लपेटी गयीं। रानी मन्दोदरी, साधु-महात्माओं तथा भिक्षुकों के बस्त्र उतार-उतारकर लपेट दिये और सीता की भी साड़ी उतारने के लिए कुछ दूत दौड़े ॥ १८४-१६२ ॥ यह देखकर हनुमान्‌ ने पूछ बढ़ाना बन्द कर दिया। तब प्रत्येक घर में तेल आदि के लिए कोलाहल होने लगा। वे दैत्य सबके यहाँ का घी तथा तेल उठा लाये। यहाँ तक कि किसी घर में दीपक के लिए तेल और बालकों के लिए भी घी नहीं बच पाया ॥ १६३॥ १६४ ।। समस्त स्त्री-पुरुषों को लज्जा छोड़कर नङ्गा होना पड़ा। तब वे हनुमान्‌ की पूंछ धौकनी से धोंककर अग्नि के द्वारा जलाने लगे ।। १९५ ॥ परन्तु अग्नि प्रदीप्त नहीं हुई। उस समय हनुमान ने कहा कि यदि लज्जित रावण स्वयं अपने मुख से फूंककर जलाये तो अग्नि जल सकती है। हनुमान्‌ की बात सुनकर रावण तुरन्त आगे बढ़ा ॥ १६६ ॥ ११७ ॥ ज्यों ही उसने अपने मुख से अग्नि को फूंकना प्रारम्भ किया, ज्यों ही उसके सिरों के बाल तथा दाढ़ी-मूंछ जल गयी ॥१९८॥ क्रमशः... जय सिया राम🙏 राणा जी खेड़ांवाली🚩 #🎶जय श्री राम🚩 #🙏श्री राम भक्त हनुमान🚩 #🙏रामायण🕉 #🕉️सनातन धर्म🚩
*अजामिल कथा श्रीमद भागवत पुराण* 🏵🏵🏵🏵🏵🏵🏵🏵🏵🏵🏵🏵 कान्यकुब्ज (कन्नौज) में एक दासी पति ब्राम्हण रहता था। उसका नाम अजामिल था। यह अजामिल बड़ा शास्त्रज्ञ था। शील, सदाचार और सद्गुणों का तो यह खजाना ही था। ब्रम्हचारी, विनयी, जितेन्द्रिय, सत्यनिष्ठ, मन्त्रवेत्ता और पवित्र भी था। इसने गुरु, संत-महात्माओं सबकी सेवा की थी। एक बार अपने पिता के आदेशानुसार वन में गया और वहाँ से फल-फूल, समिधा तथा कुश लेकर घर के लिये लौटा। लौटते समय इसने देखा की एक व्यक्ति मदिरा पीकर किसी वेश्या के साथ विहार कर रहा है। वेश्या भी शराब पीकर मतवाली हो रही है। अजामिल ने पाप किया नहीं केवल आँखों से देखा और काम के वश हो गया । अजामिल ने अपने मन को रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन नाकाम रहा। अब यह मन-ही-मन उसी वेश्या का चिन्तन करने लगा और अपने धर्म से विमुख हो गया । अजामिल सुन्दर-सुन्दर वस्त्र-आभूषण आदि वस्तुएँ, जिनसे वह प्रसन्न होती, ले आता। यहाँ तक कि इसने अपने पिता की सारी सम्पत्ति देकर भी उसी कुलटा को रिझाया। यह ब्राम्हण उसी प्रकार की चेष्टा करता, जिससे वह वेश्या प्रसन्न हो। इस वेश्या के चक्कर में इसने अपने कुलीन नवयुवती और विवाहिता पत्नी तक का परित्याग कर दिया और उस वैश्या के साथ रहने लगा। इसने बहुत दिनों तक वेश्या के मल-समान अपवित्र अन्न से अपना जीवन व्यतीत किया और अपना सारा जीवन ही पापमय कर लिया। यह कुबुद्धि न्याय से, अन्याय से जैसे भी जहाँ कहीं भी धन मिलता, वहीं से उठा लाता। उस वेश्या के बड़े कुटुम्ब का पालन करने में ही यह व्यस्त रहता। चोरी से, जुए से और धोखा-धड़ी से अपने परिवार का पेट पलटा था। एक बार कुछ संत इसके गांव में आये। गाँव के बाहर संतों ने कुछ लोगों से पूछा की भैया, किसी ब्राह्मण का घर बताइए हमें वहां पर रात गुजारनी है। इन लोगों ने संतों के साथ मजाक किया और कहा- संतों- हमारे गाँव में तो एक ही श्रेष्ठ ब्राह्मण है जिसका नाम है अजामिल। और इतना बड़ा भगवान का भक्त है की गाँव के अंदर नहीं रहता गाँव के बाहर ही रहता है। अब संत जन अजामिल के घर पहुंचे और दरवाजा खटखटाया- भक्त अजामिल दरवाजा खोलो। जैसे ही अजामिल ने आज दरवाजा खोला तो संतों के दर्शन करते ही मानो आज अपने पुराने अच्छे कर्म उसे याद आ गए। संतों ने कहा की भैया- रात बहुत हो गई है आप हमारे लिए भोजन और सोने का प्रबंध कीजिये।अजामिल ने सुंदर भोजन तैयार करवाया और संतो को करवाया। जब अजामिल ने संतों से सोने के लिए कहा तो संत कहते हैं भैया- हम प्रतिदिन सोने से पहले कीर्तन करते हैं। यदि आपको समस्या न हो तो हम कीर्तन करलें? अजामिल ने कहा- आप ही का घर है महाराज! जो दिल में आये सो करो। संतों ने सुंदर कीर्तन प्रारम्भ किया और उस कीर्तन में अजामिल बैठा। सारी रात कीर्तन चला और अजामिल की आँखों से खूब आसूं गिरे हैं। मानो आज आँखों से आंसू नहीं पाप धूल गए हैं। सारी रात भगवान का नाम लिया । जब सुबह हुई संत जन चलने लगे तो अजामिल ने कहा- महात्माओं, मुझे क्षमा कर दीजिये। मैं कोई भक्त वक्त नहीं हूँ। मैं तो एक मह पापी हूँ। मैं वैश्या के साथ रहता हूँ। और मुझे गाँव से बाहर निकाल दिया गया है। केवल आपकी सेवा के लिए मैंने आपको भोजन करवाया। नहीं तो मुझसे बड़ा पापी कोई नहीं है। संतों ने कहा- अरे अजामिल! तूने ये बात हमें कल क्यों नहीं बताई, हम तेरे घर में रुकते ही नहीं। अब तूने हमें आश्रय दिया है तो चिंता मत कर। ये बता तेरे घर में कितने बालक हैं। अजामिल ने बता दिया की महाराज 9 बच्चे हैं और अभी ये गर्भवती है। संतों ने कहा की अबके जो तेरे संतान होंगी वो तेरे पुत्र होगा। और तू उसका नाम “नारायण” रखना। जा तेरा कल्याण हो जायेगा। संत जन आशीर्वाद देकर चले गए। समय बिता उसके पुत्र हुआ। नाम रखा नारायण। अजामिल अपने नारायण पुत्र में बहुत आशक्त था। अजामिल ने अपना सम्पूर्ण हृदय अपने बच्चे नारायण को सौंप दिया था। हर समय अजामिल कहता था- नारायण भोजन करलो। नारायण पानी पी लो। नारायण तुम्हारा खेलने का समय है तुम खेल लो। हर समय नारायण नारायण करता था। इस तरह अट्ठासी वर्ष बीत गए। वह अतिशय मूढ़ हो गया था, उसे इस बात का पता ही न चला कि मृत्यु मेरे सिर पर आ पहुँची है । अब वह अपने पुत्र बालक नारायण के सम्बन्ध में ही सोचने-विचारने लगा। इतने में ही अजामिल ने देखा कि उसे ले जाने के लिये अत्यन्त भयावने तीन यमदूत आये हैं। उनके हाथों में फाँसी है, मुँह टेढ़े-टेढ़े हैं और शरीर के रोएँ खड़े हुए हैं । उस समय बालक नारायण वहाँ से कुछ दूरी पर खेल रहा था। यमदूतों को देखकर अजामिल डर गया और अपने पुत्र को कहता हैं-नारायण! नारायण मेरी रक्षा करो! नारायण मुझे बचाओ! भगवान् के पार्षदों ने देखा कि यह मरते समय हमारे स्वामी भगवान् नारायण का नाम ले रहा है, उनके नाम का कीर्तन कर रहा है; अतः वे बड़े वेग से झटपट वहाँ आ पहुँचे । उस समय यमराज के दूर दासीपति अजामिल के शरीर में से उसके सूक्ष्म शरीर को खींच रहे थे। विष्णु दूतों ने बलपूर्वक रोक दिया । उनके रोकने पर यमराज के दूतों ने उनसे कहा‘अरे, धर्मराज की आज्ञा का निषेध करने वाले तुम लोग हो कौन ? तुम किसके दूत हो, कहाँ से आये हो और इसे ले जाने से हमें क्यों रोक रहे हो। जब यमदूतों ने इस प्रकार कहा, तब भगवान् नारायण के आज्ञाकारी पार्षदों ने हँसकर कहा—यमदूतों! यदि तुम लोग सचमुच धर्मराज के आज्ञाकारी हो तो हमें धर्म का लक्षण और धर्म का तत्व सुनाओ । दण्ड का पात्र कौन है ? यमदूतों ने कहा—वेदों ने जिन कर्मों का विधान किया है, वे धर्म हैं और जिनका निषेध किया है, वे अधर्म हैं। वेद स्वयं भगवान् के स्वरुप हैं। वे उनके स्वाभाविक श्वास-प्रश्वास एवं स्वयं प्रकाश ज्ञान हैं—ऐसा हमने सुना है । पाप कर्म करने वाले सभी मनुष्य अपने-अपने कर्मों के अनुसार दण्डनीय होते हैं । भगवान् के पार्षदों ने कहा—यमदूतों! यह बड़े आश्चर्य और खेद की बात है कि धर्मज्ञों की सभा में अधर्म प्रवेश कर रह है, क्योंकि वहाँ निरपराध और अदण्डनीय व्यक्तियों को व्यर्थ ही दण्ड दिया जाता है । यमदूतों! इसने कोटि-कोटि जन्मों की पाप-राशि का पूरा-पूरा प्रायश्चित कर लिया है। क्योंकि इसने विवश होकर ही सही, भगवान् के परम कल्याणमय (मोक्षप्रद) नाम का उच्चारण तो किया है । जिस समय इसने ‘नारायण’ इन चार अक्षरों का उच्चारण किया, उसी समय केवल उतने से ही इस पापी के समस्त पापों का प्रायश्चित हो गया । चोर, शराबी, मित्रद्रोही, ब्रम्हघाती, गुरुपत्नीगामी, ऐसे लोगों का संसर्गी; स्त्री, राजा, पिता और गाय को मारने वाला, चाहे जैसा और चाहे जितना बड़ा पापी हो, सभी के लिये यही—इतना ही सबसे बड़ा प्रायश्चित है कि भगवान् के नामों का उच्चारण किया जाय; क्योंकि भगवन्नामों के उच्चारण से मनुष्य की बुद्धि भगवान् के गुण, लीला और स्वरुप में रम जाती है और स्वयं भगवान् की उसके प्रति आत्मीय बुद्धि हो जाती है । तुम लोग अजामिल को मत ले जाओ। इसने सारे पापों का प्रायश्चित कर लिया है, क्योंकि इसने मरते समय भगवान् के नाम का उच्चारण किया है। इस प्रकार भगवान् के पार्षदों ने भागवत-धर्म का पूरा-पूरा निर्णय सुना दिया और अजामिल को यमदूतों के पाश से छुड़ाकर मृत्यु के मुख से बचा लिया भगवान् की महिमा सुनने से अजामिल के हृदय में शीघ्र ही भक्ति का उदय हो गया। अब उसे अपने पापों को याद करके बड़ा पश्चाताप होने लगा । (अजामिल मन-ही-मन सोचने लगा—) ‘अरे, मैं कैसा इन्द्रियों का दास हूँ! मैंने एक दासी के गर्भ से पुत्र उत्पन्न करके अपना ब्राम्हणत्व नष्ट कर दिया। यह बड़े दुःख की बात है। धिक्कार है! मुझे बार-बार धिक्कार है! मैं संतों के द्वारा निन्दित हूँ, पापात्मा हूँ! मैंने अपने कुल में कलंक का टीका लगा दिया! मेरे माँ-बाप बूढ़े और तपस्वी थे। मैंने उनका भी परित्याग कर दिया। ओह! मैं कितना कृतघ्न हूँ। मैं अब अवश्य ही अत्यन्त भयावने नरक में गिरूँगा, जिसमें गिरकर धर्मघाती पापात्मा कामी पुरुष अनेकों प्रकार की यमयातना भोगते हैं। कहाँ तो मैं महाकपटी, पापी, निर्लज्ज और ब्रम्हतेज को नष्ट करने वाला तथा कहाँ भगवान् का वह परम मंगलमय ‘नारायण’ नाम! (सचमुच मैं तो कृतार्थ हो गया)। अब मैं अपने मन, इन्द्रिय और प्राणों को वश में करके ऐसा प्रयत्न करूँगा कि फिर अपने को घोर अन्धकारमय नरक में न डालूँ । मैंने यमदूतों के डर अपने पुत्र “नारायण” को पुकारा। और भगवान के पार्षद प्रकट हो गए यदि मैं वास्तव में नारायण को पुकारता तो क्या आज श्री नारायण मेरे सामने प्रकट नहीं हो जाते? अब अजामिल के चित्त में संसार के प्रति तीव्र वैराग्य हो गया। वे सबसे सम्बन्ध और मोह को छोड़कर हरिद्वार चले गये। उस देवस्थान में जाकर वे भगवान् के मन्दिर में आसन से बैठ गये और उन्होंने योग मार्ग का आश्रय लेकर अपनी सारी इन्द्रियों को विषयों से हटाकर मन में लीन कर लिया और मन को बुद्धि में मिला दिया। इसके बाद आत्मचिन्तन के द्वारा उन्होंने बुद्धि को विषयों से पृथक् कर लिया तथा भगवान् के धाम अनुभव स्वरुप परब्रम्ह में जोड़ दिया । इस प्रकार जब अजामिल की बुद्धि त्रिगुणमयी प्रकृति से ऊपर उठकर भगवान् के स्वरुप में स्थित हो गयी, तब उन्होंने देखा कि उनके सामने वे ही चारों पार्षद, जिन्हें उन्होंने पहले देखा था, खड़े हैं। अजामिल ने सिर झुकाकर उन्हें नमस्कार किया। उनका दर्शन पाने के बाद उन्होंने उस तीर्थस्थान में गंगा के तट पर अपना शरीर त्याग दिया और तत्काल भगवान् के पार्षदों का स्वरुप प्राप्त कर दिया । अजामिल भगवान् के पार्षदों के साथ स्वर्णमय विमान पर आरूढ़ होकर आकाश मार्ग से भगवान् लक्ष्मीपति के निवास स्थान वैकुण्ठ को चले गये। राणा जी खेड़ांवाली🚩 #🕉️सनातन धर्म🚩 #🌸 जय श्री कृष्ण😇
*श्रीहरि विष्णु के अवतार ऋषभदेव* 🌲🌲🌲🌲🌲🌲🌲🌲🌲🌲🌲🌲 भगवान विष्णु ने ऋषभदेव के रूप में अवतार लिया। धर्म ग्रंथों के अनुसार महाराज नाभि की कोई संतान नहीं थी। इस कारण उन्होंने अपनी धर्मपत्नी मेरुदेवी के साथ पुत्र की कामना से यज्ञ किया। यज्ञ से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु स्वयं प्रकट हुए और उन्होंने महाराज नाभि को वरदान दिया कि मैं ही तुम्हारे यहां पुत्र रूप में जन्म लूंगा। यज्ञ में परम ऋषियों द्वारा प्रसन्न किए जाने पर, हे विष्णुदत्त, परीक्षित स्वयं श्रीभगवान विष्णु महाराज नाभि का प्रिय करने के लिए महारानी मेरुदेवी के गर्भ में आए। उन्होंने इस पवित्र शरीर का अवतार वातरशना श्रमण मुनियों के धर्मों को प्रकट करने की इच्छा से ग्रहण किया- भागवत पुराण। वरदान स्वरूप कुछ समय बाद भगवान विष्णु महाराज नाभि के यहां पुत्र रूप में जन्मे। पुत्र के अत्यंत सुंदर सुगठित शरीर, कीर्ति, तेल, बल, ऐश्वर्य, यश, पराक्रम और शूरवीरता आदि गुणों को देखकर महाराज नाभि ने उसका नाम ऋषभ (श्रेष्ठ) रखा। भगवान शिव और ऋषभदेव की वेशभूषा और चरित्र में लगभग समानता है। दोनों ही प्रथम कहे गए हैं अर्थात आदिदेव। दोनों को ही नाथों का नाथ आदिनाथ कहा जाता है। दोनों ही जटाधारी और दिगंबर हैं। दोनों के लिए 'हर' शब्द का प्रयोग किया जाता है। आचार्य जिनसेन ने 'हर' शब्द का प्रयोग ऋषभदेव के लिए किया है। दोनों ही कैलाशवासी हैं। ऋषभदेव ने कैलाश पर्वत पर ही तपस्या कर कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया था। दोनों के ही दो प्रमुख पुत्र थे। दोनों का ही संबंध नंदी बैल से है। ऋषभदेव का चरण चिन्ह बैल है। शिव, पार्वती के संग हैं तो ऋषभ भी पार्वत्य वृत्ती के हैं। दोनों ही मयूर पिच्छिकाधारी हैं। दोनों की मान्यताओं में फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी और चतुर्दशी का महत्व है। शिव चंद्रांकित है तो ऋषभ भी चंद्र जैसे मुखमंडल से सुशोभित है। सिंधु घाटी की मूर्तियों में बैल की आकृतियों वाली मूर्ति को भगवान ऋषभनाथ से जोड़कर इसलिए देखा जाता। मोहन जोदड़ो और हड़प्पा से प्राप्त मोहरों में जो मुद्रा अंकित है, वह मथुरा की ऋषभदेव की मूर्ति के समान है व मुद्रा के नीचे ऋषभदेव का सूचक बैल का चिह्न भी मिलता है। मुद्रा के चित्रण को चक्रवर्ती सम्राट भरत से जोड़कर देखा जाता है। इसमें दाईं ओर नग्न कायोत्सर्ग मुद्रा में भगवान ऋषभदेव हैं जिनके शिरोभाग पर एक त्रिशूल है, जो त्रिरत्नत्रय जीवन का प्रतीक है। निकट ही शीश झुकाए उनके ज्येष्ठ पुत्र चक्रवर्ती भरत हैं, जो उष्णीब धारण किए हुए राजसी ठाठ में हैं। भरत के पीछे एक बैल है, जो ऋषभनाथ का चिन्ह है। अधोभाग में 7 प्रधान अमात्य हैं। हालांकि हिन्दू मान्यता अनुसार इस मुद्रा में राजा दक्ष का सिर भगवान शंकर के सामने रखा है और उस सिर के पास वीरभद्र शीश झुकाए बैठे हैं। यह सती के यज्ञ में दाह होने के बाद का चित्रण है। अयोध्या के राजा नाभिराज के पुत्र ऋषभ अपने पिता की मृत्यु के बाद राजसिंहासन पर बैठे। युवा होने पर कच्छ और महाकच्‍छ की 2 बहनों यशस्वती (या नंदा) और सुनंदा से ऋषभनाथ का विवाह हुआ। नंदा ने भरत को जन्म दिया, जो आगे चलकर चक्रवर्ती सम्राट बना। उसी के नाम पर हमारे देश का नाम 'भारत' पड़ा। सुनंदा ने बाहुबली को जन्म दिया जिन्होंने घनघोर तप किया और अनेक सिद्धियां प्राप्त कीं। इस प्रकार आदिनाथ ऋषभनाथ 100 पुत्रों और ब्राह्मी तथा सुंदरी नामक 2 पुत्रियों के पिता बने। भगवान ऋषभदेव ने मानव समाज को सभ्य और संपन्न बनाने में जो योगदान दिया है, उसके महत्व को सभी धर्मों के लोगों को समझने की आवश्यकता है। एक दिन राजसभा में नीलांजना नाम की नर्तकी की नृत्य करते-करते ही मृत्यु हो गई। इस घटना से ऋषभदेव को संसार से वैराग्य हो गया और वे राज्य और समाज की नीति और नियम की शिक्षा देने के बाद राज्य का परित्याग कर तपस्या करने वन चले गए। उनके ज्येष्ठ पु‍त्र भरत राजा हुए और उन्होंने अपने दिग्विजय अभियान द्वारा सर्वप्रथम चक्रवर्ती पद प्राप्त किया। भरत के लघु भ्राता बाहुबली भी विरक्त होकर तपस्या में प्रवृत्त हो गए। राजा भरत के नाम पर ही संपूर्ण जम्बूद्वीप को भारतवर्ष कहा जाने लगा। अंतत: ऋषभदेव के बाद उनके पुत्र भरत ने जहां पिता द्वारा प्रदत्त राजनीति और समाज के विकास और व्यवस्थीकरण के लिए कार्य किया, वहीं उनके दूसरे पुत्र भगवान बाहुबली ने पिता की श्रमण परंपरा को विस्तार दिया। ऋग्वेद में ऋषभदेव की चर्चा वृषभनाथ और कहीं-कहीं वातरशना मुनि के नाम से की गई है। शिव महापुराण में उन्हें शिव के 28 योगावतारों में गिना गया है। अंतत: माना यह जाता है कि ऋषभनाथ से ही श्रमण परंपरा की व्यवस्थित शुरुआत हुई और इन्हीं से सिद्धों, नाथों तथा शैव परंपरा के अन्य मार्गों की शुरुआत भी मानी गई है। इसलिए ऋषभनाथ जितने जैनियों के लिए महत्वपूर्ण हैं, उतने ही हिन्दुओं के लिए भी परम आदरणीय इतिहास पुरुष रहे हैं। हिन्दू और जैन धर्म के इतिहास में यह एक मील का पत्थर है। ऋषभनाथ नग्न रहते थे। अपने कठोर तपश्चर्या द्वारा कैलाश पर्वत क्षेत्र में उन्हें माघ कृष्ण-14 को कैवल्य ज्ञान प्राप्त हुआ तथा उन्होंने दक्षिण कर्नाटक तक नाना प्रदेशों में परिभ्रमण किया। वे कुटकाचल पर्वत के वन में नग्न रूप में विचरण करते थे। उन्होंने भ्रमण के दौरान लोगों को धर्म और नीति की शिक्षा दी। उन्होंने अपने जीवनकाल में 4,000 लोगों को दीक्षा दी थी। भिक्षा मांगकर खाने का प्रचलन उन्हीं से प्रारम्भ हुआ माना जाता है। हरि ॐ राणा जी खेड़ांवाली🚩 #🕉️सनातन धर्म🚩 #श्री हरि
*माँ अन्नपूर्णा की तस्वीर/प्रतिमा घर में रखने के नियम* 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷 हिन्दू धर्म में मान्यता है कि अन्न की देवी माता अन्नपूर्णा की तस्वीर रसोईघर में लगाने से घर में कभी भी अन्न और धन की कमी नहीं होती है। आपको बता दें कि यह तस्वीर घर में सुख-शांति व सकारात्मक ऊर्जा एवं धन-धान्य लाती हैं। वैसे भी हिन्दू धर्म में देवी-देवता के पूजन का विशेष महत्व है। यदि आप भी अपने किचन/ रसोईघर में मां अन्नपूर्णा की तस्वीर लगाते हैं तो यह बहुत ही शुभ होगा तथा आपके घर में अनाज के भंडार भरे रहेंगे। धर्म और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मां अन्नपूर्णा की तस्वीर रसोईघर में लगाना शुभ माना जाता है। अत: यदि आप इसे रसोईघर के आग्नेय कोण में लगाते हैं तो यह अतिशुभ माना गया है। इतना ही नहीं मां अन्नपूर्णा की तस्वीर आग्नेय कोण लगी होने से परिवार के सदस्य स्वस्थ रहते हैं तथा घर में सौभाग्य का आगमन भी होता है। माँ अन्नपूर्णा की तस्वीर घर में रखने के नियम? 1. यदि आप भी अपने किचन में माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा या तस्वीर लगाना चाहते हैं तो किसी भी बृहस्पतिवार अथवा शुक्रवार के दिन सुबह जल्दी जागकर अपने दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करके स्वच्छ धुले हुए वस्त्र धारण करें, फिर सर्वप्रथम रसोईघर की अच्छीतरह साफ-सफाई करें। 2. अब पूरे रसोईघर तथा उस दीवार को भी गंगाजल छिड़क कर साफ-स्वच्छ करें, जिस जगह पर तस्वीर लगानी है। 3. फिर खाना बनाने में उपयोग में आने वाले गैस अथवा चूल्हे को साफ करके विधिपूर्वक उसकी पूजा करके पूरे मन से मां अन्नपूर्णा की प्रार्थना करें, तथा कहें कि मेरे घर में कभी भी अन्न-धन तथा खाने-पीने के चीजों की कमी ना रहे। 4. अब रसोईघर में शिव तथा पार्वती (के अन्नपूर्णास्वरूप) की आराधना करके मां से विनती करें और उत्तर या पूर्व दिशा पर माता की फोटो या तस्वीर चिपका दें। 5. तत्पश्चात रसोई में ही भगवान शिव एवं मां पार्वती का पूजन करके गैस या चूल्हे की भी हल्दी, कुमकुम, चावल, पुष्प आदि चढ़ाकर पूजन करें तथा धूप और दीया जला कर आरती करें। 6. फिर मां अन्नपूर्णा की तस्वीर के सामने ही उनके मंत्र, स्तोत्र और कथा का वाचन करें और घर के सभी सदस्य ग्यारह बार प्रार्थना करके कहें कि- 'हे अन्नपूर्णा माता, हमारे घर में हमेशा अनाज, जल और धन का भंडार भरा रहे। 7. अब इस तस्वीर का रसोईघर में लग जाने के बाद अपने हाथों से शुद्ध और सात्विक भोजन बनाएं तथा एक मीठा कुछ न कुछ अवश्य बनाकर मां अन्नपूर्णा को भोग लगाएं 8. फिर अपने सामर्थ्य के अनुसार यह भोजन असहाय लोगों में वितरित करें। तत्पश्चात परिवार वाले भी ग्रहण करें। 9. इस तरह माता अन्नपूर्णा की कृपा से आपके घर में कभी भी अन्न-धन की कमी महसूस नहीं होगी तथा हमेशा भंडार भरे ही रहेंगे। 10. यदि आपका रसोईघर छोटा है तो आप मां अन्नपूर्णा की तस्वीर या फोटो अपने घर मंदिर में रखकर भी उसका पूजन तथा प्रार्थना कर सकते हैं। 11. वास्तु शास्त्र के अनुसार, जब भी आप माता अन्नपूर्णा की तस्वीर घर में लगाएं तब भोग स्वरूप माता को मूंग दाल भी अर्पित करें तथा पूजन के बाद इसे गौ माता को खिला दें। इससे आपके घर में सुख-समृद्धि तो आएगी ही साथ ही धन-धान्य तथा अनाज के भंडार भरे रहेंगे तथा आपको यश और मान-सम्मान की प्राप्ति भी होगी। 12. इसके साथ ही रसोईघर में ताजे फलों एवं सब्जियों से भरी तस्वीर लगाना बहुत शुभ माना जाता है। राणा जी खेड़ांवाली🚩 #🕉️सनातन धर्म🚩 #जय माता की
*पुरातन ग्रंथों के अनुसार, प्राचीन ऋषि-मुनि एवं दार्शनिक हमारे आदि वैज्ञानिक थे, जिन्होंने अनेक आविष्कार किए और विज्ञान को भी ऊंचाइयों पर पहुंचाया।* 🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳 ❗️अश्विनीकुमार मान्यता है कि ये देवताओं के चिकित्सक थे। कहा जाता है कि इन्होंने उड़ने वाले रथ एवं नौकाओं का आविष्कार किया था। ---------------- ❗️धन्वंतरि इन्हें आयुर्वेद का प्रथम आचार्य व प्रवर्तक माना जाता है। इनके ग्रंथ का नाम धन्वंतरि संहिता है। शल्य चिकित्सा शास्त्र के आदि प्रवर्तक सुश्रुत और नागार्जुन इन्हीं की परंपरा में हुए थे। ------------------- ❗️ऋषि भारद्वाज आधुनिक विज्ञान के मुताबिक राइट बंधुओं ने वायुयान का आविष्कार किया। वहीं हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक कई सदियों पहले ही ऋषि भारद्वाज ने विमानशास्त्र के जरिए वायुयान को गायब करने के असाधारण विचार से लेकर, एक ग्रह से दूसरे ग्रह व एक दुनिया से दूसरी दुनिया में ले जाने के रहस्य उजागर किए। इस तरह ऋषि भारद्वाज को वायुयान का आविष्कारक भी माना जाता है। -------------------- ❗️ऋषि विश्वामित्र ऋषि बनने से पहले विश्वामित्र क्षत्रिय थे। ऋषि वशिष्ठ से कामधेनु गाय को पाने के लिए हुए युद्ध में मिली हार के बाद तपस्वी हो गए। विश्वामित्र ने भगवान शिव से अस्त्र विद्या पाई। इसी कड़ी में माना जाता है कि आज के युग में प्रचलित प्रक्षेपास्त्र या मिसाइल प्रणाली हजारों साल पहले विश्वामित्र ने ही खोजी थी। ------------------------ ❗️गर्गमुनि गर्ग मुनि नक्षत्रों के खोजकर्ता माने जाते हैं। यानी सितारों की दुनिया के जानकार। ये गर्गमुनि ही थे, जिन्होंने श्री कृष्ण एवं अर्जुन के बारे में नक्षत्र विज्ञान के आधार पर जो कुछ भी बताया, वह पूरी तरह सही साबित हुआ। कौरव-पांडवों के बीच महाभारत युद्ध विनाशक रहा। इसके पीछे वजह यह थी कि युद्ध के पहले पक्ष में तिथि क्षय होने के तेरहवें दिन अमावस थी। इसके दूसरे पक्ष में भी तिथि क्षय थी। पूर्णिमा चौदहवें दिन आ गई और उसी दिन चंद्रग्रहण था। तिथि-नक्षत्रों की यही स्थिति व नतीजे गर्ग मुनि जी ने पहले बता दिए थे। ------------------------ ❗️पतंजलि आधुनिक दौर में जानलेवा बीमारियों में एक कैंसर या कर्करोग का आज उपचार संभव है। किंतु कई सदियों पहले ही ऋषि पतंजलि ने कैंसर को भी रोकने वाला योगशास्त्र रचकर बताया कि योग से कैंसर का भी उपचार संभव है। ------------------------ ❗️महर्षि कपिल सांख्य दर्शन के प्रवर्तक व सूत्रों के रचयिता थे महर्षि कपिल, जिन्होंने चेतना की शक्ति एवं त्रिगुणात्मक प्रकृति के विषय में महत्वपूर्ण सूत्र दिए थे। ----------------------- ❗️कणाद ऋषि ये वैशेषिक दर्शन के प्रवर्तक हैं। ये अणु विज्ञान के प्रणेता रहे हैं। इनके समय अणु विज्ञान दर्शन का विषय था, जो बाद में भौतिक विज्ञान में आया। -------------------- ❗️सुश्रुत ये शल्य चिकित्सा पद्धति के प्रख्यात आयुर्वेदाचार्य थे। इन्होंने सुश्रुत संहिता नामक ग्रंथ में शल्य क्रिया का वर्णन किया है। सुश्रुत ने ही त्वचारोपण (प्लास्टिक सर्जरी) और मोतियाबिंद की शल्य क्रिया का विकास किया था। पार्क डेविस ने सुश्रुत को विश्व का प्रथम शल्य चिकित्सक कहा है। -------------------- ❗️जीवक सम्राट बिंबसार के एकमात्र वैद्य। उज्जयिनी सम्राट चंडप्रद्योत की शल्य चिकित्सा इन्होंने ही की थी। कुछ लोग मानते हैं कि गौतम बुद्ध की चिकित्सा भी इन्होंने की थी। -------------------- ❗️बौधायन बौधायन भारत के प्राचीन गणितज्ञ और शुलयशास्त्र के रचयिता थे। आज दुनिया भर में यूनानी उकेलेडियन ज्योमेट्री पढाई जाती है मगर इस ज्योमेट्री से पहले भारत के कई गणितज्ञ ज्योमेट्री के नियमों की खोज कर चुके थे। उन गणितज्ञ में बौधायन का नाम सबसे ऊपर है, उस समय ज्योमेट्री या एलजेब्रा को भारत में शुल्वशास्त्र कहा जाता था। ---------------------- ❗️भास्कराचार्य आधुनिक युग में धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति (पदार्थों को अपनी ओर खींचने की शक्ति) की खोज का श्रेय न्यूटन को दिया जाता है। किंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि गुरुत्वाकर्षण का रहस्य न्यूटन से भी कई सदियों पहले भास्कराचार्यजी ने उजागर किया। भास्कराचार्यजी ने अपने ‘सिद्धांतशिरोमणि’ ग्रंथ में पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के बारे में लिखा है कि ‘पृथ्वी आकाशीय पदार्थों को विशिष्ट शक्ति से अपनी ओर खींचती है। इस वजह से आसमानी पदार्थ पृथ्वी पर गिरता है’। -------------------- ❗️चरक चरक औषधि के प्राचीन भारतीय विज्ञान के पिता के रूप में माने जातें हैं। वे कनिष्क के दरबार में राज वैद्य (शाही चिकित्सक) थे, उनकी चरक संहिता चिकित्सा पर एक उल्लेखनीय पुस्तक है। इसमें रोगों की एक बड़ी संख्या का विवरण दिया गया है और उनके कारणों की पहचान करने के तरीकों और उनके उपचार की पद्धति भी प्रदान करती है। वे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण पाचन, चयापचय और प्रतिरक्षा के बारे में बताते थे और इसलिए चिकित्सा विज्ञान चरक संहिता में, बीमारी का इलाज करने के बजाय रोग के कारण को हटाने के लिए अधिक ध्यान रखा गया है। चरक आनुवांशिकी (अपंगता) के मूल सिद्धांतों को भी जानते थे। -------------------- ❗️ब्रह्मगुप्त 7 वीं शताब्दी में, ब्रह्मगुप्त ने गणित को दूसरों से परे ऊंचाइयों तक ले गये। गुणन के अपने तरीकों में, उन्होंने लगभग उसी तरह स्थान मूल्य का उपयोग किया था, जैसा कि आज भी प्रयोग किया जाता है। उन्होंने गणित में शून्य पर नकारात्मक संख्याएं और संचालन शुरू किया। उन्होंने ब्रह्म मुक्त सिध्दांतिका को लिखा, जिसके माध्यम से अरब देश के लोगों ने हमारे गणितीय प्रणाली को जाना। ------------------- ❗️अग्निवेश ये शरीर विज्ञान के रचयिता थे। -------------------- ❗️शालिहोत्र इन्होंने पशु चिकित्सा पर आयुर्वेद ग्रंथ की रचना की। --------------------- ❗️ व्याडि ये रसायन शास्त्री थे। इन्होंने भैषज (औषधि) रसायन का प्रणयन किया। अलबरूनी के अनुसार, व्याडि ने एक ऐसा लेप बनाया था, जिसे शरीर पर मलकर वायु में उड़ा जा सकता था। ---------------------- ❗️आर्यभट्ट इनका जन्म 476 ई. में कुसुमपुर ( पाटलिपुत्र ) पटना में हुआ था। ये महान खगोलशास्त्र और व गणितज्ञ थे। इन्होने ही सबसे पहले सूर्य और चन्द्र ग्रहण की वियाख्या की थी और सबसे पहले इन्होने ही बताया था की धरती अपनी ही धुरी पर धूमती है और इसे सिद्ध भी किया था। और यही नही इन्होने हे सबसे पहले पाई के मान को निरुपित किया। --------------------- ❗️वराहमिहिर इनका जन्म 499 ई . में कपित्थ (उज्जैन ) में हुआ था। ये महान गणितज्ञ और खगोलशास्त्र थे। इन्होने पंचसिद्धान्तका नाम की किताब लिखी थी जिसमे इन्होने बताया था कि, अयनांश , का मान 50.32 सेकेण्ड के बराबर होता होता है | और इन्होने शून्य और ऋणात्मक संख्याओ के बीजगणितीय गुणों को परिभाषित किया। ------------------ ❗️हलायुध इनका जन्म 1000 ई . में काशी में हुआ था। ये ज्योतिषविद , और गणितज्ञ व महान वैज्ञानिक भी थे। इन्होने अभिधानरत्नमाला या मृतसंजीवनी नमक ग्रन्थ की रचना की | इसमें इन्होने या की पास्कल त्रिभुज ( मेरु प्रस्तार ) का स्पष्ट वर्णन किया है। पुरातन ग्रंथों के अनुसार, प्राचीन ऋषि-मुनि एवं दार्शनिक हमारे आदि वैज्ञानिक थे, जिन्होंने अनेक आविष्कार किए और विज्ञान को भी ऊंचाइयों पर पहुंचाया। राणा जी खेड़ांवाली🚩 #🕉️सनातन धर्म🚩