रानी लक्ष्मीबाई जी
रानी लक्ष्मीबाई, जिन्हें झाँसी की रानी के नाम से जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक महान वीरांगना थीं।
यहाँ उनके बारे में कुछ संक्षिप्त जानकारी दी गई है:
जन्म: 19 नवंबर, 1828 को वाराणसी (काशी) में हुआ।
बचपन का नाम: मणिकर्णिका (प्यार से 'मनु' या 'छबीली' कहा जाता था)।
माता-पिता: पिता मोरोपंत तांबे और माता भागीरथीबाई।
शिक्षा: उन्होंने बचपन में शास्त्रों की शिक्षा के साथ-साथ शस्त्रों की शिक्षा (तलवारबाजी, घुड़सवारी) भी ली।
विवाह: 1842 में झाँसी के राजा गंगाधर राव नेवालकर के साथ हुआ। विवाह के बाद उनका नाम लक्ष्मीबाई रखा गया।
झाँसी का विलय: राजा गंगाधर राव की मृत्यु के बाद, अंग्रेजों ने 'डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स' (हड़प नीति) के तहत झाँसी को अंग्रेजी साम्राज्य में मिलाने की कोशिश की।
1857 का संग्राम: रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के इस अन्यायपूर्ण कदम का विरोध करते हुए कहा था: "मैं अपनी झाँसी नहीं दूँगी।" उन्होंने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में वीरतापूर्वक भाग लिया और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
शहादत: 18 जून, 1858 को ग्वालियर में अंग्रेजों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुईं।
उनकी बहादुरी और बलिदान ने उन्हें भारतीय इतिहास में एक अमर स्थान दिलाया है। कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की पंक्तियाँ उनके शौर्य को आज भी याद दिलाती हैं:
"खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।"
क्या आप रानी लक्ष्मीबाई के जीवन के किसी खास पहलू, जैसे 1857 के युद्ध में उनकी भूमिका या उनके बचपन के बारे में और जानना चाहेंगे?
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