गीता ज्ञान
371 Posts • 1M views
sn vyas
463 views 19 hours ago
💕_*।। भगवद्गीता और धर्म ।।*_❤️🚩 ( भगवद्गीता ने धार्मिक होने के छह लक्षण गिनाए हैं ) धर्म शब्द के अर्थ को लेकर इतनी भिन्नता है कि लगभग अराजकता जैसी स्थिति है। अपनी अपनी मर्जी को उस अर्थ पर थोप देते हैं कि यही धर्म का अर्थ है। लोकमन में धर्म शब्द का अर्थ संकीर्ण होता तो वह उसे क्यों मान लेता? धर्म शब्द बोल देना कितना आसान है! किन्तु भगवद्गीता ने किस प्रकार के मनुष्य की प्रतिष्ठा की है ? इस मनुष्य की नित-नित प्रणम्य परिकल्पना भी असाधारण है। गीता ने धार्मिक होने के छह लक्षण गिनाए हैं जो इस प्रकार से है - *1* - *अद्वेष्टा सर्वभूतानां* - किसी भी प्राणी के प्रति द्वेष-भाव न हो। *2* - *मैत्र: करुण एव च* - द्वेष न होना ही काफी नहीं है, सभी के प्रति मैत्रीभाव हो और निर्बल के प्रति दया हो। *3* - *निर्ममो - निरहंकार:* - मेरा पन न हो, अभिमान भी न हो। *4* - *समदु:ख:सुखक्षमी* - सुखदुख में समान क्षमता से युक्त हो। *5* - *यस्मान्नोद्विजते लोको* - जिससे लोक को उद्विग्नता न हो। *लोकान्नोद्विजते च य:* - उसे स्वयं भी लोक से उद्वेग न हो। *6* - *सम: शत्रौ च मित्रेषु तथा मानापमानयो:* - मान हो या अपमान, शत्रु हो या मित्र समान दृष्टि वाला हो। *🙏जय श्रीमन्नारायण🙏* #गीता ज्ञान
19 likes
1 comment 10 shares