📢7 ऑक्टोबर अपडेट्स🔴
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#🪕मीराबाई जयंती🌷 संत मीराबाई की 525वीं जयंती पर कोटिश: नमन 🌼 मध्यकालीन युग के 'यथा राजा तथा प्रजा' के दौर में रानी मीराबाई पहली वह शक्ति थी जिन्होंने 'My Life My Choice' के तर्ज पर सामाजिक कुरीतियों के काकस को मेवाड़ की माटी पर तोड़ा. बचपन से श्रीकृष्ण को पति मानकर पूजती राजकुमारी मीरा चित्तौड़गढ़ की रानी बनने के बाद भी कृष्ण भक्ति में रंगी रही. चित्तौड़गढ़ के महाराजा भोजराज इनके पति थे, जो मेवाड़ के महाराणा सांगा के पुत्र थे. अपने पति की मृत्यु पर जहां उस दौर में महिलाएं सती हो जाती थी, वहीं रानी मीरा ने महाराजा भोजराज की मृत्यु होने पर अपना सुहाग तक नहीं उतारा और हमेशा की तरह भगवान कृष्ण को ही पति के समान पूजती रही. उन्होंने एक क्षत्रिय रानी होते हुए सामाजिक समरसता का सर्वोच्च उदाहरण दिया और दलित समुदाय से आने वाले संत रैदास को गुरु बनाया. जो तात्कालीन सामाजिक परिदृश्य में असंभव था. राजस्थान की राधा संत मीरा बाई भक्ति काल की अद्वितीय कवियत्री थी. उन्होंने अपने आराध्य कृष्ण को समर्पित नरसी जी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद समेत कई रचनाएं लिखी. जय जय श्रीराधेश्याम 🙏🏻 #📢7 ऑक्टोबर अपडेट्स🔴 #🙏संत मीराबाई जयंती🙏 #संत मीराबाई #जयंती
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