मेरा हीरो भगतसिंह...
भगतसिंह को मानना व उनके विचारों पर चलना आग के पथ पर चलने से कम नहीं है!
भगतसिंह को जैसे-जैसे हम जानते जाएंगे वैसे-वैसे रिश्तेदारों, दोस्तों के साथ संबंध ढीले पड़ते जाएंगे।
भगतसिंह के लिए गरीब व अमीर/शोषक व शोषित/अत्याचारी व पीड़ित रूपी एक ही संबंध अस्तित्व में है।
भगतसिंह जाति, पंथ,सम्प्रदाय,धर्मों के रिश्तों से कोसों दूर है।
भगतसिंह तर्क की कसौटी पर कसकर चीजों को जानने की सलाह देते है।भगतसिंह आंख मूंदकर मानने से इनकार करते है।
इसलिए भगतसिंह किसी विचार के प्रवाह में बहने वाली धारा का नाम नहीं है।भगतसिंह एक बगावती,विद्रोही विचार है।
रोज लोग कहते है कि तू सही कह रहा है मगर अभी तेरी बात मानने वाले लोग नहीं है!100साल बाद तेरी बातें दोहराई जायेगी!
भगतसिंह की राहों पर चलने का मतलब है कि अपनी जन्मदात्री माँ से लेकर हर रिश्ते की बुनियाद से वैचारिक बगावत करना।
जब से भगतसिंह को जाना है तब से अकेला/खालिस नीरा आदमी हूँ।सिर्फ किताबें मेरी दोस्त/रिश्तेदार है!
मेरी जीवन स्मृतियों में कहने को कुछ लेख होंगे!कुछ पन्हे होंगे!कुछ किताबें होंगी!और कुछ बगावती विवाद होंगे!
भगतसिंह को जानने के बाद हमे जीवन मे कुछ अतिरिक्त समय मिलता है जिसका सदुपयोग मानवता की बेहतरी के लिए सोचने,समझने,करने में किया जा सकता है।
गॉड/अल्लाह/ईश्वर के नाम पर हो रही पूजा/प्रार्थना/इबादतों से बचा समय अध्ययन,जागरूकता,वैज्ञानिक सोच पैदा करने में लगाया जा सकता है।
धार्मिक कर्मकांडों,जुलूसों,जलसों,यात्राओं की भीड़ को छोड़कर पहाड़ों,जंगलों,झीलों,समुद्र तटों आदि का भ्रमण करके प्रकृति को समझने,आत्मनचिंतन करने में समय व्यतीत किया जा सकता है।
भगतसिंह कोई प्रोफाइल पर फोटो लगाने का प्रतीक मात्र नहीं है!भगतसिंह एक अलग जीवनधारा है जो भीड़ से परे सोचने की क्षमता पैदा करती है।लोगो लगा टी-शर्ट पहनने से भगतसिंह नहीं बना जा सकता।
भगतसिंह धर्म,सियासत व सत्ता के खिलाफ बगावत का,वर्तमान व्यवस्था के खिलाफ विद्रोह का आईना है!
रात-दिन कोसने,गरियाने,गिराने में लगे लोगों से निवेदन है कि कभी मेरे पाले में आकर देखो!बहुत दर्द भरा रास्ता है!
हर नासमझ इंसान से रोज गालियां सुनना,उनको समझाने का प्रयास करना,दिल पर आ रही चोटों को मुस्कराकर टालना उतना आसान नहीं है जितना मेरी मुस्कान देखकर तुम समझते हो!
जैसे-जैसे भगतसिंह को जीता हूँ वैसे-वैसे अपनो से कटता जाता हूँ।भगतसिंह कोई 23 साल का युवा नहीं बल्कि इस देश की तारीख है,आईना है,भविष्य का प्रतिबिंब है।
मुझे आज खुशी है कि माफी को चुनने वालों के चेले भी आज फांसी को चुनने वाले मेरे भगत को याद कर रहे है।
#bhagat singh #28 September Bhagat Singh barthday #sharechat