बिनोद कुमार शर्मा
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#श्री रामलला दर्शन अयोध्या
श्री रामलला दर्शन अयोध्या - आज कै दर्शन श्री रामलला , अयोध्या धाम १8नवबर २०२५ Binod kumar Sharma आज कै दर्शन श्री रामलला , अयोध्या धाम १8नवबर २०२५ Binod kumar Sharma - ShareChat
#जय माँ विंध्यवासिनी🙏🏻🚩
जय माँ  विंध्यवासिनी🙏🏻🚩 - मिर्जापुर जय माँ विंध्यवासिनी धाम, *आज प्रातःकाल मां की मंगला आरती का भव्य श्रृंगार दर्शन* फ मार्गशीर्ष, कृष्ण पक्ष, तिथि - त्रयोदशी, संवत् २०८२, * दिन - मंगलवार, १८ नवंबर २०२५७ * *जय जय मैय्या विंध्यवासिनी की* जय मां विंध्यवासिनी मिर्जापुर जय माँ विंध्यवासिनी धाम, *आज प्रातःकाल मां की मंगला आरती का भव्य श्रृंगार दर्शन* फ मार्गशीर्ष, कृष्ण पक्ष, तिथि - त्रयोदशी, संवत् २०८२, * दिन - मंगलवार, १८ नवंबर २०२५७ * *जय जय मैय्या विंध्यवासिनी की* जय मां विंध्यवासिनी - ShareChat
*माँ का प्यार* *गाँव के किनारे मिट्टी की खुशबू से भरा एक छोटा-सा घर था।* *उस घर में रहती थी कविता, जो बहुत सीधी-सादी लेकिन दिल की बहुत मजबूत औरत थी।* *उसके जीवन का एक ही सहारा था – उसका बेटा ऋषि।* *पति के गुजर जाने के बाद उसी ने अकेले बेटे को पाला।* *गरीबी थी, पर उसने कभी शिकायत नहीं की।* *वह रोज़ सुबह उठकर खेतों में काम करती और शाम को बेटे को पढ़ाती।* *कविता हमेशा ऋषि से कहती,* *“बेटा, गरीबी कोई बुराई नहीं होती, बुराई तब होती है जब इंसान गलत रास्ता चुन ले।”* *ऋषि उसकी बातें ध्यान से सुनता और मुस्कुराकर कहता,* *“माँ, मैं हमेशा आपका सिर ऊँचा करूँगा।”* *वक़्त बीतता गया। ऋषि बड़ा हुआ, पढ़ाई पूरी की और गाँव में सबका लाड़ला बन गया। जब वह शहर नौकरी के लिए जाने लगा, तो कविता ने आँसुओं में भी मुस्कुराकर कहा,* *“बेटा, शहर बड़ा है, वहाँ अच्छे लोग भी मिलेंगे और बुरे भी। बस याद रखना, सच्चाई कभी मत छोड़ना।”* *ऋषि ने माँ के पाँव छुए और कहा, “माँ, मैं कभी आपको निराश नहीं करूँगा।”* *शहर की ज़िंदगी आसान नहीं थी।* *शुरू में उसने बहुत संघर्ष किया। सस्ता कमरा, साधारण खाना, और दिनभर काम की तलाश।* *कुछ महीनों बाद उसे एक अच्छी कंपनी में काम मिल गया।* *खुशी से उसने माँ को फोन किया –* *“माँ, अब मैं मैनेजर बन गया हूँ, आपकी दुआ रंग लाई!”* *कविता ने खुशी में कहा, “मुझे पता था बेटा, मेहनत करने वाले को भगवान कभी खाली हाथ नहीं लौटाता।”* *धीरे-धीरे शहर की चमक ने ऋषि का मन बदलना शुरू किया।* *कंपनी में कुछ ऐसे लोग मिले जो चालाक थे।* *वे दिखावे में तो दोस्त लगते, लेकिन अंदर से गलत कामों में शामिल थे।* *एक दिन उन्होंने ऋषि से कहा, “थोड़ा-सा काम है, बस कागज़ों में थोड़ा हेरफेर करना है, पैसे बहुत मिलेंगे।”* *पहले तो ऋषि ने मना किया, पर फिर उसने सोचा, “बस एक बार, फिर कभी नहीं।”* *लेकिन यही एक बार उसकी सबसे बड़ी गलती बन गई।* *धीरे-धीरे वह उन्हीं लोगों के साथ गलत कामों में फँस गया।* *उसे पता था कि वह गलत कर रहा है, पर अब पीछे लौटना मुश्किल हो गया था।* *एक दिन पुलिस ने एक गैरकानूनी सौदे में उसे पकड़ लिया।* *हाथों में हथकड़ी लगी, और अगले दिन उसका नाम अखबारों में छप गया – “कंपनी का मैनेजर गिरफ्तार।”* *शहर में सबको पता चल गया, पर गाँव की कविता को नहीं।* *वो रोज़ की तरह सुबह उठती, भगवान से बेटे के लिए दुआ करती और गाँव के लोगों से कहती, “मेरा बेटा अब बड़ा आदमी बन गया है, शहर में मैनेजर है।”* *उसे क्या पता, उसका बेटा जेल में है।* *कुछ दिन जेल में रहने के बाद ऋषि को जमानत मिल गई।* *वहाँ की ठंडी दीवारों और अंधेरी रातों ने उसे बहुत कुछ सिखा दिया।* *वो खुद से कहने लगा, “मैंने माँ की मेहनत और प्यार का ये सिला दिया? मैं कैसा बेटा हूँ?”* *जेल से निकलते ही वो सबसे पहले गाँव गया।* *घर के बाहर पहुँचा तो कविता आँगन में बैठी चूल्हा जला रही थी।* *जैसे ही उसने बेटे को देखा,* *उसकी आँखें चमक उठीं, “अरे ऋषि! अचानक कैसे आ गया?”* *ऋषि कुछ नहीं बोल पाया।* *बस माँ के पाँवों में गिर गया और रोने लगा, “माँ, मैंने गलती की… मैं बुरे रास्ते पर चला गया था...*” *कविता ने बेटे के सिर पर हाथ रखा* *और बोली, “बेटा, गलती सबसे होती है। अगर दिल से पछतावा हो, तो इंसान फिर से अच्छा बन सकता है। अब सब छोड़ दे, फिर से नई शुरुआत कर।”* *इन शब्दों ने ऋषि की ज़िंदगी बदल दी।* *वो फिर शहर लौटा, पुराने दोस्तों से नाता तोड़ा* *और मेहनत से सच्ची नौकरी की तलाश शुरू की।* *शुरू में बहुत मुश्किलें आईं। लोग उस पर भरोसा नहीं करते थे।* *पर उसने हार नहीं मानी।* *दिन-रात मेहनत की। धीरे-धीरे किस्मत फिर से उस पर मेहरबान होने लगी।* *कुछ महीनों बाद उसे एक ईमानदार कंपनी में काम मिल गया।* *इस बार वो सच में मेहनत से आगे बढ़ा।* *वो रोज़ माँ को फोन करता और कहता,* *“माँ, अब सब ठीक चल रहा है। इस बार मैं सच के रास्ते पर हूँ।”* *कविता हर बार मुस्कुराकर कहती, “मुझे बस यही सुनना था बेटा।”* *कुछ साल बाद ऋषि ने माँ को शहर बुलाया।* *उसे अपने ऑफिस दिखाया, अपने साथ खाना खिलाया, और कहा,* *“माँ, ये सब आपकी दुआओं का फल है। अगर आपने मुझे माफ़ नहीं किया होता, तो मैं आज यहाँ नहीं होता।”* *कविता ने बेटे को गले लगाते हुए कहा,* *“मुझे पता था, माँ हूँ न तेरी।”* *अब गाँव में जब कोई माँ अपने बच्चे को समझाती, तो कहती,* *“बेटा, याद रखना जैसे कविता के बेटे ने सही रास्ता चुन लिया, वैसे ही सच्चाई हमेशा इंसान को वापस सही राह पर ले आती है।”* *ऋषि ने अपनी ज़िंदगी में बहुत गलतियाँ कीं, लेकिन एक माँ का प्यार उसे फिर से सही इंसान बना गया।* *-रामकृपा-* #किस्से-कहानी
#श्री रामलला दर्शन अयोध्या
श्री रामलला दर्शन अयोध्या - आज कै दर्शन श्री रामलला , अयोध्या धाम १७ नवंबर २०२५ Bincd kumar Sharma A X आज कै दर्शन श्री रामलला , अयोध्या धाम १७ नवंबर २०२५ Bincd kumar Sharma A X - ShareChat
#जय माँ विंध्यवासिनी🙏🏻🚩
जय माँ  विंध्यवासिनी🙏🏻🚩 - मिर्जापुर जय माँ विंध्यवासिनी धाम, प्रातःकाल मां की मंगला आरती का भव्य श्रृंगार *आज दर्शन* ५ मार्गशीर्ष, कृष्ण पक्ष, तिथि - त्रयोदशी, संवत् २०८२, दिन - सोमवार, १७ नवंबर २०२५७* *जय जय मैय्या विंध्यवासिनी की* मिर्जापुर जय माँ विंध्यवासिनी धाम, प्रातःकाल मां की मंगला आरती का भव्य श्रृंगार *आज दर्शन* ५ मार्गशीर्ष, कृष्ण पक्ष, तिथि - त्रयोदशी, संवत् २०८२, दिन - सोमवार, १७ नवंबर २०२५७* *जय जय मैय्या विंध्यवासिनी की* - ShareChat