Shyam Kunvar Bharti
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*#भोजपुरी #लघु #कहानी- #सासू जी क सलाह।**
लेखक- श्याम कुंवर भारती
राखी बड़ा पढ़ल लिखल रहली ।जब उ शारदा जी क बेटा शेखर से बियाह क के दुल्हिन बन के अइली त शारदा जी पढ़ल लिखिल औरी सुनर दुल्हिन पा के बड़ा खुश भइली़ ।
बाकी उनकर ई खुशी बहुत जल्दी हवा हो गइल ।
बीए पास आ सुघर होखे के खातिर राखी बड़ा घमंडी औरी ढीठ रहली।न बोले के ढंग ना केवनो काम के सहूर ।ऊपर से आपन सास के केवनों बात न सुने ना सीखे के कोशिश करत रहली।
शारदा बड़ा दुखी भईली ।अब उदास रहे लगली। केवने जन्म के बदला भगवान ले ले रहले जे अईसन भकभेलर औरी बेसहूर पतोह मिलल।
दइब जाने हमरे बेटा क जिनग़ी अब कइसे कटी।
यही तरे दिन बितल औरी छठपुआ नियरा गइल ।शारदा जी हर साल छठ बरत करत रहली ।आपन दुनु बेटी के ससुराल से बुला के करत रहली।
बाकी अबकी बार उनकर पतोह हठ करे लगली की यह साल छठ बरत हम उठाइब । रउवा अब बूढ़ा गइली आराम करी ।
आपन पतोह क बात सुन के शारदा बड़ा खुश भइली की चला एगो बात त उनकर पतोह सही कहली ह।
उत्साह में पुछली छठ बरत के नियम सब मालूम बा न।अगर ना मालूम होई त हमरा से पूछ लिहा हम सब बता देब।
लेकिन राखी के अपने ज्ञान पर बड़ा घमंड रहे ।ऊपर से सोचली अबले ना अपने सास से कुछ पुछली त अब काहे पूछके आपन सास के भाव बढ़ाई।
ऐंठ के कहली नाही केवनों जरूरत नइखे हमरा सब नियम मालूम बा । आप खाली देखत रही।शारदा जी कहली तब ठीक बा बाकी खियाल रखीहा केवनों नियम टूटे ना पावे नाही त छठी मईया नाराज हो जईहे । फायदा के जगह बड़ा नुकसान हो जाई दुल्हिन ।
पूरा गुमान में उनकर पतोह कहली रउआ त बेकार चिंता करत बानी अम्मा जी हम सब संभाल लेब।
शारदा चुप हो गईली ।
उनकर बगल में एगो जेनरल स्टोर चलावे वाला नौजवान रहत रहे।ओकर नाम मंगरू रहे। ओकर नया नया बियाह भईल रहे ।नई नवहर दुल्हिन आइल रहली।ओकर नाम लक्ष्मीनिया रहे ।देखे में सुघर साघर त रहवे कईली बाकी बड़ा सीधा साधा मेहरारू रहली।
बोली चा में बड़ा मिठास रहे।पढ़ल लिखल ज्यादा ना रहली। आठवीं पास रहली। बाकी उनकर सास ससुर ना रहले।उ एक दिन शारदा देवी के लगे गईली औरी पांव चुके गोड़ लग्गी कईली।शारदा देवी बड़ा खुश भइली।मन भर के आशीर्वाद देहली।
जेकर आपन पतोह सीधे मुंह बात ना करत रहली।दुसर के दुल्हिन से एतना आदर पा के उ गदगद हो गईली।
का बात बा दुल्हिन आज हमरे घर क डहर भुला के कईसे आ गईलू ह।
उ बड़ा प्यार से पुछली।
अरे नाही अम्मा जी हम भुला के ना अईली ह जान बुझके अइली ह।
लक्ष्मीनियाँ बड़ा आदर से कहली ।
ठीक बा बोला का काम रहल ह। उ पुछली ।
अम्मा जी हमरा छठ पूजा करे के मन बा । बाकी हमरा केवनो नियम ना आवेला। रउवा त हर साल करीले ।तनी हमरो के सीखा दी ताकी केवनो भूल चुक ना होखे पावे।
दुल्हिन के बात सुनके शारदा बड़ी खुश भइली । उ दुल्हिन के सब नियम बता देहली।उनकर बात सुन के दुल्हिन उनसे हाथ जोड़ के कहली ये अम्मा जी एतना नियम पूरावल हमरा से अकेले पार ना लागी। रउवा हमरे घरे चल के चार दिन रहेके पड़ी तब होई।
शारदा अपने पतोह राखी से पुछली की दुल्हिन छठ करे के अपने घर ले जाईल चाहत बानी हम जाई की ना दुल्हिन ।
उनकर पतोह राखी सोचली ई घर में रही के का करिहें।हम तो सब कइये लेब। उ जायेके कह देहली।
राखी आपन एगो छोट बहिन के अपने नइहर से बुला लिहली।केहू से कुछ पूछबो ना कईली ओरी जइसे बुझाइल वइसे छठ बरत कईली ।
छठ बितला के तीन महीना बाद राखी के मरद के नौकरी छूट गइल । औरी उ खूब बीमार पड़ गईली ।
ओहर लक्ष्मीनियाँ के मरद के दुकान खूब चले लागल औरी उ पेट से हो गइली ।उनकर खुशी के ठिकाना ना रहे। उ शारदा देवी के खूब आदर सत्कार कईली ।
बाकी आपन बेटा के नौकरी छूटला औरी पतोह के बीमार भईला से उ बड़ा चिंता में पड़ ग़ईली ।
बड़ा दवा दारू करववली बाकी उ ठीक ना भईली।
तब एगो उ बाबा भारती के आश्रम में आपन पतोह औरी बेटा के ले के गइली ।बाबा से उ आपन सब दुखड़ा सुनवली।बाबा ध्यान से देख के बतवले की छठ पूजा नियम से ना भईला से छठ माई रूष्ट हो गइल बाड़ी।
सुनके राखी बड़ा अफसोस कईली।
शारदा बाबा से उपाय पुछली । बाबा बतवले नहा धो के भिंजल कपड़ा पहिनले छठ माई से माफी मांगे के पड़ी औरी अगले साल पूरा नियम औरी श्रद्धा से छठ बरत करे के पड़ी।
साथ में छठ पूजा आवे तक रोज सूरज देव के जल चढ़ावे के पड़ी।
राधा के आपन सास के सलाह ना माने के बड़ा दंड भोगे के पड़ल ।
उ तुरंत आपन सास के गोड पर गिरके माफी मंगली औरी आगे से उनकर हर बात माने के प्रण कईली ।
जय छठ मईया।
समाप्त
लेखक_ श्याम कुंवर भारती
बोकारो,झारखंड
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