*"परख"*
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संदीप हमेशा से शांत, विनम्र और सीधा-सादा लड़का था। गाँव से शहर पढ़ाई करने आया था और हर किसी को अपना मानकर चलता था। उसे लगता था कि दुनिया उतनी ही सरल है जितना उसका अपना मन—
जहाँ न छल होता है, न कपट।
पहले वर्ष में ही उसने कॉलेज में कुछ नए दोस्त बना लिए। उनमें से एक था—विक्रम।
तेज़ दिमाग, मीठी बातें और हर समय हँसमुख।
संदीप को लगा—“यह तो मेरा सच्चा दोस्त है!”
शुरुआती दिनों में विक्रम उससे हर बात साझा करता, उसकी मदद लेता, और संदीप भी पूरे मन से उसका साथ देता।
लेकिन संदीप इस बात से अनजान था कि हर मुस्कान ईमानदार नहीं होती, और हर दोस्त दिल से दोस्त नहीं होता।
एक दिन कॉलेज में एक बड़ा टैलेंट इवेंट हुआ।
संदीप को कविता लेखन में भाग लेना था।
उसने अपनी डायरी विक्रम को पढ़ने के लिए दी।
विक्रम ने तारीफ़ तो खूब की; लेकिन वही रात उसने संदीप की कविता अपने नाम से दूसरी टीम को दे दी।
अगले दिन जब परिणाम आया, तो वही कविता विजेता घोषित हुई—
लेकिन मंच पर खड़ा व्यक्ति विक्रम था।
संदीप अवाक खड़ा रह गया।
दिल टूट गया।
विश्वास चकनाचूर हो गया।
उसने सोचा—
“क्या सच में मैं गलत लोगों को ही अपना मानता रहा?”
वह चुपचाप हॉस्टल के कमरे में जाकर बैठ गया।
अकेलेपन, अपमान और दर्द की एक अजीब घुटन उसे अंदर से खा रही थी।
उसी समय उसके पास उसके विभाग के शिक्षक, प्रोफेसर मोहन आ गए।
उन्होंने संदीप की आँखों में बहता आँसू देखा और बिना कुछ पूछे उसके पास बैठ गए।
कुछ देर की चुप्पी के बाद संदीप फूट पड़ा—
“सर, मैंने किसी का बुरा नहीं सोचा… फिर क्यों मुझे ही ऐसे लोग मिलते हैं?
मैं किसी को परख ही नहीं पाता…”
प्रोफेसर ने गहरी सांस लेकर शांत स्वर में कहा—
“बेटा, परख किताबों से नहीं आती,
जीवन से आती है।
कभी गलत लोगों से टकराना भी जरूरी है,
क्योंकि वही हमें सही लोगों की कीमत सिखाते हैं।”
संदीप ध्यान से सुनता रहा।
“कष्ट न हो तो जीवन की कीमत कैसे जानोगे?
और यदि तुम गलत इंसान से नहीं टकराओगे,
तो सही को पहचानोगे कैसे?”
संदीप की आँखों में पहली बार दर्द नहीं, समझ दिखाई दी।
प्रोफेसर बोले—
“दुनिया तुम्हें चोट देगी, पर वही चोट तुम्हें मजबूत भी बनाएगी। अब से लोगों को उनके शब्दों से नहीं, उनके कर्मों से पहचानना।”
संदीप उठा और नए सिरे से खड़ा हुआ।
उसने अगली प्रतियोगिता में नई कविता लिखी,
इस बार डर नहीं था।
दर्द था, पर दर्द से जन्मी समझ भी थी।
प्रतियोगिता के दिन जब वह मंच पर गया,
तो उसके शब्द जैसे उसके दिल के घाव भरते जा रहे थे।
उसकी कविता लोगों के हृदय को छू गई।
इस बार जीत किसी और से नहीं,
अपने भीतर से थी।
कार्यक्रम खत्म होते ही उसे पुरस्कार मिला।
भीड़ में खड़े विक्रम की नज़रें झुक गईं।
संदीप उसके पास गया, न गुस्सा, न ताना—
सिर्फ एक वाक्य कहकर आगे बढ़ गया—
“धन्यवाद…
तुम्हारी वजह से मैं खुद को समझ पाया।”
उस रात संदीप ने अपनी डायरी में लिखा—
“जीवन में हर व्यक्ति शिक्षक है—
कुछ हमें अच्छा बना जाते हैं,
कुछ हमें सावधान।
पर हर कोई हमें परखना सिखा देता है..
मंगलमय प्रभात
प्रणाम #😇 जीवन की प्रेरणादायी सीख #❤️जीवन की सीख #👍 सफलता के मंत्र ✔️ #✍️ जीवन में बदलाव #👍मोटिवेशनल कोट्स✌
हरि एक हरि कथा अनंता
जेहि विधि गँवही श्रुतिजन संता सियाराम सब जग जानी करहूं प्रणाम
जोड़ियुग पानी
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
🚩🚩🌻🌻🪷🌻🌻🙏🙏 #🌸 जय श्री कृष्ण😇 #🌞 Good Morning🌞 #🔱हर हर महादेव #शुभ गुरुवार #🕉️सनातन धर्म🚩
किसी नगर में एक सेठ जी रहते थे. उनके घर के नजदीक ही एक मंदिर था । एक रात्रि को पुजारी के कीर्तन की ध्वनि के कारण उन्हें ठीक से नींद नहीं आयी.
सुबह उन्होंने पुजारी जी को खूब डाँटा कि ~ यह सब क्या है?
पुजारी जी बोले ~ एकादशी का जागरण कीर्तन चल रहा था.
सेठजी बोले ~ जागरण कीर्तन करते हो, तो क्या हमारी नींद हराम करोगे ? अच्छी नींद के बाद ही व्यक्ति काम करने के लिए तैयार हो पाता है फिर कमाता है, तब खाता है.
इसके बाद पुजारी और सेठ के बीच हुआ संवाद --
पुजारी~सेठजी ! खिलाता तो वह खिलाने वाला ही है.
सेठजी ~ कौन खिलाता है ? क्या तुम्हारा भगवान खिलाने आयेगा ?
पुजारी ~ वही तो खिलाता है.
सेठजी ~ क्या भगवान खिलाता है ! हम कमाते हैं तब खाते हैं.
पुजारी ~ निमित्त होता है तुम्हारा कमाना, और पत्नी का रोटी बनाना, बाकी सब को खिलाने वाला, सब का पालनहार तो वह जगन्नाथ ही है.
सेठजी ~ क्या पालनहार - पालनहार लगा रखा है ! बाबा आदम के जमाने की बातें करते हो. क्या तुम्हारा पालने वाला एक - एक को आकर खिलाता है ? हम कमाते हैं तभी तो खाते हैं.
पुजारी ~ सभी को वही खिलाता है.
सेठजी ~ हम नहीं खाते उसका दिया.
पुजारी ~ नहीं खाओ तो मारकर भी खिलाता है
सेठ ने कहा ~ पुजारी जी ! अगर तुम्हारा भगवान मुझे चौबीस घंटों में नहीं खिला पाया तो फिर तुम्हें अपना यह भजन-कीर्तन सदा के लिए बंद करना होगा.
पुजारी ~मैं जानता हूँ कि तुम्हारी पहुँच बहुत ऊपर तक है, लेकिन उसके हाथ बड़े लम्बे हैं.जब तक वह नहीं चाहता, तब तक किसी का बाल भी बाँका नहीं हो सकता आजमाकर देख लेना.
निश्चित ही पुजारी जी भगवान में प्रीति रखने वाले कोई सात्त्विक भक्त रहें होंगे. पुजारी की निष्ठा परखने के लिये सेठ जी घोर जंगल में चले गये और एक विशालकाय वृक्ष की ऊँची डाल पर ये सोचकर बैठ गये कि अब देखें इधर कौन खिलाने आता है?
चौबीस घंटे बीत जायेंगे और पुजारी की हार हो जायेगी. सदा के लिए कीर्तन की झंझट मिट जायेगी.
तभी एक अजनबी आदमी वहाँ आया. उसने उसी वृक्ष के नीचे आराम किया, फिर अपना सामान उठाकर चल दिया, लेकिन अपना एक थैला वहीं भूल गया.। भूल गया कहो या छोड़ गया कहो
भगवान ने किसी मनुष्य को प्रेरणा की थी अथवा मनुष्य रूप में साक्षात् भगवान ही वहाँ आये थे यह तो भगवान ही जानें !
थोड़ी देर बाद पाँच डकैत वहाँ पहुँचे उनमें से एक ने अपने सरदार से कहा,उस्ताद ! यहाँ कोई थैला पड़ा है.
क्या है ? जरा देखो ! खोल कर देखा, तो उसमें गरमा - गरम भोजन से भरा टिफिन!
उस्ताद भूख लगी है. लगता है यह भोजन भगवान ने हमारे लिए ही भेजा है.
अरे ! तेरा भगवान यहाँ कैसे भोजन भेजेगा ? हम को पकड़ने या फँसाने के लिए किसी शत्रु ने ही जहर-वहर डालकर यह टिफिन यहाँ रखा होगा,अथवा पुलिस का कोई षडयंत्र होगा. इधर - उधर देखो जरा,कौन रखकर गया है.
उन्होंने इधर-उधर देखा,लेकिन कोई भी आदमी नहीं दिखा.तब डाकुओं के मुखिया ने जोर से आवाज लगायी,कोई हो तो बताये कि यह थैला यहाँ कौन छोड़ गया है?
सेठजी ऊपर बैठे - बैठे सोचने लगे कि अगर मैं कुछ बोलूँगा तो ये मेरे ही गले पड़ेंगे.
वे तो चुप रहे,लेकिन जो सबके हृदय की धड़कनें चलाता है, भक्तवत्सल है, वह अपने भक्त का वचन पूरा किये बिना शाँत नहीं रहता.
उसने उन डकैतों को प्रेरित किया उनके मन में प्रेरणा दी कि ..'ऊपर भी देखो.' उन्होंने ऊपर देखा तो वृक्ष की डाल पर एक आदमी बैठा हुआ दिखा. डकैत चिल्लाये, अरे ! नीचे उतर!
सेठजी बोले, मैं नहीं उतरता.
क्यों नहीं उतरता,यह भोजन तूने ही रखा होगा.
सेठजी बोले,मैंने नहीं रखा.कोई यात्री अभी यहाँ आया था,वही इसे यहाँ भूलकर चला गया.
नीचे उतर!तूने ही रखा होगा जहर मिलाकर,और अब बचने के लिए बहाने बना रहा है.तुझे ही यह भोजन खाना पड़ेगा.
अब कौन-सा काम वह सर्वेश्वर किसके द्वारा,किस निमित्त से करवाये अथवा उसके लिए क्या रूप ले,यह उसकी मर्जी की बात है.बड़ी गजब की व्यवस्था है उस परमेश्वर की.
सेठजी बोले ~ मैं नीचे नहीं उतरूँगा और खाना तो मैं कतई नहीं खाऊँगा.
पक्का तूने खाने में जहर मिलाया है. अरे ! नीचे उतर अब तो तुझे खाना ही होगा.
सेठजी बोले ~ मैं नहीं खाऊँगा. नीचे भी नहीं उतरूँगा.
अरे कैसे नहीं उतरेगा.
सरदार ने एक आदमी को हुक्म दिया इसको जबरदस्ती नीचे उतारो
डकैत ने सेठ को पकड़कर नीचे उतारा.
ले खाना खा!
सेठ जी बोले ~ मैं नहीं खाऊँगा.
उस्ताद ने धड़ाक से उनके मुँह पर तमाचा जड़ दिया.
सेठ को पुजारी जी की बात याद आयी कि ~नहीं खाओगे तो, मारकर भी खिलायेगा.
सेठ फिर बोला ~ मैं नहीं खाऊँगा
अरे कैसे नहीं खायेगा ! इसकी नाक दबाओ और मुँह खोलो.
डकैतों ने सेठ की नाक दबायी, मुँह खुलवाया और जबरदस्ती खिलाने लगे. वे नहीं खा रहे थे, तो डकैत उन्हें पीटने लगे.
तब सेठ जी ने सोचा कि ये पाँच हैं और मैं अकेला हूँ. नहीं खाऊँगा तो ये मेरी हड्डी पसली एक कर देंगे. इसलिए चुपचाप खाने लगे और मन-ही-मन कहा ~ मान गये मेरे बाप ! मार कर भी खिलाता है!
डकैतों के रूप में आकर खिला, चाहे भक्तों के रूप में आकर खिला लेकिन खिलाने वाला तो तू ही है. आपने पुजारी की बात सत्य साबित कर दिखायी.
सेठजी के मन में भक्ति की धारा फूट पड़ी.
उनको मार-पीट कर ...डकैत वहाँ से चले गये, तो सेठजी भागे और पुजारी जी के पास आकर बोले ~
पुजारी जी ! मान गये आपकी बात ~कि नहीं खायें तो वह मार कर भी खिलाता है.
संसार जगत में निमित्त तो कोई भी हो सकता है किन्तु सत्य यही है कि भगवान ही जगत की व्यवस्था का कुशल संचालन करते हैं ।अतः अपने जगत के आधार भगवानपर विश्वास ही नहीं बल्कि दृढ़ विश्वास होना चाहिए ।
मंगलमय प्रभात
प्रणाम #😇 जीवन की प्रेरणादायी सीख #👍 सफलता के मंत्र ✔️ #❤️जीवन की सीख #✍️ जीवन में बदलाव #🙏🏻आध्यात्मिकता😇
🙏आप प्रति दिन प्रगति और
संपन्नता की ओर बढ़ते
रहिए..।
🙏जय श्रीगणेश🙏 #shubh budhwar #🔱हर हर महादेव #🌞 Good Morning🌞 #🌸 जय श्री कृष्ण😇 #📝गणपति भक्ति स्टेटस🌺
🌹सोच ही जीवन आधार🌹
🙏🙏🙏
तीन राहगीर रास्ते पर एक पेड़ के नीचे मिले | तीनो लम्बी यात्रा पर निकले थे | कुछ देर सुस्ताने के लिए पेड़ की घनी छाया में बैठ गए | तीनो के पास दो झोले थे एक झोला आगे की तरफ और दूसरा पीछे की तरफ लटका हुआ था |
तीनो एक साथ बैठे और यहाँ-वहाँ की बाते करने लगे जैसे कौन कहाँ से आया? कहाँ जाना हैं? कितनी दुरी हैं ? घर में कौन कौन हैं ?ऐसे कई सवाल जो अजनबी एक दुसरे के बारे में जानना चाहते हैं |
तीनो यात्री कद काठी में सामान थे पर सबके चेहरे के भाव अलग-अलग थे | एक बहुत थका निराश लग रहा था जैसे सफ़र ने उसे बोझिल बना दिया हो | दूसरा थका हुआ था पर बोझिल नहीं लग रहा था और तीसरा अत्यन्त आनंद में था | एक दूर बैठा महात्मा इन्हें देख मुस्कुरा रहा था |
तभी तीनो की नजर महात्मा पर पड़ी और उनके पास जाकर तीनो ने सवाल किया कि वे मुस्कुरा क्यूँ रहे हैं | इस सवाल के जवाब में महात्मा ने तीनो से सवाल किया कि तुम्हारे पास दो दो झोले हैं इन में से एक में तुम्हे लोगो की अच्छाई को रखना हैं और एक में बुराई को बताओ क्या करोगे ?
एक ने कहा मेरे आगे वाले झोले में, मैं बुराई रखूँगा ताकि जीवन भर उनसे दूर रहू | और पीछे अच्छाई रखूँगा | दुसरे ने कहा- मैं आगे अच्छाई रखूँगा ताकि उन जैसा बनू और पीछे बुराई ताकि उनसे अच्छा बनू | तीसरे ने कहा मैं आगे अच्छाई रखूँगा ताकि उनके साथ संतुष्ट रहूँ और पीछे बुराई रखूँगा और पीछे के थैले में एक छेद कर दूंगा जिससे वो बुराई का बोझ कम होता रहे हैं और अच्छाई ही मेरे साथ रहे अर्थात वो बुराई को भूला देना चाहता था |
यह सुनकर महात्मा ने कहा – पहला जो सफ़र से थक कर निराश दिख रहा हैं जिसने कहा कि वो बुराई सामने रखेगा वो इस यात्रा के भांति जीवन से थक गया हैं क्यूंकि उसकी सोच नकारात्मक हैं उसके लिए जीवन कठिन हैं |
दूसरा जो थका हैं पर निराश नहीं, जिसने कहा अच्छाई सामने रखूँगा पर बुराई से बेहतर बनने की कोशिश में वो थक जाता हैं क्यूंकि वो बेवजह की होड़ में हैं |
तीसरा जिसने कहा वो अच्छाई आगे रखता हैं और बुराई को पीछे रख उसे भुला देना चाहता हैं वो संतुष्ट हैं और जीवन का आनंद ले रहा हैं |इसी तरह वो जीवन यात्रा में खुश हैं |
निष्कर्ष:--
जीवन में जब तक व्यक्ति दूसरों में बुराई को ढूंढेगा वो खुश नहीं रह सकता, जीवन भी एक यात्रा हैं जिसमे सकारात्मक सोच जीवन को ख़ुशहाल बनाती हैं | जीवन में क्रोध सबसे बड़ा बोझ हैं और क्षमा सबसे सुन्दर और सरल रास्ता जो जीवन को बोझहीन बनाता हैं |*
मंगलमय प्रभात
प्रणाम #❤️जीवन की सीख #❤️Love You ज़िंदगी ❤️ #👫 हमारी ज़िन्दगी #👍 सफलता के मंत्र ✔️ #☝अनमोल ज्ञान
🌸सुप्रभातम 🌸
🙏बल,बुद्धि और विद्या के दाता श्री बजरंगबलीजी आपका चारों दिशाओं में मंगल करें ।।
🌺जय बजरंगबली🌺 #🌸 जय श्री कृष्ण😇 #🌞 Good Morning🌞 #🔱हर हर महादेव #शुभ मंगलवार #जय हनुमान
*🌹सुंदर व्यक्ति🌹*
🙏🙏🙏
*एक बार एक सेठ ने पंडित जी को निमंत्रण किया पर पंडित जी का एकादशी का व्रत था तो पंडित जी नहीं जा सके पर पंडित जी ने अपने दो शिष्यो को सेठ के यहाँ भोजन के लिए भेज दिया..।*
*पर जब दोनों शिष्य वापस लौटे तो उनमे एक शिष्य दुखी और दूसरा प्रसन्न था!*
*पंडित जी को देखकर आश्चर्य हुआ और पूछा बेटा क्यो दुखी हो -- क्या सेठ नेभोजन मे अंतर कर दिया ?*
*"नहीं गुरु जी"*
*क्या सेठ ने आसन मे अंतर कर दिया ?*
*"नहीं गुरु जी"*
*क्या सेठ ने दच्छिना मे अंतर कर दिया ?*
*"नहीं गुरु जी , बराबर दच्छिना दी 2 रुपये मुझे और 2 रुपये दूसरे को"*
*अब तो गुरु जी को और भी आश्चर्य हुआ और पूछा फिर क्या कारण है ? जो तुम दुखी हो ?*
*तब दुखी चेला बोला गुरु जी मै तो सोचता था सेठ बहुत बड़ा आदमी है कम से कम 10 रुपये दच्छिना देगा पर उसने 2 रुपये दिये इसलिए मै दुखी हूं !!*
*अब दूसरे से पूछा तुम क्यो प्रसन्न हो ?*
*तो दूसरा बोला गुरु जी मे जानता था सेठ बहुत कंजूस है आठ आने से ज्यादा दच्छिना नहीं देगा पर उसने 2 रुपए दे दिये तो मैं प्रसन्न हूं ...!*
*बस यही हमारे मन का हाल है संसार मे घटनाए समान रूप से घटती है पर कोई उनही घटनाओ से सुख प्राप्त करता है कोई दुखी होता है ,पर असल मे न दुख है न सुख ये हमारे मन की स्थिति पर निर्भर है!*
*इसलिए मन प्रभु चरणों मे लगाओ , क्योकि - कामना पूरी न हो तो दुख और कामना पूरी हो जाये तो सुख पर यदि कोई कामना ही न हो तो आनंद ... जिस शरीर को लोग सुन्दर समझते हैं।मौत के बाद वही शरीर सुन्दर क्यों नहीं लगता ? उसे घर में न रखकर जला क्यों दिया जाता है ? जिस शरीर को सुन्दर मानते हैं। जरा उसकी चमड़ी तो उतार कर देखो।तब हकीकत दिखेगी कि भीतर क्या है ? भीतर तो बस रक्त, रोग, मल और कचरा भरा पड़ा है ! फिर यह शरीर सुन्दर कैसे हुआ.?
*शरीर में कोई सुन्दरता नहीं है ! सुन्दर होते हैं व्यक्ति के कर्म, उसके विचार, उसकी वाणी,उसका व्यवहार,उसके संस्कार, और उसका चरित्र ! जिसके जीवन में यह सब है। वही इंसान दुनिया का सबसे सुंदर शख्स है..!!*
*मंगलमय प्रभात*
*स्नेह वंदन*
*प्रणाम* #❤️जीवन की सीख #❤️Love You ज़िंदगी ❤️ #✍️ जीवन में बदलाव #😇 जीवन की प्रेरणादायी सीख #👫 हमारी ज़िन्दगी
जय महादेव जी!
जब तक हमारी अपनी सोच
शुद्ध नहीं होगी,हमे सारा
संसार दूषित ही दिखाई देगा...
ॐ नमः शिवाय
🙏🙏🌹🌹💐💐 #🔱हर हर महादेव #🌞 Good Morning🌞 #🌸 जय श्री कृष्ण😇 #शुभ सोमवार #✋भगवान भैरव🌸
*🌹ज्ञानचंद की लाल टोपी🌹
🙏🙏🙏
*ज्ञानचंद नामक एक जिज्ञासु भक्त था।वह सदैव प्रभुभक्ति में लीन रहता था।रोज सुबह उठकर पूजा- पाठ, ध्यान-भजन करने का उसका नियम था।उसके बाद वह दुकान में काम करने जाता।*
*दोपहर के भोजन के समय वह दुकान बंद कर देता और फिर दुकान नहीं खोलता था,बाकी के समय में वह साधु-संतों को भोजन करवाता, गरीबों की सेवा करता, साधु-संग एवं दान-पुण्य करता।व्यापार में जो भी मिलता उसी में संतोष रखकर प्रभुप्रीति के लिए जीवन बिताता था।*
*उसके ऐसे व्यवहार से लोगों को आश्चर्य होता और लोग उसे पागल समझते।*
*लोग कहतेः "यह तो महामूर्ख है। कमाये हुए सभी पैसों को दान में लुटा देता है। फिर दुकान भी थोड़ी देर के लिए ही खोलता है। सुबह का कमाई करने का समय भी पूजा-पाठ में गँवा देता है। यह पागल ही तो है।"*
*एक बार गाँव के नगरसेठ ने उसे अपने पास बुलाया। उसने एक लाल टोपी बनायी थी।*
*नगरसेठ ने वह टोपी ज्ञानचंद को देते हुए कहा"यह टोपी मूर्खों के लिए है।तेरे जैसा महान् मूर्ख मैंने अभी तक नहीं देखा, इसलिए यह टोपी तुझे पहनने के लिए देता हूँ। इसके बाद यदि कोई तेरे से भी ज्यादा बड़ा मूर्ख दिखे तो तू उसे पहनने के लिए दे देना।*
*ज्ञानचंद शांति से वह टोपी लेकर घर वापस आ गया।एक दिन वह नगर सेठ खूब बीमार पड़ा। ज्ञानचंद उससे मिलने गया और उसकी तबीयत और हालचाल पूछे।*
*नगरसेठ ने कहा - "भाई ! अब तो जाने की तैयारी कर रहा हूँ।"*
*ज्ञानचंद ने पूछाः "कहाँ जाने की तैयारी कर रहे हो? वहाँ आपसे पहले किसी व्यक्ति को सब तैयारी करने के लिए भेजा कि नहीं? आपके साथ आपकी स्त्री, पुत्र,धन,गाड़ी,बंगला वगैरह जायेगा कि नहीं?*
*"भाई ! वहाँ कौन साथ आयेगा? कोई भी साथ नहीं आने वाला है। अकेले ही जाना है।कुटुंब-परिवार, धन-दौलत,महल-गाड़ियाँ सब यहीं पर छोड़कर जाना है।*
*आत्मा-परमात्मा के सिवाय किसी का साथ नहीं रहने वाला है। सेठ के इन शब्दों को सुनकर ज्ञानचंद ने खुद को दी गयी वह लाल टोपी नगरसेठ को वापस देते हुए कहाः "यह लाल टोपी अब आप ही इसे पहनो।"*
*नगरसेठः "क्यों?"*
*ज्ञानचंदः "मुझसे ज्यादा मूर्ख तो आप हैं।जब आपको पता था कि पूरी संपत्ति, मकान, दुकान दुनियादारी आपके साथ नही जाने वाले तब भी आप जीवन भर इसी लालच में लगे रहे और आवश्यकताओं की पूर्ति होने के बाद भी आप और कमाई करने के स्वार्थ में लगे रहे शारीरिक भौतिक इच्छा पूर्तियों में लगे रहे और सद्कर्म नही किये, जरूरतमंदों की सेवा नही की, ईश्वर की भक्ति नही की भजन नही किया, दान नही किया धर्मिक कार्य नही किये धर्म का प्रचार नही किया परलोक जाने की आपने कुछ भी तैयारी नही की अब आप खुद समझ जाइये की सबसे बड़ा मूर्ख कौन है।*
*मंगलमय प्रभात*
*प्रणाम* #❤️Love You ज़िंदगी ❤️ #😇 जीवन की प्रेरणादायी सीख #👫 हमारी ज़िन्दगी #👍 सफलता के मंत्र ✔️ #💔पुराना प्यार 💔
शांतिपूर्ण जीवन के लिए यह
स्वीकार करना परम आवश्यक
है कि जो कुछ भी इस समय
आपके पास है, वहीं सर्वोत्तम
है...
ॐ श्री सूर्यदेवय नमः
🙏🌹🌷🌸💐🌺 #🌸 जय श्री कृष्ण😇 #🌞 Good Morning🌞 #🔱हर हर महादेव #शुभ रविवार #🌅सूर्य देव🙏




![😇 जीवन की प्रेरणादायी सीख - happy| Choughcr The Le] Uvan लोग हँसने को কনল मनोरंजन समझते हैं। हकीकत यह है कि सच्ची हँसी मन के भंजन के बाद ही निकलती है। happy| Choughcr The Le] Uvan लोग हँसने को কনল मनोरंजन समझते हैं। हकीकत यह है कि सच्ची हँसी मन के भंजन के बाद ही निकलती है। - ShareChat 😇 जीवन की प्रेरणादायी सीख - happy| Choughcr The Le] Uvan लोग हँसने को কনল मनोरंजन समझते हैं। हकीकत यह है कि सच्ची हँसी मन के भंजन के बाद ही निकलती है। happy| Choughcr The Le] Uvan लोग हँसने को কনল मनोरंजन समझते हैं। हकीकत यह है कि सच्ची हँसी मन के भंजन के बाद ही निकलती है। - ShareChat](https://cdn4.sharechat.com/bd5223f_s1w/compressed_gm_40_img_473070_2461fec0_1763617471322_sc.jpg?tenant=sc&referrer=user-profile-service%2FrequestType50&f=322_sc.jpg)








