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#satnam waheguru ji #satnam shri waheguru ji #Meetha Lage Tera bhana
satnam waheguru ji - 94R٩ SHf हरन कलि मै हरि को नामु ग] निसि दिनु जौ नानक भजै सफल होहि तिह कामा०] कलियुग * में ईश्वर (हरि) का नाम ही भय का नाश करने वाला और ೯ 95! मीठा वाला है। हे नानक! जो मनुष्य रात दिन दुष्ट बुद्धि , अज्ञानता , पाप को ೯ೇ೯' प्रभु का भजन (सिमरन) करता ' लगे उसके सभी कार्य सफल होते है। में मनुष्य  कलियुग  कई तरह के डरों और विकारों से इस संसार विशेषकर घिरा रहता है। गुरु जी कहते हैं कि केवल परमात्मा का नाम ही समर्थ है I जो हमारे मन से हर प्रकार के डर भै को मिटा सकता है और हमारी खोटी बुद्धि को शुद्ध कर सकता है। जो व्यक्ति 'निसि दिनु' यानी रात और दुरमति ' दिन उस परमात्मा का सिमरन करता है, उसे जीवन का सही मार्ग मिल भाण जाता है। जब मन से डर निकल जाता है और बुद्धि निर्मल हो जाती है, तो उस भक्त के लोक और परलोक दोनों के कार्य सफल सिद्ध हो जाते हैं। उसका जीवन व्यर्थ नहीं जाता। 94R٩ SHf हरन कलि मै हरि को नामु ग] निसि दिनु जौ नानक भजै सफल होहि तिह कामा०] कलियुग * में ईश्वर (हरि) का नाम ही भय का नाश करने वाला और ೯ 95! मीठा वाला है। हे नानक! जो मनुष्य रात दिन दुष्ट बुद्धि , अज्ञानता , पाप को ೯ೇ೯' प्रभु का भजन (सिमरन) करता ' लगे उसके सभी कार्य सफल होते है। में मनुष्य  कलियुग  कई तरह के डरों और विकारों से इस संसार विशेषकर घिरा रहता है। गुरु जी कहते हैं कि केवल परमात्मा का नाम ही समर्थ है I जो हमारे मन से हर प्रकार के डर भै को मिटा सकता है और हमारी खोटी बुद्धि को शुद्ध कर सकता है। जो व्यक्ति 'निसि दिनु' यानी रात और दुरमति ' दिन उस परमात्मा का सिमरन करता है, उसे जीवन का सही मार्ग मिल भाण जाता है। जब मन से डर निकल जाता है और बुद्धि निर्मल हो जाती है, तो उस भक्त के लोक और परलोक दोनों के कार्य सफल सिद्ध हो जाते हैं। उसका जीवन व्यर्थ नहीं जाता। - ShareChat
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satnam waheguru ji - जीतूं दिहिजपीतेरा नाऊ दर्गह बैसण होवै थाउ[ दुरमति जाइाा जातुधु थावै ता गिऑन स्तन्नु मनिवसै आडा नदरिकरता सतिगुरु मिलै। प्रणवति नानकु भवजलुनखाा ೯ ೯9! जब तू अपने नाम की दात मुझे मीठा देता है॰ तभी मैंतेरा नाम जप सकता हूँ ನಾ और तेरी हजूरी में मुझे बैठने के fag जगह मिल सकती है।जिब तेरी रजा हो तब ही मेरी बुरी मति दूर॰हो सकती है॰ औरतेरा बख्शा हुआ श्रेष्ठ ज्ञान मेरे मन ٩٦ में आ के बस सकता है। बाबानानक विनती करते है कि जिस मनुष्य पर प्रभू 16' की नजरकरता हैउसे गुरू मिलता है॰ और वह संसार समुंद्रसे पारलांघ 347 81 जीतूं दिहिजपीतेरा नाऊ दर्गह बैसण होवै थाउ[ दुरमति जाइाा जातुधु थावै ता गिऑन स्तन्नु मनिवसै आडा नदरिकरता सतिगुरु मिलै। प्रणवति नानकु भवजलुनखाा ೯ ೯9! जब तू अपने नाम की दात मुझे मीठा देता है॰ तभी मैंतेरा नाम जप सकता हूँ ನಾ और तेरी हजूरी में मुझे बैठने के fag जगह मिल सकती है।जिब तेरी रजा हो तब ही मेरी बुरी मति दूर॰हो सकती है॰ औरतेरा बख्शा हुआ श्रेष्ठ ज्ञान मेरे मन ٩٦ में आ के बस सकता है। बाबानानक विनती करते है कि जिस मनुष्य पर प्रभू 16' की नजरकरता हैउसे गुरू मिलता है॰ और वह संसार समुंद्रसे पारलांघ 347 81 - ShareChat
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satnam waheguru ji - जिउ मंदर कउ थामै थमनु।। तिउ गुरका सबदु मनहि असथमनु ।। जिउ पाखाणु नाव चड़़ि तरै।। प्राणी गुर चरण लगतु निसतरै।। अर्थःजैसे घरकी छतको ्खंभाम्सहारा देता है॰ वैसे ही गुरू काशब्द मन मै तेरा @గా सहारा है। जैसे पत्थर नावमें चढ़ के भिखारी नदी वगैरा से पार लांघ जाता है॰ वैसे 3 ही गुरू के चरण लगा हुआ आदमी संसार समुंद्र तैर जाता है जैसे दीपक पहाडा अंधकार दूर कर के रौशनी कर देता है, वाले वैसे ही गुरू का दीदारकरके मन में II खिलाव पैदा हो जाता है। साधसंगत की संगति में बैठने से अकाल पुरख ज की ज्योति मनुष्य के अंदर प्रगट होती है। मैं उन संतों के चरणों कीधूड़ मांगता চু जिउ मंदर कउ थामै थमनु।। तिउ गुरका सबदु मनहि असथमनु ।। जिउ पाखाणु नाव चड़़ि तरै।। प्राणी गुर चरण लगतु निसतरै।। अर्थःजैसे घरकी छतको ्खंभाम्सहारा देता है॰ वैसे ही गुरू काशब्द मन मै तेरा @గా सहारा है। जैसे पत्थर नावमें चढ़ के भिखारी नदी वगैरा से पार लांघ जाता है॰ वैसे 3 ही गुरू के चरण लगा हुआ आदमी संसार समुंद्र तैर जाता है जैसे दीपक पहाडा अंधकार दूर कर के रौशनी कर देता है, वाले वैसे ही गुरू का दीदारकरके मन में II खिलाव पैदा हो जाता है। साधसंगत की संगति में बैठने से अकाल पुरख ज की ज्योति मनुष्य के अंदर प्रगट होती है। मैं उन संतों के चरणों कीधूड़ मांगता চু - ShareChat
#satnam waheguru ji #satnam shri waheguru ji #Meetha Lage Tera bhana #Eek Tu Hi Guru Ji
satnam waheguru ji - मेरी खामोशी लगी बदला #  आज् जिसकों भी देखो परेशान बहुत सच किसी की जुबान पर नहीं पर झूठ की हर किसी को पहचान बहुत है. कहने को तो सारे अपने बहुत है अगर गौर से देखों तो किसी में भी अपनापन नहीं है...!! दर्दहरकिसी को है यहां कोई पढ़ रहा है और कोई लिख रहा है जिस दिन मेरा लिख समझ में आ गया फिरोंगे मुझको... फिरउसके बाद ढूंढते अपनों से मिले उतार चढ़ाव से बहुत् ग़ुजरा हूं में नहीं मिली किसी से खुशी स्रभी से मिले कोःही सहना पड़ा है। दुखों साथ तो कोई भी नहीं चला साथ मेरे सभी से मिले गमों के सहारे ही अकेले चलना जरूरत जिस जिस की पूरी हुई পভা ট. उन्हीं सभी अपनों को बदलते देखा है.॰ अपना स्वार्थ तो सभी निकालना जानते है लेकिन स्वार्थ पूरा होते सभी अपनों को बदलते देखा है..!! आजमाया हर किसी ने मुझको जितना वक़्त मैने दिया सभी को उतना किसी से पाया नहीं कमी मेरी किसी को महसूस् ना हो शायद खुदा ने मुझको ऐसा बनाया नहीं..!| मेरी खामोशी लगी बदला #  आज् जिसकों भी देखो परेशान बहुत सच किसी की जुबान पर नहीं पर झूठ की हर किसी को पहचान बहुत है. कहने को तो सारे अपने बहुत है अगर गौर से देखों तो किसी में भी अपनापन नहीं है...!! दर्दहरकिसी को है यहां कोई पढ़ रहा है और कोई लिख रहा है जिस दिन मेरा लिख समझ में आ गया फिरोंगे मुझको... फिरउसके बाद ढूंढते अपनों से मिले उतार चढ़ाव से बहुत् ग़ुजरा हूं में नहीं मिली किसी से खुशी स्रभी से मिले कोःही सहना पड़ा है। दुखों साथ तो कोई भी नहीं चला साथ मेरे सभी से मिले गमों के सहारे ही अकेले चलना जरूरत जिस जिस की पूरी हुई পভা ট. उन्हीं सभी अपनों को बदलते देखा है.॰ अपना स्वार्थ तो सभी निकालना जानते है लेकिन स्वार्थ पूरा होते सभी अपनों को बदलते देखा है..!! आजमाया हर किसी ने मुझको जितना वक़्त मैने दिया सभी को उतना किसी से पाया नहीं कमी मेरी किसी को महसूस् ना हो शायद खुदा ने मुझको ऐसा बनाया नहीं..!| - ShareChat
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satnam waheguru ji - ٩ खामोशी लगी बदला मेरा कुछ लोग मेरे आत्मसम्मान पर बार पहुंचाते थे म्जाक की आड़् बॉर चोट में झूठे इल्ज़ॉम और चोट मुझे पहुंचाते है...!! अगर जवाब दे दो इनको इनके किए गलत व्यवहार कातो गलत मैइकोसहदे ठहततहै हो कभीभीैएहंखों दिए आंसू दे जाते है तो कभी 3 दर्दों कीदवा बन जाते है। कैसा भरोस करू ऐसे लोगों पर जो पल पल में रंग बदलते है पीठ पीछे करते है बुराई और सामने आके सगे बन जाते है...!! जिस् पर भी करों भरोसा दर्द अक्सर वही अप दे कर चले जाते है...!! समझता था दर्द सभी का परमजाक कभी किसी का उड़ाया नहीं बन ना सका मरहम तो दर्दः भी कभी किसी को पहुंचाया नहीं...!! जानते सभी थे जिन्दगी मेरी बेरंग है फिः है सुनाओ क्या कैसा है हाल নী पूछते मेरा...!! सफर मेरा जिन्दगी का कुछ यूं॰ही गुजर गया कुछ लोग अनजाने हो गए और कुछ अनजानों को अपना कर N !!सुना था पैसों के पीछे तवायफों कोठे! बदनाम है पर मैने तो पैसों के पीदे दुनियां सारी नाचती हुई देखी है..! ٩ खामोशी लगी बदला मेरा कुछ लोग मेरे आत्मसम्मान पर बार पहुंचाते थे म्जाक की आड़् बॉर चोट में झूठे इल्ज़ॉम और चोट मुझे पहुंचाते है...!! अगर जवाब दे दो इनको इनके किए गलत व्यवहार कातो गलत मैइकोसहदे ठहततहै हो कभीभीैएहंखों दिए आंसू दे जाते है तो कभी 3 दर्दों कीदवा बन जाते है। कैसा भरोस करू ऐसे लोगों पर जो पल पल में रंग बदलते है पीठ पीछे करते है बुराई और सामने आके सगे बन जाते है...!! जिस् पर भी करों भरोसा दर्द अक्सर वही अप दे कर चले जाते है...!! समझता था दर्द सभी का परमजाक कभी किसी का उड़ाया नहीं बन ना सका मरहम तो दर्दः भी कभी किसी को पहुंचाया नहीं...!! जानते सभी थे जिन्दगी मेरी बेरंग है फिः है सुनाओ क्या कैसा है हाल নী पूछते मेरा...!! सफर मेरा जिन्दगी का कुछ यूं॰ही गुजर गया कुछ लोग अनजाने हो गए और कुछ अनजानों को अपना कर N !!सुना था पैसों के पीछे तवायफों कोठे! बदनाम है पर मैने तो पैसों के पीदे दुनियां सारी नाचती हुई देखी है..! - ShareChat
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satnam waheguru ji - तेग बहादुर सिमरिये घर नौ निध आवे धाये सब थाई होए सहाय. ढीकरि फोरि दिलीसि सिरि, प्रभ पुरकीया Taai खयान्न ाातेग बहादरसी क्रिया, करी न आन D० तैग बहादर के चलत भथ जृगत भयौ॰ जै च्ै जै सुर खौकणाहै है है सब GTT se Il अर्थः दिल्ली के शासक (औरंगजेब ) के सिर मीठा पर शरीर रूपी ठीकरा फोड़कर यानी अपने fT नश्वर शरीरका त्याग कर पिता श्री लगे बहादुर जी प्रभु के धामे देवलोक के गए। श्री गुरु तेग बहादुरजी प्रस्थान कर जैसा बलिदान को कार्य कोई और नही कर तेरा सकता। श्री गुरुतेग बहादुर जी के शहीद होने पर पूरे संसारमें शोक छा गया। पूरे संसार में हायऱ्हाय हाहाकार का शोक भाणा मच गया, जबकि देवलोक स्वर्ग में उनकी होने लगी। जय जय कार तेग बहादुर सिमरिये घर नौ निध आवे धाये सब थाई होए सहाय. ढीकरि फोरि दिलीसि सिरि, प्रभ पुरकीया Taai खयान्न ाातेग बहादरसी क्रिया, करी न आन D० तैग बहादर के चलत भथ जृगत भयौ॰ जै च्ै जै सुर खौकणाहै है है सब GTT se Il अर्थः दिल्ली के शासक (औरंगजेब ) के सिर मीठा पर शरीर रूपी ठीकरा फोड़कर यानी अपने fT नश्वर शरीरका त्याग कर पिता श्री लगे बहादुर जी प्रभु के धामे देवलोक के गए। श्री गुरु तेग बहादुरजी प्रस्थान कर जैसा बलिदान को कार्य कोई और नही कर तेरा सकता। श्री गुरुतेग बहादुर जी के शहीद होने पर पूरे संसारमें शोक छा गया। पूरे संसार में हायऱ्हाय हाहाकार का शोक भाणा मच गया, जबकि देवलोक स्वर्ग में उनकी होने लगी। जय जय कार - ShareChat
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satnam waheguru ji - जंञू ' तिलक राखा प्रभ ताका।। कीनो बडो कलू महि साकाII साधन हेति इती जिनि तेग करी।।सीसु दीया परु सीन उचरी।।धरम हेत ासीसु दीआ परु सिररु साका जिनि कीआ बहादुर S3IIII सिमरिये Re आवे धाये श्री गुरु ` तेग़ बहादुर साहिब जी के निर्भय आचरण, धार्मिक Hq अडिगता और नैतिक उदारता का उच्चतम उदाहरण था। थाई मानवीय धर्म एवंवैचारिक स्वतंत्रता के लिए अपनी गुरुजी 616 श्री गुरु महान शहादत देने वाले एक क्रांतिकारी युग पुरुष थे। तेग बहादुर  साहिब जी के बलिदान दिवस पर कोटि कोटि सहाय. जंञू ' तिलक राखा प्रभ ताका।। कीनो बडो कलू महि साकाII साधन हेति इती जिनि तेग करी।।सीसु दीया परु सीन उचरी।।धरम हेत ासीसु दीआ परु सिररु साका जिनि कीआ बहादुर S3IIII सिमरिये Re आवे धाये श्री गुरु ` तेग़ बहादुर साहिब जी के निर्भय आचरण, धार्मिक Hq अडिगता और नैतिक उदारता का उच्चतम उदाहरण था। थाई मानवीय धर्म एवंवैचारिक स्वतंत्रता के लिए अपनी गुरुजी 616 श्री गुरु महान शहादत देने वाले एक क्रांतिकारी युग पुरुष थे। तेग बहादुर  साहिब जी के बलिदान दिवस पर कोटि कोटि सहाय. - ShareChat
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satnam waheguru ji - तनु रचिओ पांचततको " तेग जानहु चतुरसुजान।। जिहते उपजिओ नानका बहादुर লীননাভিমীমন্তৎ HR4 নী निध 31a बाबा नानक जी कह! हे चतुर मनुष्य! हे HoT समझदार मनुष्य! तू जानता है कि तेरा ये धाये शरीर परमात्मा ने पाँच तत्वों से बनाया है। लगे ये भी यकीन जान कि जिन तत्वों से ये शरीर बना है दोबारा उनमें ही लीन हो Hq जाएगा फिर इस शरीर के झूठे मोह में फस तेरा के परमात्मा का सिमरन क्यों भुला रहा है?| हे भाई!हमें अपने शरीर के मोह में नहीं थाई फंसना चाहिए और हमें परमात्मा का भाणा सिमरन करना चाहिए, क्योंकि शरीर तो होए नाशवंत है और परमात्मा ही अमर है। किसी डर और भए से डरे बिना हमको परमात्मा चाहिए जिससे हमारा সঙ্ায | | का सिमरन करना जीवन सार्थक हो जायेगा और हमें शांति और संतुष्टि मिलेगी। तनु रचिओ पांचततको " तेग जानहु चतुरसुजान।। जिहते उपजिओ नानका बहादुर লীননাভিমীমন্তৎ HR4 নী निध 31a बाबा नानक जी कह! हे चतुर मनुष्य! हे HoT समझदार मनुष्य! तू जानता है कि तेरा ये धाये शरीर परमात्मा ने पाँच तत्वों से बनाया है। लगे ये भी यकीन जान कि जिन तत्वों से ये शरीर बना है दोबारा उनमें ही लीन हो Hq जाएगा फिर इस शरीर के झूठे मोह में फस तेरा के परमात्मा का सिमरन क्यों भुला रहा है?| हे भाई!हमें अपने शरीर के मोह में नहीं थाई फंसना चाहिए और हमें परमात्मा का भाणा सिमरन करना चाहिए, क्योंकि शरीर तो होए नाशवंत है और परमात्मा ही अमर है। किसी डर और भए से डरे बिना हमको परमात्मा चाहिए जिससे हमारा সঙ্ায | | का सिमरन करना जीवन सार्थक हो जायेगा और हमें शांति और संतुष्टि मिलेगी। - ShareChat