सुशील मेहता
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सुशील मेहता
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मैं अवकाश प्राप्त डाक्टर हूँ
अंतर्राष्ट्रीय मांसाहार निषेध दिवस, जो प्रतिवर्ष 25 नवंबर को मनाया जाता है, दुनिया भर में दूरदर्शी आध्यात्मिक गुरु और करुणा के समर्थक साधु वासवानी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। साधु वासवानी का जीवन सभी प्राणियों के प्रति दया को बढ़ावा देने के लिए समर्पित था, और उनकी शिक्षाएँ लाखों लोगों को अहिंसा और सम्मान की जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित करती हैं। केवल एक दिन मांसाहार त्यागकर, हम सभी दुखों को कम करने, शांति को बढ़ावा देने और सभी के लिए एक स्थायी भविष्य के निर्माण में योगदान दे सकते हैं। साधु वासवानी का मानना ​​था कि दया का एक छोटा सा कार्य भी बड़े बदलाव की शुरुआत कर सकता है—और मांसाहार त्याग के एक दिन में भी दुनिया को बदलने की शक्ति होती है। मांसाहार दिवस, जिसे अंतर्राष्ट्रीय शाकाहारी दिवस या SAK (सभी हत्याएँ रोकें - साधु वासवानी मिशन इंडिया का एक सामूहिक संगठन) के नाम से भी जाना जाता है , 25 नवंबर को मनाया जाता है । यह एक दूरदर्शी संत साधु टीएल वासवानी की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है । वे एक भारतीय शिक्षक, आध्यात्मिक गुरु और शाकाहार के समर्थक थे। इस दिन मांसाहारी भोजन से परहेज करके इसे मनाया जाता है। साधु वासवानी मिशन के पूर्व आध्यात्मिक प्रमुख दादा जेपी वासवानी ने साधु टीएल वासवानी के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए 1986 में अंतर्राष्ट्रीय मांसाहार दिवस का प्रस्ताव रखा था । अंतर्राष्ट्रीय मांसाहार दिवस अभियान का उद्देश्य दुनिया भर के लोगों को शाकाहारी या वनस्पति आधारित जीवनशैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है ताकि पशुओं के प्रति क्रूरता और हत्या को रोका जा सके। इस दिन को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिली है और अधिक से अधिक लोगों को पशुओं के प्रति सचेत और दयालु व्यवहार करने के लिए प्रेरित करने के प्रयासों में यह दिन निरंतर बढ़ रहा है। साधु वासवानी का जीवन शांति, करुणा और सेवा का प्रतीक था। सभी प्राणियों के प्रति उनकी दया उनकी शिक्षाओं के मूल में थी, और उनका आजीवन मिशन प्रेम और करुणा को बढ़ावा देकर मानवता का उत्थान करना था। साधु वासवानी के संदेश ने दादा जेपी वासवानी को अपने गुरु के दर्शन के सम्मान में अंतर्राष्ट्रीय मांसाहार निषेध दिवस मनाने के लिए प्रेरित किया। दुनिया भर के लोगों को, भले ही एक दिन के लिए ही सही, पादप-आधारित आहार अपनाने के लिए प्रोत्साहित करके, उन्होंने यह विश्वास दिलाया कि सच्ची करुणा हर हृदय में विकसित होगी। साधु वासवानी की शिक्षाएँ दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरित करती रहती हैं, और हम सभी को अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं से परे देखने और सभी प्राणियों के प्रति प्रेम, दया और शांति का जीवन अपनाने की चुनौती देती हैं। "मेरे लिए पक्षियों और जानवरों से प्रेम न करना, भगवान से प्रेम न करने के समान है", साधु वासवानी ने कहा। मिशन उनके इस सिद्धांत का पालन करता है कि सभी जीव पवित्र हैं, और पक्षी और जानवर सृष्टि के एक ही परिवार में हमारे भाई-बहन हैं। साधु वासवानी आश्रम में इन साधारण जीवों को दिन में दो बार भोजन कराया जाता है। सेंट मीरा शिक्षण संस्थान के छात्र अपने हाथों से पक्षियों और जानवरों को खिलाने के लिए मुट्ठी भर अनाज, रोटी के टुकड़े, चपाती आदि लाते हैं। - साधु वासवानी #शुभ कामनाएँ 🙏
शुभ कामनाएँ 🙏 - Celebrate] WORLD MEATLESS DAY november 2025 251h Go Gueen.. Celebrate] WORLD MEATLESS DAY november 2025 251h Go Gueen.. - ShareChat
महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस 2000 में, संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने 25 नवंबर को आधिकारिक तौर पर महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में नामित करने का एक प्रस्ताव अपनाया। ऐसा करने के लिए, संयुक्त राष्ट्र ने सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और गैर-सरकारी संगठनों को एक साथ जुड़ने और उस तिथि पर हर साल सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने के लिए आमंत्रित किया। बीस साल बाद, दुनिया भर में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को रोकने और खत्म करने की लड़ाई दुनिया भर में एक चुनौती बनी हुई है। महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के इस वर्ष के अवसर पर, यूनेस्को के विश्व धरोहर केंद्र, विश्व धरोहर सम्मेलन, फोकल पॉइंट और सभी 194 राज्य दलों में हर जगह, विश्व विरासत समुदायों और हितधारकों का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं। साइट प्रबंधकों, लिंग आधारित हिंसा से मुक्त, सभी के लिए सुरक्षित काम करने की स्थिति सुनिश्चित करने की आवश्यकता। संयुक्त राष्ट्र महिला ( United Nation’s Women) द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, विश्व भर में लगभग 15 मिलियन किशोर लडकियाँ (15-19 आयु वर्ग) अपने जीवन में कभी-न-कभी यौन उत्पीड़न का शिकार होती हैं। इसके अलावा 3 बिलियन महिलाएँ वैवाहिक बलात्कार (Marital Rape) की शिकार होती हैं। आँकड़ों के अनुसार, करीब 33% महिलाओं व लड़कियों को शारीरिक और यौन हिंसा का सामना करना पड़ता है। हिंसा की शिकार 50% से अधिक महिलाओं की हत्या उनके परिजनों द्वारा ही की जाती है। वैश्विक स्तर पर मानव तस्करी के शिकार लोगों में 50% वयस्क महिलाएं हैं। रिपोर्ट के अनुसार, विश्व भर में लगभग 650 मिलियन महिलाओं का विवाह 18 वर्ष से पहले हुआ है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार प्रतिदिन 3 में से 1 महिला किसी न किसी प्रकार की शारीरिक हिंसा का शिकार होती है। #जागरूकता दिवस
जागरूकता दिवस - अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा २५ জ্ UIkARST उन्मूलन दिवस नवम्बर घोषणा संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा  (१७ नवम्बर , १९९९ को) WIRుuiT বর্ঘ 2000 ম उद्देश्य विश्व में महिलाओं के खिलाफ हो रही हिसा को रोकने के प्रयासों को बढावा देना। यह अमियान संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO ) के पूर्व महासचिव बान-की-मून के महिलाओं के खिलाफ हिसा को रोकने के लिए एकजुट होने के अभियान का हिस्सा है। UNO ने महिलाओं के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढाने हेतु " ही फॉर सी ' (He for She ) नामक वैश्विक पहल की शरूआत की है। WWW utkarshtcom अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा २५ জ্ UIkARST उन्मूलन दिवस नवम्बर घोषणा संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा  (१७ नवम्बर , १९९९ को) WIRుuiT বর্ঘ 2000 ম उद्देश्य विश्व में महिलाओं के खिलाफ हो रही हिसा को रोकने के प्रयासों को बढावा देना। यह अमियान संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO ) के पूर्व महासचिव बान-की-मून के महिलाओं के खिलाफ हिसा को रोकने के लिए एकजुट होने के अभियान का हिस्सा है। UNO ने महिलाओं के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढाने हेतु " ही फॉर सी ' (He for She ) नामक वैश्विक पहल की शरूआत की है। WWW utkarshtcom - ShareChat
गुरु गोविंद सिंह ज्योति ज्योत पिता के बलिदान के बाद गुरुजी ने 9 वर्ष की उम्र में ही अपनी जिम्मेदारी को समझकर गुरु की गुरुगद्दी पर बैठकर समाज को उचित दशा और दिशा दी थी। बहुत कम उम्र में ही गुरुजी ने नेतृत्व क्षमता हासिल करके सभी लोगों को अत्याचार के खिलाफ एकजुट करके रखा और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए। उन्होंने बहुत कम उम्र में ही मार्शल आर्ट और तलवार चलाना सीख लिया था। वे युद्ध कला में माहिर हो चुके थे। कहते हैं कि उन्होंने मुगलों या उनके सहयोगियों के साथ लगभग 14 युद्ध लड़े थे। इसीलिए उन्हें 'संत सिपाही' भी कहा जाता था। उन्होंने ही पंज प्यारे की परंपरा प्रारंभ करके खालसा पंथ की स्थापना की थी। बाबा बुड्ढ़ा ने गुरु हरगोविंद को 'मीरी' और 'पीरी' दो तलवारें पहनाई थीं।उन्होंने बहुत कम उम्र में ही मार्शल आर्ट और तलवार चलाना सीख लिया था। वे युद्ध कला में माहिर हो चुके थे। कहते हैं कि उन्होंने मुगलों या उनके सहयोगियों के साथ लगभग 14 युद्ध लड़े थे। इसीलिए उन्हें 'संत सिपाही' भी कहा जाता था। उन्होंने ही पंज प्यारे की परंपरा प्रारंभ करके खालसा पंथ की स्थापना की थी। बाबा बुड्ढ़ा ने गुरु हरगोविंद को 'मीरी' और 'पीरी' दो तलवारें पहनाई थीं। उन्होंने बहुत कम उम्र में ही मार्शल आर्ट और तलवार चलाना सीख लिया था। वे युद्ध कला में माहिर हो चुके थे। कहते हैं कि उन्होंने मुगलों या उनके सहयोगियों के साथ लगभग 14 युद्ध लड़े थे। इसीलिए उन्हें 'संत सिपाही' भी कहा जाता था।गुरुजी ने एक योद्धा ही नहीं गुरु की भूमिका भी बहुत ही अच्‍छे से निभाई। वे भक्ति तथा शक्ति के अद्वितीय संगम थे। गुरु गोविंद सिंह एक महान कर्मप्रणेता, अद्वितीय धर्मरक्षक, ओजस्वी वीर रस के कवि के साथ ही संघर्षशील वीर योद्धा भी थे। उनमें भक्ति और शक्ति, ज्ञान और वैराग्य, मानव समाज का उत्थान और धर्म और राष्ट्र के नैतिक मूल्यों की रक्षाहेतु त्याग एवं बलिदान की मानसिकता से ओत-प्रोत अटूट निष्ठा तथा दृढ़ संकल्प की अद्भुत प्रधानता थी तभी स्वामी विवेकानंद ने गुरुजी के त्याग एवं बलिदान का विश्लेषण करने के पश्चात कहा है कि ऐसे ही व्यक्तित्व के आदर्श सदैव हमारे सामने रहना चाहिए।गुरु गोविंदसिंह मूलतः धर्मगुरु थे, लेकिन सत्य और न्याय की रक्षा के लिए तथा धर्म की स्थापना के लिए उन्हें शस्त्र धारण करना पड़े। गुरुजी के परदादा गुरु अर्जुनदेव की शहादत, दादागुरु हरगोविंद द्वारा किए गए युद्ध, पिता गुरु तेगबहादुर की शहीदी, दो पुत्रों का चमकौर के युद्ध में शहीद होना, आतंकी शक्तियों द्वारा दो पुत्रों को जिंदा दीवार में चुनवा दिया जाना, वीरता व बलिदान की विलक्षण मिसालें हैं।तख्त श्री हजूर साहिब नांदेड़ में गुरुग्रंथ को बनाया था गुरु। महाराष्ट्र के दक्षिण भाग में तेलंगाना की सीमा से लगे प्राचीन नगर नांदेड़ में तख्‍त श्री हजूर साहिब गोदावरी नदी के उत्तरी किनारे पर स्थित है। इस तख्‍त सचखंड साहिब भी कहते हैं। इसी स्थान पर गुरू गोविंद सिंह जी ने आदि ग्रंथ साहिब को गुरुगद्दी बख्शी और सन् 1708 में आप यहां पर ज्योति ज्योत में समाए। ग्रंथ साहिब को गुरुगद्दी बख्शी का अर्थ है कि अब गुरुग्रंथ साहिब भी अब से आपके गुरु हैं। #शत शत नमन
शत शत नमन - २५ नवंबर २०२५ मगलवार मानवता व धर्मरक्षा केलिए नौवेंगुरु अपना बलिदान देने वाले सिख धर्मके गुरुतेग बहादुरसिंहिजी केबलिदानदिवसपर सादरनमन २५ नवंबर २०२५ मगलवार मानवता व धर्मरक्षा केलिए नौवेंगुरु अपना बलिदान देने वाले सिख धर्मके गुरुतेग बहादुरसिंहिजी केबलिदानदिवसपर सादरनमन - ShareChat
विवाह पंचमी विवाह पंचमी को देवी सीता और भगवान राम के विवाह की सालगिरह के रूप में मनाया जाता है क्योंकि यह माना जाता है कि इस दिन उनकी शादी हुई थी। विवाह पंचमी हिंदू माह मार्गशीर्ष में शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन आती है। किसी भी हिंदू विवाह के समान, इस दिन की रस्में और समारोह कई दिनों पहले शुरू हो जाते हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं और शास्त्रों के अनुसार, विवाह पंचमी का बहुत महत्व है क्योंकि इसे एक शुभ और पवित्र दिन माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम (जोकि भगवान विष्णु के अवतार हैं) जिन्होंने नेपाल में जनकपुरधाम की यात्रा की और देवी सीता के स्वयंवर में भगवान शिव के धनुष को तोड़ दिया और देवी सीता से विवाह किया। इस दिव्य विवाह समारोह की याद में, भारत और अन्य देशों के कई हिस्सों से बड़ी संख्या में तीर्थयात्री यहाँ पहुँचते हैं और भव्य समारोहों का हिस्सा बनते हैं। माता जानकी मिथिलांचल से ताल्लुक रखती थीं। राजा जनक की पुत्री सीता की शादी अयोध्या नरेश दशरथ के बड़े बेटे राम के साथ हुई। सीता का स्वयंवर विवाह पंचमी के दिन ही हुआ था। विवाह पश्चात राम को 14 साल के लिए वनवास जाना पड़ा, उनके साथ सीता व छोटे भाई लक्ष्मण भी गए।अपने जीवन काल में सीता को कई परेशानियां झेलनी पड़ी थीं। सिर्फ इतना ही नहीं, गर्भावस्था के दौरान माता सीता को भगवान राम ने त्याग दिया था। यही कारण है कि राम विवाहोत्सव के दिन लोग खासकर कन्या पक्ष के लोग शादी नहीं कराना चाहते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार विवाह पंचमी के दिन जो लोग व्रत रखते हैं, उनका वैवाहिक जीवन मधुरता के साथ गुजरता है। जिन दंपति के बीच खटास पैदा हो रही है, अगर इस दिन वो विधि-विधान से पूजा करेंगे तो उनके बीच का मतभेद कम होगा। भगवान राम और माता सीता को साथ में पूजने से विवाह आ रही अड़चनें समाप्त होने की मान्यता है। #शुभ कामनाएँ 🙏
शुभ कामनाएँ 🙏 - २५ नवंबर २०२५ मंगलवार आप सभी को मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान  श्री रामचन्द्र जी माता जानकी जी के विवाहोत्सव (विवाह पंचमी ) की हार्दिक शुभकामनाएं विवाह पंचमी a २५ नवंबर २०२५ मंगलवार आप सभी को मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान  श्री रामचन्द्र जी माता जानकी जी के विवाहोत्सव (विवाह पंचमी ) की हार्दिक शुभकामनाएं विवाह पंचमी a - ShareChat
क़ाफी फरीद #संतो की रचनायें
संतो की रचनायें - ೩ ೩ ೩ % % % "क़ाफी ' साहब स्युं मान किवेहां माए कीजै नी क्या कुझ भेट साहब कउ माए दीजै क्या कुझ भेट साहब कउ दीजै पलै मेरे नाहीं जे शहु हेरे नज़र ना फेरे ता धुन रावे ताहीं মই এলু ' नाहीं जित साहब सो वखरु का मन रीझै साहब स्युं मान किवेहां माए कीजै (फरीद) App Want Motivational Videos ೩ ೩ ೩ % % % "क़ाफी ' साहब स्युं मान किवेहां माए कीजै नी क्या कुझ भेट साहब कउ माए दीजै क्या कुझ भेट साहब कउ दीजै पलै मेरे नाहीं जे शहु हेरे नज़र ना फेरे ता धुन रावे ताहीं মই এলু ' नाहीं जित साहब सो वखरु का मन रीझै साहब स्युं मान किवेहां माए कीजै (फरीद) App Want Motivational Videos - ShareChat
महात्मा बुद्ध का वचन #संतो के ज्ञान वर्धक वचन
संतो के ज्ञान वर्धक वचन - 8 आपके पास जो कुछ भी है है उसे बढ़ा-चढ़ा कर মন ননাহৎ eepik और ना ही से ईर्ष्या दूसरों reepi कीजिये. से ईर्ष्या करता जो दूसरों ' है उसे मन की शांति नहीं 000 मिलती. Lord Buddha mreepik ا भगवान बुद्ध eeo Motivatonat Videos App Want' 8 आपके पास जो कुछ भी है है उसे बढ़ा-चढ़ा कर মন ননাহৎ eepik और ना ही से ईर्ष्या दूसरों reepi कीजिये. से ईर्ष्या करता जो दूसरों ' है उसे मन की शांति नहीं 000 मिलती. Lord Buddha mreepik ا भगवान बुद्ध eeo Motivatonat Videos App Want' - ShareChat