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#राजनीतिक व्यंग्य
राजनीतिक व्यंग्य - ShareChat
भदोही: शिक्षक रामलाल यादव को मिला राष्ट्रपति पुरस्कार, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया सम्मानित, बड़वापुर कंपोजिट विद्यालय के शिक्षक हैं रामलाल #राष्ट्रपति
राष्ट्रपति - IAY TIiITII F்- THE daysamachar com Day Samachar Update WWW  राष्ट्रपनि पुरस्कार भदौहीष शशिक्षक श्री रयलाल यादव कौो िला ' द्रौपदी मुर्मूदै कियाा सय्यानिन, rigula बड़वाप्ुर कंपौजिट विद्यालय कै शिक्षक हैं श्री रामलाल यादव IAY TIiITII F்- THE daysamachar com Day Samachar Update WWW  राष्ट्रपनि पुरस्कार भदौहीष शशिक्षक श्री रयलाल यादव कौो िला ' द्रौपदी मुर्मूदै कियाा सय्यानिन, rigula बड़वाप्ुर कंपौजिट विद्यालय कै शिक्षक हैं श्री रामलाल यादव - ShareChat
#जन्मा अष्टमी
जन्मा अष्टमी - डेसमाचार के 377 सभी जनपदवासियों और देशवासियों को श्री कृुष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाए Day Samachar daysamachar| @dlaysamachar wwwdaysamacharcom डेसमाचार के 377 सभी जनपदवासियों और देशवासियों को श्री कृुष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाए Day Samachar daysamachar| @dlaysamachar wwwdaysamacharcom - ShareChat
भदोही जिलाधिकारी शैलेश कुमार ने सोमवार को बच्चों को अल्बेन्डाजॉल की टेबलेट खिलाकर राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का किया शुभारम्भ #भदोही न्यूज़
भदोही न्यूज़ - Day update समाचार tFmn-mnr. भदोही जिलाधिकारी शैलेश कुमार ने सोमवार को बच्चों को अल्बेन्डाजॉल की टेबलेट खिलाकर राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का किया शुभारम्भ @daysamachar Day update समाचार tFmn-mnr. भदोही जिलाधिकारी शैलेश कुमार ने सोमवार को बच्चों को अल्बेन्डाजॉल की टेबलेट खिलाकर राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का किया शुभारम्भ @daysamachar - ShareChat
पवित्र रक्षाबंधन पर्व की समस्त जनपद वासियों को शुभकामनाएं #happy raksh bandan
happy raksh bandan - रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं Day सभी जनपदवासियों को Samachar| की ओर से रक्षाबंधन पर्व की हार्दिक शुभकामनाए Day Samachar daysamachar @daysamachar wwwdaysamacharcom रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं Day सभी जनपदवासियों को Samachar| की ओर से रक्षाबंधन पर्व की हार्दिक शुभकामनाए Day Samachar daysamachar @daysamachar wwwdaysamacharcom - ShareChat
सामना #व्यंग्य
व्यंग्य - सामना बुढ़ौती में के ट्रंप चचा मनमौजी आदमी हउवें। मन में గౌగా जवन आवेला उ उझिल देला। कवनो समय ऊ का कहस एकरा से कवनो फर्क ना पड़। बस पूरा दुनिया  में आपन बांसुरी बजावल चाहत बा। कहत बाड़न कि॰ बांस चाहे बरेली के होखे या वाशिंगटन के, हम धुन आ सठियायल संगीत के निर्देशक बनब। ओकरा ना दुनिया के परवाह बा ना अपना के। ओकरा लगे कवनो सिद्धांत नइखे। ना खाता बहि, ट्रंप जवन कहेले  बाड़़े ट्रंप कका सही। बरसात के मौसम में खुद गोवर्धन के उठावे के मन करेला। एही बहाने उ दुनिया के बतावल चाहतारे कि देख, पूरा दुनिया में हमहीं  भोजपुरिया व्यंग्य अकेले बानी जे सबके बचा लेले  बानी। प्रभुनाथ शुक्ल भदोही  चचा  ट्रंप आजकल  टैरिफ के बेमारी से ग्रस्त बाड़े। उ दिन- रात टैरिफ के गुणगान गावत बाड़े। उ अपना कि किरिया, वादा, प्रेम आ निष्ठा सब भजन कीर्तन समूह से ओ लोग के हटावल  वादा के का। आजकल चादा ह जेकरा उनकर तारीफ पसंद नईखे। हमनी के पड़ोस सेज्यादा लगाव चाहतारे दुनिया के कई देश के उनकर तारीफ पसंद हो गईल बाड़े। उ आतंकी अवुरी नईखे, लेकिन अब उ दुनिया के बेताज राजा निमन आदमी में अंतर नईखे बाड़े, उनका के के चुनौती दे सकता। बुढ़ापा  देख पावत। उ आतंकियन के में सठिया गइल बाड़े। उ नंगा हो गईल बा। गले लगावत बाड़े। व्हाइट हाउस दुनिया का साथे ऊ अमेरिका के भी डूबा दिहल  में रात के खाना खाए खातिर चाहत बा। अगर रउरा उनकर पूजा करत बानी बोलावत हउवें | चचा परेशान बाडे शांतिदूत  ऊ रउरा खातिर अमेरिका के सब कुछ काहे कि हम उनका के बलिदान कर दीहें। फिर उ तोहार गुणगान गावे ना बने देनी जवना खातिर टैरिफ के मुद्दा  लगिहीं   लेकिन अगर तू अयीसन ना करब त उठावत बाड़े। हमनी के वजह मुसीबत में पड़ गईबी। से बेचारा चचा नोबेल शांति पुरस्कार कका हमनी के दोस्ती भुला गईल बाड़े। से वंचित हो गईले। के भी गलत हमनी उ अब दोस्ती के में बदलल चाहतारे। काम कईनी जा। आखिर चचा हमनी दुश्मनी के दोस्त रहले, एहसे दोस्ती के जइसे बचपन के दोस्त हर छोट मुद्दा पर तोड़ के दोस्ती करेले, ओसहीं हमनी के चचा ट्रंप  कायम राखे के चाहत रहे। काहे कि दोस्ती में सब कुछ जायज बा। भी एही रास्ता पर चलत बाड़े कहत बाड़न Hindi Edition Saamana सामना बुढ़ौती में के ट्रंप चचा मनमौजी आदमी हउवें। मन में గౌగా जवन आवेला उ उझिल देला। कवनो समय ऊ का कहस एकरा से कवनो फर्क ना पड़। बस पूरा दुनिया  में आपन बांसुरी बजावल चाहत बा। कहत बाड़न कि॰ बांस चाहे बरेली के होखे या वाशिंगटन के, हम धुन आ सठियायल संगीत के निर्देशक बनब। ओकरा ना दुनिया के परवाह बा ना अपना के। ओकरा लगे कवनो सिद्धांत नइखे। ना खाता बहि, ट्रंप जवन कहेले  बाड़़े ट्रंप कका सही। बरसात के मौसम में खुद गोवर्धन के उठावे के मन करेला। एही बहाने उ दुनिया के बतावल चाहतारे कि देख, पूरा दुनिया में हमहीं  भोजपुरिया व्यंग्य अकेले बानी जे सबके बचा लेले  बानी। प्रभुनाथ शुक्ल भदोही  चचा  ट्रंप आजकल  टैरिफ के बेमारी से ग्रस्त बाड़े। उ दिन- रात टैरिफ के गुणगान गावत बाड़े। उ अपना कि किरिया, वादा, प्रेम आ निष्ठा सब भजन कीर्तन समूह से ओ लोग के हटावल  वादा के का। आजकल चादा ह जेकरा उनकर तारीफ पसंद नईखे। हमनी के पड़ोस सेज्यादा लगाव चाहतारे दुनिया के कई देश के उनकर तारीफ पसंद हो गईल बाड़े। उ आतंकी अवुरी नईखे, लेकिन अब उ दुनिया के बेताज राजा निमन आदमी में अंतर नईखे बाड़े, उनका के के चुनौती दे सकता। बुढ़ापा  देख पावत। उ आतंकियन के में सठिया गइल बाड़े। उ नंगा हो गईल बा। गले लगावत बाड़े। व्हाइट हाउस दुनिया का साथे ऊ अमेरिका के भी डूबा दिहल  में रात के खाना खाए खातिर चाहत बा। अगर रउरा उनकर पूजा करत बानी बोलावत हउवें | चचा परेशान बाडे शांतिदूत  ऊ रउरा खातिर अमेरिका के सब कुछ काहे कि हम उनका के बलिदान कर दीहें। फिर उ तोहार गुणगान गावे ना बने देनी जवना खातिर टैरिफ के मुद्दा  लगिहीं   लेकिन अगर तू अयीसन ना करब त उठावत बाड़े। हमनी के वजह मुसीबत में पड़ गईबी। से बेचारा चचा नोबेल शांति पुरस्कार कका हमनी के दोस्ती भुला गईल बाड़े। से वंचित हो गईले। के भी गलत हमनी उ अब दोस्ती के में बदलल चाहतारे। काम कईनी जा। आखिर चचा हमनी दुश्मनी के दोस्त रहले, एहसे दोस्ती के जइसे बचपन के दोस्त हर छोट मुद्दा पर तोड़ के दोस्ती करेले, ओसहीं हमनी के चचा ट्रंप  कायम राखे के चाहत रहे। काहे कि दोस्ती में सब कुछ जायज बा। भी एही रास्ता पर चलत बाड़े कहत बाड़न Hindi Edition Saamana - ShareChat
#मुंबई #सामना #भोजपुरिया(व्यंग्य)@#धन्यवाद #व्यंग्य
व्यंग्य - आपका ಹ[ನEC] Eತ್ವ EEu] बाड़े। उ कई दिन से चिंतित अगर एक दूसरा प निर्भरता इहाँ खतम हो जाई त दुनिया जोधर काका बहुत बाड़े। उ समझे में असमर्थ बाड़े कि लोग काहे नाराज हो अंत हो जाई। काका के बहुते परेशानी भइल बा। गजोधर काका अपना दोस्त के क्रोध से अवगत जाला। एह आजकल बहुत खिसियाइल बाड़े। লক্কিন के महीना में बादल काहें खिसियाइल  उनकर बचपन के दोस्त 67%| I7 ई समझे में असमर्थ बाड़े । एक समय रहे जब दुनु जाना dl५ए। भोजपुरिया व्यंग्य के बहुत नजदीकी रहे, लेकिन से इंसान के कवनो सीधा आज गजोधर काका के देखे के ना होखेला। बादल बड़ा ऊँचाई केहू ओकरा के मन नइख करत। अव इ प्रभुनाथ शुक्ल भदोही ؟ ٦ ٦ 6116 गजोधर काका के बहुते परेशान उखाड़ सकेला। ई बादल के केहू " ऊ ओह लोग के गु़स्सा के कारण समझे में आ धरती पर भी ऊँच लोग नुकसान ना पहुँचा कर रहल बा। में खेसारी काका खाली गजोधर आदमी से इनकर कवनो लेना-देना नईखे। बड़का असमर्थ बा। अब पूरा गोँव आम के लेके रोवत बाड़े। के आम जनता के कवनो परवाह नइखे। अब बादल के हाल 4|9>| गजोधर काका एह बात सेभी परेशान बाड़े कि कबो भी उहे बा॰ सावन में जेठ के गर्मी बा। बिजली नवविवाहित खिसियाइल कबो खुश होखल इंसान के स्वभाव ह। क्रोध दुलहिन निहन नखरा फेंक रहल बा। किसान आसमान जीवन के एगो हिस्सा ह। कबो-कबो पड़ोसी खिसिया जाला। ओर देख रहल बा। खेत में दरार लउकल बा। रोपल आफिस में बॉस के फसल खेत में सुखत बा। धान के बेहन रोपनी के उम्मीद कबो पत्नी त कबो भाई कबा लइका जवानी में बूढ़ हो गईल बाड़ी। लेकिन बादल खिसियाइल रहेला। कतनो बढ़िया काम करीं, बॉस के कसान ٦٦٩٦ निहोरा ना सुनेला। अब बादल के सजा देवे वाला केहु नईखे।  भौंह आ चेहरा टेढ़ रहेला। काहे कि हर आदमी एक दोसरा पर निर्भर होला, एही से एहिजा खिसियाइल फिर के जाने किसान के का होई। ई चिंता गजोधर rT फाका मिलन आ बिदाई होला। ई दूनिया स्वार्थ के बंधन ह के खा रहल बा। मनाव आपका ಹ[ನEC] Eತ್ವ EEu] बाड़े। उ कई दिन से चिंतित अगर एक दूसरा प निर्भरता इहाँ खतम हो जाई त दुनिया जोधर काका बहुत बाड़े। उ समझे में असमर्थ बाड़े कि लोग काहे नाराज हो अंत हो जाई। काका के बहुते परेशानी भइल बा। गजोधर काका अपना दोस्त के क्रोध से अवगत जाला। एह आजकल बहुत खिसियाइल बाड़े। লক্কিন के महीना में बादल काहें खिसियाइल  उनकर बचपन के दोस्त 67%| I7 ई समझे में असमर्थ बाड़े । एक समय रहे जब दुनु जाना dl५ए। भोजपुरिया व्यंग्य के बहुत नजदीकी रहे, लेकिन से इंसान के कवनो सीधा आज गजोधर काका के देखे के ना होखेला। बादल बड़ा ऊँचाई केहू ओकरा के मन नइख करत। अव इ प्रभुनाथ शुक्ल भदोही ؟ ٦ ٦ 6116 गजोधर काका के बहुते परेशान उखाड़ सकेला। ई बादल के केहू " ऊ ओह लोग के गु़स्सा के कारण समझे में आ धरती पर भी ऊँच लोग नुकसान ना पहुँचा कर रहल बा। में खेसारी काका खाली गजोधर आदमी से इनकर कवनो लेना-देना नईखे। बड़का असमर्थ बा। अब पूरा गोँव आम के लेके रोवत बाड़े। के आम जनता के कवनो परवाह नइखे। अब बादल के हाल 4|9>| गजोधर काका एह बात सेभी परेशान बाड़े कि कबो भी उहे बा॰ सावन में जेठ के गर्मी बा। बिजली नवविवाहित खिसियाइल कबो खुश होखल इंसान के स्वभाव ह। क्रोध दुलहिन निहन नखरा फेंक रहल बा। किसान आसमान जीवन के एगो हिस्सा ह। कबो-कबो पड़ोसी खिसिया जाला। ओर देख रहल बा। खेत में दरार लउकल बा। रोपल आफिस में बॉस के फसल खेत में सुखत बा। धान के बेहन रोपनी के उम्मीद कबो पत्नी त कबो भाई कबा लइका जवानी में बूढ़ हो गईल बाड़ी। लेकिन बादल खिसियाइल रहेला। कतनो बढ़िया काम करीं, बॉस के कसान ٦٦٩٦ निहोरा ना सुनेला। अब बादल के सजा देवे वाला केहु नईखे।  भौंह आ चेहरा टेढ़ रहेला। काहे कि हर आदमी एक दोसरा पर निर्भर होला, एही से एहिजा खिसियाइल फिर के जाने किसान के का होई। ई चिंता गजोधर rT फाका मिलन आ बिदाई होला। ई दूनिया स्वार्थ के बंधन ह के खा रहल बा। मनाव - ShareChat
कोलकाता से प्रकाशित 'विश्वमित्र' में मेरी कविता। आदरणीय संपादक जी का विशेष धन्यवाद। #मेरी कविता
मेरी कविता - वे स्त्रियां वे नींद में जागती हैं और हैं सपने ন্তুননী  वे गतिशील हैं कुम्भार की चाक जैसी उठ खडी होती हैं भोर के साथ और चलती हैं चाँद के पार चूल्हा , चौका और वर्तन है उनका संगीत परिवार की चाहत है उनकी संतुष्टि वे नहीं जाती होटल, रेस्तरां और सिनेमा  हैं चावल और दाल के दाने चुनती सूप की में उडा देती हैं मायके परछती 1 4d और कभी बचती नहीं दाल तो सुखी खाती हैं रोटिया जेठ की दोपहरी में तोड़ती हैं पत्थर पीठ पर बच्चों को लाद ढोती हैं ईँटें प्रभुनाथ शुक्ल वे पति को मानती है परमेश्वर जोड़ी बिछुवे , मांग भर सिंदूर और TT ন মিক্চ মিয়া ৪ हैं खुश भरे गोड़ के महावर से रहती नहीं वे जीवन की चकबेनियां वे नहीं करती स्री स्वतंत्रता की बात वेजब चलती हैं तो गढ़ती हैं वे नहीं होना चाहती बेड़ियों से आजाद एक परिवार, एक समाज और एक वे बस चाहती है परिवेश पीले हाथ, बहू की गोंद में নমিযা  ক वे समर्पित और संघर्षशील है ক্িলন্ধায়ো घर , परिवार , बच्चे और पति के लिए और शांत होती सांसों में पति का साथ विश्वमित्र   mz VAmula೦1 Dam' 49 3c2029 ا 0000 [ ~ वे स्त्रियां वे नींद में जागती हैं और हैं सपने ন্তুননী  वे गतिशील हैं कुम्भार की चाक जैसी उठ खडी होती हैं भोर के साथ और चलती हैं चाँद के पार चूल्हा , चौका और वर्तन है उनका संगीत परिवार की चाहत है उनकी संतुष्टि वे नहीं जाती होटल, रेस्तरां और सिनेमा  हैं चावल और दाल के दाने चुनती सूप की में उडा देती हैं मायके परछती 1 4d और कभी बचती नहीं दाल तो सुखी खाती हैं रोटिया जेठ की दोपहरी में तोड़ती हैं पत्थर पीठ पर बच्चों को लाद ढोती हैं ईँटें प्रभुनाथ शुक्ल वे पति को मानती है परमेश्वर जोड़ी बिछुवे , मांग भर सिंदूर और TT ন মিক্চ মিয়া ৪ हैं खुश भरे गोड़ के महावर से रहती नहीं वे जीवन की चकबेनियां वे नहीं करती स्री स्वतंत्रता की बात वेजब चलती हैं तो गढ़ती हैं वे नहीं होना चाहती बेड़ियों से आजाद एक परिवार, एक समाज और एक वे बस चाहती है परिवेश पीले हाथ, बहू की गोंद में নমিযা  ক वे समर्पित और संघर्षशील है ক্িলন্ধায়ো घर , परिवार , बच्चे और पति के लिए और शांत होती सांसों में पति का साथ विश्वमित्र   mz VAmula೦1 Dam' 49 3c2029 ا 0000 [ ~ - ShareChat