#बुद्ध
बुद्ध का अर्थ है — पूर्ण जागृति।
जहाँ अहंकार गिर जाता है और शून्यता अपना कमल खोल देती है।
बुद्ध कोई व्यक्ति नहीं, तुम्हारे भीतर की निःशब्द ज्योति है।
जो उसे छू ले, उसकी हर सांस ध्यान बन जाती है।
और उसी क्षण जीवन पहली बार वास्तव में खिलता है।
बुद्धत्व कोई उपलब्धि नहीं, आत्मा की घर-वापसी है।
जहाँ चित्त पारदर्शी हो जाता है और दुख की लपटें स्वयं शांत हो जाती हैं।
बुद्ध का पथ छोड़ने का नहीं, भीतर लौटने का मार्ग है।
सत्य वहीं प्रकट होता है जहाँ मन का कोलाहल विलीन हो जाए।
और उस मौन में तुम्हें पता चलता है — तुम भी उसी प्रकाश के बने हो।”**