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#satnam waheguru ji #satnam shri waheguru ji #Meetha Lage Tera bhana
satnam waheguru ji - तनु रचिओ पांचततको " तेग जानहु चतुरसुजान।। जिहते उपजिओ नानका बहादुर লীননাভিমীমন্তৎ HR4 নী निध 31a बाबा नानक जी कह! हे चतुर मनुष्य! हे HoT समझदार मनुष्य! तू जानता है कि तेरा ये धाये शरीर परमात्मा ने पाँच तत्वों से बनाया है। लगे ये भी यकीन जान कि जिन तत्वों से ये शरीर बना है दोबारा उनमें ही लीन हो Hq जाएगा फिर इस शरीर के झूठे मोह में फस तेरा के परमात्मा का सिमरन क्यों भुला रहा है?| हे भाई!हमें अपने शरीर के मोह में नहीं थाई फंसना चाहिए और हमें परमात्मा का भाणा सिमरन करना चाहिए, क्योंकि शरीर तो होए नाशवंत है और परमात्मा ही अमर है। किसी डर और भए से डरे बिना हमको परमात्मा चाहिए जिससे हमारा সঙ্ায | | का सिमरन करना जीवन सार्थक हो जायेगा और हमें शांति और संतुष्टि मिलेगी। तनु रचिओ पांचततको " तेग जानहु चतुरसुजान।। जिहते उपजिओ नानका बहादुर লীননাভিমীমন্তৎ HR4 নী निध 31a बाबा नानक जी कह! हे चतुर मनुष्य! हे HoT समझदार मनुष्य! तू जानता है कि तेरा ये धाये शरीर परमात्मा ने पाँच तत्वों से बनाया है। लगे ये भी यकीन जान कि जिन तत्वों से ये शरीर बना है दोबारा उनमें ही लीन हो Hq जाएगा फिर इस शरीर के झूठे मोह में फस तेरा के परमात्मा का सिमरन क्यों भुला रहा है?| हे भाई!हमें अपने शरीर के मोह में नहीं थाई फंसना चाहिए और हमें परमात्मा का भाणा सिमरन करना चाहिए, क्योंकि शरीर तो होए नाशवंत है और परमात्मा ही अमर है। किसी डर और भए से डरे बिना हमको परमात्मा चाहिए जिससे हमारा সঙ্ায | | का सिमरन करना जीवन सार्थक हो जायेगा और हमें शांति और संतुष्टि मिलेगी। - ShareChat
#satnam waheguru ji #satnam shri waheguru ji #Meetha Lage Tera bhana
satnam waheguru ji - f अंतरजामी सभ बिधि जाणै ता सुणाईऐ।।कहणै कथनि न पहि आखि भीजै गोबिंदु हरि भावै पैज रखाईऐ। इक तेरी अवर ओट मै सगली देखी ओट रहाईऐ। हे भाई!़ परमात्मा हरएक दिलकी मै तेरा जानने चाला है। जीवों की हरएक भिखारी आत्मिक हालतको्जानता है। उसे छोड़ के और किसी के पास अपनी f3 नही सूनाईजा सकती है? हे भाई! स्यथा पहाडा परमात्मा निरी ज़बानी बातों से खुश वाले कर्मोंके कारण जो मनुष्य नहीं होता परमात्मा को अच्छा लगने लगता है, बाबा उसका वह सम्मान रख लेता है। ٥٨ लिए प्रभू! मैंने औरसारे आसरे देख 8, मैंने एक तेरा आसरा ही रखा हुआ है। f अंतरजामी सभ बिधि जाणै ता सुणाईऐ।।कहणै कथनि न पहि आखि भीजै गोबिंदु हरि भावै पैज रखाईऐ। इक तेरी अवर ओट मै सगली देखी ओट रहाईऐ। हे भाई!़ परमात्मा हरएक दिलकी मै तेरा जानने चाला है। जीवों की हरएक भिखारी आत्मिक हालतको्जानता है। उसे छोड़ के और किसी के पास अपनी f3 नही सूनाईजा सकती है? हे भाई! स्यथा पहाडा परमात्मा निरी ज़बानी बातों से खुश वाले कर्मोंके कारण जो मनुष्य नहीं होता परमात्मा को अच्छा लगने लगता है, बाबा उसका वह सम्मान रख लेता है। ٥٨ लिए प्रभू! मैंने औरसारे आसरे देख 8, मैंने एक तेरा आसरा ही रखा हुआ है। - ShareChat
#satnam waheguru ji #satnam shri waheguru ji #Meetha Lage Tera bhana #Eek Tu Hi Guru Ji
satnam waheguru ji - H&I खामोशी लेगी बदला मेरा सदा ही अच्छी ही सोच मैने रखी थी तुम सब के प्रति, पर नियत तुम सब की अच्छी नही थी मेरेप्रति यही एक कारण था जिसने नफरत की दीवार खड़ी कर दी मेरे औरतूम सब के बीच| विश्वास ही मेरे औरतुम सब के बीच बड़ा खजाना था और वही ही तुम सब ने खत्म किया हुआ थातो फिरउसके बिना नातो संबंध अच्छेहो सकते সন নী थे नही ही रिश्तेदारी। तुम मेरी तारीफ करो या निंदा कोई भी फरक नही पड़ना मेरी जिन्दगी में तुम सब के प्रतिः अबतो अपनापन भी खत्म हो गया है तुम्हारे और मेरेबीच में समय ही तुम सब को बताएगा कौन अपना 1 था औरकौन पराया। H&I खामोशी लेगी बदला मेरा सदा ही अच्छी ही सोच मैने रखी थी तुम सब के प्रति, पर नियत तुम सब की अच्छी नही थी मेरेप्रति यही एक कारण था जिसने नफरत की दीवार खड़ी कर दी मेरे औरतूम सब के बीच| विश्वास ही मेरे औरतुम सब के बीच बड़ा खजाना था और वही ही तुम सब ने खत्म किया हुआ थातो फिरउसके बिना नातो संबंध अच्छेहो सकते সন নী थे नही ही रिश्तेदारी। तुम मेरी तारीफ करो या निंदा कोई भी फरक नही पड़ना मेरी जिन्दगी में तुम सब के प्रतिः अबतो अपनापन भी खत्म हो गया है तुम्हारे और मेरेबीच में समय ही तुम सब को बताएगा कौन अपना 1 था औरकौन पराया। - ShareChat
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satnam waheguru ji - दशमेश पिता श्री गुरु चोर्विंद सिंह जी महाराज जी। दीग्ुरु दा गद्दी दिवस दियासमूह   सत्संगता नू बहुत बहुत बधाइयां जी। झूल दे निशान रहे Uq महाराज। | दशमेश पिता श्री गुरु चोर्विंद सिंह जी महाराज जी। दीग्ुरु दा गद्दी दिवस दियासमूह   सत्संगता नू बहुत बहुत बधाइयां जी। झूल दे निशान रहे Uq महाराज। | - ShareChat
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satnam waheguru ji - जिहि प्रानी हउमै तजी करता रामु पछानि।। कहु नरु इह मुकति नानक वहु मन साची मानु।। बाबा नानक जी सदा यही कहते है हे मन! मीठा ये बात सच्ची समझ कि वह मनुष्य ही मुक्त है,जिस मनुष्य ने करतार सृजनहार के साथ लगे गहरी सांझ डाल के अपने अंदर से अहंकार त्याग दिया है।रजिस प्राणी ने अपने अहंकार को त्याग दिया और परमात्मा को पहचान dా लिया वह प्राणी मुक्त हो जाता है और उसका मन सच्चा हो जाता है। परमात्मा को पहचानने से हमें सच्चा ज्ञान मिलता है और UII हम अपने जीवन को सही दिशा में ले जा सकते हैं। इसलिए हमें अपने अहंकार को त्याग देना चाहिए और परमात्मा को पहचानने का प्रयास करना चाहिए। जिहि प्रानी हउमै तजी करता रामु पछानि।। कहु नरु इह मुकति नानक वहु मन साची मानु।। बाबा नानक जी सदा यही कहते है हे मन! मीठा ये बात सच्ची समझ कि वह मनुष्य ही मुक्त है,जिस मनुष्य ने करतार सृजनहार के साथ लगे गहरी सांझ डाल के अपने अंदर से अहंकार त्याग दिया है।रजिस प्राणी ने अपने अहंकार को त्याग दिया और परमात्मा को पहचान dా लिया वह प्राणी मुक्त हो जाता है और उसका मन सच्चा हो जाता है। परमात्मा को पहचानने से हमें सच्चा ज्ञान मिलता है और UII हम अपने जीवन को सही दिशा में ले जा सकते हैं। इसलिए हमें अपने अहंकार को त्याग देना चाहिए और परमात्मा को पहचानने का प्रयास करना चाहिए। - ShareChat
#satnam waheguru ji #satnam shri waheguru ji #Meetha Lage Tera bhana #Eek Tu Hi Guru Ji
satnam waheguru ji - # खामोशी लेेगी बदला मेरो रिश्तों में रहते सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि अपनों को इकट्ठा करने के चक्कर में हम अपनों को पास लाते लाते दूर वालों अपने पाते ..!! इसलिए जीवन में जगह ' ही नहीं सदा अपने जिन्दगी के चित्रकार खुद बनो जो रिश्ता खुद को भाये उसी संग रिश्तों की निभाओ.. !! आज जो भी els &r मुझको सबसे बड़ी और गहरी गया है वह मुझको सीख दे कर गया है कि जीवन में कोई भी बिना मतलब के साथ नहीं खड़ा होता.. ! ! कई बार उस खुदा के फ़ैसलों को भी नहीं में महसूस हुआ कि जो समझ पाया पर बाद कुछ भी ऊपर वाला करता है उसमें उसके लिए फ़ैसलों में सच कही ना कही छुपा हुआ होता है जो बहुत बाद में जा कर समझ पड़ता है..!! सारी जिन्दगी अच्छा करके भी चंद पलों की गलती ने बुरा बना मुझको ' हूं कि दिया पर सब्र इतना रखता ऊपर वाला सब देख रहा है कभी तो कोई मेरे किए की कीमत को समझेगा.. ! ! # खामोशी लेेगी बदला मेरो रिश्तों में रहते सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि अपनों को इकट्ठा करने के चक्कर में हम अपनों को पास लाते लाते दूर वालों अपने पाते ..!! इसलिए जीवन में जगह ' ही नहीं सदा अपने जिन्दगी के चित्रकार खुद बनो जो रिश्ता खुद को भाये उसी संग रिश्तों की निभाओ.. !! आज जो भी els &r मुझको सबसे बड़ी और गहरी गया है वह मुझको सीख दे कर गया है कि जीवन में कोई भी बिना मतलब के साथ नहीं खड़ा होता.. ! ! कई बार उस खुदा के फ़ैसलों को भी नहीं में महसूस हुआ कि जो समझ पाया पर बाद कुछ भी ऊपर वाला करता है उसमें उसके लिए फ़ैसलों में सच कही ना कही छुपा हुआ होता है जो बहुत बाद में जा कर समझ पड़ता है..!! सारी जिन्दगी अच्छा करके भी चंद पलों की गलती ने बुरा बना मुझको ' हूं कि दिया पर सब्र इतना रखता ऊपर वाला सब देख रहा है कभी तो कोई मेरे किए की कीमत को समझेगा.. ! ! - ShareChat
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satnam waheguru ji - 4 खामोशी लेगी बदला मेरा परखोगे मुझको तो मैं बहुत बुरा हूं अगर दिल से समझोगे तो मेरे जैसा तुमको दूसरा मिलेगा नहीं कभी.. !! भरोसा तो दुनिया वाले अपनी सांसों का नहीं करते एक मैं था जो तुम सब पर भरोसा कर बैठे..! ! संसार की सबसे बड़ी और उत्तम जेल खुद में अकेला रहना है और सबसे उत्तम शिक्षा ईंसान काजैब से खाली होना है अगरयह पढ़ाई जान गए तो कही भी फेल नहीं हो सकते. .!! जिंदगी में मिली तकलीफों कोतो भुलाया जा सकता है मगर जानबूझकर तकलीफ देने वालों को नहीं..!! 4 खामोशी लेगी बदला मेरा परखोगे मुझको तो मैं बहुत बुरा हूं अगर दिल से समझोगे तो मेरे जैसा तुमको दूसरा मिलेगा नहीं कभी.. !! भरोसा तो दुनिया वाले अपनी सांसों का नहीं करते एक मैं था जो तुम सब पर भरोसा कर बैठे..! ! संसार की सबसे बड़ी और उत्तम जेल खुद में अकेला रहना है और सबसे उत्तम शिक्षा ईंसान काजैब से खाली होना है अगरयह पढ़ाई जान गए तो कही भी फेल नहीं हो सकते. .!! जिंदगी में मिली तकलीफों कोतो भुलाया जा सकता है मगर जानबूझकर तकलीफ देने वालों को नहीं..!! - ShareChat
#satnam waheguru ji #satnam shri waheguru ji #Meetha Lage Tera bhana
satnam waheguru ji - जिउ सुख कउ चाहै सदा सरनि राम की लेहुा। कहु नानक सुनि रै भना द्ुरलभ ಔತತ ೩೯[ अर्थः बाबा नानक जी कह हे मन! सुन, ये মীঠা मनुष्य   शरीर बड़ी मुश्किल से मिलता है। इसे प्राप्त करने के बाद भी इसका सदुपयोग 77 करना बहुत हीॅजरूरी है। इसको माया की खातिर भटकने में ही नहीं व्यर्थ गवा देना तेरा चाहिए। क्योंकि इस शरीर के माध्यम से ही भाणा हम भगवान को प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं। सो जो मनुष्य आत्मिक आनंद हासिल करना चाहता है, तो उसको चाहिए कि परमात्मा शरण पड़ा रहे। जिउ सुख कउ चाहै सदा सरनि राम की लेहुा। कहु नानक सुनि रै भना द्ुरलभ ಔತತ ೩೯[ अर्थः बाबा नानक जी कह हे मन! सुन, ये মীঠা मनुष्य   शरीर बड़ी मुश्किल से मिलता है। इसे प्राप्त करने के बाद भी इसका सदुपयोग 77 करना बहुत हीॅजरूरी है। इसको माया की खातिर भटकने में ही नहीं व्यर्थ गवा देना तेरा चाहिए। क्योंकि इस शरीर के माध्यम से ही भाणा हम भगवान को प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं। सो जो मनुष्य आत्मिक आनंद हासिल करना चाहता है, तो उसको चाहिए कि परमात्मा शरण पड़ा रहे। - ShareChat