बिनोद कुमार शर्मा
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बिनोद कुमार शर्मा
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#जय महाकाल दर्शन।।
जय महाकाल दर्शन।। - जय श्री महाकाल *श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का आज का सायंकालीन आरती श्रृंगार दर्शन* ख मार्गशीर्ष, कृष्ण पक्ष, तिथि उत्पन्ना एकादशी, संवत् २०८२, दिन - शनिवार, १५ नवंबर २०२५७ * ऊँ नमः शिवाय* श्री महाकालेश्वर संध्या आरती दर्शन जय श्री महाकाल *श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का आज का सायंकालीन आरती श्रृंगार दर्शन* ख मार्गशीर्ष, कृष्ण पक्ष, तिथि उत्पन्ना एकादशी, संवत् २०८२, दिन - शनिवार, १५ नवंबर २०२५७ * ऊँ नमः शिवाय* श्री महाकालेश्वर संध्या आरती दर्शन - ShareChat
#जय माँ विंध्यवासिनी🙏🏻🚩
जय माँ  विंध्यवासिनी🙏🏻🚩 - मिर्जापुर जय माँ विंध्यवासिनी धाम, *आज प्रातःकाल मां की मंगला आरती का भव्य श्रृंगार दर्शन* ख मार्गशीर्ष, कृष्ण पक्ष, तिथि एकादशी, संवत् उत्पन्ना २०८२, दिन - शनिवार, १५ नवंबर २०२५७ * *जय जय मैय्या विंध्यवासिनी की* Lurs La>e 67 मिर्जापुर जय माँ विंध्यवासिनी धाम, *आज प्रातःकाल मां की मंगला आरती का भव्य श्रृंगार दर्शन* ख मार्गशीर्ष, कृष्ण पक्ष, तिथि एकादशी, संवत् उत्पन्ना २०८२, दिन - शनिवार, १५ नवंबर २०२५७ * *जय जय मैय्या विंध्यवासिनी की* Lurs La>e 67 - ShareChat
#श्री रामलला दर्शन अयोध्या
श्री रामलला दर्शन अयोध्या - आज कै दर्शन श्री रामलला , अयोध्या धाम १५ नवंबर २०२५ Binod kumar Sharma आज कै दर्शन श्री रामलला , अयोध्या धाम १५ नवंबर २०२५ Binod kumar Sharma - ShareChat
*महिलाओं के प्यार, त्याग और समर्पण की कहानी…"रामायण"* *एक रात की बात हैं, माता कौशल्या जी को सोते में अपने महल की छत पर किसी के चलने की आहट सुनाई दी।* *नींद खुल गई, पूछा कौन हैं ?* *मालूम पड़ा श्रुतकीर्ति जी (सबसे छोटी बहु, शत्रुघ्न जी की पत्नी)हैं। माता कौशल्या जी ने उन्हें नीचे बुलाया।* *श्रुतकीर्ति जी आईं, चरणों में प्रणाम कर खड़ी रह गईं* *माता कौशिल्या जी ने पूछा,* *श्रुति ! इतनी रात को अकेली छत पर क्या कर रही हो बेटी ?* *क्या नींद नहीं आ रही ?* *शत्रुघ्न कहाँ है ?* *श्रुतिकीर्ति की आँखें भर आईं, माँ की छाती से चिपटी,* *गोद में सिमट गईं, बोलीं, माँ उन्हें तो देखे हुए तेरह वर्ष हो गए।* *उफ !* *कौशल्या जी का ह्रदय काँप कर झटपटा गया ।* *तुरंत आवाज लगाई, सेवक दौड़े आए।* *आधी रात ही पालकी तैयार हुई, आज शत्रुघ्न जी की खोज होगी,* *माँ चली।* *आपको मालूम है शत्रुघ्न जी कहाँ मिले ?* *अयोध्या जी के जिस दरवाजे के बाहर भरत जी नंदिग्राम में तपस्वी होकर रहते हैं, उसी दरवाजे के भीतर एक पत्थर की शिला हैं, उसी शिला पर, अपनी बाँह का तकिया बनाकर लेटे मिले !!* *माँ सिराहने बैठ गईं,* *बालों में हाथ फिराया तो शत्रुघ्न जी ने आँखें खोलीं,* *माँ !* *उठे, चरणों में गिरे, माँ !* *आपने क्यों कष्ट किया ?* *मुझे बुलवा लिया होता ।* *माँ ने कहा,* *शत्रुघ्न ! यहाँ क्यों ?”* *शत्रुघ्न जी की रुलाई फूट पड़ी,* *बोले- माँ ! भैया राम जी पिताजी की आज्ञा से वन चले गए,* *भैया लक्ष्मण जी उनके पीछे चले गए, भैया भरत जी भी नंदिग्राम में हैं, क्या ये महल, ये रथ, ये राजसी वस्त्र, विधाता ने मेरे ही लिए बनाए हैं ?* *माता कौशल्या जी निरुत्तर रह गईं ।* *देखो क्या है ये रामकथा…* *यह भोग की नहीं….त्याग की कथा हैं..!!* *यहाँ त्याग की ही प्रतियोगिता चल रही हैं और सभी प्रथम हैं, कोई पीछे नहीं रहा…* *चारो भाइयों का प्रेम और त्याग एक दूसरे के प्रति अद्भुत-अभिनव और अलौकिक हैं ।* *“रामायण” जीवन जीने की सबसे उत्तम शिक्षा देती हैं ।* *भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास हुआ तो उनकी पत्नी सीता माईया ने भी सहर्ष वनवास स्वीकार कर लिया..!!* *परन्तु बचपन से ही बड़े भाई की सेवा मे रहने वाले लक्ष्मण जी कैसे राम जी से दूर हो जाते!* *माता सुमित्रा से तो उन्होंने आज्ञा ले ली थी, वन जाने की..* *परन्तु जब पत्नी “उर्मिला” के कक्ष की ओर बढ़ रहे थे तो सोच रहे थे कि माँ ने तो आज्ञा दे दी,* *परन्तु उर्मिला को कैसे समझाऊंगा.??* *क्या बोलूँगा उनसे.?* *यहीं सोच विचार करके लक्ष्मण जी जैसे ही अपने कक्ष में पहुंचे तो देखा कि उर्मिला जी आरती का थाल लेके खड़ी थीं और बोलीं-* *“आप मेरी चिंता छोड़ प्रभु श्रीराम की सेवा में वन को जाओ…मैं आपको नहीं रोकूँगीं।* *मेरे कारण आपकी सेवा में कोई बाधा न आये, इसलिये साथ जाने की जिद्द भी नहीं करूंगी।”* *लक्ष्मण जी को कहने में संकोच हो रहा था.!!* *परन्तु उनके कुछ कहने से पहले ही उर्मिला जी ने उन्हें संकोच से बाहर निकाल दिया..!!* *वास्तव में यहीं पत्नी का धर्म है..पति संकोच में पड़े, उससे पहले ही पत्नी उसके मन की बात जानकर उसे संकोच से बाहर कर दे.!!* *लक्ष्मण जी चले गये परन्तु 14 वर्ष तक उर्मिला ने एक तपस्विनी की भांति कठोर तप किया.!!* *वन में “प्रभु श्री राम माता सीता” की सेवा में लक्ष्मण जी कभी सोये नहीं , परन्तु उर्मिला ने भी अपने महलों के द्वार कभी बंद नहीं किये और सारी रात जाग जागकर उस दीपक की लौ को बुझने नहीं दिया.!!* *मेघनाथ से युद्ध करते हुए जब लक्ष्मण जी को “शक्ति” लग जाती है और हनुमान जी उनके लिये संजीवनी का पर्वत लेके लौट रहे होते हैं, तो बीच में जब हनुमान जी अयोध्या के ऊपर से गुजर रहे थे तो भरत जी उन्हें राक्षस समझकर बाण मारते हैं और हनुमान जी गिर जाते हैं.!!* *तब हनुमान जी सारा वृत्तांत सुनाते हैं कि, सीता जी को रावण हर ले गया, लक्ष्मण जी युद्ध में मूर्छित हो गए हैं।* *यह सुनते ही कौशल्या जी कहती हैं कि राम को कहना कि “लक्ष्मण” के बिना अयोध्या में पैर भी मत रखना। राम वन में ही रहे.!!* *माता “सुमित्रा” कहती हैं कि राम से कहना कि कोई बात नहीं..अभी शत्रुघ्न है.!!* *मैं उसे भेज दूंगी..मेरे दोनों पुत्र “राम सेवा” के लिये ही तो जन्मे हैं.!!* *माताओं का प्रेम देखकर हनुमान जी की आँखों से अश्रुधारा बह रही थी।* *परन्तु जब उन्होंने उर्मिला जी को देखा तो सोचने लगे कि, यह क्यों एकदम शांत और प्रसन्न खड़ी हैं?* *क्या इन्हें अपनी पति के प्राणों की कोई चिंता नहीं?* *हनुमान जी पूछते हैं- देवी!* *आपकी प्रसन्नता का कारण क्या है? आपके पति के प्राण संकट में हैं…सूर्य उदित होते ही सूर्य कुल का दीपक बुझ जायेगा।* *उर्मिला जी का उत्तर सुनकर तीनों लोकों का कोई भी प्राणी उनकी वंदना किये बिना नहीं रह पाएगा.!!* *उर्मिला बोलीं- ”* *मेरा दीपक संकट में नहीं है, वो बुझ ही नहीं सकता.!!* *रही सूर्योदय की बात तो आप चाहें तो कुछ दिन अयोध्या में विश्राम कर लीजिये, क्योंकि आपके वहां पहुंचे बिना सूर्य उदित हो ही नहीं सकता.!!* *आपने कहा कि, प्रभु श्रीराम मेरे पति को अपनी गोद में लेकर बैठे हैं..!* *जो “योगेश्वर प्रभु श्री राम” की गोदी में लेटा हो, काल उसे छू भी नहीं सकता..!!* *यह तो वो दोनों लीला कर रहे हैं..* *मेरे पति जब से वन गये हैं, तबसे सोये नहीं हैं..* *उन्होंने न सोने का प्रण लिया था..इसलिए वे थोड़ी देर विश्राम कर रहे हैं..और जब भगवान् की गोद मिल गयी तो थोड़ा विश्राम ज्यादा हो गया…वे उठ जायेंगे..!!* *और “शक्ति” मेरे पति को लगी ही नहीं, शक्ति तो प्रभु श्री राम जी को लगी है.!!* *मेरे पति की हर श्वास में राम हैं, हर धड़कन में राम, उनके रोम रोम में राम हैं, उनके खून की बूंद बूंद में राम हैं, और जब उनके शरीर और आत्मा में ही सिर्फ राम हैं, तो शक्ति राम जी को ही लगी, दर्द राम जी को ही हो रहा.!!* *इसलिये हनुमान जी आप निश्चिन्त होके जाएँ..सूर्य उदित नहीं होगा।”* *राम राज्य की नींव जनक जी की बेटियां ही थीं…* *कभी “सीता” तो कभी “उर्मिला”..!!* *भगवान् राम ने तो केवल राम राज्य का कलश स्थापित किया ..परन्तु वास्तव में राम राज्य इन सबके प्रेम, त्याग, समर्पण और बलिदान से ही आया .!!* *जिस मनुष्य में प्रेम, त्याग, समर्पण की भावना हो उस मनुष्य में राम हि बसता है…* *कभी समय मिले तो अपने वेद, पुराण, गीता, रामायण को पढ़ने और समझने का प्रयास कीजिएगा .,जीवन को एक अलग नज़रिए से देखने और जीने का सऊर मिलेगा .!!* *“लक्ष्मण सा भाई हो, कौशल्या माई हो,* *स्वामी तुम जैसा, मेरा रघुराइ हो..* *नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो,* *चरण हो राघव के, जहाँ मेरा ठिकाना हो..* *हो त्याग भरत जैसा, सीता सी नारी हो,* *लव कुश के जैसी, संतान हमारी हो..* *श्रद्धा हो श्रवण जैसी, सबरी सी भक्ति हो,* *हनुमत के जैसी निष्ठा और शक्ति हो… ”* *ये रामायण है, पुण्य कथा श्री राम की।* *!! जय जय श्री राम !!* #किस्से-कहानी
#जय महाकाल दर्शन।।
जय महाकाल दर्शन।। - जय श्री महाकाल *श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का आज का सायंकालीन आरती श्रृंगार दर्शन* ख मार्गशीर्ष, कृष्ण पक्ष, तिथि दशमी, संवत् २०८२, दिन * शुक्रवार, १४ नवंबर २०२५७ * ऊँ नमः शिवाय* महाकालेश्वर संध्या आरती दर्शन जय श्री महाकाल *श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का आज का सायंकालीन आरती श्रृंगार दर्शन* ख मार्गशीर्ष, कृष्ण पक्ष, तिथि दशमी, संवत् २०८२, दिन * शुक्रवार, १४ नवंबर २०२५७ * ऊँ नमः शिवाय* महाकालेश्वर संध्या आरती दर्शन - ShareChat
#श्री रामलला दर्शन अयोध्या
श्री रामलला दर्शन अयोध्या - आज कै दर्शन श्री रामलला, अयोध्या धाम १४ नवबर २७२५ Binod kumar Sharma आज कै दर्शन श्री रामलला, अयोध्या धाम १४ नवबर २७२५ Binod kumar Sharma - ShareChat
#जय माँ विंध्यवासिनी🙏🏻🚩
जय माँ  विंध्यवासिनी🙏🏻🚩 - जय माँ विंध्यवासिनी धाम, मिर्जापुर *आज प्रातःकाल मां की मंगला आरती का भव्य श्रृंगार दर्शन* ख मार्गशीर्ष, कृष्ण पक्ष, तिथि - दशमी, संवत् २०८२, दिन शुक्रवार, १४ नवंबर २०२५७ * *जय जय मैय्या विंध्यवासिनी की* ப731 जयमां विंध्यवासिनी जय माँ विंध्यवासिनी धाम, मिर्जापुर *आज प्रातःकाल मां की मंगला आरती का भव्य श्रृंगार दर्शन* ख मार्गशीर्ष, कृष्ण पक्ष, तिथि - दशमी, संवत् २०८२, दिन शुक्रवार, १४ नवंबर २०२५७ * *जय जय मैय्या विंध्यवासिनी की* ப731 जयमां विंध्यवासिनी - ShareChat