▶️ ᴛɪʀᴛʜyᴀᴛʀᴀᴀ🛕📽️
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*🚩🌺 पितरों की विदाई की वेला पर श्रद्धांजलि 🚩🌺*
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*🚩🌺नत मस्तक हम करते हैं प्रणाम,*
*हे पितरों! स्वीकारो श्रद्धा के अरमान।*
*🚩🌺तुम्हीं थे आधार इस जीवन के,*
*तुम्हीं थे दीपक अंधकार हरन के।*
*🚩🌺आज तर्पण जल की धार कह रही,*
*तेरी कृपा से यह सांस चल रही।*
*🚩🌺संसार में जो भी सुख पाया हमने,*
*वह तुम्हारे तप और बलिदान से मिले।*
*🚩🌺आओ अंतिम वेला का सत्कार करें,*
*आशीष लेकर तुम्हें विदा करें।*
*🚩🌺विदाई है पर बिछोह नहीं होगा,*
*तुम्हारा स्मरण हर पल संग होगा।*
*🚩🌺यज्ञ की अग्नि में गूँजे तुम्हारा नाम,*
*फूलों की पंखुड़ियाँ करें प्रेम का प्रणाम।*
*🚩🌺हम निभाएँगे मर्यादा, धर्म और सत्य,*
*यही होगी सच्ची श्रद्धांजलि की ज्योति।*
*🚩🌺हे पितरों! लौटो अपने दिव्य लोक,*
*पर स्मृति रहेगी हृदय में हर शोक।*
*🚩🌺विदाई में आँसू हैं, पर गर्व भी अपार,*
*तुम्हारे संस्कारों से है जीवन साकार।*
*🚩🌺आज अमावस्या की गहन निस्तब्ध रात,*
*दीपक की लौ में झलक रहा है उनका साथ।*
*🚩🌺स्मृतियों के आँगन में गूँज रही है वाणी,*
*जैसे कह रही हो — "स्मरण रखो सन्तानी।"*
*🚩🌺पितरों की छाया है हर श्वास के संग,*
*उनके ही आशीष से जीवन में है रंग।*
*🚩🌺तर्पण की धार से मन करता प्रणाम,*
*श्रद्धा के सुमन चढ़े, झुके सबके प्राण।*
*🚩🌺वे आये थे कुछ दिन हमारे आँगन में,*
*आशीष बरसाने प्रेम के सागर में।*
*🚩🌺अब लौट रहे हैं दिव्य लोक की राह,*
*मन कहता है — "फिर मिलेंगे एक दिन, अथाह।"*
*🚩🌺विदाई की घड़ी है, अश्रु सजल नयन,*
*किन्तु हृदय में बसता उनका ही दर्शन।*
*🚩🌺कर्मपथ पर चलना यही सच्चा तर्पण,*
*उनकी परम्परा ही है जीवन का अर्जन।*
*🚩🌺हे पितरों! चरणों में शत शत नमन,*
*आपकी स्मृति रहे हर क्षण-प्रतिक्षण।*
*🚩🌺श्रद्धा के दीप से आलोकित हो जीवन,*
*सदा मिले आशीष, सदा रहे संतोषमय मन।*
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