त्याग, बलिदान, साहस की प्रतीक, नारी सशक्तिकरण की सशक्त हस्ताक्षर माता रमाबाई अंबेडकर जी की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि! 🙏🏻🙏🏻
27 मई 1935 बाबासाहेब की जीवनसंगिनी रामाई
इस संसार को छोड़ गईं।
उनका त्याग, सहनशीलता और प्रेम इतिहास में अमर रहेगा।
#माता_रमाबाई के #महापरिनिर्वाण_दिवस पर उनके चरणों में श्रद्धा के पुष्प अर्पित करते हुए शत्-शत् नमन
इन सब महापुरुषों के बीच एक और नाम था, जिसके ज़िक्र के बगैर #बाबासाहेब की सफ़लता की कहानी अधूरी है। वह नाम है #माता_रमाबाई_आम्बेडकर!
#माता_रमाबाई_अम्बेडकर
बाबा साहब की पत्नी थीं। आज भी लोग उन्हें ‘माता रमाबाई के नाम से जानते हैं, 7 फ़रवरी 1898 को जन्मीं रमा के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। बचपन में ही उनके माता-पिता का देहांत हो गया था। ऐसे में उनके मामा ने उन्हें और उनके भाई-बहनों को पाला।
साल 1906 में 9 वर्ष की उम्र में उनकी शादी बॉम्बे (अब मुंबई) के बायकुला मार्किट में 14-वर्षीय भीमराव से हुई। रमाबाई को भीमराव प्यार से ‘रामू’ बुलाते थे और वो उन्हें ‘साहब’ कहकर पुकारतीं थीं। शादी के तुरंत बाद से ही रमा को समझ में आ गया था कि पिछड़े तबकों का उत्थान ही बाबा साहे
#कोटि-कोटि नमन #जय भीम #नमो बुद्धाय #जय भारत