सर्वपितृ अमावस्या (अश्विन अमावस्या) 🙏
भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से आरंभ हुए पितृ पक्ष का आश्विन मास की अमावस्या तिथि पर समापन होता है, जिसे सर्वपितृ अमावस्या या महालय अमावस्या कहा जाता है.
पितृ पक्ष एवं सर्वपितृ अमावस्या के समय सनातन संस्कृति से जुड़े व्यक्ति अपने पितरों का स्मरण करते हैं, उनके प्रति सम्मान प्रकट करते हैं एवं उनका श्राद्ध कर तर्पण करते हैं.
सर्वपितृ अमावस्या की तिथि पर गंगा जी सहित विभिन्न नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व है. इस तिथि पर आमंत्रित किए गए पितरों को विदा किया जाता है.
गरूड़ पुराण एवं मार्कण्डेय पुराण में भी सर्वपितृ अमावस्या एवं पितृ पक्ष का उल्लेख है. इस पक्ष में गया जी में पिंड दान का भी विशेष महत्व माना गया है.
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