विश्व मुस्कान दिवस
Vishva Muskan Diwas: अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिवर्ष अक्टूबर के पहले शुक्रवार को मनाया जाने वाला विश्व मुस्कान दिवस (World Smile Day) इसका उद्देश्य लोगों को उनकी जिंदगी में मुस्कुराहट के महत्व को समझाना है क्योंकि आज कल की दौड़-भाग भरी जिंदगी में लोग काम में कुछ इस तरह व्यस्त हो गए हैं कि वह मुस्कुराना ही भूल गए हैं। विश्व मुस्कान दिवस का आईडिया मैसाचुसेट के कमर्शियल आर्टिस्ट हार्वे बाल ने दिया था। 1963 में हार्वे बाल Smiling Face बनाने के लिए Famous हुए और उनके मन में यह दिवस मनाने का विचार आया। इसके बाद हार्वे ने घोषणा की कि हर वर्ष अक्टूबर के पहले शुक्रवार को वर्ल्ड स्माइल डे होगा और अंततः 1999 में पहली बार विश्व इस्माइल दिवस मनाया गया उस समय यह स्माइली के गृह नगर Worcester, MA, और दुनिया भर में मनाया गया था। 2001 में हार्वे की मृत्यु के बाद हार्वे बॉल वर्ल्ड स्माइल फाउंडेशन द्वारा उनके नाम और स्मृति को सम्मानित करने के लिए यह दिवस व्यापक स्तर पर मनाया गया और तभी से हर साल यह संस्था World Smile Day की ऑफिशियल स्पॉन्सर होती है। सिर्फ आज के दिन मुस्कुराने की बजाय आप रोज मुस्कुराने की आदत बनाइये। इससे ना केवल आपकी मुश्किलें आसान होंगी बल्कि आपके चाहने वाले भी आपको देखकर खुश रहेंगे। #शुभ कामनाएँ 🙏
पापांकुशा एकादशी
हिन्दू पंचांग के अनुसार, आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहते हैं। इस एकादशी पर भगवान पद्मनाभ की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से तप के समान फल की प्राप्ति होती है। भगवान श्री कृष्ण के अनुसार, एकादशी पाप का निरोध करती है अर्थात पाप कर्मों से रक्षा करती है। इस एकादशी के व्रत से मनुष्य को अर्थ और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य के संचित पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन श्रद्धा और भक्ति भाव से पूजा तथा ब्राह्मणों को दान व दक्षिणा देना चाहिए। इस दिन सिर्फ फलाहार ही किया जाता है। इससे शरीर स्वस्थ व मन प्रफुल्लित रहता है।
पापांकुशा एकादशी के महत्व को इसी बात से जाना जा सकता है कि महाभारत काल में स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने धर्म राज युधिष्ठिर को इस व्रत की महिमा बताई थी। इस व्रत को करने से मनुष्य के अशुभ संस्कारों का भी नाश हो जाता है। इस व्रत को करने से मनुष्य को पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से सूर्य यज्ञ और अश्वमेज्ञ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। इस एकादशी का नाम पाप रुपी हाथी को पुण्यरुपी व्रत के अंकुश से भेदने के कारण इस व्रत का नाम पापांकुशा एकादशी पड़ा। इस दिन मौन रहकर भगवद् स्मरण और भगवान के कीर्तन-भजन करने का प्रावधान है। जिससे मनुष्य में सद्गुण आते हैं और उसका मन में निर्मलता आती है।
#शुभ कामनाएँ 🙏