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हिन्दू संस्कृति और अध्यात्म की जानकारियाँ
#व्रत एवं त्योहार
व्रत एवं त्योहार - नवरात्रि का दिन 6 27th सितम्बर २०२५ शनिवार Saturday पञ्चमी स्कन्दमाता पूजा आज का नवरात्रि रँग स्लेटी नवरात्रि का दिन 6 27th सितम्बर २०२५ शनिवार Saturday पञ्चमी स्कन्दमाता पूजा आज का नवरात्रि रँग स्लेटी - ShareChat
#पूजन विधि
पूजन विधि - ShareChat
#पूजन विधि
पूजन विधि - स्कन्दमाता Favourite Flower Ped color flowers Mantra ७० देवी स्कन्दमाताय नमः।। Prarthana सिहासनगता नित्य पणाठ्चित करद्णा शुभदास्तु सदा रेची स्कन्दमाता यशस्विनी।  Stut या देवी सर्वभूतेपु मो स्फन्दमाता रुपेण सस्थिता | नगस्तस्य नमस्तस्प नमस्तस्प नमो नमः। Dhyana चन्दे वाज्छत कामार्च चन्दार्पकृतशीखरामा  सिहरूदा चतभुषा स्कन्दमाता यशास्यिनीम। चिशु्य  बकस्थितों पञ्चम दुर्गा त्रिनेत्राम्।  यलवणा पु्म फरा दिक्षिण उिरू पुत्रयराम भजेमा ப41 पटाम्यर परिणना नृद्ठहास्या नानालङ्कार भूषितामा  मग्णीर हार फेपूर फिइफिणि रत्नकुण्ड्ल धारिणीम कपीलाम पीन प्पोचराम।  0 ٥ ٥   फमनीया लावण्चा चारशिवली नितम्यनीम। Stotra नमानि स्कन्दमाता स्वन्दपारिणीम। सनग्तत्पसागरन पारपारगहरान शिवाप्रभा समुज्वला स्फुच्छशागशेखराम्।  जगतादीप्ति भास्करामा Hrr महेन्दकरयपार्चिता सनत्कुमार सस्तुताम।  सुरसुरेन्द्रवन्दिता पयार्थनिर्मला द्वुनाम्। अतकर्यरोचिरूविजा विकार दोपवर्जिताम्।  नुमुक्षुभिर्विचिन्तिता विशेषतत्वमुचितामा नानालद्षकार भूषिताम् मृगेन्द्रवाहनाग्रजाम सुशुष्दतत्वतोषणा त्रिवेदमार भूषणाम। सुपार्मिकापकारिणी सुरेन्द्र येरिपातिनीम्।  सुवर्णकल्पशाखिनीम पुष्पमातिनी  शु्भा तमोउन्धकारयामिनी शिवस्वभावकामिनीम।  सहससूर्पराजिका पनज्जपोग्रकारिकाम्।  सगष्दकाल মুমত-ন্্রমঙলাদ प्रजापिनी प्रजावति नमामि मातरम सतीम।  स्वकर्मकारण ग्ति हरिप्रयाच पार्वतीन अनन्तशक्ति कान्तिया यशोअर्थभुक्तिमुक्तिदाम्।  पुनः पुनर्जगद्धिता नमाम्यहन सुरार्चिताम जपेश्वरि त्रिलोचने प्रसीद देवी पाहिमाम।  Kavacha वीजालिका देवी परयुग्मधरापरा। " हदयम् पातु सा देवी कार्तिकेपयुता।  श्री ही हु ऐं देवी पर्वस्पा पातु सर्वटा।  Hat सदा पात स्क्दमाता पुन्प्रदा। ٩ ١  ٧«٩ ٥ ٧  AruIபIUII Ia वारुणे नेऋतेअवतु।  বনম্ো নখান इन्दाणी भेरवी चेवासिताङ्ी " মচাতী | सर्वटा पातु मा देवी चान्यान्यासु हि दिक्षु वे।। Aartl जप तेरी हो स्कन्द माता। पांचचा नाम तुम्हारा आता। सवक मन की जानन हारी जग जननी सबकी महतारी।  नेरी जोत जलाता रहू हररम तुझे थ्याता रहू मे। नार्मो से तुझे पुकारा। नुझे एक तेरा सहारा।। কা5 डेरा। कई शहरों  तेरा बरेरा। कहा पहाड़ा पर हर मन्दिर मे तेरे नजारे। गुण गाए तेरे भक्त प्यारे।। भक्ति अपनी मुझे दिला दो। शक्ति मेरी चिगडी चना टो। इन्द्र आदि देवता मिल सारे। करे पुकार  PI TR दुर रेत्य जव चर करआए।तूही खण्ड हाथ उठाए। दासों को सटा चचाने आपी। भक्त कीआस आपी। পুলান स्कन्दमाता Favourite Flower Ped color flowers Mantra ७० देवी स्कन्दमाताय नमः।। Prarthana सिहासनगता नित्य पणाठ्चित करद्णा शुभदास्तु सदा रेची स्कन्दमाता यशस्विनी।  Stut या देवी सर्वभूतेपु मो स्फन्दमाता रुपेण सस्थिता | नगस्तस्य नमस्तस्प नमस्तस्प नमो नमः। Dhyana चन्दे वाज्छत कामार्च चन्दार्पकृतशीखरामा  सिहरूदा चतभुषा स्कन्दमाता यशास्यिनीम। चिशु्य  बकस्थितों पञ्चम दुर्गा त्रिनेत्राम्।  यलवणा पु्म फरा दिक्षिण उिरू पुत्रयराम भजेमा ப41 पटाम्यर परिणना नृद्ठहास्या नानालङ्कार भूषितामा  मग्णीर हार फेपूर फिइफिणि रत्नकुण्ड्ल धारिणीम कपीलाम पीन प्पोचराम।  0 ٥ ٥   फमनीया लावण्चा चारशिवली नितम्यनीम। Stotra नमानि स्कन्दमाता स्वन्दपारिणीम। सनग्तत्पसागरन पारपारगहरान शिवाप्रभा समुज्वला स्फुच्छशागशेखराम्।  जगतादीप्ति भास्करामा Hrr महेन्दकरयपार्चिता सनत्कुमार सस्तुताम।  सुरसुरेन्द्रवन्दिता पयार्थनिर्मला द्वुनाम्। अतकर्यरोचिरूविजा विकार दोपवर्जिताम्।  नुमुक्षुभिर्विचिन्तिता विशेषतत्वमुचितामा नानालद्षकार भूषिताम् मृगेन्द्रवाहनाग्रजाम सुशुष्दतत्वतोषणा त्रिवेदमार भूषणाम। सुपार्मिकापकारिणी सुरेन्द्र येरिपातिनीम्।  सुवर्णकल्पशाखिनीम पुष्पमातिनी  शु्भा तमोउन्धकारयामिनी शिवस्वभावकामिनीम।  सहससूर्पराजिका पनज्जपोग्रकारिकाम्।  सगष्दकाल মুমত-ন্্রমঙলাদ प्रजापिनी प्रजावति नमामि मातरम सतीम।  स्वकर्मकारण ग्ति हरिप्रयाच पार्वतीन अनन्तशक्ति कान्तिया यशोअर्थभुक्तिमुक्तिदाम्।  पुनः पुनर्जगद्धिता नमाम्यहन सुरार्चिताम जपेश्वरि त्रिलोचने प्रसीद देवी पाहिमाम।  Kavacha वीजालिका देवी परयुग्मधरापरा। " हदयम् पातु सा देवी कार्तिकेपयुता।  श्री ही हु ऐं देवी पर्वस्पा पातु सर्वटा।  Hat सदा पात स्क्दमाता पुन्प्रदा। ٩ ١  ٧«٩ ٥ ٧  AruIபIUII Ia वारुणे नेऋतेअवतु।  বনম্ো নখান इन्दाणी भेरवी चेवासिताङ्ी " মচাতী | सर्वटा पातु मा देवी चान्यान्यासु हि दिक्षु वे।। Aartl जप तेरी हो स्कन्द माता। पांचचा नाम तुम्हारा आता। सवक मन की जानन हारी जग जननी सबकी महतारी।  नेरी जोत जलाता रहू हररम तुझे थ्याता रहू मे। नार्मो से तुझे पुकारा। नुझे एक तेरा सहारा।। কা5 डेरा। कई शहरों  तेरा बरेरा। कहा पहाड़ा पर हर मन्दिर मे तेरे नजारे। गुण गाए तेरे भक्त प्यारे।। भक्ति अपनी मुझे दिला दो। शक्ति मेरी चिगडी चना टो। इन्द्र आदि देवता मिल सारे। करे पुकार  PI TR दुर रेत्य जव चर करआए।तूही खण्ड हाथ उठाए। दासों को सटा चचाने आपी। भक्त कीआस आपी। পুলান - ShareChat
#शुभ मुहूर्त
शुभ मुहूर्त - ঝিল্প নিমল্পতা २७वाँ सितम्बर २०२५ Saturday থানিনাৎ बिल्व निमन्त्रण मुहूर्त बिल्व निमन्त्रण निमन्त्रण शनिवार, सितम्बर २७ , २०२५ d೧o निमन्त्रण मुहूर्त - १५ः२५ से १७:४९ अवधि - ०२ घण्टे २४ मिनट्स बिल्व निमन्त्रण पञ्चमी तिथि के दिन षष्ठी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर २७ , २०२५ को १२:०३ बजे षष्ठी तिथि समाप्त - सितम्बर २८, २०२५ को १४:२७ बजे ঝিল্প নিমল্পতা २७वाँ सितम्बर २०२५ Saturday থানিনাৎ बिल्व निमन्त्रण मुहूर्त बिल्व निमन्त्रण निमन्त्रण शनिवार, सितम्बर २७ , २०२५ d೧o निमन्त्रण मुहूर्त - १५ः२५ से १७:४९ अवधि - ०२ घण्टे २४ मिनट्स बिल्व निमन्त्रण पञ्चमी तिथि के दिन षष्ठी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर २७ , २०२५ को १२:०३ बजे षष्ठी तिथि समाप्त - सितम्बर २८, २०२५ को १४:२७ बजे - ShareChat
#व्रत एवं त्योहार
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#शुभ मुहूर्त
शुभ मुहूर्त - सितम्बर २७ , २०२५, शनिवार स्कन्द षष्ठी आश्विन, शुक्ल षष्ठी प्रारम्भ - सितम्बर २७ को १२०३ बजे शुक्ल षष्ठी মমাদ - মিনদ্পয 28 ব্ূী 14:27 বতী सितम्बर २७ , २०२५, शनिवार स्कन्द षष्ठी आश्विन, शुक्ल षष्ठी प्रारम्भ - सितम्बर २७ को १२०३ बजे शुक्ल षष्ठी মমাদ - মিনদ্পয 28 ব্ূী 14:27 বতী - ShareChat
#पूजन विधि
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#शुभ मुहूर्त
शुभ मुहूर्त - २०, आश्विन Panchang शुक्ल पक्ष, पञ्चमी 27 विक्रम २०८२ कालयुक्त सम्वत Ara 2025 शनिवार वाराणसी भारत बिल्व निमन्त्रण, स्कन्द षष्ठी, बिंछुड़ो , गण्ड मूल रवि योग, बिडाल योग रहित मुहूर्त एवं उदय-लग्न पञ्चक १ के दिन के लिए पञ्चक रहित मुहूर्त आज के दिन के लिए उदय लग्न मुहूर्त आज Tp रोग पञ्चक - ०५:४८ से 0७:२० कन्या - सितम्बर २६ को २९:०७+ बजे से ०७:२० 307-07:20 7709:37 @ शुभ मुहूर्त - ०७ः२० से 09:३७ 1 ج789-09:37711:54 मृत्यु पञ्चक - ०९ ३७ से ११:५४ > धनु - ११५४ से १३ ५८ अग्नि पञ्चक - ११:५४ से १२:०३ शुभ मुहूर्त - १२०३ से १३५८ 1p মব্ধয - 13:58 ম 15:43 रज पञ्चक - १३५८ से १५:४३ ^ 5#-15:43=17:14 शुभ मुहूर्त - १५४३ से १७:१४ ) #7-17;14718:42 चोर पञ्चक - १७:१४ से १८:४२ 00~77-18:42 720:21 रज पञ्चक - १८ ४२ से २०:२१ 8 274-20:21#22:18  থু্ মুমুন - 20:21 স 22:18  I [ొ7-22,18724.32+ चोर पञ्चक - २२ १८ से २४:३२+ $-24:32+ 726:50+ शुभ मुहूर्त - २४ ३२+ से २५:०८+ [೯ - 26.50+ 29:03+ रोग पञ्चक - २५:०८+ 26:50+ शुभ मुहूर्त - २६ ५०+ से २९:०३+ मृत्यु पञ्चक - २९:०३+ से २९:४९+ २०, आश्विन Panchang शुक्ल पक्ष, पञ्चमी 27 विक्रम २०८२ कालयुक्त सम्वत Ara 2025 शनिवार वाराणसी भारत बिल्व निमन्त्रण, स्कन्द षष्ठी, बिंछुड़ो , गण्ड मूल रवि योग, बिडाल योग रहित मुहूर्त एवं उदय-लग्न पञ्चक १ के दिन के लिए पञ्चक रहित मुहूर्त आज के दिन के लिए उदय लग्न मुहूर्त आज Tp रोग पञ्चक - ०५:४८ से 0७:२० कन्या - सितम्बर २६ को २९:०७+ बजे से ०७:२० 307-07:20 7709:37 @ शुभ मुहूर्त - ०७ः२० से 09:३७ 1 ج789-09:37711:54 मृत्यु पञ्चक - ०९ ३७ से ११:५४ > धनु - ११५४ से १३ ५८ अग्नि पञ्चक - ११:५४ से १२:०३ शुभ मुहूर्त - १२०३ से १३५८ 1p মব্ধয - 13:58 ম 15:43 रज पञ्चक - १३५८ से १५:४३ ^ 5#-15:43=17:14 शुभ मुहूर्त - १५४३ से १७:१४ ) #7-17;14718:42 चोर पञ्चक - १७:१४ से १८:४२ 00~77-18:42 720:21 रज पञ्चक - १८ ४२ से २०:२१ 8 274-20:21#22:18  থু্ মুমুন - 20:21 স 22:18  I [ొ7-22,18724.32+ चोर पञ्चक - २२ १८ से २४:३२+ $-24:32+ 726:50+ शुभ मुहूर्त - २४ ३२+ से २५:०८+ [೯ - 26.50+ 29:03+ रोग पञ्चक - २५:०८+ 26:50+ शुभ मुहूर्त - २६ ५०+ से २९:०३+ मृत्यु पञ्चक - २९:०३+ से २९:४९+ - ShareChat
#पूजन विधि
पूजन विधि - देवी षोडशी | त्रिपुर देवी ललिता सुन्दरी देवी षोडशी को त्रिपुर सुन्दरी के रूप में भी जाना जाता है। अपने नाम के अनुरूप ही, देवी षोडशी तीनों लोकों में सर्वाधिक सुन्दर हैं। महाविद्या के अन्तर्गत वह देवी पार्वती को निरूपित करती हैं तथा उन्हें तान्त्रिक पार्वती के रूप में भी जाना जाता है। देवी षोडशी को ललिता एवं राजराजेश्वरी भी कहा जाता है, जिनका अर्थ "महारानियों की महारानी" है। क्रमशः " क्रीडा करने वाली तथा षोडशी उत्पत्ति देवी त्रिपुर सुन्दरी के षोडशी स्वरूप को सोलह वर्षीय कन्या के रूप में दर्शाया जाता है। उन्हें सोलह प्रकार की इच्छाओं का प्रतीक माना जाता है। देवी षोडशी में भी सोलह अक्षर ही हैं। त्रिपुर सुन्दरी महाविद्या को श्री यन्त्र के के पूजन মন্স रूप में भी पूजा जाता है। हिन्दु पञ्चाङ्ग के अनुसार, षोडशी जयन्ती माघ पूर्णिमा को मनायी जाती है। षोडशी स्वरूप वर्णन देवी त्रिपुर सुन्दरी को स्वर्ण, रक्त एवं श्याम वर्ण रूप में भगवान शिव से सम्बन्धित दर्शाया गया है। देवी एवं भगवान शिव को एक सिंहासन अथवा शैय्या में ब्रह्मा,  दर्शाया जाता है, जिसके तल विष्णु, रूद्र, ईशान एवं पर सुशोभित सदाशिव स्तम्भ स्वरूप विराजमान रहते हैं। देवी षोडशी के मस्तक पर एक त्रिनेत्र (तीसरा दिव्य नेत्र) विद्यमान है। वह लाल किये हुये, विभिन्न आभूषणों से अलङ्कृत रहती हैं। देवी एक कमल वस्त्र धारण पुष्प पर विराजमान रहती हैं, जो स्वर्ण सिंहासन पर स्थित है। उन्हें चतुर्भुज रूप में दर्शाया जाता है। वह अपने हाथों में पाँच पुष्पबाण, एक पाश ( रस्सी का फन्दा) , अङ्कुश तथा गन्ने को धनुष के रूप में धारण करती हैं। देवी के हाथ में स्थित पाश ' मोह' , अङ्कुश ' प्रतिकर्षण , गन्ने का धनुष ' मस्तिष्क' तथा बाण ' पाँच ज्ञानेन्द्रियों को प्रदर्शित करते हैं। षोडशी साधना षोडशी साधना भोग ्आनन्द के अतिरिक्त मुक्ति एवं परम तत्व का ज्ञान प्राप्त करने हेतु की जाती है। त्रिपुर सुन्दरी साधना द्वारा मन, शरीर एवं भावनाओं को नियन्त्रित करने की शक्ति प्राप्त होती है। पारिवारिक सौहार्द, पौरुष तथा अनुकूल जीवनसाथी प्राप्त करने हेतु भी षोडशी साधना की जाती है। देवी षोडशी | त्रिपुर देवी ललिता सुन्दरी देवी षोडशी को त्रिपुर सुन्दरी के रूप में भी जाना जाता है। अपने नाम के अनुरूप ही, देवी षोडशी तीनों लोकों में सर्वाधिक सुन्दर हैं। महाविद्या के अन्तर्गत वह देवी पार्वती को निरूपित करती हैं तथा उन्हें तान्त्रिक पार्वती के रूप में भी जाना जाता है। देवी षोडशी को ललिता एवं राजराजेश्वरी भी कहा जाता है, जिनका अर्थ "महारानियों की महारानी" है। क्रमशः " क्रीडा करने वाली तथा षोडशी उत्पत्ति देवी त्रिपुर सुन्दरी के षोडशी स्वरूप को सोलह वर्षीय कन्या के रूप में दर्शाया जाता है। उन्हें सोलह प्रकार की इच्छाओं का प्रतीक माना जाता है। देवी षोडशी में भी सोलह अक्षर ही हैं। त्रिपुर सुन्दरी महाविद्या को श्री यन्त्र के के पूजन মন্স रूप में भी पूजा जाता है। हिन्दु पञ्चाङ्ग के अनुसार, षोडशी जयन्ती माघ पूर्णिमा को मनायी जाती है। षोडशी स्वरूप वर्णन देवी त्रिपुर सुन्दरी को स्वर्ण, रक्त एवं श्याम वर्ण रूप में भगवान शिव से सम्बन्धित दर्शाया गया है। देवी एवं भगवान शिव को एक सिंहासन अथवा शैय्या में ब्रह्मा,  दर्शाया जाता है, जिसके तल विष्णु, रूद्र, ईशान एवं पर सुशोभित सदाशिव स्तम्भ स्वरूप विराजमान रहते हैं। देवी षोडशी के मस्तक पर एक त्रिनेत्र (तीसरा दिव्य नेत्र) विद्यमान है। वह लाल किये हुये, विभिन्न आभूषणों से अलङ्कृत रहती हैं। देवी एक कमल वस्त्र धारण पुष्प पर विराजमान रहती हैं, जो स्वर्ण सिंहासन पर स्थित है। उन्हें चतुर्भुज रूप में दर्शाया जाता है। वह अपने हाथों में पाँच पुष्पबाण, एक पाश ( रस्सी का फन्दा) , अङ्कुश तथा गन्ने को धनुष के रूप में धारण करती हैं। देवी के हाथ में स्थित पाश ' मोह' , अङ्कुश ' प्रतिकर्षण , गन्ने का धनुष ' मस्तिष्क' तथा बाण ' पाँच ज्ञानेन्द्रियों को प्रदर्शित करते हैं। षोडशी साधना षोडशी साधना भोग ्आनन्द के अतिरिक्त मुक्ति एवं परम तत्व का ज्ञान प्राप्त करने हेतु की जाती है। त्रिपुर सुन्दरी साधना द्वारा मन, शरीर एवं भावनाओं को नियन्त्रित करने की शक्ति प्राप्त होती है। पारिवारिक सौहार्द, पौरुष तथा अनुकूल जीवनसाथी प्राप्त करने हेतु भी षोडशी साधना की जाती है। - ShareChat