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#गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला #SantRampalJiMaharajYouTubeChannel #bhagavadgita #gita #krishna #arjuna #bhagawadgita #consciousness #vedanta #reincarnation #meditation #lordkrishna #kaal #brahm #om #dailygita #sanatandharma #santrampaljimaharaj
santrampaljimaharaj - का श्लोक 9 अध्याय दिच्यम 44-4 एवम यः aेत्ति तत्वतः V೦L. देहम, पनः, जन्म  एति माम एति सः अर्जन।।  ాా अनुवादः ( अर्जुन।  अर्जुन! (गे। गेरे । जन्ग। जन्म (च॰ कर्म (दिव्यम्) दिव्य भर्थात् मलोकिक ्हे॰ [ক4]  (यः) जो मनृष्य ( तत्त्वतः ) तत्वसे येत्ति)  ।एयम्) डिस L Cm जान लेता है।सः ) बह ( देहम) शरीरको (त्यकचा) त्यागवर (पुनः) ।फिर ( जन्म। जन्मको (न एाते) प्राप्त न्हा हांता कितु जो मुडा काल को तत्य  नहीं जानते ( माम्। मुडो हो (एति।  प्राप्त तोता हे। (९)  ೯-: अर्जुन! गैरे जन्म ओर कर्म दिव्य अर्थान् अलीकिक  इस प्रकार जो मनुष्य तत्यसे जान लेता ह यह  शरीरको त्यागकर फिर जन्मको माप्त नही ठोता कित जो काल को तत्व रा नर्ही जानते मुझ ही गराप्त हाता हे।  गीता जी का ज्ञान किसने बोला ? श्लोक 9 में कहा है कि हे अर्जुन मेरे जन्म और कर्म गीता अध्याय दिव्य हैं भावार्थ है कि काल ब्रह्म अन्य के शरीर में प्रवेश करके श्री कृष्ण " कार्य करता है जैसे जी ने प्रतिज्ञा कर रखी थी ೯ ಶ್ಷ कि मैं महाभारत में किसी को मारने के लिए शस्त्र भी नही उठाऊँगा | श्री कृष्ण में काल ब्रह्म ने प्रवेश होकर रथ का पहिया उठाकर अनेकों सैनिकों को मार डाला पाप श्री कृष्ण जी के जिम्मे कर दिए प्रतिज्ञा भी समाप्त करके कलंकित किया। जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज निःशुल्क पायें पवित्र पुस्तक अपना नाम, पूरा पता भेजें  নান যযা +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER  SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGOD.ORG SAINT RAMPAL JI MAHARAJ का श्लोक 9 अध्याय दिच्यम 44-4 एवम यः aेत्ति तत्वतः V೦L. देहम, पनः, जन्म  एति माम एति सः अर्जन।।  ాా अनुवादः ( अर्जुन।  अर्जुन! (गे। गेरे । जन्ग। जन्म (च॰ कर्म (दिव्यम्) दिव्य भर्थात् मलोकिक ्हे॰ [ক4]  (यः) जो मनृष्य ( तत्त्वतः ) तत्वसे येत्ति)  ।एयम्) डिस L Cm जान लेता है।सः ) बह ( देहम) शरीरको (त्यकचा) त्यागवर (पुनः) ।फिर ( जन्म। जन्मको (न एाते) प्राप्त न्हा हांता कितु जो मुडा काल को तत्य  नहीं जानते ( माम्। मुडो हो (एति।  प्राप्त तोता हे। (९)  ೯-: अर्जुन! गैरे जन्म ओर कर्म दिव्य अर्थान् अलीकिक  इस प्रकार जो मनुष्य तत्यसे जान लेता ह यह  शरीरको त्यागकर फिर जन्मको माप्त नही ठोता कित जो काल को तत्व रा नर्ही जानते मुझ ही गराप्त हाता हे।  गीता जी का ज्ञान किसने बोला ? श्लोक 9 में कहा है कि हे अर्जुन मेरे जन्म और कर्म गीता अध्याय दिव्य हैं भावार्थ है कि काल ब्रह्म अन्य के शरीर में प्रवेश करके श्री कृष्ण " कार्य करता है जैसे जी ने प्रतिज्ञा कर रखी थी ೯ ಶ್ಷ कि मैं महाभारत में किसी को मारने के लिए शस्त्र भी नही उठाऊँगा | श्री कृष्ण में काल ब्रह्म ने प्रवेश होकर रथ का पहिया उठाकर अनेकों सैनिकों को मार डाला पाप श्री कृष्ण जी के जिम्मे कर दिए प्रतिज्ञा भी समाप्त करके कलंकित किया। जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज निःशुल्क पायें पवित्र पुस्तक अपना नाम, पूरा पता भेजें  নান যযা +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER  SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGOD.ORG SAINT RAMPAL JI MAHARAJ - ShareChat
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santrampaljimaharaj - पवित्र श्रीमद्भगवत गीता जी का ज्ञान किसने कहा 33/9 जानने के लिए अवश्य ज्ञान पढें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा [ गगा +=77` T೯4 ' দুদন- *मित२म॰ ஈீர் ஈச்சி पवित्र श्रीमद्भगवत गीता जी का ज्ञान किसने कहा 33/9 जानने के लिए अवश्य ज्ञान पढें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा [ गगा +=77` T೯4 ' দুদন- *मित२म॰ ஈீர் ஈச்சி - ShareChat
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santrampaljimaharaj - गीता ` बोला? 07 কা নান কিমন गीता अध्याय १८ श्लोक ४३ में गीता ज्ञान दाता ஈளி अध्याय १८ काश्लाक ४३ स्वभाविक कर्मों का उल्लेख करते हुए कहा है कि शोर्यम तेजः भृतिः , दाक्ष्यम पुद़्े च अपि Tu दानम इश्चरभाव क्षात्राम कम स्तभावजम।।४३१| "సెశె # 7 ?FIHT आदि 2 क्षत्री के स्वभाविक कर्म हैं। अनुवादः ( शीर्यम्) शूर नीरता तेजः) तेज (थृतिः ) शैर्य  (दाक्ष्यग) चनुरता (च) और (पद्े) सुद्ध्गे । अमि। शा सिद्ध हुआ कि गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी 5## शागना ( दानम्। दान देना ।च) ओर  (ara (ईंश्चरभाव ) पूर्ण परमात्मामं ` रूनचे स्वामिभाव ये सब के ने नहीं बोला| क्योंकि श्री कृष्ण जी स्वयं क्षत्री होते हुए ही ( क्षात्राम ) क्षांत्रेयके [रवभावजम्) रवाभाविक (कर्मी 4481 (43) कालयवन के सामने से युद्ध से भाग गए थे। व्यक्ति स्वयं और युद्ध्गें भी न हिन्दीः शूर चारता तंज धर्य चनुरता " किए कर्म के विपरीत अन्य को राय नहीं देता| न उसकी भागना दान देना भार पूर्ण परमात्मामं रूचि स्वामिभाव ये सब के सब ही क्षीत्रियके रवाभाविक कर्म ह। राय श्रोता को ठीक जचेगी| वह उपहास का पात्र बनेगा | जी में प्रवेश करके बोला था। श्री कृष्ण प्रेतवत् यह गीता ज्ञान ब्रह्म(काल ) विष्णु भगवान श्री कृष्ण रूप में स्वयं श्री जी ही अवतार धार कर आए थे। जगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal Ji Maharaj App Download कीजिये व निःशुल्क निःशुल्क नामदीक्षा +91 7496801823 पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र : Googk Play गीता ` बोला? 07 কা নান কিমন गीता अध्याय १८ श्लोक ४३ में गीता ज्ञान दाता ஈளி अध्याय १८ काश्लाक ४३ स्वभाविक कर्मों का उल्लेख करते हुए कहा है कि शोर्यम तेजः भृतिः , दाक्ष्यम पुद़्े च अपि Tu दानम इश्चरभाव क्षात्राम कम स्तभावजम।।४३१| "సెశె # 7 ?FIHT आदि 2 क्षत्री के स्वभाविक कर्म हैं। अनुवादः ( शीर्यम्) शूर नीरता तेजः) तेज (थृतिः ) शैर्य  (दाक्ष्यग) चनुरता (च) और (पद्े) सुद्ध्गे । अमि। शा सिद्ध हुआ कि गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी 5## शागना ( दानम्। दान देना ।च) ओर  (ara (ईंश्चरभाव ) पूर्ण परमात्मामं ` रूनचे स्वामिभाव ये सब के ने नहीं बोला| क्योंकि श्री कृष्ण जी स्वयं क्षत्री होते हुए ही ( क्षात्राम ) क्षांत्रेयके [रवभावजम्) रवाभाविक (कर्मी 4481 (43) कालयवन के सामने से युद्ध से भाग गए थे। व्यक्ति स्वयं और युद्ध्गें भी न हिन्दीः शूर चारता तंज धर्य चनुरता " किए कर्म के विपरीत अन्य को राय नहीं देता| न उसकी भागना दान देना भार पूर्ण परमात्मामं रूचि स्वामिभाव ये सब के सब ही क्षीत्रियके रवाभाविक कर्म ह। राय श्रोता को ठीक जचेगी| वह उपहास का पात्र बनेगा | जी में प्रवेश करके बोला था। श्री कृष्ण प्रेतवत् यह गीता ज्ञान ब्रह्म(काल ) विष्णु भगवान श्री कृष्ण रूप में स्वयं श्री जी ही अवतार धार कर आए थे। जगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal Ji Maharaj App Download कीजिये व निःशुल्क निःशुल्क नामदीक्षा +91 7496801823 पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र : Googk Play - ShareChat
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santrampaljimaharaj - गीता जी का ज्ञान किसने बोला कि हे अर्जुन! गीता अध्याय 4 श्लोक 9 में कहा है मेरे जन्म और कर्म दिव्य हैं। भावार्थ है कि काल ब्रह्म अन्य के शरीर में प्रवेश श्री कृष्ण जी ने प्रतिज्ञा कर रखी थी कि मैं करके कार्य करता है। जैसे ಹಶ್ತಣ` में किसी को मारने के लिए शस्त्र भी नहीं उठाऊँगा | महाभारत श्री कृष्ण में काल ब्रह्म ने प्रवेश होकर रथ का पहिया उठाकर श्री कृष्ण जी के जिम्मे कर अनेकों सैनिकों को मार डाला। पाप दिए। प्रतिज्ञा भी समाप्त करके कलंकित किया। जगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज # निःशुल्क  पायें पवित्र पुस्तक সপনা নাস; দূয় পনা মন +91 7496801825 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI ( @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG  SAINT RAMPAL JI MAHARAJ गीता जी का ज्ञान किसने बोला कि हे अर्जुन! गीता अध्याय 4 श्लोक 9 में कहा है मेरे जन्म और कर्म दिव्य हैं। भावार्थ है कि काल ब्रह्म अन्य के शरीर में प्रवेश श्री कृष्ण जी ने प्रतिज्ञा कर रखी थी कि मैं करके कार्य करता है। जैसे ಹಶ್ತಣ` में किसी को मारने के लिए शस्त्र भी नहीं उठाऊँगा | महाभारत श्री कृष्ण में काल ब्रह्म ने प्रवेश होकर रथ का पहिया उठाकर श्री कृष्ण जी के जिम्मे कर अनेकों सैनिकों को मार डाला। पाप दिए। प्रतिज्ञा भी समाप्त करके कलंकित किया। जगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज # निःशुल्क  पायें पवित्र पुस्तक সপনা নাস; দূয় পনা মন +91 7496801825 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI ( @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG  SAINT RAMPAL JI MAHARAJ - ShareChat
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santrampaljimaharaj - पिंडदान कापरिणाम गरीब   भूत जूनी जहां छूटत है पिण्ड प्रदान करत।  गरीबदाव्स जिंदा कहै नहीं मिले भगवंत। | संत गरीबदास जी महाराज ने बताया है कि पिंडदान से पितरों की भूत योनि तो छूट जाती है, उन्हें परमात्मा की प्राप्ति नहीं होती , पर वे चौरासी लाख योनियों में चले जाते हैंl संत रामपाल जी महाराज जीसे Sant Rampal Ji Maharaj App Douload कीजिये निःशुल्क नामदीक्षा व निःशुल्क ঘুমক সাম কনে ক লিম মপক মুন্ ; 91 7496801823 '- SPIRITLIAL LEADER SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGOD ORG SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ पिंडदान कापरिणाम गरीब   भूत जूनी जहां छूटत है पिण्ड प्रदान करत।  गरीबदाव्स जिंदा कहै नहीं मिले भगवंत। | संत गरीबदास जी महाराज ने बताया है कि पिंडदान से पितरों की भूत योनि तो छूट जाती है, उन्हें परमात्मा की प्राप्ति नहीं होती , पर वे चौरासी लाख योनियों में चले जाते हैंl संत रामपाल जी महाराज जीसे Sant Rampal Ji Maharaj App Douload कीजिये निःशुल्क नामदीक्षा व निःशुल्क ঘুমক সাম কনে ক লিম মপক মুন্ ; 91 7496801823 '- SPIRITLIAL LEADER SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGOD ORG SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ - ShareChat
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santrampaljimaharaj - अधूरा ज्ञान Rddolldp क्या आप जानते हैं? विष्णु पुराण के तृतीय अंश, f १५ श्लाक अध्याय के अनुसार एक योगी (शास्त्र अनुकूल 5556 भक्ति करने वाला साधक) को भोजन कराना हजार ब्राह्मणों के श्राद्घ भोज से उत्तम है। संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal Ji Maharaj च निःशुल्क  নিঃথুলক App Download कीजिय नामदीक्षा  C`oge ' पुस्तक प्राप्त करने के लिये  মুন্ন : | +91 7496801823 Pley सपर्त SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Jl @SAINTRAMPALIIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL JI MAHARAJ अधूरा ज्ञान Rddolldp क्या आप जानते हैं? विष्णु पुराण के तृतीय अंश, f १५ श्लाक अध्याय के अनुसार एक योगी (शास्त्र अनुकूल 5556 भक्ति करने वाला साधक) को भोजन कराना हजार ब्राह्मणों के श्राद्घ भोज से उत्तम है। संत रामपाल जी महाराज जी से Sant Rampal Ji Maharaj च निःशुल्क  নিঃথুলক App Download कीजिय नामदीक्षा  C`oge ' पुस्तक प्राप्त करने के लिये  মুন্ন : | +91 7496801823 Pley सपर्त SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Jl @SAINTRAMPALIIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL JI MAHARAJ - ShareChat
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santrampaljimaharaj - क्या आपका श्राद्ध पितरों तक புgq 26I 6? मार्कडेय पुराण पेज २५०-२५१ , बेदों के अनुसार श्राद्ध कर्म को अविद्या यानि मूर्खों कार्य बताता है। सच्ची विधि क्या है? बग के लिए अवश्य देखें ডলল Sant Rampal Ji YOUTUBE Maharaj CHANNEL @SalntRampalJiMaharal क्या आपका श्राद्ध पितरों तक புgq 26I 6? मार्कडेय पुराण पेज २५०-२५१ , बेदों के अनुसार श्राद्ध कर्म को अविद्या यानि मूर्खों कार्य बताता है। सच्ची विधि क्या है? बग के लिए अवश्य देखें ডলল Sant Rampal Ji YOUTUBE Maharaj CHANNEL @SalntRampalJiMaharal - ShareChat