MUKESH Nagar
ShareChat
click to see wallet page
@mukeshkhujner
mukeshkhujner
MUKESH Nagar
@mukeshkhujner
व्यस्त रहें, मस्त रहें
#🙏 प्रेरणादायक विचार #❤️जीवन की सीख #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #☝ मेरे विचार #मित्र
🙏 प्रेरणादायक विचार - 23499~ आत्मा की पवित्रता मनुष्य के कार्यो पर निर्भर है और उसके कार्य संगति के ऊपर ٤٤٤ ٤١ ٨٨٨ 23499~ आत्मा की पवित्रता मनुष्य के कार्यो पर निर्भर है और उसके कार्य संगति के ऊपर ٤٤٤ ٤١ ٨٨٨ - ShareChat
#भगवद गीता के सभी श्लोक ##भगवद गीता🙏🕉️ #भगवद गीता #भगवद गीता अध्यन 📖 #🚩🔯श्रीमद भगवद गीता🔯🚩
भगवद गीता के सभी श्लोक - श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सतः | उभयोरपि दृष्टोउन्तस्त्वनयोस्तत्त्वदर्शिभिः I। असत् वस्तुकी तो सत्ता नहीं है और सत्का अभाव नहीं है।इस प्रकार इन दोनोँका ही तत्त्व तत्त्वज्ञानी पुरुषोंद्वारा देखा गया है ।Il १६ Il अविनाशि तु तद्विद्धि येन सर्वमिदं ततम्। विनाशमव्ययस्यास्य कश्चित्कर्तुमर्हति Il 7 नाशरहित तो तू उसको जान, जिससे यह सम्पूर्ण  इस अविनाशीका विनाश जगत् - दृश्यवर्ग व्याप्त है करनेमें कोई भी समर्थ नहीं है Il १७ Il अन्तवन्त इमे देहा नित्यस्योक्ताः शरीरिणः | अनाशिनोउप्रमेयस्य तस्माद्युध्यस्व भारत Il इस नाशरहित, अप्रमेय, नित्यस्वरूप जीवात्माके ये सब शरीर नाशवान् कहे गये हैं। इसलिये हे भरतवंशी अर्जुन! तू युद्ध करII १८ II य एनं वेत्ति हन्तारं यश्चैनं मन्यते हतम्। उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते ।। जो इस आत्माको मारनेवाला समझता है तथा जो इसको मरा मानता है, वे दोनों ही नहीं जानते; क्योंकि आत्मा   वास्तवमें ন নী   ক্িমীন্ধী 46 मारता है और न किसीके द्वारा मारा जाता है Il १९ II गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सतः | उभयोरपि दृष्टोउन्तस्त्वनयोस्तत्त्वदर्शिभिः I। असत् वस्तुकी तो सत्ता नहीं है और सत्का अभाव नहीं है।इस प्रकार इन दोनोँका ही तत्त्व तत्त्वज्ञानी पुरुषोंद्वारा देखा गया है ।Il १६ Il अविनाशि तु तद्विद्धि येन सर्वमिदं ततम्। विनाशमव्ययस्यास्य कश्चित्कर्तुमर्हति Il 7 नाशरहित तो तू उसको जान, जिससे यह सम्पूर्ण  इस अविनाशीका विनाश जगत् - दृश्यवर्ग व्याप्त है करनेमें कोई भी समर्थ नहीं है Il १७ Il अन्तवन्त इमे देहा नित्यस्योक्ताः शरीरिणः | अनाशिनोउप्रमेयस्य तस्माद्युध्यस्व भारत Il इस नाशरहित, अप्रमेय, नित्यस्वरूप जीवात्माके ये सब शरीर नाशवान् कहे गये हैं। इसलिये हे भरतवंशी अर्जुन! तू युद्ध करII १८ II य एनं वेत्ति हन्तारं यश्चैनं मन्यते हतम्। उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते ।। जो इस आत्माको मारनेवाला समझता है तथा जो इसको मरा मानता है, वे दोनों ही नहीं जानते; क्योंकि आत्मा   वास्तवमें ন নী   ক্িমীন্ধী 46 मारता है और न किसीके द्वारा मारा जाता है Il १९ II गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार - ShareChat
#☝ मेरे विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #❤️जीवन की सीख #मित्र #🙏 प्रेरणादायक विचार
☝ मेरे विचार - 23 हमारी भावनाएँ और नवम्बर त्यौहार यही तो है जो दूर 9, ক্ী, अपनों रहकर परस्पर नजदीकियों का, अहसास कराते हैं। )0 23 हमारी भावनाएँ और नवम्बर त्यौहार यही तो है जो दूर 9, ক্ী, अपनों रहकर परस्पर नजदीकियों का, अहसास कराते हैं। )0 - ShareChat
#🙏 प्रेरणादायक विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #मित्र #❤️जीवन की सीख #☝ मेरे विचार
🙏 प्रेरणादायक विचार - 024990 संसार को समझ के जीना आवश्यक है क्योंकि आँखें तालाब नहीं फिर भी भर आती है॰ दिल काँच नर्ही फिर भी टूट जाता है और इंसान मौसम नर्ही फिर भी बदल जाता है। ٨٨ 024990 संसार को समझ के जीना आवश्यक है क्योंकि आँखें तालाब नहीं फिर भी भर आती है॰ दिल काँच नर्ही फिर भी टूट जाता है और इंसान मौसम नर्ही फिर भी बदल जाता है। ٨٨ - ShareChat
#भगवद गीता के सभी श्लोक #श्रीमद भगवद गीता उपदेश 🙏🙏 ##भगवद गीता🙏🕉️ #भगवद गीता #🚩🔯श्रीमद भगवद गीता🔯🚩
भगवद गीता के सभी श्लोक - श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 न त्वेवाहं जातु नासं न त्वं नेमे जनाधिपाः न चैव न भविष्यामः सर्वे वयमतः परम् I। न तो ऐसा ही है कि मैँ किसी कालमें नहीं था, था अथवा ये राजालोग नहीं थे और न तू नहीं ऐसा ही है कि इससे आगे हम सब नहीं रहेँगे II १२ II देहिनोउस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा। gaf देहान्तरप्राप्तिर्धीरस्तत्र T ন जैसे जीवात्माकी इस देहमें बालकपन, जवानी और वृद्धावस्था होती है, वैसे ही अन्य शरीरकी प्राप्ति होती है ; उस विषयमें धीर पुरुष मोहित नहीं होता II १३ Il मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः  आगमापायिनोउनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत I। हे कुन्तीपुत्र ! सर्दी-गर्मी और सुख-दुःखको देनेवाले इन्द्रिय और विषयोँके संयोग तो उत्पत्ति- विनाशशील और अनित्य हैँ, इसलिये हे भारत ! उनको तू सहन करII १४Il पुरुषर्षभ।  व्यथयन्त्येते ٤ ٤ ٦ पुरुषं समदुःखसुखं धीरं सोउमृतत्वाय कल्पते I। क्योंकि हे  पुरुषश्रेष्ठ ! दुःख-सुखको মসান समझनेवाले जिस धीर ये इन्द्रिय और पुरुषको मोक्षके विषयोँके संयोग व्याकुल नहीं करते, वह योग्य होता है Il १५ Il गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 न त्वेवाहं जातु नासं न त्वं नेमे जनाधिपाः न चैव न भविष्यामः सर्वे वयमतः परम् I। न तो ऐसा ही है कि मैँ किसी कालमें नहीं था, था अथवा ये राजालोग नहीं थे और न तू नहीं ऐसा ही है कि इससे आगे हम सब नहीं रहेँगे II १२ II देहिनोउस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा। gaf देहान्तरप्राप्तिर्धीरस्तत्र T ন जैसे जीवात्माकी इस देहमें बालकपन, जवानी और वृद्धावस्था होती है, वैसे ही अन्य शरीरकी प्राप्ति होती है ; उस विषयमें धीर पुरुष मोहित नहीं होता II १३ Il मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः  आगमापायिनोउनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत I। हे कुन्तीपुत्र ! सर्दी-गर्मी और सुख-दुःखको देनेवाले इन्द्रिय और विषयोँके संयोग तो उत्पत्ति- विनाशशील और अनित्य हैँ, इसलिये हे भारत ! उनको तू सहन करII १४Il पुरुषर्षभ।  व्यथयन्त्येते ٤ ٤ ٦ पुरुषं समदुःखसुखं धीरं सोउमृतत्वाय कल्पते I। क्योंकि हे  पुरुषश्रेष्ठ ! दुःख-सुखको মসান समझनेवाले जिस धीर ये इन्द्रिय और पुरुषको मोक्षके विषयोँके संयोग व्याकुल नहीं करते, वह योग्य होता है Il १५ Il गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार - ShareChat
#मित्र #☝ मेरे विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #❤️जीवन की सीख #🙏 प्रेरणादायक विचार
मित्र - 22 दौलत एक झटके में नवम्बर  और सुंदरता एक बीमारी में जा सकती है॰ इसलिए दौलत और सुंदरता पर कभी घमंड न करें॰+ * ZON 22 दौलत एक झटके में नवम्बर  और सुंदरता एक बीमारी में जा सकती है॰ इसलिए दौलत और सुंदरता पर कभी घमंड न करें॰+ * ZON - ShareChat
#🙏 प्रेरणादायक विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #❤️जीवन की सीख #☝ मेरे विचार #मित्र
🙏 प्रेरणादायक विचार - 1 निवम्बर   फोटो लेने के लिए॰ अच्छे कपड़े नहीं, बस मुस्कुरहट अच्छी होनी चाहिए )0 1 निवम्बर   फोटो लेने के लिए॰ अच्छे कपड़े नहीं, बस मुस्कुरहट अच्छी होनी चाहिए )0 - ShareChat
#भगवद गीता के सभी श्लोक ##भगवद गीता🙏🕉️ #भगवद गीता #🚩🔯श्रीमद भगवद गीता🔯🚩 #भगवद गीता अध्यन 📖
भगवद गीता के सभी श्लोक - श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 सञ्जय उवाच एवमुक्त्वा   हृषीकेशं गुडाकेशः ٩٠٦٩ ١ न योत्स्य इति गोविन्दमुक्त्वा  बभूव ह।। तूर्ष्णीं  মতয নীল-ই হাতনূ ! নিস্নান্ধী নীনননাল अर्जुन अन्तर्यामी श्रीकृष्ण महाराजके   प्रति इस प्रकार कहकर फिर श्रीगोविन्दभगवान्से ' युद्ध नहीं करूँगा ಶ೯ ನ೬ @೯೯ ಳ ಣ Tಾ II $ Il हृषीकेशः प्रहसन्निव भारत | Tara सेनयोरुभयोर्मध्ये विषीदन्तमिदं Fa: Il हे भरतवंशी धृतराष्ट्र ! अन्तर्यामी  श्रीकृष्ण 1 महाराज दोनों सेनाओंके बीचमें शोक करते हुए उस अर्जुनको ச4ர সঙ্ক ননন নীল Il ? ০ Il हुए-्से श्रीभगवानुवाच अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे। गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः Il श्रीभगवान् बोले- हे अर्जुन ! तू न शोक करनेयोग्य मनुष्योँके लिये शोक करता है और पण्डितोंके- से वचनोंको कहता है; परंतु जिनके प्राण चले गये हैँ, उनके लिये और जिनके प्राण नहीं गये हैं उनके लिये भी पण्डितजन शोक नहीं करते II ११ II गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 सञ्जय उवाच एवमुक्त्वा   हृषीकेशं गुडाकेशः ٩٠٦٩ ١ न योत्स्य इति गोविन्दमुक्त्वा  बभूव ह।। तूर्ष्णीं  মতয নীল-ই হাতনূ ! নিস্নান্ধী নীনননাল अर्जुन अन्तर्यामी श्रीकृष्ण महाराजके   प्रति इस प्रकार कहकर फिर श्रीगोविन्दभगवान्से ' युद्ध नहीं करूँगा ಶ೯ ನ೬ @೯೯ ಳ ಣ Tಾ II $ Il हृषीकेशः प्रहसन्निव भारत | Tara सेनयोरुभयोर्मध्ये विषीदन्तमिदं Fa: Il हे भरतवंशी धृतराष्ट्र ! अन्तर्यामी  श्रीकृष्ण 1 महाराज दोनों सेनाओंके बीचमें शोक करते हुए उस अर्जुनको ச4ர সঙ্ক ননন নীল Il ? ০ Il हुए-्से श्रीभगवानुवाच अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे। गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः Il श्रीभगवान् बोले- हे अर्जुन ! तू न शोक करनेयोग्य मनुष्योँके लिये शोक करता है और पण्डितोंके- से वचनोंको कहता है; परंतु जिनके प्राण चले गये हैँ, उनके लिये और जिनके प्राण नहीं गये हैं उनके लिये भी पण्डितजन शोक नहीं करते II ११ II गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार - ShareChat
#विश्व टेलीविजन दिवस 21 नवम्बर #विश्व टेलीविजन दिवस 🖥️ #विश्व टेलीविजन दिवस, विश्व फिलोसोफी डे एवं वर्ल्ड फिशरीज डे #🌷विश्व टेलीविजन दिवस🇮🇳 #📺 विश्व टेलीविजन दिवस📺
विश्व टेलीविजन दिवस 21 नवम्बर - २१ नवम्बर विश्व ঠলীবিতান दिवस World Television Day MNy २१ नवम्बर विश्व ঠলীবিতান दिवस World Television Day MNy - ShareChat
#❤️जीवन की सीख #🙏 प्रेरणादायक विचार #☝ मेरे विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #मित्र
❤️जीवन की सीख - 0499٣ हाथ वे ही पवित्र हैं जो परोपकारी हैं। पैर वे ही सुन्दर हैं जो गरीब के घर में दया वश पहुँच जाते हैं। स्कन्ध( कंधा  वही शुद्ध हैं॰ जो दूसरे কী নিলা কী ঋণন ऊपर रख लेते हैं। ٨٨ 0499٣ हाथ वे ही पवित्र हैं जो परोपकारी हैं। पैर वे ही सुन्दर हैं जो गरीब के घर में दया वश पहुँच जाते हैं। स्कन्ध( कंधा  वही शुद्ध हैं॰ जो दूसरे কী নিলা কী ঋণন ऊपर रख लेते हैं। ٨٨ - ShareChat