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#🙏 प्रेरणादायक विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #मित्र #❤️जीवन की सीख #☝ मेरे विचार
🙏 प्रेरणादायक विचार - 024990 संसार को समझ के जीना आवश्यक है क्योंकि आँखें तालाब नहीं फिर भी भर आती है॰ दिल काँच नर्ही फिर भी टूट जाता है और इंसान मौसम नर्ही फिर भी बदल जाता है। ٨٨ 024990 संसार को समझ के जीना आवश्यक है क्योंकि आँखें तालाब नहीं फिर भी भर आती है॰ दिल काँच नर्ही फिर भी टूट जाता है और इंसान मौसम नर्ही फिर भी बदल जाता है। ٨٨ - ShareChat
#भगवद गीता के सभी श्लोक #श्रीमद भगवद गीता उपदेश 🙏🙏 ##भगवद गीता🙏🕉️ #भगवद गीता #🚩🔯श्रीमद भगवद गीता🔯🚩
भगवद गीता के सभी श्लोक - श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 न त्वेवाहं जातु नासं न त्वं नेमे जनाधिपाः न चैव न भविष्यामः सर्वे वयमतः परम् I। न तो ऐसा ही है कि मैँ किसी कालमें नहीं था, था अथवा ये राजालोग नहीं थे और न तू नहीं ऐसा ही है कि इससे आगे हम सब नहीं रहेँगे II १२ II देहिनोउस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा। gaf देहान्तरप्राप्तिर्धीरस्तत्र T ন जैसे जीवात्माकी इस देहमें बालकपन, जवानी और वृद्धावस्था होती है, वैसे ही अन्य शरीरकी प्राप्ति होती है ; उस विषयमें धीर पुरुष मोहित नहीं होता II १३ Il मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः  आगमापायिनोउनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत I। हे कुन्तीपुत्र ! सर्दी-गर्मी और सुख-दुःखको देनेवाले इन्द्रिय और विषयोँके संयोग तो उत्पत्ति- विनाशशील और अनित्य हैँ, इसलिये हे भारत ! उनको तू सहन करII १४Il पुरुषर्षभ।  व्यथयन्त्येते ٤ ٤ ٦ पुरुषं समदुःखसुखं धीरं सोउमृतत्वाय कल्पते I। क्योंकि हे  पुरुषश्रेष्ठ ! दुःख-सुखको মসান समझनेवाले जिस धीर ये इन्द्रिय और पुरुषको मोक्षके विषयोँके संयोग व्याकुल नहीं करते, वह योग्य होता है Il १५ Il गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 न त्वेवाहं जातु नासं न त्वं नेमे जनाधिपाः न चैव न भविष्यामः सर्वे वयमतः परम् I। न तो ऐसा ही है कि मैँ किसी कालमें नहीं था, था अथवा ये राजालोग नहीं थे और न तू नहीं ऐसा ही है कि इससे आगे हम सब नहीं रहेँगे II १२ II देहिनोउस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा। gaf देहान्तरप्राप्तिर्धीरस्तत्र T ন जैसे जीवात्माकी इस देहमें बालकपन, जवानी और वृद्धावस्था होती है, वैसे ही अन्य शरीरकी प्राप्ति होती है ; उस विषयमें धीर पुरुष मोहित नहीं होता II १३ Il मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः  आगमापायिनोउनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत I। हे कुन्तीपुत्र ! सर्दी-गर्मी और सुख-दुःखको देनेवाले इन्द्रिय और विषयोँके संयोग तो उत्पत्ति- विनाशशील और अनित्य हैँ, इसलिये हे भारत ! उनको तू सहन करII १४Il पुरुषर्षभ।  व्यथयन्त्येते ٤ ٤ ٦ पुरुषं समदुःखसुखं धीरं सोउमृतत्वाय कल्पते I। क्योंकि हे  पुरुषश्रेष्ठ ! दुःख-सुखको মসান समझनेवाले जिस धीर ये इन्द्रिय और पुरुषको मोक्षके विषयोँके संयोग व्याकुल नहीं करते, वह योग्य होता है Il १५ Il गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार - ShareChat
#मित्र #☝ मेरे विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #❤️जीवन की सीख #🙏 प्रेरणादायक विचार
मित्र - 22 दौलत एक झटके में नवम्बर  और सुंदरता एक बीमारी में जा सकती है॰ इसलिए दौलत और सुंदरता पर कभी घमंड न करें॰+ * ZON 22 दौलत एक झटके में नवम्बर  और सुंदरता एक बीमारी में जा सकती है॰ इसलिए दौलत और सुंदरता पर कभी घमंड न करें॰+ * ZON - ShareChat
#🙏 प्रेरणादायक विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #❤️जीवन की सीख #☝ मेरे विचार #मित्र
🙏 प्रेरणादायक विचार - 1 निवम्बर   फोटो लेने के लिए॰ अच्छे कपड़े नहीं, बस मुस्कुरहट अच्छी होनी चाहिए )0 1 निवम्बर   फोटो लेने के लिए॰ अच्छे कपड़े नहीं, बस मुस्कुरहट अच्छी होनी चाहिए )0 - ShareChat
#भगवद गीता के सभी श्लोक ##भगवद गीता🙏🕉️ #भगवद गीता #🚩🔯श्रीमद भगवद गीता🔯🚩 #भगवद गीता अध्यन 📖
भगवद गीता के सभी श्लोक - श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 सञ्जय उवाच एवमुक्त्वा   हृषीकेशं गुडाकेशः ٩٠٦٩ ١ न योत्स्य इति गोविन्दमुक्त्वा  बभूव ह।। तूर्ष्णीं  মতয নীল-ই হাতনূ ! নিস্নান্ধী নীনননাল अर्जुन अन्तर्यामी श्रीकृष्ण महाराजके   प्रति इस प्रकार कहकर फिर श्रीगोविन्दभगवान्से ' युद्ध नहीं करूँगा ಶ೯ ನ೬ @೯೯ ಳ ಣ Tಾ II $ Il हृषीकेशः प्रहसन्निव भारत | Tara सेनयोरुभयोर्मध्ये विषीदन्तमिदं Fa: Il हे भरतवंशी धृतराष्ट्र ! अन्तर्यामी  श्रीकृष्ण 1 महाराज दोनों सेनाओंके बीचमें शोक करते हुए उस अर्जुनको ச4ர সঙ্ক ননন নীল Il ? ০ Il हुए-्से श्रीभगवानुवाच अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे। गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः Il श्रीभगवान् बोले- हे अर्जुन ! तू न शोक करनेयोग्य मनुष्योँके लिये शोक करता है और पण्डितोंके- से वचनोंको कहता है; परंतु जिनके प्राण चले गये हैँ, उनके लिये और जिनके प्राण नहीं गये हैं उनके लिये भी पण्डितजन शोक नहीं करते II ११ II गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 सञ्जय उवाच एवमुक्त्वा   हृषीकेशं गुडाकेशः ٩٠٦٩ ١ न योत्स्य इति गोविन्दमुक्त्वा  बभूव ह।। तूर्ष्णीं  মতয নীল-ই হাতনূ ! নিস্নান্ধী নীনননাল अर्जुन अन्तर्यामी श्रीकृष्ण महाराजके   प्रति इस प्रकार कहकर फिर श्रीगोविन्दभगवान्से ' युद्ध नहीं करूँगा ಶ೯ ನ೬ @೯೯ ಳ ಣ Tಾ II $ Il हृषीकेशः प्रहसन्निव भारत | Tara सेनयोरुभयोर्मध्ये विषीदन्तमिदं Fa: Il हे भरतवंशी धृतराष्ट्र ! अन्तर्यामी  श्रीकृष्ण 1 महाराज दोनों सेनाओंके बीचमें शोक करते हुए उस अर्जुनको ச4ர সঙ্ক ননন নীল Il ? ০ Il हुए-्से श्रीभगवानुवाच अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे। गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः Il श्रीभगवान् बोले- हे अर्जुन ! तू न शोक करनेयोग्य मनुष्योँके लिये शोक करता है और पण्डितोंके- से वचनोंको कहता है; परंतु जिनके प्राण चले गये हैँ, उनके लिये और जिनके प्राण नहीं गये हैं उनके लिये भी पण्डितजन शोक नहीं करते II ११ II गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार - ShareChat
#विश्व टेलीविजन दिवस 21 नवम्बर #विश्व टेलीविजन दिवस 🖥️ #विश्व टेलीविजन दिवस, विश्व फिलोसोफी डे एवं वर्ल्ड फिशरीज डे #🌷विश्व टेलीविजन दिवस🇮🇳 #📺 विश्व टेलीविजन दिवस📺
विश्व टेलीविजन दिवस 21 नवम्बर - २१ नवम्बर विश्व ঠলীবিতান दिवस World Television Day MNy २१ नवम्बर विश्व ঠলীবিতান दिवस World Television Day MNy - ShareChat
#❤️जीवन की सीख #🙏 प्रेरणादायक विचार #☝ मेरे विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #मित्र
❤️जीवन की सीख - 0499٣ हाथ वे ही पवित्र हैं जो परोपकारी हैं। पैर वे ही सुन्दर हैं जो गरीब के घर में दया वश पहुँच जाते हैं। स्कन्ध( कंधा  वही शुद्ध हैं॰ जो दूसरे কী নিলা কী ঋণন ऊपर रख लेते हैं। ٨٨ 0499٣ हाथ वे ही पवित्र हैं जो परोपकारी हैं। पैर वे ही सुन्दर हैं जो गरीब के घर में दया वश पहुँच जाते हैं। स्कन्ध( कंधा  वही शुद्ध हैं॰ जो दूसरे কী নিলা কী ঋণন ऊपर रख लेते हैं। ٨٨ - ShareChat
#☝ मेरे विचार #🙏 प्रेरणादायक विचार #मित्र #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #❤️जीवन की सीख
☝ मेरे विचार - 20 जब आपको हराने के लिए नवम्बर परिश्रम और प्रयास करने की बजाय आपकी पीठ पीछे साजिश और षडयंत्र करने लगे तो समझ लीजिए कि आपकी वर्षो की मेहनत सफल हुई )0 20 जब आपको हराने के लिए नवम्बर परिश्रम और प्रयास करने की बजाय आपकी पीठ पीछे साजिश और षडयंत्र करने लगे तो समझ लीजिए कि आपकी वर्षो की मेहनत सफल हुई )0 - ShareChat
#❤️जीवन की सीख #🙏 प्रेरणादायक विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #मित्र #☝ मेरे विचार
❤️जीवन की सीख - २० नवम्बर सार्वभौमिक बाल दिवस Universall Children's Day MN २० नवम्बर सार्वभौमिक बाल दिवस Universall Children's Day MN - ShareChat
#मित्र #🙏 प्रेरणादायक विचार #☝ मेरे विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #❤️जीवन की सीख
मित्र - श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 कार्पण्यदोषोपहतस्वभावः पृच्छामि त्वां धर्मसम्मूढचेताः | यच्छ्रेयः स्यान्निश्चितं ब्रूहि तन्मे शिष्यस्तेष्हं शाधि मां त्वां प्रपन्नम् ।। इसलिये कायरतारूप दोषसे उपहत हुए स्वभाववाला तथा धर्मके विषयमें मोहितचित्त हुआ मैँ आपसे पूछता  हूँ कि जो साधन निश्चित कल्याणकारक हो, वह मेरे लिये कहिये; क्योंकि मैं आपका शिष्य हूँ॰ इसलिये शिक्षा दीजिये I।७ Il आपके शरण हुए ತಳಹ न हि प्रपश्यामि ममापनुद्या- द्यच्छोकमुच्छोषणमिन्द्रियाणाम् ( भूमावसपत्नमृद्ध- अवाप्य राज्यं सुराणामपि चाधिपत्यम्।I क्योंकि भूमिमें निष्कण्टक   धन- धान्यसम्पन्न राज्यको और देवताओंके स्वामीपनेको प्राप्त होकर भी मैँ उस उपायको नहीं देखता हूँ, जो मेरी इन्द्रियोंके सुखानेवाले शोकको दूर कर सके Il ८ II गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 कार्पण्यदोषोपहतस्वभावः पृच्छामि त्वां धर्मसम्मूढचेताः | यच्छ्रेयः स्यान्निश्चितं ब्रूहि तन्मे शिष्यस्तेष्हं शाधि मां त्वां प्रपन्नम् ।। इसलिये कायरतारूप दोषसे उपहत हुए स्वभाववाला तथा धर्मके विषयमें मोहितचित्त हुआ मैँ आपसे पूछता  हूँ कि जो साधन निश्चित कल्याणकारक हो, वह मेरे लिये कहिये; क्योंकि मैं आपका शिष्य हूँ॰ इसलिये शिक्षा दीजिये I।७ Il आपके शरण हुए ತಳಹ न हि प्रपश्यामि ममापनुद्या- द्यच्छोकमुच्छोषणमिन्द्रियाणाम् ( भूमावसपत्नमृद्ध- अवाप्य राज्यं सुराणामपि चाधिपत्यम्।I क्योंकि भूमिमें निष्कण्टक   धन- धान्यसम्पन्न राज्यको और देवताओंके स्वामीपनेको प्राप्त होकर भी मैँ उस उपायको नहीं देखता हूँ, जो मेरी इन्द्रियोंके सुखानेवाले शोकको दूर कर सके Il ८ II गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार - ShareChat