*साधना का असली मार्ग*
यदि साधक बनना है, यदि वास्तव में मोक्ष के पथ पर चलना है—तो सुख को भूलना ही होगा।
क्योंकि यह मार्ग उन लोगों के लिए नहीं है जो भौतिक सुख-सुविधाओं की खोज में हैं।
भौतिक सुख पाने के अनेक साधन हैं—धन, पद, प्रतिष्ठा, विज्ञान, कर्म।
लेकिन साधना मार्ग उन सबका मार्ग नहीं है। यह केवल मुक्ति का मार्ग है।
साधना तुम्हें हर उस बंधन से दूर करेगी जिससे तुम अटैच हो।
साधना तुम्हें परमात्मा से जोड़ेगी।
साधना न तो धन का साधन है, न भौतिक सुख का, न सिद्धियों का खेल।
साधना दीर्घकालीन तप है।
21 दिन, 41 दिन, कुछ मालाओं का जाप करके मुक्ति नहीं मिलती।
मुक्ति तभी संभव है जब भीतर के विकारों पर विजय प्राप्त हो।
क्योंकि यदि एक भी विकार शेष है, तो साधक नीचे के चक्रों में बंधा रहेगा और फिर से वासनाओं की ओर खिंच जाएगा।
आजकल साधना और भक्ति का उपयोग लोग अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए करते हैं—
“कार्य बन जाए, समस्या हल हो जाए, सुख मिल जाए।”
लेकिन यह साधना नहीं है, यह सौदा है।
साधना का असली अर्थ है—अपने को साधना।
जब तक स्वयं को साधा नहीं, तब तक किसी देव या देवी को साधना संभव नहीं।
पहले अपने मन, इंद्रियों और वासनाओं को जीतना होगा—तभी साधना सफल होगी और साधक परमात्मा के समीप पहुंचेगा।
#🙏હરે રામ હરે ક્રિષ્ના❤ #જય જગન્નાથ યાત્રા #જગન્નાથ રથયાત્રા 🙏🙏 #🪈જય દ્વારકાધીશ👑 #🙏 જય શ્રી કૃષ્ણ