#शुभ मंगलवार
आत्म-दर्शन के भाव...!!
मंगलवार का हनुमत-दर्शन: मन, विश्वास और चेतना का प्रकाश
मंगलवार केवल सप्ताह का एक दिन नहीं , यह है शक्ति, श्रद्धा, एकाग्रता और निर्भयता का आह्वान।
हनुमान जी का स्वरूप साधक को सिखाता है कि, मन जब सारथी-विवेक से चलता है, विश्वास जब भय को भगा देता है,
और चेतना जब एकाग्र होकर शुद्ध होती है, तब मनुष्य भी असंभव को संभव बना देता है।
आज का यह अध्याय उन्हीं तीन दिव्य सूत्रों का संयोजन है—जो साधक के भीतर “मनोजय”, “अभय” और “शुद्ध-चेतना” के प्रकाश को जगाते हैं।
मन वही रथ है जो सारथी के विवेक से दिशा पाता है; अन्यथा तुफान में डगमगाती नाव बन जाता है।
मन स्वयं शक्तिशाली नहीं शक्ति तो उसे दिशा देने वाले विवेक में है।
यदि मन को अनियंत्रित छोड़ दिया जाए, तो वह इच्छाओं, आवेगों, भय और प्रतिक्रियाओं के तूफ़ान में भटकने लगता है।
इसी को गीता में “मनः शत्रु” कहा गया है जब वह साधना से दूर हो।
लेकिन जब मन विवेक के नियंत्रण में आ जाए, जब “मैं” का सारथी जागृत हो जाए, तब मन वही रथ बन जाता है जो हमें धर्म, शांति और आत्मबोध की ओर ले जाता है।
मंगलवार का अर्थ ही है ; साहस + नियंत्रण + दिशा।
हनुमान जी का सार यही है:
“शक्ति को मन की स्थिरता के साथ जोड़कर जीवन को धर्ममार्ग पर चलाना।”
हनुमान जी को “मनोजय” (मन को जीतने वाले) इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में मन को स्वामी नहीं बनने दिया, बल्कि सेवक के रूप में साधा।
रामकथा में जब भी संकट आया, चाहे समुद्र लांघना हो,
लक्ष्मणजी का प्राण-संकट हो, या युद्धभूमि में असंभव प्रतीत होता कार्य, हर बार मन हिला, पर हनुमान का सारथी-विवेक अडिग रहा।
उनका मन राम के चरणों में स्थिर था, इसलिए उनका प्रत्येक कार्य दिव्य हुआ। जिस प्रकार हनुमान जी अपने मन को राम-विवेक से दिशा देते हैं,
वैसे ही साधक जब अपने मन का सारथी स्वयं बनता है तो जीवन-रथ सही लक्ष्य पर पहुँचता है।
जिसके मन का सारथी राम-विवेक हो, उसका रथ कभी मार्ग नहीं खोता।
“जिसे भविष्य का भरोसा हो, उसका वर्तमान भयमुक्त हो जाता है।”
भय कभी वर्तमान से नहीं उठता हमेशा भविष्य से जुड़ा होता है: क्या होगा? कैसा होगा? ठीक होगा या नहीं?
आध्यात्मिक दृष्टि कहती है:
“भविष्य का भय केवल एक ही चीज़ मिटाती है विश्वास।”
विश्वास किस पर?
अपने कर्म पर
अपने संरक्षणदाता पर
ईश्वर की न्यायशील व्यवस्था पर
ब्रह्मांड की करुणा पर
जब मनुष्य यह समझ लेता है कि
‘मेरे साथ जो होगा, वह मेरे विकास के लिए होगा।’ तो भय की जड़ ही सूख जाती है।
मंगलवार की ऊर्जा भय-नाशक है।
हनुमान जी का स्मरण ही यह शक्ति देता है कि
“जिसे वह आश्रय देते हैं, उसे संसार का कोई भी भय छू नहीं सकता।”
हनुमान जी का संपूर्ण जीवन “अभय” का प्रतीक है।
उनके भीतर यह निर्भयता यूँ ही नहीं आईक्षयह श्रद्धा और विश्वास की उपज है।
जैसे, समुद्र पार करने से पहले उन्हें नहीं पता था कि यह छलांग कहाँ ले जाएगी, पर एक चीज़ निश्चित थी:
“रामकाज करिबे को आतुर…”
जब उद्देश्य राम का था तो भय का प्रश्न ही नहीं था।
इसी विश्वास ने उन्हें शक्तिशाली नहीं अजेय बनाया।
उनकी निर्भयता भविष्य की चिंता नहीं करती थी, क्योंकि वे जानते थे: “राम रक्षा में किसी का अहित नहीं हो सकता।”
जब साधक अपने जीवन के भविष्य को ईश्वर की कृपा पर सौंप देता है,
तो मन भय से मुक्त होकर उसी साहस को धारण कर लेता है
जो हनुमान जी का स्वरूप है।
“जब चेतना एकाग्र होती है, तो उसकी शुद्धता मन की हर अशुद्ध परत को पारदर्शी बना देती है।”
हमारा मन धूल से भरे शीशे की तरह है, उसमें सत्य, प्रेम, करुणा और प्रकाश सब मौजूद हैं, पर हमें दिखाई नहीं देते।
क्यों?
क्योंकि मन अनेक परतों से ढका होता है, वासनाएँ, भय, अपेक्षाएँ, स्मृतियाँ, मोह, आवेग, और अस्थिरता।
लेकिन चेतना (pure awareness) एक दीप की तरह है जब वह एकाग्र होती है, तो मन की धुंध जलने लगती है,
और भीतर की शुद्धता प्रकट होने लगती है।
यही योग का सार है। यही ध्यान का लक्ष्य है।
यही हनुमत-तत्व का गूढ़ रहस्य है एकाग्रता से मन शुद्ध होता है,
शुद्ध मन से शक्ति प्रकट होती है, और शक्ति से जीवन दिव्य हो जाता है।
मंगलवार का संदेश ही है:
“एकाग्रता में ही शक्ति का जन्म है।”
हनुमान जी की महानता केवल बाल-शक्ति या पराक्रम में नहीं,
बल्कि उनकी अद्वितीय एकाग्रता में है। उनकी चेतना में केवल एक ही बिंदु था “श्रीराम।”
उनका मन इतना एकाग्र था कि, रावण का मायाजाल, युद्ध की विभीषिका, शत्रु की शक्ति, और शरीर की सीमाएँ कुछ भी उन्हें विचलित नहीं कर सकता था।
उनकी चेतना की शुद्धता ऐसी थी कि हर संदेह, हर भ्रम, हर दुःख, उनके भीतर पहुँचने से पहले ही नष्ट हो जाता था।
इसलिए उन्हें “चित्त-शुद्ध” और “भक्ति-रूप” कहा गया है।
साधक जब मन को एक ही बिंदु ईश्वर, मंत्र या साधना पर स्थिर कर देता है, तो उसकी चेतना हनुमान-तत्व की तरह प्रकाशमान हो जाती है। तब अशुद्धियाँ, विकार और भय स्वतः विलीन होने लगते हैं।
हनुमान जी का साहस आपके मन को स्थिर करे, और आपका विवेक आपकी दिशा स्पष्ट करे।
आपका भविष्य प्रभु राम की करुणा में सुरक्षित रहे, और आपकी चेतना हनुमान-तत्व की तरह प्रकाशमान हो।
मंगलवार के इस पावन दिवस पर हनुमान जी का संदेश स्पष्ट है “मन को जीतो, विश्वास को थामो, और चेतना को एकाग्र रखो , तो ब्रह्मांड भी आपके साथ चलने लगता है।
आपके भीतर वही शक्ति है, वही निर्भयता है, वही एकाग्रता है जो हनुमान जी को अतुलनीय बनाती है। बस मन का सारथी जागृत होना चाहिए।
जय हनुमान… मंगलमूर्ति…
आपके जीवन में आज का दिन मंगलमय, शांत और तेजस्वी हो।
ॐ हुं ⚜️ हनुमतये 🙏 नमः ‼️
शुभ मंगलवार 🌹
🙏🌹