भगवान श्री गुरु दत्तात्रेय जी
जय गुरुदेव! 🙏
भगवान श्री गुरु दत्तात्रेय जी हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पूजनीय देवता हैं, जिन्हें त्रिदेव - ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) का संयुक्त अंश अवतार माना जाता है।
उनके बारे में कुछ मुख्य बातें यहाँ दी गई हैं:
जन्म: उनका जन्म महर्षि अत्रि और सती अनुसूया के यहाँ मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा (दत्तात्रेय जयंती) के दिन हुआ था।
स्वरूप: उन्हें प्रायः तीन मुख और छह भुजाओं के साथ दर्शाया जाता है, जो त्रिदेवों की शक्तियों का प्रतीक है।
विशेषता: उन्हें आजन्म ब्रह्मचारी, अवधूत (जो संसार के बंधनों से मुक्त हो) और योग तथा ज्ञान का सर्वोच्च स्वरूप माना जाता है। वे शीघ्र कृपा करने वाले देव माने जाते हैं।
गुरु: भगवान दत्तात्रेय ने प्रकृति और जीवों से ज्ञान प्राप्त किया था, इसलिए उनके 24 गुरु माने जाते हैं। इनमें पृथ्वी, जल, वायु, आकाश, सूर्य, चंद्रमा, पक्षी (कबूतर, कुररी), जानवर (हाथी, अजगर), और मनुष्य (पिंगला वेश्या, बालक) शामिल हैं। यह दर्शाता है कि ज्ञान कहीं से भी मिले, उसे ग्रहण कर लेना चाहिए।
दत्त संप्रदाय: पूरे भारत और विशेष रूप से महाराष्ट्र में दत्त संप्रदाय में उनकी उपासना गुरु के रूप में बड़े धूमधाम से की जाती है। उनके तीन प्रमुख ऐतिहासिक अवतार श्रीपाद श्रीवल्लभ, श्री नृसिंह सरस्वती, और मणिकप्रभु हुए।
साथी: उनकी प्रतिमा में उन्हें अक्सर एक गाय (पृथ्वी और कामधेनु का प्रतीक) और उनके चारों ओर चार कुत्ते (चार वेदों का प्रतीक) के साथ देखा जाता है।
भगवान दत्तात्रेय की पूजा करने से तीनों देवों की पूजा का फल प्राप्त होता है।
क्या आप भगवान दत्तात्रेय के 24 गुरुओं में से किसी के बारे में अधिक जानना चाहेंगे, या उनकी जन्म कथा के बारे में?
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