ଖବର ଆଜିର
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Irfan shaikh
942 views 1 months ago
विश्व नमस्ते दिवस नमस्ते! "विश्व नमस्ते दिवस" के बारे में स्पष्ट रूप से कोई एक आधिकारिक वैश्विक दिन निर्धारित नहीं है। हालांकि, कुछ संदर्भों में यह उल्लेख मिला है: जुलाई 5: एक स्रोत के अनुसार, 5 जुलाई को पहली बार "इंटरनेशनल नमस्ते डे" (International Namaste Day) मनाया गया था (2016 के आस-पास का संदर्भ)। जुलाई 16: भारत सरकार द्वारा सफाई कर्मचारियों के कल्याण के लिए शुरू की गई 'NAMASTE' (नेशनल एक्शन फॉर मेकनाइज़्ड सैनीटेशन इकोसिस्टम) योजना के संदर्भ में 16 जुलाई को एक 'नमस्ते दिवस' का आयोजन किया गया है। वैश्विक प्रचलन: COVID-19 महामारी के दौरान, हाथ मिलाने से बचने के लिए 'नमस्ते' अभिवादन का प्रचलन वैश्विक स्तर पर बढ़ गया था, जिसके बाद कुछ लोगों ने 'विश्व नमस्ते दिवस' आयोजित करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। संक्षेप में, यह एक ऐसा विचार है जिसे बढ़ावा दिया जा रहा है, लेकिन 'योग दिवस' की तरह अभी इसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त कोई आधिकारिक विश्व दिवस घोषित नहीं किया गया है। क्या आप 'नमस्ते' के अर्थ या इसके सांस्कृतिक महत्व के बारे में और जानना चाहेंगे? #aaj ki taaja khabar #🗞️🗞️Latest Hindi News🗞️🗞️ #🗞breaking news🗞 #🆕 ताजा अपडेट #hindi khabar
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Irfan shaikh
845 views 17 days ago
बाबा गुरबख्श सिंह जी बाबा गुरबख्श सिंह जी (Baba Gurbaksh Singh Ji) सिख इतिहास के एक महान योद्धा और शहीद (Great Warrior and Martyr) थे। उनकी मुख्य बातें इस प्रकार हैं: जन्म और प्रारंभिक जीवन: उनका जन्म 10 अप्रैल 1688 को अमृतसर के पास गाँव लील में हुआ था। वह गुरु गोबिंद सिंह जी के समकालीन थे और 11 वर्ष की आयु में भाई मणी सिंह जी की प्रेरणा से उन्होंने अमृतपान किया था। शिक्षा और सैन्य सेवा: उन्होंने बाबा दीप सिंह जी और भाई मणी सिंह जी के साथ समय बिताया, और वह एक कुशल विद्वान और योद्धा बने। शहादत: वह मुख्य रूप से दिसंबर 1764 में श्री हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर), अमृतसर की रक्षा के लिए अपनी शहादत के लिए जाने जाते हैं। अहमद शाह अब्दाली ने जब हिंदुस्तान पर सातवाँ आक्रमण किया और अमृतसर पर हमला किया, तो बाबा गुरबख्श सिंह जी ने लगभग 30 सिखों के एक जत्थे का नेतृत्व किया। उन्होंने अब्दाली की विशाल सेना (लगभग 30,000) के खिलाफ़ बहादुरी से लोहा लिया और श्री हरमंदिर साहिब की रक्षा करते हुए अंतिम सांस तक लड़ते रहे, जहाँ उन्होंने शहीदी प्राप्त की। यादगार: उनकी शहादत की याद में गुरुद्वारा श्री शहीद गंज बाबा गुरबख्श सिंह श्री हरमंदिर साहिब परिसर में, श्री अकाल तख्त के पीछे स्थित है। चरित्र: वह नीले बाणे (पारंपरिक सिख पोशाक) में रहते थे, अमृतवेले जागते थे, और अपने शरीर और दस्तार (पगड़ी) को सरबलोह (शुद्ध लोहा) के शस्त्रों और कवच से सजाते थे। वह अत्यंत निडर, धार्मिक और सम्माननीय संत-सिपाही के रूप में जाने जाते हैं। वह सिखों के इतिहास में एक महान शहीद और संत-सिपाही (Saint-Soldier) के रूप में पूजे जाते हैं, जिन्होंने धर्म और पवित्र स्थल की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। क्या आप उनके जीवन के किसी खास पहलू या उनकी शहादत के बारे में और जानना चाहेंगे? #aaj ki taaja khabar #🗞️🗞️Latest Hindi News🗞️🗞️ #🆕 ताजा अपडेट #hindi khabar #🗞breaking news🗞
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