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#🙏 प्रेरणादायक विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #मित्र #❤️जीवन की सीख #☝ मेरे विचार
🙏 प्रेरणादायक विचार - 25 499 दुःख तीन प्रकार के होते है ( १ ) दैविक (२ ) दैहिक ( ३ ) भौतिका दैविक दुःख जो मन को होते हैं जैसे चिन्ता॰ आशंका , क्रोधा , अपमान, शत्र्ता , बिछोह॰  शोक ಭೌ> रोग॰ आदि। दैहिक दुःख जैसे चोट॰ F आघ्ात , विष आदि के प्रभाव से होने वाले भौतिक दुःख जो अचानक अदृश्य कष्ट। మ प्रकार से आते हैं जैसे भूकम्प॰ दुर्मिक्ष॰ अतिवृष्टि॰ महामारी॰ युद्ध आदि। इन्ही तीन दुःखों की वेदना से मनुष्य ग्रसित  प्रकार के a 8 तीनों दुःख हमारे शारीरिक. यह मानसिक और सामाजिक कर्मो के फल हैं। शारीरिक पापों के फलस्वरूप दैहिक दुःख ॰ मानसिक पापों के परिणाम से दैविक दुःख और सामाजिक पापों के कारण भौतिक दुःख उत्पन्न होते हैं-शारत्र ٨٨٨ 25 499 दुःख तीन प्रकार के होते है ( १ ) दैविक (२ ) दैहिक ( ३ ) भौतिका दैविक दुःख जो मन को होते हैं जैसे चिन्ता॰ आशंका , क्रोधा , अपमान, शत्र्ता , बिछोह॰  शोक ಭೌ> रोग॰ आदि। दैहिक दुःख जैसे चोट॰ F आघ्ात , विष आदि के प्रभाव से होने वाले भौतिक दुःख जो अचानक अदृश्य कष्ट। మ प्रकार से आते हैं जैसे भूकम्प॰ दुर्मिक्ष॰ अतिवृष्टि॰ महामारी॰ युद्ध आदि। इन्ही तीन दुःखों की वेदना से मनुष्य ग्रसित  प्रकार के a 8 तीनों दुःख हमारे शारीरिक. यह मानसिक और सामाजिक कर्मो के फल हैं। शारीरिक पापों के फलस्वरूप दैहिक दुःख ॰ मानसिक पापों के परिणाम से दैविक दुःख और सामाजिक पापों के कारण भौतिक दुःख उत्पन्न होते हैं-शारत्र ٨٨٨ - ShareChat
#भगवद गीता के सभी श्लोक #श्रीमद भगवद गीता उपदेश 🙏🙏 ##भगवद गीता🙏🕉️ #🚩🔯श्रीमद भगवद गीता🔯🚩 #भगवद गीता अध्यन 📖
भगवद गीता के सभी श्लोक - श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः | न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः I। इस आत्माको शस्त्र नहीं काट सकते, इसको आग नहीं जला सकती, इसको जल नहीं गला सकता और वायु नहीं सुखा सकता II २३ II अच्छेद्योउ्यमदाह्योउ्यमक्लेद्योउशोष्य एव च। नित्यः सर्वगतः स्थाणुरचलोउ्यं सनातनः Il क्योँकि यह आत्मा अच्छेद्य है, यह आत्मा अदाह्य, अक्लेद्य और निःसन्देह अशोष्य है तथा नित्य, सर्वव्यापी, स्थिर 3/4(1, आत्मा 46 रहनेवाला और सनातन है Il २४ Il অন্সক্ষীৎমমমিনত্ীৎমমনিন্ধামীৎমমুম্সন | नानुशोचितुमर्हसि विदित्वैनं तस्मादेवं यह आत्मा अव्यक्त है, यह आत्मा अचिन्त्य है और यह आत्मा विकाररहित कहा जाता है। इससे हे अर्जुन ! इस आत्माको उपर्युक्त प्रकारसे जानकर तू शोक करनेको योग्य नहीं है अर्थात् तुझे शोक करना उचित नहीं है Il २५ Il गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः | न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः I। इस आत्माको शस्त्र नहीं काट सकते, इसको आग नहीं जला सकती, इसको जल नहीं गला सकता और वायु नहीं सुखा सकता II २३ II अच्छेद्योउ्यमदाह्योउ्यमक्लेद्योउशोष्य एव च। नित्यः सर्वगतः स्थाणुरचलोउ्यं सनातनः Il क्योँकि यह आत्मा अच्छेद्य है, यह आत्मा अदाह्य, अक्लेद्य और निःसन्देह अशोष्य है तथा नित्य, सर्वव्यापी, स्थिर 3/4(1, आत्मा 46 रहनेवाला और सनातन है Il २४ Il অন্সক্ষীৎমমমিনত্ীৎমমনিন্ধামীৎমমুম্সন | नानुशोचितुमर्हसि विदित्वैनं तस्मादेवं यह आत्मा अव्यक्त है, यह आत्मा अचिन्त्य है और यह आत्मा विकाररहित कहा जाता है। इससे हे अर्जुन ! इस आत्माको उपर्युक्त प्रकारसे जानकर तू शोक करनेको योग्य नहीं है अर्थात् तुझे शोक करना उचित नहीं है Il २५ Il गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार - ShareChat
#☝ मेरे विचार #❤️जीवन की सीख #मित्र #🙏 प्रेरणादायक विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔
☝ मेरे विचार - 25 जिंदगी को बनाएँ नवम्बर कविता और गुनगुनाते रहिये, मुश्किलें हैं लाख पर मुस्कुरते रहिये॰, )0 25 जिंदगी को बनाएँ नवम्बर कविता और गुनगुनाते रहिये, मुश्किलें हैं लाख पर मुस्कुरते रहिये॰, )0 - ShareChat
#🙏 प्रेरणादायक विचार #❤️जीवन की सीख #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #मित्र #☝ मेरे विचार
🙏 प्रेरणादायक विचार - 24 जब विचार प्रार्थना नवम्बर  और कर्म सब पॉजिटिव ৪ী জনে ঔন জিকী अपने आप पॉजिटिव ৪ জনৌ ৪ )0 24 जब विचार प्रार्थना नवम्बर  और कर्म सब पॉजिटिव ৪ী জনে ঔন জিকী अपने आप पॉजिटिव ৪ জনৌ ৪ )0 - ShareChat
#भगवद गीता के सभी श्लोक ##भगवद गीता🙏🕉️ #भगवद गीता #🚩🔯श्रीमद भगवद गीता🔯🚩 #भगवद गीता अध्यन 📖
भगवद गीता के सभी श्लोक - श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 जायते म्रियते वा कदाचि- न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः | अजो नित्यः शाश्वतोउ्यं पुराणो - हन्यमाने शरीरे ।। چ٠ 7 यह आत्मा किसी कालमें भी न तो जन्मता है और न मरता ही है तथा न यह उत्पन्न होकर फिर होनेवाला ही है; क्योंकि यह अजन्मा, नित्य, सनातन और पुरातन है; शरीरके मारे जानेपर भी यह नहीं मारा जाता II २० |l वेदाविनाशिनं   नित्यं 7 एनमजमव्ययम्| कथं स पुरुषः पार्थ कं घातयति हन्ति कम्I।  हे पृथापुत्र अर्जुन ! जो पुरुष इस आत्माको नाशरहित पुरुष कैसे नित्य, अजन्मा और अव्यय जानता है, वह किसको मरवाता है और कैसे किसको मारता है ? II २१ II वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि   गृह्णाति नरोउ्पराणि | तथा शरीराणि विहाय जीर्णा - न्यन्यानि संयाति नवानि देही ।। जैसे मनुष्य 7 वस्त्रोंको त्यागकर दूसरे पुराने वस्त्रोंको ग्रहण करता है, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीरोंको  नये शरीरोँको प्राप्त होता है Il २२ Il दूसरे त्यागकर गोरखपुर गीता प्रेस , से साभार श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 जायते म्रियते वा कदाचि- न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः | अजो नित्यः शाश्वतोउ्यं पुराणो - हन्यमाने शरीरे ।। چ٠ 7 यह आत्मा किसी कालमें भी न तो जन्मता है और न मरता ही है तथा न यह उत्पन्न होकर फिर होनेवाला ही है; क्योंकि यह अजन्मा, नित्य, सनातन और पुरातन है; शरीरके मारे जानेपर भी यह नहीं मारा जाता II २० |l वेदाविनाशिनं   नित्यं 7 एनमजमव्ययम्| कथं स पुरुषः पार्थ कं घातयति हन्ति कम्I।  हे पृथापुत्र अर्जुन ! जो पुरुष इस आत्माको नाशरहित पुरुष कैसे नित्य, अजन्मा और अव्यय जानता है, वह किसको मरवाता है और कैसे किसको मारता है ? II २१ II वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि   गृह्णाति नरोउ्पराणि | तथा शरीराणि विहाय जीर्णा - न्यन्यानि संयाति नवानि देही ।। जैसे मनुष्य 7 वस्त्रोंको त्यागकर दूसरे पुराने वस्त्रोंको ग्रहण करता है, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीरोंको  नये शरीरोँको प्राप्त होता है Il २२ Il दूसरे त्यागकर गोरखपुर गीता प्रेस , से साभार - ShareChat
#मित्र #❤️जीवन की सीख #☝ मेरे विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #🙏 प्रेरणादायक विचार
मित्र - 04499& अग्नि की तीव्रता आग ম থাাল নম্কী ষ্ী মকনী है। इसको ठण्डे जल की जरूरत है। इसी तरह क्रोधी का क्रोध भी भड़कीले शब्दों से नर्ही शीतल शब्दों के प्रयोग रे ही दूर हो सकता है। ٨٨ 04499& अग्नि की तीव्रता आग ম থাাল নম্কী ষ্ী মকনী है। इसको ठण्डे जल की जरूरत है। इसी तरह क्रोधी का क्रोध भी भड़कीले शब्दों से नर्ही शीतल शब्दों के प्रयोग रे ही दूर हो सकता है। ٨٨ - ShareChat
#🙏 प्रेरणादायक विचार #❤️जीवन की सीख #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #☝ मेरे विचार #मित्र
🙏 प्रेरणादायक विचार - 23499~ आत्मा की पवित्रता मनुष्य के कार्यो पर निर्भर है और उसके कार्य संगति के ऊपर ٤٤٤ ٤١ ٨٨٨ 23499~ आत्मा की पवित्रता मनुष्य के कार्यो पर निर्भर है और उसके कार्य संगति के ऊपर ٤٤٤ ٤١ ٨٨٨ - ShareChat
#भगवद गीता के सभी श्लोक ##भगवद गीता🙏🕉️ #भगवद गीता #भगवद गीता अध्यन 📖 #🚩🔯श्रीमद भगवद गीता🔯🚩
भगवद गीता के सभी श्लोक - श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सतः | उभयोरपि दृष्टोउन्तस्त्वनयोस्तत्त्वदर्शिभिः I। असत् वस्तुकी तो सत्ता नहीं है और सत्का अभाव नहीं है।इस प्रकार इन दोनोँका ही तत्त्व तत्त्वज्ञानी पुरुषोंद्वारा देखा गया है ।Il १६ Il अविनाशि तु तद्विद्धि येन सर्वमिदं ततम्। विनाशमव्ययस्यास्य कश्चित्कर्तुमर्हति Il 7 नाशरहित तो तू उसको जान, जिससे यह सम्पूर्ण  इस अविनाशीका विनाश जगत् - दृश्यवर्ग व्याप्त है करनेमें कोई भी समर्थ नहीं है Il १७ Il अन्तवन्त इमे देहा नित्यस्योक्ताः शरीरिणः | अनाशिनोउप्रमेयस्य तस्माद्युध्यस्व भारत Il इस नाशरहित, अप्रमेय, नित्यस्वरूप जीवात्माके ये सब शरीर नाशवान् कहे गये हैं। इसलिये हे भरतवंशी अर्जुन! तू युद्ध करII १८ II य एनं वेत्ति हन्तारं यश्चैनं मन्यते हतम्। उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते ।। जो इस आत्माको मारनेवाला समझता है तथा जो इसको मरा मानता है, वे दोनों ही नहीं जानते; क्योंकि आत्मा   वास्तवमें ন নী   ক্িমীন্ধী 46 मारता है और न किसीके द्वारा मारा जाता है Il १९ II गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सतः | उभयोरपि दृष्टोउन्तस्त्वनयोस्तत्त्वदर्शिभिः I। असत् वस्तुकी तो सत्ता नहीं है और सत्का अभाव नहीं है।इस प्रकार इन दोनोँका ही तत्त्व तत्त्वज्ञानी पुरुषोंद्वारा देखा गया है ।Il १६ Il अविनाशि तु तद्विद्धि येन सर्वमिदं ततम्। विनाशमव्ययस्यास्य कश्चित्कर्तुमर्हति Il 7 नाशरहित तो तू उसको जान, जिससे यह सम्पूर्ण  इस अविनाशीका विनाश जगत् - दृश्यवर्ग व्याप्त है करनेमें कोई भी समर्थ नहीं है Il १७ Il अन्तवन्त इमे देहा नित्यस्योक्ताः शरीरिणः | अनाशिनोउप्रमेयस्य तस्माद्युध्यस्व भारत Il इस नाशरहित, अप्रमेय, नित्यस्वरूप जीवात्माके ये सब शरीर नाशवान् कहे गये हैं। इसलिये हे भरतवंशी अर्जुन! तू युद्ध करII १८ II य एनं वेत्ति हन्तारं यश्चैनं मन्यते हतम्। उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते ।। जो इस आत्माको मारनेवाला समझता है तथा जो इसको मरा मानता है, वे दोनों ही नहीं जानते; क्योंकि आत्मा   वास्तवमें ন নী   ক্িমীন্ধী 46 मारता है और न किसीके द्वारा मारा जाता है Il १९ II गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार - ShareChat
#☝ मेरे विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #❤️जीवन की सीख #मित्र #🙏 प्रेरणादायक विचार
☝ मेरे विचार - 23 हमारी भावनाएँ और नवम्बर त्यौहार यही तो है जो दूर 9, ক্ী, अपनों रहकर परस्पर नजदीकियों का, अहसास कराते हैं। )0 23 हमारी भावनाएँ और नवम्बर त्यौहार यही तो है जो दूर 9, ক্ী, अपनों रहकर परस्पर नजदीकियों का, अहसास कराते हैं। )0 - ShareChat
#🙏 प्रेरणादायक विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #मित्र #❤️जीवन की सीख #☝ मेरे विचार
🙏 प्रेरणादायक विचार - 024990 संसार को समझ के जीना आवश्यक है क्योंकि आँखें तालाब नहीं फिर भी भर आती है॰ दिल काँच नर्ही फिर भी टूट जाता है और इंसान मौसम नर्ही फिर भी बदल जाता है। ٨٨ 024990 संसार को समझ के जीना आवश्यक है क्योंकि आँखें तालाब नहीं फिर भी भर आती है॰ दिल काँच नर्ही फिर भी टूट जाता है और इंसान मौसम नर्ही फिर भी बदल जाता है। ٨٨ - ShareChat