¤♡¤♡  || Misthi ||  ♡¤♡¤
ShareChat
click to see wallet page
@70275418
70275418
¤♡¤♡ || Misthi || ♡¤♡¤
@70275418
Kavita creator
#इस क्षण यहाँ शान्त है जल
इस क्षण यहाँ शान्त है जल - इस क्षण यहाँ शान्त है जल। पेड़ गड़े हैं घास जड़ी | हवा सामने के खँडहर में मरी पड़ी। नहीं कहीं कोई हलचल| तुम्हारी, याद अपना बोध कहीं अतल में जा डूबै हैं सारे शोध| जमकर पत्थर है हर पल। इस क्षण यहाँ शान्त है जल। पेड़ गड़े हैं घास जड़ी | हवा सामने के खँडहर में मरी पड़ी। नहीं कहीं कोई हलचल| तुम्हारी, याद अपना बोध कहीं अतल में जा डूबै हैं सारे शोध| जमकर पत्थर है हर पल। - ShareChat
#🥰Express Emotion #👫चैटरूम चिटचैट✨
🥰Express Emotion - उफ़, यह समय झरता हुआ | : : कल के बेडौल हाथों त्रस्त। हुए ख़ुद से कहीं कोई है कि हममें कँपकँपी भरता हुअ  बनते हुए ही टूटते हैं हम पठारी नदी के तट से। हम विवश हैं फोड़ने को माथ अपना निजी चौखट से। एक कोई है हमें हर क्षण ग़लत करता हुआ| उफ़, यह समय झरता हुआ | : : कल के बेडौल हाथों त्रस्त। हुए ख़ुद से कहीं कोई है कि हममें कँपकँपी भरता हुअ  बनते हुए ही टूटते हैं हम पठारी नदी के तट से। हम विवश हैं फोड़ने को माथ अपना निजी चौखट से। एक कोई है हमें हर क्षण ग़लत करता हुआ| - ShareChat
#यहाँ से भी चलें।
यहाँ से भी चलें। - चलें , अब तो यहाँ से भी चलें | उठ गए हिलते हुए रंगीन कपड़े মুঙনী (अपाहिज हैं छत मुँडेरे ) एक स्लेटी सशंकित आवाज़ आने लगी सहसा दूर से। चलें , अब तो पहाड़ी उस पार बूढ़े सूर्य बनकर ढलें | पेड़, मंदिर, पंछियों के रूप। कौन जाने कहाँ रखकर जा छिपी वह सोनियातन करामाती धूप। चलें , अब तो बन्द कमरों में सुलगती लकड़ियों -से जलें। चलें , अब तो यहाँ से भी चलें | उठ गए हिलते हुए रंगीन कपड़े মুঙনী (अपाहिज हैं छत मुँडेरे ) एक स्लेटी सशंकित आवाज़ आने लगी सहसा दूर से। चलें , अब तो पहाड़ी उस पार बूढ़े सूर्य बनकर ढलें | पेड़, मंदिर, पंछियों के रूप। कौन जाने कहाँ रखकर जा छिपी वह सोनियातन करामाती धूप। चलें , अब तो बन्द कमरों में सुलगती लकड़ियों -से जलें। - ShareChat
#बड़ी मासूमियत से सादगी से बात करता है
बड़ी मासूमियत से सादगी से बात करता है - बड़ी मासूमियत से सादगी से बात करता है मेरा किरदार जब भी जिंदगी से बात करता है बताया है किसी ने जल्द ही ये सूख जाएगी  तभी से मन मेरा घंटों नदी से बात करता है कभी जो तीरगी मन को हमारे घेर लेती है तो उठ के हौसला तब रोशनी से बात करता है नसीहत देरतक देती है माँ उसको जमाने की कोई बच्चा कभी जो अजनबी से बात करता है मैं कोशिश तो बहुत करता हूँ उसको जान लूँ लेकिन  वो मिलने पर बड़ी कारीगरी से बात करता है शरारत देखती है शक्ल बेचपन की उदासी से ये बचपन जब कभी संजीदगीसेबातकसताहै बड़ी मासूमियत से सादगी से बात करता है मेरा किरदार जब भी जिंदगी से बात करता है बताया है किसी ने जल्द ही ये सूख जाएगी  तभी से मन मेरा घंटों नदी से बात करता है कभी जो तीरगी मन को हमारे घेर लेती है तो उठ के हौसला तब रोशनी से बात करता है नसीहत देरतक देती है माँ उसको जमाने की कोई बच्चा कभी जो अजनबी से बात करता है मैं कोशिश तो बहुत करता हूँ उसको जान लूँ लेकिन  वो मिलने पर बड़ी कारीगरी से बात करता है शरारत देखती है शक्ल बेचपन की उदासी से ये बचपन जब कभी संजीदगीसेबातकसताहै - ShareChat
#करे कोशिश अगर इंसान तो क्याक्या नहीं मिलता
करे कोशिश अगर इंसान तो क्याक्या नहीं मिलता - करे कोशिश अगर इंसान तो क्याक्या नहीं मिलता वो उठकर चल के तो देखे जिस रस्ता नहीं मिलता! भले ही धूप हो, कांटे हों पर चलना ही पडता है किसी प्यासे को घर बैठे कभी दरिया नहीं मिलता! कहें क्या ऐसे लोगों से जो कहकर लडख़डाते हैं कि हम आकाश छू लेते मगर मौका नहीं मिलता! कमी कुछ चाल में होगी , कमी होगी इरादों में जो कहते कामयाबी का हमें नक्शा नहीं मिलता! अपने आप पर यारो भरोसा करकेतो देखें हम कभी भी ग़िडग़िडाने से कोई रुतबा नहीं मिलता! करे कोशिश अगर इंसान तो क्याक्या नहीं मिलता वो उठकर चल के तो देखे जिस रस्ता नहीं मिलता! भले ही धूप हो, कांटे हों पर चलना ही पडता है किसी प्यासे को घर बैठे कभी दरिया नहीं मिलता! कहें क्या ऐसे लोगों से जो कहकर लडख़डाते हैं कि हम आकाश छू लेते मगर मौका नहीं मिलता! कमी कुछ चाल में होगी , कमी होगी इरादों में जो कहते कामयाबी का हमें नक्शा नहीं मिलता! अपने आप पर यारो भरोसा करकेतो देखें हम कभी भी ग़िडग़िडाने से कोई रुतबा नहीं मिलता! - ShareChat
#प्रेम की सच्चाई की बोलियां ही गायब हैंप्रेम की सच्चाई की बोलियां ही गायब हैं
प्रेम की सच्चाई की बोलियां ही गायब हैंप्रेम की सच्चाई की बोलियां ही गायब हैं - प्रेम की सच्चाई की बोलियां ही गायब हैं आदमी के अंदर से बिजलियां ही गायब हैं साबजी पधारे थे सैर को गुलिस्तां की तब से इस चमन की सब तितलियां ही गायब हैं हाथ क्या मिलाया था दिल ही दे दिया था उन्हें हाथ अपने देखे तो उंगलियां ही गायब हैं यूं ही गर्भ पे जो चली आपकी ये मनमानी कल जहां से देखोगे लडकियां ही गा़यब हैं वे भले प़डोसी थे, आए थे नहाने को बाथरूम की तब से टौंटियां ही गायब हैं चीर को हरण कैसे अब करोगे दुशासन जींस में हैं पांचाली , साडयां ही गायब हैं होटलों में खाते हैं वे चिकिनओबिरयानी और कितने हाथों से रोटियां ही गायब हैं। प्रेम की सच्चाई की बोलियां ही गायब हैं आदमी के अंदर से बिजलियां ही गायब हैं साबजी पधारे थे सैर को गुलिस्तां की तब से इस चमन की सब तितलियां ही गायब हैं हाथ क्या मिलाया था दिल ही दे दिया था उन्हें हाथ अपने देखे तो उंगलियां ही गायब हैं यूं ही गर्भ पे जो चली आपकी ये मनमानी कल जहां से देखोगे लडकियां ही गा़यब हैं वे भले प़डोसी थे, आए थे नहाने को बाथरूम की तब से टौंटियां ही गायब हैं चीर को हरण कैसे अब करोगे दुशासन जींस में हैं पांचाली , साडयां ही गायब हैं होटलों में खाते हैं वे चिकिनओबिरयानी और कितने हाथों से रोटियां ही गायब हैं। - ShareChat
#🥰Express Emotion #💓 मोहब्बत दिल से
🥰Express Emotion - माँकी ममता अपनी बेटी को एक माँ के सिवाय कोई नहीं लेकर, समझ सकता | क्योंकि अपनी कोख से । उसे विदा करने तक और उसके बाद भी सारी जिंदगी वो यही कोशिश करती है, कि जो मैंने सहा है, वो मेरी बेटी को न सहना पडे़ और  वो हमेशा खुश रहे...!! कितनी सख्तहै, वो जानती है कि दुनिया  इसलिए वो अपनी बेटी को नरम नहीं, मज़बूत बनाती है। कभी दुआ बनकर साथ देती है, तो कभी दूरी में रहकर भी ढाल बन जाती है..!! माँकी ममता अपनी बेटी को एक माँ के सिवाय कोई नहीं लेकर, समझ सकता | क्योंकि अपनी कोख से । उसे विदा करने तक और उसके बाद भी सारी जिंदगी वो यही कोशिश करती है, कि जो मैंने सहा है, वो मेरी बेटी को न सहना पडे़ और  वो हमेशा खुश रहे...!! कितनी सख्तहै, वो जानती है कि दुनिया  इसलिए वो अपनी बेटी को नरम नहीं, मज़बूत बनाती है। कभी दुआ बनकर साथ देती है, तो कभी दूरी में रहकर भी ढाल बन जाती है..!! - ShareChat