MUKESH Nagar
ShareChat
click to see wallet page
@mukeshkhujner
mukeshkhujner
MUKESH Nagar
@mukeshkhujner
व्यस्त रहें, मस्त रहें
#🙏 प्रेरणादायक विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #❤️जीवन की सीख #☝ मेरे विचार #मित्र
🙏 प्रेरणादायक विचार - 1 निवम्बर   फोटो लेने के लिए॰ अच्छे कपड़े नहीं, बस मुस्कुरहट अच्छी होनी चाहिए )0 1 निवम्बर   फोटो लेने के लिए॰ अच्छे कपड़े नहीं, बस मुस्कुरहट अच्छी होनी चाहिए )0 - ShareChat
#भगवद गीता के सभी श्लोक ##भगवद गीता🙏🕉️ #भगवद गीता #🚩🔯श्रीमद भगवद गीता🔯🚩 #भगवद गीता अध्यन 📖
भगवद गीता के सभी श्लोक - श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 सञ्जय उवाच एवमुक्त्वा   हृषीकेशं गुडाकेशः ٩٠٦٩ ١ न योत्स्य इति गोविन्दमुक्त्वा  बभूव ह।। तूर्ष्णीं  মতয নীল-ই হাতনূ ! নিস্নান্ধী নীনননাল अर्जुन अन्तर्यामी श्रीकृष्ण महाराजके   प्रति इस प्रकार कहकर फिर श्रीगोविन्दभगवान्से ' युद्ध नहीं करूँगा ಶ೯ ನ೬ @೯೯ ಳ ಣ Tಾ II $ Il हृषीकेशः प्रहसन्निव भारत | Tara सेनयोरुभयोर्मध्ये विषीदन्तमिदं Fa: Il हे भरतवंशी धृतराष्ट्र ! अन्तर्यामी  श्रीकृष्ण 1 महाराज दोनों सेनाओंके बीचमें शोक करते हुए उस अर्जुनको ச4ர সঙ্ক ননন নীল Il ? ০ Il हुए-्से श्रीभगवानुवाच अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे। गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः Il श्रीभगवान् बोले- हे अर्जुन ! तू न शोक करनेयोग्य मनुष्योँके लिये शोक करता है और पण्डितोंके- से वचनोंको कहता है; परंतु जिनके प्राण चले गये हैँ, उनके लिये और जिनके प्राण नहीं गये हैं उनके लिये भी पण्डितजन शोक नहीं करते II ११ II गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 सञ्जय उवाच एवमुक्त्वा   हृषीकेशं गुडाकेशः ٩٠٦٩ ١ न योत्स्य इति गोविन्दमुक्त्वा  बभूव ह।। तूर्ष्णीं  মতয নীল-ই হাতনূ ! নিস্নান্ধী নীনননাল अर्जुन अन्तर्यामी श्रीकृष्ण महाराजके   प्रति इस प्रकार कहकर फिर श्रीगोविन्दभगवान्से ' युद्ध नहीं करूँगा ಶ೯ ನ೬ @೯೯ ಳ ಣ Tಾ II $ Il हृषीकेशः प्रहसन्निव भारत | Tara सेनयोरुभयोर्मध्ये विषीदन्तमिदं Fa: Il हे भरतवंशी धृतराष्ट्र ! अन्तर्यामी  श्रीकृष्ण 1 महाराज दोनों सेनाओंके बीचमें शोक करते हुए उस अर्जुनको ச4ர সঙ্ক ননন নীল Il ? ০ Il हुए-्से श्रीभगवानुवाच अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे। गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः Il श्रीभगवान् बोले- हे अर्जुन ! तू न शोक करनेयोग्य मनुष्योँके लिये शोक करता है और पण्डितोंके- से वचनोंको कहता है; परंतु जिनके प्राण चले गये हैँ, उनके लिये और जिनके प्राण नहीं गये हैं उनके लिये भी पण्डितजन शोक नहीं करते II ११ II गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार - ShareChat
#विश्व टेलीविजन दिवस 21 नवम्बर #विश्व टेलीविजन दिवस 🖥️ #विश्व टेलीविजन दिवस, विश्व फिलोसोफी डे एवं वर्ल्ड फिशरीज डे #🌷विश्व टेलीविजन दिवस🇮🇳 #📺 विश्व टेलीविजन दिवस📺
विश्व टेलीविजन दिवस 21 नवम्बर - २१ नवम्बर विश्व ঠলীবিতান दिवस World Television Day MNy २१ नवम्बर विश्व ঠলীবিতান दिवस World Television Day MNy - ShareChat
#❤️जीवन की सीख #🙏 प्रेरणादायक विचार #☝ मेरे विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #मित्र
❤️जीवन की सीख - 0499٣ हाथ वे ही पवित्र हैं जो परोपकारी हैं। पैर वे ही सुन्दर हैं जो गरीब के घर में दया वश पहुँच जाते हैं। स्कन्ध( कंधा  वही शुद्ध हैं॰ जो दूसरे কী নিলা কী ঋণন ऊपर रख लेते हैं। ٨٨ 0499٣ हाथ वे ही पवित्र हैं जो परोपकारी हैं। पैर वे ही सुन्दर हैं जो गरीब के घर में दया वश पहुँच जाते हैं। स्कन्ध( कंधा  वही शुद्ध हैं॰ जो दूसरे কী নিলা কী ঋণন ऊपर रख लेते हैं। ٨٨ - ShareChat
#☝ मेरे विचार #🙏 प्रेरणादायक विचार #मित्र #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #❤️जीवन की सीख
☝ मेरे विचार - 20 जब आपको हराने के लिए नवम्बर परिश्रम और प्रयास करने की बजाय आपकी पीठ पीछे साजिश और षडयंत्र करने लगे तो समझ लीजिए कि आपकी वर्षो की मेहनत सफल हुई )0 20 जब आपको हराने के लिए नवम्बर परिश्रम और प्रयास करने की बजाय आपकी पीठ पीछे साजिश और षडयंत्र करने लगे तो समझ लीजिए कि आपकी वर्षो की मेहनत सफल हुई )0 - ShareChat
#❤️जीवन की सीख #🙏 प्रेरणादायक विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #मित्र #☝ मेरे विचार
❤️जीवन की सीख - २० नवम्बर सार्वभौमिक बाल दिवस Universall Children's Day MN २० नवम्बर सार्वभौमिक बाल दिवस Universall Children's Day MN - ShareChat
#मित्र #🙏 प्रेरणादायक विचार #☝ मेरे विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #❤️जीवन की सीख
मित्र - श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 कार्पण्यदोषोपहतस्वभावः पृच्छामि त्वां धर्मसम्मूढचेताः | यच्छ्रेयः स्यान्निश्चितं ब्रूहि तन्मे शिष्यस्तेष्हं शाधि मां त्वां प्रपन्नम् ।। इसलिये कायरतारूप दोषसे उपहत हुए स्वभाववाला तथा धर्मके विषयमें मोहितचित्त हुआ मैँ आपसे पूछता  हूँ कि जो साधन निश्चित कल्याणकारक हो, वह मेरे लिये कहिये; क्योंकि मैं आपका शिष्य हूँ॰ इसलिये शिक्षा दीजिये I।७ Il आपके शरण हुए ತಳಹ न हि प्रपश्यामि ममापनुद्या- द्यच्छोकमुच्छोषणमिन्द्रियाणाम् ( भूमावसपत्नमृद्ध- अवाप्य राज्यं सुराणामपि चाधिपत्यम्।I क्योंकि भूमिमें निष्कण्टक   धन- धान्यसम्पन्न राज्यको और देवताओंके स्वामीपनेको प्राप्त होकर भी मैँ उस उपायको नहीं देखता हूँ, जो मेरी इन्द्रियोंके सुखानेवाले शोकको दूर कर सके Il ८ II गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 कार्पण्यदोषोपहतस्वभावः पृच्छामि त्वां धर्मसम्मूढचेताः | यच्छ्रेयः स्यान्निश्चितं ब्रूहि तन्मे शिष्यस्तेष्हं शाधि मां त्वां प्रपन्नम् ।। इसलिये कायरतारूप दोषसे उपहत हुए स्वभाववाला तथा धर्मके विषयमें मोहितचित्त हुआ मैँ आपसे पूछता  हूँ कि जो साधन निश्चित कल्याणकारक हो, वह मेरे लिये कहिये; क्योंकि मैं आपका शिष्य हूँ॰ इसलिये शिक्षा दीजिये I।७ Il आपके शरण हुए ತಳಹ न हि प्रपश्यामि ममापनुद्या- द्यच्छोकमुच्छोषणमिन्द्रियाणाम् ( भूमावसपत्नमृद्ध- अवाप्य राज्यं सुराणामपि चाधिपत्यम्।I क्योंकि भूमिमें निष्कण्टक   धन- धान्यसम्पन्न राज्यको और देवताओंके स्वामीपनेको प्राप्त होकर भी मैँ उस उपायको नहीं देखता हूँ, जो मेरी इन्द्रियोंके सुखानेवाले शोकको दूर कर सके Il ८ II गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार - ShareChat
#📖जीवन का लक्ष्य🤔 #🙏 प्रेरणादायक विचार #❤️जीवन की सीख #☝ मेरे विचार #मित्र
📖जीवन का लक्ष्य🤔 - श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 अर्जुन उवाच कथं भीष्ममहं सड्ख्ये द्रोणं च मधुसूदन। সনিত্রীনসামি   পুতাঙ্কনবিমুনন Il इषुभिः अर्जुन बोले - हे मधुसूदन ! मैँ रणभूमिमें किस प्रकार बाणोँसे भीष्मपितामह और द्रोणाचार्यके विरुद्ध लड़ूँगा ? क्योंकि हे अरिसूदन ! वे दोनों ही पूजनीय हैँ Il ४ Il  हि সঙ্কান্তুপানা- गुरूनहत्वा ञ्छ्रेयो भोक्तुं भैक्ष्यमपीह लोके। हत्वार्थकामांस्तु गुरूनिहैव भुञ्जीय   भोगान्रुधिरप्रदिग्धान्।। इसलिये इन महानुभाव गुरुजनोंको न मारकर मैँ इस लोकमें भिक्षाका अन्न भी खाना कल्याणकारक समझता हूँ; क्योंकि गुरुजनोंको मारकर भी इस लोकमें   रुधिरसे ತಾ   31೫ 7 और कामरूप भोगोँको ही तो भोगूँगा II ५ II चैतद्विद्मः कतरन्नो गरीयो- ন यद्वा जयेम यदि वा नो जयेयुः 16 यानेव हत्वा न जिजीविषाम- धार्तराष्ट्राः I। स्तेउवस्थिताः प्रमुखे हम यह भी नहीं जानते कि हमारे लिये युद्ध करना और न करना- इन दोनोंमेंसे कौन-्सा श्रेष्ठ है, अथवा यह भी नहीं जानते कि उन्हें हम जीतेँगे या हमको वे जीतेंगे। और जिनको मारकर हम वे ही हमारे जीना 61 ఖ चाहते , आत्मीय धृतराष्ट्रके पुत्र हमारे मुकाबलेमें खड़े हैं Il ६ Il गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 अर्जुन उवाच कथं भीष्ममहं सड्ख्ये द्रोणं च मधुसूदन। সনিত্রীনসামি   পুতাঙ্কনবিমুনন Il इषुभिः अर्जुन बोले - हे मधुसूदन ! मैँ रणभूमिमें किस प्रकार बाणोँसे भीष्मपितामह और द्रोणाचार्यके विरुद्ध लड़ूँगा ? क्योंकि हे अरिसूदन ! वे दोनों ही पूजनीय हैँ Il ४ Il  हि সঙ্কান্তুপানা- गुरूनहत्वा ञ्छ्रेयो भोक्तुं भैक्ष्यमपीह लोके। हत्वार्थकामांस्तु गुरूनिहैव भुञ्जीय   भोगान्रुधिरप्रदिग्धान्।। इसलिये इन महानुभाव गुरुजनोंको न मारकर मैँ इस लोकमें भिक्षाका अन्न भी खाना कल्याणकारक समझता हूँ; क्योंकि गुरुजनोंको मारकर भी इस लोकमें   रुधिरसे ತಾ   31೫ 7 और कामरूप भोगोँको ही तो भोगूँगा II ५ II चैतद्विद्मः कतरन्नो गरीयो- ন यद्वा जयेम यदि वा नो जयेयुः 16 यानेव हत्वा न जिजीविषाम- धार्तराष्ट्राः I। स्तेउवस्थिताः प्रमुखे हम यह भी नहीं जानते कि हमारे लिये युद्ध करना और न करना- इन दोनोंमेंसे कौन-्सा श्रेष्ठ है, अथवा यह भी नहीं जानते कि उन्हें हम जीतेँगे या हमको वे जीतेंगे। और जिनको मारकर हम वे ही हमारे जीना 61 ఖ चाहते , आत्मीय धृतराष्ट्रके पुत्र हमारे मुकाबलेमें खड़े हैं Il ६ Il गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार - ShareChat
#❤️जीवन की सीख #🙏 प्रेरणादायक विचार #मित्र #☝ मेरे विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔
❤️जीवन की सीख - 19 -rr अंतर्राष्ट्रीय पुरुष faa Internationall Day Men's विश्व शौचालय दिवस World Toilet Day MN 19 -rr अंतर्राष्ट्रीय पुरुष faa Internationall Day Men's विश्व शौचालय दिवस World Toilet Day MN - ShareChat
#📖जीवन का लक्ष्य🤔 #🙏 प्रेरणादायक विचार #☝ मेरे विचार #मित्र #❤️जीवन की सीख
📖जीवन का लक्ष्य🤔 - 9 तुझसे न सुलझे तेरे जव नवम्बर भगवान के < 5 99, ১ इंसाफ पर सब छोड़ दें बन्दे खुद हीं तेरी मुश्किल को वह आसान करेगा , जो तू नहीं कर पाया चो भगवान करेगा | ZON 9 तुझसे न सुलझे तेरे जव नवम्बर भगवान के < 5 99, ১ इंसाफ पर सब छोड़ दें बन्दे खुद हीं तेरी मुश्किल को वह आसान करेगा , जो तू नहीं कर पाया चो भगवान करेगा | ZON - ShareChat