यम द्वितीया पर्व
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sn vyas
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🌸🌞🌸🌞🌸🌞🌸🌞🌸🌞🌸🌞 ‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼ 🚩 *"सनातन परिवार"* 🚩 *की प्रस्तुति* 🔴 *आज का प्रात: संदेश* 🔴 *👨‍👩‍👦 "यम द्वितीया / भाई दूज" पर विशेष 👨‍👩‍👦* 🌻☘🌻☘🌻☘🌻☘🌻☘🌻☘️ *कार्तिक माह में मनाए जाने वाले पंचपर्वों में पांचवा दिन होता है यम द्वितीया का , जिसे भैया दूज के नाम से जाना जाता है | धन्वंतरि जयंती से प्रारंभ होकर की भैया दूज तक ५ दिन तक लगातार मनाया जाने वाला पंच पर्व भैया दूज के साथ ही संपन्न हो जाएगा | भाई बहन के प्यार , स्नेह का अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत करने वाले इस पर्व पर बहन अपने भाई को तिलक करके आरती उतारती हैं एवं उनके उज्जवल भविष्य की कामना करती है | सनातन धर्म में प्रत्येक पर्व एवं त्यौहार के पीछे कोई न कोई ऐतिहासिक / पौराणिक कथा जुड़ी होती है | आज के दिन के विषय में हमारे धर्म ग्रंथों में यह व्याख्यान मिलता है की यमराज अपने कार्य की व्यस्तताओं के कारण कभी भी अपनी बहन के यहां नहीं जा पाते थे , इससे उनकी बहन मन ही मन दुखी रहती थी | कई वर्ष बीत जाने के बाद कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यमराज जी ने अपने सारे कार्य को विराम देते हुए अपने बहन के उस निश्चल प्रेम का मान रखने के लिए उसके घर पहुंच गए | अपने भैया को आया हुआ देखकर बहन बड़ी प्रसन्न हुई और तिलक लगाकर आरती उतारी | उसी दिन से भाई बहन का यह पर्व मनाया जाने लगा | रक्षाबंधन के बाद यह दूसरा ऐसा पर्व है जो भाई बहन को समर्पित है | जो स्वयं में पौराणिक व्याख्यान के साथ दिव्यता समेटे हुए है |* *आज भी यह पर्व प्रत्येक बहन के द्वारा मनाया जाता है | आज के दिन हर बहन अपने भाई के लिए व्रत रहकर के उसको तिलक करके आरती उतार उतार उतारती है , एवं रिश्तो में मिठास बनी रहे इसलिए मिष्ठान का आदान-प्रदान होता है | जिस प्रकार समाज का ताना-बाना बदल गया , उसी प्रकार आज त्योहारों का स्वरूप भी परिवर्तित हो गया है | आधुनिकता की चकाचौंध में यह पर्व भी आधुनिक हो गया है , परंतु कुछ परिवार ऐसे भी हैं जिनकी बेटियां अपने ससुराल में निर्धनता की शिकार होकर के जीवन यापन कर रही हैं , परंतु धनवान होने के बाद भी भाई अपनी उस बहन का ध्यान नहीं देता है , जब कि प्रत्येक रक्षाबंधन एवं भाई दूज को निर्जल व्रत रहकर के उसके मंगल कामना के लिए भगवान से प्रार्थना किया करती है | आज बहनें भाई दूज के दिन अपने भैया की आरती उतारने के लिए उनके घर जाया करती हैं , जबकि यदि पौराणिक व्याख्यान देखा जाए तो यमराज जी अपने बहन के यहां गए थे अतः प्रत्येक भाई को अपने बहन के यहां जाकर के तब यह पर्व मनाना चाहिए | परंतु आज कुछ भाई लोग ऐसे भी हैं जो अपने झूठी शान में अपनी निर्धन बहन को ना तो बुलाना ही चाहते हैं और ना ही उसके घर जाना चाहते हैं | ऐसे में इस पर्व को मनाना कितना सार्थक है यह विचारणीय विषय है ?? मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" यह जानता हूँ कि पर्व कोई भी हो यदि मनाना है तो उसे विधानानुसार मनाया जाय ! दिखावा मात्र करने का कोई औचित्य नहीं समझ में आता है | संसार में यह पर्व एक उदाहरण प्रस्तुत करता है | जहां विश्व के अन्य देशों में विवाह के बाद कन्या से बहुत ज्यादा संबंध नहीं रख जाता वहीं भारत देश में आजीवन कन्या का संबंध अपने मायके से बना रहता है जिसका पर्याय हमारे यह पर्व बनते हैं |* *भाई दूज के दिन प्रत्येक भाई एवं बहन का प्रेम एवं सामंजस्य आजीवन बना रहे एवं वे समाज में इसका उदाहरण प्रस्तुत करते रहे यही प्रार्थना आमजन को करनी चाहिए |* 🌺💥🌺 *जय श्री हरि* 🌺💥🌺 🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳 सभी भगवत्प्रेमियों को आज दिवस की *"मंगलमय कामना*🙏🏻🙏🏻🌹 ♻🏵♻🏵♻🏵♻🏵♻🏵♻🏵️ *सनातन धर्म से जुड़े किसी भी विषय पर चर्चा (सतसंग) करने के लिए हमारे व्हाट्सऐप समूह----* *‼ भगवत्कृपा हि केवलम् ‼ से जुड़ें या सम्पर्क करें---* आचार्य अर्जुन तिवारी प्रवक्ता श्रीमद्भागवत/श्रीरामकथा संरक्षक संकटमोचन हनुमानमंदिर बड़ागाँव श्रीअयोध्याजी (उत्तर-प्रदेश) 9935328830 🍀🌟🍀🌟🍀🌟🍀🌟🍀🌟🍀🌟 #यम द्वितीया पर्व
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sn vyas
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#भाई दूज #यम द्वितीया,भाई-दूज #यम द्वितीया पर्व 🏵️ || शुभ भाई दूज || 🏵️ माँ, पुत्री, पत्नी, बहन और भी कई रूपों में नारी का पूरी मानव जाति के लिए प्रेम, त्याग और समर्पण अकथनीय है। भाई दूज का पावन पर्व एक नारी के स्नेह, प्रेम, समर्पण एवं सामर्थ्य को स्मरण कराने का पावन दिवस है। कभी अपनी रक्षा के संकल्प लिए भाई के हाथों पर रक्षा सूत्र बाँधने वाली नारी आज अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसे अपने यम पाश से मुक्त कराने तक की सामर्थ्य का परिचय देती है। आज के इस पावन दिवस में बहुत समय पश्चात भगवान सूर्य पुत्र यम एवं पुत्री माँ यमुना जी का मिलन हुआ था। धन्य है इस नारी के लिए जो पूरे वर्षभर पुरुषों के लिए व्रत, पूजा, प्रार्थना व उनके मंगल के लिए और भी बहुत कुछ करती रहती हैं। आज के इस पावन दिवस पर सभी भाइयों को भी समाज की समस्त बहनों के सम्मान, सुरक्षा एवं अस्मिता की रक्षा का संकल्प लेना होगा, वास्तविक अर्थों में यही भाई दूज के पावन पर्व की सार्थकता है। भाई-बहन के पवित्र स्नेह-प्रेम के पावन पर्व भाई दूज की आप सभी को मंगल बधाई। जय श्री राधेकृष्ण ===========================
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