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हिन्दू संस्कृति और अध्यात्म की जानकारियाँ
#सुविचार एवं अनमोल वचन
सुविचार एवं अनमोल वचन - ओम नमो नाशयणाय !! सुमति सब कें उर रहहीं , कुमति पुरान निगम अस कहहीं , नाथ तहँ संपति नाना, जहाँ ٩ तहँ बिपति निदाना जहाँ कुमति विभीषण जी रावण से कहते है कि हे नाथ! पुराण और वेद ऐसा कहते हैं कि सुबुद्धि अच्छी बुद्धि) और कुबुद्धि खोटी बुद्धि सबके हृदय में रहती है॰ जहाँ सुबुद्धि है, वहाँ नाना प्रकार की संपदाएँ (सुख की स्थिति) रहती हैं और जहाँ कुबुद्धि है वहाँ परिणाम में विपत्ति (दुःख) अर्थात अच्छाई और 8, रहती बुराई सबके अंदर रहती है परन्तु यह यह हम पर है कि हम किसे अधिक महत्व देते है अगर हम को महत्व बुराई देंगे तो हमारा पतन ही होगा और अगर हम अच्छाई की ओर बढ़ेंगे तो सब प्रकार से मंगल ही मंगल है ओम नमो नाशयणाय !! सुमति सब कें उर रहहीं , कुमति पुरान निगम अस कहहीं , नाथ तहँ संपति नाना, जहाँ ٩ तहँ बिपति निदाना जहाँ कुमति विभीषण जी रावण से कहते है कि हे नाथ! पुराण और वेद ऐसा कहते हैं कि सुबुद्धि अच्छी बुद्धि) और कुबुद्धि खोटी बुद्धि सबके हृदय में रहती है॰ जहाँ सुबुद्धि है, वहाँ नाना प्रकार की संपदाएँ (सुख की स्थिति) रहती हैं और जहाँ कुबुद्धि है वहाँ परिणाम में विपत्ति (दुःख) अर्थात अच्छाई और 8, रहती बुराई सबके अंदर रहती है परन्तु यह यह हम पर है कि हम किसे अधिक महत्व देते है अगर हम को महत्व बुराई देंगे तो हमारा पतन ही होगा और अगर हम अच्छाई की ओर बढ़ेंगे तो सब प्रकार से मंगल ही मंगल है - ShareChat
#शुभ मुहूर्त #पूजन विधि
शुभ मुहूर्त - 16-11-25 वृश्चिक संक्रान्ति रविवार को बहुत ` ही पवित्र दिनों में से एक माना जाता है इसलिए इसे संक्रांति  हिन्दू धर्म में पर्व भी कहा गया है। वृश्चिक संक्रांति के दिन सूर्यदेव तुला राशि से वृश्चिक राशि में प्रवेश करते हैं इसीलिए इस संक्रांति को वृश्चिक संक्रांति कहा जाता है। सूर्य देव १६ नवंबर २०२५ को तुला राशि से निकलकर मंगल की राशि वृश्चिक में प्रवेश करेंगे। इस समय सूर्यदेव अग्नि तत्व के प्रभाव में आकर जीवन में नई ऊर्जा, आत्मविश्वास और सफलता का संचार करते हैं। वृश्चिक संक्रांति का पर्व १६ नवंबर, रविवार को मनाया जाएगा, इस राशि में सूर्य देव १५ दिसंबर तक विराजमान रहेंगे। वृश्चिक संक्रांति का दिन सूर्य देव की आराधना के लिए समर्पित है, यह दिन पितरों को तर्पण देने और दान-पुण्य करने के लिए भी अत्यंत शुभ माना 1 আনা इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान पुण्य करने से सभी पापों से मिलती है और जीवन में सौभाग्य, स्वास्थ्य एवं समृद्धि का वास होता मुक्ति है। 16-11-25 वृश्चिक संक्रान्ति रविवार को बहुत ` ही पवित्र दिनों में से एक माना जाता है इसलिए इसे संक्रांति  हिन्दू धर्म में पर्व भी कहा गया है। वृश्चिक संक्रांति के दिन सूर्यदेव तुला राशि से वृश्चिक राशि में प्रवेश करते हैं इसीलिए इस संक्रांति को वृश्चिक संक्रांति कहा जाता है। सूर्य देव १६ नवंबर २०२५ को तुला राशि से निकलकर मंगल की राशि वृश्चिक में प्रवेश करेंगे। इस समय सूर्यदेव अग्नि तत्व के प्रभाव में आकर जीवन में नई ऊर्जा, आत्मविश्वास और सफलता का संचार करते हैं। वृश्चिक संक्रांति का पर्व १६ नवंबर, रविवार को मनाया जाएगा, इस राशि में सूर्य देव १५ दिसंबर तक विराजमान रहेंगे। वृश्चिक संक्रांति का दिन सूर्य देव की आराधना के लिए समर्पित है, यह दिन पितरों को तर्पण देने और दान-पुण्य करने के लिए भी अत्यंत शुभ माना 1 আনা इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान पुण्य करने से सभी पापों से मिलती है और जीवन में सौभाग्य, स्वास्थ्य एवं समृद्धि का वास होता मुक्ति है। - ShareChat
#शुभ मुहूर्त
शुभ मुहूर्त - वृश्चिक संक्रान्ति 16a नवम्बर २०२५ Sunday रविवार अर्घ्य देते हुए भगवान सूर्य नारायण को वृश्चिक संक्रान्ति पुण्य काल मुहूर्त २०२५   वृश्चिक संक्रान्ति फलम् वृश्चिक संक्रान्ति रविवार, नवम्बर १६, २०२५ को वृश्चिक संक्रान्ति पुण्य काल 13:45 07:56 मिनट्स अवधि - ०५ घण्टे ४९ वृश्चिक संक्रान्ति महा पुण्य काल  11:56 713:45 [ अवधि - ०१ घण्टा ४९ मिनट्स वृश्चिक संक्रान्ति का क्षण - १३ः४५ वृश्चिक संक्रान्ति 16a नवम्बर २०२५ Sunday रविवार अर्घ्य देते हुए भगवान सूर्य नारायण को वृश्चिक संक्रान्ति पुण्य काल मुहूर्त २०२५   वृश्चिक संक्रान्ति फलम् वृश्चिक संक्रान्ति रविवार, नवम्बर १६, २०२५ को वृश्चिक संक्रान्ति पुण्य काल 13:45 07:56 मिनट्स अवधि - ०५ घण्टे ४९ वृश्चिक संक्रान्ति महा पुण्य काल  11:56 713:45 [ अवधि - ०१ घण्टा ४९ मिनट्स वृश्चिक संक्रान्ति का क्षण - १३ः४५ - ShareChat
#व्रत एवं त्योहार
व्रत एवं त्योहार - हिन्दुओं के 4<,44 3& तीज्त्यहार १२ मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष द्वादशी 16 २०८२ कालयुक्त, विक्रम सम्वत नवम्बर २०२५ रविवार वाराणसी, भारत योगेश्वर ,द्विपुष्कर विडाल द्वादशी वृश्चिक संक्रान्ति योग सर्वार्थ सिद्धियोग अमृत सिद्धि योग उत्पन्ना एकादशी पारण कृष्ण योग एकादशी पारण उत्पन्ना कृष्ण योगेश्वर द्वादशी वृश्चिक संक्रान्ति हिन्दुओं के 4<,44 3& तीज्त्यहार १२ मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष द्वादशी 16 २०८२ कालयुक्त, विक्रम सम्वत नवम्बर २०२५ रविवार वाराणसी, भारत योगेश्वर ,द्विपुष्कर विडाल द्वादशी वृश्चिक संक्रान्ति योग सर्वार्थ सिद्धियोग अमृत सिद्धि योग उत्पन्ना एकादशी पारण कृष्ण योग एकादशी पारण उत्पन्ना कृष्ण योगेश्वर द्वादशी वृश्चिक संक्रान्ति - ShareChat
#शुभ मुहूर्त
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#शुभ मुहूर्त
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#शुभ मुहूर्त #पूजन विधि
शुभ मुहूर्त - 15-11-25 एकादशी उत्पन्ना शनिवार নিখি ক্রী मार्गशीर्ष माह के कृष्णपक्ष की ग्यारस यानी ग्यारहवीं | भगवान विष्णु से एकादशी तिथि उत्पन्न हुई थीं। देवी एकादशी  भगवान विष्णु की एक शक्ति का रूप है मान्यता है कि उन्होंने इसी दिन उत्पन्न होकर राक्षस मुर का वध किया था।  ही मूर नामक दैत्य का वध करने के लिए भगवान उत्पन्ना एकादशी के दिन विष्णु के शरीर से देवी एकादशी उत्पन्न हुई हैं। एकादशी व्रत रखने वाले उत्पन्ना एकादशी से ही व्रत शुरु करते हैं। इस वर्ष उदया तिथि में उत्पन्ना एकादशी व्रत १५ नवंबर २०२५, शनिवार को रखा जाएगा| व्रत का पारण १६ नवंबर को दोपहर १२ बजकर ५५ मिनट से लेकर दोपहर ०३ बजकर ०८ मिनट के बीच किया जाएगा। एकादशी व्रत करने से पापों से मुक्ति मिलती है और भगवान विष्णु ` की कृपा से जीवन में सुख समृद्धि आती है। 15-11-25 एकादशी उत्पन्ना शनिवार নিখি ক্রী मार्गशीर्ष माह के कृष्णपक्ष की ग्यारस यानी ग्यारहवीं | भगवान विष्णु से एकादशी तिथि उत्पन्न हुई थीं। देवी एकादशी  भगवान विष्णु की एक शक्ति का रूप है मान्यता है कि उन्होंने इसी दिन उत्पन्न होकर राक्षस मुर का वध किया था।  ही मूर नामक दैत्य का वध करने के लिए भगवान उत्पन्ना एकादशी के दिन विष्णु के शरीर से देवी एकादशी उत्पन्न हुई हैं। एकादशी व्रत रखने वाले उत्पन्ना एकादशी से ही व्रत शुरु करते हैं। इस वर्ष उदया तिथि में उत्पन्ना एकादशी व्रत १५ नवंबर २०२५, शनिवार को रखा जाएगा| व्रत का पारण १६ नवंबर को दोपहर १२ बजकर ५५ मिनट से लेकर दोपहर ०३ बजकर ०८ मिनट के बीच किया जाएगा। एकादशी व्रत करने से पापों से मुक्ति मिलती है और भगवान विष्णु ` की कृपा से जीवन में सुख समृद्धि आती है। - ShareChat
#पूजन विधि
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#शुभ मुहूर्त
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#शुभ मुहूर्त
शुभ मुहूर्त - ११, मार्गशीर्ष Panchang कृष्ण पक्ष एकादशी 15 २०८२ कालयुक्त, विक्रम सम्बत नवम्बर २०२५ शनिवार वाराणसी, भारत उत्पन्ना एकादशी पञ्चक रहित एवं उदय लग्न आज के दिन के लिए उदय लग्न मुहूर्त आज के दिन के लिए पञ्चक रहित मुहूर्तृ २ तुला - नवम्बर १४ को २८ः०८+ बजे से ०६ २४ থুল্স মুমুন - 06:15 ম 06:24 1 ج799-06:24708:41 रोग पञ्चक - ०६ २४ से 08:४१ 7 43-08:41#10:46 থু্ মুমুন - 08:41 # 10:46  मृत्यु पञ्चक - १०:४६ से १२:३१ ام मकर - १०:४६ से १२:३१ গনি এত্সব্ধ - 12:31 ম 14:01 5#-12:31#14:01 शुभ मुहूर्त - १४:०१ से १५:३० ) #7-14:01 715:30 00 74-15:30717:08 पञ्चक - १५:३० से १७:०८ अग्नि पञ्चक - १७:०८ से १९:०५ ४   वृषभ - १७:०८ से १९:०५ থু্ মুচুন - 19:05 # 21:19  7 897-19:05 721:19 रज पञ्चक - २१ १९ से २३:३४ $-21:19=23:37 शुभ मुहूर्त - २३३४ से २३:३७ 0 85-23:37725:51+ चोर पञ्चक - २३:३७ से २५:५१+ 1 25:51+#28:04+ कन्या 39 80-25:51+7726:37+ रोग पञ्चक - २६:३७+ से २8:०४+ शुभ मुहूर्त - २८:०४+ से ३0:1६+ ११, मार्गशीर्ष Panchang कृष्ण पक्ष एकादशी 15 २०८२ कालयुक्त, विक्रम सम्बत नवम्बर २०२५ शनिवार वाराणसी, भारत उत्पन्ना एकादशी पञ्चक रहित एवं उदय लग्न आज के दिन के लिए उदय लग्न मुहूर्त आज के दिन के लिए पञ्चक रहित मुहूर्तृ २ तुला - नवम्बर १४ को २८ः०८+ बजे से ०६ २४ থুল্স মুমুন - 06:15 ম 06:24 1 ج799-06:24708:41 रोग पञ्चक - ०६ २४ से 08:४१ 7 43-08:41#10:46 থু্ মুমুন - 08:41 # 10:46  मृत्यु पञ्चक - १०:४६ से १२:३१ ام मकर - १०:४६ से १२:३१ গনি এত্সব্ধ - 12:31 ম 14:01 5#-12:31#14:01 शुभ मुहूर्त - १४:०१ से १५:३० ) #7-14:01 715:30 00 74-15:30717:08 पञ्चक - १५:३० से १७:०८ अग्नि पञ्चक - १७:०८ से १९:०५ ४   वृषभ - १७:०८ से १९:०५ থু্ মুচুন - 19:05 # 21:19  7 897-19:05 721:19 रज पञ्चक - २१ १९ से २३:३४ $-21:19=23:37 शुभ मुहूर्त - २३३४ से २३:३७ 0 85-23:37725:51+ चोर पञ्चक - २३:३७ से २५:५१+ 1 25:51+#28:04+ कन्या 39 80-25:51+7726:37+ रोग पञ्चक - २६:३७+ से २8:०४+ शुभ मुहूर्त - २८:०४+ से ३0:1६+ - ShareChat